इस कथा को...कहानी को...इस मुक़ाम पर पहुँचाने के लिए मैं कुछ ख़ास लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने शुरू से ले कर अभी तक मेरी होंसला अफ़ज़ाई की:
सबसे पहले मैं धन्यवाद देना चाहूँगा मेरे सर जी श्री
kamdev99008 जी, जिन्होंने मुझे ये कहानी शुरू से लिखने के लिए प्रेरित किया| बिना इनके ये कहानी दुबारा कभी शुरू नहीं होती| इतना ही नहीं समय-समय पर कहानी के लिए उपयुक्त शीर्षक भी मेरे सर जी ने मुझे सुझाये|
दूसरे नंबर पर आते हैं मेरे सबसे अज़ीज़, मेरे परम् मित्र
Akki ❸❸❸ भाई| इन्होने इस thread के शुरुआत से मेरा हाथ थामे रखा और अपने प्यारभरे memes से मुझे हँसाया| जब भी इस thread ने लाख views को पार किया, या थ्रेड में 100 posts पार हुई तो सबसे पहले इनका मुबारकबाद वाला post आता था| कई बार तो मैं भूल जाता था की इस thread ने 100 posts पार कर ली या thread ने 1 लाख views पर कर लिए, लेकिन हमारे अक्की भाई कभी नहीं भूलते थे!
वैसे आपका वो 50,000 words वाले review का इंतज़ार अब भी है मुझे!
Lib am अमित भाई जी, आपने सबसे late join किया मगर आपके वो गानों से भरे review के क्या कहने?! आपके पास हर update से जुड़ा कोई न कोई गाना या कविता होती थी, जो आपके review में चार चाँद लगा देती थी| Review पढ़ते-पढ़ते मैं उन गानों को गुनगुनाने लगता था| मैं बड़े गर्व से कह सकता हूँ की अगर इस forum पर कोई मेरे मन को अच्छे से समझ पाया है तो वो आप ही हैं| Update पढ़ कर आप पहले ही अंदाजा लगा लेते थे की आगे क्या होगा!
journalist342 शिवम्, दोस्त आप वो एकलौते शक़्स हो जिसने मुझसे मेरे परिवार की तस्वीर माँगी थी और मैंने कहा था की कहने के अंत तक आपको सब पता चल जायेगा| आपके reviews बहुत बड़े होते थे, जिनमें आप हमेशा ही संगीता का पक्ष लेते थे|
कहानी के मुख्य नायक को छोड़ आपने बच्चों और नायिका का ही साथ दिया| खैर कोई बात नहीं, मैं आपसे कतई नाराज़ नहीं हूँ| वैसे, माफ़ी चाहूँगा, फोटो तो मैं नहीं post कर पाया और शायद आपकी तृष्णा को मैंने Big Reveal post कर आहात कर दिया है! आपका लगवा इस कहानी और संगीता से बहुत था, पता नहीं सत्य जानकार आप कैसा महसूस कर रहे होंगे?! आपके review के इंतज़ार में|
Sanju@ भाई जी, शुरआती एक साल तो आप एक silent reader बन कर रहे लेकिन फिर जब इन्होने comment कर मेरा साथ दिया तो आखिर तक मेरे साथ रहे| पता नहीं Big Reveal कब पढ़ेंगे?
या फिर शायद पढ़ लिया हो और मुझसे नाराज़ हों! खैर, आपके review का इंतज़ार है मुझे भाई|
Abhi32 अभी भाई, आप के comments/reviews छोटे होते थे मगर update post होते ही सबसे पहले आप ही के review आता था| आपके अंदर update पढ़ने के बाद इतनी जिज्ञासा होती थी की कई बार आप आगे होने वाली घटनाओं के बारे में भी पूछ लेते थे|
Kala Nag भाई जी, आपके reviews एकदम point पर होते थे और मुझे आपके reviews पढ़ कर बहुत अच्छा लगता था| अंतिम updates में आपकी कही बातें मुझे जर्रूर चुभी थीं परन्तु आप केवल अपने मन की बात कर रहे थे जो की कतई गलत नहीं था| वैसे आपके final review का अब भी इंतज़ार है| :hands:
Rekha rani जी, आप ने शुरआत से ही इस thread को join किया था मगर फिर आप अचानक से एक silent reader बन गईं| शायद आप अपनी निजी ज़िंदगी में मशरूफ हो गई थीं, लेकिन आपने मुझे पुनः join किया वो भी ऐसे समय पर जब अकहानी अपने आखरी पड़ाव के पास पहुँच रही थी| नेहा वाले प्रकरण में आपने जो एक माँ की तरह अपने जज्बात रखे उन्हें पढ़ कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई| इस थ्रेड में एक ऐसे reader की कमी थी जो बच्चों के प्यारभरे updates को एक माँ की दृष्टि से देखे और review दे| मुझे बहुत ख़ुशी है ये बताने में की आपने ये कमी पूरी कर दी|
आपके final review के इंतज़ार में!
Thanks मानू भाई जो मुझे mention किया मैं आपकी कहानी "काला इश्क" और "अनोखा बंधन " पहले कई बार दूसरे थ्रेड्स पर पढ़ चुका हूं उसके बाद इस थ्रेड पर साइलेंट रीडर के रूप में पढ़ रहा था लेकिन बाद में मैंने इस थ्रेड्स पर ज्वाइन किया था उसकी एक वजह संगीता भी थी मैंने जब इनके नाम की id देखी तो मुझे लगा कि ये कहानी की नायिका हो सकती है तो मैंने कॉमेंट कर आपसे पूछा भी था जिसका जवाब आपने सब को दिया था मै जब से कहानी पढ़ रहा हूं मैं busy होने के बाद भी इस कहानी के लिए टाइम निकल लेता हूं आपके big Reveal को एक साथ पढ़ने का टाइम नही मिल रहा था इसको पढ़ने में 5 दिन लगे मैं आपसे नाराज नहीं हूं
मैने सभी के कॉमेंट पढ़े कुछ लोगो को छोड़कर सब ने संगीता को गलत ठहराया है लेकिन मैं संगीता को गलत नही मानता हूं क्योंकि उनकी कोई तो वजह रही होगी आपके साथ ना देने की । आदमी हर बात को अपने नजरिए से सोचता है वो सोचता है कि वो सही है। वो ये नही सोचता कि आगे भविष्य में क्या होगा संगीता ने परिवार और बच्चों की सामाजिक प्रतिष्ठा, सम्मान के लिये ,बच्चों के भविष्य के लिए वह समाज से मानू के लिए नही लड़ सकती थी । हम किसी को अपनी जान से ज्यादा चाहे और वो हमको छोड़ दे तो बहुत बुरा लगता है ऐसा लगता है कि या तो खुद मर जाए या उसको मार दे मैं ये नहीं कह रहा कि मानू भाई गलत है गलती कुछ समाज परिस्थितियों की भी होती हैं अगर संगीता जी आपका साथ देती तो समाज उनको जीने नही देता आदमी अगर कोई गलत काम कर देता है जब भी वह शान से समाज में रहता है लेकिन अगर कोई भी औरत ऐसा गलत कदम उठा लेती हैं तो उसको हर कदम पर ताने और गालियां ही मिलती है और इस समाज में तो किसी का मुंह आप बंद करा नही सकते हों इस रिश्ते को संभालने का सबसे बड़ा भार सिर्फ संगीता जी के ऊपर ही था, और आपके ऊपर कम, लेकिन प्यार करना और छिपाना आसान होता है, लेकिन निभाना और दुनिया के सामने लाना सबसे मुश्किल होता है।
मानू बहुत ही भावुक है उसे शुरू में केवल मां बाप का प्यार मिला उसके लिए सारे रिश्ते नए थे गांव में आकर भौजी से प्यार दुलार मिला और वह प्यार धीरे धीरे अपनी हद बढ़ाते गया । उम्र के बढ़ते पड़ाव पर अपने प्यार के लिए दुनिया से लड़ने का जुनून सवार हुआ लेकिन अपनी दुनिया से निकलकर बाहर की दुनिया नही देखी । भौजी और नेहा को अपनी नर्क भरी जिंदगी में मानू के रूप में सहारा मिला और उनका मानू के प्रति लगाव बढ़ गया और इन्होंने मानू को अपना लिया । जिसके बाद बहुत उतार चढ़ाव हुए
देखा जाए तो सब से ज्यादा दुख बच्चो को देखकर होता है जो दोहरी जिंदगी जी रहे हैं ये जानकर अच्छा लगा कि बच्चे आज भी मानू भाई को उनकी तरह बहुत प्यार करते हैं स्तुति के नटखटपन और आयुष का समझदार लोगो की तरह बाते करना बहुत ही अच्छा लगा ।नेहा का मानू के प्रति प्यार देखकर अच्छा लगा मैं एक बात कहूंगा कि आप नेहा को माफ कर दो वो अभी बच्ची है और गलती इंसान से ही होती है हा जो नेहा ने कहा वो मैं भी गलत मानता हूं क्योंकि वो शब्द दिल को चीरने वाले ही थे लेकिन नेहा को सबसे ज्यादा प्यार आपसे मिला है उम्र के इस पड़ाव पर इंसान भटक जाता है उसे अपने सही के लिए कही गई बाते बंदिसे लगती हैं और गलत कदम उठा लेता है वो ही नेहा के साथ हुआ है
सब से मुख्य पात्र हैं मां जिन्होंने सब से ज्यादा दुख झेला है मानू भाई ने तो अपना दुख लिखकर दिखा दिया लेकिन मां का दुख नहीं लिख पाए मां शुरू से कुर्बानियां दे रही है लेकिन उन्हें अभी तक कोई खुशी नही मिली है पति के लिए अपने परिवार को छोड़ा लेकिन सुसराल में वह प्यार नही मिला सुसराल में सिर्फ तिरस्कार मिला बाद में जिस पति के लिए अपना सब कुछ छोड़ा उसी पति ने अपने भाई भतीजे के लिए उनको छोड़ दिया।मां ने अपने पति और बेटे में से बेटे को चुना लेकिन बेटे ने तो अपनी जिन्दगी संगीता संगीता के बच्चो,करुणा ,गम और दारू में निकाल दी
मां को परिवार बहु बच्चे चाहिए थे ताकि अपनी जिंदगी अपने परिवार के साथ जी सके लेकिन मानू भाई ने उनको ये खुशी भी नही दे सके इतनी संघर्ष के बाद क्या मिला उनको कुछ नही.........................
मानू भाई और संगीता जी आपने क्या खोया है कुछ नही एक प्यार के सिवाय आप एक मां हो संसार में मां का दर्जा सब से बड़ा होता है उनके दुख का आपने 1% भी दुख नहीं झेला है
""जब भी मेरे होंटो पर झूटी मुस्कान होती है,
माँ को न जाने कैसे छिपे हुए दर्द की पहचान होती है,
सर पर हाथ फेर कर दूर कर देती है,
परेशानिया माँ के भावनाओ मे बहुत जान होती है"" ।।
""उसके रहते जीवन में कभी कोई गम नहीं होता,
दुनिया साथ दे या ना दे पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता""
पिताजी के बारे में क्या कहे जिनको अपने बेटे और अपनी पत्नी से ज्यादा अपने भाई और भतीजे प्यारे थे जिसने इनके लिए अपने परिवार को छोड़ दिया इससे बड़ा महान इंसान दुनिया में नही मिलेगा
मेरा सुझाव बस यही है कि अब संगीता को बच्चो के लिए और मानू भाई को मां के लिए अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू कर देनी चाहिए अपने परिवार के साथ
अपने इस रिश्ते को दोस्ती तक ही सीमित रहने देने चाहिए अब ...............
फूल खिलते हैं ,गिरते हैं ,पेड़ नहीं सूखा करते,
गम को देख कर खुशियों की आशाये नहीं छोड़ा करते
चलो फिर से बहारों का आगाज करते हैं ,
ये ज़िन्दगी एक नयी सुरुआत करते हैं
सब छोड़ गये, सब खो गया
पर जिंदगी अभी बाकी है,
मेरे लिए मेरा साथ ही काफी है,
बढ़ चलूँगा जीवन पथ पर,
मेरा हौसला अभी बाकी है
इक दिन आंधी आनी है परिंदा भी जानता है,
जब भी उजड़ेगा घर, नया घरौंदा बनाएगा वो,
दर्द होता है उसे पर निराश होना नही जानता है
आँसू भी आते हैं और
दर्द भी छुपाना पड़ता है
ये जिंदगी है साहब यहां
जबरदस्ती भी मुस्कुराना पड़ता है।