शुभम हैरान था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा था वह दरवाजे पर ही एकदम ठिठक कर खड़ा रह गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें पूरे कमरे में ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी फैली हुई थी पूरा कमरा फूलों की खुशबू से महक उठा था,,, शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि वह दरवाजे पर एकदम नंगा खड़ा था और सामने बिस्तर पर रुचि एकदम दुल्हन की तरह सज धज कर बैठी थी और पूरा बिस्तर फूलों से सजाया हुआ था मानो किसी की सुहागरात हो,,,
शुभम की नजर कमरे में चारों तरफ घूम रही थी वह हक्का-बक्का रह गया था बिस्तर पर सज धज कर दुल्हन की तरह बैठी हुई रूचि बहुत ही खूबसूरत परी की तरह लग रही थी,,, शुभम समझ नहीं पा रहा था कि रुचि है सब क्या कर रही है कुछ देर पहले कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई थी और खुद भी उसे नंगा रहने के लिए ही बोली थी लेकिन यहां कमरे में आकर वह खुद तैयार होकर लाल साड़ी पहनकर एकदम दुल्हन की तरह सज धज कर बैठी थी और वह इस समय एकदम नंगा ही था,,, शुभम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था फिर भी वह कमरे में प्रवेश कर के दरवाजे को बंद कर दिया हालांकि यह जरूरी नहीं था लेकिन फिर भी तसल्ली के लिए वह दरवाजे को लॉक कर दिया और धीरे धीरे चलते हुए बिस्तर के करीब आने लगा रुचि उसे तिरछी नजरों से चोरी छिपे देख रही थी जो कि चलते चले उसका लंड ऊपर नीचे हिल रहा था जिसे देखकर रुचि के मुंह के साथ-साथ उसकी रसीली बुर में भी पानी का सैलाब उठने लगा,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था मन में तूफान उठा रहे थे वह अपने जज्बातों पर काबू किए हुए बैठे थे माहौल पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था आज उसकी शादी की सालगिरह थी और ऐसे में वह शुभम को पाकर बहुत खुश थी और यही उसके लिए सरप्राइस था कि वह आज की रात उसकी दुल्हन बनी हुई थी और उसे पत्नी की तरह सुख देना चाहती थी या यूं समझ लो कि आज वह एक रात के लिए उसकी पत्नी थी और उसका बिस्तर सुहागरात का सेज बना हुआ था,,, हालांकि वह रोज की चुदाई जरूर करता था लेकिन आज की रात दोनों के लिए कुछ खास थी जो कि शुभम को समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह रुचि के बेहद करीब आकर खड़ा हो गया और रुचि से बोला,,,
यह सब क्या है भाभी आप एकदम दुल्हन की तरह सज कर बैठी हो और बिस्तर को ऐसे सजा दी हो कि जैसे आज आप की सुहागरात हो,,,,
सुहागरात ही समझो शुभम वैसे भी तुम मेरी चुदाई करने के लिए कमरे में आए हो लेकिन आज की रात कुछ खास है मैं चाहती हूं कि तुम आज की रात मुझे आशिक बनकर नहीं बल्कि मेरा पति बनकर मेरी चुदाई करो और मैं आज की रात तुम्हारी दुल्हन हूं,,,
यह क्या कह रही हो भाभी,,,( शुभम आश्चर्य से बोला )

मैं ठीक कह रही हूं शुभम और तुम मुझे भाभी नहीं मेरा नाम लेकर बुलाओ रुचि कहो,,,, मेरा नाम लेकर बुलाओ ऐसा बर्ताव करो जैसा कि एक पति पहली रात को अपनी पत्नी के साथ करता है,,,
( रुचि की बात सुनकर शुभम के तन बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा सूची की बात उसे अच्छी लग रही थी और वैसे भी कौन नहीं चाहेगा रुचि जैसी पत्नी को पाना भले ही वह समय उसकी पत्नी नहीं थी लेकिन फिर भी जिस तरह से रुचि उसे कह रही थी उससे उसे इस बात का अहसास होने लगा कि इस समय वह उसकी पत्नी ही है ऐसा एहसास उसके लंड के तनाव को 10 गुना बढ़ा दिया,,, शुभम भी उत्साहित होता हुआ बोला ,,,)
क्या तुम सच कह रही हो भाभी ,,,
भाभी,,,, नहीं रुचि,,,,,
हां रुचि मेरी जान क्या तुम सच कह रही हो,,,
हां मैं सच कह रही हूं,,,, शुभम तुम नहीं जानते एक औरत के लिए उसकी जिंदगी की पहली रात उसकी सुहागरात कितनी खास होती है जिस तरह से दूसरी लड़कियां इस रात के लिए सपने देखते हैं सपने संजो कर रखी है मैंने भी ऐसे ही सपने से जो कर रखी थी की सुहागरात के दिन मेरा पति मुझसे बहुत प्यार करेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,
क्यों,,,
क्योंकि मेरा पति मेरे सपनों का राजकुमार बिल्कुल भी नहीं था वह पहली रात को ही मेरे सपने को चकनाचूर कर दिया उसे तो औरत से कैसे बात करना चाहिए कैसे रिझाना चाहिए यह सब बिल्कुल भी नहीं आता,,,
मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता भाभी,,,( शुभम के मुंह से भाभी शब्द सुनकर उसे आंख दिखाई तो तुरंत शुभम अपनी बात को पलट दिया,,,) सॉरी ,,,,,सॉरी रुचि,,,,
अगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता तो आज की रात तुम मेरे कमरे में नहीं होते समझे,,,, उसे तो एक औरत को कैसे चोदा जाता है यह बिल्कुल भी नहीं पता था,,,
यह क्या कह रही हो रुचि भला एक मर्द को औरत को कैसे चोदा जाता है यह भी नहीं आता मुझे तो नहीं लगता,,,
हां शुभम मैं भी तो इसी बात से हैरान थी उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था तुझे पता है सुहागरात की रात को वह अपना लंड मेरी बुर में डाल ही नहीं पाया उसे समझ में नहीं आता था कि डाला कैसे जाता है,,,
फिर उसने सुहागरात कैसे मनाई,,,,

कहां मनाया जैसे अपने लंड को मेरी बुर से सटाया साले का पानी ही निकल गया और उसके बाद वो खड़ा ही नहीं हुआ मैं तकिए को अपनी बाहों में लेकर सो गई तब से लेकर आज तक मुझे उस रात को लेकर बहुत ही दुख होता है लेकिन मैं आज उस कमी को पूरा कर लेना चाहती हूं मैं चाहती हूं कि तुम मुझे पत्नी की तरह प्यार कर जिस तरह से पति सुहागरात को अपनी पत्नी को चोदकर त्रप्त कर देता है उसी तरह से तू भी मेरे साथ आज प्यार कर सुहागरात मना ले मेरे साथ,,,,,
तो देर किस बात की है रुचि मेरी जान शुरुआत इसी से कर लो ,,,,(अपने लंड को पकड़ कर उसके चेहरे के सामने हिलाते हुए बोला और रुचि शुभम का इशारा समझ गई वैसे भी उसके खड़े लंड को बार-बार देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था वह उसको मुंह में लेना चाहती थी इसलिए वह भी तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके लंड को लपक ली और उसे अपने होठों से लगाकर उसके सुपाड़े को रगड़ने लगी,,,)
ससससहहहह,,,,आहहहहह,,,,,ऊमममममम,,,,( रुचि को बहुत मजा आ रहा था रुचि उसके पूरे लंड को अपने गुलाबी होठों पर रगड़ रही थी हालांकि वह अभी तक अपने मुंह में उसे लिए नहीं थी लेकिन फिर भी उसे लंड की गर्माहट को अपने होठों पर महसूस करके इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि पूछो मत और पूरी तरह से मस्त हो गई थी शुभम भी उसके लाल-लाल होठों पर अपने लंड का स्पर्श कराकर मस्त हुए जा रहा था वैसे भी रुचि घूंघट में कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी सिर्फ उसका चेहरा और वो भी खास करके उसके होंठ ही नजर आ रहे थे जिस पर पूरी तरह से वह लंड रगड़ रही थी,,,, लंड को रगड़ने के साथ-साथ वहां अपने मुंह से कर्म संस्कारी की आवाज भी छोड़ रही थी जिससे शुभम को बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था लेकिन इतने से रूचि का काम कहां होने वाला था देखते ही देखते वह अपने गुलाबी होठों को खोलकर शुभम के लंड के मोटे सुपाड़े को अंदर ले ली और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दी,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट उसे बेचेन और चुद वासी बना रही थी,,,, जैसे-जैसे रुचि शुभम के मोटे लंड को धीरे धीरे इंच इंच करके अंदर ले रही थी वैसे वैसे मानो शुभम हवा में उड़ रहा हो उसे स्वर्ग का सुख महसूस हो रहा था,,
धीरे-धीरे करके शुभम अपने हाथों से रुचि के घूंघट को हटा दिया वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी मानो सचमुच की दुल्हन हो,,,, शुभम को अब साफ नजर आ रहा था कि उसका मोटा लंड पूरी तरह से उसके लाल-लाल होठों के बीच में जाकर उसके गले को गीला कर दे रहा था,,,
अभी तक रुचि जी भर के शुभम के लंड को मुंह में लेकर उसका स्वाद नहीं चख पाई थी इसलिए आज वह अपनी कमी को पूरा कर लेना चाहती थी आज वह किसी लॉलीपॉप की तरह शुभम के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी उसका कसैला स्वाद उसे बेहद मधुर लग रहा था,,,
गजब का नजारा बना हुआ था रुचि अपने कमरे में अपने ही पड़ोस के नौजवान लड़के को लेकर दुल्हन की तरह सज कर बैठी हुई थी और उसके खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी,,, शुभम एकदम मतवाला हो गया था उसके मुंह से भी गरम सिसकारी की आवाज आने लगी थी क्योंकि रूचि ईतने सरीके से इतने बेहतरीन अंदाज में उसके लंड को चूस रही थी कि उसे डर था कि कहीं उसका पानी उसके मुंह में ही ना निकल जाए,,, ना चाहते हुए भी खुद ब खुद उसकी कमर आगे पीछे होने लगी वह इस तरह से रुचि के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था,,,, रुचि अपनी रेशमी बालों को हेयर बैंड से बांधी हुई थी जिसे शुभम खींचकर निकाल दिया और उसके रेशमी बालों को एकदम खुला छोड़ दिया जिसमें वह काफी खूबसूरत और हसीन लगने लगी थी अब शुभम उसके रेशमी बालों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर अपनी कमर को हिलाता हुआ उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया,,, लंड की मोटाई इतनी अधिक थी कि उसके छोटे से मुंह में बराबर घुस नहीं रहा था जिसकी वजह से रुचि को अपना मुंह कुछ ज्यादा ही खोलना पड़ रहा था,, रुचि के मुंह से घुटी घुटी सी आवाज आ रही थी लेकिन फिर भी वह अपने कदम पीछे लेने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी वह मैदान में बराबर डटी हुई थी,,, लेकिन इस बार शुभम अपने पैर पीछे ले लिया क्योंकि वह जानता था कि कुछ देर अगर वो इसी तरह से उसके मुंह में लंड पेलता रहा तो उसका पानी निकल जाएगा,,,,
लेकिन जैसे ही रुचि के मुंह में से शुभम का मोटा तगड़ा लंड बाहर निकला वो एकदम से छटपटा गई,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसके हाथों से उसकी पसंदीदा चीज छीन लिया हो,,, वह दोबारा शुभम कैलेंडर खोल आप अपना चाहती थी लेकिन शुभम जानता था कि इस बार उसके हाथ में लंड आ गया तो वह फिर से मुंह में लेकर से चूसना शुरु कर देगी इसीलिए तुरंत फुर्ती दिखाते हुए वह नीचे झुका और उसके लाल-लाल होठों को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,,, दोनों इस कदर उस बेहतरीन चुंबन के सुख में खो गए कि दोनों के मुंह से केवल उमममम,,,,ऊमममममम,,,की आवाज आ रही थी,,।
शुभम रुचि के गले में अपनी बाहें डालकर उसे धीरे-धीरे बिस्तर पर लेट आने लगा देखते ही देखते वह कुछ देर में रुचि के ऊपर था और उसके लाल-लाल होठों को चूसता हुआ ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था जिससे रुचि के मुंह में से मस्ती भरी घुटी घुटी सी चीख निकल रही थी,,,,
ऊऊऊमममम,,,ऊमममममम,,,( इस तरह की गर्माहट भरी आवाज निकालने के साथ ही रुचि शुभम को अपनी बाहों में भर ली और उसकी नंगी पीठ पर अपनी हथेली को घुमाते हुए धीरे-धीरे अपनी हथेली को नीचे ले जाने लगी और कुछ ही देर बाद शुभम के नितंबों को अपनी हथेली में भरकर उसे दबाते हुए उसका दबाव अपनी टांगों के बीच बढ़ाने लगी जिससे साड़ी के ऊपर सही शुभम के मोटे तगड़े लंड की चुभन उसे अपनी बुर के ऊपर होने लगी यह एहसास उसे अंदर तक एकदम से उत्तेजना से भर दिया वह पागलों की तरह शुभम के नितंबों को अपनी हथेली में भर-भर कर नोचना शुरु कर दी,,, रुचि की हरकत की वजह से शुभम एकदम बदहवास हो गया मदहोशी उसके तन बदन को मजबूर करने लगी कि वह और ज्यादा ताकत लगाकर रुचि के बदन से खेले और इसीलिए वह रुचि के ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी दोनों चूचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ उसके ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,,
पूरे कमरे में दोनों की गरम सिसकारियां गूंज रही थी । जैसे-जैसे ब्लाउज का बटन खुलता जा रहा था वैसे वैसे रुची की गर्म सिसकारियों की आवाज और तेज होती जा रही थी वह जोर-जोर से शुभम के नितंबों को अपनी टांगों के बीच में दबा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कपड़े के ऊपर से ही शुभम से चुदवा लेना चाहती हो,,,, देखते ही देखते शुभम सुहागरात की शुरुआत करते हुए रुचि के ब्लाउज का बटन खोल कर उसे उसके बदन से अलग कर दिया लेकिन अभी भी इसके नारंगीयो तक पहुंचने में उसकी ब्रा अड़चन रूप बन रही थी। जिसे शुभम अपने दोनों हाथ रूचि की पीठ की तरफ ले जाकर अपने दोनों हाथों से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और देखते ही देखते उसके बदन से उसकी लाल रंग की ब्रा भी अलग हो गई,,,, रुचि की कसी हुई दोनों नारंगीयों को देखकर शुभम की आंखों में चमक आ गई उसके तन बदन में मदहोशी छाने लगी वह एकदम बदहवास हो गया,,, शुभम की आंखों में खुमारी छाने लगी,,,
वह बैठ गया रुचि उसी तरह से पीठ के बल लेटी रही उसकी आंखों में शर्म की हया नजर आ रही थी क्योंकि वह आज शुभम के सामने एक दुल्हन के रूप में आई थी,,, इसलिए सुहागरात की पहली रात को दुल्हन का इस तरह से शर्माना जायज होता है,,,, वो पागलों की तरह लंबी लंबी आहें भरते हुए रुचि की चूची को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी उसे इस तरह से अपनी चूची को निहारते हुए देखकर रूचि बोली,,,
ऐसे क्या देख रहा है जैसे कि पहले कभी देखा ही नहीं है,,,
देखा तो हूं रुची मेरी जान लेकिन आज की बात कुछ और है आज तुम मेरी दुल्हन और मैं तुम्हारा दूल्हा आज हमारी सुहागरात है,,, आज जी भर के तुम्हारी चूची से खेलूंगा,,,
तो खेलो इंकार किसने किया है,,,,
आज इंकार भी करोगी तो भी मैं मानने वाला नहीं हूं,,,
( इतना सुनकर रुचि खुद अपनी दोनों चूची को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर शुभम की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,)
मैं भला इंकार क्यों करूंगी मैं तो खुद ही अपनी चूची को तेरे सामने परोस रही हूं कि घर पर इन से प्यार कर उनसे खेल इन्हें मुंह में भर कर के मस्त कर दे मुझे,,( रुचि एकदम मदहोश होकर शुभम से मादक स्वर में बोल रही थी उसकी बातों में विनती थी वह एक तरह से उसके बदन से खेलने के लिए शुभम से विनती कर रही थी उसे मना रही थी कि वह उसके बदन से खेले उसे मस्त कर दें भला इस आमंत्रण शुभम कैसे इंकार कर सकता था रुचि की बात सुनते ही वह रुचि की दोनों चुचियों पर टूट पड़ा,,, वो जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसे मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे अब दोबारा उसे रुचि की चूची पीने को नहीं मिलेगी,,, एक बार फिर से कमरे में रुचि की गर्म सिसकारियो की आवाज गूंजने लगी,,, अब शुभम कहां रुकने वाला था उसके हाथों में तो जैसे दो लड्डू आ गए थे और वह जन्म का भूखा हो इस तरह से उसे खाना शुरू कर दिया था,,,, वह बारी-बारी से रुचि की दोनों चुचियों का स्वाद ले रहा था उत्तेजना के मारे रुचि की चूची की निप्पल ईतनी कड़क हो गई थी कि मानो छोटी सी कैडबरी चॉकलेट हो,,, जिसका चॉकलेटी स्वाद लेकर सुभम अपनी जवानी को मदहोश कर रहा था,,,
,,,,सससससस,,,, आहहहहहहह,,,,,शुभम,,,,,ं ऐसे ही पी,,, मेरे राजा,,,,, मेरी चूची को पूरा मुंह में भर भर कर पी ,,,,मस्त कर दे तू इन्हें,,, ऊफफफ,,,,,, सुभम,,,,आहहहहह,,,( रुचि मस्ती की गरम सिसकारियां ले रही थी तभी तो हम उसके निप्पल को दांतों से काट लिया जिससे उसके मुंह से आह निकल गई)
क्या करता है रे,,,,
तुम्हारी चॉकलेट का स्वाद ले रहा हूं,,,,
पागल तू चॉकलेट के पीछे पड़ा है नीचे रसमलाई छलक रही है उसे कौन चाटेगा,,,,( रुचि शुभम से एकदम मादक स्वर में बोली,,,)
मैं हीं चाटुंगा मेरी रानी तेरी कटोरी खोल खोल कर चाटुंगा बस थोड़ा सा सब्र कर मेरी जान,,,
ससससहहहह,,,,,,, शुभम मेरे राजा मुझसे जरा भी सब्र नहीं होता मेरी टांगों के बीच में आग लगी हुई है जल्दी से अपना फुआरा मार कर उसे ठंडा कर,,,,,
( रुचि पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी वह पूरी चुदवासी हो चुकी थी उसे अपनी बुर के अंदर सुभम के मोटे लंड को लेने की बहुत जल्दी पड़ी थी,,, लेकिन शुभम को रुचि की दोनों नारंगी ओ में कुछ ज्यादा ही साथ मिलने लगा था वह जोर-जोर से उसकी चूची को दबाता हुआ मुंह में भरकर पी रहा था उसकी प्यास बुझ नहीं रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था वह गुरु जी की बातों को अनसुना करके लगातार उसकी चूची पर ही डटा रहा देखते ही देखते उसकी चूची एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई। लेकिन इस दौरान वह अपने खड़े लंड को बराबर उसकी पूर्व के ऊपर दबा रहा था साड़ी के ऊपर से भी रुचि को ऐसा एहसास हो रहा था कि शुभम का एकदम खड़ा कड़क लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में ना घुस जाए क्योंकि उसके लंड की चुभन किसी भाले की नोक की तरह ही महसूस हो रही थी,,
आखिरकार सुबह रुचि की चूची को मन भर के खेलने के बाद वहां से हटा और सीधे रुचि की लाल रंग की दुल्हन वाली साड़ी को उतारना शुरू कर दिया देखते ही देखते हुए उसके बदन पर से उसकी लाल रंग की साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दिया,,,,, रुचि की सांसो की गति तेज होती जा रही थी वह प्यासी नजरों से सुमन की हरकतों को देख रही थी और इसी दौरान उसकी नजर बार बार उसकी खड़े लंड पर चली जा रही थी जो कि बेहद भयानक सपने में आ चुका था शुभम का लंड पूरी औकात में था,, आज रूचि शुभम के लंड को नजर भर कर देख रही थी तब उसे ऐसा एहसास हुआ कि इतना मोटा लंड उसकी बुर के लिए शायद कुछ ज्यादा ही मोटा है जबकि वह रोज उसी लंड से चुदाई करवा रही थी,,,
शुभम की आंखों के सामने रूचि केवल पेटीकोट में ही थी जिस की डोरी को वह अपनी नाजुक उंगलियों में लेकर इधर-उधर घुमा रही थी जो कि शुभम के लिए इशारा था कि वह उसे भी उतारने के लिए बोल रही हैं,,, और शुभम भी रुचि का इशारा समझ कर अपने हाथ से उसके पेटीकोट की दूरी को खींच कर खोल दिया और उसे अपने हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ खींचने लगा जो कि रुचि की गोलाकार नितंबों के बाहर के नीचे दबे होने की वजह से निकल नहीं रही थी और तभी रुचि ने अपनी गोल-गोल गांड को कमर से हल्के से ऊपर उठाकर उसकी मदद करते हुए उसे पेटीकोट निकालने में उसकी मदद की शुभम भी जैसे ही रुचि ने अपनी गांड को ऊपर उठाई वह तुरंत उसकी पेटीकोट को खींच कर नीचे कर दिया,,,
लाल रंग की पैंटी में ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में रुचि की खूबसूरत जवानी और ज्यादा आग उगल रही थी,,, वह तो सुमन था कि अपनी गर्म लावा को बाहर आने से रोक रखा था दूसरा कोई होता तो इतने से ही पानी फेंक दिया होता,,,, शुभम की निगाहें रुचि की दोनों टांगों के बीच के उस स्थान पर टिकी हुई थी जहां पर लाल रंग की पैंटी का आगे वाला हिस्सा हल्का सा उठा हुआ था जिससे साफ पता चल रहा था कि रुचि पूरी तरह से मस्त हो चुकी है उत्तेजना से भर चुकी है और उसकी बुर कचोरी की तरह फुल कर अपना असर दिखा रही है,,, शुभम भी उसकी पूरी हुई बुर का असर भी असर नहीं होने देना चाहता था इसलिए अगले ही पल वह पैंटी को भी उतारने लगा और रुचि उसी तरह से अपनी गांड उठा कर पेंटी को भी निकलवाने में उसकी मदद की,,,, क्षण भर में ही शुभम की आंखों के सामने रूचि एकदम नंगी हो गई दोनों इस समय बिस्तर पर एकदम नंगे थे सुहागरात मनाने के लिए वाकई में इस समय शुभम रुचि का पति ही लग रहा था,,,
कमरे का वातावरण अब एकदम गर्म हो चुका था माहौल बदल चुका था,,, खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी से भरपूर रुचि बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और वहीं पास में मर्दाना ताकत से भरा हुआ नौजवान लड़का अपने खड़े लंड को हाथ में हिलाते हुए रुचि की मदहोश कर देने वाली जवानी का रस पी रहा था,,,,
निर्मला अपने कमरे में बिस्तर पर लेट कर करवटें बदल रही थी उसे भी ईस समय शुभम की जरूरत थी लेकिन वह समझ रही थी कि उसका बेटा उसके दोस्त के घर पार्टी में गया था लेकिन उसे कहा मालूम था कि दो कदम की दूरी पर उसका बेटा उसके पड़ोस की बहू की मदहोश जवानी से खेल रहा है,,,
रात के 11:00 बज रहे थे ऐसे में रुचि अपने कमरे में पड़ोस के लड़के से अपनी जवानी लूटवा रही थी वह बिस्तर पर पीठ के बल लेटकर अपनी टांगों को फैला कर अपनी गुलाबी बुर की गुलाबी पतियों को अपनी हथेली से रगड़ रही थी या एक तरह से शुभम को उकसा रही थी उसकी बुर से खेलने के लिए,,,, रुचि की हरकत देखकर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर मदद कर देने वाली जवानी से भरी हुई औरतों की नंगी लेटी थी और वह अपने लंड को हाथ से पकड़ कर हिला रहा था ऐसे में कोई दूसरा मर्द होता तो अब तक उसकी बुर में डाल दिया होता लेकिन शुभम की यही खास बात है कि उसने सब्र कूट कूट कर भरा हुआ था वह औरत को तब तक उसकी बुर में नहीं डालता था जब तक औरत एकदम गरम होकर उसे अपनी बुर में डालने के लिए ना बोले,,,,
शुभम पूरी तरह से तैयार था रुचि की रसीली बुर से खेलने के लिए उसकी रसमलाई को अपनी जीभ से चाट कर उसका स्वाद लेने के लिए इसलिए वह अपनी जगह को उसकी दोनों टांगों के बीच में बनाते हुए अपने हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़कर हल्के से फैला दिया,, जिससे उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर हल्का सा खुल गई ऐसा उसकी हल्की सी खुली हुई बुर ऐसी लग रही थी मम्मी जैसे थोड़ी सी खिड़की खुली हो और उसमें से वह उसे अंदर आने के लिए बुला रही है,,,, मदमस्त बुरे देखकर शुभम के मुंह में पानी आ गया अब वह ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाया और दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया उसकी फुली हुई कचोरी जैसी बुर पर जैसे ही शुभम की जीभ का स्पर्श हुआ रुचि पूरी तरह से गनगना गई एक दम मस्त हो गई हल्कै से अपनी कमर को उठाकर अपने दोनों हाथों को शुभम के सर पर रख कर उसे अपनी बुर पर दबा दी,,,,

सहहहहहह,,,आहहहहहहह,,, शुभम ,,,,,
रुची की आवाज सुनकर सुभम समझ गया कि रुचि को मज़ा आने लगा है और वह अपनी पूरी जीभ डाल डाल कर उसकी रसमलाई को चाटने लगा जितना अंदर तक जीभ रुची की बुर में जाता रुचि को उतना ज्यादा मजा आता वह मदहोश हुए जा रही थी उसका पूरा बदन बिस्तर पर कसमसा रहा था उसकी कसमसाहट से उसके बिस्तर पर बिछी चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी,,, जो कि उसकी मस्ती भरी कहानी कह रही थी,,,, तुझे की पुरका कसैला स्वाद शुभम को स्वर्ग का अमृत समान मधुर लग रहा था रुचि पूरी मस्ती के साथ अपनी कमर को उठा उठा कर शुभम से अपनी बुर चटवा रही थी,,
शुभम से रहा नहीं जा रहा था रुचि की मदमस्त जवानी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,, वह अपनी जीभ के साथ-साथ अपनी दो उंगली भी रुचि की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करके उसे चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम की हरकत की वजह से रुचि की गरम शिकारियों की आवाज और तेज हो गई लेकिन उसे सुनने वाला पूरे घर में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था रुची की गर्म सिसकारियां शुभम के कानों में मधुर संगीत की तरह बज रही थी,,, तकरीबन 35 मिनट तक शुभम रुचि की बुर की सेवा करता रहा उससे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था अब उसका काम उंगली से नहीं बल्कि उसके लंड से होने वाला था वह पागल हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे अपना सर इधर उधर पटक रही थी,,,
ओहहहह,, शुभम मेरे राजा मुझसे रहा नहीं जा रहा है अब उंगली नहीं तेरा लंड मेरी बुर में चाहिए डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में आज की सुहागरात को सफल कर दे मेरी जिंदगी की यादगार रात बना दे सुभम,,,,आहहहहह,,,
ओ मेरी रानी मेरी रुचि मेरी रंडी आज की रात तेरे लिए यादगार कर दूंगा मेरा मोटा लंड तेरी बुर की ऐसी चुदाई करेगा कि तेरी बुर की धज्जियां उड़ जाएगी,,, मेरी रंडी मेरी रुचि,,,,,
हां हां मैं तेरी रंडी हूं साले हरामजादे मैं तेरी रंडी हूं ,,,मुझे चोद मुझे मस्त कर दे,,,अपना मोटा लौड़ा मेरी बुर में डाल दे,,, मादरचोद,,,,( रुचि बदहवास होकर अब उसे गाली दे रही थी क्योंकि उसे गाली देने में उसे मजा आ रहा था पहली बार जिंदगी में वह किसी को गाली दे रही थी और वह भी इतनी गंदी गंदी,,, लेकिन शुभम को उसकी दी हुई गंदी गंदी गालियां भी आज बहुत ही अच्छी लग रही थी बल्कि वह गालियां उसका जोश बढ़ा रही थी और उसी गांधी के बदौलत वह अपनी पोजीशन बदलते हुए दोनों टांगों के बीच में एकदम बराबर घुटने के बल बैठ गया और रुचि की मदमस्त गांड को अपनी दोनों हथेली नीचे ले जाकर उसकी गांड को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ खींच कर अपनी जांघों पर रख लिया,, शुभम की इस हरकत के चलते हैं रुचि की सांसो की गति धुकनी की तरह चलने लगी,,, क्योंकि उसे पता था कि अब अगले ही पल उसका मोटा लंड उसकी बुर में घुसने वाला है उसका मुंह खुला का खुला था वह अपनी प्यासी आंखों से अपनी टांगों के बीच की स्थिति का जायजा ले रही थी,,,, धीरे-धीरे करके उसे सुभम का मोटा लंड अपनी बुर के अंदर जाता हुआ नजर आ रहा था जैसे-जैसे अंदर जा रहा था वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी साथ में उसके बदन की मस्ती भी बढ़ती जा रही थी देखते ही देखते शुभम ने अपने पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार दिया,,,
शुभम अब अपना लंड रुचि की बुर में गाड़ दिया था अब वह अपनी हल्के हल्के कमर हिलाना शुरू कर दिया था रूचि की चुदाई उसके कमरे में उसी के पलंग पर हो रही थी,,, रुचि पागलों की तरह शुभम को अपनी बाहों में लेकर उसके हरित धक्के का आनंद लेना चाहती थी इसलिए अपनी दोनों बाहें फैलाकर शुभम को अपनी और आने का इशारा की और शुभम भी रुचि का इशारा पाकर उसके ऊपर पसर गया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते शुभम के कमर की रफ्तार बढ़ने लगी,,,
रुचि की गीली बुर में से फच फच की आवाज आ रही थी रुचि मदहोश हुए जा रही थी वह शुभम को अपनी बाहों में कस के दबोचे हुए थी,,,
शुभम अपनी पोजीशन बदले बीना उसी स्थिति में लगभग 30 मिनट तक रुचि की चुदाई करता रहा आखिरकार रूचि हांफने लगी उसकी सांसों की गति तेज होने लगी,,, शुभम की भी यही स्थिति थी आखिरकार वह काफी देर से अपने लंड के उबलते हुए लावा को रोक कर रखा था दस पंद्रह जबरदस्त धक्को के साथ ही दोनों एक साथ झड़ गए,,,,
रुचि के शादी की सालगिरह वाली रात को सुभम सुबह के 5:00 बजे तक उसकी जबरदस्त हर आसन में चुदाई किया रुचि एकदम मस्त हो गई बहुत थक कर चूर हो गई और सुबह 5:00 बजे उसकी आंख लग गई उसके सोते ही सुबह मुझे कमरे से बाहर निकल कर अपने घर में चला गया,,,।