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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Sanjuhsr

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मनु जी मैं लंबे समय से एक साइलेंट पाठक के तौर पर आपकी कहानी पढ़ रहा हु,
आपने अपने जीवन को जो कहानी के रूप में लिखा है, और उसका जो घटनाएं उसमे आपने लिखि है वो संयोग कहिए की उसमे से बहुत सी घटनाएं मेरी जिन्गदी में भी हुई है,
जब आप कहानी में कल्पना का मिक्स करके लिख रहे थे तब मुझे जलन हो रही थी कि इतनी हिम्मत हमने क्यो नही दिखाई कि जो एक साथ रह रहे होते, लेकिन अब जब आपने सचाई सामने रखी तब समझ आया कि आप और मैं एक ही नाव के सवार है।
लेकिन जो मेरी प्रेमिका यानी मेरी जो भाभी है उन्होंने एक लंबे समय बाद अपना पक्ष रखा और मुझे समझ आया कि उनकी क्या सिचुएशन रही थी जो उन्होंने उस समय वो निर्णय लिया,
आप अब भी खुशकिस्मत ह की आपकी बाते एक दोस्त के नाते हो रही है, हमारी वो भी नही होती।
अब संगीता जी के नजरिया का इंतजार रहेगा क्योंकि शायद उनकी भी मेरी भाभी जैसे कुछ कारण रहे हो।
अपनी कहानी में एक समानता क्या क्या है
जब मेरे जीवन मे मेरी भाभी का आगमन हुआ मैं नाइन्थ कक्षा का छात्र था, वो मेरी रिश्तेदारी में मेरे भैया की पत्नी थी, और अपने पहले बेटे के जन्म के बाद भैया उनको अपने परिवार से अलग होकर हमारे घर किराये पर रहने आए।
उसके बाद धीरे धीरे हम नज़दीक आये,
और बाद में प्यार के बन्धन मेंआये,
जब मैं 11थ कक्षा मे था तब हमारे शारिरिक संबंध बने, इस बीच आपके जीवन जैसे बहुत सी घटनाएं हुई, कुछ क़िरदार भी आये, लेकिन भाभीजी से दूर नही कर सके, जिसमे रसिका भाभीजी जैसे एक भाभी की कोशिस,
स्कूल में सह पाठिका के साथ नजदीकी लेकिन वहाँ भी प्यार भाभीजी का जीता।
फिर आयूष जैसे हमारे बेटे तरुण का जन्म,
आपके तीन बच्चे है हमारे भी तीन लेकिन बेटी नही है कोई।
फिर घरवालो का शक,
एक दिन अचानक से उनका कहना कि मुझे भुल जाओ, और घर छोडकर दूसरे शहर चले जाना,
आख़िर समय मे मिलकर भी नही जाना।
दिषु जैसे दोस्त ने ही मुझे संभाला जिसने पहले भी बहुत समझाया कि इस रिश्ते का कोई भविष्य नही।
तब अपने बेटों से जुदाई, जो साथ रहने के ख्वाब थे उनके टुटने, का दर्द, उसके कारण आपके हर दर्द को महसूस किया,
फ़िर अचानक से भाभी की वापिसी,
भाभी को मेरे दर्द का अहसास दिलाने को एक लड़की के साथ प्रेमप्रसंग का नाटक किया, संगीता जैसे तुरन्त रिएक्शन आया, और भाभीजी ने फिर से मिलाप की कोशिश की,
तब जो आपकी बातचीत हुई वैसी ही हमारी हुई
लेकिन मैंने उस समय उन्हें माफ नही किया,
एक लंबे समय बाद उन्होंने मुझे सच से सामना करवाया, उस समय मेरे एक पड़ोसी ने मुझे और भाभी को किस करते हुए देख लिया था, और मेरे घरवालो को बता दिया ,
उसके बाद मेरी ताई जी ने जाकर भाभीजी को बहुत सुनाया, अब इसका एहसास हो रहा है ताई ने क्या क्या कहा होगा, उनको धमकाया गया कि अगर उन्हीने मेरे साथ रिश्ते ख़त्म नही किये, तो भैया , उनकी ससुराल और घर पर ये बात बताई जायेगी।
इसलिए उन्होंने अचानक शहर छोड़ दिया,
उनको मालुम था कि अगर मुझे पहले मालूम हुआ तो मैं कुछ भी करूंगा रोक्ने को, इसलिए वो बीना मिले ।
तीन परिवारों की इज्ज़त , अपने प्यार की बदनामी, तीनो बच्चों के भविष्य, और मेरी सुरक्षा के लिए उन्होंने दूर जाना सही समझा।
आपका जो दर्द है हालात हैं उसको समझते हुए भी , मैं संगीता जी को ग़लत नही कह सकता।
मैं दिल से चाहता हूं कि संगीता जी अपना पक्ष जरूर लिखें। हर बार की बेवफाई का।
 

kamdev99008

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प्रिय मित्रों,



इससे पहले की आप सभी अपना final review दें, मैं आप सभी से कुछ कहना चाहता हूँ|Big Reveal में मैंने जिस सच पर से पर्दा उठाया उसे पढ़कर आप सभी आक्रोशित हैं, नाराज़ हैं की मैंने ये सच बता कर एक प्यारभरी कहानी से सारा प्यार निचोड़ लिया| मेरा इरादा इस कड़वे सच को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का था परन्तु हमारे Aakash. भाई, मेरी पिछली कहानी ‘काला इश्क़’ की ending से रुष्ट थे और चाहते थे की मैं इस कहानी का अंत सुखद करूँ| लेकिन विधि की विडंबना देखिये, हमारे Aakash. भाई जो इस कहानी की शुरुआत में एक active reader बन कर मेरे साथ बने हुए थे उन्होंने एकदम से बिना कुछ कहे ही साथ छोड़ दिया!

अब मैं अपने वचन से बँधा था तो कहानी को एक सुखद मोड़ देना ही पड़ा|



अब जब ‘काला इश्क़’ की बात चल ही रही है तो मैं आप सभी को इन दोनों कहानियों के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ| ‘काला इश्क़’ और ‘एक अनोखा बंधन’ कहानी, दोनों ही आपस में जुडी हुई हैं|

रितिका का किरदार संगीता से ही प्रेरित था! अगर आप सभी ध्यान देंगे तो आपो पता चलेगा की दोनों की ही आदतें एक सी हैं| प्यार के लिए पागल हो जाना और फिर एकदम से अपने दिलबर को यूँ अकेला छोड़ देना! दरअसल जब मैंने काला इश्क़ लिखनी शुरू की उस समय मैं अपने डिप्रेशन में लिप्त था इसलिए मैं अपने जज्बात आप सभी तक पहुँचाना चाहता था| उस समय तक मैंने नहीं सोचा था की मैं ‘एक अनोखा बंधन’ दुबारा लिखूँगा| परन्तु मेरे सर जी kamdev99008 जी जो मुझे 'काला इश्क़' के माध्यम से इस फोरम पर दुबारा मिले, उन्होंने मुझे ये कहानी फिर से लिखने को प्रेरित कहा| वो बात अलग है की मेरे सर जी व्यस्त हो गए और बीच कहानी के बीच से ही गायब हो गए! :D

सिर्फ किरदार ही नहीं, दोनों कहानियों में कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो एक सी हैं| उन प्रमुख घटनाओं में से एक थी रितिका का जबरदस्ती नेहा को मानु से छीनना! आप सभी ने देखा था की कैसे रितिका ने गुपचुप तरीके से कोर्ट केस फाइल कर, अपने ससुर की जायदाद पर कब्ज़ा जमाया और एक सुनियोजित चाल को चलते हुए नेहा के जन्मदिन के दिन ही उसे मानु से जबरदस्ती जुदा किया| कुछ ऐसा ही संगीता ने मेरे साथ किया था|

यही नहीं जब मानु और अनु का रिश्ता तय हो गया था तब रितिका ने मानु से ये शादी न करने और उसके साथ भाग जाने को कहा था, ठीक वही संगीता ने मुझसे कहा जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया था|



'काला इश्क़' कहानी में मानु ने रितिका की हत्या कर दी थी ताकि वो और उसका परिवार चैन से रहे| ठीक उसी तरह मैंने इस कहानी के अंत में अपने प्यार का गला घोंट दिया ताकि मुझे इस मानसिक तनाव से छुटकारा मिले|

उस समय मेरे जिन पाठकों ने रितिका की जान लेने की आलोचना की थी, आशा करता हूँ वह इस कहानी को पढ़ कर मेरी मंशा समझ गए होंगें|





'एक अनोखा बंधन' पर लौटते हुए मैं आप सभी का ध्यान कुछ बातों पर खींचना चाहूँगा|



स्तुति का बालपन



पता नहीं आप में सी कितने लोगों ने कहानी में ये अंतर् महसूस किया या नहीं परन्तु जब स्तुति दो साल की हुई उसके बाद से मैंने कहानी को एकदम से fast forward कर दिया था| ऐसा मैंने जानबूझ कर किया था क्योंकि स्तुति के 2 साल के होने के बाद से ही हम बाप-बेटी अलग हो गए थे| उसके बाद स्तुति ने क्या मस्ती की, स्कूल में उसका पहला दिन कैसा था आदि जैसे सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था इसीलिए मैंने एकदम से कहानी को fast forward कर दिया था|
मेरे लिए स्तुति के जीवन के पहले 2 साल सबसे प्यारभरे थे इसीलिए मैंने स्तुति के बचपन के उन दिनों का जिक्र इतना विस्तार से किया|



आखरी की कुछ updates में जो आप सभी ने स्तुति का प्यार देखा वो मैं इसीलिए लिख पाया क्योंकि तब स्तुति का मेरी जिंदगी में पुनः आगमन हुआ था|



मेरे और संगीता के बीच दूरियाँ



असल ज़िंदगी में जब स्तुति मुझसे दूर हुई तभी से मेरे और संगीता के बीच सभी रिश्ते खत्म हो गए थे| इस सत्य को दर्शाने के लिए मैंने अंतिम updates में हम दोनों के बीच कोई भी जिस्मानी रिश्ता जुड़ने की update नहीं डाली|

इतना ही नहीं, इस forum पर जब से संगीता आई तभी से मैंने उससे हमेशा दूरी बना कर रखी| मैंने हमेशा उसे देवी जी या नाम से बुलाया और कभी भी वो kissi वाली emojis इस्तेमाल नहीं की| यहाँ तक की कई बार बातों ही बातों में यहाँ संगीता ने लिखा की वो गॉंव में है, जो इस बात को दर्शाता था की हम दोनों अलग रहते हैं|





सच या झूठ



Big Reveal पढ़ने के बाद बहुत से पाठकों के मन में आया होगा की अभी तक जो उन्होंने कहानी में प्यार देखा-पढ़ा वो मिथ्या था...झूठ था! कुछ पाठक ऐसे भी थे जिन्होंने अभी आधी ही updates पढ़ीं थीं और आगे पढ़ने के बजाए सीधा Big Reveal पढ़ कर उनका जी खट्टा हो गया!

मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा की मैंने जो भी लिखा वो कतई झूठ नहीं था| जो प्यार आपने कहानी में देखा वो सच था! जब संगीता मेरे तीनों बच्चों को गॉंव ले गई, उससे पहले तक का प्यार एकदम सत्य था| मेरे तीनों बच्चों का वो बचपना, मेरा उन्हें लाड-प्यार करना...सब सत्य था|



मेरी आप सभी से हाथ जोड़कर गुज़ारिश है की मेरी इस लेखनी को झूठ न समझें|





My Depression State


मैं अपने depression में बहुत घुट-घुट कर जिया हूँ| मेरा मन किसी से बात करने का होता था, उसे अपना दुःख सुनाने का होता था मगर मेरे पास कोई नहीं था| दिषु का साथ अवश्य था मगर उसके आगे मैं बार-बार ये रोना नहीं रो सकता था क्योंकि उसे भी अब थोड़ी-थोड़ी खीज महसूस हो रही थी|

मेरा psychiatrist डॉक्टर मुझे sessions के लिए बुलाता था मगर मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं उसके आगे ये सब बातें कह सकूँ क्योंकि मुझे बदनामी का डर था| नतीजन मैं अपने इस दुःख में कुढ़ता रहा!



काफी सोच-विचार के बाद मैंने अपने इस दर्द को लिख कर आप सभी के साथ साझा करने का फैसला किया| इस forum पर अपनी कहानी लिखने का फायदा ये था की यहाँ कोई भी मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था इसीलिए मैं यहाँ अपना दुःख लिख पाया|

यहाँ मुझे कुछ पुराने दोस्त मिले तो कुछ नए दोस्त बन गए जिन्होंने अपने comments से मेरा होंसला बनाये रखा|



2022 की शुरुआत में मैंने लगभग अपने डिप्रेशन को हरा ही दिया था परन्तु होली के बाद से मेरी माँ का स्वाथ्य बिगड़ा और मेरे ऊपर जो जिम्मेदारियाँ आईं उन्हें निभाने में मैं असफल रहा| माँ को दर्द से करहाते हुए देख कर मेरा मनोबल गिरता जा रहा था, ऐसे में मेरे दिमाग में suicidal tendencies develop होने लगीं|

शुक्र है आप सभी भाइयों का, जिन्होंने positivity दिखाते हुए मुझे सँभाला और मेरी माँ के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते रहे|






Judging Sangeeta

Big Reveal पढ़ कर कुछ पाठकगण संगीता पर बिगड़ चुके हैं तथा संगीता को ले कर अपनी-अपनी टिपण्णी कर रहे हैं| आपकी ये टिप्पणियाँ पढ़ कर मैं बस यही कहूँगा की; maybe you’re judging her too harsh!”

अभी तक आपने इस कहानी को मेरे दृष्टिकोण से देखा है, क्या आप सभी संगीता का दृष्टिकोण नहीं जानना चाहेंगे?




कोई कारण होगा जो संगीता ने मेरे साथ ऐसा किया?





आयुष, स्तुति और नेहा

आयुष और स्तुति, जिन से मेरा खून का नाता है वो मुझे अपना समझते हैं तथा मेरा आदर करते हैं| जहाँ एक तरफ आयुष ने मुझे कभी "पापा जी" नहीं कहा मगर उसने मुझे वो मान-सम्मान दिया जो की एक बेटा अपने पिता को देता है| मेरे लिए आयुष अपनी बड़ी बहन से लड़ा, अपनी छोटी बहन को मेरे प्यार के बारे में समझाया| वहीं दूसरी तरफ स्तुति है, जो की मुझे इतना चाहती है की दुनिया की चोरी मुझे "पापा जी" कहती है| मेरी ज़रा सी नारजगी या कभी फ़ोन न उठाने पर मेरी गुड़िया का दिल सहम जाता है|



वहीं मेरे इन दोनों बच्चों से अलग नेहा, जिससे भले ही मेरा खून का नाता न हो मगर उसे प्यार मैंने सबसे ज्यादा किया पर फिर भी वो मुझे क्यों समझ न पाई?! ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मैं आज भी नहीं जान पाया|





संगीता और मेरा रिश्ता



आप सभी ये जानना को उत्सुक हैं की मेरा और संगीता का इस समय क्या रिश्ता है?

हम दोनों का ये रिश्ता अब बस दोस्ती तक ही सिमित है| हालांकि संगीता कोशिश करती रहती है की वो इस दोस्ती की दिवार को लांघ जाए मगर मैं उसे ऐसा करने में कामयब नहीं होने देता|



पिताजी और मेरा रिश्ता



पिता-पुत्र का ये रिश्ता खटास से भरा हुआ है| पिताजी मुझे गॉंव बुलाते रहते हैं और मैं गॉंव जाना नहीं चाहता| वहीं माँ और पिताजी के बीच बहुत दूरियाँ आ चुकी हैं इसलिए उनके रिश्ते में कोई बदलाव न तो आया है और न ही कभी आएगा|





एक अनोखा बंधन शीर्षक



मेरी इस आत्मकथा का ये शीर्षक "एक अनोखा बंधन" अब जा कर सार्थक साबित हुआ| मेरी ज़िंदगी की शुरआत में संगीता से जो मेरा दोस्ती का रिश्ता बना, जो बढ़ते-बढ़ते प्यार में तब्दील हो गया| फिर एक क्षण आया जब हमारा ये प्यार परवान चढ़ा और हमने पति-पत्नी के रिश्ते को 'छुआ'! लेकिन जब परीक्षा की घड़ी आई तो संगीता ने डर के मारे मेरा साथ छोड़ दिया और मैं वक़्त की मार झेलते-झेलते पता नहीं कहाँ खो गया?!

समय बीता और मैं जब संगीता को दुबारा दिखा तो मैं झील के उस पार था! हमारे बीच आई इस दूरी को संगीता पुल्ल बना कर जोड़ना चाहती थी मगर एक टूटे हुए इंसान में इतनी ताक़त नहीं थी की वो फिर से मेहनत कर पुल्ल बाँधे इसलिए मजबूरी में बस एक दोस्ती की डोरी बाँध कर मैं इस रिश्ते को निभाने लगा|



नेहा से मेरा रिश्ता एक पुत्री के रूप में बना था, लेकिन ज्यों-ज्यों नेहा बड़ी हुई उसके मन में मेरे लिए प्यार खत्म होता गया और गलतफैमी पैदा होती गई| जब तक नेहा को उसकी गलती का एहसास होता तब तक मैं उससे मीलों दूर आ चूका था!

हार न मानते हुए नेहा ने मुझे रोकने के लिए मेरी तरफ दौड़ना शुरू किया मगर क्या कभी वो ये दूरी पूरी कर पाएगी?






जिनसे प्यार का रिश्ता स्थापित हुआ था उनके दिए दुखों के कारण उनसे बस दोस्ती का रिश्ता निभा रहा हूँ...तो हुआ न ये 'एक अनोखा बंधन'!
मानु भाई....
आपकी कहानी 'एक अनोखा बंधन' और संगीता की आत्मकथा भी शायद 2014-15 में पढ़ी या शायद उससे भी पहले... Xossip..... मेरे साथ भी ये संयोग हुआ कि जतिन भाई की अनोखा बंधन तलाश करने पर यहाँ पहुँचा... फिर पढ़ने पर मन लग गया तो आखिर तक पहुँचा ... लेकिन तब तक आपकी और अपनी दोनों कहानियों पर अपडेट व रिप्लाई सिर्फ संगीता की आई.डी. से ही आ रहे थे... और.... फिर वो भी आने बन्द हो गये.... और फिर फोरम ही बन्द....
एक्स फोरम पर 'काला इश्क़' शुरू हुई... हिन्दी फॉन्ट की कहानी देखकर पढ़ना शुरू किया....
इन्ट्रो/परिचय पढ़कर... एक अनोखा बंधन का जिक्र किया तो मानु भाई ने भी अपना परिचय दिया....
और मेरी ही ख़्वाहिश पर काला इश्क़ पूरी होने पर एक अनोखा बंधन दुबारा लिखकर पूरी करने का वादा भी किया......
लेकिन काला इश्क़ को पढ़कर मुझे एक अनोखा बंधन .... खूबसूरत झूठ लगने लगी... क्योंकि मुझे सच की महक लग रही थी...
.......................
............ अब आते हैं पात्रों के चित्रण पर.......
मानु :- एक भावुक बच्चा जिसने अपने माता-पिता के अलावा किसी पारिवारिक सम्बन्ध को जाना ही नहीं.....
पहली बार किसी ने अपनाया, प्यार-दुलार किया तो संगीता से बंध गया.......
बचपना, लड़कपन/तरुणाई में बदला तो रिश्ता हदों को पार कर गया.....
जब जवानी आई तो सबकुछ पा लेने का जुनून भी.....
लेकिन मुझे वो भोला-भाला, नासमझ, मासूम और जोशीला बच्चा..... कभी बड़ा होता नहीं लगा.... उसकी दुनिया माता, पिता, दिशू के बाहर थी भी नहीं....
संगीता और संगीता के बच्चों यहाँ तक कि संगीता के मायके वालों से भी मानु का लगाव.... उसी दायरे को बड़ा करने का मोह था.... लेकिन उन सबको भी तो अपनी जिंदगी जीने के लिये मानु के बंधन/दायरे से बाहर देखना है... जो मानु समझा नहीं

संगीता और नेहा :-
नर्क जैसी ज़िन्दगी झेल रही संगीता और नेहा को प्यार और अपनापन मिला मानु से .... तो इन दोनों ने भी मानु को अपना लिया...
लेकिन संगीता... मानु के लिये दुनिया से नहीं लड़ सकती थी...
अपने या मानु के नहीं.... परिवार और बच्चों की सामाजिक प्रतिष्ठा, सम्मान के लिये... बच्चों के भविष्य के लिए
बस एक ही कमी है संगीता की... मानु को अपनी जिंदगी जीने दो
नेहा और आयुष, स्तुति इन हालातों में दोहरी, तिहरी जिंदगी जी रहे हैं... बहुत बड़ी बात है...
और कोई ना सही.... मानु और संगीता को धैर्य से संभालना होगा, नेहा के बाद बाकी दोनों भी इस पड़ाव पर पहुचेंगे...

पिताजी :- इनमें मुझे अपने पिताजी की झलक दिखी... 100% ना सही 50%+
जरूरत से ज्यादा अच्छा दिखने के लिये अपने आप को और अपनों को भी मिटा देना, झूठे दिखावे से सम्मान बटोरना... सहानुभूति बटोरना
ऐसे लोगों के लिये दया तो आती है लेकिन... कोढ़ की तरह दूर करने में ही भलाई है... ये महान दिखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं बिना सोचे समझे

अब आते हैं मुख्य पात्र पर..... जो सबसे जीवंत और सबसे ज्यादा तिरस्कृत हैं.... पूरी कहानी उनकी है और उन्ही की कहानी ना कही गयी और ना सुनी गई.....
उनके बारे में सोचकर मेरी आँखों में आंसू भर आते हैं......
......... दूसरी पोस्ट में रिव्यू जारी रहेगा
 

kamdev99008

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मानु की माताजी :-
ये कहानी वास्तव में उनके बलिदान और समर्पण की है और बदले में मिले विश्वासघात की...
अनकही और अनकही.... फिर भी पूरे कथानक के हर शब्द के पीछे से झांकती उनके संघर्ष भरे जीवन की कहानी....

प्रेम किया तो अपने परिवार से नाता ही टूट गया.... जन्म भर के लिए......
पूरी कहानी में कहीं भी मुझे उनके मायके का जिक्र नहीं मिला....

ससुराल में बाहर से ही निकाल दिया गया.... बाद में भी सिर्फ़ मानु के पिताजी को बुलाया गया... उनको तो संगीता जितना भी सम्मान नहीं मिला... परिवार की बहू के ऱूप में स्वागत होता या बुलाया जाता....

आखिर में जिस पति के लिये इन्होंने सबको छोड़ दिया.... वो भी मुँह मोड़कर अपने परिवार भाई भतीजों के लिये इनसे रिश्ता ही तोड़ गया.... पहला विश्वासघात

फिर जीवन का दूसरा आधार बेटा ...... जिसे संगीता, संगीता के बच्चे, संगीता का परिवार, गाँव, बिजनेस और करूणा से समय मिलता तो गम, डिप्रैशन और दारू में डूबा रहा....

जिस बेटे को माँ ने, पति के साथ ना जाकर चुना....
वो बेटा माँ के लिये परिवार भी नहीं दे सकता.... माँ को मकान, गाड़ी, पैसा या तीर्थयात्रा नहीं.... बहू और बच्चे चाहिए जिन्हें वो हक से अपना कह सके और वो भी निडर होकर माँ को सम्मान व प्यार दे सकें....
दूसरा विश्वासघात

अब उन्हें क्या हासिल हुआ जीवन भर संघर्ष करके.... अपना परिवार छूटा.....
पति के परिवार ने दुत्कार दिया...
पति ने त्याग दिया....
बेटा परिवार बसाना नहीं चाहता..... गम, नशा और बेगानों के लिये जिन्दा है

मानु भाई आपने तो दर्द अभी जिया ही नहीं ...

क्या आप दोनों उनके दर्द को जी पाओगे ..... YouAlreadyKnowMe Rockstar_Rocky
आपने तो महसूस भी नहीं कर पाया अब तक....

देखते ही देखते धुंधले हुये नक्शोनिगार,
ऐ मेरी जाती हुई दुनिया ये मुझको क्या हुआ.

उनकी तरह खुलीं आँखों से अपनी जिंदगी मिटती हुई देखने की सोचो... फिर ये प्यार, प्यार की निशानी, दिल जुड़ने-टूटने की बकचोदी कर पाओगे???
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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प्रेम किया तो अपने परिवार से नाता ही टूट गया.... जन्म भर के लिए......
पूरी कहानी में कहीं भी मुझे उनके मायके का जिक्र नहीं मिला....
उनको शायद अनाथ बताया गया था।
फिर जीवन का दूसरा आधार बेटा ...... जिसे संगीता, संगीता के बच्चे, संगीता का परिवार, गाँव, बिजनेस और करूणा से समय मिलता तो गम, डिप्रैशन और दारू में डूबा रहा....
बिलकुल

मां के विषय में मैं भी सोच रहा था, बस अनुभव भारी पड़ गया आपका।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मानु की माताजी :-
ये कहानी वास्तव में उनके बलिदान और समर्पण की है और बदले में मिले विश्वासघात की...
अनकही और अनकही.... फिर भी पूरे कथानक के हर शब्द के पीछे से झांकती उनके संघर्ष भरे जीवन की कहानी....

प्रेम किया तो अपने परिवार से नाता ही टूट गया.... जन्म भर के लिए......
पूरी कहानी में कहीं भी मुझे उनके मायके का जिक्र नहीं मिला....

ससुराल में बाहर से ही निकाल दिया गया.... बाद में भी सिर्फ़ मानु के पिताजी को बुलाया गया... उनको तो संगीता जितना भी सम्मान नहीं मिला... परिवार की बहू के ऱूप में स्वागत होता या बुलाया जाता....

आखिर में जिस पति के लिये इन्होंने सबको छोड़ दिया.... वो भी मुँह मोड़कर अपने परिवार भाई भतीजों के लिये इनसे रिश्ता ही तोड़ गया.... पहला विश्वासघात

फिर जीवन का दूसरा आधार बेटा ...... जिसे संगीता, संगीता के बच्चे, संगीता का परिवार, गाँव, बिजनेस और करूणा से समय मिलता तो गम, डिप्रैशन और दारू में डूबा रहा....

जिस बेटे को माँ ने, पति के साथ ना जाकर चुना....
वो बेटा माँ के लिये परिवार भी नहीं दे सकता.... माँ को मकान, गाड़ी, पैसा या तीर्थयात्रा नहीं.... बहू और बच्चे चाहिए जिन्हें वो हक से अपना कह सके और वो भी निडर होकर माँ को सम्मान व प्यार दे सकें....
दूसरा विश्वासघात

अब उन्हें क्या हासिल हुआ जीवन भर संघर्ष करके.... अपना परिवार छूटा.....
पति के परिवार ने दुत्कार दिया...
पति ने त्याग दिया....
बेटा परिवार बसाना नहीं चाहता..... गम, नशा और बेगानों के लिये जिन्दा है

मानु भाई आपने तो दर्द अभी जिया ही नहीं ...

क्या आप दोनों उनके दर्द को जी पाओगे ..... YouAlreadyKnowMe Rockstar_Rocky
आपने तो महसूस भी नहीं कर पाया अब तक....

देखते ही देखते धुंधले हुये नक्शोनिगार,
ऐ मेरी जाती हुई दुनिया ये मुझको क्या हुआ.

उनकी तरह खुलीं आँखों से अपनी जिंदगी मिटती हुई देखने की सोचो... फिर ये प्यार, प्यार की निशानी, दिल जुड़ने-टूटने की बकचोदी कर पाओगे???
आप दोनो
Rockstar_Rocky YouAlreadyKnowMe

बस यही कहूंगा फिर से


मूव ऑन

बच्चों और मां के लिए
 
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king cobra

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मानु की माताजी :-
ये कहानी वास्तव में उनके बलिदान और समर्पण की है और बदले में मिले विश्वासघात की...
अनकही और अनकही.... फिर भी पूरे कथानक के हर शब्द के पीछे से झांकती उनके संघर्ष भरे जीवन की कहानी....

प्रेम किया तो अपने परिवार से नाता ही टूट गया.... जन्म भर के लिए......
पूरी कहानी में कहीं भी मुझे उनके मायके का जिक्र नहीं मिला....

ससुराल में बाहर से ही निकाल दिया गया.... बाद में भी सिर्फ़ मानु के पिताजी को बुलाया गया... उनको तो संगीता जितना भी सम्मान नहीं मिला... परिवार की बहू के ऱूप में स्वागत होता या बुलाया जाता....

आखिर में जिस पति के लिये इन्होंने सबको छोड़ दिया.... वो भी मुँह मोड़कर अपने परिवार भाई भतीजों के लिये इनसे रिश्ता ही तोड़ गया.... पहला विश्वासघात

फिर जीवन का दूसरा आधार बेटा ...... जिसे संगीता, संगीता के बच्चे, संगीता का परिवार, गाँव, बिजनेस और करूणा से समय मिलता तो गम, डिप्रैशन और दारू में डूबा रहा....

जिस बेटे को माँ ने, पति के साथ ना जाकर चुना....
वो बेटा माँ के लिये परिवार भी नहीं दे सकता.... माँ को मकान, गाड़ी, पैसा या तीर्थयात्रा नहीं.... बहू और बच्चे चाहिए जिन्हें वो हक से अपना कह सके और वो भी निडर होकर माँ को सम्मान व प्यार दे सकें....
दूसरा विश्वासघात

अब उन्हें क्या हासिल हुआ जीवन भर संघर्ष करके.... अपना परिवार छूटा.....
पति के परिवार ने दुत्कार दिया...
पति ने त्याग दिया....
बेटा परिवार बसाना नहीं चाहता..... गम, नशा और बेगानों के लिये जिन्दा है

मानु भाई आपने तो दर्द अभी जिया ही नहीं ...

क्या आप दोनों उनके दर्द को जी पाओगे ..... YouAlreadyKnowMe Rockstar_Rocky
आपने तो महसूस भी नहीं कर पाया अब तक....

देखते ही देखते धुंधले हुये नक्शोनिगार,
ऐ मेरी जाती हुई दुनिया ये मुझको क्या हुआ.

उनकी तरह खुलीं आँखों से अपनी जिंदगी मिटती हुई देखने की सोचो... फिर ये प्यार, प्यार की निशानी, दिल जुड़ने-टूटने की बकचोदी कर पाओगे???
Aur ye laga sixer kammo ab jao Manu aur sangu dono bol dhundho kahan giri hai :bat:
 

kamdev99008

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उनको शायद अनाथ बताया गया था।

बिलकुल

मां के विषय में मैं भी सोच रहा था, बस अनुभव भारी पड़ गया आपका।
अनाथ कोई भी नहीं हो सकता....
माता पिता या नजदीक के ना सही दूर के... कोई ना कोई सम्बन्धी जरूर होते हैं.... और दुनियां में सब लालची नहीं... कुछ नि:स्वार्थ भी संबंध जोड़े रखते हैं....
 

king cobra

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अनाथ कोई भी नहीं हो सकता....
माता पिता या नजदीक के ना सही दूर के... कोई ना कोई सम्बन्धी जरूर होते हैं.... और दुनियां में सब लालची नहीं... कुछ नि:स्वार्थ भी संबंध जोड़े रखते हैं....
Right sir ji
 

kamdev99008

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आप दोनो
Rockstar_Rocky YouAlreadyKnowMe

बस यही कहूंगा फिर से


मूव ऑन

बच्चों और मां के लिए
यही मेरा कहना है... संगीता बच्चों के लिए और मानु माँ के लिये..... ये प्यार का फितूर छोड़कर..... नये सिरे से अपनी अपनी जिंदगी जीना शुरू करें ....परिवार के साथ
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
26,803
31,029
304


इस कथा को...कहानी को...इस मुक़ाम पर पहुँचाने के लिए मैं कुछ ख़ास लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने शुरू से ले कर अभी तक मेरी होंसला अफ़ज़ाई की:

सबसे पहले मैं धन्यवाद देना चाहूँगा मेरे सर जी श्री kamdev99008 जी, जिन्होंने मुझे ये कहानी शुरू से लिखने के लिए प्रेरित किया| बिना इनके ये कहानी दुबारा कभी शुरू नहीं होती| इतना ही नहीं समय-समय पर कहानी के लिए उपयुक्त शीर्षक भी मेरे सर जी ने मुझे सुझाये| 🙏

दूसरे नंबर पर आते हैं मेरे सबसे अज़ीज़, मेरे परम् मित्र Akki ❸❸❸ भाई| इन्होने इस thread के शुरुआत से मेरा हाथ थामे रखा और अपने प्यारभरे memes से मुझे हँसाया| जब भी इस thread ने लाख views को पार किया, या थ्रेड में 100 posts पार हुई तो सबसे पहले इनका मुबारकबाद वाला post आता था| कई बार तो मैं भूल जाता था की इस thread ने 100 posts पार कर ली या thread ने 1 लाख views पर कर लिए, लेकिन हमारे अक्की भाई कभी नहीं भूलते थे! :dost: वैसे आपका वो 50,000 words वाले review का इंतज़ार अब भी है मुझे!

Lib am अमित भाई जी, आपने सबसे late join किया मगर आपके वो गानों से भरे review के क्या कहने?! आपके पास हर update से जुड़ा कोई न कोई गाना या कविता होती थी, जो आपके review में चार चाँद लगा देती थी| Review पढ़ते-पढ़ते मैं उन गानों को गुनगुनाने लगता था| मैं बड़े गर्व से कह सकता हूँ की अगर इस forum पर कोई मेरे मन को अच्छे से समझ पाया है तो वो आप ही हैं| Update पढ़ कर आप पहले ही अंदाजा लगा लेते थे की आगे क्या होगा! :bow:

journalist342 शिवम्, दोस्त आप वो एकलौते शक़्स हो जिसने मुझसे मेरे परिवार की तस्वीर माँगी थी और मैंने कहा था की कहने के अंत तक आपको सब पता चल जायेगा| आपके reviews बहुत बड़े होते थे, जिनमें आप हमेशा ही संगीता का पक्ष लेते थे| :laugh: कहानी के मुख्य नायक को छोड़ आपने बच्चों और नायिका का ही साथ दिया| खैर कोई बात नहीं, मैं आपसे कतई नाराज़ नहीं हूँ| वैसे, माफ़ी चाहूँगा, फोटो तो मैं नहीं post कर पाया और शायद आपकी तृष्णा को मैंने Big Reveal post कर आहात कर दिया है! आपका लगवा इस कहानी और संगीता से बहुत था, पता नहीं सत्य जानकार आप कैसा महसूस कर रहे होंगे?! आपके review के इंतज़ार में|

Sanju@ भाई जी, शुरआती एक साल तो आप एक silent reader बन कर रहे लेकिन फिर जब इन्होने comment कर मेरा साथ दिया तो आखिर तक मेरे साथ रहे| पता नहीं Big Reveal कब पढ़ेंगे? 🤔 या फिर शायद पढ़ लिया हो और मुझसे नाराज़ हों! खैर, आपके review का इंतज़ार है मुझे भाई| :hug:

Abhi32 अभी भाई, आप के comments/reviews छोटे होते थे मगर update post होते ही सबसे पहले आप ही के review आता था| आपके अंदर update पढ़ने के बाद इतनी जिज्ञासा होती थी की कई बार आप आगे होने वाली घटनाओं के बारे में भी पूछ लेते थे| :dost:

Kala Nag भाई जी, आपके reviews एकदम point पर होते थे और मुझे आपके reviews पढ़ कर बहुत अच्छा लगता था| अंतिम updates में आपकी कही बातें मुझे जर्रूर चुभी थीं परन्तु आप केवल अपने मन की बात कर रहे थे जो की कतई गलत नहीं था| वैसे आपके final review का अब भी इंतज़ार है| :hands:

Rekha rani जी, आप ने शुरआत से ही इस thread को join किया था मगर फिर आप अचानक से एक silent reader बन गईं| शायद आप अपनी निजी ज़िंदगी में मशरूफ हो गई थीं, लेकिन आपने मुझे पुनः join किया वो भी ऐसे समय पर जब अकहानी अपने आखरी पड़ाव के पास पहुँच रही थी| नेहा वाले प्रकरण में आपने जो एक माँ की तरह अपने जज्बात रखे उन्हें पढ़ कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई| इस थ्रेड में एक ऐसे reader की कमी थी जो बच्चों के प्यारभरे updates को एक माँ की दृष्टि से देखे और review दे| मुझे बहुत ख़ुशी है ये बताने में की आपने ये कमी पूरी कर दी| 🙏 आपके final review के इंतज़ार में!


Are dhanyavaad gurujii,jo hme kisi layak smja is khani me :D

Thoda busy sa chal rha hu, lekin busy na hote hue bhi busy chalne me bhi mja nhi h :sigh:

1-2 din me pdta hu reveal :elephant:
 
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