शुभम सरला को ब्रा का हुक लगाता देख कर और उसे ना लगा सकने की वजह से शुभम काफी उत्तेजित हो गया था और वह खुद उसकी मदद करने के लिए कमरे में घुसकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था.... शुभम को इस तरह से दरवाजा बंद करता हुआ देखकर सरला के मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे वह मारे शर्म के गड़ी जा रही थी... जो कुछ भी उसके साथ हो रहा था इस बारे में वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी अभी भी उसकी पीठ शुभम की तरफ थी वह शर्म के मारे नीचे जमीन को देखे जा रही थी शुभम के द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी लेकिन ब्रा का हुक ना बंद होने की वजह से उसके बाजुओं में से दोनों पट्टियां लटक रही थी मानव शुभम के लिए वह अपने वस्त्र का त्याग कर रही हो अगर इस समय कोई और यह नजारा देख ले तो उसको यही लगेगा कि सरला शुभम के लिए अपने वस्त्र त्याग कर रही है। शुभम की आंखो में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी उसके पूरे तन बदन में सरला के मदहोश मादक बदन का नशा छाया हुआ था। उसके पैंट में गदर मचा हुआ था उसका लंड किसी भी वक्त विद्रोह करने की तैयारी में था जोकि किसी बंदूक की नाल की तरह पेंट में तना हुआ था। कुछ पल के लिए सरला के कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया केवल दोनों की गहरी गहरी सांसो की आवाज ही सुनाई दे रही थी दोनों जहां थे वहीं मानो ठहर से गए थे... सरला अपने बदन को कपड़ों की ओट में छुपाना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों वह यह सब करने में असमर्थ साबित हो रही थी... सरला यह बात भलीभांति जानती थी कि वह जिस तरह से जिस पोजीशन में खड़ी थी शुभम उसके बदन को लार टपका ता हुआ देख रहा होगा और अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को भी देख कर मन ही मन खुश हो रहा होगा...और सरला का यह सोचना बिल्कुल ठीक था क्योंकि यही बात शुभम के मन में भी चल रही थी...
उसे काफी प्रसन्नता हो रही थी सरला के खूबसूरत बदन पर अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को देखकर भेज देना करो और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था.... शुभम सरला से करीब तीन चार कदम की दूरी पर खड़ा था लेकिन सरला को इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी नजर घुमाकर शुभम को देख ले... तभी शुभम अपना एक कदम आगे बढ़ाकर सरला की और बड़ा ही था कि उसके कदमों की आहट को सुनकर सरला शर्म के मारे अपने बदन को संकुचाते हुए बोली....
सससससस...... शुभम तो यहां क्या करने आया है.?
ऐसे ही आ गया था चाची आप ही तो कल कह रही थी कि तेरा जब मन करे तब चले आया कर.... (इतना कहते हुए शुभम ज्यों का त्यों वही खड़ा रह गया...)
लेकिन तुझे घंटी तो बजानी चाहिए थी....(सरला उसी तरह से अपनी नजरें नीचे करे हुए बोली..)
अब मैं घंटी बजा तभी तो कैसे बचा था चाचा मैं दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ था...(शिवम की यह बात सुनकर सरला सोच में पड़ गई तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि जल्दबाजी में शायद उसने दरवाजा लॉक करना भूल गई थी. ) मुझे लगा कि शायद आप यहीं ड्राइंग रूम में होगी इसलिए मैं डोरबेल नहीं बजाया और घर में आ गया यहां वहां ढूंढने पर आप मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दी.... तो मैं जब सीढ़ियों पर चढ़ने लगा तो मुझे बाथरूम में से पानी के गिरने की आवाज आने लगी तो मैं समझ गया कि शायद आप नहा रही होंगी और इसलिए मैं आपका इंतजार करने के लिए यही सोफे पर बैठ गया....
शुभम अपनी तरफ से सफाई पेश करते समय लगातार सरला के खूबसूरत नंगे जिस्म को देख रहा था... जोकि ट्यूबलाइट की रोशनी में संगेमरमर की तरह चमक रही थी। सरला को इस बात का आभास हो गया था कि शुभम इस समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कोई देख रहा है... क्योंकि इस बात से वाशी तरह से आओगे तो ठीक है साड़ी के ऊपर से हमेशा शुभम उसके बदन को नहीं आ रहा करता था और इस समय तो उसके पास पूरा मौका था उसे जी भर कर देखने के लिए बोला ऐसा मौका क्यों जाने देता....
लेकिन फिर भी.. (इतना कहकर सरला एकदम खामोश हो गई और जैसे शुभम सरला क्या कहना चाहती है यह बात अच्छी तरह से जानता था इसलिए जवाब देते हुए वह बोला...)
मैं अच्छी तरह से जानता हूं चाची कि मुझे बिना बताए नहीं आना चाहिए था लेकिन मैं क्या करता दोपहर का समय था मेरा भी समय पास नहीं हो रहा था और आप भी यह बात कह चुकी थी कि जब चाहे तब चले आना... और मैं तो चाची से अपना ही घर समझने लगा था इसलिए चला आया था वरना मैं क्यों आता और मैं यही सोफे पर बैठ गया....(सरला शुभम की बातें बहुत ध्यान से सुन रही थी क्योंकि वह भी मन में सोच रही थी कि हो सकता है वह जो भी बोल रहा है सच हो।) लेकिन चाची इसमें गलती पूरी आपकी है।
ममम.. मेरी इसमें मेरी गलती कहां खो गई ....(इतना कहने के साथ ही चोकने वाले अंदाज में सरला शुभम की तरफ घूमी तो उसे इस बात का आभास हुआ कि इस समय वह अर्धनग्न अवस्था में है लेकिन शुभम की तरफ घूमने के साथ ही उसकी ब्रा की कटोरी चूचियों पर से नीचे की तरफ गिर गई जिसे जल्दी से संभाल कर सरला फिर से दूसरी तरफ घूम गई सरला की इतनी सी हरकत पर शुभम पर मानो उत्तेजना का सैलाब टूट पड़ा... वह एकदम कामोत्तेजना से भर गया... क्योंकि ब्रा की कटोरी गिरने की वजह से शुभम की आंखों के सामने एक बार फिर से सरला के पके हुए पपैया अपनी औकात दिखाते हुए नजर आने लगे जिसे देख कर शुभम की आंखों में उसे पाने की चमक नजर आने लगी। शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।
तो क्या चाची गलती सब आपकी ही है मैं तो यूं ही आ गया था घर में रूम में सोफे पर बैठ गया लेकिन मुझे क्या मालूम था कि आप बाथरूम से एकदम नंगी होकर बाहर निकलेंगी.... (शुभम जानबूझकर नंगी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए बोला था. और इस नंगी शब्द का असर सरला पर बेहद गहरा हो रहा था क्योंकि शुभम के मुंह से अपने बारे में इस तरह से नंगी शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया था वह नजर उठाने में असमर्थ हो रही थी और शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला.) जाहिर तौर पर सभी औरतें बाथरूम से नहाने के बाद कपड़े पहन कर या टॉवेल लपेटकर ही बाहर आती है इसलिए मैं यहां पर बैठा हुआ था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि आप बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर बाथरुम से बाहर आएंगे या हो सकता है यह आपकी आदत ही हो लेकिन मैं इसके लिए माफी मांगता हूं...
नहीं ऐसी भी कोई आदत मुझमें नहीं है आज मैं कपड़े बाथरूम में ले जाना भूल गई थी। (सरला शर्मा से नजरें गड़ाए हुए ही अपनी तरफ से सफाई पेश करते हुए बोली...)
लेकिन कुछ भी हो मेरे साथ साथ इसमें गलती आपकी भी है.... आपको इस तरह से नंगी होकर बाहर नहीं आना चाहिए था..
मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला होगा और तू चला आएगा मैं तो यह समझी थी कि घर में कोई भी नहीं है इसलिए.....(इतना कहकर सरला चुप हो गई...)
जाने दो चाची जो भी हुआ यह तो मुझे नहीं मालूम अच्छा हुआ या खराब हुआ... लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ....
जो हुआ सो हुआ लेकिन सब कुछ जानने के बाद तो मेरे कमरे में क्यों चला आया तुझे यहा नहीं आना चाहिए था ना....
कैसे चाची ....कैसे आप ही बताओ कैसे...... भला मैं अपने आप पर काबू कैसे रख पाता....
(शुभम की यह बात सुनने के बाद सरला आश्चर्य से उसकी तरफ नजर घुमा कर देखी तो शुभम अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला....)
मेरा मतलब है कि चाची जरा आप खुद सोचो जब एक खूबसूरत औरत खूबसूरत जिस्म लिए हुए... और वह भी ऐसी औरत जिसे देखकर जवान लड़के तो क्या बुढो का भी दिल जोर से धड़कता हो .. अगर ऐसी औरत आंखों के सामने से एकदम नंगी होकर गुजर जाए तो भला वह मर्द क्या शांत बैठेगा उसके तन बदन में हलचल मच जाएगी...(शुभम जानबूझकर इस तरह से बेहद चालाकी से चलना की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और सरला पर इस तारीफ का असर भी हो रहा था वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी... उसे इस बात का आभास हो रहा था कि अभी भी उसके अंदर जवानी कायम है...)
लेकिन तू.....?
तू..... क्या .... क्या मैं मर्द नहीं हूं...? क्या एक औरत को देखकर मुझ में भावना पैदा नहीं होती और जब मेरी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत हो तो भला में कैसे अपने आप को रोक पाऊंगा.... चाची में अपने आप को रोक भी लेता लेकिन....(इतना कहकर सब हम खामोश हो गया।)
लेकिन क्या .....(सरला उसी तरह से शर्मिंदा होकर नीचे नजरें झुकाए हुए बोली)
लेकिन चाची अगर मैं आपको नंगी नहीं देखा होता तो अपने आप को रोक लेता आपको अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देखकर ना जाने मुझे क्या हो गया मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि कपड़ों के अंदर आप इतनी खूबसूरत होगी मैं तो आपकी खूबसूरती को अभी तक कपड़ों के ऊपर से ही देखता आ रहा था लेकिन आज पहली बार कपड़ों के अंदर की खूबसूरती को देखकर मैं अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और ना चाहते हुए भी आपके कमरे में आ गया.....(सुभम जानबूझकर अपनी बातों के जादू में सरला को पूरी तरह से उलझा रहा था और सरला पूरी तरह से उसकी बातों में उलझ गई थी... शुभम की चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अंदर ही अंदर वह बहुत प्रसन्न हो रही थी.... श्रम की बातें सुनकर सरला के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे शुभम अपनी बातों से सरला को एकदम निशब्द कर दिया था.)
लेकिन चाची चाहे जो भी हो आप आसमानी रंग की ब्रा और पेंटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो....(शुभम जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग सरला के सामने कर रहा था और सरला अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के सामने अर्धनग्न अवस्था में खड़ी होकर उसकी इस तरह की बातें सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी।)
शुभम ये क्या कह रहा है तू...मैं तेरी मां की उम्र की हूं और मुझे इस हालात में देखकर तू मेरे खूबसूरती की तारीफ कर रहा है ... क्या यह तेरे संस्कार को शोभा देते हैं...?
चाची में कोई गलत बात नहीं कह रहा हूं मेरी आंखों ने जो देखा है वह मेरी आंखों के सामने जो चीज है मैं उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं आखिरकार खूबसूरती की तारीफ करना कोई गुनाह तो नहीं है।
लेकिन मैं एक औरत हूं और तेरी मां की उम्र की हो तो मेरे बेटे के उम्र का है....?
खूबसूरती की कोई सीमा नहीं होती और आकर्षण उम्र के दायरे में बड़ी नहीं होती आकर्षण का दायरा उम्र और वक्त सबसे आगे होता है मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि आप मेरी मां की उम्र की है लेकिन सबसे पहले आप एक औरत है और वह भी खूबसूरत औरत....
(शुभम के मुंह से अपनी तारीफ में निकले एक एक शब्द सरला को अपने बदन पर मखमली एहसास करा जा रहे थे... शुभम कि कहीं एक एक बात उसके सीने में उतर जा रहे थे आज तक इस तरह की बातें उसके पति ने भी नहीं की थी शुभम अपनी मदमस्त कर देने वाली बातों से उसके कानों में शहद घोल रहा था जो कि सुनने में तो अच्छी लगी रही थी लेकिन उसका एहसास गजब का था एक अद्भुत एहसास जिसके पहलू में वह अपने आप को पिघलता हुआ महसुस कर रही थी और वास्तव में उसे अपनी टांगों के बीच की पतली दरार मै से मदन रस रिश्ता हुआ महसूस हो रहा था... जो कि उसके बदन में उत्तेजना के असर की पूर्ति कर रहा था... शुभम की बातें सुनने के बाद सरला उसी तरह से शर्म के मारे नजरे नीचे गड़ाए हुए बोली)
क्या शुभम तुझे जरा भी शर्म नहीं आ रही है मुझे इस हालात में यूं घूर घूर कर देखते हुए।
चाची आप यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि ताजमहल बहुत खूबसूरत है चारों तरफ से रोजाना हजारों आंखें उसे घूरती रहती हैं तो क्या उसे कोई दिक्कत होती है या किसी को वह रोक देता है कि मुझे इस तरह से मत घुरा कर...उसी तरह से चाची आप इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं अगर अपने आप को रोकने की कोशिश करृ तो भी मैं शायद रुक नहीं पाऊंगा.... आपका अंग-अंग संगेमरमर की तरह चमक रहा है। आप इतनी ज्यादा गोरी है कि सही कहूं तो मेरी आंखें चमक जा रही है। इस उम्र में भी आप अपनी खूबसूरत बदन को बना कर रखी है यह बात एकदम हैरानी कर देने वाली है कहीं से भी थोड़ी सी भी लचक नहीं है... बदन का हर एक हिस्सा बेहद कसा हुआ है....(शुभम अपने शब्दों में सरला की तारीफ के पुल के पुल बांधे जा रहा था और यह सुनकर सरला खुशी के मारे गदगद हुए जा रही थी साथ ही उसकी बुर लगातार पिघलती जा रही थी... सरला के लिए यह सब एक स्वप्न सा लग रहा था उसे ऐसा लग रहा था मानो वह कोई सपना देख रही है क्योंकि जो कुछ भी अब उसके साथ हो रहा था एहसास तक नहीं हुआ था शुभम एक जवान लड़का था और इस उम्र में वह एक उम्रदराज औरत की तारीफ के तारीफ किया जा रहा था उसकी खूबसूरती को लेकर उसके कसे हुए अंग के बारे में जो कुछ भी वह आज तक नहीं सुनी थी उसके कानों ने आज वह सुनकर एकदम सुन्न हुए जा रहे थे
सरला मारे उत्तेजना और प्रसन्नता के कारण हवा में उड़ रही थी।)
औहहह सुभम ये क्या कह रहा है तू.... इस तरह की बातें मत कर तेरी बातें सुनकर मुझे मुझे .... तो कमरे से बाहर चला जा....
चला जाऊंगा चाची लेकिन जो काम करने के लिए आया हूं पहले वह तो कर लुं....
(शुभम की यह बात सुनकर सरला एकदम सन्न रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा है ताकि शुभम क्या करने के लिए अंदर आया है लेकिन इतनी बात तो वो जानती ही थी कि ऐसे हालात में एक औरत के कमरे में एक मर्द का आना किस लिए होता है और जिस तरह से शुभम बातें कर रहा था उससे साफ जाहिर था कि वह कमरे में उसी काम के लिए आया है जो कि एक मर्द ऐसे हालात में एक औरत के साथ करता है यह बात मन में सोचते ही सपना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी लेकिन उसके अंदर अजीब सा डर फैलने लगा लेकिन इस डर के साथ-साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी वह भले ही समझ रही थी लेकिन अंदर ही अंदर यही चाहती थी कि शुभम उसके साथ सब कुछ करें जो कि एक मर्द को ऐसे हालात में औरत के साथ करना रहता है...और जिस तरह की अश्लील खुले शब्दों में सुबह मुझसे बातें कर रहा था बेशर्मो की तरफ से साफ जाहिर था कि शुभम भी उसके साथ वही करना चाहता है जो एक औरत के साथ मर्द करता है.... यह बात सुनते ही सपना के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे लेकिन उन सवालों के साथ-साथ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी दौड़ रही थी उसकी टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही हलचल मची हुई थी उसे सा महसूस हो रहा था कि उसकी बुर में से लगातार नमकीन रह रहा था जो कि उसकी नई नई पेंटी को पूरी तरह से गीली कर रही थी.... फिर भी शुभम की बातें सुनकर सरला कांपते स्वर में बोली..)
कककककक.... क्या करने आया है तू...
इतना सुनते ही शुभम आगे बढ़कर सरला के बेहद करीब पहुंच गया और सरला को इस बात का एहसास हो गया कि शुभम उसके बेहद करीब खड़ा है और उसके पीछे ही इस बात का एहसास उसे अंदर तक रोमांच से भर दिया वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके सामने इस तरह का दृश्य रचा जाएगा वह अपने ही कमरे में अर्धनग्न अवस्था में ब्रा पेंटी पहने हुए जोकि ब्रा अभी भी खुली हुई थी और ऐसे हालात में एक जवान लड़का ठीक उसके पीछे खड़ा होगा जहां से वह उसके अर्द्ध नग्न बदन को अपनी प्यासी आंखों से देखकर अपनी आंखों को सेंक रहा होगा.. इस बारे में सोचकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वहां की कुछ सोच पाती इससे पहले ही उसे महसूस हुआ कि शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी खुली हुई ब्रा की पट्टी को पकड़ लिया....
awesome update bro.waiting for nextशुभम सरला को ब्रा का हुक लगाता देख कर और उसे ना लगा सकने की वजह से शुभम काफी उत्तेजित हो गया था और वह खुद उसकी मदद करने के लिए कमरे में घुसकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था.... शुभम को इस तरह से दरवाजा बंद करता हुआ देखकर सरला के मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे वह मारे शर्म के गड़ी जा रही थी... जो कुछ भी उसके साथ हो रहा था इस बारे में वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी अभी भी उसकी पीठ शुभम की तरफ थी वह शर्म के मारे नीचे जमीन को देखे जा रही थी शुभम के द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी लेकिन ब्रा का हुक ना बंद होने की वजह से उसके बाजुओं में से दोनों पट्टियां लटक रही थी मानव शुभम के लिए वह अपने वस्त्र का त्याग कर रही हो अगर इस समय कोई और यह नजारा देख ले तो उसको यही लगेगा कि सरला शुभम के लिए अपने वस्त्र त्याग कर रही है। शुभम की आंखो में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी उसके पूरे तन बदन में सरला के मदहोश मादक बदन का नशा छाया हुआ था। उसके पैंट में गदर मचा हुआ था उसका लंड किसी भी वक्त विद्रोह करने की तैयारी में था जोकि किसी बंदूक की नाल की तरह पेंट में तना हुआ था। कुछ पल के लिए सरला के कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया केवल दोनों की गहरी गहरी सांसो की आवाज ही सुनाई दे रही थी दोनों जहां थे वहीं मानो ठहर से गए थे... सरला अपने बदन को कपड़ों की ओट में छुपाना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों वह यह सब करने में असमर्थ साबित हो रही थी... सरला यह बात भलीभांति जानती थी कि वह जिस तरह से जिस पोजीशन में खड़ी थी शुभम उसके बदन को लार टपका ता हुआ देख रहा होगा और अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को भी देख कर मन ही मन खुश हो रहा होगा...और सरला का यह सोचना बिल्कुल ठीक था क्योंकि यही बात शुभम के मन में भी चल रही थी...
उसे काफी प्रसन्नता हो रही थी सरला के खूबसूरत बदन पर अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को देखकर भेज देना करो और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था.... शुभम सरला से करीब तीन चार कदम की दूरी पर खड़ा था लेकिन सरला को इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी नजर घुमाकर शुभम को देख ले... तभी शुभम अपना एक कदम आगे बढ़ाकर सरला की और बड़ा ही था कि उसके कदमों की आहट को सुनकर सरला शर्म के मारे अपने बदन को संकुचाते हुए बोली....
सससससस...... शुभम तो यहां क्या करने आया है.?
ऐसे ही आ गया था चाची आप ही तो कल कह रही थी कि तेरा जब मन करे तब चले आया कर.... (इतना कहते हुए शुभम ज्यों का त्यों वही खड़ा रह गया...)
लेकिन तुझे घंटी तो बजानी चाहिए थी....(सरला उसी तरह से अपनी नजरें नीचे करे हुए बोली..)
अब मैं घंटी बजा तभी तो कैसे बचा था चाचा मैं दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ था...(शिवम की यह बात सुनकर सरला सोच में पड़ गई तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि जल्दबाजी में शायद उसने दरवाजा लॉक करना भूल गई थी. ) मुझे लगा कि शायद आप यहीं ड्राइंग रूम में होगी इसलिए मैं डोरबेल नहीं बजाया और घर में आ गया यहां वहां ढूंढने पर आप मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दी.... तो मैं जब सीढ़ियों पर चढ़ने लगा तो मुझे बाथरूम में से पानी के गिरने की आवाज आने लगी तो मैं समझ गया कि शायद आप नहा रही होंगी और इसलिए मैं आपका इंतजार करने के लिए यही सोफे पर बैठ गया....
शुभम अपनी तरफ से सफाई पेश करते समय लगातार सरला के खूबसूरत नंगे जिस्म को देख रहा था... जोकि ट्यूबलाइट की रोशनी में संगेमरमर की तरह चमक रही थी। सरला को इस बात का आभास हो गया था कि शुभम इस समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कोई देख रहा है... क्योंकि इस बात से वाशी तरह से आओगे तो ठीक है साड़ी के ऊपर से हमेशा शुभम उसके बदन को नहीं आ रहा करता था और इस समय तो उसके पास पूरा मौका था उसे जी भर कर देखने के लिए बोला ऐसा मौका क्यों जाने देता....
लेकिन फिर भी.. (इतना कहकर सरला एकदम खामोश हो गई और जैसे शुभम सरला क्या कहना चाहती है यह बात अच्छी तरह से जानता था इसलिए जवाब देते हुए वह बोला...)
मैं अच्छी तरह से जानता हूं चाची कि मुझे बिना बताए नहीं आना चाहिए था लेकिन मैं क्या करता दोपहर का समय था मेरा भी समय पास नहीं हो रहा था और आप भी यह बात कह चुकी थी कि जब चाहे तब चले आना... और मैं तो चाची से अपना ही घर समझने लगा था इसलिए चला आया था वरना मैं क्यों आता और मैं यही सोफे पर बैठ गया....(सरला शुभम की बातें बहुत ध्यान से सुन रही थी क्योंकि वह भी मन में सोच रही थी कि हो सकता है वह जो भी बोल रहा है सच हो।) लेकिन चाची इसमें गलती पूरी आपकी है।
ममम.. मेरी इसमें मेरी गलती कहां खो गई ....(इतना कहने के साथ ही चोकने वाले अंदाज में सरला शुभम की तरफ घूमी तो उसे इस बात का आभास हुआ कि इस समय वह अर्धनग्न अवस्था में है लेकिन शुभम की तरफ घूमने के साथ ही उसकी ब्रा की कटोरी चूचियों पर से नीचे की तरफ गिर गई जिसे जल्दी से संभाल कर सरला फिर से दूसरी तरफ घूम गई सरला की इतनी सी हरकत पर शुभम पर मानो उत्तेजना का सैलाब टूट पड़ा... वह एकदम कामोत्तेजना से भर गया... क्योंकि ब्रा की कटोरी गिरने की वजह से शुभम की आंखों के सामने एक बार फिर से सरला के पके हुए पपैया अपनी औकात दिखाते हुए नजर आने लगे जिसे देख कर शुभम की आंखों में उसे पाने की चमक नजर आने लगी। शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।
तो क्या चाची गलती सब आपकी ही है मैं तो यूं ही आ गया था घर में रूम में सोफे पर बैठ गया लेकिन मुझे क्या मालूम था कि आप बाथरूम से एकदम नंगी होकर बाहर निकलेंगी.... (शुभम जानबूझकर नंगी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए बोला था. और इस नंगी शब्द का असर सरला पर बेहद गहरा हो रहा था क्योंकि शुभम के मुंह से अपने बारे में इस तरह से नंगी शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया था वह नजर उठाने में असमर्थ हो रही थी और शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला.) जाहिर तौर पर सभी औरतें बाथरूम से नहाने के बाद कपड़े पहन कर या टॉवेल लपेटकर ही बाहर आती है इसलिए मैं यहां पर बैठा हुआ था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि आप बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर बाथरुम से बाहर आएंगे या हो सकता है यह आपकी आदत ही हो लेकिन मैं इसके लिए माफी मांगता हूं...
नहीं ऐसी भी कोई आदत मुझमें नहीं है आज मैं कपड़े बाथरूम में ले जाना भूल गई थी। (सरला शर्मा से नजरें गड़ाए हुए ही अपनी तरफ से सफाई पेश करते हुए बोली...)
लेकिन कुछ भी हो मेरे साथ साथ इसमें गलती आपकी भी है.... आपको इस तरह से नंगी होकर बाहर नहीं आना चाहिए था..
मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला होगा और तू चला आएगा मैं तो यह समझी थी कि घर में कोई भी नहीं है इसलिए.....(इतना कहकर सरला चुप हो गई...)
जाने दो चाची जो भी हुआ यह तो मुझे नहीं मालूम अच्छा हुआ या खराब हुआ... लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ....
जो हुआ सो हुआ लेकिन सब कुछ जानने के बाद तो मेरे कमरे में क्यों चला आया तुझे यहा नहीं आना चाहिए था ना....
कैसे चाची ....कैसे आप ही बताओ कैसे...... भला मैं अपने आप पर काबू कैसे रख पाता....
(शुभम की यह बात सुनने के बाद सरला आश्चर्य से उसकी तरफ नजर घुमा कर देखी तो शुभम अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला....)
मेरा मतलब है कि चाची जरा आप खुद सोचो जब एक खूबसूरत औरत खूबसूरत जिस्म लिए हुए... और वह भी ऐसी औरत जिसे देखकर जवान लड़के तो क्या बुढो का भी दिल जोर से धड़कता हो .. अगर ऐसी औरत आंखों के सामने से एकदम नंगी होकर गुजर जाए तो भला वह मर्द क्या शांत बैठेगा उसके तन बदन में हलचल मच जाएगी...(शुभम जानबूझकर इस तरह से बेहद चालाकी से चलना की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और सरला पर इस तारीफ का असर भी हो रहा था वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी... उसे इस बात का आभास हो रहा था कि अभी भी उसके अंदर जवानी कायम है...)
लेकिन तू.....?
तू..... क्या .... क्या मैं मर्द नहीं हूं...? क्या एक औरत को देखकर मुझ में भावना पैदा नहीं होती और जब मेरी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत हो तो भला में कैसे अपने आप को रोक पाऊंगा.... चाची में अपने आप को रोक भी लेता लेकिन....(इतना कहकर सब हम खामोश हो गया।)
लेकिन क्या .....(सरला उसी तरह से शर्मिंदा होकर नीचे नजरें झुकाए हुए बोली)
लेकिन चाची अगर मैं आपको नंगी नहीं देखा होता तो अपने आप को रोक लेता आपको अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देखकर ना जाने मुझे क्या हो गया मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि कपड़ों के अंदर आप इतनी खूबसूरत होगी मैं तो आपकी खूबसूरती को अभी तक कपड़ों के ऊपर से ही देखता आ रहा था लेकिन आज पहली बार कपड़ों के अंदर की खूबसूरती को देखकर मैं अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और ना चाहते हुए भी आपके कमरे में आ गया.....(सुभम जानबूझकर अपनी बातों के जादू में सरला को पूरी तरह से उलझा रहा था और सरला पूरी तरह से उसकी बातों में उलझ गई थी... शुभम की चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अंदर ही अंदर वह बहुत प्रसन्न हो रही थी.... श्रम की बातें सुनकर सरला के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे शुभम अपनी बातों से सरला को एकदम निशब्द कर दिया था.)
लेकिन चाची चाहे जो भी हो आप आसमानी रंग की ब्रा और पेंटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो....(शुभम जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग सरला के सामने कर रहा था और सरला अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के सामने अर्धनग्न अवस्था में खड़ी होकर उसकी इस तरह की बातें सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी।)
शुभम ये क्या कह रहा है तू...मैं तेरी मां की उम्र की हूं और मुझे इस हालात में देखकर तू मेरे खूबसूरती की तारीफ कर रहा है ... क्या यह तेरे संस्कार को शोभा देते हैं...?
चाची में कोई गलत बात नहीं कह रहा हूं मेरी आंखों ने जो देखा है वह मेरी आंखों के सामने जो चीज है मैं उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं आखिरकार खूबसूरती की तारीफ करना कोई गुनाह तो नहीं है।
लेकिन मैं एक औरत हूं और तेरी मां की उम्र की हो तो मेरे बेटे के उम्र का है....?
खूबसूरती की कोई सीमा नहीं होती और आकर्षण उम्र के दायरे में बड़ी नहीं होती आकर्षण का दायरा उम्र और वक्त सबसे आगे होता है मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि आप मेरी मां की उम्र की है लेकिन सबसे पहले आप एक औरत है और वह भी खूबसूरत औरत....
(शुभम के मुंह से अपनी तारीफ में निकले एक एक शब्द सरला को अपने बदन पर मखमली एहसास करा जा रहे थे... शुभम कि कहीं एक एक बात उसके सीने में उतर जा रहे थे आज तक इस तरह की बातें उसके पति ने भी नहीं की थी शुभम अपनी मदमस्त कर देने वाली बातों से उसके कानों में शहद घोल रहा था जो कि सुनने में तो अच्छी लगी रही थी लेकिन उसका एहसास गजब का था एक अद्भुत एहसास जिसके पहलू में वह अपने आप को पिघलता हुआ महसुस कर रही थी और वास्तव में उसे अपनी टांगों के बीच की पतली दरार मै से मदन रस रिश्ता हुआ महसूस हो रहा था... जो कि उसके बदन में उत्तेजना के असर की पूर्ति कर रहा था... शुभम की बातें सुनने के बाद सरला उसी तरह से शर्म के मारे नजरे नीचे गड़ाए हुए बोली)
क्या शुभम तुझे जरा भी शर्म नहीं आ रही है मुझे इस हालात में यूं घूर घूर कर देखते हुए।
चाची आप यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि ताजमहल बहुत खूबसूरत है चारों तरफ से रोजाना हजारों आंखें उसे घूरती रहती हैं तो क्या उसे कोई दिक्कत होती है या किसी को वह रोक देता है कि मुझे इस तरह से मत घुरा कर...उसी तरह से चाची आप इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं अगर अपने आप को रोकने की कोशिश करृ तो भी मैं शायद रुक नहीं पाऊंगा.... आपका अंग-अंग संगेमरमर की तरह चमक रहा है। आप इतनी ज्यादा गोरी है कि सही कहूं तो मेरी आंखें चमक जा रही है। इस उम्र में भी आप अपनी खूबसूरत बदन को बना कर रखी है यह बात एकदम हैरानी कर देने वाली है कहीं से भी थोड़ी सी भी लचक नहीं है... बदन का हर एक हिस्सा बेहद कसा हुआ है....(शुभम अपने शब्दों में सरला की तारीफ के पुल के पुल बांधे जा रहा था और यह सुनकर सरला खुशी के मारे गदगद हुए जा रही थी साथ ही उसकी बुर लगातार पिघलती जा रही थी... सरला के लिए यह सब एक स्वप्न सा लग रहा था उसे ऐसा लग रहा था मानो वह कोई सपना देख रही है क्योंकि जो कुछ भी अब उसके साथ हो रहा था एहसास तक नहीं हुआ था शुभम एक जवान लड़का था और इस उम्र में वह एक उम्रदराज औरत की तारीफ के तारीफ किया जा रहा था उसकी खूबसूरती को लेकर उसके कसे हुए अंग के बारे में जो कुछ भी वह आज तक नहीं सुनी थी उसके कानों ने आज वह सुनकर एकदम सुन्न हुए जा रहे थे
सरला मारे उत्तेजना और प्रसन्नता के कारण हवा में उड़ रही थी।)
औहहह सुभम ये क्या कह रहा है तू.... इस तरह की बातें मत कर तेरी बातें सुनकर मुझे मुझे .... तो कमरे से बाहर चला जा....
चला जाऊंगा चाची लेकिन जो काम करने के लिए आया हूं पहले वह तो कर लुं....
(शुभम की यह बात सुनकर सरला एकदम सन्न रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा है ताकि शुभम क्या करने के लिए अंदर आया है लेकिन इतनी बात तो वो जानती ही थी कि ऐसे हालात में एक औरत के कमरे में एक मर्द का आना किस लिए होता है और जिस तरह से शुभम बातें कर रहा था उससे साफ जाहिर था कि वह कमरे में उसी काम के लिए आया है जो कि एक मर्द ऐसे हालात में एक औरत के साथ करता है यह बात मन में सोचते ही सपना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी लेकिन उसके अंदर अजीब सा डर फैलने लगा लेकिन इस डर के साथ-साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी वह भले ही समझ रही थी लेकिन अंदर ही अंदर यही चाहती थी कि शुभम उसके साथ सब कुछ करें जो कि एक मर्द को ऐसे हालात में औरत के साथ करना रहता है...और जिस तरह की अश्लील खुले शब्दों में सुबह मुझसे बातें कर रहा था बेशर्मो की तरफ से साफ जाहिर था कि शुभम भी उसके साथ वही करना चाहता है जो एक औरत के साथ मर्द करता है.... यह बात सुनते ही सपना के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे लेकिन उन सवालों के साथ-साथ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी दौड़ रही थी उसकी टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही हलचल मची हुई थी उसे सा महसूस हो रहा था कि उसकी बुर में से लगातार नमकीन रह रहा था जो कि उसकी नई नई पेंटी को पूरी तरह से गीली कर रही थी.... फिर भी शुभम की बातें सुनकर सरला कांपते स्वर में बोली..)
कककककक.... क्या करने आया है तू...
इतना सुनते ही शुभम आगे बढ़कर सरला के बेहद करीब पहुंच गया और सरला को इस बात का एहसास हो गया कि शुभम उसके बेहद करीब खड़ा है और उसके पीछे ही इस बात का एहसास उसे अंदर तक रोमांच से भर दिया वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके सामने इस तरह का दृश्य रचा जाएगा वह अपने ही कमरे में अर्धनग्न अवस्था में ब्रा पेंटी पहने हुए जोकि ब्रा अभी भी खुली हुई थी और ऐसे हालात में एक जवान लड़का ठीक उसके पीछे खड़ा होगा जहां से वह उसके अर्द्ध नग्न बदन को अपनी प्यासी आंखों से देखकर अपनी आंखों को सेंक रहा होगा.. इस बारे में सोचकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वहां की कुछ सोच पाती इससे पहले ही उसे महसूस हुआ कि शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी खुली हुई ब्रा की पट्टी को पकड़ लिया....