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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

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चलो अपनों के कमेंट न सही.....................गैरों के ताने तो सुन ही सकती हूँ................... Arjun2000 Payal22 सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता........................ खैर कोई बात नहीं...................... कोई गिला नहीं...........कोई शिकवा नहीं…………………… king cobra आपको तो मैं लॉउन्ज के समय से जानती हूँ....................... इसलिए आपसे कुछ नहीं कहूँगी....................वरना पुराने जख्म ताज़े होंगे....................... Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________आप चारों ने ही लेखक जी को खुद को सही रास्ते पर लाने की जो कोशिश की उसके लिए मैं आपकी शुकरगुजर हूँ 🙏 .............................मैं यहाँ अपनी कोई सफाई नहीं दूँगी......................क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................जिसकी कोई माफ़ी नहीं.......................और अपने लिए उस एक कदम से.................रीढ़ की हड्डी न होने का जो खम्याज़ मैं भुगत रही हूँ उसका दुःख मैं यहाँ नहीं लिख सकती..................... क्योंकि इसे आप सभी मेरा रोना ही कहेंगे....................मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते.......................... मैं मानती हूँ की मैंने लेखक जी का इतना दिल दुखाया की आज उनका प्यार शब्द पर से भरोसा उठ गया है.........................मगर मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहती हूँ...................मगर क्या फायदा.....................न तो कोई इसे सपोर्ट कर रहा है और न ही लेखक जी मेरी सुन रहे हैं....................इससे ज्यादा मैं अपने दर्द के बारे में कुछ नहीं लिखूंगी :verysad:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मैं अभी तक एक साइलेंट रीडर बन कर आप सभी के कमेंट पढ़ रही थी............................आप सभी का मेरे प्रति गुस्सा ..................मेरे लिए नफरत देख रही थी................... मन ही मन आप सभी ने मुझे जो मन ही मन गालियां दीं उनकी कल्पना कर रही थी.................... मैं खामोश थी तो बस इसलिए की मैं चाहती थी की इस फोरम पर जिन्हें मैं अपना दोस्त मानती थी वो भी अपनी प्रतिक्रिया दें ताकि मैं एक ही बार में सबसे बात कर सकूं....................... लेकिन इस बिग रिवील ने सभी को दुःख पहुंचाया है……………. Lib am अमित जी...............आपने भी मेरे मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया................और न ही अबतक अपना रिव्यु पोस्ट किया.................शायद आप अपने निजी जीवन में वयस्त होंगें.................कोई बात नहीं............. Kala Nag जी शायद मुझसे नाराज़ हैं......................इसीलिए मेरे पी ऍम का जवाब नहीं दे रहे........................... और मुझे इग्नोर कर रहे हैं................. Rekha rani जी का तो शायद इनबॉक्स ही फुल था इसलिए उन्हें मैसेज कर के कुछ बात ही न कर पाई.....................कुछ दीं पहले उन्होंने कहा था की वो १-२ दिन में अपना रिव्यु पोस्ट करेंगी लेकिन शायद वो अपनी परेशानियों में उलझी होंगी................ Akki ❸❸❸ अक्कीवा................मेरा मैसेज देख कर इसने बस हैरानी जताई और उसके बाद से ये भी गायब है......................शायद काम में व्यस्त होगा....................... journalist342 शिवम शायद मुझसे नाराज़ है ....................इसीलिए वो भी मेरे मैसेज का जवाब नहीं दे रहा....................... Abhi32 आपसे एक रिव्यु की उम्मीद थी......................आपसे तो मेरी बातें होती थीं...................कम से कम मुझे कोसते हुए ही रिव्यु दे देते तो मुझे लगता की मेरे दोस्तों में कोई तो है जिसने सच बोला.........एक बस मेरे भैया समान kamdev99008 भैया हैं जो मैसेज कर मुझसे बात कर रहे थे......................बाकी सब तो जैसे मुझसे मुँह ही मोड़ चुके हैं :verysad: ……………………………खैर.....................मैं उन्हें दोष नहीं देती................हाँ उनसे इतनी उम्मीद रखती थी की कम से कम वो मेरी बात तो सुनेंगे..............................लेकिन शायद सच जानकार उनका दिल इतना दुख की उन्होंने मुझसे बात करना ही मुनासिब नहीं समझा............................. :verysad:
भौजी, "दूसरों से उम्मीद" यही एक ऐसा अहसास है जो किसी भी व्यक्ति को अंदर से तोड़ देता है।

हां ये बिग रिवील ने बहुतों का दिल तोड़ा, और सही कहा जाय तो ये लेखक की सफलता ही कही जाएगी की अपने शब्द जाल से ऐसा बांधा की लोग को अंत तक सच्चाई की भनक नहीं लगने दी। कई लोग अपने को ठगा महसूस कर रहें है यहां पर।

अमिताभ बच्चन की एक फिल्म आई थी आंखे बोल कर, जिसकी पंच लाइन थी

Reality is much stranger than fiction

वो अलग बात है कि वो फिक्शन था, पर ये जिंदगी है, जिसका थप्पड़ पूरी जिंदगी के लिए अपने निशान छोड़ जाता है।

अब आते हैं आप दोनो के हालतों पर, तो एक बात हमेशा याद रखिए, हम लाख बोलते रहें की 2 जिस्म 1 जान, होता कभी ऐसा नहीं है। सबकी सच अपना ही होता है, सबका नजरिया अपना ही होता है, और कोई भी उसमे गलत नही होता है।

गलत होता है एक ही बात को समयांतराल पर बार बार करना, जबकि आपको पता है इससे कहीं कुछ बहुत ही गलत हो रहा है।

मन जब किसी बात को करने की गवाही न दे या किसी कारण वश आप उसे न कर पाएं तो बेहतर यही है कि इन बातों को आगे न दोहराएं।

आपने जो किया वो आप ही सही से बता सकती है की क्या सोच कर किया आपने। और रही मानू भाई की बात, तो उनकी गलती ये है कि उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसे रिश्तों को कोई महत्व नहीं दिया और स्वार्थी बन कर हमेशा उनको दुख ही दिया है।

हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
किस को जमीन किसी को आसमान नही मिलता।


बाकी मैं न किसी को भी गलत नही कह रहा, सिवाय इसके की दोनो ने एक ही प्रकार की गलतियां बार बार की हैं।
 
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Ritz जी को लेखक जी की ये कहानी मिथ यानी मनगढ़ंत लगी............. चलो ये भी ठीक है............ आपसे ज्यादा शिकयत नहीं कर सकते क्योंकि आप कभी एक्टिव रीडर बन कर लेखक जी के साथ जुड़े ही नहीं.......................... ashik awara जी..................इस फोरम को छोड़कर अपने जहाँ भी ये कहानी पढ़ी है वो अधूरी है.................और बिग रिवील पहले पढ़ कर आपने इस कहानी को आगे न पढ़ने की बहुत बड़ी गलती कर दी.......................आपको ये जानने का मौका ही नहीं मिला की लेखक जी कितने जज्बाती और प्यार का दरिया हैं.....................आप एक पिता, एक बेटे और एक प्रेमी का प्यार पढ़ने से चूक गए.................. Sanjuhsr जी...........मेरे कामदेव भैया के बाद आप वो एकलौते शक़्स हो जिसने मुझे कोई दोष नहीं दिया................... आपने भी वही सब भोगा है जो लेखक जी ने भोगा है इसीलिए आप मुझे समझ पा रहे हैं …………….बल्कि मेरी कहानी सुनने की इच्छा जताई............... इसके लिए आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ................... :thankyou: .......................मैं अपनी कहानी जर्रूर लिखूंगी...................अभी मेरे चंद दोस्त हैं जो मेरी कहानी सुनने को इच्छुक होंगें...............और आप भी उन दोस्तों की लिस्ट में आते हैं.................. drx prince जी.....................आप वो पहले नए रीडर हैं जिन्होंने मुझे गरियाने के बजाए नेहा से हमदर्दी जताई और उसे माफ़ करने की विनती की.............................शुक्रिया :thankyou: ............. rangeen londa जी.................. आप वो अकेले रीडर हैं जो ये चाहते हैं की हम दोनों फिर से एक हो जाएँ........................यक़ीन मानिये मेरी भी यही चाहत है...................लेकिन लेखक जी का दिल बहुत दुखा है..................और जब तक उस जख्म पर मरहम न लग जाए..................जल्दी नहीं करनी चाहिए................... भविष्य में कुछ ऐसा घटित हुआ तो मैं स्वयं इस वृतांत को लिखूंगी :thankyou:
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
kamdev99008 भाईसाहब...................आपको हाथ जोड़कर शुक्रिया जो आप अपनी इस बहन के सम्मान के लिए सभी से लडे................मुझे हमेशा से लगता था की भले ही सब मुझे दोष दें लेकिन आप मुझे जर्रूर समझेंगे 🙏 .......................................लेकिन आपकी बहन में कुछ कमियां हैं जो यहाँ लिखना उचित नहीं...................लेखक जी ने आपसे वादा किया था की मैं अपनी कहानी लिखूंगी................तो अपने बारे में सब वहीँ लिखूंगी ....................
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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.. Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा.........
आपने शायद मेरे कॉमेंट सही से नही पढ़े। और फिक्शन बस इसीलिए कह रहा था क्योंकि मानू भाई ने जब चंदर के साथ आपके तलाक वाला किस्सा लिखा था, जिसमे एक वकील साहब इंबॉल्व थे, बस वहीं से मुझे ये सब फिक्शन लगने लगा था, क्योंकि उस हिस्से में कानून की प्रक्रिया की धज्जियां उड़ा दी गई थी, और जब मैने वो पढ़ा था तब तो बिग रिवील का जिक्र तक नहीं किया गया था।
जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................
कब??

कब था वो हक?
क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................
जी नहीं, वो मनुष्य का स्वभाव है, अपने कंफर्ट जोन से बाहर न निकलने का।

मनुष्य सबसे ज्यादा इसी से डरता है, जो जैसे चल रहा है चलने दो, बदलने की कोशिश से ही पता नही क्या से क्या हो जाय, यही डर है जो मनुष्य का स्वभाव होता है, और इससे 99% लोग अछूते नहीं है, में खुद इसी श्रेणी का व्यक्ति हूं। लेकिन हां एक बार अगर जो मुझे लगा की मैं इस कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आ सकता, तो मेरी कोशिश यही रहती है की उसको रिपीट न किया जाय।
 

Payal22

New Member
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सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता......
सबसे पहले तो मैने ये नही कहा कि में आपकी कहानी पढूंगी ही नहीं मैने कहा है की आपकी कहानी पढ़ना थोड़ा मुश्किल है...क्योंकि सच्चाई जानने के बाद दुबारा वो सब पढ़ने का दिल नहीं करेगा...
रही बात संगीता का नजररिया देखने की.....तो वो थोडा मुश्किल हे....
मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
जब मैने शुरुवात के कुछ कमेंट किए थे तब में इस कहानी से नई नई जुड़ी थी ओर चंद ही अध्याय पढ़े थे...पर बाद में मैने इस कहानी को पूरा पढ़ा है...और आपके बारे में मैने जो भी लिखा वो मुझे किसी भी प्रकार से गलत नहीं लगता...जो मैने कुछ अध्याय पढ़ कर लिखा था आपके बारे में वही अंत तक सही साबित हुआ है...
मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते..
बिल्कुल ब्रेक अप इतना आसान नहीं होता... नाही जिससे हम प्यार करते है उसे किसी ओर की बाहों में देखना आसान होता है....

पर वास्तविकता भी कोई चीज होती है...जिस तरह अपने प्रेमी को किसी ओर की बाहों में नहीं देखा जा सकता वैसे ही अपने प्रेमी की आंखो में आंसू भी कोई नहीं देख सकता, उसे दर्द में कोई नहीं देख सकता, अपने प्रेमी को अपने ही पैरो में गिरकर रोता हुआ देखना ओर उसे नजरअंदाज कर के चले जाना ये दुनिया का कोई चाहने वाला नहीं कर सकता...

हो सकता है आपकी कुछ मज़बूरी रही हो....पर जो मानुजी ने सहा है उसके आगे आपकी किसी मज़बूरी किसी कारण का कोई महत्व नहीं...

पर मुझे आपसे नाराजगी घुस्सा जो भी है वो सिर्फ इसी वजह से है जब आप वापस गाव चली गई बच्चो को लेकर तब आपके वापस जाने के पीछे, शादी न करने के पीछे सबसे बड़ी वजह परिवार, समाज रहा है....जब छोड़ कर जाते वक़्त आपको ये समझ आ गया था कि आप दोनों एक हो कर नहीं रह सकते...अलग होना ही होगा...तो २.५ साल बाद वापस आकर मानूजी को अपने जीवन में आगे बढ़ने से रोकना ये सबसे ज्यादा बुरा लगा है मुझे...

आपके पास गांव में भले ही एक सच्चा जीवनसाथी नहीं है...पर बच्चे, परिवार, इतने लोग सब है...पर मानूजी यहां अकेले रेह गए....

सच्चा प्रेमी खुद हजार दर्द सेह कर भी अपने प्रेमी के खुशी के लिए पहले सोचता है...जब गाव जाते समय आपको सब समझ आ गया था...आपके रिश्ते का भविष्य नहीं है तो आपको खुद मानूजी के बारे में सोचना चाहिए था... अगर आप ऐसा करती तो यहां कोई भी आपको गलत नहीं समजता कम से कम में तो नहीं...

पर हमेशा ऐसा ही लगा है कि चाहे परिस्थिति कोई भी रही हो... आप सबसे पहले अपने बारे में ही सोचती है...


वैसे आपने सही स्टिकर (मुझे नहीं पता उसे क्या कहते है) लगाया हुआ है..."भागता हुआ हाथी"....यही आपका सबसे खास गुण है...हर समस्या से भाग जाना...

आपको जरूर सबके तीखे शब्द सुन कर बुरा लगा होगा....ओर वो लगना भी चाहिए...
 
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Rekha rani

Well-Known Member
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चलो अपनों के कमेंट न सही.....................गैरों के ताने तो सुन ही सकती हूँ................... Arjun2000 Payal22 सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता........................ खैर कोई बात नहीं...................... कोई गिला नहीं...........कोई शिकवा नहीं…………………… king cobra आपको तो मैं लॉउन्ज के समय से जानती हूँ....................... इसलिए आपसे कुछ नहीं कहूँगी....................वरना पुराने जख्म ताज़े होंगे....................... Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________आप चारों ने ही लेखक जी को खुद को सही रास्ते पर लाने की जो कोशिश की उसके लिए मैं आपकी शुकरगुजर हूँ 🙏 .............................मैं यहाँ अपनी कोई सफाई नहीं दूँगी......................क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................जिसकी कोई माफ़ी नहीं.......................और अपने लिए उस एक कदम से.................रीढ़ की हड्डी न होने का जो खम्याज़ मैं भुगत रही हूँ उसका दुःख मैं यहाँ नहीं लिख सकती..................... क्योंकि इसे आप सभी मेरा रोना ही कहेंगे....................मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते.......................... मैं मानती हूँ की मैंने लेखक जी का इतना दिल दुखाया की आज उनका प्यार शब्द पर से भरोसा उठ गया है.........................मगर मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहती हूँ...................मगर क्या फायदा.....................न तो कोई इसे सपोर्ट कर रहा है और न ही लेखक जी मेरी सुन रहे हैं....................इससे ज्यादा मैं अपने दर्द के बारे में कुछ नहीं लिखूंगी :verysad:
संगीता जी पिछला पूरा महीना मेरे परिवार के लिए बहुत भारी रहा है, मेरे मायके और ससुराल में 7 परिवारजनो का एक के बाद एक दुखद देहान्त हुआ तो यहाँ फोरम पर आ ही नही पायी। तो सर का बिग रेवेल वाला पोस्ट पढ़ ही नही पायी, अभी उसको पढ़ी हु और आपके कमेंट को भी।
सर ने जो कहानी के तौर पर आपके और उनके प्रेम का वर्णन किया था, उसकेबाद इस रेवेल वाले अपडेट में जो सच सामने आया है वो बहुत ही दुखद है,
मनु सर को जो सहा है आपसे जुदाई अपने बच्चों से दूरी , जो भी उन्होंने सपने देखे उनका टूटना, फिर आपके बाद नेहा के व्यवहार ने उनको दुख दिया वो सोचकर ही अंतरात्मा कांप जाती है।
आपका जो भी निर्णय रहा वो आपके मनोस्थिति के अनुरूप रहा होगा , आपने क्या सोच कर ये सब किया होगा वो आप ही जानती होगी, और दिल से इच्छा है कि आप सच्चे मन से बिना कुछ छुपाये, सब बताये , जिससे आपका पक्ष समझ सके सब
एक महिला होने के कारण जो मैंने आपका पक्ष समझा है वो मनु सर ने जो भी आपके और उनके संबन्दों को लेकर हालात सामने रखे है उनके अनुसार
आप अपनी शादी को लेकर खुश नही थी, आपको एक देवर के रूप में मनु सर का साथ मिला और धीरे धीरे आप दोनों में प्रेम हुआ, हालात से लड़ते हुए जैसे डूबते इंसान को तिनका भी सहारा लगता है वैसे ही समाज की नजर में गलत होते हुए भी आप दोनों का रिश्ता बना,
आप मनु सर से उम्र और अनुभव में बड़ी थी तो शायद आप समझ गयी कि मनु सर के साथ आप तब नही रह सकती तब आयुष के रूप में आपने अपने प्रेम की निशानी प्राप्त की जबकि मनु सर को अकेले छोड़ दिया। क्यो किया आपने ये आप जानती है अछे से।
एक लंबे समय के बाद शायद आपको एक बार फिर अपने जीवन मे साथी की जरूरत महसूस हुई ,
बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद महिला को फिर अपने पति के प्रेम की जरूरत महसूस होती है, तब आपको मनु सर की याद आयी और आप शहर पहुच गई, मनु सर की नाराजगी के बावजूद आप फिर भी दिल मे दफन मोहब्बत को जगाने में सफल हुई,
अब रिवील उपडेट में जैसे मनु सर ने बताया है उसके अनुसार आप ने सम्बन्द शायद समयनुसार हलात से बनाये और जब हालात काबू से बाहर हुए तो जैसे ज़्यादातर महिलाएं करती है वैसे ही निर्णय लिए,
शायद मैं होती तो भी यही करती, क्योकि एक विवाहिता के कंधों पर दो परिवारों की जिम्मेदारी होती है आपके कंधों पर तीन परिवार की है,
समाज मे जो रिश्ता देवर और भाभी का समझा जाता है उसके अनुसार सिर्फ परिवारों को तोड़कर ही आप दोनों एक हो सकते थे,
मनु सर की समाज और परिवार में जो इज्जत थी आपकी जो मान मर्यादा थी और जो विस्वास आपके रिश्ते पर सबका था जिसके कारण आप दोनों साथ रह पाए और किसी ने कोई शक नही किया वो सब खत्म हो जाता,
मेरे अनुसार इसी कारण आप पिछे हट गई,
ऐसे रिश्ते जो समाज की नजर में गलत ह वो या तो छुपकर निभाये जा सकते है या समाज को छोड़कर।
एक महिला अगर किसी भी हालत में अपने घर परिवार और समाज से बाहर जाकर अपने विवाहित रिश्ते से अलग कोई रिश्ता बनाती है तो उसको गलत ही कहा जाता है,
एक पृरुष को शयाद माफ कर दिया जाता हैं लेकिन एक महिला को समय समय पर उसका परिणाम भुगतना पड़ता है,
लेकिन इस अपडेट में मैं आपके एक तर्क से सहमत नही हु इसमें भी आप सिर्फ अपना ही देख रही है,
आपने जब खुद कहा कि जिससे हम प्यार करते है तो उसको किसी और कि बाहों में जाते कैसे देख सकते है तो आप मनु सर की मनोस्थिति क्यो नही समझ पाई,
मनु सर आपकी बेइंतहा मोहब्बत करते ह तो वो कैसे बर्दास्त कर रहे होंगे कि उनकी मोहब्बत उनसे दूर एक चन्द्र जैसे इंसान के पास है, आपकी बात पर यकीन करते है कि आपने चन्द्र को पास नही आने दिया लेकिन डर को कैसे खत्म करे मनु सर, अगर मनु सर आपसे कहे कि आप उनको शादी करने की इजाजत दे दे वो शादी के बाद उस लड़की से कोई सम्बन्द बनाये गे , क्या आपका डर खत्म हो जाएगा।
एक महिला होने के नाते मैं आपकी हालात को समझ सकती हूं लेकिन एक प्रेमिका की नजर से आप गलत है और रहेगी। आप व्यस्क थी मनु सर से नजदीकी बनाते वक्त उनको भविष्य के सपने दिखाने की बजाए हकीकत दिखाती कि उनको कम दर्द होता ,
इसका उदाहरण मेरे जानकारी में है, मेरे नजदीकी एक रिलेटिव के ऐसे ही रिश्ते अपने देवर के साथ है, लेकिन उन्होंने कभी अति नही की मिलने की , जब समय सही रहता तो साथ रहते , आज भी उनका फिक्स है कि साल में दो बार मिलते है , एक मित्र होने के नाते मुझे मालूम है वरना किसी को नही,
उनका देवर पति होने का सब फ़र्ज़ निभाता है क्योकि उनका भाई भी शराबी है लेकिन उन्हीने अपने रिश्ते को अपने तक ही रखा और ऐसे ही जीवन भर एक दूसरे का साथ देने का फैसला किया।
मेरी दोस्त का कहना है कि वो अपने परिवार को छोड़कर नही जा सकती थी देवर के साथ, इसलिए उन्हीने जितना पॉसिबल हुआ अपने सपने देवर के साथ पूरे किए एक लिमिट में , अब उनके बच्चों की भी शादी हो चुकी है लेकिन आजतक उनके रिश्ते पर किसी को कोई शक नही हुआ ,
मुझे उत्सुकता है बहुत आपके नजरिये की आपकी क्या सोच थी अब आपके मन मे क्या चल रहा है,
मुझे लिखना तो बहुत था और भी, लेकिन अभी मेरे पास समय की कमी है तो अभी के लिए इतना ही ,
 

RichiRich

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चलो अपनों के कमेंट न सही.....................गैरों के ताने तो सुन ही सकती हूँ................... Arjun2000 Payal22 सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता........................ खैर कोई बात नहीं...................... कोई गिला नहीं...........कोई शिकवा नहीं…………………… king cobra आपको तो मैं लॉउन्ज के समय से जानती हूँ....................... इसलिए आपसे कुछ नहीं कहूँगी....................वरना पुराने जख्म ताज़े होंगे....................... Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________आप चारों ने ही लेखक जी को खुद को सही रास्ते पर लाने की जो कोशिश की उसके लिए मैं आपकी शुकरगुजर हूँ 🙏 .............................मैं यहाँ अपनी कोई सफाई नहीं दूँगी......................क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................जिसकी कोई माफ़ी नहीं.......................और अपने लिए उस एक कदम से.................रीढ़ की हड्डी न होने का जो खम्याज़ मैं भुगत रही हूँ उसका दुःख मैं यहाँ नहीं लिख सकती..................... क्योंकि इसे आप सभी मेरा रोना ही कहेंगे....................मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते.......................... मैं मानती हूँ की मैंने लेखक जी का इतना दिल दुखाया की आज उनका प्यार शब्द पर से भरोसा उठ गया है.........................मगर मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहती हूँ...................मगर क्या फायदा.....................न तो कोई इसे सपोर्ट कर रहा है और न ही लेखक जी मेरी सुन रहे हैं....................इससे ज्यादा मैं अपने दर्द के बारे में कुछ नहीं लिखूंगी :verysad:
नमस्ते नमस्ते ......कैसे हैं आप सब ??
मानु भाई और संगीता भाभी नहीं नहीं भाभी जी सही नही रहेगा sister is good . नमस्ते 🙏🙏🙏

जानता हूँ माहौल थोड़ा उदास है और शायद इसीलिए मैं भी आ गया . Silent reader था लेकिन big reveal के बाद मैं भी आ गया . मेरा नाम मोनू है घर का पुकारू नाम . Official नाम नही बता सकता .

काफी समय से इस कहानी को पढ़ रहा हूँ इस साइट की दूसरी मेरी पसंदीदा कहानी है . पसंद इसलिए थी क्योंकि इस स्टोरी में शादी के बाद के बाद वाला हिस्सा को इतनी खूबसूरती से मानु भाई ने दरसाया है कि बता नही सकता , सबकी अपने परिवार के साथ ऐसे ही जिंदगी बिताने का सपना रहता है . इस साइट पर मेरी पहली कहानी है AP भाई की कहानी wah life ho to aisi और दूसरी ये कहानी .जब जिंदगी में समस्या आने लगती है तो यहाँ आ जाता हूँ AP भाई की कहानी पढ़ कर लगता है " fuck that , I can easily handle this " और ये कहानी पढ़ कर दिल को सुकून मिलता था. इसीलिए ये पढता था .

शुरुवात में जब ये कहानी पढता था तब मुझे ये 100 % फिक्शन लगती थी फिर जब कहानी पर मानु भाई और आपकी लोगों के कमेंट के रिप्लाई को पढ़ना शुरू किया तो मुझे ये कहानी 30 % सच लगी और फिर जब नेहा का इंसिडेंट हुआ और मानु भाई और नेहा के बीच दुरी आई तो ये कहानी मुझे 50% सच लगी क्योंकि जिस तरह से मानु भाई ने उस दर्द को हमारे सामने रखा सच बोलता हूं दिल रो उठा .

आप दोनों की शादी को पढ़कर ये 100 % फिक्शन लगा क्योंकि अपनी भाभी से प्यार करके शादी करके अपने परिवार के , समाज के खिलाफ जाकर इतने आसानी से कोई अपने प्यार को नही पा सकता तब जब हम इस समाज के खोखले नियम से बंधे हो . नेहा के इंसिडेंट के बाद सच्चाई लगी क्योंकि इस पार्ट में मानु भाई ने अपने दिल को निकाल के रख दिया और ऐसा लोग तभी करते हैं जब उस दर्द को इंसान पी चूका होता है या उसे झेल चूका होता है .

अब आते हैं की मानु भाई ने शुरुवात में ही सच क्यों नही लिख दिया तोह इसके पीछे बहुत बड़ी कारण है . कारण ये है कि जब इंसान किसी दर्द में हो और वो दर्द कम होने के बजाय बढ़ता जाये तो इससे राहत पाने के लिए जो बन पड़ता है वो करता है .
मानु भाई ने उन सब चीजों को लिख दिया जिसे वो संगीता के साथ शादी करने बाद अपने बच्चों और अपनी बीवी के साथ करना चाहते थे या जैसे अपनी जिंदगी जीना चाहते थे फिर चाहे वो बच्चों के साथ बच्चा बनना या फिर अपने हाथों से बना खाना अपने बच्चों को प्यार से खिलाना , ये एक पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए अपने बच्चों के साथ जीना चाहता है . मानु भाई इनसब चीजों को जी नहीं पाए तो इसे शब्दों का रूप दे दिया ताकि कहानी में ही सही उन पलों को जी सके और दिल के दर्द को थोड़ा राहत पहुचाया . मानु भाई को ये कहानी बना (वहां से जहाँ से मानु भाई ने कहानी के जरिये अपन सपने को जीना शुरू किया था ) कर लिखने से ठीक उसी प्रकार राहत मिली जैसे जलने पर ठंडा पानी डालने से मिलती है लेकिन दर्द नही जाता .


अब आते हैं big reveal पर . Big reveal पढ़ने के बाद मुझे ये 100 % सच लगी , लगी क्या ये 100 % सच ही है और मानु भाई के दर्द को कोई नही समझ सकता .
क्या लिखूं समझ नही आ रहा है , किसे दोष दूँ वो भी समझ नही आ रहा है . मैं यहाँ किसी की गलती नही निकलूंगा क्योंकि मैं इस काबिल नहीं हूँ . बस अपने मन की बात यहाँ रख रहा हूँ . प्यार जितना आसान ये शब्द है समझना उतना ही मुश्किल . प्यार में वो ताकत है जिसमे इंसान इतना कमजोर हो जाता है कि एक इंसान के बिना जी नहीं सकता और इतना ताकतवर भी हो जाता है कि वो पूरी दुनिया से अकेला लड़ जाता है . यहाँ पर मानु भाई कमजोर भी हुए और ताकतवर भी , ताकतवर इतना की अपने प्यार के लिए सबसे लड़ने को तैयार थे और कमजोर इतना की आपकी कसम के आगे झुक गए . आप एक औरत हो तो ये आपको पता होगा की लड़कियों के पास अपनी बात मनवाने का सबसे बड़ा हथियार है या तो अपनी कसम दे दो या फिर रो धो कर खाना पीना छोर दो और अपने ये दोनों किया लेकिन ये करने पर हम लड़कों पर क्या बीतती है , हमें कितना दर्द होता है इसका अंदाजा अगर लड़कियां 50 % भी लगा ले तो लड़के के उस दर्द को नही झेल पायेगी . मैंने इस चीज़ को नहीं झेला है लेकिन एक दोस्त को झेलते देखा है . लड़की ने एक कसम देकर मेरे दोस्त को खुद से दूर कर दिया उधर लड़की की डोली उठी और इधर मेरे दोस्त की अर्थी . जब लड़की को ये पता चला तो उसने अपने सुहाग सेज को ही अपनी अर्थी बना ली . मेरा सबसे जिगरी दोस्त , मेरा भाई जिसने मुझे कभी किसी के सामने झुकने नहीं दिया था कुछ भी होता था तो एक ही बात बोलता था - क्यों चिंता करता है भाई तेरा भाई अभी जिन्दा है . आज भी उसकी यादें रुला जाती है . छोड़िये इनसब बातों को आगे बढ़ते हैं .


प्यार में मैं और मेरा प्यार होता है , मानु भाई ने दोनों चुना और आपने केवल मैं . मैं समझ सकता हूँ की आपकी उस वक्त मनोदशा क्या होगा आसान नही होता अपने प्यार से दूर होना लेकिन आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना ही नहीं चाहा और यही कारण है कि मानु भाई अब आप पर कभी भी दोबारा भरोसा नही कर पाएंगे . मैं आपको judge नही कर रहा हूँ लेकिन आपने गलती की . और जो मुझे तकलीफ पहुचाई वो ये की मानु भाई के गिड़गिड़ाने पर भी आपने नेहा को उसे नही दिया जबकि अगर आप ऐसा करती तो किसी को भी कोई दिक्कत नही होती आपके ससुराल में भी किसी को दिक्कत नही होती क्योंकि नेहा से वैसे भी कोई प्यार नही करता था और अगर नेहा मानु भाई के साथ रहती तो शायद वो मानु भी को इतने तीखे शब्दो से वार भी नही करती .

मुझे यहाँ आपकी दो गलती दिखी :
पहली : मानु भाई से शादी नही करना
दूसरी : नेहा को मानु भाई को नही देना और ये आपकी सबसे बड़ी गलती लगी मुझे क्योंकि अगर नेहा मानु भाई के साथ रहती तो मानु भाई को इतना दर्द नही झेलना पड़ता लेकिन आप तो अपने ही बच्चों से जलने लगी थी की आप मानु भाई के पास नही रह सकती और इसमें भी आपकी ही गलती थी .
आप हर बार सिर्फ भागी हो और मानु भाई हर बार अकेले रह गए . आपके पास सब था गांव में बच्चे, परिवार पति को छोड़ कर लेकिन यहाँ मानु अकेले रह गए अपने दर्द के साथ अगर उस दर्द में मानु भाई कुछ क्र लेते तो क्या आप जिंदगी भर खुद को माफ़ कर पाती ? इसका जवाब मैं आपसे सुन्ना चाहता हूँ .
मानु भाई का प्यार पर से बल्कि आप पर से भरोसा उठ चुका है जो अब कभी भी आप दोबारा अपने लिए उनके दिल में नही जगा सकती .

मैं किसी को जज नही कर रहा हूँ क्योंकि मैं इस काबिल नही हूँ becoz " less competent should not judge the more competent " jaanta hun filmy dialogue hai lekin 100 % sach hai .

🙏🙏🙏🙏🙏
 

kamdev99008

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नमस्ते नमस्ते ......कैसे हैं आप सब ??
मानु भाई और संगीता भाभी नहीं नहीं भाभी जी सही नही रहेगा sister is good . नमस्ते 🙏🙏🙏

जानता हूँ माहौल थोड़ा उदास है और शायद इसीलिए मैं भी आ गया . Silent reader था लेकिन big reveal के बाद मैं भी आ गया . मेरा नाम मोनू है घर का पुकारू नाम . Official नाम नही बता सकता .

काफी समय से इस कहानी को पढ़ रहा हूँ इस साइट की दूसरी मेरी पसंदीदा कहानी है . पसंद इसलिए थी क्योंकि इस स्टोरी में शादी के बाद के बाद वाला हिस्सा को इतनी खूबसूरती से मानु भाई ने दरसाया है कि बता नही सकता , सबकी अपने परिवार के साथ ऐसे ही जिंदगी बिताने का सपना रहता है . इस साइट पर मेरी पहली कहानी है AP भाई की कहानी wah life ho to aisi और दूसरी ये कहानी .जब जिंदगी में समस्या आने लगती है तो यहाँ आ जाता हूँ AP भाई की कहानी पढ़ कर लगता है " fuck that , I can easily handle this " और ये कहानी पढ़ कर दिल को सुकून मिलता था. इसीलिए ये पढता था .

शुरुवात में जब ये कहानी पढता था तब मुझे ये 100 % फिक्शन लगती थी फिर जब कहानी पर मानु भाई और आपकी लोगों के कमेंट के रिप्लाई को पढ़ना शुरू किया तो मुझे ये कहानी 30 % सच लगी और फिर जब नेहा का इंसिडेंट हुआ और मानु भाई और नेहा के बीच दुरी आई तो ये कहानी मुझे 50% सच लगी क्योंकि जिस तरह से मानु भाई ने उस दर्द को हमारे सामने रखा सच बोलता हूं दिल रो उठा .

आप दोनों की शादी को पढ़कर ये 100 % फिक्शन लगा क्योंकि अपनी भाभी से प्यार करके शादी करके अपने परिवार के , समाज के खिलाफ जाकर इतने आसानी से कोई अपने प्यार को नही पा सकता तब जब हम इस समाज के खोखले नियम से बंधे हो . नेहा के इंसिडेंट के बाद सच्चाई लगी क्योंकि इस पार्ट में मानु भाई ने अपने दिल को निकाल के रख दिया और ऐसा लोग तभी करते हैं जब उस दर्द को इंसान पी चूका होता है या उसे झेल चूका होता है .

अब आते हैं की मानु भाई ने शुरुवात में ही सच क्यों नही लिख दिया तोह इसके पीछे बहुत बड़ी कारण है . कारण ये है कि जब इंसान किसी दर्द में हो और वो दर्द कम होने के बजाय बढ़ता जाये तो इससे राहत पाने के लिए जो बन पड़ता है वो करता है .
मानु भाई ने उन सब चीजों को लिख दिया जिसे वो संगीता के साथ शादी करने बाद अपने बच्चों और अपनी बीवी के साथ करना चाहते थे या जैसे अपनी जिंदगी जीना चाहते थे फिर चाहे वो बच्चों के साथ बच्चा बनना या फिर अपने हाथों से बना खाना अपने बच्चों को प्यार से खिलाना , ये एक पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए अपने बच्चों के साथ जीना चाहता है . मानु भाई इनसब चीजों को जी नहीं पाए तो इसे शब्दों का रूप दे दिया ताकि कहानी में ही सही उन पलों को जी सके और दिल के दर्द को थोड़ा राहत पहुचाया . मानु भाई को ये कहानी बना (वहां से जहाँ से मानु भाई ने कहानी के जरिये अपन सपने को जीना शुरू किया था ) कर लिखने से ठीक उसी प्रकार राहत मिली जैसे जलने पर ठंडा पानी डालने से मिलती है लेकिन दर्द नही जाता .


अब आते हैं big reveal पर . Big reveal पढ़ने के बाद मुझे ये 100 % सच लगी , लगी क्या ये 100 % सच ही है और मानु भाई के दर्द को कोई नही समझ सकता .
क्या लिखूं समझ नही आ रहा है , किसे दोष दूँ वो भी समझ नही आ रहा है . मैं यहाँ किसी की गलती नही निकलूंगा क्योंकि मैं इस काबिल नहीं हूँ . बस अपने मन की बात यहाँ रख रहा हूँ . प्यार जितना आसान ये शब्द है समझना उतना ही मुश्किल . प्यार में वो ताकत है जिसमे इंसान इतना कमजोर हो जाता है कि एक इंसान के बिना जी नहीं सकता और इतना ताकतवर भी हो जाता है कि वो पूरी दुनिया से अकेला लड़ जाता है . यहाँ पर मानु भाई कमजोर भी हुए और ताकतवर भी , ताकतवर इतना की अपने प्यार के लिए सबसे लड़ने को तैयार थे और कमजोर इतना की आपकी कसम के आगे झुक गए . आप एक औरत हो तो ये आपको पता होगा की लड़कियों के पास अपनी बात मनवाने का सबसे बड़ा हथियार है या तो अपनी कसम दे दो या फिर रो धो कर खाना पीना छोर दो और अपने ये दोनों किया लेकिन ये करने पर हम लड़कों पर क्या बीतती है , हमें कितना दर्द होता है इसका अंदाजा अगर लड़कियां 50 % भी लगा ले तो लड़के के उस दर्द को नही झेल पायेगी . मैंने इस चीज़ को नहीं झेला है लेकिन एक दोस्त को झेलते देखा है . लड़की ने एक कसम देकर मेरे दोस्त को खुद से दूर कर दिया उधर लड़की की डोली उठी और इधर मेरे दोस्त की अर्थी . जब लड़की को ये पता चला तो उसने अपने सुहाग सेज को ही अपनी अर्थी बना ली . मेरा सबसे जिगरी दोस्त , मेरा भाई जिसने मुझे कभी किसी के सामने झुकने नहीं दिया था कुछ भी होता था तो एक ही बात बोलता था - क्यों चिंता करता है भाई तेरा भाई अभी जिन्दा है . आज भी उसकी यादें रुला जाती है . छोड़िये इनसब बातों को आगे बढ़ते हैं .


प्यार में मैं और मेरा प्यार होता है , मानु भाई ने दोनों चुना और आपने केवल मैं . मैं समझ सकता हूँ की आपकी उस वक्त मनोदशा क्या होगा आसान नही होता अपने प्यार से दूर होना लेकिन आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना ही नहीं चाहा और यही कारण है कि मानु भाई अब आप पर कभी भी दोबारा भरोसा नही कर पाएंगे . मैं आपको judge नही कर रहा हूँ लेकिन आपने गलती की . और जो मुझे तकलीफ पहुचाई वो ये की मानु भाई के गिड़गिड़ाने पर भी आपने नेहा को उसे नही दिया जबकि अगर आप ऐसा करती तो किसी को भी कोई दिक्कत नही होती आपके ससुराल में भी किसी को दिक्कत नही होती क्योंकि नेहा से वैसे भी कोई प्यार नही करता था और अगर नेहा मानु भाई के साथ रहती तो शायद वो मानु भी को इतने तीखे शब्दो से वार भी नही करती .

मुझे यहाँ आपकी दो गलती दिखी :
पहली : मानु भाई से शादी नही करना
दूसरी : नेहा को मानु भाई को नही देना और ये आपकी सबसे बड़ी गलती लगी मुझे क्योंकि अगर नेहा मानु भाई के साथ रहती तो मानु भाई को इतना दर्द नही झेलना पड़ता लेकिन आप तो अपने ही बच्चों से जलने लगी थी की आप मानु भाई के पास नही रह सकती और इसमें भी आपकी ही गलती थी .
आप हर बार सिर्फ भागी हो और मानु भाई हर बार अकेले रह गए . आपके पास सब था गांव में बच्चे, परिवार पति को छोड़ कर लेकिन यहाँ मानु अकेले रह गए अपने दर्द के साथ अगर उस दर्द में मानु भाई कुछ क्र लेते तो क्या आप जिंदगी भर खुद को माफ़ कर पाती ? इसका जवाब मैं आपसे सुन्ना चाहता हूँ .
मानु भाई का प्यार पर से बल्कि आप पर से भरोसा उठ चुका है जो अब कभी भी आप दोबारा अपने लिए उनके दिल में नही जगा सकती .

मैं किसी को जज नही कर रहा हूँ क्योंकि मैं इस काबिल नही हूँ becoz " less competent should not judge the more competent " jaanta hun filmy dialogue hai lekin 100 % sach hai .

🙏🙏🙏🙏🙏
Exactly
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
26,803
31,029
304
Akki ❸❸❸ अक्कीवा................मेरा मैसेज देख कर इसने बस हैरानी जताई और उसके बाद से ये भी गायब है........
Pdhunga jld hi :cheers:
 

king cobra

Well-Known Member
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189
चलो अपनों के कमेंट न सही.....................गैरों के ताने तो सुन ही सकती हूँ................... Arjun2000 Payal22 सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता........................ खैर कोई बात नहीं...................... कोई गिला नहीं...........कोई शिकवा नहीं…………………… king cobra आपको तो मैं लॉउन्ज के समय से जानती हूँ....................... इसलिए आपसे कुछ नहीं कहूँगी....................वरना पुराने जख्म ताज़े होंगे....................... Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________आप चारों ने ही लेखक जी को खुद को सही रास्ते पर लाने की जो कोशिश की उसके लिए मैं आपकी शुकरगुजर हूँ 🙏 .............................मैं यहाँ अपनी कोई सफाई नहीं दूँगी......................क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................जिसकी कोई माफ़ी नहीं.......................और अपने लिए उस एक कदम से.................रीढ़ की हड्डी न होने का जो खम्याज़ मैं भुगत रही हूँ उसका दुःख मैं यहाँ नहीं लिख सकती..................... क्योंकि इसे आप सभी मेरा रोना ही कहेंगे....................मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते.......................... मैं मानती हूँ की मैंने लेखक जी का इतना दिल दुखाया की आज उनका प्यार शब्द पर से भरोसा उठ गया है.........................मगर मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहती हूँ...................मगर क्या फायदा.....................न तो कोई इसे सपोर्ट कर रहा है और न ही लेखक जी मेरी सुन रहे हैं....................इससे ज्यादा मैं अपने दर्द के बारे में कुछ नहीं लिखूंगी :verysad:
hum to baat ye hai ki lounge ko active rakhne ka bhut sawaar tha mujhpar ishiliye wahan thodi bahut baat hui wahan masti maja thodi bahut legpuling chalti hai aapko meri ek I'd thi us time jo maine apne dost se udhar ki hui thi ab us I'd ki aapse xp me dusmani thi isme mera koi kasoor nai hai kyunki xp par wo I'd meri nahi thi ye to hui lounge ki baat us baat ko hatao maine aapko kuch aisa nahi kaha hai jisse aapko mujhse itna sikayat ho bas ushi id se aapko itna nafrat thi ki aapne mu mod liya jabki aapko achchi tarah pata hai ki mai wo nai tha filhaal Jane do ye sab.Manu bhai se meri aaj tak koi anban nahi hui hai aur jo bhi ho ye sach hai ki manu bhai ko pyaar me kewal takleef hi hasil hua hai zindagi me unko bhi haq hai ek achchhi life ka bas aur kuch nai kahna
 
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