मनु जी मैं लंबे समय से एक साइलेंट पाठक के तौर पर आपकी कहानी पढ़ रहा हु,
आपने अपने जीवन को जो कहानी के रूप में लिखा है, और उसका जो घटनाएं उसमे आपने लिखि है वो संयोग कहिए की उसमे से बहुत सी घटनाएं मेरी जिन्गदी में भी हुई है,
जब आप कहानी में कल्पना का मिक्स करके लिख रहे थे तब मुझे जलन हो रही थी कि इतनी हिम्मत हमने क्यो नही दिखाई कि जो एक साथ रह रहे होते, लेकिन अब जब आपने सचाई सामने रखी तब समझ आया कि आप और मैं एक ही नाव के सवार है।
लेकिन जो मेरी प्रेमिका यानी मेरी जो भाभी है उन्होंने एक लंबे समय बाद अपना पक्ष रखा और मुझे समझ आया कि उनकी क्या सिचुएशन रही थी जो उन्होंने उस समय वो निर्णय लिया,
आप अब भी खुशकिस्मत ह की आपकी बाते एक दोस्त के नाते हो रही है, हमारी वो भी नही होती।
अब संगीता जी के नजरिया का इंतजार रहेगा क्योंकि शायद उनकी भी मेरी भाभी जैसे कुछ कारण रहे हो।
अपनी कहानी में एक समानता क्या क्या है
जब मेरे जीवन मे मेरी भाभी का आगमन हुआ मैं नाइन्थ कक्षा का छात्र था, वो मेरी रिश्तेदारी में मेरे भैया की पत्नी थी, और अपने पहले बेटे के जन्म के बाद भैया उनको अपने परिवार से अलग होकर हमारे घर किराये पर रहने आए।
उसके बाद धीरे धीरे हम नज़दीक आये,
और बाद में प्यार के बन्धन मेंआये,
जब मैं 11थ कक्षा मे था तब हमारे शारिरिक संबंध बने, इस बीच आपके जीवन जैसे बहुत सी घटनाएं हुई, कुछ क़िरदार भी आये, लेकिन भाभीजी से दूर नही कर सके, जिसमे रसिका भाभीजी जैसे एक भाभी की कोशिस,
स्कूल में सह पाठिका के साथ नजदीकी लेकिन वहाँ भी प्यार भाभीजी का जीता।
फिर आयूष जैसे हमारे बेटे तरुण का जन्म,
आपके तीन बच्चे है हमारे भी तीन लेकिन बेटी नही है कोई।
फिर घरवालो का शक,
एक दिन अचानक से उनका कहना कि मुझे भुल जाओ, और घर छोडकर दूसरे शहर चले जाना,
आख़िर समय मे मिलकर भी नही जाना।
दिषु जैसे दोस्त ने ही मुझे संभाला जिसने पहले भी बहुत समझाया कि इस रिश्ते का कोई भविष्य नही।
तब अपने बेटों से जुदाई, जो साथ रहने के ख्वाब थे उनके टुटने, का दर्द, उसके कारण आपके हर दर्द को महसूस किया,
फ़िर अचानक से भाभी की वापिसी,
भाभी को मेरे दर्द का अहसास दिलाने को एक लड़की के साथ प्रेमप्रसंग का नाटक किया, संगीता जैसे तुरन्त रिएक्शन आया, और भाभीजी ने फिर से मिलाप की कोशिश की,
तब जो आपकी बातचीत हुई वैसी ही हमारी हुई
लेकिन मैंने उस समय उन्हें माफ नही किया,
एक लंबे समय बाद उन्होंने मुझे सच से सामना करवाया, उस समय मेरे एक पड़ोसी ने मुझे और भाभी को किस करते हुए देख लिया था, और मेरे घरवालो को बता दिया ,
उसके बाद मेरी ताई जी ने जाकर भाभीजी को बहुत सुनाया, अब इसका एहसास हो रहा है ताई ने क्या क्या कहा होगा, उनको धमकाया गया कि अगर उन्हीने मेरे साथ रिश्ते ख़त्म नही किये, तो भैया , उनकी ससुराल और घर पर ये बात बताई जायेगी।
इसलिए उन्होंने अचानक शहर छोड़ दिया,
उनको मालुम था कि अगर मुझे पहले मालूम हुआ तो मैं कुछ भी करूंगा रोक्ने को, इसलिए वो बीना मिले ।
तीन परिवारों की इज्ज़त , अपने प्यार की बदनामी, तीनो बच्चों के भविष्य, और मेरी सुरक्षा के लिए उन्होंने दूर जाना सही समझा।
आपका जो दर्द है हालात हैं उसको समझते हुए भी , मैं संगीता जी को ग़लत नही कह सकता।
मैं दिल से चाहता हूं कि संगीता जी अपना पक्ष जरूर लिखें। हर बार की बेवफाई का।