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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Rockstar_Rocky

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Superb update
this update shows how people behaved in a long relationship in that time. how must difficult it would have. nowadays there are so many ways to communicate you can even see their face but in those times only to hear their voice you have to do that much and that too hiding from the family and thinking about the financial condition too as STD cost were higher while today we have jio to jio free but hearing the voice of your lover was enough as through that only you have to spend that day and hoping you would hear her again on next day.
Superbly written...... :loveeyed2::loveeyed2:

:thank_you: dear for appreciating my writing! The love in our times was pious, it wasn't just 'Passion', it was genuine or should I say ORIGINAL! In today's time of REMIXED LOVE we only see SEX as the main 'OBJECTIVE' behind! I always said that, True Love in these times is very rare or dare I say limited to the people who're in 'friendzone!' Anyway, enough said! Stay tuned for the next update!
 

Rockstar_Rocky

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It is very difficult to stay away from Bhabhi but live today in the hope of a beautiful tomorrow. Manu is trying but unable to talk to Bhabhi. I tell you the truth, when the sister-in-law picked up the phone and said hello, I had a smile on my face, I like everything about Bhabhi.
You were absolutely right, earlier the call rate was very high and incoming used to be charged. Friends are always teasing about something or the other. The spiciness of meeting each other is clearly visible. Hearing Neha's voice makes my heart happy. School is about to start, I still remember how funny my school moments were. Let us see if the plan succeeds.
हम एक दूजे से दूर ही सही, पर हमेशा साथ है,
ये ना रुकने वाला वक़्त आज हमसे थोड़ा नाराज़ है,
कैसे समझाऊ मै इस पागल दिल को, की जो दूर होकर भी भूलता नही हमको,
उसका एहसास ही तो हमारा सच्चा प्यार है....

As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...

???

:thank_you: :dost: :hug: :love3:

आप पास रहो या दूर;
हम दिल से दिल की आवाज़ मिला सकते हैं;
ना ख़त के और ना फ़ोन के मोहताज़ हैं हम;
पर आपके दिल को एक हिचकी से हिला सकते हैं हम।
 

Rockstar_Rocky

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Rockstar_Rocky kindly check your message.... and respond ASAP....... its very important

This isn't your social media platform, where you can just barge in and ask me to check my PM. Kindly refrain from doing so and post your comment related to this story only! The admins are very strict about this and will ban you if you don't follow their rules!
 

Rockstar_Rocky

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Superb update but bahut time bad update aaya is bar

धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost:
अपडेट के साइज के कारन मुझे कभी-कभी अधिक समय लग जाता है|
 

Rockstar_Rocky

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Shandar Update Maanu Bhai, Teenager ke man bhi kitna chanchal aur bhola hota hai, daydreams bahot hi jyada hote hain... bilkul sahi chitran kiya hain aapne bhai Gazab..
Waiting for next mega update

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
जानकार ख़ुशी हुई की आपको मेरी ये छोटी कोशिश पसंद आई|
 

Rockstar_Rocky

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Bdiya update gurujii, ??
Nokia 1100 , 1600 ke samay ko bkhubi dikhaya hai apne

:approve:

:lotpot: ise kehte h sacha dost

Call duration :hinthint2:

Ue to mne bhi kai baar liye the pehle
JaB keypad tha

Docomo ke 9 rupee wale coupon me 50 mb ati thi shayad
Baaki update bdiya tha guruji

Waiting for next updatei

Waiting for next update

:thank_you: :dost: :hug: :love3:

सुनीता भा गई आपको?! :hinthint2:

'Call duration' पिताजी ने कभी चेक नहीं किया, एक तो उन्हें आता नहीं था और दूसरा वो अपने बेटे पर भरोसा करते थे| उस भरोसे का कारन आपको आगे पता चल जाएगा!

हमारे teenager समय में data pack नहीं होता था, बस talktime और SMS pack होता था| 100 SMS वाला रिचार्ज कराओ और फिर दोस्तों को मैसेज कर कर के बात करो! वो SMS शायरी का चलन हमारे जमाने में ही शुरू हुआ था! :laugh:
 

Rockstar_Rocky

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पेज न.284.बिछड़न भाग.4. :love3: :applause:बहुत ही शानदार बहुुत खूब
और मानु भैया का हल है? अम्मा बतावत रही की साड़ी रात नाहीं सोयो!
अजय भैया से बहुत पटती है मनु की
सायद अजय भैया को रसिका भाभी के कांड के बारे मे अभी पता नहीं लगा है (वासना वाला )??

नेहा: तो आप वापस कब आओगे?

नेहा का ये भोला सा सवाल सुन कर मैं स्तब्ध रहा गया, मनु ही नहीं हम भी स्तब्ध रह गए
अपनी मम्मी की बात सुनते ही नेहा ने कस कर अपने हाथों को मेरे गले के इर्द-गिर्द लपेटा और रोने लगी|
सायद मैने भी कहा था ज़ब नेहा को मनु के जाने का पता चलेगा तो क्या होगा नेहा कैसे समझेगी और सच कहु तो पुरे अध्याय मे यही हिस्सा ऐसा था जहाँ मन नर्वस हो गया नेहा के रोने से ??
मैं: तीन महीने बाद दसहरे की छुटियाँ हैं, मैं अपनी लाड़ली को मिलने उन छुट्टियों में आऊँगा! उसके बाद दिसम्बर में सर्दियों की छुटियाँ आएँगी, तब फिर मैं अपनी बेटी को मिलने आऊँगा, फिर अगले साल फरवरी का पूरा महीना छुट्टी है, तो मैं और नेहा फिर मिलेंगे
Bhut badiya प्लानिंग तो बहुत अच्छी बनाई आपने :applause::applause:
भौजी: अच्छा? दसहरे की छुट्टियाँ होती हैं 10 दिन की, उसमें से दो दिन आने जाने में लग जायेंगे तो यहाँ बस 8 दिन के लिए आ पाओगे या फिर पिताजी आने देंगे?! सर्दियों की छुट्टी के बाद प्री-बोर्ड्स होंगे, उसके लिए नहीं पढ़ना?! फरवरी महीना छुट्टी है, पर उसके अगले महीने बोर्ड्स हैं तो पढ़ाई करोगे या अपनी बेटी से प्यार करोगे? दोनों करना आपके बस की बात है?!
ये क्या भौजी ने सारी प्लानिंग फ़ैल कर दी आपकी :lotpot: :lotpot:

, पर तेरे पिताजी कान के कच्चे हैं और इसीलिए उन्होंने अभी तक दीदी (बड़की अम्मा) की पूरी बात नहीं सुनी| दीदी ने मुझे सब बताया की कैसे वो गन्दी औरत तेरे पीछे पड़ी थी और कैसे तूने वो सब झेला है!
इसका मतलब पिताजी को यही पता है की मनु रसिका भाभी को पिटने चल दिये थे की रसिका भाभी ने भौजी को मनु की वापसी के बारे मे बता दिया मसाला लगा के और पिताजी को रसिका भाभी के कांड के बारे मे नहीं पता है ??

अध्याय की शुरुआत आपने आंसुओ से और ख़त्म सिसकिंयो के बिच की और आखिर मे ये क्या भौजी अपनी हाथ की नस काटने जा रही है
कुलमिलाकर अध्याय हमेसा की तरह सुन्दर सुपर


बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र!
आपकी गति बहुत धीमे है, आज-कल में तो मैं नए अध्याय का आगाज करने जा रहा हूँ और अभी आप भाग - 4 पर ही अटके हो! तनिक गति बढ़ाओ!
अब आते हैं आपके इस सवाल पर:
सायद अजय भैया को रसिका भाभी के कांड के बारे मे अभी पता नहीं लगा है (वासना वाला )??
अजय भैया रसिका के कर्म-काण्ड के बारे में जान गए थे और उनकी मुझसे आगे इस विषय पर बात भी हुई थी इसी भाग में, जब मैंने उन्हें चाट लेने भेजा था|

पिताजी को यही पता है की मनु रसिका भाभी को पिटने चल दिये थे की रसिका भाभी ने भौजी को मनु की वापसी के बारे मे बता दिया मसाला लगा के और पिताजी को रसिका भाभी के कांड के बारे मे नहीं पता है ??
मित्र, पिताजी इस लिए अधिक क्रोधित थे की एक तो उनका शांत स्वभाव का बच्चा उनके सिखाये गए सभी गुणों को ताख पर रख कर अपने से बड़ी औरत पर हाथ उठाने जा रहा था और साथ ही उन्होंने रसिका की कही वो बात भी सुन ली थी जिसमें वो हम दोनों (मेरे और भौजी के प्यार) के प्यार पर ऊँगली उठा रही थी! पिताजी नहीं जानते थे की रसिका ने मेरा नाजायज फायदा उठाने की कोशिश की थी!
 

Rockstar_Rocky

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Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
26,801
31,019
304
देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ मित्रों, कुछ निजी कारणों से मानसिक रूप से उत्पीड़ित हूँ! कोशिश रहेगी की आज रात ही अपडेट दे दूँ!
Mentally ?

Take care gurujii ??
 

Rockstar_Rocky

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बीसवाँ अध्याय: बिछोह

भाग - 1


अब तक आपने पढ़ा:


भौजी को अपने आने की खुशखबरी देने को मैं आज बहुत उत्सुक था, इसलिए आज स्कूल से दौड़ते हुए घर पहुँचा| घर पहुँच कर देखा तो पिताजी आज पहले ही खाना खाने आ चुके थे, मतलब आज मेरी किस्मत कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी! माने उनसे फ़ोन लिया और झूठ-मूठ का दिखावा करते हुए दिषु से बात करने लगा, बहाना बना कर मैं अपने कमरे में आया और भौजी को फ़ोन मिला दिया|



अब आगे:


नंबर मिलते ही आवाज आई; 'जिस एयरटेल ग्राहक से आप सम्पर्क साधना चाह रहे हैं, वह इस समय switched off है!' ये सन्देश सुन कर मेरा जोश फीका पड़ गया, कहाँ तो मैं भौजी को ये खुशखबरी देने को उड़ रहा था और कहाँ इस सन्देश ने मेरे 'पर' ही काट दिए! 'अबे यार फ़ोन है, बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी! गाँव-देहात है, लाइट आती नहीं इसलिए फ़ोन चार्ज नहीं हुआ होगा, शाम तक चार्ज हो कर आ जायेगा तब बात कर लिओ! इतनी सी बात के लिए जी छोटा मत कर|' मेरे दिमाग ने मुझे ज्ञान देते हुए शांत किया| पर भौजी को खुशखबरी सुनाने की ख़ुशी अब धीरे-धीरे कम हो रही थी, इसलिए सर झुकाये मैं अपने कमरे से बाहर आया और बेमन से आधा खाना खा कर उठ गया| माँ ने जब कम खाने का कारन पुछा तो मैंने कह दिया की पढ़ाई करनी है, ज्यादा खाऊँगा तो नींद आएगी! माँ ने मेरी बात पर विश्वास कर लिया और मैं अपने कमरे में आ कर किताब खोल कर बैठ गया| किताब तो खोल ली, पर ध्यान जरा भी नहीं था, मन बस भौजी की आवाज सुनने को व्याकुल था और फिर आज की नेहा की पप्पी भी तो बाकी थी! मैं बस घडी की सुइयों पर नजर गड़ाए बैठ गया, इस आस में की जल्दी से 4 बजें और मैं दिषु के घर पहुँच कर भौजी को फ़ोन करूँ| आखिर चार बज ही गए और मैं अपना टूशन का बैग उठा कर भाग लिया, दौड़ते हुए दिषु के घर पहुँचा और फटाफट भौजी का नंबर मिलाया| लेकिन इस बार भी वही सन्देश की फ़ोन स्विच ऑफ है! बहुत गुस्सा आया, मन किया की फ़ोन तोड़ दूँ पर वो मेरा फ़ोन तो था नहीं इसलिए मैं एक कुर्सी पर सर झुका कर बैठ गया| पीछे से दिषु आया और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला;

दिषु: क्या हुआ?

मैं: यार फ़ोन स्विच ऑफ है!

दिषु: अरे तो क्या हुआ? रात में फिर ट्राय कर लियो!

दिषु ने मुझे ढाँढस बँधाते हुए कहा|

मैं: यार मुझे आज उन्हें दशहरे की छुटियों के बारे में बताना था और उनका फ़ोन ही बंद है!

मैं गुस्से में बोला|

दिषु: तू शांत हो जा, रात तक फ़ोन कर लियो|

हम दोनों उसके घर से चले और सीधा टूशन पहुँचे, टूशन में बैठे-बैठे भी मेरा दिमाग भौजी और नेहा में लगा हुआ था| मैं चाहता था की जल्दी से क्लास खत्म हो और मैं बाहर निकल कर भौजी को पुनः फ़ोन करूँ|

जब कुछ देर बाद क्लास खत्म हुई तो मैंने फिर से भौजी को फ़ोन मिलाना शुरू कर दिया, पर हर बार फ़ोन स्विच ऑफ जा रहा था| मायूस हो कर मैं अपने घर पहुँचा और अपने बिस्तर पर औंधे मुँह पड़ गया, मन ही मन मैं प्रार्थना करने लगा की आज पिताजी जल्दी घर आ जायें ताकि उनके फ़ोन से मैं भौजी का नम्बर फिर से ट्राय कर सकूँ| भगवान ने मेरी बात सुन ली और पिताजी घर जल्दी आ गए, उनके आते ही मैंने चुपके से उनका फ़ोन उड़ाया तथा अपने कमरे में किताब के नीचे छुपा कर कॉल मिलाने लगा, पर कोई फायदा नहीं हुआ! आखिर पिताजी ने खाना खाने को बुलाया और मैं गर्दन झुका कर खाना खाने बैठ गया, माँ-पिताजी का डर था इसलिए खाना खा रहा था वरना खाने की बिलकुल इच्छा नहीं थी| खाना खा कर मैं लेट गया और पिताजी का फ़ोन अपने पास ही छुपाये रखा, लेटे-लेटे मैंने भौजी को कई बार कॉल किया पर हर बार फ़ोन स्विच ऑफ ही जा रहा था| भौजी का फ़ोन स्विच ऑफ जाने से मेरे दिमाग में उथल-पुथल शुरू हो चुकी थी| बुरे-बुरे ख्याल आने लगे थे, कहीं उन्हें कुछ हो तो नहीं गया? कहीं नेहा को तो कुछ नहीं हो गया? हमारा बच्चा तो...... इन सभी गंदे ख्यालों ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया|

एक बार फिर मेरे दिमाग ने मुझे समझाया; 'हो सकता है की फ़ोन चार्ज न हुआ हो, वैसे भी गाँव में बिजली है नहीं, फ़ोन चार्ज कराने बाजार जाना पड़ता है और वहाँ भी बिजली एक-दो घंट ही आती है| देख कल तक सब्र कर, सब ठीक हो जाएगा! दिमाग ने समझा तो दिया पर दिल को चैन न आया, सारी करवटें बदल कर बस यही सोचता रहा की कल कैसे भी बात हो जाए बस! लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था, अगली सुबह मैं जोश में उठा और फिर भौजी को फ़ोन खनका दिया! पर हुआ कुछ नहीं, मैं फटाफट तैयार हुआ और कमरे से बाहर आ कर सबसे पहले पिताजी से डाँट खाई क्योंकी सारी रात उनका फ़ोन जो दबाये हुए था! उतरी हुई सूरत ले कर स्कूल पहुँचा और मुझे देखते ही दिषु समझ गया की आशिक़ का दिल फ़ोन पर बात न हो पाने के कारन जल रहा है| उसने लंच टाइम में जुगाड़ बिठाया और मुझे चुपके से किसी और का फ़ोन थमा कर आँख मारते हुए बोला;

दिषु: बाथरूम में जा कर कर ले बात|

उसकी बात सुन कर मैं आँखें फाड़े उसे देखने लगा, फिर मैं फटाफट बाथरूम में घुसा और भौजी को नंबर मिलाया, पर फ़ोन अब भी स्विच ऑफ था! अब मेरा दिल बहुत तेजी से धड़कने लगा था, भौजी की आवाज न सुन पाने से मैं मायूस होने लगा था| जब में वापस लौटा तो मुझे देखते ही दिषु समझ गया की बात नहीं हुई है!

दिषु: अबे सुन, जी छोटा न कर देख घर जा कर ट्राय करिओ, नंबर मिल जाएगा|

दिषु ने मुझे ढाँढस बंधाते हुए कहा| लेकिन नियति सब तय तो कर ही चुकी थी, मुझे तो बस अब सात दिन तक और तड़पना था| इन सात दिनों में मेरी हालत किसी नशे के लत में पड़े आदमी जैसी थी| मेरे जिस्म को बस वो मन पसंद आवाज सुननी थी जिसके लिए मेरा दिल बावरा हुआ जा रहा था| मेरे दिमाग पर पागलपन सवार हो चूका था, जिस कारन मैं ऊल-जुलूल बातें सोचने लगा था| दिमाग ने अटखलें लगाना शुरू कर दिया था; 'कुछ तो है जो भौजी मुझसे छुपा रहीं हैं, जर्रूर वो घर (ससुराल) वापस चली गईं होंगी इसीलिए उन्होंने अनिल का फ़ोन स्विच ऑफ करा दिया होगा!' मेरी चिंता जायज थी वर्ण भौजी यूँ एकदम से मुझसे बात करना क्यों बंद कर देतीं?! तभी एक ऐसा ख्याल दिमाग में आया जिसने मुझे झिंझोड़ कर रख दिया; 'कहीं भौजी जान बूझ कर तो मुझे AVOID नहीं कर रहीं?!' ये ख्याल दिमाग में आते ही मुझे वो दिन याद आया जब मैं नेहा को लिए हुए रिक्क्षे को देख कर डर कर रुक गया था!



वो 'अनोखी ताक़त' जिसने मुझे दिल्ली जाने से रोका था, कहीं वो इसी उन्होने की तरफ इशारा तो नहीं कर रही थी? वो मेरा उस दिन का ख्वाब जिसमे मैंने नेहा और भौजी को गायब होते देखा तो वो सब इसी अप्रिय घटना की चेतावनी तो नहीं थी? आखिर क्यों मैंने ये बात भौजी को नहीं बताई? अगर बताई होती तो वो यूँ फ़ोन करना बंद नहीं करतीं!

इन सभी बातों ने मेरे दिमाग में बवंडर खड़ा कर दिया, तभ मन से आवाज आई; 'भौजी ऐसी नहीं हैं, अपने प्यार पर भरोसा रख| जर्रूर वो किसी परेशानी से जूझ रही हैं, इसीलिए तुझसे बात नहीं कर पा रहीं!' मन की आवाज सुन कर दिमाग शांत होने लगा, पर भौजी के वापस घर (ससुराल) जाने का डर सताने लगा था| अपने मन की शान्ति की लिए मैंने अजय भैया को छुप कर फ़ोन किया;

मैं: हेल्लो अजय भैया?!

अजय भैया: हाँ मानु भैया, कइसन हो?

मैं: मैं ठीक हूँ भैया, आप कैसे हो? घर में सब कैसे हैं?

अब उनसे सीधा-सीधा तो पूछ नहीं सकता था की भौजी वहाँ हैं की नहीं, इसलिए मैंने थोड़ी चतुराई दिखाई और बात घुमाई|

अजय भैया: हियाँ सब ठीक हैं, चाचा-चाची कैसे हैं?

अजय भैया आराम से बात करना चाहते थे, पर मैं तो अपना सवाल पूछने को तड़प रहा था|

मैं: सब ठीक हैं! भैया नेहा वहाँ है क्या?

मैंने बात घुमा कर पूछी, कारन ये की मैं भौजी को 'भौजी' नहीं कहना चाहता था| अगर नेहा घर पर होती तो भौजी भी उसी के साथ होतीं, थोड़ा तो दिमाग चल रहा था!

अजय भैया: नाहीं तो! हियाँ हमरे और अम्मा के इलावा कउनो नाहीं!

भैया की बात सुन कर नजाने क्यों मुझे शक सा हुआ;

मैं: भैया आप कहीं झूठ तो नहीं बोल रहे? कहीं 'उन्होंने' (भौजी) ने तो नहीं कहा की अगर मैं फ़ोन करूँ तो झूठ बोल दो की न तो नेहा यहाँ है और न 'वो' यहाँ हैं?

मैंने बड़ी चालाकी से बात कही ताकि मैं 'भौजी' कहने से बच जाऊँ| मेरा सवाल सुन अजय भैया हँस पड़े और हँसते हुए बोले;

अजय भैया: हम काहे झूठ बोलब? अच्छा चलो अम्मा कसम खाइत है, हियाँ न तो भौजी हैं और न ही नेहा है! बप्पा और बड़े भैया 'आइस' (दावत खाने) खाये गए हैं, घरे बस हम हम और अम्मा हन!

अजय भैया ने रसिका के बारे में कुछ नहीं बताया, पर अगर घर में सिर्फ अजय भैया और बड़की अम्मा हैं तो इसका मतलब रसिका अपने मायके में ही होगी| खैर अजय भय की बात सुन कर दिल को चैन आया की कम से कम भौजी अपने मायके सुरक्षित हैं, पर फिर वो मुझे कॉल क्यों नहीं कर रहीं? मैं अपने इसी ख्याल में डूबा था की अजय भैया की आवाज ने मेरा ध्यान भंग किया;

अजय भैया: का हुआ भैया? चुप काहे हो?

मैं: वो... कुछ नहीं भैया...बहुत दिन से नेहा की आवाज नहीं सुनी थी, मैंने भौजी के घर फ़ोन किया पर नम्बर बंद था इसलिए सोचा की यहाँ कॉल कर के नेहा से बात कर लूँ|

मैंने झूठ बोला और जल्दी ही बात निपटा कर फ़ोन रख दिया| मेरा मन व्याकुल होने लगा था की आखिर ऐसी क्या बात है, जो न तो भौजी मुझे फोन कर रहीं हैं न ही अनिल का नंबर स्विच ओंन कर रहीं हैं?! अगर कोई चिंता जनक बात होती तो तो अजय भैया मुझे अवश्य बता देते, इतना तो भरोसा था मुझे की वो मुझसे कभी झूठ नहीं बोलेंगे| अगर ये भी मान लूँ की अजय भैया को कुछ नहीं पता तो पिताजी ने भी कुछ दिन पहले बड़के दादा से बात की थी, अगर कोई घबराने की बात होती तो बड़के दादा पिताजी को तो अवश्य बता देते! तो आखिर ऐसी क्या बात है जो भौजी को मुझे फ़ोन करने से रोक रही है?! ये सब सोचते हुए मैं दिषु से विदा ले कर घर पहुँचा और अपने कमरे में घुस कर बिस्तर पर पड़ गया, पिछले एक हफ्ते से मेरा यही हाल था, रात में जागता था और दिनभर ऊँघता रहता!



मुझे भौजी की चिंता खाये जा रही थी, मैंने बहुत सोचा की कोई तो उपाय हो जिससे मैं भाग कर गाँव पहुँच जाऊँ, लेकिन कोई उपाए नहीं सूझा! भौजी से बात किये हुए मुझे 10 दिन हो गए थे और मैं अंदर ही अंदर तड़पे जा रहा था, मेरा दोस्त दिषु मेरा ध्यान भंग करने की कई कोशिश कर रहा था पर मेरा ध्यान भौजी तथा नेहा से हटता ही नहीं था! जैसे-तैसे मैंने अपने आप को माँ-पिताजी के सामने सहेज कर रखा था वरना उनके सवालों का जवाब कैसे देता?! शाम को जब मैं टूशन में दिषु से मिला तो वो बोला की कल हम किताब लेने चांदनी चौक चलते हैं, मैंने उसे मना क्या पर वो नहीं माना और जबरदस्ती जिद्द करने लगा| मैंने उसे हाँ कह दिया और घर आकर पिताजी को कल के प्रोग्राम के बारे में बताया, कल चूँकि संडे था और पिताजी घर ही रहने वाले थे तो उन्होंने कहा की मैं उनका फ़ोन ले जाऊँ| जब भी मैं कहीं उनके बिना बाहर जाता था (शहर से बाहर नहीं) तो वो मुझे अपना फ़ोन दे दिया करते थे, जिससे वो मुझे फ़ोन करके मेरा हाल-पता ले सकें! मैं चुप-चाप खाना खा कर अपने पलंग पर लेट गया और रोज की तरह मन ही मन दुआ करने लगा की कल कैसे भी भौजी से बात हो जाए! ये दुआ ही थी जिसे सहारे मैं जिन्दा था और उम्मीद बाँधे हुआ था|



अगले दिन सुबह मैं उठा और तैयार हो कर बैठ गया, मुझे 11 बजे निकलना था पर माँ-पिताजी को आज पड़ोस में कहीं जाना था, इसलिए उन्होंने मुझे डुप्लीकेट चाभी दी और निकल गए| उनके जाते ही मैं आँखें खोले अपने सपनों में खो गया, कम से कम मेरे सपनो में तो हम दोनों साथ थे| ये कोरी कल्पना करना मुझे अच्छा लगता था, क्योंकि इस कल्पना पर मेरा काबू होता था और सब कुछ मेरे अनुसार अच्छा ही होता था| खैर ठीक 10 बजे पिताजी का फ़ोन बज उठा, स्क्रीन पर नंबर देखा तो वो कोई अनजान नंबर था| पता नहीं क्यों पर वो नंबर देख कर दिल की धड़कन तेज हो उठी, ऐसा लगा मानो ये कॉल भौजी ने ही किया है! गाँव में एक बार भौजी ने कहा था की हमारे दिल जुड़े हैं, शायद इसी कारन मेरे मन में ये ख्याल आया था| दिल की इस हलचल ने जिस्म में खुशियाँ ही खुशियाँ भर दी और मन फ़टक से कॉल उठा लिया;

मैं: हेल्लो?

मेरी आवाज में प्रेम भरी उत्सुकता झलक रही थी|

भौजी: हे... हेल्लो ....!

भौजी की काँपती हुई सी आवाज आई, जिसे सुन मेरा दिल बहुत जोरों से धड़कने लगा!

मैं: ओह जान... I missed you so much! कहाँ थे आप? इतने दिन फोन क्यों नहीं किया..और तो और अनिल का नंबर भी बंद था?! मेरी जान सुख गई थी....औ..... और ये नंबर किसका है? आप हो कहाँ?

मैंने बिना रुके एक ही साँस में सारे सवाल दाग दिये!

भौजी: वो सब मैं आपको बाद में बताऊँगी, But first I wanna talk to you about something!

भौजी ने गंभीर होते हुए कहा|

मैं: Yeah sure my love!

भौजी: ..... look….we gotta end this!

इतना बोल कर भौजी 2-3 सेकंड के लिए रुक गईं और उधर मेरी साँस एकदम से अटक गई!

भौजी: I mean….आपको मुझे भूलना होगा!

भौजी के शब्द कान में पड़ते ही मैं सन्न रह गया, फिर अगले ही पल मेरे दिमाग में गुस्से का गुबार फूटा!

मैं: Are you out of your fucking mind? एक तो इतने दिन फोन बंद कर के बैठे रहे और न ही मुझे फ़ोन करने की ज़हमत उठाई! आज दस दिन बाद मुझे फ़ोन करते हो और बजाए मेरे सवालों का जवाब देने के, मुझे कह रहे हो की मैं आपको भूल जाऊँ?!

माने गरजते हुए कहा|

भौजी: Look….I’ve thought over it…again and again..but.... हमारे इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है! आपका ध्यान मुझे पर और नेहा पर बहुत है! आपको अभी बहुत पढ़ना है... अच्छा इंसान बनना है...माँ-पिताजी के सपने पूरे करने हैं...... और हम दोनों माँ-बेटी इस सब में बाधा बन रहे हैं| आप रोज-रोज मुझे फोन करते हो..और वहाँ रह कर कितना तड़प रहे हो ये मैं अच्छे से जानती हूँ| ये भी जानती हूँ की आप गाँव आने को कितना व्याकुल हो... और अगर ये रिश्ता यहाँ ही नहीं रोक गया तो आप अपनी पढ़ाई छोड़ दोगे और यहाँ भाग आओगे| इसलिए बेहतर यही होगा की आप हमें भूल जाओ...और अपनी पढाई में ध्यान लगाओ!

मैं ये नहीं जानता की भौजी को कैसे पता चला की मैं घर से भागने वाला हूँ, शायद हमारे दिल जुड़े होने वाली बात सही थी!

मैं: पर मेरी....

मैंने भौजी को अपनी बात समझानी चाहि पर उनका मन मेरी बात सुनने का था ही नहीं, वो एकदम से मेरी बात काटते हुए बोलीं;

भौजी: मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहती...ये आखरी कॉल था! आपको मेरी कसम है, आज के बाद ना मैं आपको कभी फोन करुँगी और ना ही आप करोगे! आप बस...मुझे भूल जाओ!

इतना कह कर भौजी ने फ़ोन काट दिया!


जारी रहेगा भाग - 2 में
 
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