रविवार का दिन था निर्मला बहुत ही सवेरे उठ गई थी,,, वह बाथरूम में नहाने के लिए चली गई,,, अशोक घर पर नहीं था घर पर केवल शुभम और निर्मला ही थे इसलिए निर्मला एकदम भेजिए बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई और देखते ही देखते अपने खूबसूरत बदन पर से अपने एक एक वस्त्र उतारकर बाथरूम के हैंगर में टांगने लगी देखते ही देखते निर्मला बाथरूम के अंदर संपूर्ण रूप से नंगी हो गई,,,,, बाथरूम में ट्यूब लाइट जल रही थी जिसकी सफेद दूधिया उजाले में निर्मला का गोरा बदन चमक रहा था और तो और बाथरूम में लगी महंगी संगमरमर की टाइल्स में उसके नंगे बदन की परछाई साफ नजर आ रही थी मानो कि आई ना लगा हो,,,, अपने कठिन है और सजीले बदन पर निर्मला को गर्व महसूस होने लगा था और गर्व करने वाली बात नहीं थी क्योंकि इस उम्र के पड़ाव पर भी एक जवान लड़का उसका पूरी तरह से दीवाना हो चुका था जवान लड़का क्या आए दिन बड़े बूढ़ों की नजर भी उसके खूबसूरत बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ घूमती रहती थी इस बात का अंदाजा उसे बहुत पहले से ही था ,,,,
वह खूबसूरत गीत गुनगुनाते हुए अपने खूबसूरत बदन पर महंगा साबुन लगाने लगी जिसके झाग को वह अपने पूरे बदन पर लगाते हुए,,, मस्त हुए जा रही थी। देखते ही देखते निर्मला अपने पूरे बदन पर साबुन का झाग लगाकर अपने बदन को और भी ज्यादा चिकना करने लगी,,, निर्मला की आदत हमेशा से यही रही थी कि वह बदन के हर हिस्से से ज्यादा वह साबुन को अपनी टांगों के बीच ज्यादा घिसती थी,,,, पहले उसके लिए उस जगह को साफ करना औपचारिकता बस ही था लेकिन जब से वह अपने बेटे से संभोग के सुख को भोगना शुरू करी थी तब से अब उसकी बुर पर पानी और साबुन लगाकर उसे अच्छी तरह से साफ करना उसके लिए बेहद जरूरी हो चुका था क्योंकि यह वही अंग था जिसके लिए शुभम उसका दीवाना हुआ था,,,, उसमें से आती हुई मादकता भरी खुशबू उसके बेटे को एक अलग दुनिया में ले जाती थी,,, वैसे तो निर्मला का अपना पूरा बदन बहुत खूबसूरत और गर्व प्रदान करता था लेकिन उसे अपनी दूर कुछ ज्यादा ही गर्वित करने वाला अंग लगता था क्योंकि वह इसी अंग के जरिए किसी को भी अपना गुलाम बनाने में पूरी तरह से सक्षम थी।,,
Nirmala ki khubsurat madmast jawani se bharpur bad an
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सावर का नोब घूमाते ही सावर में से ठंडे ठंडे पानी की बौछार निकल कर उसके खूबसूरत बदन पर पड़ने लगी जो कि ठंडक प्रदान कर रहे थे ऐसा लग रहा था कि बरसात रही हो उसे इस तरह से नहाने में बहुत अच्छा लगता था खास करके बरसात के पानी में भीगना,,, वह दिन कुछ और था जब वह बरसात में खुले तौर पर नहा कर अपने बदन को ठंडक प्रदान करती थी शादी के बाद से वह अपनी इस इच्छा को केवल सावर में नहा कर ही पूरा कर रही थी,,,,।
वह नहा चुकी थी, टॉवल से अपने बदन को अच्छे से पोछ कर वह टावल लपेटकर बाथरुम से बाहर निकल गई और अपने कमरे में चली गई,,,,, वह अलमारी खोलकर अपनी ब्रा और पेंटी को ढूंढने लगी वह चाहती थी कि आज वह अपनी सबसे खास गुलाबी रंग की पेंटिं को पहने,,, इसलिए वो अलमारी में इधर-उधर अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को ढुढने लगी जो कि थोड़ी देर में उसे अपनी फेवरेट पेंटी मिल ही गई,,, वह अच्छा सा गीत गुनगुनाते हुए,,,, खुशी के मारे अपनी पेंटी को हाथ में लेकर इधर-उधर करके उसे देखने लगी कि तभी उसकी सारी खुशी क्षण भर में हवा में फुरॅर हो गई,,,, अपनी सबसे पसंदीदा पेंटी में उसे छोटा सा छेद नजर आने लगा,,,,, अपनी पेंटी में हुए छोटे से छेद को देखकर उसका दिल बैठ गया,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी पेंटी में इस तरह से छेद कैसे पड़ गया क्योंकि आज तक उसके किसी पेंटी में छेद नहीं पड़ा था और छेद पड़ने से पहले ही निर्मला अपनी पैंटी को बदल देती थी,,,,, कुछ देर तक निर्मला यूं ही अपनी पेंटिं को हाथ में लिए इधर-उधर करके देखती रही उसे बहुत दुख हो रहा था क्योंकि यह पहनती उसे बेहद पसंद थी,,,,, फिर भी आज उसकी ख्वाहिश यही थी कि वह गुलाबी रंग की पैंटी को पहले इसलिए अपनी इस ख्वाहिश को दबा नहीं पाई और भले ही पहनती में छोटा सा छेद पड़ गया था उसे ही वह अपनी गोरी चिकनी टांगों में डालकर पहन ली,,,, पहनने के बाद उसे इस बात का भान हुआ कि उसकी पैंटी में पड़ा छोटा सा छेद ठीक उस की रसीली बुर के ऊपर ही बना हुआ था,, और यह देखकर ना चाहते हुए भी उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,,,, जैसे तैसे करके उसने पैंटी तो पहन ली उसके बाद वह अपने सारे कपड़े पहन कर तैयार हो गई आईने के सामने अपने रूप को देखकर वह मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि मानो उसकी खूबसूरती देखकर आईना भी शर्मा रहा हो,,,
Uuffff kya mast jawani he.
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वह तैयार हो चुकी थी उसे मंदिर जाना था पूजा करने इसलिए वह शुभम को उठाए बिना ही वह अकेली पूजा की थाली लेकर मंदिर चली गई और तकरीबन वहां से पौना घंटा बाद वापस लौटी,,, वापस लौट कर देखी तो शुभम नहा धोकर तैयार होकर बैठा हुआ था उसे नाश्ता करना था,,, अपने बेटे को इस तरह से इंतजार करता हुआ देखकर निर्मला बोली,,
सॉरी मुझे आज बहुत देर हो गई मैं जल्दी से तेरे लिए नाश्ता बना देती हूं तो 2 मिनट बैठ,,,,( इतना कहकर वह किचन में चली गई शुभम अपनी मां को किचन में जाते हुए देखता रहा क्योंकि सुबह सुबह नहाने के बाद गीले बालों में वह और भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी जिसे देखने के बाद शुभम के पजामे में हरकत होने लगी लेकिन वह अपने आप को संभाले हुए था,,,, फिर भी वह पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े होते लंड को मसल कर अपना मन मसोसकर रह गया,,,,,
थोड़ी देर बाद निर्मला नाश्ते की प्लेट लगाकर तुरंत किचन से बाहर आ गई,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी बला की खूबसूरत लग रही थी,, लाल-लाल होठों पर और ज्यादा लालिमा उभर आई थी,,, शुभम का दिल कर रहा था कि अभी इसी वक्त डाइनिंग टेबल पर झुका कर उसकी पीछे से ले ले लेकिन अभी शायद वह अपने आप पर बहुत कंट्रोल किए हुए था,,, निर्मला कुर्सी पर बैठते हुए नाश्ते की प्लेट को शुभम की तरफ बढ़ाकर और चाय का कप आगे बढ़ाते हुए उसे नाश्ता करने के लिए बोली और खुद भी नाश्ता करने लगी,,,,
शुभम तुझे कहीं जाना तो नहीं है ,,,,,
नहीं मम्मी मुझे कहीं नहीं जाना है क्यों ऐसा पूछ रही हो,,,
क्योंकि मुझे मॉल जाना है,,,
मॉल लेकिन मॉल किस लिए ,,,(चाय की चुस्की लेते हुए)
तू सवाल बहुत पूछता है अगर मुझे ,, जाना है तो जाना तो पड़ेगा ही इसमें तो इतना सवाल क्यों पूछ रहा है,,,( निर्मला ब्रेड का टुकड़ा दांतों से काट कर चाय की चुस्की लेते हुए बोली,,,)
नहीं मम्मी मुझे कोई एतराज नहीं है मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था क्योंकि आप जल्दी जाति नहीं है मॉल इसके लिए,,
aaaaahhhh.. Kya mast gaand he nirmala ki..
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हां में जानती हुं,,, मैं जल्दी मॉल नहीं जाती लेकिन मुझे कुछ खरीदना है,, इसलिए मुझे आज मॉल जाना ही पड़ेगा,,
ऐसा क्या खरीदना है कि आपको युं एकाएक मॉल जाना पड़ रहा है मुझे भी तो बताइए,,,,( शुभम चाय की चुस्की लेते हुए अपनी मां को आंख मारते हुए बोला ,,,,)
तू बड़ा शैतान है तु नहीं सुधरने वाला,,,,
( थोड़ी देर दोनों में खामोशी छाई रही दोनों अपना-अपना नाश्ता करके टेबल से उठ गए तो अपना हाथ रुमाल से साफ करते हुए सुभम एक बार फिर अपनी मां से बोला,,,)
nirmala ki gulabi rang ki panty.
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मम्मी बता तो दो कि तुम्हें क्या लेने जाना है,,,, मैं भी अपने लिए कपड़े ले लूंगा,,,,
तुझे बहुत ज्यादा पड़ी है कि मैं क्या लेने के लिए मौल जा रही हुं चुपचाप मेरे साथ चल नहीं सकता,,, वही चल कर बता दूंगी कि मुझे क्या चाहिए,,,,( इतना कहते हुए निर्मला मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे पता था कि उसका लड़का क्या सोच रहा है वह जरूर यही सोच रहा होगा कि उसकी मां अपने लिए अंतर्वस्त्र ही खरीदने जा रही है इसीलिए तो वह इतना जोर देकर पूछ रहा था यही ख्याल निर्मला के मन में आ रहा था और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,,)
अरे मम्मी बता दोगी तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा ,,,(इतना कहकर वह अपनी मां को बड़े गौर से देखने लगा,,, निर्मला भी अपने बेटे की आंखों में देखने लगी उसे अपने बेटे के चेहरे के देखकर उसकी उत्सुकता का पता चल रहा था,, निर्मल आप अपने बेटे को और ज्यादा परेशान होता नहीं देख सकती थी इसलिए वह अपने होंठों को दांतो से काटते हुए बोली,,,।)
तु जानना चाहता है ना कि मैं मॉल में क्या खरीदने के लिए जा रही हुं,,( इतना कहकर वो अपने बेटे ,, की तरफ मादक मुस्कान में करते हुए बोली,,,, निर्मला को अपने बेटे की आंखों में खुमारी साफ तौर पर नजर आ रही थी,, निर्मला को भी अपने बदन में हलचल सी महसूस हो रही थी,,,, आपकी बात सुनकर सुभम बोला कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दिया और अपने बेटे की तरफ से उसका इशारा पाकर निर्मला धीरे-धीरे अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगे यह देखकर शुभम के होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही,, है,,,, देखते ही देखते निर्मला अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी और साड़ी के कमर तक उठते ही उसकी गुलाबी रंग की पैंटी शुभम की आंखों के सामने नजर आने लगी यह देखकर सुभम के पजामे में हरकत होने लगी,,,, और अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही वह बोली,,,,
कुछ दिखाई दिया ,,,,,
हां मुझे तुम्हारी गुलाबी रंग की पेंटी दिख रही हैं।,,,
और कुछ दिखाई ,दिया,,,,( निर्मला फिर से उसी अंदाज़ में अपने बेटे से बोली,,,)
हां मम्मी मुझे तुम्हारी बुर जों की कचोरी की तरह फुली हुई है पेंटी के ऊपर से साफ साफ नजर आ रही है,,,( यह सब कहते हुए शुभम के बदन में खुमारी छाने लगी वह धीरे-धीरे अपनी मां की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,)
धत्,,,,, यह नहीं तुझे और कुछ नहीं दिखाई दे रहा है,,,
तुम्हारी खूबसूरती से भरी हुई मोटी मोटी जांघ जिसे देखकर हमेशा मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,( शुभम पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला)
तू सच में पागल हो गया है देख नहीं रहा है कि फटी हुई है,,
बुर,,,,, अब मेरा इतना मोटा लंबा लंड जाएगा तब तो तुम्हारी बुर फटेगी ही ना,,,,
हे भगवान अब मैं तुझे कैसे समझाऊं तेरे दिमाग में 24 घंटा बस यही सब चलता रहता है और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,
( निर्मला का यह कहना था कि तभी शुभम की नजर पेंटिं में पड़े उस छोटे से छेद पर गई जिसमें से उसकी झांट के रेशमी बाल हल्के हल्के बाहर निकले हुए थे उस पर नजर पड़ते ही शुभम की आंखों में चमक आ गई और वह चहकते हुए बोला,,,)
मम्मी तुम्हारी पेंटी तो,,, फटी हुई है और इसमें से तुम्हारे झांट के बाल बाहर दिखाई दे रहे हैं लगता है बहुत दिनों से तुम ने अपनी झांट के बाल क्रीम लगाकर साफ नहीं कि हो,,,
चल अब मेरे झांट के बाल इतने भी बड़े नहीं हो गए कि उन्हें साफ करना पड़े,,, अभी बराबर है,,,,,, लेकिन मेरी पैंटी बराबर नहीं है तू तो जानता है कि मुझे मेरी यह गुलाबी रंग की पैंटी कितनी पसंद है और आज बहुत पहनने का मन कर रहा था लेकिन जब इससे अलमारी में से बाहर निकालिए तो देखी इस में छेद हो गया है,,
मेरे लंड के साइज़ का छेद हुआ है मम्मी मुझे तो लगता है कि पेंटी सहीत में तुम्हारी बुर में डालने की कोशिश कर रहा था तभी तुम्हारी पेंटी फट गई है,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया और अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की पेंटी के उस छोटे से छेद में डाल दिया जो कि एकदम बुर् के उपर हुआ था जिसमें से सीधा उसकी उंगली निर्मला की रसीली बुर के अंदर प्रवेश कर गई,,
आहहहहह,,,,, क्या कर रहा है रे,,? ( निर्मला को इस बात का आभास तक नहीं था कि शुभम इतनी जल्दबाजी दिखाएगा इसलिए एकाएक अपनी पुर के अंदर उंगली घुसने की वजह से उसे दर्द सा महसूस होने लगा जिससे उसकी कराहने की आवाज निकल गई,, और वो झट से अपना हाथ से सुभम का हाथ पकड़ कर उसे दूर झटक दी और अपनी साड़ी को वापस नीचे गिरा दी,,)
क्या मम्मी तुम से ऐसे चिल्ला रही हो जैसे उंगली नहीं मेरा लंड घुस गया हो,,,
तेरी उंगली भी तेरे लंड से कम नहीं है,, अब चल यह सब छोड़ जल्दी से तैयार हो जा हमें अभी जाना है,,,( निर्मला खाली प्लेट टेबल पर से उठाते हुए बोली,,)
क्या मम्मी तुम भी इतनी जल्दबाजी दिखा रही हो पेटी में छेद होने की वजह से ऐसा नहीं है कि कोई उस में लंड डाल देगा,,, ( निर्मला खाली प्लेट उठाने की वजह से डाइनिंग टेबल पर थोड़ा सा झुकी हुई थी जिसकी वजह से शुभम साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर दो चपत लगाते हुए बोला,,)
आहहहहह,,,,, बहुत बेशर्म हो गया है तू कोई अपनी मम्मी से इस तरह से बात करता है क्या,,? ( निर्मला खाली प्लेट को हाथ में लेकर उसे किचन की तरफ जाने लगी तो पीछे से शुभम बोला,)
कहो तो मम्मी तुम्हारी पेंटी में जो छेद बना हुआ है तुम्हारी पेंटिं बिना उतारे उसी छेद में से अपने लंड को तुम्हारी बुर में डालकर तुम्हारी चुदाई कर दुं,,,,,( शुभम पर जाने के ऊपर से अपनी खड़े लंड को मसलते हुए बोला,,।)
इतनी तकलीफ उठाने के लिए रहने दे अभी कुछ भी नहीं होने वाला है तो जल्दी से तैयार हो जा,,( इतना कहकर वह बर्तन साफ करने के लिए किचन में चली गई सुभम ऊसे जाता हुआ देखता रहा,, अपनी मां की मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर शुभम एकदम उत्तेजना से भरने लगा था लेकिन वह जानता था कि अभी कुछ होने वाला नहीं है इसलिए वह भी अपना मन मार के अपने कमरे में कपड़े बदलने के लिए चला गया,,,,,
कुछ ही देर में दोनों मां-बेटे मॉल में पहुंच गए और इधर-उधर घूम कर कपड़े खरीदने लगे,,, मॉल में पहुंचते ही निर्मला ने सबसे पहले अपने लिए ब्रा और पेंटी खरीदी और शुभम भी अपने लिए जींस और टीशर्ट खरीद लिया,,, दोनों मिलकर काफी खरीदी कर चुके थे और काउंटर पर पहुंचकर दोनों बिल बनवाने लगे तो तकरीबन 15000 तक की खरीदी दोनों मां-बेटे मिलकर कर चुके थे,,, निर्मला अपने पर्स मे, पैसे निकालने के लिए उसकी चैन खोलकर अंदर देखने लगी तो अंदर पैसे थे ही नहीं वह इधर-उधर करके अपना एटीएम भी देखने लगी लेकिन वह भी नहीं था,, पल भर में उसका चेहरा मुरझा गया तो शुभम बोला,,
क्या हुआ मम्मी,,?
बेटा मैं पर्स तो लाई लेकिन पर्स में पैसा रखना भूल गई और तो और आज एटीएम भी मैं नहीं लाई जल्दबाजी में सब गड़बड़ हो गया,,,,
क्या कह रही हो मम्मी ऐसे कैसे हो गया,,
( दोनों की बात काउंटर मेन सुन रहा था तो वह पैसे ना होने पर गुस्सा दिखाते हुए बोला,,)
मैं अच्छी तरह से जानता हूं मैडम आप लोगों को आप लोग केवल मॉल में टाइम पास करने के लिए आते हो ऐसी की हवा खाते हो और बिना कुछ खरीदे ही निकल जाते हो अपने बाप का बगीचा समझे हो,,
आप यह कैसी बातें कर रहे हैं आपको चेहरा भी तमीज नहीं है एक औरत से किस तरह से बात की जाती है,,,
मैं अच्छी तरह से जानता हूं मैडम एक औरत से किस तरह से बात की जाती है लेकिन आप जैसे लोगों से इसी तरह से बात की जाती है ,,,
(इतना सुनते हैं शुभम का खून खोलने लगा,, उससे अपनी मां की इस तरह की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुआ ओर वह काउंटरमेन का गिरेबान पकड़कर बाहर खींच लिया और वह काउंटर से होता हुआ नीचे आकर गिरा,,, इस हाथापाई को देखकर निर्मला घबरा गई और अपने बेटे को उसे छोड़ने के लिए बोलने लगी इस तरह की अफरा-तफरी होता देखकर उसी मॉल में आई शीतल की नजर निर्मला और शुभम पर पड़ गई तो वह तुरंत दौड़कर उन लोगों के पास गई,, तब तक वहां पर कुछ और लोग भी जमा हो गए जो इस हाथापाई को बस मजे ले कर देख रहे थे,, थोड़ी ही देर में शीतल को पता चल गया कि सारा माजरा क्या है और वह काउंटर मेंन पर बिगड़ते हुए बोली,,,
तुम्हें शर्म नहीं आती है एक औरत से इस तरह से बातें करते हुए और तुम जानते हो यह कौन है यह टीचर है यह लोगों को शिक्षा देती हैं और तुम इन पर इल्जाम लगा रहे हो, यह शहर के जाने-माने बिजनेसमैन की बीवी है अगर चाहे तो इन से बदतमीजी करने के एवज में तुम्हें जेल भिजवा सकती हैं और तो और तुम्हारी नौकरी भी जा सकती है तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,, माफी मांगो इनसे,,
( शीतल की बात सुनकर उस काउंटर मैन को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह निर्मला से माफी मांगते हुए बोला,,,)
मुझे माफ कर दीजिए मैडम मेरा यह कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन आज कल इसी तरह का वाक्या हो रहा है जिससे हम लोग खुद परेशान हो चुके हैं,,,,
उसकी बात सुनकर निर्मला ने उसे माफ कर दी और शीतल बिल कि रकम को अपने पास से अदा कर दी जो कि शीतल कि इस मदद को लेने से निर्मला इंकार कर रही थी लेकिन वह इसकी एक भी नहीं सुनी,,,,,,