शुभम हाथों में सरसों के तेल की शीशी लिए अपनी मां के कमरे की तरफ जा रहा था। उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां के बदन में दर्द हो रहा है इसलिए पूरी तरह से सामान्य तौर पर एक दम सहज था लेकिन निर्मला के मन में तूफान उमड़ रहा था,,, दुपहरी धूप में उसे अपनी काम भावना पर जरा भी सब्र नहीं हो रहा था,, मालीश का तो बस बहाना था,,, शुभम हाथ में सरसों के तेल की शीशी लिए अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया,,, दरवाजा खोलने की कोई जरूरत नहीं थी दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था बस सीटकनी नहीं लगी हुई थी,,, एक हाथ मे शीशी लिए शुभम दूसरे हाथ से दरवाजे पर हल्का सा दबाव दिया दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,, और जैसे ही दरवाजा खुला सामने बिस्तर पर का नजारा देखकर शुभम की सांस अटक गई,,, बिस्तर पर निर्मला एकदम नंगी पेट के बल लेटी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी गुदाज गांड शुभम की आंखों के सामने कहर ढा रही थी,,,, निर्मला एकदम निश्चिंत होकर बिस्तर पर पेट के बल लेट कर मैगजीन के पन्ने को इधर-उधर कर रही थी और अपने दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर ऊपर उठाकर आपस में पैरों को हिलाते हुए पायल को बजा रही थी,,,,, इस अवस्था में अपनी मां को देखकर शुभम को एक बार फिर से अपनी मां पर गर्व होने लगा क्योंकि इस उम्र में भी उसकी मां एक नौजवान औरत की तरह लगती थी,, वो तेरे से कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन उसे ब्लॉक नहीं किया क्योंकि उसे मालूम था कि घर पर उन दोनों की सिवा तीसरा कोई भी नहीं था और कोई दिन में आने वाला भी नहीं था इसलिए वह निश्चिंत होकर सरसों के तेल की शीशी लेकर अपनी मां के पास पहुंच गया,,,वह अभी भी शुभम की तरफ ध्यान दिए बिना ही अपने नंगे पन का रस शुभम की आंखों में झोंकते हुए मैगजीन के पन्ने पलट रही थी,,,, शुभम अपनी मां की कामुकता और उसके नंगे बदन को देख कर अपने आप पर सपना नहीं कर पाया और सरसों के तेल की शीशी को बगल के कपाट पर रखकर एक हाथ से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए बोला,,,
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वाह मम्मी आज तो कयामत लग रही हो,,,
आहहहहहह,,,(गांड पर जोर से चपत पड़ने के कारण उसके मुंह से आहह निकल गई,,) क्या करता है,,,. लगता है तुझे मेरी गांड कुछ ज्यादा ही पसंद,,, है,,,
पसंद के बाहों के हिंदी गाने दुनिया की सबसे खूबसूरत गांड तुम्हारे पास है जिसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,(शुभम उसी तरह से थोड़ा सा झुककर अपनी मां की गोरी गोरी गांड को अपने हाथ से सहलाते हुए बोला,,,)
ला दीखा तो मैं भी देखूं क्या तु सच कह रहा है या झूठ (इतना कहने के साथ ही निर्मला लेटे-लेटे ही बस थोड़ा सा अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर अपने आपको थोड़ा ऊपर उठा ली और अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर शुभम के पजामे के ऊपर से उसके लंड को टटोलने लगी जो कि वाकई में धीरे-धीरे बढ़ने लगा था,,,)
तू तो सच कह रहा रे,,, (पजामे के ऊपर से ही सुभम के लंड को जोर से दबाते हुए जिसकी वजह से शुभम की चीख निकल गई,,,)
आहहह,,, मम्मी,,,
क्यों क्या हुआ,,? दर्द किया ना बेटा मुझे भी दर्द करता है जब तु जोर-जोर से मेरी गांड पर चपत लगाता हैं,,,
लेकिन मम्मी मजा भी तो आता है ना ,,,(इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से जोर से अपनी मां की गांड पर चपत लगा दिया जिसकी वजह से पलभर में ही निर्मला की गोरी गांड लाल हो गई,,,)
तु नही सुधरने वाला,,,(इतना कहने के साथ ही वह वापस लेट गई और उसी तरह से मैगजीन के पन्ने पलटने लगी,,,और इस बार अपने पैरों के साथ-साथ अपने नितंबों पर भी लहराव देते हुए उसे लहराने लगी,,, यह देखकर शुभम का मन डोलने लगा,,, हालांकि वह अभी भी अपनी मां की गांड को हाथों से सहला रहा था,,, निर्मला की कामुक अवस्था को देखते हुए शुभम का मन डोलने लगा था,,, और वह अपनी मन की बात को अपनी मां से बताते हुए बोला,।
मम्मी तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड देखकर आज मेरा मन फिर से कर रहा है तुम्हारी गांड मारने को,,, (इस बार शुभम अपने बीच वाली उंगली को अपनी मां की गांड के दोनों फांकों के बीच की गहरी दरार में धंसाते हुए बोला,,, जिसकी वजह से निर्मला के बदन में उत्तेजना भरी सिहरन होने लगी,, अपने बेटे की हरकत की वजह से निर्मला पूरी तरह मदहोश हो गई,,, लेकिन वह अपनी मदहोशी भरी आहहह को अपने चेहरे पर लाना नहीं चाहती थी और वह अपने बेटे से बोली,,,)

शुभम तुझे तो बस वही चीज दिखता है और कुछ दिखता ही नहीं है तुझे मालूम है मेरे कमर में दर्द हो रही है पहले मेरे कमर पर तेल से मालिश करके मुझे राहत दे दे उसके बाद तुझे जो करना है कर लेना,,,(इच्छा तो निर्मला की भी आई हो रही थी कि वह अपने बेटे के मोटे लंड को एक बार फिर से अपने कान के भूरे रंग के छेद में लेकर मस्त हो जाए क्योंकि गांड मारने का एहसास उसे जबरदस्त उत्तेजना के सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर देता था लेकिन वह अपने मन की बात को अपने बेटे से बताना नहीं चाहती थी,, क्योंकि उसे गांड मरवाने वाली बात को सोचकर ही शर्म महसूस होती थी लेकिन मजा भी बेहद आता था इसलिए वह एक बहाने से मालिश करवाना चाहती थी,,,क्योंकि उसे विश्वास था कि उसकी गांड की मालिश करते करते सुभम उसकी गांड मारे बिना नहीं रह पाएगा,,,,
( शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी आंखों के सामने थी,, उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड़ जो कि पहले से शुभम के आकर्षण उत्तेजना का केंद्र बिंदु रहा है,,,वह अपनी मां की बात सुनकर कपाट पर से सरसों के तेल की शीशी ले लिया और उसके ढक्कन को खोल कर सरसों के तेल की धार को अपनी मां की गांड के बीचो बीच की गहरी दरार पर गिराने लगा,,
सससहहहहह,,,,आहहरह,,,(सरसों के तेल की धार को अपने गांड के बीचोबीच महसूस करके निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,अपनी मां की हालत को देखकर शुभम समझ गया था कि आज फिर उसे गांड का द्वार खोलने का सुख मिलेगा,,, वह पूरी तरह से अपनी मां की गोरी गोरी गांड को सरसों के तेल से भिगो दिया,, और अपने दोनों हाथों की हथेली को अपनी मां के गोलाकार नितंबों पर कसते हुए जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,
केवल दबीता ही रहेगा या मालिश भी करेगा,,,,,
कर तो रहा हूं मम्मी थोड़ा सा तुम्हारी गांड से खेल लेने दो,,,
रोज उससे खेलता है लेकिन तेरा मन भरा नहीं,,,
क्या बात कर रही हो मम्मी अगर मर्दों का मन औरत के अंगो से भर जाए तो बार-बार औरत की जरूरत ही कहां रहती है,, फिर तो मर्द अपने रास्ते और औरत अपने रास्ते,,, फिर मर्द लार टपकाते हुए औरतों के आगे पीछे नजर नहीं आएंगे,,,
हंममम,, बातों का जाल बुनना तो कोई तुझसे ही सीखे, चल अब बातों में मुझे मत ऊलझा और मेरी मालिश कर,,,,
(एक बार फिर शुभम की हथेली उसकी मां की मदमस्त गांड शिरकत करने लगी,,, शुभम अपनी मां के गोल गोल गांड को देखकर पागल हुए जा रहा था,,क्योंकि उनकी मां की गांड ऐसी वैसी सामान्य गांड नहीं थी जबरदस्त मादकता से भरी हुई ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की गांड हो,,, जिसे देख कर दुनिया का हर मर्द पागल हो जाता था,,और वह खूबसूरत बेशकीमती मादकता से भरी हुई गांड ईस समय सुभम के हाथों में थी जिसे व जोर-जोर से दबाते हुए मालिश कर रहा था,,
Shubham Nirmala ki malish karte huye
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सससहहहहह,,,आहहहह,,,,, सुभम,,,ऐसे ही,,, बेटा,,,,ऊफफ,,,, बहुत अच्छा दबा रहा है तू,,,ऊमममम,,
( हम जानता था कि उसकी मां के बदन में दर्द नहीं हो रहा है बस एक बहाना था,, क्योंकि उसके मां के मुंह से निकलने वाली इस तरह की आवाज राहत भरी नहीं बल्कि मादकता भरी सिसकारी की आवाज थी,,,,अपनी मां की गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर सुभम की हालत खराब होने लगी थी और बार-बार अपने लंड को एक हाथ से एडजेस्ट करने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब ऊससे सब्र नहीं हुआ तो वह अपने पजाम् को उतार फेंका और कमर के नीचे पूरा नंगा हो गया,,, उसकी सांसे अटक रही थी,, निर्मला कनखियों से यह देख रही थी कि उसका बेटा अपने पजामे को उतारकर एकदम नंगा हो गया था उसके खड़े लंड को देखकर उसके मुंह में भी पानी आ रहा था,,,, लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,शुभम फिर से अपनी मां की गांड की मालिश करते हुए इस बार अपनी बीच वाली उंगली को अपनी उंगली से टटोलते हुए अपनी मां की गांड के भुरे रंग के छेंद के ऊपर रखकर ऊसे हल्के हल्के से दबाना शुरू कर दिया जो कि सरसों के तेल की चिकनाहट के कारण धीरे-धीरे अंदर की तरफ से सरकने लगा,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से निर्मला का गला सूखने लगा,,, उसे साफ एहसास हो रहा था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी गांड के छेद में डाल रहा है,, उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,दोनों में से कोई एक शब्द भी नहीं बोल रहा था बस उस पल का एहसास अपने अंदर समेट कर आनंद के सागर में डूबते चले जा रहे थे,,।
क्रमश:....