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इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (4)
भाग -7 (4)
अब तक आपने पढ़ा:
करुणा: आप टेंशन मत लो, कल के बाद पता नहीं हम कब मिलते?! ये रात हम साथ बैठते!
ये कह करुणा मेरे कँधे पर सर रख कर फिर से लेट गई| रात बारह बजे मैंने अपना दायाँ कंधा हिला कर उसे उठाया और उससे रिक्वेस्ट की कि वो अपनी बर्थ पर जा कर सो जाए वरना उसकी दीदी हमारे बारे में गन्दा सोचेंगी! बेमन से करुणा उठी और अपनी बर्थ पर जा कर पर्दा कर सो गई!
अब आगे:
खिड़की से बाहर झांकते हुए मैं बोर हो रहा था तो मैंने सोचा की क्यों न गाने सुने जाएँ, पर मेरे हेडफोन्स मेरे बैग में थे इसलिए मैं अपने हेडफोन्स लेने के लिए उठा| मेरा बैग करुणा की बर्थ पर था तो मैं उसकी बर्थ पर पहुँचा, मैंने देखा की करुणा औंधे मुँह लेटी हुई है, उसकी बर्थ का पर्दा हवा से उड़ रहा था और सामने की बर्थ पर सोने वाला आदमी करुणा की कसी हुई जीन्स के कारन बने उभार को देख सकता था| मैंने परदे को ठीक किया और उसे बर्थ के कोने में फँसा दिया, अब मुझे हेडफोन्स निकालने थे तो जैसे ही मैंने अपने बैग की तरफ हाथ बढ़ाया बस ने एक जोरदार झटका खाया| झटका खाने से करुणा की आँख खुल गई और उसने गर्दन घुमा कर मुझे अपनी नजरों के सामने खड़ा पाया| वो उठ कर बैठ गई और मुझसे बोली;
करुणा: मैं नहीं सो रे इदर, बस इतना हिल रे की मैं नीचे गिर जाते! ये बस वाला बस चला रे की हवाई जहाज उड़ा रे?! आप सो जाओ, तबतक मैं सीट पर बैठते!
करुणा के चेहरे पर चिढ थी क्योंकि बस के इतने झटके लग रहे थे और वो बेचारी सो नहीं पा रही थी| तभी बस ने एक हॉल्ट लिया और कंडक्टर ने आ कर सब को उठाते हुए कहा की बस यहाँ 10 मिनट रुकेगी, जिसको बाथरूम जाना है वो चला जाए| कंडक्टर की आवाज सुन कर भी करुणा की दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मैंने करुणा से उन्हें जगाने को कहा| करुणा ने मलयालम में उनसे कुछ किड़बीड़-किड़बीड़ की और वो दोनों उठ गए, करुणा की दीदी को जाना था बाथरूम और यहाँ कोई सोचालय बना नहीं था| मैं बस से उतरा और कंडक्टर से बाथरूम के बारे में पुछा, वो बोला की कोई निर्धारित जगह नहीं है जहाँ औरतें जा रहीं हैं वहीं भेज दो| मैंने करुणा के जीजा से यही बात कही तो वो अपनी बीवी के साथ खुद भी चल दिया| इधर मैं वापस अपनी सीट पर बैठ गया, करुणा भी आ कर मेरे बगल में बैठ गई और मुझसे बोली की मैं थोड़ी देर सो लूँ, मैंने उसे मना करते हुए कहा;
मैं: इस सफर में नींद कुछ इस कदर खो गई,
हम न सो सके रात थक कर सो गई!
मैंने अभी ये लाइन बोली ही थी की करुणा की दीदी और जीजा ने भी ये लाइन सुन ली| करुणा तो मेरी शायरी समझ न पाई पर उसकी दीदी मेरी शायरी का दर्द भाँप गई! खैर वो दोनों अपनी बर्थ पर चढ़ कर, पर्दा कर के सो गए और हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे| जब बस चली तो करुणा मेरे कँधे पर सर रख कर सो गई और मैं गाना सुनते हुए जागता रहा| सुबह 5 बजे बस ने हमें श्री विजयनगर उतारा, मैंने वहाँ से एक बड़ा ऑटो किया और उससे किसी अच्छे होटल ले जाने को कहा| सामान ज्यादा होने की वजह से करुणा के जीजा को पीछे लटक कर बैठना पड़ा और हम चार ड्राइवर के पीछे बैठ गए| ऑटो वाला हमें एक अच्छे और सस्ते होटल में लाया, वहाँ रिसेप्शन पर पहुँच मैंने रूम दिखाने को बोला और दोनों रूम देख कर आया|
Receptionist ने हमसे सबके ID माँगे, हम दोनों (मैंने और करुणा) ने अपने-अपने ID दे दिए, पर उसकी दीदी और जीजा अपनी ID नहीं लाये थे| उसकी दीदी ने बजाए अपनी गलती मानने के बेचारी करुणा की ही गलती निकाली;
करुणा की दीदी: तू बता नहीं सकती थी की ID चाहिए होगी?
करुणा: मेरे को लगा तू अपना ID साथ लाते!
करुणा अपना बचाव करते हुए बोली| अब मुझे बात संभालनी थी वरना दोनों लड़ पड़ते;
मैं: Ok! हम दोनो की ID से रूम बुक कर लेते हैं|
पर Receptionist थोड़ा चूतिया था तो वो बोलने लगा;
Receptionist: साहब ID तो सबकी चाहिए होगी!
मैं: देख यार ये (करुणा) मेरी दोस्त है और ये इनके दीदी और जीजा जी हैं| इनकी यहाँ हॉस्पिटल में जॉब लगी है और हम सब उसी के लिए आये हैं| आपको दो कमरे बुक करने हैं, एक मेरी ID से जिसमें मेरे साथ भाईसाहब (करुणा का जीजा) रहेंगे और दूसरा इनके (करुणा) के नाम से बुक कर दे!
मैंने receptionist को बात समझाई तो वो समझ गया|
अब करुणा की ID थी केरला की, इतने साल दिल्ली में रह कर उसकी बहन ने उसका कोई कागज नहीं बनवाया था, receptionist ने इसपर सवाल किया तो मैंने उसे बता दिया की वो यहाँ गाँव से आई है| जब तक उसने हमारी ID स्कैन की तब तक हम दोनों ने होटल के रजिस्टर में हम सब की डिटेल भरी| Receptionist ने हमारी सारी डिटेल verify की और बोला;
Receptionist: साहब इसमें आप दोनों का relation तो भर दीजिये?
एक तो मैं रात भर सोया नहीं था ऊपर से उसका यूँ गलती निकालने से मैं चिढ गया और बोला;
मैं: काहे का relation चाहिए? दो अलग-अलग कमरे हैं न?! दिक्कत क्या है?
इतना कह कर मैंने उसे गुस्से से देखा, तभी उसका साथी आ गया और उससे बोला; 'क्यों तंग कर रहा साहब को?' उसने उसे झाड़ा और हमारा बैग उठाते हुए मुझसे बोला; 'आप चलो साहब मैं आपको आपका कमरा दिखाता हूँ|' उसने हमें दो अगल-बगल वाले कमरे दिए, मुझे आई थी नींद तो मैं तो सामान रखते ही लेट गया| 5 मिनट बाद करुणा का जीजा और एंजेल कमरे में आये, एंजेल बीच में लेट गई और उसका बाप बगल में लेट गया| मेरी झपकी अभी लगी ही थी की करुणा के जीजा का फ़ोन बजने लगा, गुस्सा तो बहुत आया पर जैसे-तैसे मैं खामोश रहा और सोने की कोशिश करने लग| मुश्किल से आधा घंटा सोया हूँगा की किसी ने दरवाजा खटखटाया, मैंने खुद उठ कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर करुणा खड़ी थी और उसकी आँखों में आँसूँ थे|
करुणा: मेरा मामा का death हो गए!
करुणा रोते हुए बोली| इतने में पीछे से उसकी दीदी आ गई और उन्होंने आ कर अपने पति को ये दुखद खबर सुनाई| मैंने करुणा से उसके मामा की death के बारे में पुछा तो वो बोली की रात को उनका एक्सीडेंट हो गया और कुछ देर पहले उनकी मृत्यु हो गई| करुणा की दीदी ने कुछ फ़ोन मिलाने शुरू किये और वो अपने कमरे में चली गईं, इधर उनका पति उठा और एंजेल को गोदी में ले कर उसी रूम में चला गया| बच गए मैं और करुणा, तो करुणा ने मुझे अपने मामा के बारे में बताना शुरू किया;
करुणा: मिट्टू...मेरा मामा ...हम को बहुत help करते.... पापा का death के बाद वो मेरा स्कूल और दीदी का स्कूल...सब...सब देखते.... हमसे हॉस्टल मिलने आते....!
करुणा ने रोते हुए कहा, उसका गाला रोने से इस कदर भारी था की वो ज्यादा बोल नहीं पा रही थी|
मैं: I’m so sorry for your loss dear! आप और दीदी जाओगे..... last rites के लिए? मैं...में flights देखता हूँ|
इतना कहते हुए मैंने flight देखना शुरू किया, तभी करुणा की दीदी ने आवाज दे कर हमें बुलाया|
करुणा के दीदी वाले कमरे में आ कर मैंने देखा की कमरे में बिछे बेड के एक सिरहाने पर करुणा की दीदी बैठीं थीं और दूसरे किनारे पर उनका पति एंजेल को गोद में लिए बैठा था| करुणा की दीदी की आँखों में आँसूँ तो थे पर करुणा के मुक़ाबले कम थे| करुणा अपनी दीदी के सामने बैठ गई और मैं कुर्सी पर बैठ गया| तब दीदी ने भावुक होते हुए अपने मामा जी के बारे में बताया| वो last rites के लिए जाना चाहतीं थीं पर करुणा की joining भी जर्रूरी थी|
करुणा की दीदी: क्या टाइमिंग है मामा जी की death का, आज इसकी (करुणा की) joining है और आज ही उनका burial!
मुझे उनकी आवाज में अपनी बहन के लिए चिंता नहीं बल्कि कोफ़्त लगी|
करुणा का जीजा: Joining के बाद, हम फ्लाइट से चलते हैं!
इधर करुणा के जीजा के मन में हवाई यात्रा करने की आग लगी थी!
मैं: दीदी यहाँ से जयपुर और फिर वहाँ से आपको फ्लाइट मिलेगी, आपको टाइम लगेगा ऐसे में आपको फ़ोन कर के wait करने को कहना होगा|
मेरी बात सुन कर करुणा की दीदी एकदम से बोलीं;
करुणा की दीदी: कोई wait नहीं करेगा! छोडो वो सब, तैयार हो जाओ इसका (करुणा का) joining करवाते हैं|
इतना कह कर वो उठीं, उनकी आवाज में अपनी बहन के लिए चिंता नहीं बल्कि चिढ थी! खैर मैं उठ कर अपने कमरे में आया और नहाने चला गया| 15 मिनट में मैं तो तैयार हो गया पर ये परिवार इतना सुस्त और लेट लतीफ़ था की मैंने भी हार मान ली| करुणा ने एंजेल को तैयार कर दिया था तो मैंने उसी के साथ खेलना शुरू कर दिया| एंजेल के हाथ में एक पेन था और वो उस पेन से अखबार में एक लाइन खींचती और ख़ुशी से कूदने लगती| वो इस लाइन खींचने को लिखना मान रही थी और इस छोटी सी ख़ुशी से नाचने लगती थी! मैंने एंजेल को अपने पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ कर उसका नाम लिखवाया, अब उसे बताऊँ कैसे की क्या लिखा है? तो मैंने उसे इशारे से समझाना शुरू किया की ये उसका नाम है और ये उसने ही लिखा है| पता नहीं उसे समझ आया या नहीं पर वो ख़ुशी से चहकने लगी, उसके चेहरे पर आई वो बेबाक मुस्कान मुझे आज फिर नेहा की याद दिला रही थी| मैंने उसे अपने पास बुलाया और नेहा समझ कर उसे अपने सीने से लगा लिया| आँखें बंद किये हुए मैं उसे अपनी छाती से चिपकाए नेहा की याद में खो गया| 5 मिनट बाद करुणा आ गई, हमेशा की तरह सादे से कपडे पहने हुए और मुझे एंजेल को गले लगाए देख उसे valentine's day वाला दिन याद आ गया|
मुझे करुणा की मौजूदगी का एहसास हुआ तो मैंने एंजेल को अपने आलिंगन से आजाद किया, एंजेल ने करुणा को वो शब्द दिखाया जो मैंने उसका हाथ पकड़ कर लिखवाया था| वो शब्द देख करुणा मेरी ओर देखने लगी और एंजेल से मलयालम में कुछ कहा, जिसे सुन एंजेल शर्मा गई| अब चूँकि मैं कुछ समझ नहीं पाया था तो करुणा ने अपनी कही बात का हिंदी अनुवाद करते हुए कहा;
करुणा: मैं बोला की एंजेल को अब लिखना आ गए तो हम उसे स्कूल में डाल देते!
ये सुन मैं मुस्कुरा दिया|
मैंने करुणा से उसके सारे documents के बारे में पुछा तो उसने बताया की सब तैयार हैं| करुणा का मन मामा जी की मृत्यु और इस नई जगह में adjust करने के नाम से डरा हुआ था और मैं बस उसे हिम्मत दिए जा रहा था ताकि वो हार न मान जाए| कुछ देर में करुणा की दीदी और जीजा, दोनों तैयार हो कर आ गए| कमरा लॉक करते समय एंजेल बाहर की ओर भागी, वो कहीं सीढ़ियों से गिर न जाए इस लिए मैं उसके पीछे दौड़ा| वो सीढ़ियों तक ही पहुँची थी की मैंने उसे पीछे से पकड़ कर गोद में उठा लिया, करुणा की दीदी ने मुझे ऐसा करते हुए देखा और अपने पति से बोली की वो एंजेल को मुझसे ले ले| खैर हम नीचे आये और मैंने receptionist से हॉस्पिटल के बारे में पुछा| हॉस्पिटल ज्यादा दूर नहीं था, यही कोई 5 मिनट दूर तो हम पैदल ही चल दिए| करुणा, उसकी दीदी, उसका जीजा और एंजेल आगे-आगे थे तथा मैं पीछे-पीछे आराम से चल रहा था| रास्ते में एक मंदिर पड़ा तो मैं वहाँ खड़ा हो गया, मैंने सर झुकाये और भगवान से प्रार्थना की कि करुणा की joining हो जाए तथा उसके रहने की व्यव्य्स्था आराम से हो जाए| करुणा और उसका परिवार मुझसे करीब 10 कदम आगे था और वो रुक कर मुझे प्रार्थना करते हुए देख रहे थे| मेरी प्रार्थना खत्म हुई तो करुणा की दीदी और उसका जीजा आगे-आगे चलने लगे, तथा हम दोनों पीछे चलने लगे|
हॉस्पिटल का गेट आया तो करुणा का चेहरा डर से पीला हो चूका था, मैंने उसका मन हल्का करने को कहा;
मैं: Dear अब न आप अपना दायाँ, मतलब right पैर first अंदर रखो|
मैंने मजाक करते हुए कहा तो करुणा की दीदी को हैरानी हुई और वो बीच में बोल पड़ीं;
करुणा की दीदी: ये तो शादी के बाद गृह प्रवेश में होता है!
ये सुन कर करुणा और मैं जोर से हँस पड़े| तब जा कर करुणा की दीदी को मेरा मजाक समझ में आया और वो भी हँस पड़ीं| वो जान गईं की उनकी बहन (करुणा) डरी हुई है इसलिए उन्होंने करुणा को यहाँ रहने के तौर-तरीके सीखने शरू कर दिए जो की सब मलयालम भाषा में थे|
खैर हम हॉस्पिटल में घुसे तो पता चला की यहाँ पर मरीज नहीं बल्कि कागजी कारवाही की जाती है! मैंने आगे बढ़ते हुए दो-चार लोगों से पुछा की joining के लिए किस से मिलना होगा| पूछते-पूछते हम एक कमरे के बाहर पहुँचे, मैंने करुणा को अंदर जाने को कहा तो वो बेचारी डरी-सहमी सी अंदर घुसी| इधर उसकी बहन हाथ बाँधे बाहर खड़ी थी, मुझे लगा था की वो करुणा के साथ अंदर जायेंगी इसीलिए तो मैं अंदर नहीं गया था पर वो तो दरवाजे पर खड़ी अंदर झाँक रहीं थी| उधर उनका पति एंजेल के साथ हॉस्पिटल के अंदर खेल रहा था| मैंने सोचा क्या गजब परिवार है, किसी को भी करुणा की कुछ पड़ी ही नहीं!
वहीं कमरे के भीतर साहब किसी से फ़ोन पर व्यस्त थे और करुणा सर झुकाये खड़ी थी, दस मिनट तक उन साहब ने जब करुणा पर कोई ध्यान नहीं दिया तो करुणा की दीदी ने मुझे अंदर जाने का आग्रह किया| मैंने दरवाजे पर knock किया और अंदर आने की इजाजत माँगी, मेरे knock करने से साहब का ध्यान मुझ पर आया और उन्होंने मुझे अंदर आने की इजाजत दी| मैंने उन्हें बाकायदा गुड मॉर्निंग सर कहा, अपना परिचय दिया और फिर उन्हें करुणा के बारे में बताया;
मैं: सर हम इनकी (करुणा की) joining के लिए आये हैं|
ये कहते हुए मैंने उस सरकारी आर्डर की ओरिजिनल उन्हें दिखाई|
साहब: अपने documents दीजिये!
करुणा ने अपने सारे documents निकाल कर मुझे दिए और मैंने उन्हें साहब को दिखाया|
साहब: मूल निवास पात्र, affidavit, police verification, medical certificate कहाँ है?
ये सुन कर मैं आँखें फाडे करुणा को देखने लगा क्योंकि मैं जानता था की करुणा के पास इनमें से एक भी document नहीं है! वहीं करुणा की हालत इतनी पतली थी की बेचारी लगभग रोने वाली थी| हम दोनों की सफ़ेद पड़ी शक़्लें देख कर साहब मुझसे बोले;
साहब: आर्डर ठीक से पढ़ा नहीं था?
ये कहते हुए उन्होंने अंतिम पन्ने में लिखे सभी point मुझे पढ़ने को कहा|
मैं: माफ़ कीजियेगा सर पर मुझे इस बारे में नहीं पता था!
साहब: बिना इन कागज के joining नहीं मिल सकती! जा कर पहले ये सब documents लाओ और हाँ याद रहे की head office में जा कर एक application दे देना की ये कागज बनवाने के लिए समय चाहिए! वरना वो लोग इनका (करुणा का) नाम काट देंगे!
उनकी दो टूक बात सुन कर ये तो साफ़ हो गया था की आज तो जोइनिंग मिलने से रही| मैंने सोचा की एक बार कोशिश करूँ की जयपुर की जगह यहाँ पर ही application देने से काम चल जाए!
मैं: सर वो application यहाँ submit नहीं हो सकती?
मैंने थोड़ी चालाकी करने की सोची पर उन्होंने साफ़ मना कर दिया की यहाँ कोई application submit नहीं हो सकती|
सर झुकाये हुए हम दोनों कमरे से बाहर निकले तो देखा न वहाँ करुणा की दीदी है और न ही उनका पति!
मैं: कहाँ गए ये लोग?
मैंने चिढ़ते हुए पुछा तो करुणा ने अपनी दीदी को फ़ोन कर के मलयालम में पुछा;
करुणा: चेची एविडे? (दीदी, कहाँ हो?)
करुणा ने फ़ोन काटा और मुझसे चिढ़ते हुए बोली;
करुणा: वो बाहर दूकान पर चाय पी रे!
ये सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने चिढ़ते हुए पुछा;
मैं: ये लोग यहाँ आपकी joining करवाने आये हैं या घूमने?
करुणा: ये लोग तो vacation पे आया!
करुणा ने सर झुकाते हुए कहा| मैं समझ गया की उन दोनों को करुणा की कुछ नहीं पड़ी, उनकी बला से इसे नौकरी मिले या न मिले उन्हें तो बस अपना घूमना है! मैंने करुणा से और कुछ नहीं कहा, हम दोनों हॉस्पिटल से निकल कर कुछ दूर पर बनी एक दूकान पर पहुँचे| वहाँ पहुँच कर देखा तो वो दोनों मियाँ-बीवी मजे से चाय पी रहे हैं! ये देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया, एकबार को तो मन किया की अच्छे से सुना दूँ पर करुणा का लिहाज कर के खामोश रहा| इधर करुणा की दीदी को यहाँ करुणा की joining करवाने की जगह चाय पीने की सफाई देनी थी इसलिए वो खुद मुझसे बोलीं;
करुणा की दीदी: आप तो यहाँ हो ही करुणा की joining करवाने के लिए इसलिए मैंने सोचा की तब तक चाय पी लेते हैं!
उन्होंने नकली मुस्कान लिए हुए कहा| फिर उनकी नजर करुणा पर पड़ी जिसका मुँह उतरा हुआ था, उन्होंने उससे मलयालम में पुछा की उसे joining मिली या नहीं तो करुणा ने न में सर हिलाया और बैग से वो आर्डर निकाल कर उन्हें देते हुए बोली;
करुणा: इसमें लास्ट में जो documents लिखा, उसका बिना joining नहीं मिलते!
करुणा की दीदी को हिंदी इतनी अच्छी नहीं आती थी तो उन्होंने मुझे वो कागज पढ़ने को दिया| मैंने उसमें लिखे सभी documents उन्हें पढ़ कर सुनाये, ये सुनते ही वो करुणा पर बरस पड़ीं;
करुणा की दीदी: तुझे हिंदी पढ़ना आता है न? ये दिखाई नहीं दिया?
ये सुन करुणा का गुस्सा भी उन पर फूटा;
करुणा: Order तू receive करते, तू नहीं पढ़ सकता था?
दोनों बहने आपस में लड़ पड़तीं इसलिए मैंने फिर बीच बचाव किया और बोला;
मैं: दीदी जो हो गया सो हो गया! अभी साहब ने कहा है की जयपुर जा कर ऑफिस में एक application दो की जबतक हम ये documents बनवाते हैं तब तक के लिए joining रोक दी जाए!
मेरी बात सुन कर दोनों बहने खामोश हो गईं और दिमाग से काम लेने लगीं, सबसे पहले तो उन documents को बनाने का फैसला हुआ;
करुणा की दीदी: ये मूल ...क्या...होता है?
उनसे मूल निवास पत्र नहीं बोला गया|
मैं: Domicile certificate!
करुणा की दीदी: ये तो अम्मा को गाँव से बनवाना होगा! मैं उनको बोल दूँगी की वो इसका domicile certificate बनवा दें| अब कौन सा document बचा?
मैं: Medical certificate.
करुणा की दीदी: वो तो ये (करुणा) अपने हॉस्पिटल से बनवा लेगी|
मैं: Affidavit.
करुणा की दीदी: वो तो आराम से बन जायेगा|
मैं: Police verification.
करुणा की दीदी: वो मैं चर्च में पूछती हूँ, कोई न कोई जानता होगा|
Documents बनाने का फैसला हुआ तो करुणा की दीदी ने थोड़ा खाना-पूरी करने के लिए मुझसे चाय पूछी तो मैंने नकली मुस्कान के साथ मना कर दिया| इतने देर से जब बात हो रही थी तब तो चाय पूछी नहीं और अब जब बात खत्म हुई तब इन्हीं चाय पिलाने का मन हुआ?!
उधर करुणा के जीजा के मन में जूते खरीदने की खाज हुई और उसने आ आकर अपनी पत्नी से पैसे माँगे! करुणा की दीदी ने बजाए उसे पैसे देने के, हम सब को साथ ले कर उस दुकान में घुस गईं| करुणा के जीजा को चाहिए थे मेरे जैसे जूते जो उसे वहाँ मिले नहीं, पर फिर भी उसने जबरदस्ती अपनी बीवी के पासी खर्च करवा मारे और दूसरे डिज़ाइन के जूते ले लिए! इधर मैं और करुणा हैरान थे की ये सब हो क्या रहा है? यहाँ साला एक इंसान की नौकरी दाँव पर है और इन ससुरों को घूमने की पड़ी है!
खैर जब दोनों मियाँ-बीवी का घूमना हो गया तो दोपहर को हम होटल लौटे, सुबह से अभी तक मैंने और करुणा ने कुछ नहीं खाया था| वापस आ कर मैंने सोचा की खाना आर्डर करता हूँ पर ये लोग तो अपना खाना पैक कर के लाये थे! दही और चावल को मिला कर कुछ बनाया गया था, साथ में सूखी fried मछली और पापड था! ये सब खाना उन्होंने केले के अलग-अलग पत्तों में पैक किया था, करुणा के जीजा ने पूरे पलंग पर अखबर बिछाया और हम चारों एक-एक कोने पर बैठ गए| फिर करुणा ने मेरे आगे केले के पत्तल में पैक वो खाना मेरे आगे रखा, वैसा ही पत्तल उसने सब को परोसा| पलंग के बीच में एक पत्तल था जिसमें सूखी fried मछली थी और दूसरे पत्तल में पप्पड़ का चूरा रखा हुआ था| करुणा की दीदी ने मुझे सूखी मछली देनी चाही तो मैंने उन्हें मना करते हुए कहा की मैं मछली नहीं खाता|
करुणा: मिट्टू को fish का smell अच्छा नहीं लगते!
करुणा अचानक से बीच में बोली जिसे सुन उसकी बहन को थोड़ा अजीब लगा, एक तो करुणा मुझे मिट्टू कह कर बुलाती थी और दूसरा करुणा मेरे बारे में कुछ ज्यादा ही जानती थी, पर हम दोनों (मैं और करुणा) के लिए समान्य बात थी|
करुणा की दीदी: मानु इसमें smell नहीं होती!
उन्होंने कोशिश की कि मैं मछली खा लूँ पर मुझे उस मछली कि महक नाक में चुभने लगी थी इसलिए मैंने दूसरा बहाना बनाया;
मैं: दीदी actually इसमें काटें होते हैं....
मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही करुणा ने मेरी बात संभाली और बोली;
करुणा: मिट्टू को fish खाना नहीं आते, वो bones को अलग कर के नहीं खा पते!
ये सुन कर सारे हँस पड़े|
करुणा की दीदी: मानु आपको तो पता होगा की हमारा गाँव कितना दूर है, वहाँ ट्रैन से जाने में ही 3 दिन लगते हैं तो ऐसे में हम लोग अपने घर से ये खाना ले कर जाते हैं| ये खाना कैसा भी मौसम हो खराब नहीं होता और आसानी से digest भी हो जाता है|
उन्होंने मुझे ये मलयाली तरीका कुछ ऐसे समझाया जैसे की किसी बच्चे को आप कोई नई चीज सीखते हो!
अब मैंने जो चावल और दही का मिश्रण खाया वो मेरे लिए ऐसा था जैसे मैंने दलिया खाया हो, स्वाद की बात करें तो उसमें नमक था, हरी मिर्च थी और अदरक का कुछ स्वाद था! सुबह से कुछ खाया नहीं था तो ऐसे में ये खाना खा कर मैंने पेट भर लिया| खाना खाते समय करुणा ने मुझसे स्वाद के बारे में कहा तो मैंने झूठी तारीफ कर दी, बाद में पता चला की ये खाना उसके जीजा ने बनाया था| जैसे ही मैंने (करुणा के जीजा को) उसे 'thank you' कहा, उसने मुस्कुरा कर 'welcome' कहा! उसकी वो औरतों वाली दबी हुई सी आवाज सुन कर मेरी हँसी मेरे मुँह तक पहुँच गई, मैंने आँखें चुराते हुए करुणा को देखा तो उसका भी वही हाल था जो मेरा था! ये हमारी की सबसे ख़ास बात थी, दोनों ही जानते थे की कौन सी बात सुन आकर किसे हँसी आती है!
खाना खा कर मैंने ही जयपुर की बात छेड़ी तो करुणा की दीदी बोलीं की वो, उनका पति और एंजेल, दिल्ली वापस जायेंगे! जयपुर जाने की जिम्मेदारी उन्होंने मुझे दी| मैंने अपना समान समेटा और करुणा ने अपना सामान समेटा| इतने में एंजेल को भूख लगी, अब उसे चाहिए था दूध जो हमें होटल में मिला नहीं| करुणा की दीदी ने करुणा से कहा की वो बाहर कहीं से दूध लाये, ये बात मेरे बिलकुल पल्ले नहीं पड़ी! खैर मैं वहाँ कौन सा रुकना चाहता था, सो मैं करुणा के साथ निकल लिया| हम दोनों पूछते-पूछते आस-पास देखने लगे पर हमें कहीं दूध नहीं मिला, ऊपर से वहाँ हर कोई बस हम दोनों को ही ताड़े जा रहा था| ऐसा लगता था की वहाँ किसी ने एक लड़के और एक लड़की को घुमते कभी देखा ही न हो! इतने में करुणा ने कोई departmental store देखा और मुझे वहाँ चलने को कहा| मैं उसके साथ अंदर घुसा तो करुणा ने मुझसे पुछा की ladies section कहाँ है? मैं भोयें सिकोड़ कर उसे हैरत भरी नजरों से देखने लगा की आखिर वो कहना क्या चाहती है? यहाँ हम दूध लेने आये हैं की ladies section ढूँढने और ये ladies section क्या होता है? मैंने आजतक कभी departmental store में shopping नहीं की थी तो मैं नहीं जानता था की वहाँ कोई ladies section भी होता है! इधर करुणा ने जब भोयें सिकोड़े हुए मुझे हैरत में देखा तो वो मेरे कान में खुसफुसाई;
करुणा: मेरा periods आज शुरू हुआ, इसलिए मुझे pads चाहिए!
ये सुन कर मेरी आँखें ऐसे फ़ैल गईं जैसे मैंने कुछ अनोखा सुन लिया हो! दरअसल मुझे करुणा से इन बातों की कभी कोई उम्मीद नहीं थी, हमारी बातें sex और intimate relationship के आस-पास नहीं होतीं थीं!
उसके periods के बारे में सुन मैं ऐसे घबरा गया जैसे की कोई बहुत बड़ी medical emergency हो! मैंने तेजी से departmental store में चक्कर लगाना शुरू किया पर मुझे न तो ladies section मिला और न ही कहीं pads पड़े हुए मिले! मैंने एक 30-35 साल की एक महिला को देखा तो मैंने उनसे जा कर बात की, अब उनसे ये तो कह नहीं सकता था की यहाँ pads कहाँ हैं वरना पिटाई होती अलग से तो मैंने उनसे बस इतना कहा की; "Excuse me, मेरी फ्रेंड को आपसे कुछ पूछना है?!" इतना कह कर मैंने करुणा को उनसे pads के बारे में पूछने का इशारा किया और मैं उन दोनों से 5 कदम दूर आ गया| करुणा ने उनसे पुछा तो उस महिला ने बताया की यहाँ pads नहीं मिलेंगे वो किसी chemist की दूकान पर पूछे| करुणा ने मुझे चलने का इशारा किया और हम फ़ौरन एक chemist के पास पहुँचे, मैंने करुणा को खुद खरीदने को कहा और मैं दूर खड़ा रहा| 5 सेकंड में करुणा खाली हाथ लौट आई, मैंने उससे पुछा की क्या हुआ तो वो बोली; "जो brand मुझे चाहिए था वो इदर नहीं ता!" ये सुन कर बेवकूफी में मैं बोला; "इसमें भी कोई brand आता है? सब तो एक ही होते हैं!" ये बोलने के बाद मुझे एहसास हुआ की मैं क्या बोल गया, अब करुणा मेरे ऊपर पक्का चिल्लायेगी पर हुआ उसका उल्टा; "मिट्टू इसमें बहुत types होते! मैं दूसरा brand try कर रे तो मेरे को itch होते!" ये सुन कर तो मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया! मैं शर्म से जमीन में गढ़ने लगा, मैंने फ़ौरन करुणा से नजरें ऐसी चुराई जैसे मैंने कुछ सुना ही न हो! मेरी हालत देख कर करुणा खूब जोर से हँसी और मैं अपनी आँखें बड़ी कर के उसे हैरानी से देखने लगा|
इतने में उसकी दीदी का फ़ोन आया और उन्होंने हमें वापस बुलाया, हम वापस पहुँचे तो देखा की एंजेल मजे से milk power से बना हुआ दूध पी रही है| अब मुझे समझ आया की हमें milk powder लाना था, जो शायद करुणा के जीजा को मिल गया| खैर दीदी ने मुझे कहा की मैं दिल्ली की दो टिकट ले आऊँ जब तक वो चेकआउट कर रहे हैं, मेरा समान पैक था तो मैं फटाफट बस स्टैंड चल दिया और मेरे पीछे ही करुणा आ गई| हम दोनों बस स्टैंड पहुँचे और वहाँ पता चला की दिल्ली की बस 15 मिनट में निकलने वाली है, करुणा ने फ़ौरन अपनी दीदी को फ़ोन किया और उन्हें बस स्टैंड आने को कहा, पर वो आलसी लोग कहाँ आ पाते तो हम दोनों को ही होटल वापस जाना पड़ा| हम दोनों रिक्शा कर के होटल लौटे, तब तक करुणा की दीदी ने bill pay कर दिया था और समान सब बाहर पड़ा था| हम जिस रिक्क्षे में आये थे उसमें सबका जाना नामुमकिन था, इसलिए मैं एक ऑटो ढूँढने दौड़ा| जब मैं ऑटो ले कर लौटा तो देखा पूरा परिवार होटल के बाहर खड़ा फोटो खींचने में बिजी था!
सामना लाद कर हम बस स्टैंड पहुँचे, मैंने जल्दी से दोनों मियाँ-बीवी को बस में चढ़ाया, बस चली गई तो मैंने अपने लिए जयपुर की बस का पता किया| हमें पता चला की वो बस रात को जाएगी और उसमें कोई सीट खाली नहीं! मैंने घडी देखि तो उसमें बजे थे 6, अब केवल ट्रैन बची थी| हमने रिक्शा किया और स्टेशन पहुँचे, मैंने ticket काउंटर से superfast की दो टिकेटें ली| टिकट ले कर मैंने पुछा की जयपुर की ट्रैन कब जाएगी तो काउंटर पर बैठा आदमी बोला की ये जो ट्रैन जा रही है ये ही जाएगी, इसके बाद अगली ट्रैन रात को आएगी! मैंने करुणा से दौड़ने को कहा क्योंकि ट्रैन धीरे-धीरे रेंगने लगी थी| मेरे हाथ में दो बैग थे पर फिर भी मैं करुणा से तेज भागा और सामान रख कर फटाफट चढ़ गया, करुणा अब भी स्टेशन पर दौड़ रही थी| वो बिना किसी मदद की तरह चढ़ नहीं पाती इसलिए मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया ताकि वो मेरा हाथ पकड़ ले, लेकिन उसे दौड़ कर बस पकड़ने की आदत थी तो उसने सावधानी से दौड़कर खुद ट्रैन पकड़ ली|
पूरी की पूरी ट्रैन खाली थी, मैंने सोचा की जब ट्रैन खाली ही है तो सफर आराम से किया जाए! मैं करुणा को लेकर AC वाले कोच की तरफ चल पड़ा, रास्ते में जो भी coaches आय सब या तो खाली थे या फिर उसमें इक्का-दुक्का लोग ही थे!
जारी रहेगा भाग 7(5) में...