टेबल के पास वेटर को आया हुआ देखकर शीतल उसे दो समोसे के साथ-साथ कोल्ड ड्रिंक्स का आर्डर कर दी,,,(होटल लेकर वेदर चला गया लेकिन निर्मला बोली,,,,)
यह सब की क्या जरूरत है शीतल,,?
जरूर किसी ने मुझसे कहा जितनी खुशी का दिन है मेरे लिए तो बहुत ही खास दिन है और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि मेरे लिए खास दिन क्यों है,,? (निर्मला कुछ बोलती से पहले ही अपने ही सवाल का जवाब खुद देते हुए शीतल आगे बोली..) क्योंकि आज महीनों बाद मेरी सहेली वापस लौट आई है निर्मला मैं नहीं बता सकती कि मैं आज कितना खुश हूं तुमसे दूर रहकर मुझे एक सच्ची सहेली की अहमियत का पता चला है,,,,
( शीतल की बात सुनकर निर्मला बोल कुछ नहीं रही थी बस उसकी बात सुने जा रही थी। शीतल एक बार फिर से अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर निर्मला का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाते हुए बोली,,)
निर्मला मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि उस दिन मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई कि क्या करूं मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर सकी और जो नहीं होना था वह हो ने दिया लेकिन सही किया जो तुमने ऐन मौके पर आकर सबकुछ रोक दिया वरना मैं अपने आप को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाती,,,( शीतल निर्मला की आंखों में आंखें डाल कर अपनी गलती का एहसास उसे करा रही थी,,) मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि मुझे वह सब नहीं करना चाहिए था लेकिन तुम तो मेरी हकीकत जानती हो इसलिए मुझसे सब्र नहीं हुआ,,,( शुभम शीतल की बात सुनकर अपनी मां के सामने शर्म से गड़ आ जा रहा था इसलिए वह अपनी नजरें नीचे झुकाकर केवल उसकी बात सुन रहा था,,,) हमें तुमसे वादा करती हूं कि आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा जिसके लिए मुझे और तुम्हें हम दोनों को शर्मिंदा होना पड़े और हम दोनों की दोस्ती टूट जाए मैं कभी भी इस तरह की गलती दोहराने के बारे में सोच भी नहीं सकती,, और निर्मला मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम मेरी गलती को माफ करके मुझे फिर से अपना लोगी तुम्हारे बिना मैं एकदम अधूरी हूं,,,,,( इतना कहते हुए शीतल की आंखों में आंसू आ गए जो कि निर्मला को साफ साफ नजर आ रहा था शीतल अभी भी निर्मला के हाथ को अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाकर उसे एहसास दिला रही थी कि वह पूरी तरह से शर्मिंदा है अपनी गलती के लिए निर्मला जो कि कभी भी शीतल को माफ कर सकने की स्थिति में नहीं थी लेकिन शीतल को इस तरह से अपनी गलती का एहसास होता देखकर और उसकी आंखों में आंसू देख कर निर्मला का दिल पिघलने लगा और वह अपना एक हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे हल्के से दबाते हुए बोली,,)
मुझे इस बात की खुशी है कि तुम्हें इस बात का एहसास तो हुआ कि तुमने जो की थी वह तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी वैसे तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम्हें इस बात का एहसास हो गया मेरे लिए वही बड़ी बात है मैं तुम्हें माफ करती हूं लेकिन आइंदा से इस तरह की गलती कभी मत करना हमेशा अपनी भावनाओं पर काबू करके रखना,,,,, ( इतना कहकर निर्मला मुस्कुरा दे क्योंकि उसे भी अच्छा लगा था इस तरह से शीतल का अपनी गलती मानना और उसे इस बात की भी खुशी थी कि इसी तरह घर फिर से उसकी जिंदगी में वापस लौट आई थी,, । तीनों बहुत खुश नजर आ रहे थे शुभम को शायद इस बात से ज्यादा ही खुशी हुई थी क्योंकि अब उसे शीतल के करीब रहने का मौका जो मिलने वाला था,,,, वेटर आर्डर किया हुआ नाश्ता लेकर आता इससे पहले निर्मला को बहुत जोरों की पेशाब लग गई और वह शीतल से बोली,,,,,
तुम लोग यहीं बैठो मैं 2 मिनट में बाथरूम में जाकर आती हुं।( इतना कहकर वह कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ चली गई शुभम अपनी मां को बाथरूम की तरफ गांड मटकाते जाते हुए देखता रहा ,, जैसे ही निर्मला आंखों से ओझल भी वैसे ही सीतल टेबल के नीचे से अपना पैर शुभम के पेर पर मारकर आंख मारते हुए बोली,,,)
देखा सुभम मेरी एक्टिंग ,,,,
क्या कह रही हो शीतल मैडम यह सब तुम एक्टिंग कर रही थी ,,,,,
नहीं तो और क्या मेरे राजा बिना एक्टिंग कीए मैं तुम्हारी मां को कैसे मना सकती थी और तुम्हारे करीब आने का दोबारा मौका कैसे मिल सकता था,,,, मैं तो तेरी दीवानी हो गई हूं रे जिस तरह से तूने काउंटर मेन को काउंटर से खींच कर बाहर पटका ना मुझे ऐसा लगा कि काश तु मुझे ऐसे ही बिस्तर पर पटक कर मेरी चुदाई कर देता मजा आ जाता,,,,
कहो तो अभी कर दूं शीतल मैडम मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा है,,,,
फड़फडाते हुए कबूतरों को देखेगा( अपने छातियों की तरफ दोनों हाथ से इशारा करते हुए) तो लंड तो खड़ा होगा ही,,,
क्या तुम्हें पता था कि मैं तुम्हारी चूची देख रहा था,,,
मेरे राजा तु चोरी छुपे मेरा क्या क्या देखता है मुझे सब कुछ पता है,,,, ( इतना कहने के साथ ही शीतल मौका देख कर अपना पैर उठाकर सीधे शुभम की टांगों के बीच उस हिस्से पर रख दी जहां पर शुभम का अच्छा खासा तंबू बना हुआ था। उस तंबू पर पैर रखते ही शीतल को समझ में आ गया कि शुभम पूरी तरह से चुदवासा हो गया है तभी तो उसका लंड पूरा खड़ा है अपने पैरों पर उसके तंबू के स्पर्श का एहसास ही उसके तन बदन में झुर झुरी सा पैदा कर गया,,,)
आहहहह,,,, क्या कर रही हो मैडम कोई देख लेगा ,,,,
पागल है क्या टेबल के नीचे कोन देख,, लेगा,,,,
मम्मी आ गई तो फिर वही हो जाएगा जो मैं नहीं चाहता,,,
क्या नही चाहता,,,,
यही तुमसे दूर रहना नहीं चाहता,,,,
तो आजा मेरे घर पर खुश कर दूंगी तुझे,,,,( शीतल उत्तेजना बस अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से काटते हुए बोली,,, इतना कहते हुए शीतल अपने पैर का दबाव शुभम के तंबू पर जोर से बढ़ा दी तो शुभम कराहते हुए बोला)
क्या कर रही हो शीतल दर्द हो रहा है मम्मी आ जाएगी,,
तेरी मम्मी इतनी जल्दी नहीं आएगी मैं जानती हूं तेरी मम्मी बाथरूम गई है मुतने,,,( शीतल अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,, वह जानबूझकर सदन के सामने उसकी मां का मुतने वाला शब्द प्रयोग की थी क्योंकि वह शुभम को उकसाना चाहती थी उसकी मां के प्रति इस तरह की बातें करके लेकिन वह इस बात से अंजान थी कि शुभम को इन सब बातों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह तो अपनी मां से कई बार शारीरिक संपर्क बनाकर उसके खूबसूरत बदन का सुख भोग चुका है,,, फिर भी वह ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहता था कि शीतल के द्वारा इस तरह की गंदी बातें बोलने पर भी उस पर कोई प्रभाव ना पड़े इसलिए वह जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,,,।
क्या कहती हो शीतल मैडम इस तरह की गंदी बातें मेरी मां के बारे में और मुझसे कह रही हो,,
, बुद्धू इसमें कौन सी गंदी बात है क्या तुझे पता नहीं है कि बाथरूम में औरतें क्या करने जाती हैं,, तेरी मां मुतने गई है पेशाब करने जैसा कि सब औरतें करती हैं मैं भी जाती हूं बाथरूम में पेशाब करने,,,, लेकिन जरा तू सोच अपने दिमाग़ में तेरी मां बाथरूम में गई होगी,,, अपनी साड़ी धीरे-धीरे उठाकर अपनी पैंटी नीचे लाई होगी तो सोच क्या नजर आया होगा,,,,( शुभम से पूछने वाले अंदाज में बोली,,)
क्या मैडम इस तरह की बातें कर रही हो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है इस तरह की बातें मत करो,,,,( जानबूझकर शुभम अपनी नजर को इधर-उधर घुमा कर शर्माने का नाटक करने लगा,,)
तु ईतना शर्मा क्यों रहा है मेरी बात तो सुन,,, ( शीतल अपने मन की बात उसे बताना चाहती थी और अभी उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातें करके उसे उत्तेजित करना चाहती थी ताकि एक बार फिर से उसके लिए उसके तन बदन में उसे पाने की लालसा बढने लगे,, लेकिन शीतल शायद ये नहीं जानती थी कि शुभम हमेशा से नई औरतों का दीवाना रहा है खास करके शीतल को पाने की इच्छा कुछ ज्यादा ही उसके अंदर प्रबल होती थी क्योंकि शीतल का भी बदन कुछ-कुछ उसकी मां की तरह ही था बड़ी बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचियां खूबसूरती में भी वह किसी से कम नहीं थी और एकदम गोरी होने के साथ-साथ एकदम सेक्सी भी थी जिसके साथ संभोग सुख भोगकर शुभम को परमानंद की अनुभूति होती,, फिर भी वह ऊपरी मन से ऐतराज जताते हुए शीतल की गंदी बातों का आनंद ले रहा था और साथ ही बाथरूम की तरफ नजर गड़ाए हुए था ताकि उसकी मां यह सब देख ना ले,,,, शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पूरी देख मेरी बात सुन कितना अच्छा लगता होगा जब तेरी मां,,, अपनी पैंटी को उतार दी होगी तो सीधे उसकी रसीली कसी हुई बुर नजर आती होगी जिसमें लंड डालने के लिए ना जाने कितने मनचले लड़के रोज तेरी मां को लेकर कल्पना करते होंगे,,( यह सब शुभम के लिए नया नहीं था लेकिन शीतल जैसी औरत के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर शुभम के तन बदन में सुरूर जाने लगा और वह भी कल्पना की दुनिया में खोने लगा था वह भी अपने मन में कल्पना कर रहा था हालांकि वह अपनी मां को कल्पना करते हुए क्या हकीकत में पेशाब करते हुए देख चुका था और बहुत कुछ कर चुका था लेकिन फिर भी इस समय की बात कुछ और थी और यह बात भी शीतल ने सच ही कही थी कि उसकी मां को लेकर मनचले लड़के कल्पना में ना जाने क्या क्या हरकत उसकी मां के साथ करते होंगे,,)
धत्,,,, मैडम ऐसा क्या बातें कर रही है मुझसे कोई सुन लेगा तो,,,
कोई नहीं सुनेगा ,,,,,, कीतनी रसीली और खूबसूरत बुर है तेरी मां की ,,,, में अच्छी तरह से जानती हूं कि तेरी मां की बुर बहुत खूबसूरत होगी लाखों में एक जिसमें तेरे पापा जब लंड डालते होंगे तो उन्हें जन्नत का मज़ा मिलता होगा,,
क्या करती हो सीतल मैडम,,,,( शुभम को भी शीतल के हमसे अपनी मां की गंदी बातें सुनने में मजा आ रहा था,,)
सोते समय तेरी मैं अपनी दोनों टांगें फैलाकर पेशाब कर रही होगी अपनी ओर से पेशाब की धार मार रही होगी यह नजारा देखकर कितने मर्दों का तो खड़े-खड़े पानी निकल जाए इतनी सेक्सी है तेरी मां,,
( शीतल यह सब बातें बोली जा रही थी और अपनी टांगों से शुभम के पेंट में बने तंबू को रगड़े जा रही थी जिससे शुभम को अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,)
सुन शुभम यह सब मैं तो मैं तुझे जरूरी बात बताना भूल ही गई,, हम दोनो जने जो गलती पहले की थी अब ऐसी गलती कभी नहीं करना है,,,
मतलब,,,
मतलब यही कि हम दोनों अब जल्दी एक दूसरे से बात नहीं करेंगे हम दोनों का मिलना जुलना बातें करना सब कुछ बंद खास करके तेरी मां की उपस्थिति में हां मौका मिलते ही हम दोनों बातचीत तो करेंगे ही,,, अगर किस्मत साथ दिया तो बहुत कुछ कर लेंगे,,( शीतल के कहने का मतलब शुभम अच्छी तरह से समझता था इसलिए मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,) और हां अभी तो मुझसे जरा भी बात भी मत करना ना ही मैं तेरी तरफ देखूंगी और ना ही तुझसे कोई बात करूंगी समझ गया ना तु,,
समझ गया मैडम जी,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम फुर्ती दिखाते अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर जो पैर शीतल उठाकर उसके लंड पर रखी हुई थी उसने अपना हाथ डालकर शीतल की चिकनी चिकनी टांगों का आनंद लेते हुए अपनी हथेली को आगे तक जागो तक बढ़ा दिया, शुभम के मर्दाना हाथों का स्पर्श पाते ही शीतल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुलने में पीचकने लगी,,,, लेकिन शीतल अपनी टांग को वापस खींचने की जरा भी तस्दी नहीं ली उसे आनंद आ रहा था और दूसरों से नजरे बचाए हुए थी,,, शुभम की सांसो की गति तेज होती जा रही थी,,, शुभम शीतल की मोटी मोटी जागो की गर्माहट अपनी हथेली पर साफ तौर पर महसूस कर रहा था, मौका देखकर शुभम थोड़ा आगे की तरफ सड़क आया और सीधा अपनी हथेली को उसके कानों के बीच उसकी पैंटी के ऊपर रखकर हल्के से उसकी बुर वाली जगह को मसल दिया जो कि इस समय पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और तुरंत अपना हाथ वापस ले लिया यह पल भर में ही हुआ था लेकिन इतना शीतल के लिए काफी था वह पूरी तरह से गरमा गई और शुभम के इस तरह की हरकत और उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी बुर पर पाकर शीतल से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और वह तुरंत झड़ गई,,,,, इन सभी हरकत के दौरान उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपस आई जिसे वह अपने पर्स में से रुमाल निकाल कर साफ करने लगी कि तभी सामने से निर्मला आती दिखाई दी और दोनों चौकन्ने हो गए,,,,
तुम लोगों ने अभी तक नाश्ता खाना शुरू नहीं किया,,
तुम्हारे बिना कैसे शुरू कर सकते थे अब तुम आ गई हो तो नाश्ता भी खाना शुरू कर देंगे बैठो और जल्दी से नाश्ता खत्म करो,,( शीतल का इतना कहना था कि निर्मला कुर्सी पर बैठ गई और तीनों नाश्ता करने लगे तीनों काफी खुश नजर आ रहे थे इस दौरान बार-बार शीतल अपने पैर को शुभम के पेर पर मारकर उसे इशारा कर देती थी शुभम को उसका यह इशारा करना बहुत अच्छा लग रहा था,,
आखिरकार तीनों ने नाश्ता खत्म कर लिया और टेबल से उठ गए,,, इस दौरान ना तो शुभम शीतल की तरफ देखा और ना ही शीतल शुभम की तरफ देखी,,, और यह बात निर्मला को साफ तौर पर नजर आ रही थी कि दोनों एक दूसरे में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे थे जिससे वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,
शीतल तुम्हारा एहसान में कभी नहीं भूल पाऊंगी आज तुमने एन मौके पर मेरी मदद की हो मैं कल स्कूल में तुम्हारी 15000 लौटा दूंगी ,,,( निर्मला मॉल के बाहर पार्किंग में खड़े होकर शीतल से बोली)
पर इसमें कौन सी बड़ी बात है उसे लौटाने की जरूरत नहीं है,,
नहीं-नहीं सीतल 15000 की बात है मैं जरूर कल स्कूल में लौटा दूंगी,,, अच्छा तो अब मैं चलती हूं,,,,,
(इतना सुनकर शीतल निर्मला के कान में धीरे से बोली,,)
घर पर जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना और अपनी पसंदीदा गुलाबी रंग की पैंटी पहन कर जरूर आईने में अपने रूप को देखना बहुत खूबसूरत लगोगी,,
( शीतल अपनी आदत के अनुसार बोल दी यह बात सुनते ही निर्मला शर्म के मारे बोली,,)
धत्,,,, पागल हो गई है क्या इस तरह की बातें करती है,,
मैं तो शुरु से पागल हूं तुम्हारे पीछे ,,,,(इतना कहकर सीधे हंसने लगी और जवाब में निर्मला भी मुस्कुरा कर,, गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी स्टार्ट कर के रास्ते पर दौड़ाने लगी,,, शीतल की हरकत और उसका रंग रूप देखकर उसका कसा हुआ भरावदार बदन देखकर एक बार फिर से शीतल को पाने की लालसा सर उनके मन में जागरूक हो गई,,
दूसरी तरफ रुचि शुभम के मोटे तगड़े लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी जो कि अभी भी,, शुभम के मोटे तगड़े मंडे को अपनी कसी हुई बुर में लेकर जिस तरह से उसने अपनी पुर का आकार बदल वाली थी उसे शुभम के मोटे तगड़े लंड की मोटाई के सांचे में ढाल ली थी उसकी वजह से उसके हर धक्के का दर्द उसे अभी भी अपने बदन में महसूस हो रहा था जिसकी वजह से वह थोड़ा सा लंगड़ा कर अपनी टांगों को फैला कर चल रही थी जो कि उसकी यह चाल सरला देखकर उसे इस बार में पूछी तो वह बारिश में फिसलने का बहाना बना चुकी,, थी। शुभम के द्वारा दिए गए संभोग के असली सुख की तृप्ति महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसे अब ऐसा लग रहा था कि शुभम की आदत बनती जा रही है वह सुकून से एक बार फिर से चुदवाना चाहती थी जो कि मौका नहीं मिल पा रहा था,,, और यही हाल सरला का था,,, रुचि तो पहली बार ही सुभम के लंड को अपनी बुर मे ली थी लेकिन सरला तो जब तक रुचि नहीं थी तब तक सुगम के लंड से चूत कर एक दम मस्त हो चुकी थी वह पूरी तरह से शुभम के मोटे तगड़े लंड की आदी बन चुकी थी और यही तड़प उसे आज बहुत तड़पा रही थी वह शुभम से चुदवाना चाहती थी उसके हर धक्के को अपने बड़े-बड़े नितंबों पर महसूस करना चाहती थी उसके लंड की मोटाई को अपनी बुर की गहराई से नापना चाहती थी,, जिसके लिए वह मौके की तलाश में थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि शाम को छत पर शुभम जरूर कसरत करने के लिए आता है इसलिए शुभम से मुलाकात करने के लिए छत पर उसका इंतजार करने लगी,,,
थोड़ी ही देर में वहां शुभम भी आ गया,, सरला को देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी क्योंकि जिस तरह की हरकत मॉल में शीतल ने अपनी टांगों से उसके लंड पर की थी उसका असर उसे अभी तक अपने बदन में महसूस हो रहा था उसे बुर की जरूरत थी जिसमें अपना लंड डाल के जबरदस्त धक्कों के साथ अपनी गर्मी शांत कर सकता था,,,, वह सरला को देखते ही तुरंत उसके पास आ गया,,, और बोला,,।,,,
सरला चाची आप यहां छत पर क्या करने आई है सूखे हुए कपड़े उतारने अब तो आपकी बहू आ गई है आप क्यों इतनी तकलीफ उठा रही हैं,,,,( सरला से बातें करते हुए जानबूझकर अपने पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल ना शुरू कर दिया जो कि सरला अच्छी तरह से शुभम की इस हरकत को देख रही थी और उसकी इस हरकत की वजह से अपने बदन में गर्माहट का अनुभव कर रही थी,,)
तकलीफ तो मैं तेरी वजह से उठाकर मैं यहां आई हूं ,,,
मेरी वजह से मैं कुछ समझा नहीं,,,,
जबसे बहू को लेकर तू घर पर आया है तब से तो मुझसे मिलने नहीं आया तो नहीं जानता कि आप मुझे तेरे बिना नहीं रहा जाता तेरे मोटे लंड से चुदाई करवाए बिना मुझे नींद नहीं आती,,,
( सरला की यह बातें सुनते ही शुभम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और टांगों के बीच उसके लंबे तगड़े लंदन में हरकत होने लगी,,,जोकि धीरे-धीरे खड़ा होने लगा,, और पजामे में ऊभरता हुआ लंड शीतल को साफ नजर आने लगा और उसकी वजह से शीतल को अपनी बुर पसीजते हुए महसूस होने लगी,,,)
मैं कर भी क्या सकता हूं चाची मन तो मेरा भी बहुत करता है लेकिन रुचि भाभी के वजह से मैं कुछ करना चाहूं तो भी नहीं कर सकता,,,
तभी तो मैं यहां आई हूं यहां कोई आने वाला नहीं है,,
यहां पर छत पर अो भी इस वक्त यह कैसे हो सकता है,,, चाची,,,,
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