, सरला और शुभम के बीच जो कुछ भी हुआ था बेहद रोमांचक और जबरदस्त हुआ था,,,जिंदगी में पहली बार शुभम अपनी मां की मौजूदगी में किसी गैर औरत की जबरदस्त चुदाई कर रहा था और वह भी उसकी मां के इतने करीब होने के बावजूद,, केवल उन दोनों के बीच में एक कंबल की अड़चन थी वरना सब कुछ निर्मला की आंखों के सामने था लेकिन सारे मामले को सरला इतने सहज भाव से संभाल ले गई कि निर्मला को शक तक नहीं हुआ कि कंबल के नीचे सरला अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई करवा रही है,,,,
निर्मला काफी चिंतित है क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि इतनी सुबह सुबह शुभम घर से बाहर चला जाए इसलिए शुभम को घर में वापस आता देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई और आते हैं तुरंत सवालों की झड़ी बरसा दी,,, लेकिन शुभम अपनी मां के सवालों का एकदम ठंडे भाव में जवाब देते हुए बोला,।
मम्मी तुम क्यों इतना परेशानहो रही हो तुम तो जानती ही हो कि आज रिजल्ट निकलने वाला है और इस बात को लेकर मैं कितना परेशान था रात भर मुझे नींद नहीं आई,,,इसलिए अपने मन को थोड़ा शांत करने के लिए मैं ठंडी हवा खाने के लिए सड़क पर निकल गया और अभी वापस लौटा हूं क्यों क्या हुआ,,,?
लेकिन तू क्यों इतना परेशान होता है मालूम है मैं कितना घबरा गई थी मैं समझ नहीं रही थी कि तू रिजल्ट की वजह से इतना परेशान हो जाएगा अरे मुझे पूरा यकीन है कि तू पास हो जाएगा और अच्छे नंबर से पास हो जाएगा,,,(इतना कहते हो गए निर्मला शुभम को अपने गले से लगा ले लेकिन शुभम एक बेटे के साथ-साथ सबसे पहले एक मर्द का जो कि गले लगाने की वजह से उसकी नरम नरम चुचियों का स्पर्श अपने सीने पर होते ही,,,शुभम की संभावना एक बार फिर से जागने लगी अभी अभी कुछ देर पहले ही वह अपनी मां की आंखों के सामने ही कंबल के नीचे पड़ोस की सरला आंटी की जबरदस्त चुदाई करके आया था और फिर से अपनी मां का नरम कामुक स्पर्श पाकर फिर से एकदम से चुदवासा होने लगा था इसलिए वह अपनी मां को अपनी बाहों में कस कर अपनी हथेली को उसकी बड़ी बड़ी गांड पर ले जाकर दबाना शुरू कर दिया उसकी मां उसे आश्चर्य से देखते हुए बोली,,,,
अच्छा तो जनाब को आज रिजल्ट निकलने का बहुत ज्यादा चिंता है और चिंता में रात भर नींद नहीं आई यही ना,,,
हां मम्मी मैं सच कह रहा हूं ,,,(इतना कहने को साथ ही शुभम धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को उपर की तरफ सरकाने लगा तो उसकी मां उसका हाथ झटक ते हुए बोली,,)
अभी कुछ भी नहीं रिजल्ट आ जाने दे शाम को तुझे खुश कर दूंगी ,,,(इतना कहकर शुभम की तरफ देखे बिना ही वह हंसकर रसोई घर में चली गई और शुभम बाथरूम में,,)
शुभम तकरीबन 12:00 बजे अपनी स्कूल पहुंच गया,,आज उसकी मां स्कूल नहीं गई थी इसलिए अकेला ही स्कूल गया था और जैसे ही रिजल्ट उसके हाथ में आया वह मारे खुशी के पागल हो गया क्योंकि उसका 92 परसेंट आया था,,, सबसे पहले उसने अपना रिजल्ट शीतल को दिखाया शीतल उसके रिजल्ट को देखते ही एकदम खुश हो गई और बोली ,,,, shital k sath masti karte huye..
आज तो तुमने मैदान मार लिया मुंह मीठा कब करा रहे हो,,,(दोनों बातचीत करते हुए सीढीओ से उतर रहे थे..)
जल्दी आपका मुंह मीठा करा दूंगा शीतल मैडम अभी तो मेरे पास पैसे बिल्कुल भी नहीं है,,,
लेकिन मुझे तो अभी मुंह मीठा करना है,,,( इतना कहते हुए शीतल सीढ़ी पर ही रुक गई शुभम उससे एक सीडी नीचे उतर कर वहीं खड़ा हो गया,,,)
मैडम जी समझा करो मेरे पास अभी पैसे बिल्कुल भी नहीं है मैं अकेला ही स्कूल आया हूं,,,
यह जरूरी नहीं सुभम की मिठाई खाकर ही मुंह मीठा किया जाए दूसरा तरीका भी है मुंह मीठा करने का,,,(इतना कहकर शीतल मुस्कुराने लगी शुभम समझ नहीं पा रहा था कि शीतल क्या कहना चाहिए इसलिए वहां बोला..)
मैडम जी आप क्या कहना चाह रही हैं मैं समझ नहीं पा रहा हूं,,,
इसमें समझने वाली बात नहीं है शुभम करने वाली बात है (इतना कहने के साथ ही शीतल अपनी गुलाबी होठों को अपना चेहरा झुका कर उसे शुभम के सामने परोस अपील की इस हरकत को देखकर शुभम समझ गया कि उसे क्या करना है लेकिन फिर भी वह अपने आजू-बाजू दृष्टि डालकर निश्चित कर लेना चाह रहा था कि कहीं कोई देख तोनहीं रहा है जब उसे कोई भी नजर नहीं आया तो वह भी अपने गुलाबी होठों को आगे करके शीतल के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चुमना नहीं बल्कि चुसना शुरू कर दिया,,,जैसे ही शुभम को शीतल के गुलाबी होंठों का स्पर्श अपने होठों पर हुआ उसके तन बदन में आग लग गया उसके पैंट के अंदर उसका लंड फुफकारने लगा,,,शीतल भी मर्दाना जोश से भरे हुए होंठों का स्पर्श अपने होंठ पर कर के अंदर तक उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,,लो कट ब्लाउज पहने होने की वजह से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां झुकने की वजह से और ज्यादा ब्लाउज के बाहर आ गई जिसे शुभम उत्तेजना के मारे अपने दोनों हाथों से थाम लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया जिससे शीतल के तन बदन में यह काम आग में घी डालने का कर रहा था,,,, शुभम की यह हरकत शीतल को मोटे तगड़े लंड के लिए तड़पाने लगी और शीतल उत्तेजना बस अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर शुभम के पेंट के ऊपर से ही उसके तने हुए लंड को दबाना शुरू कर दी,,,, शुभम के खड़े लंड को पेंट के ऊपर से पकड़कर शीतल एकदम मदहोश होने लगी मदहोशी उसके तन बदन में छाने लगी वह जोर-जोर से सुभम के लंड को पेंट के ऊपर से दबाना शुरु कर दी,,, शीतल एकदम से चुदवाती हो रही थी वह भी भूल गई कि वह इस वक्त स्कूल में स्कूल की सीढ़ी पर खड़ी है जहां पर किसी भी वक्त किसी के भी आने की
आशंका हो सकती है तो पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी और शुभम भी शीतल के गुलाबी होंठों को चूस कर एकदम मस्त हुए जा रहा था उसके अंदर जैसे लग रहा था कि 4 बोतलों का नशा होने लगा है वह दोनों हाथ से शीतल की दोनों चूचियों से खेल रहा था उसका बस चलता तो ब्लाउज के बटन खोल कर उन्हें बाहर निकाल लेता और होंठों की जगह उसको मुंह में भरकर चूसना शुरू कर देता,, शुभम की हालत खराब होने जा रही थी काफी दिनों बाद उसे शीतल के लाल लाल होठों को चूसने का मौका जो मिला था यही अच्छा तोहफा था शीतल की तरफ से शुभम के लिए और मुंह मीठा कराने का शुभम की तरफ से शीतल के लिए,,,, दोनों काम भावना के अधीन होकर एक दूसरे की अंगों को खंगालने की पूरी कोशिश कर रहे थे,,।
दोनों लगातार एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए एक दूसरे के नाजुक अंगों से खेल रहे थे,,, शुभम शीतल की कसी हुई ब्लाउज में कैद दोनों कबूतरों को जी जान से दोनों हाथों से दबा रहा था ,,, ऐसा लग रहा था मानो वह दोनों कबूतरों का गला घोट रहा हो,,, लेकिन इसमें दोनों कबूतरों की जान निकलने की संभावना बिल्कुल भी नहीं थी,,, इससे दोनों की खूबसूरती में और चार चांद लग जाने का गुंजाइश पूरा था।
shital ki madmast gaand
शुभम के खड़े लंड को पेंट के ऊपर से जोर जोर से दबाने की वजह से उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो गई थी वह लगातार मदन रस बरसा रही थी,,,,,शीतल की तो इच्छा हो रही थी कि अभी इसी वक्त अपनी साड़ी उठाकर पीछे से शुभम के लंड को अपनी बुर में दाखिल करवा ले ,,,और यही अच्छा शुभम की भी हो रही थी काम भावना में दोनों इतने मस्त हो गए थे कि इस बात का भान तक दोनों में नहीं था कि वह दोनों कहां खड़े हैं,,पहले से ही सुभम की शीतल को चोदने की इच्छा बहुत होती थी लेकिन आज इस तरह की हरकत की वजह से वह शीतल को इसी समय चोदने के मूड में था,,, वह अपने लंड में काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दे,,, इन दोनों का कार्यक्रम कुछ और ज्यादा आगे बढ़ता इससे पहले ही उन दोनों को किसी के आने की कदमों की आहट सुनाई देने लगी दोनों झट से एक दूसरे से अलग हो गए और शीतल जल्दी से अपने कपड़े को व्यवस्थित करने लगी तभी सामने से प्रिंसिपल सर आते हुए नजर आए,,, प्रिंसिपल को देखते ही दोनों की हालत खराब होने लगी वह दोनों कुछ कहते हैं इससे पहले ही प्रिंसिपल बोल पड़े,,,
शीतल यहां क्या कर रही हो तुम्हें शर्मा मैडम बुला रही हैं,,,
कुछ नहीं सर शुभम का रिजल्ट आया था तो वही देख रही थी,,,
अच्छा यह तो अपने निर्मला मैडम के लड़के हैं ना,,,,
हां सर उन्हीं के लड़के हैं दिखाओ तो अपना रिजल्ट(बड़ी मुश्किल से सुदामा अपने पेंट के तंबू को प्रिंसिपल सर के नजरों से बचाकर अपना रिजल्ट उनके हाथ में थमा दिया जिसे देख कर खुश होते हुए प्रिंसिपल बोले,,,)
मुझे पूरा यकीन था शुभम की एक टीचर के लड़के होने के नाते तुम बहुत ही अच्छा नंबर लाओगे,,, और मेरी उम्मीद से तुम कहीं ज्यादा खरे उतरे हो वेल्डन माय बॉय,,,(इतना कहकर प्रिंसिपल शुभम की पीठ थपथपाते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर गया,,,प्रिंसिपल के जाते ही शुभम एक बार फिर से शीतल के लाल लाल होठों का स्वाद लेना चाहता था लेकिन तभी 2 4 विद्यार्थी वहां आते हुए दिखाई दिए तब ना चाहते हुए भी दोनों को एक दूसरे से अलग होना पड़ा,,,
घर पहुंच कर जैसे ही वह रिजल्ट को अपनी मां के हाथों में थमाया,, रिजल्ट देख कर निर्मला एकदम खुश हो गई उसकी आंखों में चमक देखकर शुभम खुश होने लगा उसकी मां तुरंत उसे अपने गले लगा कर उसके माथे को चूम ली,,, लेकिन इतने से शुभम कहां मानने वाला था,,शीतल ने अपनी कामुक हरकतों से वैसे ही पहले से उसे काफी एकदम से चुदवासा बना दिया था,,, इस तरह से उसकी मां के द्वारा गले लगाने की वजह से खूबसूरत बाहों में आते ही एक बार फिर से शुभम का लंड खड़ा हो गया,,, वह प्यार से उसके माथे को चूम रही थी तो शुभम जवाब में उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया,,,निर्मला को लगा कि उसका बेटा बस ऐसे ही दुलार में उसके होंठों को चूस रहा है लेकिन पलभर में ही उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा काफी उत्तेजित हो चुका है और जोर-जोर से अपने मुंह में भर कर निर्मला के लाल लाल होठों का रस पीना शुरू कर दिया और साथ ही अपने दोनों हाथों को उसके पूरे बदन पर घुमाने लगा,,,,
वह कभी ब्लाउज के ऊपर से उसकी दोनों चूचियों को दबाता तो कभी उसकी साड़ी के ऊपर से बड़ी बड़ी गांड को मसल देता,,,साथ ही प्रिंट में बने अपने कमरों को बाहर बार उसकी दोनों टांगों के बीच दबा दे रहा था जिससे निर्मला को भी उसके लंड का खड़े होने का एहसास हो रहा था,,, लेकिन निर्मला के समय कुछ भी करवाना नहीं चाहती थी लेकिन शुभम कहां मानने वाला था वह धीरे-धीरे निर्मला के साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा और निर्मला उसे रोकते हुए बोली,,,
अभी नहीं सुभम बाद में आराम से तुझे दूंगी अभी मत ले,,,
नहीं मम्मी मुझे अभीतुम्हारी लेना है क्योंकि तुमने मुझे वादा की थी कि रिजल्ट आने के बाद तुम मुझे दोगी इसलिए मे मानने वाला नहीं हूं ,,,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजना बस सुभम में इतनी ज्यादा ताकत आ गई थी कि वह अपना दोनों हाथ निर्मला के नितंबों को लगाकर उसे उठा लिया,, धीरे-धीरे वह सीधा अपनी मां को अपनी गोद में उठा लिया जो कि बेहद काम उत्तेजना से भरा हुआ ना जा रहा था क्योंकि निर्मला का बदन काफी भारी था शुभम जी अपनी जवानी की दौड़ में था और प्रकृति बदन होने की वजह से ऊसमें काफी ताकत थी और उससे भी ज्यादा तो वह उत्तेजित था और उत्तेजना में इंसान कुछ भी कर सकता है और उत्तेजना के चलते वह अपनी मां को गोद में उठा लिया था उसकी साड़ी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, सुबह एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने पजामे को नीचे कर दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया,,, उसकी मां उसे रोकती रही लेकिन वह माना नहीं और अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गांड के बीचों बीच रखकर जैसे ही दबाया तो उसे इस बात का आभास हुआ कि उसकी मां ने पैंटी पहन रखी है इसलिए उसे एक हाथ से पेंटी को उसकी बुर वाली जगह से हटाने लगा ताकि ऊतनी सी जगह में अपने लंड को डालकर उसकी बुर में प्रवेश करा सके लेकिन जिस तरह से अपनी मां को गोद में उठाए हुए थाउस स्थिति में पेंटी का थोड़ा सा भी उसके स्थान से सड़क जाना नामुमकिन था इस बात को अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए जहां पर उसकी मां सीढ़ियों के पास खड़ी थी पर वह अपनी मां को लिटा दिया,,, साड़ी अभी भी कमर तक चढ़ी हुई थी जिससे उसकी मोटी मोटी मांसल गुदाज गोरी जांघें नजर आ रही थी जिसे देखते ही शुभम की आंखों में वासना की चमक उभर आई,,,,, उसकी मां दोनों टांगों को फैला कर रखी हुई थी जिससे शुभम उसकी पैंटी को निकाल नहीं पाए,,शुभम गहरी गहरी सांसे लेता हुआ अपनी मां के मदमस्त बदन को देख रहा था वह सीढ़ियों पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,, ओर सुभम उसके पास ही खड़ा होकर अपने लंड को हिला रहा था जो कि हीलता हुआ खड़ा लंड देखकर निर्मला के भी अरमान मचलने लगे लेकिन फिर भी वह ऊपरी मनसे ना नुकुर कर रही थी,,,
देखते ही देखते अपने खड़े लंड को हाथ से हिलाते हुए शुभम अपनी मां के ऊपर पूरी तरह से झुक गया और केवल उसकी पैंटी को बिना उतारे मात्र उसकी फूली हुई बुर पर से उसकी पैंटी को हटाकर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया,, शुभम ने अपने लंड को धीरे से नहीं बल्कि एक झटके से निर्मला की बुर में डाल दिया था जिससे उसकी मुंह से दर्द भरी आह निकल गई,,
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घोड़ा मैदान में उतर चुका था और घोड़े की रेस पूरी हो चुकी थी ऐसे में घुड़सवार का घोड़ा रोक देना नामुमकिन था,,,क्योंकि वह भी विजय हासिल करने के लिए ही रेश में ऊतरा था इसलिए सुभम बिना रुके और बिना थके अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया ,,,और उसके कमर हिलाने के साथ ही उसका लंड बुर के मैदान में दौड़ लगाना शुरू कर दिया,,, शुभम की कमर चाबुक का काम कर रही थी और जितना जोर देकर अपनी कमर को हिलाता उसका लंड उतनी ही तेजी के साथ निर्मला की बुर के अंदर दौड़ लगाना शुरु कर देता था ,,, लंड के अंदर बाहर होने की वजह से निर्मला के गर्म बुर से गर्म आंच निकल रही थी,,,
हर धक्के के साथ निर्मला की आह निकल जा रही थी ,,,
काम भावना के अधीन होकर शुभम सीढ़ियों पर ही अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,
दोनों को काफी आनंद की अनुभूति हो रही थी देखते ही देखते शुभम अपने तेज धक्कों के साथ अपनी मां की बुर में झड़ गया,,, निर्मला शुरू शुरू में इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी लेकिन शुभम की जबरदस्ती की आंखें और उसकी हरकत की वजह से उसके अंदर भी काम भावना जागरूक हो गई थी जिसकी वजह से वह शुभम कि इस तरह की चुदाई से मस्त हो गई,, शुभम हाफते हुए अपनी मां के ऊपर निढाल होकर गिर गया था थोड़ी देर बाद अपनी सांसो को दुरुस्त करके वह खड़ा हुआ और पजामे को ऊपर करने लगा,,, तो निर्मला भी अपने कपड़ों को दुरुस्त करते हुए बोली,,,।
थोड़ा सब्र नहीं कर सकता था कह तो रही थी शाम को आराम से दूंगी तुझे अभी जल्दी पड़ी थी,,
लेकिन मेरा मन अभी कर रहा था तो मैं क्या करूं,,, वैसे भी मम्मी तुम्हें जब भी देखता हूं मेरा खड़ा हो जाता है इसलिए मैं आज अपने आप को रोक नहीं पाया वैसे आप को बुरा लगा हो तो उसके लिए माफी चाहता हूं,,,
(भला निर्मला को कब बुरा लगने वाला था से तो अच्छा ही लगा था मजा ही आया था,,,इसलिए वो कुछ बोली नहीं बस मुस्कुरा कर रसोई घर में चली गई,,, दूसरे दिन शीतल निर्मला से मिलने आई और बात ही बात में शुभम के रिजल्ट वाली बात करने लगी,,, निर्मला से ज्यादा खुश शीतल नजर आ रही थी,,, शुभम के अच्छे नंबर से पास होने की खुशी में निर्मला ने शीतल को खाने पर बुला ली,,
दूसरे दिन तीनों खाने की मेज पर स्वादिष्ट खाने का आनंद ले रहे थे कि तभी शीतल निर्मला से बोली,,,
निर्मला अब में इस हफ्ते हीतुम्हारे पड़ोस वाले घर में शिफ्ट होना चाहती हैं क्योंकि घर का रिनोवेशन का काम जल्द ही शुरू करना है,,,
यह तो बहुत ही अच्छी बात है तुम जितनी जल्दी मेरे पड़ोस में आ जाओ मुझे तो ऊतनी ज्यादा खुशी मिलेगी,,,(निर्मला और शीतल दोनों की बातें सुनकर शुभम मन ही मन खुश हो रहा था,,,)
तो ठीक है मैं अभी अपने घर का सामान इधर लिफ्ट कराती हैं और 2 दिन बाद यहां रहने आ जाऊंगी,,, (शीतल बात तो निर्मला से कर रही थी लेकिन कनखियों से शुभम की तरफ देख रही थी वह अपनी बात के जरिए उसे बताना चाहती थी कि 2 दिन बाद वह उसके पड़ोस में ही रहने वाली है तब हम दोनों को बहुत ज्यादा मौका मिल जाएगा अपनी इच्छा पूरी करने के लिए,, थोड़ी देर बाद तीनों ने खाना खा लिया था,,, शीतल अपने घर चली गई और निर्मला शुभम को लेकर अपने कमरे में चली गई,,, क्योंकि उसकी बुर में कुछ ज्यादा ही खुजली हो रही थी,,,
धीरे-धीरे शीतल अपने घर का सारा सामान अपने भाड़े के बंगले में शिफ्ट करने लगी,,, और 2 दिन बाद में खुद उसे घर में रहने आ गई,,, शीतल निर्मला और शुभम तीनों अपने अपने तरीके से खुश नजर आ रहे हैं उन तीनों का अलग ही स्वार्थ था निर्मला इसलिए खुश थी कि उसकी सबसे अच्छी सहेली उसके पड़ोस में आ गई थी जिसे वह आप जब चाहे तब बात कर सकती थी शीतल इसलिए खुश थी कि उसके मन का मीत शुभम उस के बेहद करीब था और यहां पर उसे जरूर मौका मिल ही जाएगा अपनी प्यास बुझाने का और शुभम इसलिए खुश था कि अपने पड़ोस में उसके सपनों की मल्लिका शीतल रहने आ गई थी अब वह जब चाहे तब शीतल की खूबसूरती से अपनी आंखों को सेंक लेगा,,,
अब जब दिल करता था तब निर्मला शीतल के घर चली जाती थी या तो शीतल निर्मला के घर चली आती थी दोनों का दिन बहुत अच्छे से कट रहा था ,,,, लेकिन अभी तक शुभम और शीतल दोनों को ऐसा कोई भी मौका प्राप्त नहीं हुआ था जिसमें वह लोग अपने मन की ख्वाहिश को पूरी कर सके,,,
ऐसे ही 1 दिन दोपहर का समय था और शुभम अपने कमरे में आराम कर रहा था निर्मला घर का काम कर रही थी,,,निर्मला को अपने बदन में दर्द महसूस हो रहा था इसलिए वह शुभम को यह कहकर अपने कमरे में चली गई की अलमारी में से सरसों के तेल की शीशीलेकर आ जाए और उसके कमर की मालिश कर दे क्योंकि उसे बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था,,,, शुभम अपनी मां की बात मानते हुए अलमारी में से सरसों की तेल की शीशी निकाला और अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया,,,
Nirmala ki khubsurat gaand se masti karte huye ,,,jiska Deewana Shubham hamesha se raha hai