निर्मला के कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म आ चुका था एक तो वातावरण में गर्मी का असर ऊपर से कमरे में गरमा गरम द्रश्य के साथ सबसे अधिक गर्म औरत निर्मला अपने सारे कपड़े उतार कर अपने बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अपने बेटे से अपने नितंबों की मालिश करा रही थी शुभम भी कुछ कम नहीं था वह अपनी कामुक हरकतों से से अपनी मां को पूरी तरह से उत्तेजित किए जा रहा था इस समय उसकी बीच वाली उंगली उसके दोनों के बीच की गहरी दरार की गहराई में धंसती चली जा रही थी,,,,शुभम के भी सांसो की गति तेज हुए जा रही थी और उसके लंड का पारा बढ़ता चला जा रहा था,,,, निर्मला की गोरी गांड सरसों के तेल की चिकनाहट से पूरी तरह से ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में चमक रही थी ,,सुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,,वह धीरे-धीरे अपने बीच वाली उंगली को अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद में घुसाता चला जा रहा था,,, और जैसे-जैसे शुभम की बीच वाली उंगली निर्मला की गांड की गहराई नाप रही थी वैसे वैसे निर्मला का बदन उत्तेजना के मारे कसमसाता हुआ ऊपर नीचे हो रहा था,, निर्मला का दिल जोरों से धक धक हो रहा था,, शुभम ने अपनी कामुक हरकतों से एक बार फिर से निर्मला के बदन में वो एहसास भर दिया था जब वह पहली बार उसकी गांड के छेद में अपना मोटा लंड डालकर उसे छल्ले के आकार का कर दिया था,,
उत्तेजना के मारे शुभम के माथे से पसीना टपकने लगा,, उसका गला सूखता चला जा रहा था,
सससहहहहह,,, आहहहहहह,,, शुभम ये क्या कर रहा है,,,
तुम मुझे फिर मजबूर कर रहा है,,,
किस लिए मम्मी,,,,
उसी के लिए जो तू चाहता है,,,
क्या तुम नहीं चाहती,,,
मैं नहीं चाहती क्योंकि मुझे बहुत दर्द करता है,,,
पर मजा भी तो देता है,,
फिर भी मुझे सब अच्छा नहीं लगता,,,
क्या अच्छा नहीं लगता,,,(शुभम धीरे-धीरे करके अपनी बीच वाली उंगली को जितना घुस सकती थी उतना घुसा दिया था और उसे गोल गोल घुमा रहा था जिससे निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फुटने लगी थी,,,)
Shubham ka mota taGDAA LUND JISE DEKHTE HI NIRMALA KA MAN MACHALNR LAGA

सससहहहहह,,,,,, गांड मराना,,,(निर्मला एकदम सिसकते हुए मादक स्वर में बोली,,,)
हाय मेरी रानी गांड मराना इतना खराब लगता है तो तुम्हारी गांड में जब मैं अपना मोटा लंड डालकर तुम्हारी गांड मार रहा था तो क्यों गांड उछाल उछाल कर मजे ले रही थी (शुभम एकदम उत्तेजित होकर अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की गांड के अंदर बाहर करता हुआ बोला,,)
आहहहहहह,,, उस दिन की बात कुछ और थी लेकिन अब मुझे डर लगता है,,,
क्यों अप क्यों डर लगता है,,,,
देखता नहीं तेरा लंड कितना मोटा है ,,,(अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी बेटे के खड़े लंड को हाथ पकड़ते हुए बोली,,)
पर घुस तो जाता है ना,,,,
लेकिन,,,,,
लेकिन लेकिन कुछ नहीं मम्मी,,, फिर से तुम्हारी गांड मारने का मन कर रहा है,,(शुभम अपनी उंगली गांड के छेद से बाहर निकालकर दोनों हाथों में अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पकड़कर उसे फैलाते हुए बोला और इसके साथ ही अपना मुंह गांड के भूरे रंग के छेद पर डाल दिया और उसे जीभ से चाटना शुरू कर दिया बस फिर क्या था निर्मला एकदम से मदहोश होने लगी,,, और मदहोशी के आलम में उसका पूरा बदन सिहरने लगा,,उसका मन भी अपने बेटे से गांड मराने को कर रहा था लेकिन वह अपने मुंह से बोल नहीं पा रही थी बस बहाना बना कर इधर-उधर की बातें कर रही थी,,,शुभम लगातार अपनी मां को मदहोश करते हुए उसकी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाटता रहा,,,
NIRMALA ki aankho k samne shubham ka mota lund

गांड के छेद को जीभ से चाटने में शुभम को नशा सा महसूस होने लगा था,,, वह पागल हुए जा रहा था ,,,
अब वह पूरी तरह से तैयार था अपनी मां की गांड में अपना मोटा लंड डालकर उसकी गांड मारने के लिए और निर्मला भी पूरी तरह से तैयार थी अपने बेटे से एक बार फिर से गांड मरवाने के अहसास से भर जाने के लिए ,,,,
शुभम अपना मुंह अपनी मां की भारी-भरकम गांड से हटाकर अपनी टी-शर्ट को निकालकर एकदम नंगा हो गया,,, अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे संपूर्ण नग्न अवस्था में थे,,, निर्मला जिस स्थिति में पेट के बल लेटी हुई थी उसी स्थिति में थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा उसी पोजीशन में उसके पीछे से लेने वाला है,,,,शुभम भी पूरी तरह से तैयार था पीछे से एक बार फिर से अपनी मां की लेने के लिए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि गांड मारने के एहसास से वह पूरी तरह से भर चुका था,,, शुभम अपने लिए योग्य स्थिति बनाने हेतु अपने दोनों हाथ को अपनी मां की पेट के नीचे ले जाकर उसे हल्के से उठाने लगा ताकि निर्मला घुटनों के बल होकर अपनी मद मस्त बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहरा दे,,, जैसा शुभम चाहता था ठीक वैसा ही निर्मला ने की,, वह घुटनों के बल होकरअपने सिर को नीचे तकिए के सहारे कर दी और अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराने लगी ऐसा लग रहा था कि मानो कोई अपने आप को सामने वाले पक्ष की ताकत के अधीन होकर समर्पण कर रहा और अपने समर्पण स्थिति को दर्शाने के लिए हवा में पताका लहरा रहा हो,,,
Shubham or nirmla

अपनी मां की लहराती हुई बड़ी बड़ी गांड को देखकर शुभम एकदम उत्तेजना से भर गया,,, एक उसके पीछे वह भी घुटनों के बल बैठा हुआ था उसका लंड पूरी तरह से टन टनाकर खड़ा हो गया था मानो लोहे की छड़ हो। वह पोजीशन लेते हुए अपनी उंगलियों पर थूक लगाकर उसे अपने लंड के सुपाड़े पर रगड़ने लगा ताकि उसका लंड गीला हो जाए और गीलेपन के कारण उसका लंड आराम से उसकी मां की गांड के छेद में चला जाए,, अपनी नजर को पीछे की तरफ करके निर्मला अपने बेटे की हरकत को देखकर कसमसा रही थी ,,, वह आने वाले पल के लिए बेहद उत्सुक थी,,देखते देखते शुभम ठीक है अपनी मां के पीछे आगे जैसे ही वह एकदम पीछे आया निर्मला बोल पड़ी,,
nirmala ki badi badi gaand

संभाल कर बेटा,,,
तुम चिंता मत करो मम्मी कुछ भी नहीं होगा,,, बस मजा ही मजा आएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम एक हाथ में अपना लंड पकड़ कर उसे हिलाते हुए उसके गरम मोटे सुपाड़े को अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर टिका दिया,,
ससशससहह,,, आहहहहहह,,,, सुभम,,,,, ऊफफफफ,,,
(निर्मला अपने बेटे के मोटे लंड की गर्माहट को अपनी गांड के छेद पर महसूस करके एकदम मचल उठी.. उसके मुंह से केवल उसकी गर्म आहें निकल रही थी,,,पहले से ही शुभम ने अपनी जीत से चाट चाट कर अपनी मां की गांड के छेद को पूरा गीला कर दिया था और लंड पर भी थूक लगाकर उसे एकदम चिकना कर दिया था जिसकी वजह से धीरे-धीरे शुभम के दबाव के कारण उसका मोटा लंड का सुपाड़ा निर्मला की गांड के छेद में सरकने लगा,,,
Nirmala piche se lete huye

पहले भी शुभम का मोटा लंड उसकी गांड में घुसकर उसकी गहराई नाप चुका था लेकिन फिर भी इस समय निर्मला को दर्द महसूस हो रहा था और वह अपने होंठों को दांत से काटकर अपने दर्द को छिपाने की कोशिश कर रही थी और एक हाथ पीछे की तरफ ले जाकर ना चाहते हुए भी शुभम को रोकने के लिए इशारा कर रही थी लेकिन शुभम कहां मानने वाला था,,,, घोड़ा अस्तबल से निकल चुका था,,, अब घोड़ा अपना काम किए बगैर अस्तबल में वापस लौटने वाला नहीं था शुभम उसी तरह से अपनी कमर पर जोर देकर अपने मोटे लंड का सुपाड़ा को धीरे-धीरे करके अपनी मां की गांड की उस बेहतरीन खूबसूरत कसी हुई छेद में घुसा,, दीया,,,जैसे ही शुभम के लंड का सुपाड़ा निर्मला की गांड के छेद में प्रवेश किया वैसे ही निर्मला के मुंह से एक बार फिर से गर्म चीख निकल गई,,,
आहहहहहह,,, शुभम,,,
सुभम अपनी मां के साथ मस्ती करते हुए
miss porters school
बस बस मम्मी होने वाला है इसके बाद मजा ही मजा है,,,
(एक बार मुंह खुल जाए तो पूरा शरीर घुसने में ज्यादा तकलीफ नहीं होती ठीक उसी तरह से शुभम भी अपने लंड के सुपाड़े को जैसे ही अपनी मां की गांड के छेद में प्रवेश कराया अगले ही धक्के के साथ ही अपना आधा लंड अपनी मां की गांड में घुसा दिया,,,,, एक बार फिर से कमरे में दर्द भरी कराह गुंजने लगी,,, लेकिन जल्द ही उसकी दर्द भरी कराह आनंददायक सिसकारीयो में बदल गई,,,
क्योंकि शुभम अब अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसकी भारी-भरकम नितंबों पर पूरी तरह से छा चुका था, दोनों हाथ से अपनी मां की भारी-भरकम गांड को पकड़कर अपने लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया,,,,
हर धक्के के साथ निर्मला सूखे हुए पत्ते की तरह हवा में लहरा उठती थी,, उसकी भारी भरकम खरबूजे जैसी चूचियां पेड़ पर पके हुए आम की तरह लटक कर झूल रही थी जोकि शुभम से देखा नहीं जा रहा था और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां को थाम कर जबरदस्त धक्के लगाना, शुरू कर दिया,,,,।
सससहहह,,, आहहहहहह,,,,, आहहहहहह,,,, ऊफफफफ,,,ऊमममममममंं,,,,
शुभम के हर धक्के के साथ ही निर्मला के मुंह से इस तरह की आवाजें आ रही थी,,,और शुभम अपनी मां की मादक सिसकारियो की आवाज का भरपूर आनंद लेते हुए धक्के पर धक्का पेल रहा था। निर्मला को भी अब गांड मराने में आनंद आने लगा था,, इस समय एकदम दोपहर का समय था ऐसे में सोसाइटी के सभी लोग अपने अपने घरों में ठंडी हवा का आनंद लेते हुए आराम करते रहते हैं और ऐसे में निर्मला अपने बेटे के साथ गांड मरवाने का भरपूर लुफ्त उठा रही थी,,, एक शिक्षक होने के नाते और समाज में मर्यादा से नारी की छाप रखने वाली निर्मला के बारे में कोई सपनों में भी सोच नहीं सकता था कि वह इतनी गंदी औरत होगी,,,गंदी औरत इसलिए कि समाज के नजर में जो कुछ भी वह अपने ही बेटे के साथ कर रही थी वह बिल्कुल गलत था,, भले ही अपनी जरूरतों को देखते हुए उन दोनों के नजरिए में यह बिल्कुल सही था लेकिन चारदीवारी के बाहर बिल्कुल असामान्य था, समाज में निर्मला का काफी रहता था खास करके उसकी मर्यादा सीन और संस्कारी होने के कारण वह कुछ ज्यादा ही इज्जत दार महिला थी,,
लेकिन जिस समाज में वह इज्जत की हकदार थी मर्यादा सील के रूप में जिसे पूजा जाता था,,, स्कूल में चीज का इतना रुतबा था इतनी इज्जत थी उन लोगों को क्या मालूम कि चारदीवारी के अंदर वह क्या गुल खिलाती है,,,
निर्मला अपने बेटे को मस्त करते हुए

उन समाज के लोगों को क्या मालूम जिसके चरित्र को लेकर आज तक कभी कोई उंगली नहीं उठी थी वह अपने ही घर में अपने कमरे में अपने बेटे के साथ गांड मरवाने का सुख भोग रही थी,,, लेकिन निर्मला जैसी थी आज भी समाज में उसकी उतनी इज्जत और उतना ही आहो भाव था क्योंकि दुनिया की नजर में अभी वह गलत साबित नहीं हुई थी ना तो उसे गलत करते हुए किसी ने देखा था,,, लेकिन यह सब छुपाए ज्यादा दिन तक छुपता नहीं है इसलिए ऐसा लग रहा था कि तुम दोनों के साथ आज कुछ और ही लिखा गया था क्योंकि जिस समय निर्मला एकदम नंगी होकर अपने बेटे की भरपूर जवानी के नंगे पन को मर्दानगी भरी धक्कों से अपनी गांड मरवा रही थी,,,, उसी समय पड़ोस में आई हुई शीतल दिन में समय ना कटने की वजह से उससे मिलने के लिए उसके घर आ रही थी,,, उसके घर के गेट के पास आकर शीतल खुद ही अपने हाथों से गेट खोल दी,,, और अंदर आने लगी सीकर के किस्मत तेज का हो या निर्मला की बदकिस्मती घर का दरवाजा भी खुला हुआ था मात्र ऊसे बंद किया गया था जो कि जल्दबाजी में ना तो निर्मला ने और ना ही शुभम ने दरवाजे को लोक नहीं किया था,,,
जब कुछ बुरा होने वाला रहता है तो बना बनाया काम भी बिगड़ जाता है कुछ ऐसा ही निर्मला के साथ हो रहा था और जब किस्मत अच्छी होती है तो सब कुछ अच्छा होता चला जाता है ना चाहते हुए भी अपने सामने आने वाले बंद दरवाजे भी खुद ब खुद खुल जाते हैं ऐसा ही कुछ शीतल के साथ हो रहा था,,, एक अच्छी खांसी सहेली होने के नाते उसका इतना तो हक बनता था कि दरवाजा खुला देखकर बिना दरवाजे पर दस्तक दिए कमरे में दाखिल हो सके और उसने वही की दरवाजे पर दस्तक दिए बिना ही कमरे में दाखिल हो गई और खुद ही दरवाजे को बंद करके उसे लॉक कर दी,,
Aaaaaahhhh... shubham
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दूसरी तरफ इस बात से अनजान किसी तरह घर में प्रवेश कर चुकी है दोनों मां-बेटे बिस्तर पर एकदम नंगे होकर एक दूसरे की जवानी को लूट रहे थे,,, निर्मला पर पूरी तरह मदहोशी छाई हुई थी,,, और शुभम पूरी तरह से पता वास हो चुका था उसे दोनों तरफ से मजा लेना था क्योंकि,,,जिस समय से सुभम का मोटा लंड निर्मला के गांड में दस्तक दे रहा था उसी समय निर्मला अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर जोर-जोर से अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी जिसे देखकर शुभम समझ गया कि इसकी बुर में भी खुजली हो रही है,, इसलिए वह अपना लैंड अपनी मां की गांड में से निकाल कर उसे थोड़ा सा नीचे ले जाकर उसके गुलाबी पुर में डाल दिया और उसे अंदर बाहर करके उसकी बुर चोदने लगा,,, इससे निर्मला का भी मजा दोगुना होता जा रहा था,,वह ,पागलों की तरह अपने मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकालते हुए अपने बेटे को उकसाने लगी,,
सुभम निर्मला की लेते हुए
यस,,,,, यस ,,,,,,बेटा ऐसे ही ऐसे ही जोर-जोर से,,,आहहरहह,,, बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा ऐसे ही ऐसे करता रे, आहहहह,,,ऊमममम,,,,,
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी देख तुझे किसी रंडी की तरह चोदता हूं,, साली गांड भी बहुत मस्त मरवाती है तू,,,,आहहररह,,, एकदम रंडी है तु छिनार,,,,आहहह,,,
तू भी तो मादरचोद ही रे भोसड़ी वाले,,, अपनी ही मां को चोद रहा है,,,,
हां चौद रहा हूं तो,,,, इसमें हर्ज ही क्या है जब घर में इतनी मस्त माल हो तो लड़का तो घर में ही चोदेगा ना,,,
मस्त माल हो तो इसका मतलब अपनी मां पर ही चढ जाएगा,,,
जब पूरे घर में इतनी बड़ी बड़ी गांड को हिलाते चलोगी तो किसी भी बेटे का लंड हिचकोले खाएगा,,,,
तू पक्का मादरचोद है,,, ऐसे चल रहा है जैसे किसी रंडी को चोद रहा है,,,
तू किसी रंडी से कम है क्या अपने बेटे का लंड अपनी बुर और गांड दोनों में ले रही है,,,,
तो इसमें मेरी गलती नहीं तेरे बाप की गलती है जिसका खड़ा ही नहीं होता,,,वह तो मेरा एहसान मान कि तुझे जवानी के दिनों से ही अपनी बुर का स्वाद चखा कर तुझे बड़ा कर दिया,,, वरना बाथरूम में जाकर मुठ मारना पड़ता,,,
तू भी साली मेरा एहसान मान के मेरा मोटा लंड से चुदवाकर मस्त हो गई वरना इधर उधर मुंह मारती फिरती ना जाने किस किस का अपने अंदर लेकर रोज मजे लेती और फिर भी तुझे इतना मजा नहीं आता जितना कि मेरे लंड से आ रहा है,,,।
अच्छा तो तुझे बहुत घमंड है अपने लंड पर तो मैं देखती हुं कितना अच्छा चोद पाता है,,, साली माधर्चोद दिखा अपनी ताकत मैं भी देखती हूं कि तू कितना बड़ा चुदक्कड़ है,,,
अच्छा तो तू मेरी ताकत देखना चाहती है मेरे लंड की ताकत तो देख तेरी चूत का भोसड़ा ना बना दिया तो मेरा नाम शुभम नहीं,,,,(इतना कहने के साथ ही सुभम अपने धक्को की रफ्तार को तेज कर दिया,,,इसी के साथ निर्मला भी अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ धकेलने लगी,, दोनों किस तरह की गंदी बातों में बेहद आनंद मिलता था और तब जब वह दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर चुदाई का खेल खेल रहे हो,,, दोनों स्तर की गंदी बातें करके एक दम मस्त हो चुके थे साथ ही दोनों की उत्तेजना भी अत्यधिक बढ़ चुकी थी,, शुभम पागलों की तरह अपनी मां की बुर में अपना लंड पेल रहा था,,,वह बार-बार अपनी निगाहों को नीचे करके अपनी मां की गांड की भूरे रंग के छेद को देख ले रहा था जो कि एकदम छल्ले की तरह हो चुका,,था। उछलने को देख कम से रहा नहीं जा रहा था और वहां अपने लंड अपनी मां की दूर में से बाहर निकाल कर फिर से गांड के छेद में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया लगातार सुभम की हरकत जारी थी कभी वह गांड में लंड डालता था तो कभी उसमें से निकाल कर फिर से उसकी बुर में पेल देता था,,, सुभम कि ईस तरह की हरकत की वजह से निर्मला एकदम मस्त हो गई थी दोनों आनंद विभोर हो चुके थे,, शुभम अपनी मां के दोनों छेद की एक साथ चुदाई कर रहा था,,, कभी बुर में डालता तो कभी गांड में,,,
यह शुभम के साथ-साथ निर्मला का भीतरिया इमरान हाशमी शुभम अपने लंड को अपने गांव में डालकर उसे चुदाई का आनंद ले रहा था तो कभी बुर में पेल कर उसकी खुजली मिटा रहा था,,,,दोनों चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे इस बात से बेखबर कि उनके दरवाजे के बाहर ही तूफान आने के लिए बेकरार खड़ा है,,,, शीतल धीरे-धीरे निर्मला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और चारों तरफ अपनी नजरें घुमा कर देख रही थी कि घर में इतना सन्नाटा क्यों है कोई घर में है कि नहीं और घर का दरवाजा भी खुला था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है वह धीरे-धीरे निर्मला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी,,,
जैसे-जैसे शीतल निर्मला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे ही निर्मला की मदहोशी और शुभम की बदहवासी बढ़ती जा रही थी,,, शुभम निर्मला की गांड के साथ-साथ उसकी बुर भी मार रहा था,,,निश्चिंत होकर निर्मला अपने बेटे की चुदाई से भरपूर आनंद लेते हुए गरमा-गरम सिसकारी की आवाज अपने मुंह से निकाल रही थी,,,
निर्मला सीढ़ियों पर चढना शुरू कर दी थी,,, सीढ़ियो पर पैर रखते ही निर्मला के कानो में हल्की हल्की आवाज आना शुरू हो गई,,, लेकिन शीतल समझ नहीं पा रही थी की आवाज कैसी है,,,,, जैसे-जैसे सीढ़ियों पर वह कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उसके कानों में आवाज की ध्वनी तेज होती जा रही थी,,, अब शीतल का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसे समझते देर नहीं लगी कि यह किसी औरत की चुदाई से भरपूर आनंद की आवाज थी ,,गरम सिसकारी कि आवाज थी,,, अब वह पूरी सीढ़ियां चढ़ चुकी थी सीढ़ियों से महज 10 कदम की दूरी पर निर्मला का कमरा था जहां से सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी,,,,। अब शीतल को समझते देर नहीं लगी कि निर्मला कमरे के अंदर चुदवा रही है,, ऐसे हालात में शीतल को वहां से चले जाना चाहिए,, एक टीचर होने के नाते और एक औरत होने के नाते शीतल का फर्ज बनता था कि किसी को इस तरह के खास करके पति पत्नी की संभोग रत नहीं देखना चाहिएं यही एक अच्छी संस्कारी औरत की निशानी होती है,, और शीतल भी यही करना चाहती थी लेकिन उसके मन में जिज्ञासा पैदा होने लगी ,कौतुहल जगने लगी,,, इस तरह की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर शीतल वहां से चले जाना चाहती थी लेकिन उसका मन नहीं माना वह देखना चाहती थी कि जब एक मर्यादाशील संस्कारी औरत अपनी बुर में लंड लेती है तो उसके चेहरे का हाव भाव किस तरह से बदलता है और यही देखने की लालच वह रोक नहीं पाई,, और निर्मला के कमरे की तरफ कदम आगे बढ़ा दी,,,
अंदर घमासान चुदाई चालू थी शुभम कभी अपनी मां की गांड में लंड डालता तो कभी उसकी बुर में डालता ,दोनों छेद एक साथ एक समान मजा दे रहा था जिससे निर्मला उत्तेजना के सागर में डूबने लगी उसके गाल उत्तेजना के मारे लाल हो गए,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,
दूसरी तरफ सीतल निर्मला के कमरे के ठीक बाहर खड़ी थी दरवाजे पर दस्तक देने की देरी थी कि सारा मजा किरकिरा हो जाता,,,लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहती थी वह कमरे में अंदर देखने के लिए खिड़की ढूंढ रही थी लेकिन खिड़की कहीं उसे नजर नहीं आई तो वह दरवाजे की की होल से देखने के लिए जैसे ही दरवाजे पर अपना हाथ रखी दरवाजा हल्का सा खुलने लगा जिसे देखकर शीतल को समझते देर नहीं लगी की दरवाजा लॉक नहीं है,,, वह मन बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि अब निर्मला की तेज सिसकारियो की आवाज उसे साफ सुनाई दे रही थी,,, उसे अब तक नहीं लग रहा था कि निर्मला कमरे के अंदर अपने पति से चुदवा रही हैं,,,, लेकिन जब उसके कानों में निर्मला की गर्म सेस कार्यों की आवाज के साथ-साथ शुभम का नाम सुनाई दिया तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक ती हुई महसूस होने लगी उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ उसे ऐसा लगा कि उसे वहम हुआ है लेकिन बार-बार ऊसके कानो में सुभम का नाम सुनाई दे रहा था,,,
ओहहहह ,,,शुभम मेरे बेटे,,,,, ऐसे ही चोद,,,,,आहहहहहह, तु फाड़ दे मेरी बुर को मेरे बेटे शुभम ,,,,,,मेरा राजा जल्दी जल्दी कमर हिला,,,आहहहहहह,,,,
(निर्मला के मुंह से शुभम का नाम सुनकर शीतल की हालत खराब होने लगी उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था अब उसे कमरे में देखने की जल्दबाजी और बढ़ गई थी,, इसलिए वह हल्के से दरवाजे को थोड़ा सा खोल कर अंदर की तरफ देखने लगी,,, अंदर का नजारा बिल्कुल साफ नजर आ रहा था कि लाइट की रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी कि तभी शीतल की आंखों के सामने वह नजारा नजर आया जिसके बारे में कभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी हालांकि इस तरह की कल्पना अपने साथ शुभम को लेकर कर चुकी थी लेकिन जो उसकी आंखें देख रही थी इस बारे में कभी वो सपने में भी सोच नहीं सकती थी,,,
बिस्तर पर का नजारा देख कर उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगी,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई नजारा भी बेहद रोमांचक और गरमा गरम था,, निर्मला घोड़ी बनकर एकदम नंगी कितनी गाना हवा में लहरा कर हाथ की कोनी के सहारे झुकी हुई थी और उसके ठीक पीछे उसका बेटा शुभम एकदम नंगा अपनी मां की बुर में लंड डालकर खड़ा था और अपनी कमर को जोर-जोर से हीला रहा था,,,
शीतल का वजूद पूरी तरह से हिल गया जब वह एक बेटे को अपनी मां को चोदते हुए देखा,, और एक मां की अपने बेटे को जोर जोर से चोदने के लिए बोल रही थी यह देख कर शीतल की हालत बुरी तरह से खराब हो गई,,,,
उसे अभी भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वह कोई सपना देख रही है क्योंकि उसकी आंखों के सामने जो नजारा दीख रहा था उस पर विश्वास कर पाना एक औरत के लिए तो बेहद मुश्किल था,,, लेकिन जो नजारा उसकी आंखें देख रही थी वही सच्चाई थी,,, और बहुत ही जल्द अपने आप को संभाल कर शीतल इस सच्चाई से वाकिफ होते हुए कमरे के अंदर के नजारे का आनंद लेने लगी। उसे साफ दिखाई दे रहा था कि दोनों बेहद आनंदित होकर चुदाई का मजा ले रहे थे,,,
शुभम इतना मदहोश हो चुका था कि उसकी आंखें बंद हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामैं अपनी कमर जोर जोर से हिला रहा था,,,,, शीतल के लिए इतना काफी था उत्तेजना के मारे उसका भी गला सूखने लगा,, जिंदगी में पहली बार अपनी आंखों के सामने एक औरत और एक मर्द को चुदाई करते हुए देख रही थी,, शीतल बहुत ही संभाल कर दरवाजे को मात्र इतना ही खोली थी कि जहां से उसे कमरे का पूरा नजारा दिखाई दे रहा था,,,
निर्मला से पुरानी दोस्ती होने के बावजूद भी ईतना तो वह जानती थी कि निर्मला खूबसूरत है लेकिन आज उसे पहली बार एकदम नंगी देख कर उसे इस बात का एहसास हुआ कि निर्मला दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है,,
शुभम द्वारा लगाए गए जबरदस्त धक्को को देखकर शीतल का वजूद डोलने लगा,,, उसका मन मचलने लगा क्योंकि जिस तरह से शुभम अपनी मां की चुदाई कर रहा था वह बेहद लुभावना द्रश्य था,, शुभम की ऊस हरकत को देखकर शीतल की टांगों के बीच की हलचल बढ़ जा रही थी जब वह अपना पूरा लंड निर्मला के बुर से बाहर निकाल कर केवल लंड़ के सुपाड़े का आगे वाला भाग हल्का सा उसमें रहने देता ओर फिर जोरदार धक्का मारकर ऊसे बुर के अंदर तक पहुंचा देता था,,,यह नजारा देखकर शीतल अंदर तक सिहर उठी उसका मन मचलने लगा शुभम के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,, शीतल को और ज्यादा झटका तब लगा जबशुभम अपने लंड को अपनी मां की बुर से पूरा बाहर निकाल कर उसकी गांड के छोटे से छेद में डाल दिया और जैसे ही लंड उसकी गांड के छेद को चीरता हुआ अंदर गया निर्मला के मुंह से आह निकल गई,, यह नजारा देखते ही शीतल की पेंटी पूरी गीली हो गई क्योंकि उसने अब तक मात्र सुनी भर थी की ओरते गांड मरवाती है लेकिन आज वह अपनी आंखों से देख रही थी ,,, और वह भी ऐसे औरत को जिसके बारे में वह कभी सपने में सोच भी नहीं सकती थी,,,,
गरम सिसकारियो की आवाज अभी भी पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,
सशरहहह ,,,आहहहहहह,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है तेरा लंड है की मुसल गांड के साथ-साथ मेरी बुर की भी हालत खराब कर दे रहा है,,,,,सहहहहह ,,,आहहहहहहह,,,
इसी को तो लंड कहते हैं मेरी रानी तेरे पति जैसा नहीं की बुर में जाए तो भी पता ना चले कि क्या गया है,,
(उन दोनों की बात सुनकर तो शीतल का माथा चकराने लगा वह दोनों पूरी तरह से एक मर्द और औरत की तरह बर्ताव कर रहे दोनों को देखकर बिल्कुल भी पता नहीं चल रहा था कि दोनों मां बेटे हैं,, और यह देखकर शीतल की हालत खराब हो जा रही थी उसका तो मन कर रहा था कि इसी समय कमरे में चली जाए और वह भी बीच में कूद जाए और इसी समय सुभम के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास बुझा ले लेकिन वह अपने आप को रोके रही,,,
उसे आए 15 मिनट हो चुके थे लेकिन इन 15 मिनट में एक भी बार ऐसा नहीं लगा कि सुभम का पानी निकलने वाला है वह उसी रफ्तार से अपनी मां की चुदाई कर रहा था उसकी इस मर्दाना ताकत को देखकर शीतल की बुर पानी पानी हो गई,,,,, दोनों में से अभी तक किसी की भी नजर दरवाजे पर नहीं पड़ी थी,,,, दोनों मां बेटे की चुदाई का दृश्य देखकर शीतल के दिमाग की बत्ती जलने लगी वह तुरंत अपने पर्स में से अपना मोबाइल निकाल कर दोनों का वीडियो शूट करने लगी क्योंकि अब उसे अपनी मंजिल बेहद करीब होती नजर आ रही थी क्योंकि वह अब इस वीडियो के सहारे शुभम से बिना रोक-टोक की चुदाई का सुख भोग सकती थी,, वह अपनी मोबाइल में वीडियो बनाने लगी कि तभी निर्मला उसे अपने ऊपर से दूर हटने का इशारा की क्योंकि अब वह पोजीशन लेना चाहती थी,,, देखते ही देखते शुभम पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया और निर्मला पोजीशन लेकर उसके ऊपर आ गई और अपने हाथ से अपनी बेटे के लंड को पकड़कर अपनी बुर में डाल दी और खुद ऊपर नीचे होने लगी,,, यह देखकर शीतल के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी वह समझ गई कि निर्मला जैसी दिखती है वैसी बिल्कुल भी नहीं है,,, घर के बाहर ऐसी रहती है कि जैसे सती सावित्री हो और घर के अंदर रति बनकर संभोग सुख भोग रही है,, लेकिन कुछ भी हो शीतल को तो अपना काम बनता हुआ नजर आने लगा,,,
जैसे-जैसे निर्मला अपने बेटे के लंड पर कूद रही थी वैसे वैसे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां हवा में झूल रही थी जिसे तुरंत शुभम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी हथेली में भरकर उसे जोर जोर से दबाने लगा,,, एक बार फिर से शीतल की गरम सिसकारियो की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, शीतल का भी दिल जोर-जोर से धड़क रहा था अपनी आंखों के सामने के गर्म नजारे को देख कर उसका मन डोलने लगा वह अपने हाथ से ही कभी अपनी चूची को दबा देती तो कभी साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल दे रही थी ,,, और लगातार मोबाइल से वीडियो बना रही थी,,,
थोड़ी ही देर बाद दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी साथ ही निर्मला की गरम सिसकारीयों की आवाज भी तेज हो गई,,, दोनों झड़ने वाले थे कि तभी मदहोशी के आलम में इधर-उधर अपना बदन हिलाते हुए निर्मला की नजर दरवाजे में से झांक रही शीतल पर पड़ गई उसके तो होश उड़ गए ,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि यह पल कैसा पल था जिसमें दुनिया को भूल जाना पड़ता है बेहद सुख की अनुभूति पाने के लिए सब कुछ भूल जाना पड़ता है,,,,, निर्मला चरमसुख के बेहद करीब थी या युं कहलो की उसको चरम सुख प्राप्त होने ही वाला था,,, ऐसे में वह रुक जाए ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था वह दरवाजे की तरफ देखती रही और अपने बेटे के लंड पर कूदती रही,,, शीतल भी जान गई थी कि निर्मला उसे देख चुकी है,,,बदहव्सी और मदहोशी के आलम में निर्मला का मुंह खुला का खुला रह गया था अपनी आंखों के सामने वह शीतल को दरवाजे पर खड़ी होकर ऊन दोनों मां बेटे की चुदाई देखती हुई देख रही थीं,,, नीचे से शुभम जोर जोर से अपनी कमर को ऊपर की तरफ फेंक रहा था वह भी झड़ने वाला था,,,, निर्मला अभी भी अपने बेटे के लंड पर कुदते हुए शीतल की तरफ देख रही थी,, लेकिन चरम सुख के उस परमसुख को वह खोना नहीं चाहती थी,,, शुभम की आंखें अभी भी बंद थी तो अपनी आंखों को बंद किए हुए ही जोर जोर से धक्के लगा रहा था ,,,शीतल का काम हो गया था अब और ज्यादा निर्मला को शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी इसलिए वहां से धीरे से खिसक ली,,, लेकिन जाते-जाते भी उसे अपने कानों में निर्मला की गर्म सिसकारीर्यों की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,
शीतल के जाने के बाद भी निर्मला अपने बेटे के लंड पर कुदना जारी रखी,,, और तब तक कुदती रही जब तक कि दोनों झड़ नहीं गए,,,