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शुभम भी कसरत करते हुए रुचि को देख लिया था कि वह छत पर आई हुई है और यह देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,, और तो और रूचि के बारे में ही सोचते हुए उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से उसके अंडरवियर में धीरे-धीरे तंबू का आकार बढ़ने लगा था,, एक बार और उसी के साथ संभोग कर चुका शुभम उसके सामने बिल्कुल भी शर्म लिहाज की परवाह न करते हुए उसी तरह से कसरत करता रहा,, वह पांच-पांच किलो के डंबल को बारी-बारी से दोनों हाथों से उठा रहा,,था,, जिससे उसके हाथों की मसल्स बेहद लुभावनी लग रही थी,,, रुचि तो उसको देखती ही रह गई उसका कसरत ही बदन रुचि के तन बदन में आग लगा रहा था,, कहां उसके पति का मरियल सा शरीर जिसकी बाहों में जाने के बाद उसे कभी भी एहसास नहीं हुआ कि वह किसी मर्द की बांहों में, शरीर जिसकी बाहों में जाने के बाद उसे कभी भी एहसास नहीं हुआ कि वह किसी मर्द की बांहों में है,,,, और शुभम की बाहों में आने के बाद से उसे लगने लगा था कि वाकई में उसकी बांहों में जाने के बाद ऐसा लगता है कि कोई मर्दाना ताकत से भरा हुआ बेहद ताकतवर मर्द उसे अपनी बाहों में भर कर भींच रहा है ,,, वह एहसास ही रुचि को पूरी तरह से उत्तेजना से भर दे रहा था,,
रुचि जब छत पर पहुंची थी तब शुभम के अंडरवियर में उसका बना हुआ तंबू सामान्य स्थिति में था लेकिन रुचि को अपनी आंखों के सामने पाकर आपस में उत्तेजना का जोश भर रहा था जिससे देखते ही देखते उसके अंडरवियर का तंबू तनने लगा और देखते ही देखते वह अपनी पुरी औकात में आ गया,,, रुचि भी शुभम के बदन में आए इस बदलाव को अच्छी तरह से देख कर समझ रही थी कि उसके आने के बाद ही उसका लंड खड़ा हुआ है और यह एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दिया,, पल भर में ही उसके बदन में मादकता की गर्मी बढ़ने लगी,,,, बदन में छा रही उत्तेजना रुचि को पल-पल चुदवासी बनाती जा रही थी,,, आज दिन भर में ना जाने कितनी बार उसकी पेंटी गिरी हुई थी वह भी सिर्फ शुभम के बारे में सोच कर,, यहां तो उसकी आंखों के सामने खुद शुभम नंग धडंग हालत में खड़ा होकर कसरत कर रहा था रुचि को इस बात का डर था कि कहीं इस बार वह उसे मात्र देखकर ही ना झड़ जाए,,,,, रुचि के बदन में पूरी तरह से चुदास की लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से वह लंबी लंबी सांसे ले रही थी,,,, वह रस्सी पर सुखते हुए कपड़ों की ओट में सिर्फ अपना चेहरा निकालकर उसे देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी जिसे शुभम देखकर उत्तेजना का अनुभव कर रहा,,,,
ruchi ki maansal gaand
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रह रह कर रुचि को उसकी सास वाला नजारा याद आज आ रहा था क्योंकि वह जिस जगह पर खड़ी थी उसी जगह पर उसकी सास छुपकर शुभम से चुदवा रही थी,,,,, उस पल को याद करके रुचि की इच्छा बलवंत वे जा रही थी कि वह भी इसी जगह पर उसकी सास की तरह झुककर शुभम से चुदवाए,,,, यह ख्याल मन में आते ही उत्तेजना के मारे रुचि की फूली हुई कचोरी जैसी बुर फुलने पीचकने लगी थी ,,,। उसकी गहरी चलती सांसों के साथ-साथ उसके ब्लाउज में के दोनों कबूतर ऊपर नीचे हो कर ऐसा लग रहा था मानो कि वह शुभम के हाथों में आने के लिए खुद ही हामी भर रहे हो ,,,
दूसरी तरफ शुभम उत्तेजना से बढ़ता चला जा रहा था वह उसी तरह से पाच पाच किलो के डंबल को ऊपर नीचे करके अपनी कसरती बदन का प्रदर्शन कर रहा था,,, यह बात से हम अच्छी तरह से जानता था कि एक औरत को मर्द का गठीला बदन चौड़ी छाती बेहद पसंद होती है ,,, इतना तो शुभम अच्छी तरह से जानता था कि रुचि उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी है और उस दिन तूफानी बारिश में झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह अचानक हुआ था शुभम उसकी बहुत ही अच्छे से चुदाई करना चाहता,,था,,, और यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका पति उसे अच्छी तरह से चोद नहीं पाता,, है,, तभी तो उस दिन के पानी बारिश में वह बिना किसी विरोध के उससे चुदवाई थी और वह भी पूरी नंगी होकर,, एक औरत इस तरह से गैर मर्द से तभी शारीरिक संबंध बनाती है जब घर में उसका पति उसे ठीक तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता हो,,,, रुचि के इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए शुभम इस समय उसे उकसाने के लिए जानबूझकर अपना दूसरा डंबल नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से बार-बार रुचि की आंखों के सामने ही अपने पेंट में बने तंबू को हाथ लगाकर उसे दबा दे रहा,,था जिसको देखकर रुचि के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,, रुचि पलक झपकाए बिना उस नजारे का आनंद लेते हुए रस्सी पर से सूखे हुए कपड़े को एक-एक करके उतारने लगी,,,,, अपनी तरफ मादक निगाहों से देखता हुआ पाकर शुभम रुचि से बोला,,
ruchi ki madmast chuchiya
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क्या देख रही हो भाभी,,,
वही जो तू दिखा रहा है,,,( रुचि भी उसके सवाल का जवाब खुले शब्दों में देते हुए बोली,,)
मैं तो कुछ भी नहीं दिखा रहा हूं (शुभम उसी तरह से एक हाथ से डंबल को ऊपर नीचे करते हुए बोला)
यह तो मुझे पता ही है कि तू क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है,,( रुचि रस्सी पर से कपड़े उतारते उतारते रस्सी को हाथ से पकड़ कर खड़ी होते हुए बोली)
अब क्या करूं भाभी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत खड़ी होगी तो वह तो खड़ा होगा ही,,,
जरूरी तो नहीं किसी भी खूबसूरत औरत को देखकर खड़ा कर लो,,,
भाभी जी ऐसी वैसी औरत को देखकर ये नहीं खड़ा होता यह तो सिर्फ आपको देखकर ही खड़ा हुआ है,,
अच्छा मैं कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लगती हूं क्या तुझको जो मुझको देखकर तूने अपना खड़ा कर लिया है,,( रुचि उसी तरह से रस्सी को पकड़े हुए ही बोली,,,)
भाभी जी यह सब को नहीं जानता आपको तो पहचानता है और वह भी अच्छी तरह से,,,
( शुभम के कहने का मतलब रुचि अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी,,)
आखिरी मुझको क्यों पहचानता है,,,?
क्योंकि भाभी जी इसने आप की गहराई को नाप लिया है,,
( शुभम उसी तरह से अपनी चौड़ी छाती और अंडर वियर में बने तंबू की नुमाइश करते हुए डम डम तो ऊपर नीचे करके वह बोला,,)
हाय,,,,, ज्यादा गहरी लगी क्या तुझको,,,( लंबी आहें भरते हुए रूचि बोलीं,,)
ठीक से देख नहीं पाया,,, भाभी जी,,,,
अकेली हूं घर पर ठीक से देखना है तो आजा कमरे में तुझे अच्छे से दिखा दूंगी,,,
( इस तरह की गरमा गरम बातें करके रुचि कि तन बदन में आग लग रही थी और रुचि के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर शुभम की हालत खराब होती जा रही थी उसके अंडरवियर में उसका तंबू बड़ा होता चला जा रहा,,था,,,)
हाय मेरी भाभी,,, भगवान तेरी जैसी भाभी सबको दे,,( इतना कहकर शुभम डंबल को नीचे जमीन पर रख दिया और फिर रुची की तरफ आगे बढ़ने लगा,,, यह देखकर रुचि के तन बदन में गुदगुदी होने लगी,, वजह से जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे रुचि के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी, शुभम पूरी तरह से जोश में आ गया था।,,, जैसे जैसे वह अपनी टांगों को आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसके अंडर वियर में बना तंबू हील रहा था और उसका हीलना देखकर रुचि का पूरा वजूद डगमगा रहा था,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा था,, देखते ही देखते शुभम उसके बेहद करीब पहुंच गया,, बार-बार और रोजी उसके अंडर वियर में बने तंबू को देख ले रही थी क्योंकि रुचि जैसी प्यासी औरत के लिए शुभम के अंडरवियर के अंदर का सामान ही सबसे बड़ा खजाना था,, जिसे वह अपने दोनों हाथों से लूटना चाहती थी,, अपने अरमान और धड़कते दिल पर काबू करते हुए रुचि ठंडे लहजे में बोलीली,,)
मेरी जैसी भाभी क्यों,,?
क्योंकि तुम्हारी जैसी भाभी ही अपने देवर को कुछ भी दिखा सकती हो और कुछ भी दे भी सकती है,,,( शुभम रुचि के बेहद करीब पहुंच कर लंबी-लंबी सांसे लेते हुए बोला,, वह अपनी गहरी सांसो से रुचि को इस बात का अहसास दिलाना चाहता था कि वह पूरी तरह से कामाग्नि के जोर में चल रहा था वह पूरी तरह से चुदवासा हो गया है,,, और उसे जो चाहिए वह सिर्फ रुचि ही दे सकती है,,,
रुचि भी उसकी हालत को देखकर समझ गई थी कि अब कुछ भी हो सकता है जिसके लिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,, शुभम की बात का जवाब देते हुए रूचि बोली,,,)
मेरे पास तो ऐसा कुछ भी नहीं जो मैं तुझे दे सकूं या दिखा सकूं,, ( शुभम को अपने बेहद करीब पाकर रुचि का बदन कसमसा रहा था उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,)
तुम्हारे पास सब कुछ है भाभी मैं जानता हूं साड़ी के अंदर छुपा कर रखी हो,,, ऐसा खजाना जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता है,, जिसे पाने के लिए हर कोई मचलता है,,,
तू मचल रहा है,,?
हां भाभी मैं तो कब से मचल रहा हूं तड़प रहा हूं तुम्हें छत पर देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा था ,,(यह सब कहते हुए तुरंत अपनी अंडरवियर में तने हुए तंबू पर हाथ रखते हुए.. जिससे रुचि का ध्यान उसी तरफ चला गया और उसकी हरकत को देखकर रुचि का भी मन,, मचलने लगा, रुचि के तन बदन में आग लगने लगी,,, वह गहरी सांसे लेते हुए शुभम के तंबू को देख कर बोली,,,)
देखना चाहेगा मेरे खजाने को,,,,( रुचि एकदम मादक स्वर में बोलीं,,)
कौन बेवकूफ होगा जो नहीं देखना चाहेगा,,(शुभम उसी तरह से अंडर वियर के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला शुभम की ये हरकत प्यास से भरी हुई रूचि के बदन में आग लगा देने वाली थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल शुभम का भी था,, )
तू देखना चाहेगा,, अगर देखना हो तो मेरे कमरे में आना होगा,,(रुचि का मन तो बहुत कर रहा था इसी समय अपनी साड़ी उठाकर उसने रसीली बुर दिखाने की,, लेकिन वह शुभम को इसी बहाने अपने कमरे में बुलाना चाहती थी जहां पर वह इत्मीनान से उसे अपना एक-एक अंग खोल कर दिखा सके और उसे प्यार करने,,दे,,, लेकिन शुभम को इस समय साबर बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखों के सामने उसके पास में जवानी से भरपूर एक प्यासी औरत खड़ी थी जो अपनी रसीली बुर को दिखाने के लिए तैयार थी और ऐसे में शुभम इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था ऐसे तो वह उसके कमरे में भी जाकर सब कुछ देख सकता था लेकिन उसे अभी देखना था और अपनी वह इस लालच को दबा नहीं पाया और बोला,,)
नहीं भाभी मुझे अभी देखना है मैं कमरे में आकर तो कभी भी देख लुंगा लेकिन मेरी इच्छा इसी समय तुम्हारी रसीली बुर को देखने कि कर रही है,,,( सुभम ने एकदम साफ शब्दों में बोल दिया,,)
नहीं यहां नहीं कोई देख लिया तो,,,(रुचि जानबूझकर शंका जताते हुए बोली और इस बात कि उसे खबर थी की छत पर कोई आने वाला नहीं है फिर भी वह अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही थी कि शुभम उसके साथ उसके कमरे में चले,,)
कोई नहीं देखेगा भाभी यहां छत पर कोई नहीं आता इस समय इस शहर की सबसे सुरक्षित जगह है जहां पर कोई नहीं,, आता,,, बस एक बार मुझे अपनी बुर के दर्शन करा दो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा,,( शुभम एकदम गिडगिडाते हुए स्वर में बोला,,, शुभम इस तरह से व्यवहार कर रहा था कि जैसे वह रूचि की बुर को देखा ही ना हो जबकि वह उसकी बुर में अपना पूरा लंड डालकर उसकी जमकर चुदाई कर चुका था,,, लेकिन मर्द की हमेशा से यही आदत रहती है कि वह औरत के अंग को चाहे जितनी बार भी देख ले लेकिन उसका मन नहीं भरता,, और यही कारण था की वह रुची से उसकी बुर दिखाने के लिए मिन्नतें कर रहा था,,, और यह देखकर रुचि अंदर ही अंदर प्रसन्नता के साथ-साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी,,,,, रुचि नखरा दिखाते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं मैं यहां नहीं दिखा सकती यहां कोई देख लिया तो मेरी इज्जत खराब हो जाएगी,,
क्या भाभी नखरा कर रही है यहां कोई नहीं देखने वाला मेरा विश्वास करो,,(यह कहते हुए शुभम का मन तो हो रहा था कि उसे उसके सास वाली बात सब बता दे कि वह उसकी सास की वहीं पर सुधार किया था और कोई भी नहीं देख पाया था,, लेकिन यह वाली बात बताना उचित नहीं समझा इसलिए कुछ बोला नहीं,,)
कैसे विश्वास करूं शुभम देख रहे हो खुली छत हैं और अपने चारों तरफ भी छत ही छत हैं कोई देख लिया तो,,,
मेरा विश्वास करो भाभी कोई नहीं देखेगा अगर नहीं दिखाओगी तो मैं खुद ही तुम्हारी साड़ी उठाकर देख लूंगा,,,,
अरे वाह इतनी जबरदस्ती,,,,(रुचि अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)
नहीं दिखाओगी तो मुझे तो जबरदस्ती करना ही पड़ेगा भाभी,,, इतना नखरा जो कर रही हो,,,
मैं कहां नखरा कर रही हूं,,
नखरा ही तो कर रही हो भाभी उस दिन तूफानी बारिश में कैसे सब कुछ खोल कर मेरे हवाले कर दी थी और वहां तो तुम बिना कुछ बोले एकदम नंगी हो गई,,थी,, और देख रही हो मेरी हालत ( अपने हाथ से अपने अंडरवियर को नीचे खींच कर अपने खड़े लंड को दिखाते हुए,,,) कितनी खराब होती जा रही है,,
हालत खराब हो रही है या हालत रंगीन होती जा रही है,,
मैं कुछ नहीं जानता भाभी दिखाना है तो दिखा वरना मैं जा रहा हूं,,,(इतना कहकर वह जानबूझकर सिर्फ दिखावे के लिए जाने को हुआ तो रुचि तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोली,)
नाराज क्यों हो रहा है रे दिखा रही हुं ना,,,, लेकिन कोई आ ना जाए,,
यहां कौन आएगा भाभी तुम्हारी सास तो है नहीं,,,
लेकिन तेरी मम्मी तो है ना अगर वह आ गई तो,,
नहीं आएगी मेरा भरोसा करो,,,
( शुभम उसे विश्वास दिलाते हुए बोला और रुचि अपने मन में सोच रही थी अगर आप ही जावे तो भी उसका दिल शुभम को अपनी बुर दिखाने को कर रहा था इसलिए अपने आप को रोक नहीं पाए और बोली,,,)
देख सुगंध तुझ पर विश्वास करके मैं तुझे यहां पर दिखा रही,,हु,,(इतना कहते हुए वह अपने चारों तरफ देखकर तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,, और इतना कहने के साथ ही वह अपने दोनों हाथ को अपनी साड़ी पर रखकर उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खींचने लगी,,)
रुचि जब छत पर पहुंची थी तब शुभम के अंडरवियर में उसका बना हुआ तंबू सामान्य स्थिति में था लेकिन रुचि को अपनी आंखों के सामने पाकर आपस में उत्तेजना का जोश भर रहा था जिससे देखते ही देखते उसके अंडरवियर का तंबू तनने लगा और देखते ही देखते वह अपनी पुरी औकात में आ गया,,, रुचि भी शुभम के बदन में आए इस बदलाव को अच्छी तरह से देख कर समझ रही थी कि उसके आने के बाद ही उसका लंड खड़ा हुआ है और यह एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दिया,, पल भर में ही उसके बदन में मादकता की गर्मी बढ़ने लगी,,,, बदन में छा रही उत्तेजना रुचि को पल-पल चुदवासी बनाती जा रही थी,,, आज दिन भर में ना जाने कितनी बार उसकी पेंटी गिरी हुई थी वह भी सिर्फ शुभम के बारे में सोच कर,, यहां तो उसकी आंखों के सामने खुद शुभम नंग धडंग हालत में खड़ा होकर कसरत कर रहा था रुचि को इस बात का डर था कि कहीं इस बार वह उसे मात्र देखकर ही ना झड़ जाए,,,,, रुचि के बदन में पूरी तरह से चुदास की लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से वह लंबी लंबी सांसे ले रही थी,,,, वह रस्सी पर सुखते हुए कपड़ों की ओट में सिर्फ अपना चेहरा निकालकर उसे देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी जिसे शुभम देखकर उत्तेजना का अनुभव कर रहा,,,,
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रह रह कर रुचि को उसकी सास वाला नजारा याद आज आ रहा था क्योंकि वह जिस जगह पर खड़ी थी उसी जगह पर उसकी सास छुपकर शुभम से चुदवा रही थी,,,,, उस पल को याद करके रुचि की इच्छा बलवंत वे जा रही थी कि वह भी इसी जगह पर उसकी सास की तरह झुककर शुभम से चुदवाए,,,, यह ख्याल मन में आते ही उत्तेजना के मारे रुचि की फूली हुई कचोरी जैसी बुर फुलने पीचकने लगी थी ,,,। उसकी गहरी चलती सांसों के साथ-साथ उसके ब्लाउज में के दोनों कबूतर ऊपर नीचे हो कर ऐसा लग रहा था मानो कि वह शुभम के हाथों में आने के लिए खुद ही हामी भर रहे हो ,,,
दूसरी तरफ शुभम उत्तेजना से बढ़ता चला जा रहा था वह उसी तरह से पाच पाच किलो के डंबल को ऊपर नीचे करके अपनी कसरती बदन का प्रदर्शन कर रहा था,,, यह बात से हम अच्छी तरह से जानता था कि एक औरत को मर्द का गठीला बदन चौड़ी छाती बेहद पसंद होती है ,,, इतना तो शुभम अच्छी तरह से जानता था कि रुचि उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी है और उस दिन तूफानी बारिश में झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह अचानक हुआ था शुभम उसकी बहुत ही अच्छे से चुदाई करना चाहता,,था,,, और यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका पति उसे अच्छी तरह से चोद नहीं पाता,, है,, तभी तो उस दिन के पानी बारिश में वह बिना किसी विरोध के उससे चुदवाई थी और वह भी पूरी नंगी होकर,, एक औरत इस तरह से गैर मर्द से तभी शारीरिक संबंध बनाती है जब घर में उसका पति उसे ठीक तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता हो,,,, रुचि के इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए शुभम इस समय उसे उकसाने के लिए जानबूझकर अपना दूसरा डंबल नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से बार-बार रुचि की आंखों के सामने ही अपने पेंट में बने तंबू को हाथ लगाकर उसे दबा दे रहा,,था जिसको देखकर रुचि के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,, रुचि पलक झपकाए बिना उस नजारे का आनंद लेते हुए रस्सी पर से सूखे हुए कपड़े को एक-एक करके उतारने लगी,,,,, अपनी तरफ मादक निगाहों से देखता हुआ पाकर शुभम रुचि से बोला,,
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क्या देख रही हो भाभी,,,
वही जो तू दिखा रहा है,,,( रुचि भी उसके सवाल का जवाब खुले शब्दों में देते हुए बोली,,)
मैं तो कुछ भी नहीं दिखा रहा हूं (शुभम उसी तरह से एक हाथ से डंबल को ऊपर नीचे करते हुए बोला)
यह तो मुझे पता ही है कि तू क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है,,( रुचि रस्सी पर से कपड़े उतारते उतारते रस्सी को हाथ से पकड़ कर खड़ी होते हुए बोली)
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जरूरी तो नहीं किसी भी खूबसूरत औरत को देखकर खड़ा कर लो,,,
भाभी जी ऐसी वैसी औरत को देखकर ये नहीं खड़ा होता यह तो सिर्फ आपको देखकर ही खड़ा हुआ है,,
अच्छा मैं कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लगती हूं क्या तुझको जो मुझको देखकर तूने अपना खड़ा कर लिया है,,( रुचि उसी तरह से रस्सी को पकड़े हुए ही बोली,,,)
भाभी जी यह सब को नहीं जानता आपको तो पहचानता है और वह भी अच्छी तरह से,,,
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आखिरी मुझको क्यों पहचानता है,,,?
क्योंकि भाभी जी इसने आप की गहराई को नाप लिया है,,
( शुभम उसी तरह से अपनी चौड़ी छाती और अंडर वियर में बने तंबू की नुमाइश करते हुए डम डम तो ऊपर नीचे करके वह बोला,,)
हाय,,,,, ज्यादा गहरी लगी क्या तुझको,,,( लंबी आहें भरते हुए रूचि बोलीं,,)
ठीक से देख नहीं पाया,,, भाभी जी,,,,
अकेली हूं घर पर ठीक से देखना है तो आजा कमरे में तुझे अच्छे से दिखा दूंगी,,,
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हाय मेरी भाभी,,, भगवान तेरी जैसी भाभी सबको दे,,( इतना कहकर शुभम डंबल को नीचे जमीन पर रख दिया और फिर रुची की तरफ आगे बढ़ने लगा,,, यह देखकर रुचि के तन बदन में गुदगुदी होने लगी,, वजह से जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे रुचि के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी, शुभम पूरी तरह से जोश में आ गया था।,,, जैसे जैसे वह अपनी टांगों को आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसके अंडर वियर में बना तंबू हील रहा था और उसका हीलना देखकर रुचि का पूरा वजूद डगमगा रहा था,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा था,, देखते ही देखते शुभम उसके बेहद करीब पहुंच गया,, बार-बार और रोजी उसके अंडर वियर में बने तंबू को देख ले रही थी क्योंकि रुचि जैसी प्यासी औरत के लिए शुभम के अंडरवियर के अंदर का सामान ही सबसे बड़ा खजाना था,, जिसे वह अपने दोनों हाथों से लूटना चाहती थी,, अपने अरमान और धड़कते दिल पर काबू करते हुए रुचि ठंडे लहजे में बोलीली,,)
मेरी जैसी भाभी क्यों,,?
क्योंकि तुम्हारी जैसी भाभी ही अपने देवर को कुछ भी दिखा सकती हो और कुछ भी दे भी सकती है,,,( शुभम रुचि के बेहद करीब पहुंच कर लंबी-लंबी सांसे लेते हुए बोला,, वह अपनी गहरी सांसो से रुचि को इस बात का अहसास दिलाना चाहता था कि वह पूरी तरह से कामाग्नि के जोर में चल रहा था वह पूरी तरह से चुदवासा हो गया है,,, और उसे जो चाहिए वह सिर्फ रुचि ही दे सकती है,,,
रुचि भी उसकी हालत को देखकर समझ गई थी कि अब कुछ भी हो सकता है जिसके लिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,, शुभम की बात का जवाब देते हुए रूचि बोली,,,)
मेरे पास तो ऐसा कुछ भी नहीं जो मैं तुझे दे सकूं या दिखा सकूं,, ( शुभम को अपने बेहद करीब पाकर रुचि का बदन कसमसा रहा था उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,)
तुम्हारे पास सब कुछ है भाभी मैं जानता हूं साड़ी के अंदर छुपा कर रखी हो,,, ऐसा खजाना जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता है,, जिसे पाने के लिए हर कोई मचलता है,,,
तू मचल रहा है,,?
हां भाभी मैं तो कब से मचल रहा हूं तड़प रहा हूं तुम्हें छत पर देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा था ,,(यह सब कहते हुए तुरंत अपनी अंडरवियर में तने हुए तंबू पर हाथ रखते हुए.. जिससे रुचि का ध्यान उसी तरफ चला गया और उसकी हरकत को देखकर रुचि का भी मन,, मचलने लगा, रुचि के तन बदन में आग लगने लगी,,, वह गहरी सांसे लेते हुए शुभम के तंबू को देख कर बोली,,,)
देखना चाहेगा मेरे खजाने को,,,,( रुचि एकदम मादक स्वर में बोलीं,,)
कौन बेवकूफ होगा जो नहीं देखना चाहेगा,,(शुभम उसी तरह से अंडर वियर के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला शुभम की ये हरकत प्यास से भरी हुई रूचि के बदन में आग लगा देने वाली थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल शुभम का भी था,, )
तू देखना चाहेगा,, अगर देखना हो तो मेरे कमरे में आना होगा,,(रुचि का मन तो बहुत कर रहा था इसी समय अपनी साड़ी उठाकर उसने रसीली बुर दिखाने की,, लेकिन वह शुभम को इसी बहाने अपने कमरे में बुलाना चाहती थी जहां पर वह इत्मीनान से उसे अपना एक-एक अंग खोल कर दिखा सके और उसे प्यार करने,,दे,,, लेकिन शुभम को इस समय साबर बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखों के सामने उसके पास में जवानी से भरपूर एक प्यासी औरत खड़ी थी जो अपनी रसीली बुर को दिखाने के लिए तैयार थी और ऐसे में शुभम इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था ऐसे तो वह उसके कमरे में भी जाकर सब कुछ देख सकता था लेकिन उसे अभी देखना था और अपनी वह इस लालच को दबा नहीं पाया और बोला,,)
नहीं भाभी मुझे अभी देखना है मैं कमरे में आकर तो कभी भी देख लुंगा लेकिन मेरी इच्छा इसी समय तुम्हारी रसीली बुर को देखने कि कर रही है,,,( सुभम ने एकदम साफ शब्दों में बोल दिया,,)
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कोई नहीं देखेगा भाभी यहां छत पर कोई नहीं आता इस समय इस शहर की सबसे सुरक्षित जगह है जहां पर कोई नहीं,, आता,,, बस एक बार मुझे अपनी बुर के दर्शन करा दो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा,,( शुभम एकदम गिडगिडाते हुए स्वर में बोला,,, शुभम इस तरह से व्यवहार कर रहा था कि जैसे वह रूचि की बुर को देखा ही ना हो जबकि वह उसकी बुर में अपना पूरा लंड डालकर उसकी जमकर चुदाई कर चुका था,,, लेकिन मर्द की हमेशा से यही आदत रहती है कि वह औरत के अंग को चाहे जितनी बार भी देख ले लेकिन उसका मन नहीं भरता,, और यही कारण था की वह रुची से उसकी बुर दिखाने के लिए मिन्नतें कर रहा था,,, और यह देखकर रुचि अंदर ही अंदर प्रसन्नता के साथ-साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी,,,,, रुचि नखरा दिखाते हुए बोली,,,)
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क्या भाभी नखरा कर रही है यहां कोई नहीं देखने वाला मेरा विश्वास करो,,(यह कहते हुए शुभम का मन तो हो रहा था कि उसे उसके सास वाली बात सब बता दे कि वह उसकी सास की वहीं पर सुधार किया था और कोई भी नहीं देख पाया था,, लेकिन यह वाली बात बताना उचित नहीं समझा इसलिए कुछ बोला नहीं,,)
कैसे विश्वास करूं शुभम देख रहे हो खुली छत हैं और अपने चारों तरफ भी छत ही छत हैं कोई देख लिया तो,,,
मेरा विश्वास करो भाभी कोई नहीं देखेगा अगर नहीं दिखाओगी तो मैं खुद ही तुम्हारी साड़ी उठाकर देख लूंगा,,,,
अरे वाह इतनी जबरदस्ती,,,,(रुचि अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)
नहीं दिखाओगी तो मुझे तो जबरदस्ती करना ही पड़ेगा भाभी,,, इतना नखरा जो कर रही हो,,,
मैं कहां नखरा कर रही हूं,,
नखरा ही तो कर रही हो भाभी उस दिन तूफानी बारिश में कैसे सब कुछ खोल कर मेरे हवाले कर दी थी और वहां तो तुम बिना कुछ बोले एकदम नंगी हो गई,,थी,, और देख रही हो मेरी हालत ( अपने हाथ से अपने अंडरवियर को नीचे खींच कर अपने खड़े लंड को दिखाते हुए,,,) कितनी खराब होती जा रही है,,
हालत खराब हो रही है या हालत रंगीन होती जा रही है,,
मैं कुछ नहीं जानता भाभी दिखाना है तो दिखा वरना मैं जा रहा हूं,,,(इतना कहकर वह जानबूझकर सिर्फ दिखावे के लिए जाने को हुआ तो रुचि तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोली,)
नाराज क्यों हो रहा है रे दिखा रही हुं ना,,,, लेकिन कोई आ ना जाए,,
यहां कौन आएगा भाभी तुम्हारी सास तो है नहीं,,,
लेकिन तेरी मम्मी तो है ना अगर वह आ गई तो,,
नहीं आएगी मेरा भरोसा करो,,,
( शुभम उसे विश्वास दिलाते हुए बोला और रुचि अपने मन में सोच रही थी अगर आप ही जावे तो भी उसका दिल शुभम को अपनी बुर दिखाने को कर रहा था इसलिए अपने आप को रोक नहीं पाए और बोली,,,)
देख सुगंध तुझ पर विश्वास करके मैं तुझे यहां पर दिखा रही,,हु,,(इतना कहते हुए वह अपने चारों तरफ देखकर तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,, और इतना कहने के साथ ही वह अपने दोनों हाथ को अपनी साड़ी पर रखकर उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खींचने लगी,,)
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