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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rohnny4545

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तकरीबन 11:00 बजे के करीब रुचि की नींद टूटी तो अंगड़ाई लेते हुए अपने बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,, शुभम को अपने बिस्तर पर ना पाकर वह इतना तो समझ ही गई कि वह चला गया उसके बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था जो कि रात भर की तृप्ति भरी चुदाई का नतीजा था ,,,,अपनी शादी की सालगिरह शुभम के साथ मनाकर रुचि बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी और प्रसन्न होती भी क्यों नहीं आखिरकार शादी की सालगिरह की रात ही इतनी जबरदस्त गुजरी थी। रात की बात को याद करके उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी वह काफी खुश थी,, शुभम जैसे जबरदस्त मर्दाना ताकत और जोश से भरे हुए नौजवान लड़के से चुदवा कर रुचि एकदम मदहोश हो चुकी थी रुचि के चेहरे पर एक अद्भुत आभा नजर आ रही थी उसके बदन में फुर्ती पन महसूस हो रहा था,,, वह भी पूरी तरह से नंगी थी,,, रात में शुभम ने हीं अपने हाथों से उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी किया था वैसे भी औरतों के कपड़े उतारने में शुभम पूरी तरह से माहिर था,,, और शुभम ने यह कला अपनी मां से ही सीखा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी औरत के कपड़े उतारकर उसे नंगी किया था तो वह उसकी मां ही थी जिसके कपड़ों को अपने हाथों से उतारकर उसे नंगी करके जिंदगी में पहली बार संभोग सुख का अनुभव लिया था,,,,, कुछ दिनों में ही रुचि अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से बदल चुकी थी वह एक सीधी-सादी संस्कार वाली औरत नहीं रह गई थी बल्कि अब उसके अंदर खुलापन आ गया था व्याभिचार आ गया था अपनी प्यास बुझाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती थी,,, वैसे भी एक औरत होने के नाते उसे अपना सुख प्राप्त करना प्राथमिक था औरत हमेशा से दूसरों के लिए जीते हैं लेकिन वह खुद अपने लिए जीना सीख जाती है जब उसे अपनों से कोई खुशी ना मिले तो,,,,
रुचि अपने बिस्तर पर से उसी तरह से एकदम नंगी उतर कर खड़ी हो गई और बिना कपड़े पहने ही अपने कमरे से बाहर निकल गई जाते जाते हो अभी एक नजर नीचे फर्श पर गिरे उसके दुल्हन वाले जोड़े पर मारती गई,,, पर बाथरूम में घुसकर फ्रेश होने लगी दूसरी तरफ शुभम नहा धोकर तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर बैठा था सामने उसकी मां बैठी थी।

तुम कब आए थे शुभम ,,,,

मैं तो मम्मी सुबह 5:00 या 6:00 बजे आया था काफी रात हो गई थी तो दोस्त के मम्मी पापा ने वहीं सोने के लिए बोल दिया था और सुबह में मेरा दोस्त मुझे यहां तक छोड़ कर गया,,

पार्टी तो अच्छी थी ना,,,,

हां मम्मी बहुत मजा आया बहुत दिनों बाद इस तरह की पार्टी करने को मिली है,,,।

क्या करूं बेटा पार्टी में आना जाना ही नहीं होता है तुझे याद ही ना पिछली बार शीतल ने अपनी शादी की सालगिरह पर बुलाई थी तो क्या हुआ था,,,,( निर्मला शुभम की तरफ तिरछी नजर से देखते हुए चाय की चुस्की लेते हुए बोली,,,)

मुझे अच्छी तरह से याद है मम्मी भला में वह रात कैसे भूल सकता हूं तूफानी बारिश की वह रात मेरी जिंदगी की सबसे हसीन रात थी वह रात मेरी जिंदगी को एकदम से बदल कर रख दी थी सच कहूं तो मम्मी उस रात बहुत मजा आया था (शुभम की बातें सुनकर निर्मला मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे भी उस रात की सारे दृश्य उसकी आंखों के सामने चलते हुए नजर आने लगे,,, उसे वह सारे दृश्य याद आने लगे जो उस रात को घटे थे किस तरह से कामा दूर होकर वह शुभम को अपनी तरफ आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रही थी और शुभम भी चोरी छुपे उसके खूबसूरत अंगों को देखने का प्रयास कर रहा था,,, चाय पीते हुए निर्मला यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ उस रात को तूफानी बारिश हो गई और उन्हें न चाहते हुए भी एक पेड़ के नीचे अपनी गाड़ी खड़ी करके उसी में रुकना पड़ा,,,, निर्मला को अच्छी तरह से याद था कि किसी भी प्रकार की हरकत शुभम की तरफ से बिल्कुल भी नहीं हो रही थी उसी में इतनी ज्यादा काम भावना जागरूक हो गई थी कि ना चाहते हुए भी उसे पेशाब का बहाना करके गाड़ी के अंदर से ही गाड़ी की खिड़की के सहारे खड़े होकर खिड़की के बाहर पेशाब करना पड़ा था और शुभम किस तरह से ललचाई आंखों से उसकी रसीली बुर को देख रहा था,,,, निर्मला कोई अभी अच्छी तरह से याद था कि उसी ने उसके बेटे को एक शादी थी कि वह भी उसी खिड़की पर खड़ा होकर पेशाब करें और जिस समय वह कार की खिड़की से लंड को बाहर निकाल कर बाहर पेशाब कर रहा था तो कैसे वह अपने ही बेटे के लंड को देखकर पूरी तरह से कामातुर हो गई थी और उसके मुंह में पानी आ गया था,,,, अपने बेटे के मोटे तगड़े खड़े लंड को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और उसे छूने की लालच को रोक नहीं पाई और वह खुद अपने बेटे को लंड को पकड़ कर उसे पेशाब करने में मदद की उस रात को निर्मला खुद बेहद कामातुर हो चुकी थी और अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर शुभम भी अपना सब्र खोने लगा था,,, इतने पास से पेशाब करता हुआ देखकर शुभम भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया था और कर भी क्या सकता था इतनी नजदीक से अपनी मां की रसीली पुर के दर्शन करके वह पूरी तरह से छुड़वा सा हो गया था लेकिन वह अपनी तरफ से किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं कर रहा था कि वह अपनी मां की चुदाई करें जबकि उससे ज्यादा खुद उसकी मां पर याद कर रही थी कि कब वह मोटे तगड़े लंड को अपने बुर में ले ले,,, आखिरकार दोनों की काम भावनाओं ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया अपने जिस्म की प्यास की जरूरत को ठीक समझते हुए निर्मला ने आखिरकार उस तूफानी बारिश वाली रात को मौके का फायदा उठाते हुए अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर उससे चुदवा ली,, और वह सिलसिला एक बार शुरू हो गया तो आज तक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था शुभम उस रात की बात को याद दिलाता हुआ बोला,,,)

मम्मी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि उस रात को हम दोनों के बीच यह सब हो जाएगा सच कहूं तो मैं पागल हो गया था आपकी खूबसूरती को देखकर,,,

तो क्या उस दिन मुझे पहली बार देख रहा था जो पागल हो गया था,,,

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन उस रात की बात कुछ और थी उस रात आप एक मां कम एक औरत ज्यादा लग रही थी क्योंकि कैसे बिना शर्माए आप मेरी आंखों के सामने खिड़की में से पेशाब कर रही थी सच कहूं वह नजारा इतना जबरदस्त था कि मेरा तो उसी समय पानी निकलने वाला था,,,,

तो निकला क्यों तेरा पानी ,,,,(निर्मला हंसते हुए बोली )

क्या करूं मम्मी मैं अपने आप को कितना रोका था मेरा बस चलता तो मैं खुद पहल करके तुम्हारी बुर में अपना लंड डाल दिया होता,,,,,,( शुभम चाय की चुस्की लेता हुआ बोला,,,)

मैं जानती थी तो कुछ नहीं कर पाएगा तो से कुछ होगा नहीं इसलिए मुझे ही पहल करना पड़ा,,, सच कहूं तो अगर मैं पहल नहीं करती तो हम दोनों के बीच आज तक यह सब कुछ भी नहीं होता क्योंकि इस तूफानी रात में मेरे दहन करने के बाद ही तूने सब कुछ दिया था वरना उस रात हम लोग वही रूके रह जाते और हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो पाता,,,,

हां मम्मी यह बात सच है चाहता तो मैं बहुत कुछ था करने को लेकिन मेरी हिम्मत नहीं होती थी,,,

मुझे मालूम है चोरी छुपे तू मेरे खूबसूरत बदन के हर एक अंग को देखता था यह बात मुझे अच्छी तरह से पता थी तभी तो मेरी भी इच्छा होने लगी कि मैं भी उन औरतों की तरह तेरे साथ सब कुछ करो जो अपनी खुशी की खातिर अपनी मर्यादा को भूल जाती हैं लेकिन सच कहूं तो शुभम मर्यादा में रहने में वह मजा नहीं है जो मर्यादा को लांघ कर स्वर्ग का मजा आता है,, बस शर्त यही है कि जो तुम करते हो कुछ बारे में किसी तीसरे को बिल्कुल भी पता नहीं होना चाहिए तब तक यह सब कुछ बिल्कुल जायज है वरना सब कुछ नाजायज,,, और हां तुझे मालूम है उस रात को मुझे पेशाब नहीं लगी थी लेकिन मैं जानती थी कि अगर तेरे सामने ऐसा वैसा कुछ नहीं करूंगी तो तू मेरे सामने खुल नहीं पाएगा इसीलिए मैं तेरे सामने पेशाब का बहाना करके तेरी आंखों के सामने मुंह उतनी लगी और वह भी अपनी बुर तुझे दिखा कर,,,( अपनी मां के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर शुभम का लंड खड़ा होने लगा था उसे अपनी मां की बात सुनकर मजा आ रहा था भले यह सब भूली बिसरी बातें थी लेकिन बेहद लजीज बातें थी,,, जिसे सुनकर किसी के भी लंड में पानी आ जाए,,,) अच्छा शुभम सच-सच बताना उस रात को जब मैं अपनी साड़ी उठाकर तेरी आंखों के सामने अपनी गुलाबी बुर दिखा कर पेशाब कर रही थी तो तुझे कैसा लग रहा था मेरी बुर देख कर,,,

मेरे तो होश उड़ गए थे मम्मी मुझे तो ऐसा लग रहा था मुझे कुछ हो जाएगा जिंदगी में पहली बार मैं खूबसूरत औरत की खूबसूरत बुर को देखा था मुझे तो दुनिया की सबसे बेहतरीन चीज देखने को मिल गई थी,,,( शुभम एकदम प्रसन्नता और जोश के साथ उस रात का वर्णन करते हुए बोला,,)



दुनिया की सबसे बेहतरीन चीज तुझे देखने को मिली थी तो उसके साथ तू अपने आप किया कुछ क्यों नहीं,,,?

कैसे करता हूं मम्मी मुझे क्या मालूम था कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है मेरी इच्छा तो बहुत हो रही थी लेकिन सच बताऊं तो मुझे उस समय औरत को कैसे चोदा जाता है या ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था और करता भी तो क्या करता ,,,

तू सच कह रहा है औरतों के प्रति तेरा यह अज्ञान ही मेरे लिए सबसे बड़ा शस्त्र बन गया तुझे पाकर तुझसे चुदवा कर मैं जिंदगी का सबसे हसीन सुख भोग रही हुं,, सच कहूं तो शुभम शीतल की सालगिरह में जाते समय मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन उस तूफानी बारिश ने मेरे सारे इरादे को बदल कर रख दिया ना हम लोग तूफानी बारिश में फंसते ना उस पेड़ के नीचे रुकते और ना हम दोनों के बीच में सब कुछ होता लेकिन सही कहा तो जो भी हुआ वह अच्छा ही हुआ मुझे एक सच्चे मर्द से चुदाई करवाने का सुख क्या होता है इस बारे में पता तो चला महसूस हुआ कि एक स्त्री सुख क्या होता है वरना मैं तो ऐसे ही जिंदगी जिए जा रही थी जिसका कोई मतलब नहीं था,,, मैं अपने आप को संभाल भी ले जाती लेकिन तेरा मोटा तगड़ा मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड देखकर मेरा इरादा फिसल गया मैं ना चाहते हुए भी तेरे साथ सब कुछ कर बैठी,,।
( दोनों की इस तरह की भुली बिसरी यादों के साथ गरम बातें करते हुए पूरे कमरे का माहौल फिर से गर्म हो गया ,,, शुभम का लंड एकदम कड़क लोहे की रोड की तरह हो गया और निर्मला की बुर पसीज के गीली होने लगी,,, कुछ तूफानी बारिश में दोनों के बीच किसी बात को लेकर दोनों में किसी भी प्रकार का अफसोस होता बल्कि खुशी उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिख रहे थे दोनों ने अपना नाश्ता खत्म भी कर लिया था सुभम चाय पीकर कप को टेबल पर रख कर जैसे ही खड़ा हुआ तो निर्मला की नजर पेंट में उसके तने हुए तंबू पर गई जो की पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, निर्मला का दिल किया कि एक बार फिर से शुभम के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदाई करवा ले,,, लेकिन वह अपनी भावनाओं पर काबू कर ले गई और शुभम भी बिना कुछ बोले अपने हाथ को धोने चला गया,,, और निर्मला अपने बेटे को जाता हुआ देख कर मुस्कुराने लगी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट इसलिए आई थी ,, क्योंकि उसे उसके बेटे को चुदाई करने के लिए ज्यादा तैयार नहीं करना पड़ता था उसे बस अपनी मादकता भरी गांड दिखाकर ही उसके लंड को खड़ा कर देती है,, शुभम के लंड को खड़ा करने के लिए उसे ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती थी इसीलिए तो उसे अपने बेटे पर गर्व होता था,,।

देखते ही देखते 15 दिन जैसे गुजर गए सरला अपने घर वापस लौट आई थी,,, लेकिन उसे अपनी बहू पांव भारी होने वाले एक भी लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे,, उसे इस बात से चिंता होने लगी,,, क्योंकि वह अपनी सारी इज्जत को दबा कर रख कर अपनी बहू को पड़ोस के जवान लड़के के साथ चुदवाने के लिए बोल चुकी थी और उसकी बहू भी मां बनने की खातिर अपने पड़ोस के लड़के से भरपूर चुदाई का आनंद ले चुकी थी लेकिन उसे भी इस बात की चिंता सताए जा रही थी कि अब तक उसे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ था कि जिससे उसे लगने लगी कि उसका पांव भारी हो गया है,,, इस बारे में सरला भी अपनी बहू से बात कर चुकी थी,, तो रुचि का यही कहना था कि वह अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर चुकी है ऐसा एक भी दिन खाली नहीं गया था जिस दिन शुभम उसकी भरपूर चुदाई ना किया हो और उसने अपनी शादी की सालगिरह वाली भी बात को एकदम बराबर वर्णन करते हुए अपने सास से बता चुकी थी,,, अपनी बहू की बात सुनकर सरला को चिंता होने लगी उसे लगने लगा कि शायद शुभम से भी वह गर्भवती नहीं हो पाएगी,,,, लेकिन रुचि को इस बात से बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी हां थोड़ी बहुत उलझन उसे जरूर हो रही थी कि इतने दिन से वह शुभम से चुदवा रही है लेकिन अभी तक वह मां बनने में सफल नहीं हो पाई,, कहीं ऐसा आगे भी चलता रहा तो सब कुछ बेकार हो जाएगा भले ही उसे शारीरिक सुख तो मिल जाएगा लेकिन मां बनने का सुख नहीं मिल पाएगा,,,




सास बहू दोनों चिंतित थे रुचि तो ज्यादा चिंता नहीं करती थी लेकिन अपनी सास के सामने आ जाने पर वह भी झूठ मुठ का चिंता का बहाना करने लगती थी क्योंकि वह इसमें अपनी किसी भी प्रकार की गलती शामिल नहीं होने देना चाहती थी कि उसे मां बनने से ज्यादा चुदाई का सुख अहम था,, लेकिन दो दिन बाद ही रुचि को इस बात का एहसास होने लगा कि उसके शरीर के अंदर कुछ बदलाव आना शुरू हो गया है उसका जी मचलना शुरू हो गया था और सुबह से दो बार उल्टी भी हो गई थी इस बात की खबर सरला को लगते ही वह मारे खुशी से पागल हो गई,,, क्योंकि उसके बेटे के माथे से कलर का जो हटने वाला था भले ही उसकी बहू के पेट में किसी और का बच्चा था लेकिन नाम तो उसका ही आने वाला था दुनिया को क्या खबर की उसकी बहू ने अपने पड़ोस के लड़के से चुदवा चुदवा कर मां बनी है,,, सरला बेहद खुश थी लेकिन रुचि के शरीर में आए इस बदलाव को पूरी तरह से कंफर्म करने के लिए वह रुचि से अपनी प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए बोली,, और रुचि भी अपनी सास की बात मानते हुए मेडिकल से प्रेगनेंसी टेस्ट किट लाकर उसे से टेस्ट की तो वास्तव में हुआ मां बनने वाली थी उसकी पेट में शुभम का बच्चा पल रहा था उसका पांव भारी हो गया था वह भी मारे खुशी के अपने सास के गले लग गई उसे इस बात की खुशी थी कि उसके पेट में पल रहा बच्चा खूबसूरत मर्दाना ताकत से भरपूर लड़के का था और उसकी खूबसूरती भी उसके संतान में भी उतर आएगी,,, दोनों काफी खुश थे लेकिन उन दोनों ने आपस में बात करके यह तय कर लिया था कि किसी भी हाल में शुभम को पता नहीं चलना चाहिए कि उसके पेट में पल रहा बच्चा उसका ही है वरना भविष्य में गजब हो जाएगा और रुचि को भी इस बात से इनकार बिल्कुल भी नहीं था वह भी नहीं चाहती थी कि ऐसी हालत में उसकी बदनामी हो ,,,भले ही उसके पति का बच्चा उसके पेट में ना होकर पड़ोस के शुभम का बच्चा उसके पेट में पल रहा था लेकिन फिर भी वह मां बनने का सुख तो भोग लेगी,,,, दूसरी तरफ उसका पति इस बात से बिल्कुल अनजान था कि उसकी पत्नी के पेट में बच्चा है और वह मां बनने वाली है और वह बाप बनने वाला है,,, सरला नहीं रुचि से कहीं कि वह फोन करके उसे बता दे कि वह मां बनने वाली है क्योंकि सरला अच्छी तरह से जानती थी कि औरत के पेट में पल रहे बच्चे के महीने से उसके बेटे को कुछ भी फर्क पड़ने वाला नहीं है उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है इसलिए रुचि भी अपने पति को फोन करके उसे बाप बनने की बधाई देने लगी उसका पति खुश तो था लेकिन इतनी खुशी रुचि को महसूस नहीं हुई जितना कि एक पति को बाप बनने की खबर सुनकर होती है वह समझ गई थी उसका पति एकदम बुद्धू है,,,,।




धीरे धीरे दिन गुजरने लगे और रुचि के बदन में बदलाव आना शुरू हो गया उसका शरीर धीरे-धीरे भारी होने लगा लेकिन शुभम को इस बारे में जरा भी पता नहीं था वह सरला के घर में होने के बावजूद भी चोरी-छिपे रुचि की चुदाई कर रहा था रुचि भी अच्छी तरह से जानती थी कि कुछ महीने तक वह भी शुभम की चुदाई का आनंद ले ले उसके बाद चुदाई करना उचित नहीं था,,, साला की बुर में भी आग लगी हुई थी वह मौका ढूंढ रही थी शुभम से चुदवाने के लिए लेकिन उसे मौका मिल नहीं रहा था सब कुछ जानते हुए भी उसे अपनी बहू के सामने शर्म महसूस होती थी वह नहीं चाहती थी कि जो एक बार गलती ऊससे हो गई दोबारा वही गलती उससे हो,,, वह मौके की तलाश में ही थी,,,

दूसरी तरफ स्कूल की छुट्टियां चल रही थी शीतल निर्मला दोनों के संबंध फिर से पहले की तरह हो गए थे दोनों में किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी खास करके शुभम को लेकर,,,, शीतल निर्मला के घर कभी भी आने जाने लगी थी दोनों घंटों बैठकर बातें करने लगे थे लेकिन निर्मला इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि शीतल के मन में कुछ और चल रहा है,, बातों ही बातों में शीतल ने अपने घर का रिनोवेशन कराने का जिक्र छेड़ दी और उसे किराए का घर चाहिए था जिसके बारे में जानते ही निर्मला ने अपने ही पड़ोस के खाली बंगले के बारे में उसे बता दी,,, शीतल बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी वह शुभम के इतनी पड़ोस में रहने के लिए हाथ में आया मौका गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए तुरंत शीतल से बात करके उस बंगले को देखने के लिए चली गई,,,,। उसे बंगला पसंद आ गया बंगले पर उसका ध्यान कहां था उसे तो बस शुभम के करीब रहना था सब कुछ तय हो गया एक हफ्ते बाद हुआ इस बंगले में अपना सामान खाली करके रहने आने वाली थी,,
इस बात को जानकर शुभम भी काफी खुश नजर आ रहा था लेकिन अपनी खुशी अपने चेहरे पर अपनी मां के सामने जाहिर नहीं होने दिया,,, निर्मला को शीतल के बिछाए जाल के बारे में रत्ती भर भी खबर नहीं थी बहुत शुभम को किसी भी तरह से अपना बनाना चाहती थी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी और ऐसा कुछ करना चाहती थी कि निर्मला को सब कुछ मालूम हो लेकिन वह कुछ बोल ना पाए ना तो अपने बेटे को रोक पाए इसीलिए वह फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी,,,

शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कल उसे अपना रिजल्ट लेने जाना था और वह नहीं चाहता था कि उसके रिजल्ट में उसके रंगीले पन की वजह से जरा भी कमी आए क्योंकि वह जानता था कि पढ़ाई से ज्यादा उसका मन चुदाई में लगने लगा था लेकिन फिर भी भाई मैं वह किसी से पीछे नहीं था,,, लेकिन एक टीचर का बेटा होने के नाते उसके ऊपर ज्यादा दबाव बना हुआ था अगर वह रिजल्ट में कम नंबर लाता है तो एक तरह से उसकी बदनामी हो जाती जो कि वह नहीं चाहता था,,,, रात भर उसे नींद नहीं आई,,,, रात के 3:00 बज रहे थे और वह अपने कमरे में उठकर इधर-उधर चलते हुए चहल कदमी कर रहा था,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था तो वह ठंडी हवा खाने के लिए छत पर चला गया जहां परिजन ठंडी हवा चल रही थी उसे ठंडी हवा से राहत महसूस होने लगी क्योंकि घबराहट की वजह से उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,
कुछ देर तक वह छत पर खड़ा होकर ठंडी हवा का मजा ले रहा था कि तभी उसे चूड़ियों के खाने पीने की आवाज आई और वह चूड़ियों की खनक ने की आवाज वाली दिशा में नजर घुमा कर देखा तो उसके होश उड़ गए वहां पर सरला सोई हुई थी छत पर नरम नरम गद्दे बिछाकर वह सोई हुई थी। वह एकदम बेसुध होकर सोई हुई थी,,, और वह भी पीठ के बल जिसकी वजह से साड़ी का पल्लू उसकी बड़ी बड़ी छातियों पर से नीचे आ गए थे,,, घुटनों को मोड़कर सोने की वजह से उसकी साड़ी ऊपर की तरफ सरक गई थी जिससे उसकी मोटी मोटी जांगे चांदनी रात में और भी ज्यादा चमक रही थी इस अवस्था में सरला को सोता हुआ देखकर शुभम की सारी चिंताएं हवा में फुर्र हो गई,,,,
 
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Desi Man

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बहुत मस्त अपडेट है दोस्त
 

kabir singh

Aye kabira maan jaa
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( दोनों की इस तरह की भुली बिसरी यादों के साथ गरम बातें करते हुए पूरे कमरे का माहौल फिर से गर्म हो गया ,,, शुभम का लंड एकदम कड़क लोहे की रोड की तरह हो गया और निर्मला की बुर पसीज के गीली होने लगी,,, कुछ तूफानी बारिश में दोनों के बीच किसी बात को लेकर दोनों में किसी भी प्रकार का अफसोस होता बल्कि खुशी उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिख रहे थे Nice update bhai
 

Rakesh1999

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Mast update bhai
 
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Flenchoo

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Lo gi ab to Sarla ki bahut dino ki mano kaamna poori hogi aaj? Ya phir kahin dono ko Nirmala chudai karte huye na pakar le ?Dekhte hain aage kya hota hai!!!!:hyper::hyper::hyper::hyper::hyper:
 

rohnny4545

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( दोनों की इस तरह की भुली बिसरी यादों के साथ गरम बातें करते हुए पूरे कमरे का माहौल फिर से गर्म हो गया ,,, शुभम का लंड एकदम कड़क लोहे की रोड की तरह हो गया और निर्मला की बुर पसीज के गीली होने लगी,,, कुछ तूफानी बारिश में दोनों के बीच किसी बात को लेकर दोनों में किसी भी प्रकार का अफसोस होता बल्कि खुशी उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिख रहे थे Nice update bhai
Thanks kabirbhai
 
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