रुचि आज बहुत खुश नजर आ रही थी ,,,,आज उसकी शादी की सालगिरह थी ऐसे में उसके परिवार का एक सदस्य भी घर पर नहीं था लेकिन उसे कोई दुख नहीं था इस बात का क्योंकि आज कि वह शादी की सालगिरह शुभम के साथ मनाना चाहती थी,,,, इसलिए वह तैयार होकर बाजार के लिए निकल गई उसे कुछ सामान खरीदना था ,,ताकि आज अपनी सालगिरह पर कुछ नया कर सकें ।
दोपहर के 1:00 बज रहे थे धूप काफी थी जिससे रुचि को भी गर्मी का एहसास हो रहा था ऐसे में वह बाजार में घर का सामान खरीद रही थी,,, आज वह शुभम को खाने पर बुलाना चाहती थी जिसके लिए उसने पूरी तैयारी करते हुए पनीर हरी मटर कुछ कोल्ड ड्रिंक्स वगैरा-वगैरा खरीद चुकी थी,,, वह खरीदी कर चुकी थी गर्मी की वजह से उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। लेकिन फिर भी उसे इस बात का कोई गम नहीं था क्योंकि आज शादी के बाद पहली बार वह इस तरह से खुले में अकेले बाजार घूमने निकली थी। पर शादी के बाद औरत की जिंदगी कितनी बदल जाती है यह बात वह अच्छी तरह से जानती थी।
इसलिए वह कुछ दिन की आजादी का भरपूर फायदा उठाना चाहती थी इसलिए तो पसीने से तरबतर होने के बावजूद भी वह खुश नजर आ रहे थे उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी जो कि हर मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी पीली साड़ी में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खिल उठ रहा था,,,
उसके दोनों हाथों में सामान से भरे हुए थैले थे जिसकी वजह से वह कुछ तन कर चल रही थी और इस वजह से उसके दोनों कबूतर कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल कर फड़फड़ाते हुए नजर आ रहे थे,,, मर्दों के लिए तो इसी पल का जैसे बेसब्री से इंतजार होता है और जिस तरह से चल रही थी उसके ब्लाउज में से उसके निप्पल कुछ ज्यादा ही भाले की तरह निकली हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी उसकी निप्पल ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएगी और यह बात रुचि भी अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि बार-बार उसका ध्यान अपनी दोनों चुचियों पर चला जा रहा था लेकिन फिर भी वह इस बात से बेहद असहज थी पर वह सामान्य तौर पर ही अपने कदम आगे आगे बढ़ाते हुए आगे बढ़ रही थीं,,,
थैले का वजन कुछ ज्यादा था जिससे उससे उठाया नहीं जा रहा था,,, और वचन उठा कर चलने की वजह से बार-बार उसकी कमर लचका जा रही है उसके पीछे चल रहे मर्दों की नजर उसकी गोल गोल गांड पर टिकी हुई थी जो कि उसके कदम बढ़ाने के लय के साथ ही उसकी गांड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी,,,, उसके गोल गोल नितंबों को देखकर हर मर्द की आह निकल जा रही थी क्योंकि रुचि के बदन में अभी जवानी की शुरुआत हुई थी उसका बदल का हर एक अंग धीरे-धीरे विकसित हो रहा था,,, वजनदार थैला उठाकर चलने में उसे थोड़ी बहुत परेशानी तो हो ही रही थी लेकिन फिर भी वह आज की पार्टी जो कि सिर्फ वह शुभम को देना चाहती थी उस वजह से काफी उत्साहित भी थी,,,,
वह फुटपाथ पर अकेले पैदल चली जा रही थी कि तभी उसे सामने से मोटरसाइकिल पर आता हुआ शुभम दिखाई दिया उस पर नजर पड़ते ही रुचि के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगी और वह तुरंत चिल्लाकर उसे आवाज दी,,,
शुभम,,,,,,वो,,,,,, शुभम,,,,,
( अपना नाम सुनते ही शुभम इधर-उधर देखने लगा तो तभी उसे सामने रोड के दूसरी छोर पर रुचि दिखाई दी जिसके हाथों में बड़े-बड़े दो थेले थे वह देख कर समझ गया कि वह खरीदी करने आई है और उसे देखकर वह काफी खुश भी नजर आ रहा था वह तुरंत अपनी मोटरसाइकिल उसकी तरफ मोड़ दिया और तुरंत उसके पास जाकर बाइक खड़ा करता हुआ बोला,,,)
क्या बात है भाभी आज बड़ी शॉपिंग करने निकली हो,,,,
क्यों मैं शॉपिंग करने नहीं आ सकती क्या ,,,,
नहीं ऐसी बात नहीं है,,,आ सकती हो लेकिन इतनी दोपहर में कितनी धूप लग रही है और आप को देखो पूरे पसीने से भीग गई हो,,(, ऐसा कहते हुए शुभम की नजर सीधे उसके ब्लाउज पर गई जो कि पसीने से भीगी होने की वजह से उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल हल्की-हल्की नजर आ रही थी और उस पर नजर पड़ते ही वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
क्या बात है भाभी आज बाजार से बहुत ही अच्छे किस्म की चॉकलेट खरीदी हो लगता है,,,,
चॉकलेट ,,,,नहीं तो मैंने कोई चॉकलेट नहीं खरीदी हुं,,,( शुभम की बात सुनकर रूचि आश्चर्य से बोली ,,,)
लेकिन मुझे तो दिखाई दे रही है भाभी ,,,,,
लेकिन मैंने तो कोई भी चॉकलेट नहीं खरीदी हुं ,,,तो तुम्हें कैसे दिखाई दे रही है,,,
तुम्हारी ब्लाउज में,,,,,( शुभम एकदम बेशर्म की तरह बोला और शुभम की बात सुनकर उसकी नजर सीधे अपने ब्लाउज के ऊपर गई तो उसे अपनी स्थिति का आभास हुआ और वह शर्मा गई,,,)
धत्,,,, तू बड़ा बेशर्म है,,,,,
अच्छा मैं देख लिया तो बेशर्म हूं और तुम दिखा रही हो तो,,,
तो मैं जानबूझकर थोड़ी दिखा रही हु ये तो पसीने की वजह से ऐसा हो गया है ,,,,
चलो जैसे भी हुआ है लेकिन मैं तो बहुत ही स्वादिष्ट चॉकलेट,,,,
इसका स्वाद लेना है तो आ जाना घर पर आज मेरी शादी की सालगिरह है,,,,( रुचि शरमाते हुए बोली,,)
क्या बात है भाभी आज आपकी शादी की सालगिरह है लेकिन सालगिरह तो अपने पति के साथ मनाते हैं मुझे क्यों बुला रही हो,,,
तेरे काम भी तो सब पति वाले ही है ,,,
कौन से काम भाभी जी चुदाई वाले,,,,
थोड़ा शर्म तो कर कोई आते-जाते सुन लेगा तो क्या सोचेगा मेरे बारे में,,,( रुचि इधर उधर देख कर बोली )
कोई नहीं सुनेगा भाभी,,,
अच्छा ये बता शाम को खाने पर आएगा कि नहीं मैंने तेरे लिए ही शाम को छोटी सी पार्टी रखी हुं वह भी सिर्फ तेरे लिए ही इसलिए लिए खरीदी करने आई हुं,,,,
सच भाभी सिर्फ मेरे लिए ही,,,,,
हा रे सिर्फ तेरे लिए ही ,,,,
तब तो बहुत मजा आएगा भाभी सिर्फ मैं और तुम बहुत मजा आएगा,,,,,
तभी तो तुझे बुला रही हूं आएगा ना ,,,,
जरूर आऊंगा भाभी लेकिन मम्मी ,,,,(थोड़ा सोचने के बाद) कोई बात नहीं मैं जरूर आऊंगा आप बुलाओ और मैं ना आऊं ऐसा हो नहीं सकता लेकिन मुझे तुम्हारी यह चॉकलेट (चूची की तरफ इशारा करते हुए) खिलानी पड़ेगी ,,,,
जरूर खा लेना यह सब तेरा ही तो है (रुचि मुस्कुराते हुए बोली )अब चल मुझे जल्दी से अपनी गाड़ी पर बैठा कर घर पर छोड़ दे बहुत तेज धूप लग रही है,,,
अभी लो भाभी( इतना कहकर शुभम अपनी मोटरसाइकिल को घुमा लिया और रुची दोनों थैले को मोटरसाइकिल में टांग कर अपनी मदमस्त गोलाकार गांड को मोटरसाइकिल की सीट पर रखकर बैठ गई और एक हाथ उसके कंधे पर रख ली ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उसका पति हो ,,,,वो बहुत खुश नजर आ रही थी शुभम भी मोटरसाइकिल की एक्सीलेटर देकर मोटरसाइकिल को आगे बढ़ा दिया उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी वह शाम का इंतजार करने लगा था रुचि का घर आ गया रुची को वही उतार कर अपने घर चला गया,,,।
शुभम का समय आज काटे नहीं कट रहा था वक्त की सुई बहुत ही धीरे-धीरे गुजर रही थी बार-बार उसकी नजर दीवार से लगी हुई घड़ी पर चली जा रही थी जिसमें अभी भी काफी समय था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और उसके मन में रुचि के घर जाने की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि वह सिर्फ खाने के लिए ही नहीं बुलाई है ,,,,बल्कि एक औरत के साथ मर्द का जो काम होता है वही करवाने के लिए बुलाई है,,, वैसे भी अब उसके पास समय ही समय था लेकिन एक छोटी सी समस्या उसके सामने थी कि वह अपनी मां से कैसे इजाजत मांगेगा घर से बाहर जाने के लिए क्योंकि उसकी मां रात को घर से बाहर जाने की इजाजत कभी नहीं देती थी,,,, इसलिए उसके मन में एक युक्ति सूझी और वहां अपनी मां के पास गया जो कि रसोई घर में खाना बना रही थी धीरे-धीरे करके शाम ढल चुकी थी,,,, वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर लिया और उसके कान में धीरे से बोला।
आई लव यू मम्मी तुम बहुत अच्छी हो ,,,,,
आज यह मस्का किस लिए,,,( निर्मला उसी तरह से आटा गुंथते हुए बोली,,)
मस्का कहां लगा रहा हूं मम्मी मैं तो सच कह रहा हूं आप बहुत अच्छे हो,,,,
बेटा मैं तेरी मां हूं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम मुझे मस्का लगा रहा है जरूर कुछ काम निकालना है,,,
क्या बात है मम्मी आप तो सब कुछ जानती हो मम्मी आपसे एक काम था क्या काम था बोल,,,
अरे वाह मम्मी आपके सब कुछ जानती हो तो मम्मी ने एक बात बोलूं,,,
बोल,,,,
क्या ना मम्मी मेरे दोस्त लोग ना अच्छे से परीक्षा खत्म हो गई ना इसके लिए एक छोटी सी पार्टी रखे थे मतलब कि उस का जन्मदिन भी है और वह,,,, मैं तो जाने वाला नहीं,,,,, था लेकिन उसकी मम्मी पापा ,,,,,ही मुझे खासतौर पर बुलाए हैं इसलिए मुझे,,,,,, अगर आप कहो तो मैं चला जाऊं,,,,( शुभम अपनी मां से डरते डरते हक लाते हुए बोला कि को अच्छी तरह से जानता था उसकी मां ज्यादातर उसे घर से बाहर और वह भी रात के समय जाने नहीं देती थी,,,)
शुभम तू तो जानता है कि मैं तुझे रात के वक्त कहीं नहीं जाने देती लेकिन फिर भी तो कह रहा है तो आज मैं तुझे जाने की इजाजत दे देती हूं लेकिन जल्दी आ जाना,,,
( शुभम कोई ऐसी उम्मीद अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं थी वह यही सोच रहा था कि उसकी मां घर से बाहर जाने की इजाजत उसे नहीं देगी लेकिन जैसे ही वह उसे जाने की इजाजत थी वह अपने आप को रोक नहीं पाया और अपनी मां के गले से लग गया वह काफी खुश था और वह जल्दी से जा कर तैयार होने लगा,,,, घड़ी में 8:00 का समय हो रहा था वह काफी उत्साहित हो रहा था क्योंकि अब समय आ गया था उसके घर जाने के लिए इसलिए वह घर से बाहर जाने के लिए निकला तो उसकी मां उसे रोकते हुए बोली,,,)
तू अपने दोस्त के घर जाएगा कैसे बाइक लेकर जा रहा है,,,
नहीं मम्मी बाइक लेकर मैं नहीं जा रहा हूं आगे रास्ते से मेरा दोस्त अपनी गाड़ी पर मुझे ले जाएगा,,,
कोई बात नहीं आराम से जाना,,,,
हां मम्मी में आराम से जाऊंगा,,,( ईतना कहकर वो घर से बाहर निकल गया और सब से नजरें बचाते हुए खास करके अपनी मां से वह तुरंत सरला के घर गया और बेल बजा दिया,,, रुचि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके घर पर इस समय केवल शुभम ही आने वाला है इसलिए वह पहले से ही सारी तैयारी करके रखी हुई थी जैसे ही बेल बजी वह तुरंत दरवाजा खोल दी और जैसे ही दरवाजा खुला शुभम अंदर का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, लाल रंग की ट्रांसपेरेंट गाउन और वह भी इतनी छोटी जैसे कि किसी छोटी लड़की की ड्रेस हो उसकी जांघों तक आ रही थी और उसमें से उसकी लाल रंग की पैंटी और ब्रा सब कुछ नजर आ रहा था गोरे रंग पर यह कलर जानलेवा साबित हो रहा था,,,, शुभम यह नजारा देखा तो देखता ही रह गया उसका गला सूखने लगा उत्तेजना के मारे उसका पूरा शरीर गनगना गया,,,,, शुभम की नजरें उसके गोरे बदन पर ऊपर से नीचे चारों तरफ घूम रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह होश में बिल्कुल भी नहीं था ऐसा लग रहा था मानो उसके जिस्म में सांस आना बंद हो गई हो,,,, शुभम की हालत देखकर रुचि मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी और वह शुभम से बोली,,,,।
इस तरह से दरवाजे पर खड़ा रहेगा या अंदर भी आएगा,,,
(रुची की आवाज सुनकर शुभम की तंद्रा भंग हुई तो वह हड़बड़ा कर कमरे में दाखिल हुआ,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह रुचि से नहीं बल्कि किसी स्वर्ग की अप्सरा से मिलने आया हो रूचि तो पहले से ही खूबसूरत थी लेकिन आज कयामत लग रही थी शुभम को ऐसा लग रहा था कि कहीं वह अपने हुस्न के खंजर से उसके दिल के चित्र लेना कर दे,,,,)
madmast gaand ki maalkin ruchi

भाभी आज तो आप एकदम कयामत लग रही हो कहीं जान लेने का इरादा तो नहीं है,,,
अगर मैं तेरी जान ले लूंगी तो मेरा सपना कौन पूरा करेगा,,,
कैसा सपना भाभी,,,,,
मेरा मतलब है कि मेरी प्यास कौन बुझाएगा,,,,
मैं हूं ना भाभी तुम्हारा दास तुम्हारा गुलाम,,, सब कुछ ,,,
(इतना कहने के साथ ही शुभम आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और तुरंत उसके लाल-लाल होठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया,,, रुचि भी इसी पल का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रही थी इसलिए वह भी पागलों की तरह शुभम का साथ देते हुए उसको होठों को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी शुभम के हाथ बड़ी तेजी से रूचि के संपूर्ण बदन पर घूम रहे थे,,, जहां भी हाथ घुमा रहा था बड़ी शक्ति के साथ उस हिस्से को अपनी हथेली में दबा ले रहा था कभी दोनों हाथों से उसके नितंबों को दबा देता तो कभी उसकी पीठ को मसल देता तो कभी दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसके दोनों कबूतरों को जोर से दबा देता,,, शुभम जिस तरह से पागलों की तरह उसके बदन के साथ सख्ती से पेश आ रहा था उसमें रुचि को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसके मुंह से सिसकारी के साथ-साथ दर्द भरी कराहने की आवाज भी आ रही थी,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे खास करके उन अंगों से जिनकी उन्हें सख्त जरूरत थी शुभम अपना एक हाथ उसकी लाल रंग की पैंटी में डाल कर उसके कोमल अंग को सहला रहा था तो रुचि अपने हाथ को उसके पेंट में डालकर उसके कठोर अंग से खेल रही थी,,, दोनों की उनमादक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं जिसे उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी सुनने वाला नहीं था,,,, लाल रंग की ट्रांसपेरेंट शार्ट गाउन में रुचि के खूबसूरत बदन को देख कर शुभम का पारा एकदम बढ़ने लगा उसकी उत्तेजना परम शिखर पर विराजमान हो गई देखते ही देखते शुभम उसके बदन से एक-एक करके उसके छोटे-छोटे वस्त्रों को उतारना शुरू कर दिया कोई यही काम रुचि भी शुभम के साथ कर रही थी और देखते ही देखते दोनों अगले ही पल एकदम नंगे होकर उनके वस्त्र नीचे जमीन पर पड़े हुए थे शुभम का लंड पूरी औकात में आकर एकदम खड़ा होकर ऐसा लग रहा था मानो वह रुची की बुर को घमासान युद्ध के लिए ललकार रहा हो। और इसमें रुचि की पूर्व भी कुछ कम नहीं थे उसके मुखारविंद का तेज देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह अपने मुंह से आग उगल रही हो क्योंकि रक्त का संचार उसकी बुर के फुले हुए भाग पर इतनी अधिक तेजी से हो रहा था कि उसमें से गर्माहट भरी आंच निकल रही थी जोकि शुभम अपने मोटे तगड़े लंड पर साफ महसूस कर पा रहा था,,,,
दोनों किसी से कम नहीं थे दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे दोनों के बीच घमासान युद्ध होने वाला है,,,,
शुभम एकदम उतावला हो चुका था सब्र का बांध अब टूटने लगा था वह आगे जल्द ही बढ़ना चाहता था इसलिए तो वह तुरंत रुचि की चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया था जिससे रुचि के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी हालांकि रुचि का भी मन बहुत हो रहा था शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर में रहने के लिए लेकिन वह अपने आप पर सब्र किए हुए थी वह चुद वाना तो चाहती थी लेकिन इससे पहले जी भर कर एक दूसरे के अंगों से मजा ले लेना चाहती थी क्योंकि आज तक उसने नहीं ली थी,,,, शुभम पागलों की तरह रुचि की कभी दाईं चूची तो कभी बाय चूची दोनों को मुंह में भरकर बराबर उसका सेवन कर रहा था,,,, सच पूछो तो रुचि को इसमें स्वर्ग सा आनंद मिल रहा था इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी चूची को मुंह में भर कर जी भर के नहीं पिया,,, इसलिए तो रोज ही इतनी मस्त हो गई थी कि वह दोनों हाथ की उंगलियों को शुभम के बालों में डालकर उसे जोर से भींचते हुए उसे अपनी चूची पर दबा के उसे पीने के लिए उकसा रही थी,,,।
ले शुभम और पी,,, पूरा मुंह में भरकर पी,,,,पूरा रस निचोड़ डाल दबा दबा कर के,,,, बहुत मस्त चूसता है रे तू,, ससहहहह,,,,,आहहहहहहह,,, पागल कर दिया रे तूने मुझे इस तरह से तो मेरे पति ने कभी नहीं चुसा मेरी चूची को,,,
सही कह रही हो भाभी भैया ने तुम्हारी चूची के साथ-साथ तुम्हारे जिस्म पर कभी भी ज्यादा ध्यान नहीं दिए हैं तभी तो मेरा ध्यान तुम पर चला गया है अब देखो मैं तुम्हें कैसे एक मस्त औरत बना देता हूं,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम फिर से रुचि की चुचियों पर टूट पड़ा,,, शुभम की कामुक हरकतों की वजह से रूचि एकदम मस्त में जा रही थी उसकी गरम सिसकारियां पूरे घर में गूंज रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए तो वह एक हाथ नीचे की तरफ लाकर सुभम के खड़े लंड को पकड़ कर उसे मुठियाना शुरू कर दी थी,,,
ससससहहहह,,,,,आहहहहहहह,, बहुत मोटा लंड है तेरा सुबह बहुत मजा आता है जब तू अपने लंड को मेरी बुर में डालकर चोदता है मुझे तो यकीन ही नहीं होता की किसी मर्द का लंड कितना मोटा और लंबा होता है,,,
क्यों भाभी भैया का ऐसा नहीं है क्या ,,,,,
हरामी भैया का ऐसा होता तो मैं तेरे पास आती क्या ,,,,तेरे से आधा भी नहीं है तभी तो मैं पागलों की तरह तेरे पीछे घूमती रहती हूं,,, ( बातों ही बातों में रुचि अपना दुखड़ा सुनाते हुए बोली और यह बात सुनकर शुभम को एक बार फिर से अपनी मर्दानगी पर गर्व होने लगा,,,)
बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी मुझे तो ऐसा लगता है कि मेरा लंड आपकी बुर के लिए ही बना है तभी तो देखो तुम्हारी बुर देख कर केसा खड़ा हो गया है,,,( ऐसा कहते हैं मैं शुभम जोर से रूचि की गोल गोल गांड पर चपत लगा दिया,,, जिससे रुचि की आह निकल गई।)
आहहहह,,, क्या कर रहा है लगती है,,,,
लेकिन मजा भी तो आता है ना मेरी रानी ,,,,,
मजा तो आता है लेकिन दर्द भी तो किया ना ऐसे मत चपत लगाया कर ,,,,
अच्छा यह मोटा लंड जब तुम्हारी बुर में जाता है तो कैसे चिल्लाती हो जोर-जोर से,,,, लेकिन मजा भी तो लेती हो,,
( ऐसा कहते हुए शुभम फिर से दो चार चपत एक साथ उसकी गांड पर लगा दिया और देखते-देखते उसकी गोरी गांड एकदम लाल हो और सूची बस हहहहहह करके रह गई यह हकीकत है कि शुभम के चपत लगाने पर पुरवा भी उसकी गांड पर उसे भी आनंद दे रहा था वह एकदम काम विभोर हो चुकी थी,,,,,। उसका भी सब्र का बांध टूटता हुआ नजर आ रहा था क्योंकि शुभम की हरकतें उसके खूबसूरत जिस्म के साथ लगातार जारी थी वो कभी चूचियों से खेल रहा था और ऊपर से उसे मुंह में लेकर भीगी रहा था लेकिन उसकी हथेलियां उसके खूबसूरत बदन पर चारों तरफ घूम रही थी खास करके उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार पर जिस में आग लगी हुई थी बार-बार वह उसे अपनी उंगली से छेड़ दे रहा था जिससे रुचि एकदम मदहोश हो जा रही थी और उसे भी अपने घर के अंदर उसके मोटे लंड को लेने की आवश्यकता जान पड़ रही थी,,,,।
जबरदस्त मादकता से भरा हुआ नजारा रुचि के घर में नजर आ रहा था अपनी शादी की सालगिरह को अपने पति के साथ ना मना कर वह अपने पड़ोस के जवान लड़के के साथ मना रही थी और वह भी पूरी तरह से नंगी होकर पड़ोस का लड़का शुभम भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में पड़ोस की भाभी के साथ उसके जिस्म के साथ खेल रहा था,,, जिसमें उसकी सास का पूरी तरह से खुली छूट थी। और उसी खुद ही छूट का फायदा उठाते हुए रुचि एक जवान लड़की के साथ नग्न अवस्था में उसके अंग से खेल रही थी और उसे भी अपने अंग से खेलने की पूरी इजाजत दे दी थी।
रुचि बार-बार लगातार शुभम के मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिला रही थी तो कभी उसे मुठिया रही थी शुभम भी रुची की नरम नरम ऊंगली और उसकी हथेली का आनंद लेते हुए उसकी चूची को पी रहा था,,,, तकरीबन आधे घंटे से शुभम उसकी दोनों चूचियों को ही पी रहा था देखते ही देखते उसे दबा दबा कर पीकर उसे लाल टमाटर की तरह कर दिया था,,, रुचि भी शुभम के हौसले को देखकर हैरान थी क्योंकि वह आधे घंटे से बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पी रहा था और साथ ही उसके खूबसूरत नंगे जिस्म से खेल भी रहा था और साथ ही वह खुद उसके खड़े लंड को जोर जोर से हिला रही थी लेकिन अब तक मजाल था कि उसका लंड पानी फेंका हो,,, उसकी इसी मर्दाना ताकत की तो वह पूरी तरह से कायल हो चुकी थी इसलिए तो आज अपनी शादी की सालगिरह पर उसे अपने घर पर बुलाकर उसकी जवानी के रस को पूरी तरह से नीचोड़ कर अपने आप को तृप्त करना चाहती थी,,,
दोनों किसी से कम नहीं थे एक मर्दाना जो से भरा हुआ था तो एक मदहोश कर देने वाली जवानी से भरपूर थी,, दोनों का नशा अलग अलग था लेकिन मजा एक ही था,, शुभम का लंड का बगावत के मूड में था वह अपने लिए जगह ढूंढ रहा था,,, उसी से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह कसके रुचि को अपनी बांहों में भर लिया जिससे उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी टांगों के बीच के उस पतली दरार पर ठोकर मारने लगा,,,, शुभम की ईस हरकत की वजह से रुचि की हालत खराब होने लगी,,, बार-बार शुभम के मोटे लंड काम आता छुपाना उसकी बुर के मुख्य द्वार पर रगड़ खा जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो लेकिन यह दस्तक इतनी तेज थी कि मानो दरवाजे को तोड़कर अंदर वह शक्स अंदर आ जाएगा,,,
और यही डर रुचि को भी सता रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं,, लंड की जबरदस्त ठोकर रूपी दस्तक से मजबूर होकर वह अपनी बुर का दरवाजा ना खोल दे और शुभम भी अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा था अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए क्यों किया वह अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर रूचि की बुर पर उसे बराबर रगड़ रहा था जिसका मतलब साफ था कि अब वह उसकी बुर में डालने वाला है,, लेकिन रुची इतनी जल्दी उसे अपने बुर के अंदर नहीं लेना चाहती थी अभी तो पूरी रात बाकी थी और वह पूरा मजा लेना चाहती थी,,, इसलिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर शुभम के लंड को पकड़कर उसे दूर करते हुए बोली,,,,
इतनी भी जल्दी क्या है मेरे राजा अभी तो पूरी रात बाकी है,,,
जैसी आपकी मर्जी रानी साहिबा मैं तो आपका गुलाम हूं जैसा आप कहें वैसा ही होगा,,,( शुभम लगभग हफ्ते हुए रुचि से बोला इतना कहकर वह अपने कपड़े पहनने ही वाला था कि रुचि उसे रोकते हुए बोली,,,)
ऐसे ही रहने दो घर में मेरे और तुम्हारे सिवा तीसरा कोई भी नहीं है इसलिए कपड़ा पहनना जरूरी नहीं है आज मैं और तुम सारी रात नंगे ही रहेंगे तूम यहीं बैठो मैं खाना लेकर आती हूं,,, ( इतना कहकर रुचि रसोई घर की तरफ जाने लगी और सुबह ललचाए आंखों से उसकी मटकती हुई गांड को देखता रह गया और अपने लंड को एक हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,)
Ruchi ki mast gaand se khelta hua shubham

हाय मेरी रानी क्या मस्त गांड है रे तेरी ,,,,(और इतना कहकर वह कुर्सी पर बैठ गया एकदम नंगा रुचि के कहे अनुसार अब दोनों के बीच किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं था )