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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

kabir singh

Aye kabira maan jaa
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और ऐसे शोभायमान बाथरूम क्यों शोभा तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब उसमें नहाने वाला शख्सियत बेहद खूबसूरत और मादक बदन वाला हो और कुछ ऐसा ही नजारा शुभम को अपनी आंखों से नजर आ रहा था बाथरूम में सरला संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र एकदम नंगी होकर बाथरूम की शोभा बढ़ा रही थी या यूं कह लो कि सरला की वजह से ही बाथरूम की शोभा बढ़ रही थी.... Nice update bhai
 
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शुभम ड्राइंग रूम में आकर सोफे पर बैठकर अपनी उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त करने में लगा हुआ था.... क्योंकि बाथरूम के अंदर का नजारा उसे एकदम से बेसब्र बना रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आंखों ने जो कुछ भी देखा वह सच है. ‌ सरला को नंगी देखने तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि सरला जैसी औरत है एकदम कामातुर होकर अपने हाथों से अपनी कामवासना बुझाने की कोशिश कर रही होगी ...लेकिन अपनी मां के हालात को देखते हुए उसे सब कुछ समझ में आ गया था कि एक औरत को भूख के साथ-साथ शरीर की भी भूख लगती है और जब यह भूख हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो उसे मिटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है जैसे कि उसकी मां खुद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर सारी मर्यादाओं को सारे रिश्ते नातों की डोर को तोड़ कर अपनी काम पिपासा बुझाती आ रही थी....
शुभम के होश उड़े हुए थे उत्तेजना के मारे उसकी कनपटी पूरी लाल हो चुकी थी...शुभम के जिंदगी में ऐसे हालात बहुत बार आए थे जब वह हद से ज्यादा बेसब्र होकर उत्तेजना का अनुभव कर चुका था क्योंकि एक से एक औरतों के साथ वह संभोग सुख भोग चुका था लेकिन सरला की बात कुछ और थी क्योंकि जिन औरतों के साथ हुआ शारीरिक संबंध बना लिया था उनसे सरला की उम्र कुछ ज्यादा ही थी.... सरला की तरफ तो शुभम अनायास ही शारीरिक आकर्षण में फस गया था वह कभी भी सरला से शारीरिक संबंध बनाना नहीं चाहता था लेकिन सरला जिस तरह से उस पर और उसकी मां पर निगरानी रख रही थी उसके चलते शुभम को सरला का मुंह बंद कराने के लिए इस तरह के कदम उठाने पड़े और आज वह दो कदम आगे बढ़ चुका था वह अच्छी तरह से जानता था कि सरला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद सरला कभी भी अगर उसे उसके और उसकी मां के बीच के नाजायज संबंध के बारे में पता चलता है तो वह किसी को बताने के काबिल नहीं रह जाएगी क्योंकि वह खुद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की और ऐसे में शुभम को मौका मिल जाएगा कि वह किसी से भी उसका राज ना करें वरना वह खुद बदनाम हो सकती थी इसलिए शुभम पूरी तरह से निश्चिंत हो गया था अब उसे यह खेल में मजा आ रहा था और वह ईस खेल में आगे बढ़ना चाहता था....

सोफे पर बैठ के धड़कते दिल के साथ शुभम सरला के बाहर आने का इंतजार कर रहा था...जो कि इस समय बाथरूम के अंदर एकदम नंगी होकर नहाने के साथ-साथ अपनी शारीरिक अंगों के साथ छेड़छाड़ करके पूरा लुफ्त उठा रही थी.....सरला बाथरूम में एकदम मस्त होकर नहा रही थी साथ ही अपने अंगों से खेल रहे थे उसकी जिंदगी में यह वाकया पहली बार हो रहा था जब हवा अपने ही अंगों के साथ खेल रही थी... और वास्तव में उसे अपने अंकों के साथ खेलने नहीं बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी वह बाथरूम में एकदम नंगी होकर चिकनी टाइल्स में अपने प्रतिबिंब को देख रही थी जो कि हर धुंधला दिख रहा था लेकिन फिर भी साफ नजर आ रहा था कि वह बाथरूम में एकदम नंगी है.... बड़े-बड़े पपैया जैसे दूध को हाथों में लेकर व झूला रही थी और उसे जलाते समय उसके जीवन में शुभम की छवि बसी हुई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम चोर नजरों से उसकी बड़ी बड़ी छातियों को घूरता रहता है..... और वह अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपने बड़े-बड़े तरबूज की माफिक गोल-गोल कांड को दोनों हाथों से उस पर चपत लगाते हुए और उसे फैलाते हुए मन में सोच रहे थे कि शुभम इसे भी बड़ी प्यासी नजरों से देखता है.... वह अपने मन में अपने आप से ही बात कर रही थी तो क्या वह इस उम्र में भी जवान लड़की को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम है। अपने सवालों का जवाब अपने आप से ही देते हुए वह मन में बोल रही थी हां अगर ऐसा नहीं होता तो शुभम जैसा जवान लड़का उसके पीछे आकर्षित होकर ना पड़ा होता... यह उसके मादक बदन का ही कमाल है कि शुभम किसी ना किसी बहाने उसकी मदद करने के लिए तत्पर रहता है और तभी तो वह उसके लिए ब्रा और पेंट भी खरीद कर ला कर उसे गिफ्ट किया है यह सब सोचते ही सरला की सांसो की गति तेज होने लगी.... वह समझ गई कि सुबह उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित होकर इस तरह से उसे ब्रा और पेंटी गिफ्ट कर रहा है जरूर उसके मन में कुछ ना कुछ चल रहा होगा।
Sarlaa bathrum me ekdam nangi


और वैसे भी अगर यह बात सच है तो यह उसके लिए ही बेहद गर्व करने वाली बात है वरना शुभम जैसे नौजवान लड़का किसी को सच लड़की के पीछे पड़ा होता सरला जैसी उम्रदराज औरत के पीछे नहीं... कुछ भी हो अब इसे इस खेल में मजा आ रहा था. यह सब सोचकर सरला बेहद खुश नजर आ रही थी और जोर जोर से खांसी अपने दूध को दबाते हुए दूसरे हाथ से अपनी टांगों के बीच के बीच मखमली जगह को मसाला रही थी जिस पर सावर से ठंडा ठंडा पानी गिर रहा था। उसके लिए मौका भी अच्छा था क्योंकि उसकी बहू घर पर नहीं थी और वह घर पर एकदम अकेली थी। वह अपने मन में सोच रही थी क्यों ना एक कदम आगे बढ़ा कर वहां सब कुछ कर ले जो एक प्यासी औरत करती है लेकिन तभी उसका मन उसे कोसने लगता उसे भला बुरा कहता लेकिन फिर दूसरा मन कहता कि आखिरकार एक बार फिर से जवानी वाला सुख भोग लेने में क्या दिक्कत है और ऐसे भी अगर व शुभम के साथ है शारीरिक संबंध बनाती है तो इस बात की किसी को भनक भी नहीं लग पाएगी और एक बार फिर जिंदगी जीने का मकसद मिल जाएगा.... आखिरकार सुभम की वजह से ही तो उसकी टांगों के बीच की सूखी पड़ी जमीन फिर से हरी होने लगी थी... वरना पति के गुजरे तो बरसों बीत गई थी तब से वह एक सती की तरह जिंदगी गुजार रही हैं... आखिर इस तरह की जिंदगी जी कर उसे क्या मिला बहुत सी औरतें हैं जो अपनी सुख-सुविधा के लिए बहुत कुछ करने को तैयार हो जाती है और करती भी हैं... पति होता तो शायद यह सब बातें बहुत नहीं सोचती लेकिन सरला अपने आप से ही बातें करते हो कभी उदास हो जाती तो कभी उसकी आंखों में चमक आ जाती आखिरकार बहुत कुछ सोच विचार करने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंची की यह सब वह अपनी किस्मत पर छोड़ देगी अपने आप से वापस नहीं करेंगे अगर शुभम उसके साथ आगे बढ़ना चाहता है तो वह उसे रोकेगी नहीं... अपने आप को पूरी तरह से तसल्ली देने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंच चुकी थी जहां पर बने ही उसकी हामी नहीं थी लेकिन अंदर ही अंदर वह यही चाहती थी कि शुभम जैसा जवान लड़का उसके साथ सब कुछ करने के लिए आगे बढ़े और वहां अपना सब कुछ समर्पण करने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी....
Sarlaa bathroom me ekdam nangi

अब वो नहा ली थी.... ठंडे पानी से नहाने के बाद उसका मन हल्का हो गया था किसी भी प्रकार का बोझ उसके मन पर नहीं था आखिरकार वह भी एक औरत थी उसे भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक था अपनी पहली संतान होने के 1 साल बाद ही अपने पति को वह खो चुकी थी तब से लेकर आज तक वह अपने बेटे के लिए ही जी रहे थे इस बीच में कभी भी अपने कदम को लड़खड़ा ने नहीं दी लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आकर वह आज पूरी तरह से लड़खड़ा चुकी थी अपना सुख ढूंढने के लिए वह अपने सारे संस्कारों मर्यादाओं का त्याग करने के लिए तैयार हो चुकी थी वह काफी खुश नजर आ रही थी और मन ही मन में गीत गुनगुनाते हुए टावल से अपने भीगे बदन को पोंछ रही थी.... वैसे वास्तव में सरला इस उम्र में भी बेहद सेक्सी लगती थी उसके मादक बदन भले ही थोड़ा भारी थे लेकिन एक पुरुष को आकर्षित करने के लिए काफी था वैसे भी इस बात से अनजान रहती थी कि सड़क पर आते जाते मनचले लड़के और प्यासी नजर वाले मर्द हमेशा उसे झांकते रहते थे लेकिन इस बात का एहसास उसे आज तक नहीं हुआ था। वह कभी इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं दी थी। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि सरला एकदम चरित्रवान होना थी शादी से पहले बार अपने दोस्तों के साथ जोकि बॉयफ्रेंड कम बस उसके साथ मजे लेने के लिए थे उनके साथ वहां शारीरिक संबंध बना चुकी थी और शादी से पहले ही वह चुदाई का पूरा आनंद उठा चुकी थी। यह सब उसकी जिंदगी का पहला पहला था जोकि खत्म हो चुका था और शादी के बाद के पन्ने पलटने से कोई फायदा नहीं था अब उसकी जिंदगी का नया पहलु शुरू हो रहा था....
आज नहा लेने के बाद सरला कुछ और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी अपने बालों को टावल से पोछकर अपने वतन से लपेटने की जगह वह टावर को अपने गले पर स्कार्फ की तरह डाल दी और पूरी तरह से अपने नंगे बदन को उजागर कर दी। .. क्योंकि वह इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि ड्राइंग रूम में शुभम बैठा हुआ है जो कि कुछ देर पहले ही वह उसके नंगे पन के रस को अपनी आंखों से पी कर एकदम मस्त हो चुका था....वह एकदम नग्न अवस्था में ही बाथरूम से बाहर निकल गई और एक अच्छा सा गीत गुनगुना रही थी जो कि उसके ही जमाने का था... सजना है मुझे सजना के लिए यह गीत गुनगुनाते हुए अपनी मस्ती में मस्त हो कर वह बाथरूम से बाहर निकल गई... जो कि ईस समय यह गीत गुनगुनाते हुए उसके जेहन में शुभम ही बसा हुआ था और अपनी शारीरिक जरूरतों के अधीन होकर वह अपनी और शुभम के बीच की उम्र की मर्यादा को एकदम भूल चुकी थी आज उसे अपने बेटे की उम्र का शुभम उसे खुद का साजन लगने लगा था जिसके साथ वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी लेकिन यह मौका भी वाह शुभम को भी देना चाहती थी क्योंकि वह चाहती थी कि अगर शुभम आगे से चलकर उसके साथ सारी संबंध बनाने के लिए तत्पर होगा तो वह जरूर उसके साथ समर्पण कर देगी और यह बात हुआ खुद नहीं कहेगी कि वह शारीरिक संबंध बनाना चाहती हैं जिससे वह अपनी ही नजर में संस्कारी बने रहना चाहती थी जो कि एक अपने आप को ही धोखा देने वाली बातें थी जो कुछ भी हो सरलख एक औरत थी और उसकी भी कुछ जरूरते और ख्वाहिश थी जिसके अंदर उसकी शारीरिक जरूरत भी आ जाती थी जिसे पूरी करने के लिए वह कुछ भी कर सकने में सक्षम थे इसलिए तो वह बाथरूम से एकदम नंगी ही बाहर आ गई थी जो कि यह बात वह जानती थी घर में कोई भी नहीं है इसलिए पूरी तरह से निश्चिंत थी और एक नए अनुभव के लिए वह एकदम नंगी बाथरूम से बाहर आ गई थी जो कि आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ था जिंदगी के इतने साल गुजार देने के बाद सरला को कुछ नया करने की सुझ रही थी.... वह वही गीत गुनगुनाते हुए अपने कमरे की तरफ जाने लगी और इस बात से अनजान की ड्राइंग रूम में शुभम बैठा हुआ है वह जैसे ही एकदम नग्न अवस्था में उसकी आंखों के सामने से आगे बढ़ने लगी कि तभी उसे आभास हुआ कि ड्राइंग रूम में कोई बैठा है वो एकदम से हक्की बक्की रह गई... अपनी तसल्ली कर लेने के लिए जैसे ही वह सोफे की तरफ नजर घुमाई तो सामने सुबह बैठा हुआ था जो कि उसे ही घूर रहा था यह देखकर तो उसकी सांस ही अटक गई उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें कुछ सेकंड तक वह उसकी आंखों के सामने ही एकदम नंगी होकर खड़ी रही मानो जैसे अपने नंगे पन का प्रदर्शन उसकी आंखों के सामने कर रही है शुभम भी उसे देखता ही रह गया क्योंकि उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बाथरूम में से सरला एकदम नंगी बाहर आएगी.... आश्चर्य और उत्तेजना से उसका मुंह खुला का खुला रह गया...


ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कुछ समय तक वक्त एकदम से ठहर गया हो दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देख रहे थे शुभम तो मानो पागल सा हो गया था वह टकटकी बांधे सरला के खूबसूरत नंगे जिस्म को ऊपर से नीचे तक अपनी आंखों से देख रहा था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी... उसके बदन में नशा का एहसास होने लगा था मानो चार बोतल शराब पी कर आया हो... वैसे भी सरला के आगे इस समय शराब का नशा भी फीका पड़ जाता वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे सरला को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है वह एकदम जड़वंत मूर्ति की तरह हो गई थी... सरला की सांस थम सी गई थी। अजीब सी कपकपी उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी.... शुभम तो जैसे टीवी पर फैशन शो देख रहा हूं और कोई खूबसूरत औरत अपने नंगे बदन का प्रदर्शन रैंप पर चलकर उसकी आंखों के सामने कर रही हो.... पल भर में ही उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूखने लगा.... सरला महज सात आठ सेकेंड ही वहां खड़ी होकर अपनी स्थिति से अनजान शुभम को देखती रही.... उसे इस बात का भी भान नहीं था कि वह इस समय तक नंगी है वह आश्चर्य से शुभम को देखे जा रही थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि इस समय वह उसके घर पर होगा और इस तरह से उसकी आंखों के सामने सोफे पर बैठ कर उसके नंगे बदन को घुर रहा होगा.... ना तो सरलाही कुछ बोल रही थी ना ही शुभम ही कुछ बोल पा रहा था दोनों की सीटी पीटी गुम हो गए थे दोनों एक दूसरे के आकर्षण में इस कदर खो गए कि उन्हें समझ में नहीं आया कि क्या करना है शुभम से ज्यादा हालत खराब तो सरला की थी ऐसे हालात में औरत सबसे पहले अपने नंगे बदन को जो कुछ भी हो उसे छुपाने की भरपूर कोशिश करती है अगर कुछ भी ना मिले तो वह अपनी हथेलियों से ही अपने नाजुक अंगों को ढकने की पूरी कोशिश करती है लेकिन इस बात का भी भान उसे बिल्कुल भी नहीं था कि वह अपने नंगे पन को अपनी हथेली से ढक लें जबकि वह गले में टावल लपेटे हुए थी... और सरला के इसी बात का फायदा उठाते हुए शुभम एक बार फिर से उसके नंगे पन के रस को अपनी आंखों से पी कर मस्त हो चुका था वह भी बेशर्म होकर सरला के नंगे बदन को देखे ही जा रहा था जबकि ऐसे में एक संस्कारी लड़का अपनी नजर फेर लेता है या खुद औरत पर वस्त्र डालकर उसके नंगे पन को ढकने की कोशिश करता है। लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं था शुभम तो खुद कल्पना में ही सरला को एकदम नंगा देख चुका था और उसे अपने हाथों से नंगा भी कर चुका था ऐसे हालात में जब खुद वह औरत उसकी आंखों के सामने इस तरह से नंगी आए तो ऐसा अद्भुत और अतुल्य पल उस लड़के के लिए भला क्या हो सकता है। शुभम के लिए यह पल उसकी जिंदगी का बेहद हसीन और खूबसूरत पल था।

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जब सरला को इस बात का आभास हुआ कि वह शुभम के सामने एकदम नंगी खड़ी है तब वह शर्म से एकदम पानी पानी हो गई उसका चेहरा पलभर में ही एकदम लाल टमाटर की तरह हो गया उसके चेहरे पर सुर्ख लालिमा छाने लगी.... आनन-फानन में उसे इस बात का भी बिल्कुल भी ध्यान नहीं हुआ कि गले में डाला हुआ टावल वह अपने बदन पर डालकर अपने नंगे पन को ढक ले... वह जिस स्थिति में थी उसी स्थिति में लगभग भागते हुए सीढ़ियां चढ़कर ऊपर गई और अपने कमरे में घुस गई लेकिन इस बीच जो नजारा शुभम की आंखों के सामने पेश आया उसे देखकर शुभम का लंड पानी छोड़ते छोड़ते रह गया हालांकि उसका लंड एकदम कड़क हो चुका था लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतना अत्यधिक हो चुका था कि मानो अभी उसका लंड फट जाएगा.... लंड का दर्द असहनीय हो चुका था वह अच्छी तरह से जानता था कि जब ऐसे हालात होते हैं तो लंड को बुर की बेहद आवश्यकता होती है लेकिन अभी मंजिल दूर थी लेकिन यह भी जानता था कि मंजिल ज्यादा दूर नहीं थी बस थोड़ी सी कोशिश करना बाकी रह गया था...।
सरला जिस तरह से अपनी नंगी गांड दिखाती हुई सीढ़ियों पर नकल भागते हुए गई थी उस नजारे को देखकर शुभम का जीवन धन्य हो गया था कई बार ऐसे ना जा रे उसके सामने पेश हो चुके थे जब वह औरतों के नंगे पन को एक अलग ढंग से देख कर उनका लुफ्त उठा चुका था लेकिन आज का यह दृश्य एकदम अतुल्य था और एकदम बेहद रोमांचकारी और उत्तेजना से भरा हुआ क्योंकि सरला जब अपनी नंगी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए सीढ़ियां चल रही थी तो ऐसे में उसके खरबूजे जैसे बड़े-बड़े मदमस्त कर देने वाले गांड के दोनों फांके आपस में रगड़ते हुए थिरकन रहे थे... बड़ी बड़ी गांड के दोनों बाजू आपस में इस कदर रगड़ खा रहे थे कि मानो कोई अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे आपस में रगड़ रहा हो.... कुछ इस तरह से एकदम मस्त होकर वह भागते हुए अपने कमरे में गई थी इस उम्र की औरत तो बिल्कुल भी नहीं कर पाती अपनी इस हरकत की वजह से वह कई जवान लड़कियों को अपने आगे पानी भरने के लिए मजबूर कर दी थी। क्योंकि यह नजारा देखकर खुद उसका पानी निकलने वाला था। शुभम के मुंह से आह निकल गई थी। इस तरह से दोपहर में सरला के घर आना एकदमम सफल हो चुका था.... क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह सब कुछ उम्मीद से दुगुना था यह सब के बारे में शुभम सोचा ही नहीं था। वह कभी नहीं सोचा था कि सरला जैसी उम्रदराज औरत इस तरह से बाथरूम से बाहर एकदम नंगी होकर आएगी जबकि इस उमर में अधिकतर औरतें वस्त्र पहनकर ही नहाती थी... इस बात से शुभम भली-भांति अवगत था क्योंकि वह गांव में अपनी मामी यों को वस्त्र पहनकर नहाते हुए देख चुका था... लेकिन यहां तो शुभम की मामी से भी बड़ी उम्र की औरत वस्त्र पहनकर तो छोड़ो बाथरूम में एकदम नंगी होकर नहा रही थी और नहले पर दहला फेंकने वाली बात यह थी कि बाथरूम के बाहर भी वह एकदम नंगी होकर ही आई थी मानो कि अकेले में वह पूरे घर में नंगी होकर ही घूमती रहती है। सुबह मन में सोच रहा था कि काश अगर ऐसा होता होगा तो कितना अच्छा लगता होगा जब एक खूबसूरत औरत पूरे घर में नंगी होकर अपने सारे काम करती होगी देखने वालों के तो होश उड़ जाते होंगे लेकिन यहां कौन देखने वाला था वह तो नसीब से वह घर में आ गया था ... और अपनी आंखों से यह नजारा देखकर एकदम धन्य हो गया था।

सोफे पर बैठकर एक अद्भुत नजारे को अपनी आंखों से देखने के बाद वह सुन्यमनस्क हो गया था.. ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसके सोचने समझने की शक्ति जाती रही है... वह अधीर होकर पूरे ड्राइंग रूम में इधर से उधर देख रहा था.... शुभम की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी उसका मन किसी चंचल पंछी की तरह कभी इधर तो कभी उधर फुदक रहा था... वह बेसब्र हुआ जा रहा था सरला के कमरे में जाने के लिए। क्योंकि जिस तरह का नजारा वह देख चुका था उसके बाद किसी भी मरने के लिए अपने ऊपर काबू पाना नामुमकिन होता है लेकिन इन सब के बावजूद भी वह अपने आप को संभाले हुआ था लेकिन आखिरकार यह भी तो एक मर्द था और अपनी आंखों के सामने एक बेहद खूबसूरत औरत के नंगे बदन को देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में खोने लगा था उसकी आंखो में खुमार छाने लगी थी मदहोशी का आलम उसे अपनी आगोश में ले रहा था वह सरला के कमरे के अंदर जाना चाहता था... उसके करीब बैठ कर उसके नंगे पन को अपनी आंखों से घूंट भर भर कर पीना चाहता था..उसके मखमली बदन को अपने हाथों से सहलाना चाहता था उसके अंगों की गर्मी को अपने अंदर महसूस करना चाहता था।इसलिए वह सरला के कमरे में जाने के लिए बेसब्र हुआ जा रहा था उसकी सांसों की गति उसका साथ नहीं दे रही थी ..वह उत्तेजना के मारे बार-बार अपनी उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त करने में लगा हुआ था.।

दूसरी तरफ सरला के तो जैसे होश उड़े हुए थे ड्राइंग रूम में शुभम को बैठा हुआ देखकर वह इस कदर चौक गई थी मानो जैसे अपनी आंखों के सामने किसी भूत को देख ली हो... उसे अपने ऊपर काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी इस उम्र में वह इस कदर नंगी होकर बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे की तरफ जा रही थी यह सोचकर ही उसे अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन इस सब के बावजूद भी एक रोमांच सा अनुभव हो रहा था...
सरला की दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी वह इस समय बिस्तर पर बैठी हुई थी और इस समय भी वह एकदम नंगी थी जबकि अभी भी उसके गले पर टावेल लपेटे हुए थी... उसे खुद के ऊपर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इतनी बेशर्मी वाली हरकत कर कैसे गई.... लेकिन फिर वह मन में सोचने लगी कि वह घर में तो बिल्कुल अकेली थी इसलिए तो वह बिना कपड़ों के बाथरूम से बाहर आई लेकिन उसे कहां मालूम था कि बाथरूम के बाहर ड्राइंग रूम में शुभम बैठा हुआ है..यह बात उसे पता होती तो वहां पता इतनी बड़ी गलती क्यों करती.... वह बिस्तर पर एकदम नंगी बैठकर यही सोच रही थी कि तभी बाल्को एक तरफ करते हुए उसके हाथ में गले में लपेटा हुआ टावल आ गया और उसकी हंसी छूट गई साथ में उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आया कि गले में टावर लपेट कर घूम सकती है तो कमर पर लपेट लेती तो क्या हो जाता लेकिन तभी दूसरे पल उसका मन कुछ और सोचने लगा वह मैंने यह सोचने लगी कि चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ.... क्योंकि यह सब जानबूझकर तो हुआ नहीं था जो कुछ भी हुआ था अनजाने में ही हुआ था अनजाने में ही सही शुभम उसके नंगे बदन को देख तो लिया हो सकता है उसके नंगे बदन को देख कर शुभम खुद ही अपना कदम आगे बढ़ाए और जो बाथरूम में सोच रही थी वही हो जाए यह सोचकर उसका पूरा बदन उत्तेजना के मारे गन गना गया...लेकिन फिर मन में यह सोचने लगी कि कहीं सुभम बाहर किसी को बता दिया तो कि वह घर में नंगी घूमती है तो लोग क्या सोचेंगे उसकी तो बदनामी हो जाएगी लेकिन अपनी ही सवाल का जवाब अपने मन में ढूंढते हुए वह बोली नहीं ऐसा शुभम बिल्कुल भी नहीं करेगा क्योंकि इसके नजरिए से साफ जाहिर होता है कि वह उसके बदन का दीवाना हो चुका है तभी तो वह पागलों की तरह उसके नंगे बदन को घूर रहा था...

सरला




वह अपने आपको अपने मन में डांटते हुए बोली की कितनी पागल है उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी भागते हुए सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे में आई शुभम उसके नंगे बदन के हर एक अंग को देख लिया होगा जब उस एरिया चढ़कर भाग रहे थे तो जरूर शुभम उसकी बड़ी बड़ी गांड को देख लिया होगा जिसे वह हमेशा साड़ी के ऊपर से घूरता रहता था। वह उसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड के साथ-साथ उसकी बड़े बड़े दूध को भी देखा होगा जिसे वह हमेशा प्यासी नजरों से देखता रहता था जरूर उसका मन उसे पकड़ने को कहा होगा उसे अपने मुंह में भर कर पीने के लिए कहा होगा क्योंकि कुछ देर तक तो वह वहां खड़ी थी तो जरूर उसकी नजर उसकी टांगों के बीच उसकी बुर पर गई होगी जिसे देखने के बाद वह अपने होश खो दिया होगा तभी तो वह मुंह फाड़े घूर रहा था। वह मन में सोचने लगी कि उसे नंगीदेखकर वह क्या सोच रहा होगा उसके मन में कैसी भावनाएं उमड़ रही होगी और जरूर पागल हो गया होगा क्योंकि जिस तरह से वह उसे कपड़े के ऊपर से ही घूरता रहता था आज तो उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई थी तो जरूर वह मदहोश हो गया होगा उसके अंगों को पाने के लिए मचल रहा होगा....यह सब ख्याल उसके मम्मी आता ही सरला के तन बदन में अजीब सी कसक उठने लगी उसका मन मचलने लगा उसे गुदगुदी होने लगी उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी और अपने आप को तसल्ली देने के लिए मन ही मन बोली कि जो कुछ भी हुआ अच्छा ही हुआ इसका अच्छाई परिणाम उसे मिलेगा इतना उसे विश्वास था... उसे अपने बिस्तर पर टावल फेंक कर खड़ी हो गई अभी भी वही दिन नंगी थी... यह सोच कर कि जो भी होगा देखा जाएगा वह शुभम द्वारा लाए गए ब्रा पेंटी को उठा कर देखने लगी और उसे पहनने का निश्चय कर ली और उसमें से आसमानी रंग का जालीदार ब्रा और पेंटी निकालकर उसे पहनने की पूरी तैयारी कर ली।

दूसरी तरफ शुभम अपनी भावनाओं पर काबू कर सकने में असमर्थ साबित हो रहा था। बाथरूम में जिस तरह से सरला को नंगी होकर नहाते हुए और अपने ही अंगों से खेलते हुए देखकर मदहोश हुआ था और जिस तरह से सरला एकदम बेशर्म होकर बाथरूम से बाहर एकदम नंगी होकर आई थी उसे देखकर अब शुभम एकदम पागल हो गया था। .. इसलिए वह भी मन में ठान लिया कि जो भी होगा देखा जाएगा यही सोचकर वह भी सरला के कमरे की तरफ उठ कर जाने लगा.....
 
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kabir singh

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शुभम तो मानो पागल सा हो गया था वह टकटकी बांधे सरला के खूबसूरत नंगे जिस्म को ऊपर से नीचे तक अपनी आंखों से देख रहा था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी... उसके बदन में नशा का एहसास होने लगा था मानो चार बोतल शराब पी कर आया हो... वैसे भी सरला के आगे इस समय शराब का नशा भी फीका पड़ जाता वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे सरला को समझ में नहीं आ रहा था.. Superb update bhai
 
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सरला के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आज उम्र के इस पड़ाव पर वह एकदम जवानी के दिनों वाला एहसास लिए बिस्तर पर पड़ी हुई आसमानी रंग की जालीदार ब्रा और पेंटी को अपनी आशा भरी निगाहों से देख रही थी। अपने कमरे में वह एकदम नंगी खड़ी थी बिस्तर के पास मानो ऐसा लग रहा था कि बिस्तर पर उसका साजन लेटा हुआ है और वह उसके लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है। दरवाजा खुला हुआ था शायद सरला ने दरवाजे को जानबूझकर खुला छोड़ रखी थी भले ही हो शर्मिंदगी का अहसास लिए शुभम के सामने से एकदम नंगी ही भागी थी...लेकिन मन ही मन में वह चाहती थी कि शुभम फिर से उसे नंगी देखें और शायद इसीलिए वह दरवाजे को थोड़ा सा खुला छोड़ कर कमरे के अंदर अभी भी एकदम नंगी खड़ी थी ना जाने क्यों उसे इतना विश्वास जरूर था कि उसी संपूर्ण रूप से नंगी देखने के बाद शुभम अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाएगा और एक बार फिर उसके कमरे की तरफ आएगा.... और इसी उम्मीद के साथ में दरवाजा खुला छोड़ कर इस समय टौवल से अपने भीगे बदन को पोंछ रही थी... बरसों के बाद उसके मन में आज कुछ नया करने की हसरत जगी थी.. इस बार वह अपनी हसरत का अपनी चाहत का गला नहीं घोटना चाहती थी... इतने सालों के बाद आज उसके मन में कुछ करने की ललक जगी थी... वह अपने तन बदन में अजीब सी हलचल महसूस कर रही थी यह हलचल यह एहसास जवानी की उन दिनों की थी जब वह पहली बार किसी पुरुष के बारे में सोच कर अपनी खिलती जवानी की अंगड़ाई ली थी आज वही हलचल महसूस करके वह अपने आप को एकदम तरोताजा महसूस कर रही थी... बार-बार उसकी निगाह पपिया जैसे बड़ी बड़ी चूची हो पर चली जा रही थी तो कभी दोनों टांगों के बीच की फूली हुई हल्की दरार पर जिस पर हल्के हल्के रेशमी बालों का झुरमुट सा लगा हुआ था जो कि देखने में बेहद मनमोहक लग रहा था जब सरला का यह हाल था तो शुभम का क्या हाल हुआ होगा जब वह अपनी प्यासी नजरों से सरला के दोनों टांगों के बीच के उस हसीन दृश्य को देखा होगा जो कि औरत को देखते ही मर्दों की कल्पना में मिश्रित हो जाते हैं... मर्दों की याद से नहीं हमेशा से यही आदत रही है कि जब भी वह किसी खूबसूरत औरत को देखते हैं भले ही वस्त्र में होती है लेकिन कल्पना में वह उस औरत को निर्वस्त्र करके उसके अंगों को अपनी कल्पना की नजरों से जी भर कर देखते हैं और अपनी कल्पना का घोड़ा इतना तेज दौड़ आते हैं कि कल्पना में ही उस औरत के साथ ना जाने क्या-क्या हरकत कर बैठते हैं जिससे उनका पानी निकल जाता है शुभम के साथ भी यही हुआ था सरला को वस्त्र में देखने के बाद हुआ कल्पना में सरला को नग्न अवस्था में देखने की कोशिश करता था और उसकी यह कोशिश हकीकत में बदल गई थी उसका सपना साकार हो गया था।

सरला अपने भीगे बदन को अच्छे से साफ करके बिस्तर पर पड़ी आसमानी रंग की पेंटी को उठा ली जो कि एकदम जालीदार थी आगे की तरफ से जो भाग बुर को ढकता है वही भाग जालीदार था जहां से ढके होने के बावजूद भी ढंका हुआ कुछ नजर नहीं आता बल्कि सब कुछ एकदम सलीके से नजर आता इस बारे में सोचते ही उसके तन बदन में अजीब सी गुदगुदी होने लगी.... क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस पेंटिं को पहनने के बावजूद भी कुछ भी पर्दे में नहीं रहेगा सब कुछ बेपर्दा ही रहेगा.... यही सोचती हुई वह शुभम के द्वारा लाई गई पेंटिं अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों में लेकर इधर-उधर घुमा कर कुछ देर तक उसे देखती रही। शुभम के द्वारा लाई गई पेंटी देखते ही उसे इसका अंदाजा हो गया था कि ब्रा और पेंटी अच्छी क्वालिटी की और महंगी है। शुभम की पसंद पर वह मुस्कुरा दी...क्योंकि ब्रा पेंटी को देखकर उसे इतना आभास हो गया था कि वाकई में शुभम को औरतों के बारे में कुछ ज्यादा ही ज्ञान है.... उसके दिल में अजीब सी हलचल हो रही थी मानो पूरे बदन में उम्र के इस पड़ाव पर आई फिर से मदहोश कर देने वाली जवानी चिकोटि काट रही है वह अपने दोनों हाथों में पेंटी को लेकर उसमें अपनी एक मदमस्त खूबसूरत चिकनी टांगों डाल दिए और यही हरकत दूसरे टांग से भी की दोनों टांगे और पेंटी के दोनों गोलाई में थी धीरे-धीरे करके सरला पेंटी को अपनी जांघों तक लेकर आई उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी।
अपनी मदमस्त रसीली बुर को ढकने से पहले एक बार हुआ उस दिशा में अपनी नजर घुमाकर कचोरी जैसी फूली हुई बुर को देखा करो आत्म संतुष्टि का अहसास लिए पेंटि और ऊपर चढ़ा ली.... उसकी बड़ी-बड़ी तरबूज ऐसी कांड शुभम के लाए हुए पेंटिं में पूरी तरह से समा गई थी.... पेंटी को पहनते ही सरला के बदन में अद्भुत अहसास होने लगा उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी इस नहीं पेंटी में वह कुछ ज्यादा ही आरामदायक महसूस कर रही थी।

Sarlaa panty pahanne k bad



वह खुद गोल गोल घूम कर अपने चारों तरफ देखने की कोशिश करने लगी। उसे अच्छा लग रहा था सबसे ज्यादा अच्छी बात यह लग रही थी कि जो चीज रखने के लिए पेंटी पहनी जाती है वह अंग ढंका ही नहीं था... उनके हल्के बालों का झुरमुट उस जालीदार पेंटी में से बाहर झांक रहा था माना अपने साथी को निमंत्रण दे रहा हो.... एक तरफ सरला शुभम के द्वारा लाई गई पेंटिंग को पहनकर उत्तेजना के मारे हवा में विचरण कर रही थी और दूसरी तरफ शुभम अपनी भावना होकर दौड़ते घोड़े पर काबू कर पाने में एकदम असमर्थ हो रहा था जिसके चलते वह सरला के कमरे में जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा दिया था वह धड़कते दिल के साथ सीढ़ियां चल रहा था मन में नई उम्मीद जगी हुई थी टांगों के बीच हलचल मचा हुआ था या यूं कह लो कि पेंट में गदर मचा हुआ था शुभम का लैंड किसी लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क होकर पैंट में तंबू बनाए हुए था। जिसे देख कर कर यह आभास सा हो रहा था कि अगर आज यह सरला की बुर में गया तो बरसों की प्यास बुझा कर ही वापस लौटेगा। जो कि इस समय सरला को देखकर ही पूरी औकात में आ गया था जिसे शुभम पैंट के ऊपर से ही अपने हाथों से मसल कर उसे दिलासा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन शायद आज ही अभी मानने वाला नहीं है उसका बस चलता तो पेंट फाड़ कर बाहर आ जाता क्योंकि जिस नजारे को देखकर वह सर उठाए खड़ा था उस नजारे को देखने के बाद दूसरे किसी के बस में बिल्कुल भी नहीं था अपनी भावनाओं पर काबू पा लेना क्योंकि जिस अंग के लिए शुभम का लैंड खड़ा हुआ था वह अंग उससे कुछ ही दूरी पर खड़े होकर उसे जैसे अपनी और आने के लिए आकर्षित करते हुए आमंत्रण दे रही थी...

क्योंकि सोफे पर बैठकर शुभम एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि बाथरूम से निकलने के बाद जिस अंदाज में वह उसकी आंखों के सामने खड़ी थी उसकी टांगों के बीच के रेशमी बालों के झुरमुट में से पानी की बूंदे किसी मोती की दाने की तरह चमक रही थी और वह धीरे-धीरे बुंद की शक्ल में नीचे गिरकर जमीन को तृप्त कर रही थी... इस नजारे को देखकर तो शुभम इतना लालायित हो गया था कि एक बार उसके मन ने कहा कि भले कुछ भी हो आगे बढ़कर वह अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी गुरु को अपनी आगोश में छुपाए हुए रेशमी बालों के झुरमुट में से टपक रहे मोतियों के दानों के समान पानी की बूंदों को अपनी जीभ को आगे बढ़ाकर उस पर गिरा कर उस बुंद को अपने गले के नीचे उतारकर तृप्त हो जाए... लेकिन उस समय उसके नंगे बदन को देखने की कशमकश में वह अपनी भावनाओं को दबा ले गया लेकिन उसकी मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर वह अपने आप हमें बिल्कुल भी नहीं था इसलिए तो निश्चय करके वह सरला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था...
शुभम के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जिस तरह का उसके साथ होते आ रहा है सरला को लेकर...कहीं ऐसा कुछ के मन का धोखा ना हो कहीं ऐसा ना हो कि यह सब अनजाने में हुआ हो अगर वह कुछ आगे करने की सोचें तो सरला के द्वारा उसे फिट कार मिले....लेकिन फिर शुभम अपने ही सवालों में से जवाब ढूंढते हुए अपने मन को तसल्ली करने के लिए अपने आप से ही बोला कि अगर ऐसा होता तो वह मुस्कुराती नहीं ना तो उसके द्वारा लाए गए गिफ्ट को स्वीकार करती है अगर उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि शुभम ने गिफ्ट में उसके लिए प्राप्त दिलाया है तो इसी समय वह उसे दुत्कार कर बाहर निकाल देती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिस तरह से वह बाथरूम में से एकदम नंगी ही बाहर आ गई थी और उसे देखकर एकदम रुक गई थी अगर उसके मन में कुछ और चल रहा होता तो वहां उसे खरी-खोटी जरूर सुनाती उसे तमीज सिखाती... लेकिन किस्मत से अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जोकि शुभम के सोचने के मुताबिक उसके लिए मंजिल तक जाने की राह आसान होती नजर आ रही थी फिर भी उसके मन में शंका जरूर था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए इसलिए वह बड़ी सावधानी से आगे बढ़ना चाहता था इसलिए वह धीरे-धीरे सीढ़ियों पर चढ़ते हुए सरला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था जहां पर दूसरी तरफ सरला जानबूझकर हल्का सा दरवाजा खुला छोड़ कर अब जालीदार ब्रा उठाकर उसके कब को अपनी हथेली से नाप रही थी और यह अंदाजा लगा रही थी कि उसकी बड़ी-बड़ी पपैया जैसी चुकी उसके अंदर समा पाएगी कि नहीं... चारों तरफ से तसल्ली कर लेने के बाद वह उसे अपनी बाहों में डालकर ब्रा के कप में अपने हाथों से अपनी एक चूची पकड़ कर उसमें डालकर वही क्रिया दूसरी चूची के साथ कि अभी समय उसकी दोनों चूचियां ब्रा के दोनों कप में समा चुकी थी लेकिन शुभम बहुत चला था वह जानबूझकर ऐसी ब्रा पसंद किया था कि ब्रा पहनने के बावजूद भी सरला की आधे से ज्यादा चूचियां बाहर की तरफ नजर आए ऐसा लगे कि उसकी चूचियां कभी भी ब्रा की कटोरी से बाहर कूद जाएंगी.... इस बात का आभास अल्लाह को भी हो गया था इस बारे में सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी अभी वह बराबर ही नहीं रही थी कि धीरे-धीरे करके शुभम दरवाजे पर पहुंच गया और खुला हुआ दरवाजा देखकर उसे पक्का यकीन हो गया कि सरला की तरफ से उसे खुला निमंत्रण है... क्योंकि कोई भी औरत अगर मर्द के सामने अनजाने में ही नग्न अवस्था में आ जाए तो शर्मिंदगी का अहसास मे वह कभी भी दरवाजा खुला नहीं छोड़ेगी लेकिन यहां पर मामला कुछ उल्टा ही था। . सरला ने जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ दी थी या देखकर शुभम कि तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी ऐसा लग रहा था मानो सरला की सोच पर शुभम के लंड ने सलामी दी हो इस तरह से पेंट के अंदर ही ऊपर नीचे होकर उसे सलाम कर रहा था... अब सब कुछ साथ था थोड़ा सा दरवाजा खुला होने के बावजूद भी उसकी ओर से अंदर का पूरा नजारा नजर आ रहा था शुभम खुले हुए दरवाजे की ओट में से अंदर झांकने लगा और अंदर का नजारा देखा कर एक बार फिर से उसके तन बदन में चिंगारी फूटने लगे वह साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसकी लाई गई ब्रा पेंटी को सरला स्वीकार कर ली है तभी तो उसके तरबूज ऐसी बड़ी बड़ी गांड को उसकी आसमानी रंग की पेंटी जो कि इस समय ढकने में असमर्थ थी फिर भी दोनों फांकों को अपनी बाजुओं में लेकर छुपाने की भरपूर कोशिश कर रही थी... सरला की बड़ी-बड़ी गाना सुनाने रंग की पेंटी में देखकर शुभम और ज्यादा उत्तेजित हो गया उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसकी हालत खराब होने लगी उसके ऊपर मदहोशी का आलम और ज्यादा छाने लगा जब देखा कि सरला उसके द्वारा लाई गई ब्रा पहन ली है और दोनों हाथ पीछे लाकर उसके हुक को बंद करने की नाकाम कोशिश कर रही है जो कि बंद नहीं कर पा रही थी... यह देखकर शुभम की आंखों में चमक आ गई सरला का गदराया जिस्म उसकी आंखों के सामने था. जोकि ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में और ज्यादा चमक रहा था........ जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ने के बावजूद भी सरला को इस बात का एहसास तक नहीं हुआ कि दरवाजे पर शुभम चोरी छुपे उसे देख रहा है वह अपनी ही धुन में ब्रा का हुक लगाने में मस्त थी जो कि वह ब्रा का हुक नहीं लगा पा रही थी यह देखकर शुभम को अत्यधिक आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि एक उम्रदराज औरत ठीक से ब्रा नहीं पहन पा रही थी। शुभम उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था जो कुछ भी सरला के घर में आकर उसकी आंखों ने देखा वह काफी मादक और कामोत्तेजना से भरपूर था। ऐसा लग रहा था मानो वह कोई पोर्न मूवी देख रहा हो...
Sarlaa bra ka hook band karne ki koshish karte huye


सरला ब्रा का हुक बंद करने में काफी मशक्कत कर रही थी लेकिन उससे यह काम हो नहीं रहा था। सलाह काफी परेशान हो रही थी जो कि उसकी झुंझलाहट से साफ जाहिर हो रहा था शुभम समझ गया था कि अब सरला के बस में नहीं था कि वह ब्रा का हुक लगा पाती इसलिए वह दरवाजे पर खड़े खड़े ही बोला।

चाची में कुछ मदद करूं क्या...?

इतना सुनते ही सरला एकदम से चौक गई और तुरंत पीछे मुड़कर देखें तो दरवाजे पर शुभम खड़ा था जिसे देखते ही वह फिर से जड़वंत हो गई मानो सांप सूंघ गया हो.... अब सरला के पास बोलने लायक कुछ भी नहीं बचा था क्योंकि वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही हुआ कमरे में प्रवेश कर चुका था और अपने आप ही दरवाजा बंद कर दिया था।
 
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अब तो सरला का चुदना तय हो गया है
 
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