शुभम को यह लग रहा था कि उसके कहने पर रुचि उसे अपनी रसीली बुर दिखाने के लिए तैयार हो गई है लेकिन हकीकत यही थी कि भले ही शुभम उसे दिखाने के लिए बोल रहा था लेकिन वह पहले से यही चाहती थी कि वह शुभम को अपनी रसीली चिकनी बुर दिखा कर एक बार फिर उसे अपनी जवानी की मदहोशी में मदहोश कर देगी,, और इसी लिए ही संध्या के समय, खुली छत पर रुचि अपनी को दिखाने के लिए तैयार हो गई, थी,,।
धीरे-धीरे शाम ढल रही थी आसमान में पंछियों का झुंड वापस अपने घोसले की तरफ वापस उड़ता चला जा रहा था,,,, मंद मंद शीतल हवा बह रही थी, जिसकी ठंडक का एहसास रुचि की मादकता भरी गर्म जवानी को छूकर पसीने की बूंद बन कर उसके बदन से टपक रही थी,,,, दोनों पूरी तरह से निश्चिंत थे क्योंकि उन दोनों की छत बाकी सबके छत से काफी ऊंची थी,, दोनों के तन बदन में उत्तेजना की लहर अपना असर दिखा रही थी दोनों की सांसे गहरी चल रही थी। शुभम काफी उत्साहित और उत्सुक नजर आ रहा था रुचि की बुर के दर्शन करने के लिए इसलिए तो वह लगातार अपने अंडर वियर में बने तंबू को मसल रहा था,,
तेज चलती सांसो के साथ रुची धीरे-धीरे अपनी साड़ी को अपनी उंगलियों के सहारे से ऊपर की तरफ खींच रही थी और जैसे जैसे साड़ी उसकी टांगों को नंगी करते हुए ऊपर जा रही थी वैसे वैसे शुभम का दिल और तेजी से धड़क रहा था,,,,, सुभम ये बात अच्छी तरह से जानता था कि भले ही वह रुची की जमकर चुदाई कर चुका था लेकिन सही ढंग से ठीक तरह से उसकी बुर को अपनी आंखों से नजर भर कर देखा नहीं था,,,, इसलिए वह रुचि के उस बेहतरीन अंग को देखना चाहता था जिसमें वह पहले से ही अपने लंड को डालकर उसकी चुदाई कर चुका,,था,,,
Ruchi ki madmast chuchiya
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शुभम यह जानते हुए कि छत पर कोई आने वाला नहीं है फिर भी इधर उधर देख ले रहा था और वापस उसकी नजर रुचि की टांगों के बीच चिपक सी जा रही थी,,, देखते ही देखते रुची ने अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी,,,
उसके बाद जो नजारा शुभम की आंखों के सामने नजर आया उसे देखते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,, उसके जिस्म में जैसे कि सांस आना बंद हो गई हो,, उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,, आखिरकार वो कर भी क्या सकता था नजारा ही कुछ ऐसा था कि शुभम क्या दुनिया का कोई भी मर्द देखता तो वह दंग रह जाता,,
रुचि पहले से ही तैयारी करके छत पर आई थी, क्योंकि उसने साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी,,, जिसकी वजह से साड़ी के उठते ही,, जैसे ही शुभम की नजर रुचि की नंगी बुर पर गई वह सारा माजरा समझ,, गया,, और पल भर में ही उसका लंड इतना अत्यधिक कड़क हो गया कि मानो कोई लोहे की छड़ हो,,,
सुभम की आंखों के सामने रूचि की रसीली गुलाबी पत्तियों के अंदर कैद बुर थी,, और वह भी काफी फुली हुई थी,, एकदम कचोरी की तरह,,,, ऊसपर बालों का नामों निशान नहीं था,, ऐसा लग रहा था मानो कि अभी अभी उसने महंगी वीट क्रीम लगाकर साफ करके आई हो,,, शादीशुदा औरत होने के बावजूद भी उसकी बुर अभी भी केवल एक पतली लकीर की शक्ल में ही नजर आ रही थी,, जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि रुची की बुर में अब तक शुभम के मोटे लंड की सेवा उसके पति का पतला ही लंड घुसा है इसीलिए तो वह बराबर खुल नहीं पाई है,, वरना अभी तक उसकी गुलाबी पत्ती बुर के बाहर झांक रही होती,,,, लेकिन यह शुभम के लिए बेहद खुशी की बात थी कि उसे एक बार फिर से रसीली कसी हुई बुर चोदने को मिलने वाली थी,, हालांकि सुभम एक बार रुची की बुर का आनंद ले चुका था लेकिन अब सुभम रुचि की इत्मीनान से लेना चाहता था,,
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इसलिए तो रुचि की नंगी बुर देखकर शुभम एकदम काम भावना से भर गया,,,, यही हाल रूचि का भी हो रहा था वह भी उत्तेजना से भरने लगी थी इस तरह से अपनी साड़ी उठाकर शुभम को बोल दिखाने की वजह से उसके तन बदन में आग लग रही थी और वह अपनी काम भावना को दबा नहीं पा रही थी जिसकी वजह से उसकी बुर में से उसका मदन रस अमृत की बूंद बन कर बुर की दरार से बाहर निकलकर टपकने को हुआ ही था कि उस पर नजर पड़ते ही शुभम अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस पर अपनी उंगलियां रखकर हल्कै से दबा दिया जिससे रुचि के मुंह से सिसकारी निकल गई और शुभम बोला,,
Shubham ruchi ki chuchi se maje leta hua
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यह क्या दिखा दी भाभी तुमने तो मुझे जन्नत का द्वार दिखा दी और ऐसा कहते हुए हल्के हल्के अपनी उंगली को उसकी पूरी हुई बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे रुचि पूरी तरह से गरमाने लगी,,
ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, शुभम देखा तो है तुने और डाला भी है,,,,( इतना कहने के साथ ही आनंद की अनुभूति करके उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी क्योंकि उसके बोलते ही शुभम ने अपनी एक उंगली धीरे से उसकी बुर की दरार के अंदर सरका दिया,,,)
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ससससहहहहह,,,आहहहहह,,,, सुभम,,ऊहहहहहहह,,,,
( रुचि की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर शुभम समझ गया कि बहुत गर्म हो गई है,,, वह उसी तरह से अपनी एक उंगली को उसके घर के अंदर बाहर करता रहा रुचि पूरी तरह से कामोत्तेजना में डूबती चली जा रही थी उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर शुभम के अंडरवियर को नीचे करके उसके खड़े लंड को हाथ में लेकर जोर-जोर से हीलाना शुरू कर दी,, एक प्यासी औरत के लिए किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेना है उसकी कामोत्तेजना की परिभाषा को दर्शा देता है,, यह उस औरत की तरफ से मौन स्वीकृति होती है कि वह चुदाई के लिए किसी भी हद तक जा सकती है कुछ भी कर सकती है,,, और शुभम की रुचि की इस मानसिक विकृति को स्वीकार करके अपनी उंगली को जोर-जोर से उसके घर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया उससे दुगना आनंद ले रहा था एक तरफ तो वह रुची की बुर से खेल रहा था और दूसरी तरफ रुचि खुद उसके लंड से खेल रही थी जो कि इस समय अपनी औकात में आ चुका, था,,,,,
रुचि शुभम कै लंड की गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करके पूरी तरह से पिघलने लगी,,, जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के लंड को अपने हाथ में ले रही थी और वह भी ऐसा वैसा मत बनाइए खास दम दमदार मर्दाना ताकत और जोश से भरा हुआ था जिसे औरत अपनी बुर में लेने के बाद सारी दुनिया को भूल जाती है और बस उसी के आनंद में खो जाती है ,,, इसीलिए तो रुचि दिल दुनिया से बेखबर होकर संध्या के समय अपने ही छत पर, शुभम के द्वारा उंगली चौदन का मजा लेते हुए उसके लंड को हिला रही थी,,
रुची को आज शुभम के मोटे तगड़े लंबी को अपने हाथ से मुठीयाने में इतना आनंद की अनुभूति हो रही थी कि आज तक उसे अपने पति का छोटा लंड पकड़ने में भी उस आनंद का अहसास तक नहीं हुआ था,, वह जोर-जोर से शुभम के लंड को हिला रही थी,, और शुभम लगातार अपनी एक उंगली से रूचि की बुर को चोद रहा था जिससे रुचि एकदम मस्त हुए जा रही थी,,,
साड़ी की ओट में दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे,,थे,, रुचि को मोटे लंड की आवश्यकता अत्यधिक हो रही थी, क्योंकि उसकी गर्म सिसकारी की आवाज पूरे छत पर गूंज रही थी लेकिन उससे साड़ियों को सुनने वाला केवल शुभम ही था जो कि उसकी इस गरम सिसकारियों की आवाज को सुनकर जोश से भरा जा रहा था,,
Ruchi or shubham chat par maje lete huye
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ससससहहहह,,, आहहहहह,,, शुभम मेरे राजा तूने तो मुझे पागल कर दिया रे,, मेरी बुर में खुजली हो रही है,, और तेरी उंगली से खुजली जाने वाली नहीं है,,, उंगली निकालकर अपना मोटा लंड डाल दे रे ,,,,
( रुचि कि ईस तरह की मादक बातों को शुभम सुन तो जरूर रहा था लेकिन जवाब नहीं दे रहा था वह लगातार अपनी उंगली को उसके बुर के अंदर बाहर करके उसे चोद रहा था उसमें से चप्प,,, चप्प,,, की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर उसका लंड और ज्यादा टाइट हो रहा,, बहुत ज्यादा रुचि को तड़पाना चाहता था इसलिए वह एक उंगली के साथ-साथ अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर की गुलाबी छेद में ठेल दिया,,, जैसे ही उसकी दूसरी उंगली रुचि की बुर के अंदर गई रुचि के मुंह से आह निकल गई,, लेकिन दर्द के साथ-साथ उसे आनंद की भी अनुभूति हो रही थी वह आंखें बंद करके गरम सिसकारी लिए जा रही थी और रह रह कर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए शुभम की उंगली पर अपनी गोलाकार गांड को नचा रही थी,,,,
धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ता जा रहा था शुभम को भी काफी देर हो गई थी छत पर आए,, और शुभम ने काफी अत्यधिक उत्तेजना के बवंडर में रुचि को झकझोर के रख दिया था,, क्योंकि अब उसकी सांसे और ज्यादा तेज और गहरी चल रही थी मौके की नजाकत को समझते हुए शुभम अब उसकी बुर में लंड डालना ही उचित समझ रहा था,, और जैसे ही सुगम अपनी उंगली को उसकी बुर से बाहर निकालकर अपना मोटे लंड का सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श कराया तो उसका पूरा शरीर उत्तेजना के मारे झनझना गया,,,, और जब तक वह अपनी आंखें खोल कर अपनी टांगों के बीच के इस नजारे को देख पाती तब तक शुभम फुर्ती दिखाते हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के अंदर सरका दिया था,,, दोनों बिल्कुल सीधे-सीधे खड़े थे ऐसे नहीं शुभम अपने लिए जगह नहीं बना पा रहा था कि उसके घर के अंदर वह पूरा लंड डाल सके,, इसलिए उचित पोजीशन बनाने हेतु वह रुचि की मोटी मोटी जागो को उसके घुटनों से पकड़ कर उसे हल्के से उठा लिया जिससे शुभम के लिए उसकी पुर के अंदर अपना मोटा लंड डालने की जगह अच्छी तरीके से बन गई,, अब सुभम रुची की बुर के अंदर अपना पूरा समूचा लंड डालकर उसकी चुदाई कर सकता था और देखते ही देखते शुभम अपने मोटे तगड़े लंड को धीरे-धीरे करके उसकी बुर की गहराई में डाल दिया,,,, जैसे-जैसे शुभम का मोटा लंड रुचि की बुर के अंदर दस्ता जा रहा था वैसे वैसे रुचि के चेहरे का हाव भाव बदलते जा रहा था कभी उसपे पीड़ा के भाव नजर आते तो कभी आनंद की लालिमा छा जाती थी,,,,
सुदामापुरी औकात में आ चुका था उसके ऊपर रुचि को चोदने का जोश पूरी तरह से सवार हो चुका था इसलिए अपना पूरा लंड बुर में डालकर चोदना शुरु कर दिया था और सहारे के लिए अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके गोल गोल गांड को अपनी हथेली में पकड़ कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था,, रुची को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि सुभम ऊसे इस तरह से खड़े खड़े चोदेगा वह तो सोची थी कि उसकी सास वाला दृश्य फिर से पुनरावर्तन होगा,,,, शुभम उसकी भी झुका कर पीछे से लेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ शुभम खड़े-खड़े उसके ले रहा था और रुचि को इसमें बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,
दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप और संवाद नहीं हो रहा था शुभम रुचि की खूबसूरती में मस्त होकर उसके गुलाबी होठों को चूसते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,
रुचि अपनी टांगों के बीच के नजारे को देखकर अंदर ही अंदर मचल उठ रही थी क्योंकि उसे केवल एक मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के अंदर बाहर होता नजर आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था ईतना मोटा लंड उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में चला गया,,,,
शुभम जोर-जोर से उसकी गोल गोल गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए धक्के पर धक्के पेल रहा था,,, रुचि एकदम मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शुभम इस तरह से भी उसे संतुष्ट कर सकता है उसकी गर्म सांसे शुभम के चेहरे पर पड रही थी,,, शुभम अपनी धक्कों की रफ़्तार को बढ़ाता जा रहा था,,, रुचि को महसूस होने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है उसकी सांसे गहरी चलने लगी,, रुचि शुभम को कसकर अपनी बाहों में दबोचे हुए थे और शुभम उसकी गांड को जोर से दबाते हुए अपने धक्के लगा रहा,,था,,,
दोनों की सांसे तेज चल रही थी,, शुभम को इस बात का अहसास हो गया कि रुचि के साथ-साथ वह भी एक दम चरम सुख के करीब पहुंचता जा रहा है इसलिए वह,, रुचि को उसके गोल गोल नितंबों के सहारे पकड़कर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,, हर धक्के के साथ गुरु जी की आंगन जा रही थी क्योंकि जिस तरह से वह धक्के लगा रहा था और उसी को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने लंड को उसकी बुर की गहराई में गाड़ देगा,,,
शुभम का लंड उसे दर्द जरूर दे रहा था लेकिन मजा भी बहुत दे रहा था इस बात की संतुष्टि उसे अपने मन में थी और इसीलिए तो वह शुभम से चुदवाने का पूरा आनंद लूट रही थी,, शुभम धकाधक अपना लंड पएल रहा था,,,
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को देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,, शुभम अपना पूरा गर्म लगा उसकी बुर के अंदर ऊड़ैल दिया,,, झड़ने के बाद रुचि खुद उसे उसी स्थिति में लगभग 1 मिनट तक यूं ही पकड़े रहे ताकि उसकी लंड का आखिरी बूंद तक उसकी बुर के अंदर निचोड़ लें,,,,
वासना का तूफान थम चुका था रुची अपने वस्त्र को दुरुस्त करके रस्सी पर से सूखे कपड़े उतार कर नीचे चली गई और शुभम भी अपने काम में व्यस्त हो गया,,