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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

king cobra

Well-Known Member
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भाई,

फिर से शुरुआत करने की ताक़त नहीं मुझ में! मेरा जीवन पूरी तरह से उलझा हुआ है, जब सुलझाने जाता हूँ तभी कुछ न कुछ उलझ जाता है! शादी-ब्याह के मेरे लिए कोई मायने नहीं रहे क्योंकि जब मेरे माता-पिता की शादी नहीं टिकी तो मेरी कहाँ से टिकेगी! वैसे एक बात बताऊं, पिताजी कहते हैं की मेरी दो शादियाँ होंगी, एक तो संगीता के साथ उसे मंगलसूत्र पहना कर निभा चूका हूँ, पता नहीं दूसरी होगी या नहीं!

आप की कहानी जानकार दुःख हुआ, लकिन ख़ुशी इस बात की है की आप वो सब पीछे छोड़ आगे बढ़ गए और अपनी ज़िंदगी अच्छे से जी रहे हो|
Are dukhi na bhai khus ho meri life ke liye zindagi me sabkuch hasil noi hota hai pahla pyaar jo hota hai to kya bolte usko ek tarah ka khinchav hota hai sonchne samjhne ki sakti na hoti us time mere bhai.lekin jab aap ek sahi umar par pahunch jate fir kisi ko pasand kar shadi karte ya gharwale karate hai uske baad na jimmedari suru hoti hai life ki fir Ghar ki jaruraten puri karo jab tak aapme dam hai baki uske baad kya hoga awlaad layak nalaayak hogi ya jaisa hona hoga dekha jayega unna aage abhi noi sonchna hai kyunki wo hamare hath nai hai bas inna kosish ho ki hume khud se shikayat na ho ki ye na kiya wo na kiya aap apna 100% do.abhi kuch na bigda hai aap aage badh sakte ho baki aapki marji
 

Rockstar_Rocky

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Reality is always stranger than fiction.

Aur ye story fiction samajh ke hi padhiye.

But I agree.

मानू भाई को एक नया थ्रेड बना कर बिग रिवील करना था। इसे पढ़ कर अब पिछले छूटे हुए अपडेट पढ़ने का मन ही नही कर रहा।

नहीं मित्र, ये 'Fiction' नहीं है! मेरी इस दर्दभरी दास्ताँ को fiction का नाम न दीजिये! 🙏

नया thread बना कर सच बताता तब भी आप ये कहानी पूरी करने से पहले पढ़ी ही लेते...जैसे आप इस कहानी को अधूरा छोड़ कर 'काला इश्क़' पढ़ने गये थे|

हैं वो यहीं पर।

मानू भाई ने बहुत ही ड्रामेटिक पॉज लिया है इस रिवील में। बस लोगों की बेचैनी देख रहे हैं दोनो

Dramatic pause नहीं मित्र, आगे की update लिखने में व्यस्त था!

क्या ही कहें अब, मुझे लगता है कि पहले किस वजह से कहानी छोड़ी थी, इसे पढ़ने के बाद साबित हो गई।

मेरा मानना है कि ऐसे रिश्तों की कोई उम्र नहीं होती, बस उक्त घर का दर्द दे जाते हैं। लगाव अगर जो मर्यादित होता तो दुख नहीं देता।

खैर, इश्क के कूटे या कुटे नही तो क्या खाक इश्क किया।

बाकी एक ही बात कहूंगा, भगवान दिशू जैसा दोस्त सबको दे।

:applause:

Spare sometime to read Writer's Comment : https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635
 
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Rockstar_Rocky

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Manu bhai ye story maine aneko baar padhi hai baar padhne ka man karta hai Very emotional story hai big reweal se anek pahaluo ka gyan hua hai।
इस कहानी में नेहा और स्तुति ने एक अलग ही छाप छोड़ी है। पूरा सच जानने के बाद एक खुशी हुई कि आपको स्तुति का प्यार मिल गया है।मानू भाई आपसे एक गुजारिश है कि नेहा को माफ कर दीजिए आखिरी वो एक बच्ची है और बच्चों से गलतियां हो जाती हैं। मैं आपके हृदय का हाल समझता हूं फिर भी आपसे गुजारिश है
बाकी ये आपकी जिंदगी है फैसला भी आपको ही करना है। जो आपको उचित लगे

प्रिय मित्र,

जानकार ख़ुशी हुई की आपको मेरी ये लेखनी इतनी पसंद आई|

जहाँ तक नेहा को माफ़ करने की बात है तो मैं यही कहूँगा की समय बताएगा की हमारा रिश्ता पुनः स्थापित हो पायेगा या नहीं? आपकी ख़ुशी के लिए बता दूँ की मैं नेहा के मेरे नज़दीक आने की कोशिशों को विफल नहीं करता हूँ क्योंकि इससे उसका दिल टूट जायेगा|
एक गुज़ारिश आपसे है की प्लीज Writer's Comment : https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635 जर्रूर पढियेगा|
 

Rockstar_Rocky

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KAHANI AUR KAHANI KI SACHCHAI TO EK TIPPANI AVASYA MAGTI HAI. PATA NAHI KAB DUNGA LEKIN ANTIM UPDATE MANANA PAREGA JIVAN KI SACHCHI PARIBHASA PRASTUT KARTI HAI.....................................
JALD MILATE HAIN APNI REVIEW KE SATHA
SADHUVAAD............................................

आपके review का इंतज़ार रहेगा! 🙏
 

Abhi32

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प्रिय मित्रों,



इससे पहले की आप सभी अपना final review दें, मैं आप सभी से कुछ कहना चाहता हूँ|Big Reveal में मैंने जिस सच पर से पर्दा उठाया उसे पढ़कर आप सभी आक्रोशित हैं, नाराज़ हैं की मैंने ये सच बता कर एक प्यारभरी कहानी से सारा प्यार निचोड़ लिया| मेरा इरादा इस कड़वे सच को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का था परन्तु हमारे Aakash. भाई, मेरी पिछली कहानी ‘काला इश्क़’ की ending से रुष्ट थे और चाहते थे की मैं इस कहानी का अंत सुखद करूँ| लेकिन विधि की विडंबना देखिये, हमारे Aakash. भाई जो इस कहानी की शुरुआत में एक active reader बन कर मेरे साथ बने हुए थे उन्होंने एकदम से बिना कुछ कहे ही साथ छोड़ दिया!

अब मैं अपने वचन से बँधा था तो कहानी को एक सुखद मोड़ देना ही पड़ा|



अब जब ‘काला इश्क़’ की बात चल ही रही है तो मैं आप सभी को इन दोनों कहानियों के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ| ‘काला इश्क़’ और ‘एक अनोखा बंधन’ कहानी, दोनों ही आपस में जुडी हुई हैं|

रितिका का किरदार संगीता से ही प्रेरित था! अगर आप सभी ध्यान देंगे तो आपो पता चलेगा की दोनों की ही आदतें एक सी हैं| प्यार के लिए पागल हो जाना और फिर एकदम से अपने दिलबर को यूँ अकेला छोड़ देना! दरअसल जब मैंने काला इश्क़ लिखनी शुरू की उस समय मैं अपने डिप्रेशन में लिप्त था इसलिए मैं अपने जज्बात आप सभी तक पहुँचाना चाहता था| उस समय तक मैंने नहीं सोचा था की मैं ‘एक अनोखा बंधन’ दुबारा लिखूँगा| परन्तु मेरे सर जी kamdev99008 जी जो मुझे 'काला इश्क़' के माध्यम से इस फोरम पर दुबारा मिले, उन्होंने मुझे ये कहानी फिर से लिखने को प्रेरित कहा| वो बात अलग है की मेरे सर जी व्यस्त हो गए और बीच कहानी के बीच से ही गायब हो गए! :D

सिर्फ किरदार ही नहीं, दोनों कहानियों में कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो एक सी हैं| उन प्रमुख घटनाओं में से एक थी रितिका का जबरदस्ती नेहा को मानु से छीनना! आप सभी ने देखा था की कैसे रितिका ने गुपचुप तरीके से कोर्ट केस फाइल कर, अपने ससुर की जायदाद पर कब्ज़ा जमाया और एक सुनियोजित चाल को चलते हुए नेहा के जन्मदिन के दिन ही उसे मानु से जबरदस्ती जुदा किया| कुछ ऐसा ही संगीता ने मेरे साथ किया था|

यही नहीं जब मानु और अनु का रिश्ता तय हो गया था तब रितिका ने मानु से ये शादी न करने और उसके साथ भाग जाने को कहा था, ठीक वही संगीता ने मुझसे कहा जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया था|



'काला इश्क़' कहानी में मानु ने रितिका की हत्या कर दी थी ताकि वो और उसका परिवार चैन से रहे| ठीक उसी तरह मैंने इस कहानी के अंत में अपने प्यार का गला घोंट दिया ताकि मुझे इस मानसिक तनाव से छुटकारा मिले|

उस समय मेरे जिन पाठकों ने रितिका की जान लेने की आलोचना की थी, आशा करता हूँ वह इस कहानी को पढ़ कर मेरी मंशा समझ गए होंगें|





'एक अनोखा बंधन' पर लौटते हुए मैं आप सभी का ध्यान कुछ बातों पर खींचना चाहूँगा|



स्तुति का बालपन



पता नहीं आप में सी कितने लोगों ने कहानी में ये अंतर् महसूस किया या नहीं परन्तु जब स्तुति दो साल की हुई उसके बाद से मैंने कहानी को एकदम से fast forward कर दिया था| ऐसा मैंने जानबूझ कर किया था क्योंकि स्तुति के 2 साल के होने के बाद से ही हम बाप-बेटी अलग हो गए थे| उसके बाद स्तुति ने क्या मस्ती की, स्कूल में उसका पहला दिन कैसा था आदि जैसे सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था इसीलिए मैंने एकदम से कहानी को fast forward कर दिया था|
मेरे लिए स्तुति के जीवन के पहले 2 साल सबसे प्यारभरे थे इसीलिए मैंने स्तुति के बचपन के उन दिनों का जिक्र इतना विस्तार से किया|



आखरी की कुछ updates में जो आप सभी ने स्तुति का प्यार देखा वो मैं इसीलिए लिख पाया क्योंकि तब स्तुति का मेरी जिंदगी में पुनः आगमन हुआ था|



मेरे और संगीता के बीच दूरियाँ



असल ज़िंदगी में जब स्तुति मुझसे दूर हुई तभी से मेरे और संगीता के बीच सभी रिश्ते खत्म हो गए थे| इस सत्य को दर्शाने के लिए मैंने अंतिम updates में हम दोनों के बीच कोई भी जिस्मानी रिश्ता जुड़ने की update नहीं डाली|

इतना ही नहीं, इस forum पर जब से संगीता आई तभी से मैंने उससे हमेशा दूरी बना कर रखी| मैंने हमेशा उसे देवी जी या नाम से बुलाया और कभी भी वो kissi वाली emojis इस्तेमाल नहीं की| यहाँ तक की कई बार बातों ही बातों में यहाँ संगीता ने लिखा की वो गॉंव में है, जो इस बात को दर्शाता था की हम दोनों अलग रहते हैं|





सच या झूठ



Big Reveal पढ़ने के बाद बहुत से पाठकों के मन में आया होगा की अभी तक जो उन्होंने कहानी में प्यार देखा-पढ़ा वो मिथ्या था...झूठ था! कुछ पाठक ऐसे भी थे जिन्होंने अभी आधी ही updates पढ़ीं थीं और आगे पढ़ने के बजाए सीधा Big Reveal पढ़ कर उनका जी खट्टा हो गया!

मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा की मैंने जो भी लिखा वो कतई झूठ नहीं था| जो प्यार आपने कहानी में देखा वो सच था! जब संगीता मेरे तीनों बच्चों को गॉंव ले गई, उससे पहले तक का प्यार एकदम सत्य था| मेरे तीनों बच्चों का वो बचपना, मेरा उन्हें लाड-प्यार करना...सब सत्य था|



मेरी आप सभी से हाथ जोड़कर गुज़ारिश है की मेरी इस लेखनी को झूठ न समझें|





My Depression State


मैं अपने depression में बहुत घुट-घुट कर जिया हूँ| मेरा मन किसी से बात करने का होता था, उसे अपना दुःख सुनाने का होता था मगर मेरे पास कोई नहीं था| दिषु का साथ अवश्य था मगर उसके आगे मैं बार-बार ये रोना नहीं रो सकता था क्योंकि उसे भी अब थोड़ी-थोड़ी खीज महसूस हो रही थी|

मेरा psychiatrist डॉक्टर मुझे sessions के लिए बुलाता था मगर मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं उसके आगे ये सब बातें कह सकूँ क्योंकि मुझे बदनामी का डर था| नतीजन मैं अपने इस दुःख में कुढ़ता रहा!



काफी सोच-विचार के बाद मैंने अपने इस दर्द को लिख कर आप सभी के साथ साझा करने का फैसला किया| इस forum पर अपनी कहानी लिखने का फायदा ये था की यहाँ कोई भी मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था इसीलिए मैं यहाँ अपना दुःख लिख पाया|

यहाँ मुझे कुछ पुराने दोस्त मिले तो कुछ नए दोस्त बन गए जिन्होंने अपने comments से मेरा होंसला बनाये रखा|



2022 की शुरुआत में मैंने लगभग अपने डिप्रेशन को हरा ही दिया था परन्तु होली के बाद से मेरी माँ का स्वाथ्य बिगड़ा और मेरे ऊपर जो जिम्मेदारियाँ आईं उन्हें निभाने में मैं असफल रहा| माँ को दर्द से करहाते हुए देख कर मेरा मनोबल गिरता जा रहा था, ऐसे में मेरे दिमाग में suicidal tendencies develop होने लगीं|

शुक्र है आप सभी भाइयों का, जिन्होंने positivity दिखाते हुए मुझे सँभाला और मेरी माँ के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते रहे|






Judging Sangeeta

Big Reveal पढ़ कर कुछ पाठकगण संगीता पर बिगड़ चुके हैं तथा संगीता को ले कर अपनी-अपनी टिपण्णी कर रहे हैं| आपकी ये टिप्पणियाँ पढ़ कर मैं बस यही कहूँगा की; maybe you’re judging her too harsh!”

अभी तक आपने इस कहानी को मेरे दृष्टिकोण से देखा है, क्या आप सभी संगीता का दृष्टिकोण नहीं जानना चाहेंगे?




कोई कारण होगा जो संगीता ने मेरे साथ ऐसा किया?





आयुष, स्तुति और नेहा

आयुष और स्तुति, जिन से मेरा खून का नाता है वो मुझे अपना समझते हैं तथा मेरा आदर करते हैं| जहाँ एक तरफ आयुष ने मुझे कभी "पापा जी" नहीं कहा मगर उसने मुझे वो मान-सम्मान दिया जो की एक बेटा अपने पिता को देता है| मेरे लिए आयुष अपनी बड़ी बहन से लड़ा, अपनी छोटी बहन को मेरे प्यार के बारे में समझाया| वहीं दूसरी तरफ स्तुति है, जो की मुझे इतना चाहती है की दुनिया की चोरी मुझे "पापा जी" कहती है| मेरी ज़रा सी नारजगी या कभी फ़ोन न उठाने पर मेरी गुड़िया का दिल सहम जाता है|



वहीं मेरे इन दोनों बच्चों से अलग नेहा, जिससे भले ही मेरा खून का नाता न हो मगर उसे प्यार मैंने सबसे ज्यादा किया पर फिर भी वो मुझे क्यों समझ न पाई?! ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मैं आज भी नहीं जान पाया|





संगीता और मेरा रिश्ता



आप सभी ये जानना को उत्सुक हैं की मेरा और संगीता का इस समय क्या रिश्ता है?

हम दोनों का ये रिश्ता अब बस दोस्ती तक ही सिमित है| हालांकि संगीता कोशिश करती रहती है की वो इस दोस्ती की दिवार को लांघ जाए मगर मैं उसे ऐसा करने में कामयब नहीं होने देता|



पिताजी और मेरा रिश्ता



पिता-पुत्र का ये रिश्ता खटास से भरा हुआ है| पिताजी मुझे गॉंव बुलाते रहते हैं और मैं गॉंव जाना नहीं चाहता| वहीं माँ और पिताजी के बीच बहुत दूरियाँ आ चुकी हैं इसलिए उनके रिश्ते में कोई बदलाव न तो आया है और न ही कभी आएगा|





एक अनोखा बंधन शीर्षक



मेरी इस आत्मकथा का ये शीर्षक "एक अनोखा बंधन" अब जा कर सार्थक साबित हुआ| मेरी ज़िंदगी की शुरआत में संगीता से जो मेरा दोस्ती का रिश्ता बना, जो बढ़ते-बढ़ते प्यार में तब्दील हो गया| फिर एक क्षण आया जब हमारा ये प्यार परवान चढ़ा और हमने पति-पत्नी के रिश्ते को 'छुआ'! लेकिन जब परीक्षा की घड़ी आई तो संगीता ने डर के मारे मेरा साथ छोड़ दिया और मैं वक़्त की मार झेलते-झेलते पता नहीं कहाँ खो गया?!

समय बीता और मैं जब संगीता को दुबारा दिखा तो मैं झील के उस पार था! हमारे बीच आई इस दूरी को संगीता पुल्ल बना कर जोड़ना चाहती थी मगर एक टूटे हुए इंसान में इतनी ताक़त नहीं थी की वो फिर से मेहनत कर पुल्ल बाँधे इसलिए मजबूरी में बस एक दोस्ती की डोरी बाँध कर मैं इस रिश्ते को निभाने लगा|



नेहा से मेरा रिश्ता एक पुत्री के रूप में बना था, लेकिन ज्यों-ज्यों नेहा बड़ी हुई उसके मन में मेरे लिए प्यार खत्म होता गया और गलतफैमी पैदा होती गई| जब तक नेहा को उसकी गलती का एहसास होता तब तक मैं उससे मीलों दूर आ चूका था!

हार न मानते हुए नेहा ने मुझे रोकने के लिए मेरी तरफ दौड़ना शुरू किया मगर क्या कभी वो ये दूरी पूरी कर पाएगी?






जिनसे प्यार का रिश्ता स्थापित हुआ था उनके दिए दुखों के कारण उनसे बस दोस्ती का रिश्ता निभा रहा हूँ...तो हुआ न ये 'एक अनोखा बंधन'!
Kafi shukhi hua apki asli jeevan ki ghatna ko lekar .Hum readers to aj tak apke family ko adharsh family aur khushal family samjhate the .Par kafi dhuki hua jankar .
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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प्रिय मित्रों,



इससे पहले की आप सभी अपना final review दें, मैं आप सभी से कुछ कहना चाहता हूँ|Big Reveal में मैंने जिस सच पर से पर्दा उठाया उसे पढ़कर आप सभी आक्रोशित हैं, नाराज़ हैं की मैंने ये सच बता कर एक प्यारभरी कहानी से सारा प्यार निचोड़ लिया| मेरा इरादा इस कड़वे सच को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का था परन्तु हमारे Aakash. भाई, मेरी पिछली कहानी ‘काला इश्क़’ की ending से रुष्ट थे और चाहते थे की मैं इस कहानी का अंत सुखद करूँ| लेकिन विधि की विडंबना देखिये, हमारे Aakash. भाई जो इस कहानी की शुरुआत में एक active reader बन कर मेरे साथ बने हुए थे उन्होंने एकदम से बिना कुछ कहे ही साथ छोड़ दिया!

अब मैं अपने वचन से बँधा था तो कहानी को एक सुखद मोड़ देना ही पड़ा|



अब जब ‘काला इश्क़’ की बात चल ही रही है तो मैं आप सभी को इन दोनों कहानियों के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ| ‘काला इश्क़’ और ‘एक अनोखा बंधन’ कहानी, दोनों ही आपस में जुडी हुई हैं|

रितिका का किरदार संगीता से ही प्रेरित था! अगर आप सभी ध्यान देंगे तो आपो पता चलेगा की दोनों की ही आदतें एक सी हैं| प्यार के लिए पागल हो जाना और फिर एकदम से अपने दिलबर को यूँ अकेला छोड़ देना! दरअसल जब मैंने काला इश्क़ लिखनी शुरू की उस समय मैं अपने डिप्रेशन में लिप्त था इसलिए मैं अपने जज्बात आप सभी तक पहुँचाना चाहता था| उस समय तक मैंने नहीं सोचा था की मैं ‘एक अनोखा बंधन’ दुबारा लिखूँगा| परन्तु मेरे सर जी kamdev99008 जी जो मुझे 'काला इश्क़' के माध्यम से इस फोरम पर दुबारा मिले, उन्होंने मुझे ये कहानी फिर से लिखने को प्रेरित कहा| वो बात अलग है की मेरे सर जी व्यस्त हो गए और बीच कहानी के बीच से ही गायब हो गए! :D

सिर्फ किरदार ही नहीं, दोनों कहानियों में कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो एक सी हैं| उन प्रमुख घटनाओं में से एक थी रितिका का जबरदस्ती नेहा को मानु से छीनना! आप सभी ने देखा था की कैसे रितिका ने गुपचुप तरीके से कोर्ट केस फाइल कर, अपने ससुर की जायदाद पर कब्ज़ा जमाया और एक सुनियोजित चाल को चलते हुए नेहा के जन्मदिन के दिन ही उसे मानु से जबरदस्ती जुदा किया| कुछ ऐसा ही संगीता ने मेरे साथ किया था|

यही नहीं जब मानु और अनु का रिश्ता तय हो गया था तब रितिका ने मानु से ये शादी न करने और उसके साथ भाग जाने को कहा था, ठीक वही संगीता ने मुझसे कहा जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया था|



'काला इश्क़' कहानी में मानु ने रितिका की हत्या कर दी थी ताकि वो और उसका परिवार चैन से रहे| ठीक उसी तरह मैंने इस कहानी के अंत में अपने प्यार का गला घोंट दिया ताकि मुझे इस मानसिक तनाव से छुटकारा मिले|

उस समय मेरे जिन पाठकों ने रितिका की जान लेने की आलोचना की थी, आशा करता हूँ वह इस कहानी को पढ़ कर मेरी मंशा समझ गए होंगें|





'एक अनोखा बंधन' पर लौटते हुए मैं आप सभी का ध्यान कुछ बातों पर खींचना चाहूँगा|



स्तुति का बालपन



पता नहीं आप में सी कितने लोगों ने कहानी में ये अंतर् महसूस किया या नहीं परन्तु जब स्तुति दो साल की हुई उसके बाद से मैंने कहानी को एकदम से fast forward कर दिया था| ऐसा मैंने जानबूझ कर किया था क्योंकि स्तुति के 2 साल के होने के बाद से ही हम बाप-बेटी अलग हो गए थे| उसके बाद स्तुति ने क्या मस्ती की, स्कूल में उसका पहला दिन कैसा था आदि जैसे सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था इसीलिए मैंने एकदम से कहानी को fast forward कर दिया था|
मेरे लिए स्तुति के जीवन के पहले 2 साल सबसे प्यारभरे थे इसीलिए मैंने स्तुति के बचपन के उन दिनों का जिक्र इतना विस्तार से किया|



आखरी की कुछ updates में जो आप सभी ने स्तुति का प्यार देखा वो मैं इसीलिए लिख पाया क्योंकि तब स्तुति का मेरी जिंदगी में पुनः आगमन हुआ था|



मेरे और संगीता के बीच दूरियाँ



असल ज़िंदगी में जब स्तुति मुझसे दूर हुई तभी से मेरे और संगीता के बीच सभी रिश्ते खत्म हो गए थे| इस सत्य को दर्शाने के लिए मैंने अंतिम updates में हम दोनों के बीच कोई भी जिस्मानी रिश्ता जुड़ने की update नहीं डाली|

इतना ही नहीं, इस forum पर जब से संगीता आई तभी से मैंने उससे हमेशा दूरी बना कर रखी| मैंने हमेशा उसे देवी जी या नाम से बुलाया और कभी भी वो kissi वाली emojis इस्तेमाल नहीं की| यहाँ तक की कई बार बातों ही बातों में यहाँ संगीता ने लिखा की वो गॉंव में है, जो इस बात को दर्शाता था की हम दोनों अलग रहते हैं|





सच या झूठ



Big Reveal पढ़ने के बाद बहुत से पाठकों के मन में आया होगा की अभी तक जो उन्होंने कहानी में प्यार देखा-पढ़ा वो मिथ्या था...झूठ था! कुछ पाठक ऐसे भी थे जिन्होंने अभी आधी ही updates पढ़ीं थीं और आगे पढ़ने के बजाए सीधा Big Reveal पढ़ कर उनका जी खट्टा हो गया!

मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा की मैंने जो भी लिखा वो कतई झूठ नहीं था| जो प्यार आपने कहानी में देखा वो सच था! जब संगीता मेरे तीनों बच्चों को गॉंव ले गई, उससे पहले तक का प्यार एकदम सत्य था| मेरे तीनों बच्चों का वो बचपना, मेरा उन्हें लाड-प्यार करना...सब सत्य था|



मेरी आप सभी से हाथ जोड़कर गुज़ारिश है की मेरी इस लेखनी को झूठ न समझें|





My Depression State


मैं अपने depression में बहुत घुट-घुट कर जिया हूँ| मेरा मन किसी से बात करने का होता था, उसे अपना दुःख सुनाने का होता था मगर मेरे पास कोई नहीं था| दिषु का साथ अवश्य था मगर उसके आगे मैं बार-बार ये रोना नहीं रो सकता था क्योंकि उसे भी अब थोड़ी-थोड़ी खीज महसूस हो रही थी|

मेरा psychiatrist डॉक्टर मुझे sessions के लिए बुलाता था मगर मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं उसके आगे ये सब बातें कह सकूँ क्योंकि मुझे बदनामी का डर था| नतीजन मैं अपने इस दुःख में कुढ़ता रहा!



काफी सोच-विचार के बाद मैंने अपने इस दर्द को लिख कर आप सभी के साथ साझा करने का फैसला किया| इस forum पर अपनी कहानी लिखने का फायदा ये था की यहाँ कोई भी मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था इसीलिए मैं यहाँ अपना दुःख लिख पाया|

यहाँ मुझे कुछ पुराने दोस्त मिले तो कुछ नए दोस्त बन गए जिन्होंने अपने comments से मेरा होंसला बनाये रखा|



2022 की शुरुआत में मैंने लगभग अपने डिप्रेशन को हरा ही दिया था परन्तु होली के बाद से मेरी माँ का स्वाथ्य बिगड़ा और मेरे ऊपर जो जिम्मेदारियाँ आईं उन्हें निभाने में मैं असफल रहा| माँ को दर्द से करहाते हुए देख कर मेरा मनोबल गिरता जा रहा था, ऐसे में मेरे दिमाग में suicidal tendencies develop होने लगीं|

शुक्र है आप सभी भाइयों का, जिन्होंने positivity दिखाते हुए मुझे सँभाला और मेरी माँ के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते रहे|






Judging Sangeeta

Big Reveal पढ़ कर कुछ पाठकगण संगीता पर बिगड़ चुके हैं तथा संगीता को ले कर अपनी-अपनी टिपण्णी कर रहे हैं| आपकी ये टिप्पणियाँ पढ़ कर मैं बस यही कहूँगा की; maybe you’re judging her too harsh!”

अभी तक आपने इस कहानी को मेरे दृष्टिकोण से देखा है, क्या आप सभी संगीता का दृष्टिकोण नहीं जानना चाहेंगे?




कोई कारण होगा जो संगीता ने मेरे साथ ऐसा किया?





आयुष, स्तुति और नेहा

आयुष और स्तुति, जिन से मेरा खून का नाता है वो मुझे अपना समझते हैं तथा मेरा आदर करते हैं| जहाँ एक तरफ आयुष ने मुझे कभी "पापा जी" नहीं कहा मगर उसने मुझे वो मान-सम्मान दिया जो की एक बेटा अपने पिता को देता है| मेरे लिए आयुष अपनी बड़ी बहन से लड़ा, अपनी छोटी बहन को मेरे प्यार के बारे में समझाया| वहीं दूसरी तरफ स्तुति है, जो की मुझे इतना चाहती है की दुनिया की चोरी मुझे "पापा जी" कहती है| मेरी ज़रा सी नारजगी या कभी फ़ोन न उठाने पर मेरी गुड़िया का दिल सहम जाता है|



वहीं मेरे इन दोनों बच्चों से अलग नेहा, जिससे भले ही मेरा खून का नाता न हो मगर उसे प्यार मैंने सबसे ज्यादा किया पर फिर भी वो मुझे क्यों समझ न पाई?! ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मैं आज भी नहीं जान पाया|





संगीता और मेरा रिश्ता



आप सभी ये जानना को उत्सुक हैं की मेरा और संगीता का इस समय क्या रिश्ता है?

हम दोनों का ये रिश्ता अब बस दोस्ती तक ही सिमित है| हालांकि संगीता कोशिश करती रहती है की वो इस दोस्ती की दिवार को लांघ जाए मगर मैं उसे ऐसा करने में कामयब नहीं होने देता|



पिताजी और मेरा रिश्ता



पिता-पुत्र का ये रिश्ता खटास से भरा हुआ है| पिताजी मुझे गॉंव बुलाते रहते हैं और मैं गॉंव जाना नहीं चाहता| वहीं माँ और पिताजी के बीच बहुत दूरियाँ आ चुकी हैं इसलिए उनके रिश्ते में कोई बदलाव न तो आया है और न ही कभी आएगा|





एक अनोखा बंधन शीर्षक



मेरी इस आत्मकथा का ये शीर्षक "एक अनोखा बंधन" अब जा कर सार्थक साबित हुआ| मेरी ज़िंदगी की शुरआत में संगीता से जो मेरा दोस्ती का रिश्ता बना, जो बढ़ते-बढ़ते प्यार में तब्दील हो गया| फिर एक क्षण आया जब हमारा ये प्यार परवान चढ़ा और हमने पति-पत्नी के रिश्ते को 'छुआ'! लेकिन जब परीक्षा की घड़ी आई तो संगीता ने डर के मारे मेरा साथ छोड़ दिया और मैं वक़्त की मार झेलते-झेलते पता नहीं कहाँ खो गया?!

समय बीता और मैं जब संगीता को दुबारा दिखा तो मैं झील के उस पार था! हमारे बीच आई इस दूरी को संगीता पुल्ल बना कर जोड़ना चाहती थी मगर एक टूटे हुए इंसान में इतनी ताक़त नहीं थी की वो फिर से मेहनत कर पुल्ल बाँधे इसलिए मजबूरी में बस एक दोस्ती की डोरी बाँध कर मैं इस रिश्ते को निभाने लगा|



नेहा से मेरा रिश्ता एक पुत्री के रूप में बना था, लेकिन ज्यों-ज्यों नेहा बड़ी हुई उसके मन में मेरे लिए प्यार खत्म होता गया और गलतफैमी पैदा होती गई| जब तक नेहा को उसकी गलती का एहसास होता तब तक मैं उससे मीलों दूर आ चूका था!

हार न मानते हुए नेहा ने मुझे रोकने के लिए मेरी तरफ दौड़ना शुरू किया मगर क्या कभी वो ये दूरी पूरी कर पाएगी?






जिनसे प्यार का रिश्ता स्थापित हुआ था उनके दिए दुखों के कारण उनसे बस दोस्ती का रिश्ता निभा रहा हूँ...तो हुआ न ये 'एक अनोखा बंधन'!
वैसे तो मैने अपना कॉमेंट पहले ही दे दिया है, और मैं उस पर कायम हूं।

रही बात भौजी को जज करने की, तो बस इतना ही कहूंगा कि वो भी गलत नही है, हालांकि इस रिश्ते को सहेजने का सबसे बड़ा दारोमदार सिर्फ उनके ऊपर ही था, और आपके ऊपर कम, लेकिन प्यार करना और छिपाना आसान होता है, निभाना और दुनिया के सामने लाना सबसे मुश्किल होता है। और वो भी बस उसी दुनियादारी में फस कर वो सब कर बैठी जो नही करना चाहिए था, लेकिन उनके नजरिए से देखें तो इस रिश्ते में घाटा (सामाजिक और नैतिक रूप से) दोनो के साथ साथ बच्चो को भी भुगतना पड़ता, इस हिसाब से उन्होंने जो किया वो गलत नही ही किया, पर हां जब आप हिसाब किताब करने लगते हैं रिश्तों में तो रिश्ता बनाने और आगे बढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए।

मेरा सुझाव बस यही है कि जो जैसा है चलने दीजिए, और मानू भाई, आप अब आगे बढ़ने की कोशिश करिए, दुनिया में दोस्ती से ज्यादा साथी की जरूरत पड़ती है, मुश्किल है, पर कदम बढ़ा कर देखिए। और भौजी से यही प्रार्थना है की अब बस दोस्ती पर ही सीमित रहें, काठ की हांडी बार बार नही चढ़ती, और मनुष्य का मन वही काठ की हांडी है, जो हांडी को ही नष्ट करती है।
 
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ashik awara

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प्रिय मित्र,

जानकार ख़ुशी हुई की आपको मेरी ये लेखनी इतनी पसंद आई|

जहाँ तक नेहा को माफ़ करने की बात है तो मैं यही कहूँगा की समय बताएगा की हमारा रिश्ता पुनः स्थापित हो पायेगा या नहीं? आपकी ख़ुशी के लिए बता दूँ की मैं नेहा के मेरे नज़दीक आने की कोशिशों को विफल नहीं करता हूँ क्योंकि इससे उसका दिल टूट जायेगा|
एक गुज़ारिश आपसे है की प्लीज Writer's Comment : https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635 जर्रूर पढियेगा|
रोक स्टार दोस्त आपकी कहानी "एक अनोखा बंधन " मेने इसका पहला पार्ट ही पढ़ा हे , मानु और संगीता की शादी तक उसके बाद दूसरा पार्ट पढने की हिम्मत कम हो रही हे , इसका कारण जो कुछ कमेन्ट पढ़े और आपके कमेन्ट द्वारा उसका जबाब , में कहानी केसे पढ़ी ये बताना चाहूँगा , मेंने एक कहानी "अनोखा बंधन " अपने फोल्डर में सेव करके रखी थी उसमे आदित्य और जरीना की प्रेम कहानी थी जो, गुजरात दंगों की छाया में पनपी थी . ये कहानी मुझे बेहद पसंद हे , इसी को दुबारा से सेक्स बाबा पर जब ढूंड रहा था तब अचानक से ये नाम दिखाई दिया "एक अनोखा बंधन" और अनजाने में मेने इस कहानी को "अनोखा बंधन" समझ कर कापी कर लिया शायद ३ साल पहले या उससे पहले फिर कुछ दिन के बाद जब ये कहानी पढना शुरू किया उसके बाद तो आखिर तक पढने से खुद को रोक नहीं पाया . छोटेपन से आपका संगीता भोजी की तरफ आकर्षित होना और उसके बाद के घटनाक्रम ने मुझे बेहद प्रभावित किया , उसके बाद रसिका भाभी का प्रकरण फिर संगीता का शहर आना सब कुछ अच्चा लगा और ये भी लगा की जहाँ लेखक अपने लिंग का साइज़ बताने पर ज्यादा जोर देते हें , जबकि हकीकत सबको पता हे , आपकी कहानी उस सबसे अलग एक रोमांस का वातावरण बनती हुई आगे बढती हे , मुझे इस तरह की कहानिया पढना ज्यादा पसंद हे जिसमे सेक्स प्यार भरे तरीके से ही हो वो विभ्त्सव न लगे . इस कहानी को पढने के बाद काला इश्क पढने की वजह भी "आपकी एक अनोखा बंधन" भी बनी , हालाँकि सेक्स बाबा पर लेखक का नाम और उससे सम्वाद होना बड़ा मुश्किल होता हे , पर लेखन शेली से अंदाजा लग जाता हे की दोनों कहानियां एक ही लेखक की होंगी , "काला इश्क" में रितिका के अंत के बारे में मेने आपको अपनी भावनाएं शेअर की थी अब संगीता के बारे में आपके विचार पढकर आगे की कहानी पढने की इच्छा कम ही हो रही हे खेर ये कहानी लेखक का अपना विचार हे , और ये कहानी पढकर ही पता चलेगा पर थोडा सा धक्का तो लगा ही हे होता ये हे की कुछ कहानियां एसी होती हें जो मन को छू जाती हें. मेरी सबसे प्रिय ५० कहानियों में से आपकी ये दो कहानियां भी शामिल हें , धन्यवाद
 

Ritz

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कृपया मेरी इस कथा को मिथ्या न कहिये! मेरा मेरे बच्चों के लिए प्यार सत्य था! मेरा संगीता के लिए प्यार सत्य था!
Sorry if it hurt.. and yours love towards sangitaji and children is well understood. But sangita ji ...!!!
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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नहीं मित्र, ये 'Fiction' नहीं है! मेरी इस दर्दभरी दास्ताँ को fiction का नाम न दीजिये! 🙏

नया thread बना कर सच बताता तब भी आप ये कहानी पूरी करने से पहले पढ़ी ही लेते...जैसे आप इस कहानी को अधूरा छोड़ कर 'काला इश्क़' पढ़ने गये थे|



Dramatic pause नहीं मित्र, आगे की update लिखने में व्यस्त था!



:applause:

Spare sometime to read Writer's Comment : https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635
भाई जी फिक्शन तो सुखद था, थप्पड़ तो रियलिटी ने मारा सबको।

काला इश्क पढ़ने इसीलिए गया था क्योंकि कामदेव जी ने बहुत पहले रिकमेंड किया था, लेकिन मुझे मिला नही, और किसी ने उस पर कमेंट करके दिखा दिया था।

ड्रामेटिक इसीलिए कहा क्योंकि सभी लोग बस यही सोच रहे थे कि आगे आप चीजें सही करेंगे।
 

Payal22

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पायल जी,

आपका review पढ़ कर अच्छा लगा की आपने कितनी कम updates पढ़ कर भी सभी को एकदम सटीक पहचाना| संगीता के प्रति आपका गुस्सा देख कर तो एक पल के लिए मैं डर ही गया था| अगर मैं गलत नहीं तो यही हाल संगीता का भी हुआ होगा|
हाँ एक बात अवश्य जानना चाहूँगा, क्या आप संगीता की कहानी सुनना चाहोगी? क्या आपको जिज्ञासा है की संगीता ने जो किया वो क्यों किया?

Also, please spare some time to read this:

Writer's Comment : https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635


मानु जी,
सबसे पहले तो मे अपने रिव्ह्यू से किसी को डराना नंही चाहती थी... मैने बस वही लिखा जो मुझे पढ कर महसुस हुआ....बाकी बिते 3-4 दिनो मे मे आपकी इस पुरी कहानी को पढली हे.... जिसमे आपका संगीता के प्रति सच्चा प्यार हमेशा दिख के आया....जहा आपमे जिम्मेदार, प्यार, भावुकता नजर आई तो वही संगीता मे वादे तोडना, अपने हिसाब से कुछ भी सोच लेना, समस्या से भागणा, जलन, कायारता, ये सारे गुण दिखे...


संगीता की हरकत को देख कर माधुरी की याद आती हे...एक तरफ संगीता दुसरी तरफ माधुरी....जहा संगीता का आपके प्रति प्यार केवळ शब्दो मे दीखा वही माधुरी आपके लिये पुरे गाव के सामने लडणे तैयार दीखी.. संगीता चाहे अपणी करणी के लिये कुछ भी स्पष्टीकरण दे दे पर वो उसके कीये को सही नाही ठेहरा सकते.... बहाने बनाना, रोना धोणा, वादा कर के मुकर जाना ये उनकी खुबी हे.... यहा मुझे माधुरी ज्यादा सही लगी...भले ही उसका प्यार सच्चा न हो पर अपने प्यार के लिये लदने की हिम्मत थी उसमे....

आपने हर कदम कदम पर एक अच्चे जीवनसाथी होणे का कर्तव्य निर्भया पर संगीता ऊस मे पूर्णत असफल रही..


रही बात संगीता का नजररिया देखने की.....तो वो थोडा मुश्किल हे....संगीता का जीवन ओर नजरिया बस I, ME, MYSELF तक ही सीमित हे...

जो लोग प्यार करते हे वो पुरी दुनिया से लदणे की हिम्मत रखते हे....जबकी जब शादी की बात कही गयी ऊस वक्त ज्यादा बुरे हालत भी नाही थे...सबसे मुश्किल था आपके ओर संगीता के पिता को मनाना जो समस्या ऊस वक्त समाप्त हो गयी थी ...बस बदके दादा ओर चंदर से ही निपटणा था...जो की मुझे लगता हे उतना मुश्किल नाही था....सच्चा प्यार पुरी दुनिया से लदनें की हिम्मत देता हे...

आप जिससे प्यार करते हो उसकी आंख मे एक आसू भी नहीं देख सकते अपने कदमो गिर कर रोते देखणा तो दूर की बात....

पिताजी कहते हैं की मेरी दो शादियाँ होंगी,

संगीता का नजरिया देखणा तो थोडा मुश्किल हे...पर मे आपकी इस कहानी की आगे के अध्याय जरूर पढणा चाहुंगी...जब आप को एक अच्छा ओर सच्चा जीवनसाथी मिले...
 
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