पायल जी,
आपका review पढ़ कर अच्छा लगा की आपने कितनी कम updates पढ़ कर भी सभी को एकदम सटीक पहचाना| संगीता के प्रति आपका गुस्सा देख कर तो एक पल के लिए मैं डर ही गया था| अगर मैं गलत नहीं तो यही हाल संगीता का भी हुआ होगा|
हाँ एक बात अवश्य जानना चाहूँगा, क्या आप संगीता की कहानी सुनना चाहोगी? क्या आपको जिज्ञासा है की संगीता ने जो किया वो क्यों किया?
Also, please spare some time to read this:
Writer's Comment :
https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-1148#post-5989635
मानु जी,
सबसे पहले तो मे अपने रिव्ह्यू से किसी को डराना नंही चाहती थी... मैने बस वही लिखा जो मुझे पढ कर महसुस हुआ....बाकी बिते 3-4 दिनो मे मे आपकी इस पुरी कहानी को पढली हे.... जिसमे आपका संगीता के प्रति सच्चा प्यार हमेशा दिख के आया....जहा आपमे जिम्मेदार, प्यार, भावुकता नजर आई तो वही संगीता मे वादे तोडना, अपने हिसाब से कुछ भी सोच लेना, समस्या से भागणा, जलन, कायारता, ये सारे गुण दिखे...
संगीता की हरकत को देख कर माधुरी की याद आती हे...एक तरफ संगीता दुसरी तरफ माधुरी....जहा संगीता का आपके प्रति प्यार केवळ शब्दो मे दीखा वही माधुरी आपके लिये पुरे गाव के सामने लडणे तैयार दीखी.. संगीता चाहे अपणी करणी के लिये कुछ भी स्पष्टीकरण दे दे पर वो उसके कीये को सही नाही ठेहरा सकते.... बहाने बनाना, रोना धोणा, वादा कर के मुकर जाना ये उनकी खुबी हे.... यहा मुझे माधुरी ज्यादा सही लगी...भले ही उसका प्यार सच्चा न हो पर अपने प्यार के लिये लदने की हिम्मत थी उसमे....
आपने हर कदम कदम पर एक अच्चे जीवनसाथी होणे का कर्तव्य निर्भया पर संगीता ऊस मे पूर्णत असफल रही..
रही बात संगीता का नजररिया देखने की.....तो वो थोडा मुश्किल हे....संगीता का जीवन ओर नजरिया बस I, ME, MYSELF तक ही सीमित हे...
जो लोग प्यार करते हे वो पुरी दुनिया से लदणे की हिम्मत रखते हे....जबकी जब शादी की बात कही गयी ऊस वक्त ज्यादा बुरे हालत भी नाही थे...सबसे मुश्किल था आपके ओर संगीता के पिता को मनाना जो समस्या ऊस वक्त समाप्त हो गयी थी ...बस बदके दादा ओर चंदर से ही निपटणा था...जो की मुझे लगता हे उतना मुश्किल नाही था....सच्चा प्यार पुरी दुनिया से लदनें की हिम्मत देता हे...
आप जिससे प्यार करते हो उसकी आंख मे एक आसू भी नहीं देख सकते अपने कदमो गिर कर रोते देखणा तो दूर की बात....
पिताजी कहते हैं की मेरी दो शादियाँ होंगी,
संगीता का नजरिया देखणा तो थोडा मुश्किल हे...पर मे आपकी इस कहानी की आगे के अध्याय जरूर पढणा चाहुंगी...जब आप को एक अच्छा ओर सच्चा जीवनसाथी मिले...