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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Indersain

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 28



अब तक आपने पढ़ा:


भौजी पीछे चुपचाप खड़ीं हमारी बातें सुन रहीं थीं, नजाने उन्हें क्या सूझी की वो मेरे बच्चों को पैसे देने की बात पर टोकते हुए बोलीं;

भौजी: क्यों आदत बिगाड़ रहे हो इनकी?

कोई और दिन होता तो मैं भौजी को सुना देता पर इस समय मैं बहुत भावुक था, इसलिए मैंने उन्हें बड़े इत्मीनान से जवाब दिया;

मैं: बिगाड़ नहीं रहा, बचत करना सीखा रहा हूँ! मैंने भी बचत करना अपने बचपन से सीखा था और अब मेरे बच्चे भी सीखेंगे! मुझे मेरे बच्चों पर पूरा भरोसा है की वो पैसे कभी बर्बाद नहीं करेंगे! नहीं करोगे न बच्चों?

मैंने दोनों बच्चों से सवाल पुछा तो दोनों आ कर मेरे गले लग गए और एक साथ बोले; "कभी नहीं पापा जी!" भौजी ये प्यार देख कर मुस्कुराने लगीं| अब चूँकि भौजी ने बच्चों के ऊपर सवाल उठाया था इसलिए दोनों बच्चे अपनी मम्मी को जीभ चिढ़ाने लगे! बच्चों के जीभ चिढ़ाने से भौजी को मिर्ची लगी और वो हँसते हुए बोलीं;

भौजी: शैतानों इधर आओ! कहाँ भाग रहे हो?

बच्चे अपनी मम्मी को चिढ़ाने के लिए कमरे में इधर-उधर भागने लगे, भौजी उनके पीछे भागने को हुईं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली और खींच कर अपने पास बिठा लिया|


अब आगे:

मैं: बैठो मेरे पास और बताओ की अब कैसा महसूस कर रहे हो?

मैंने भौजी का हाथ अपने हाथ में लिए हुए पुछा|

भौजी: ऐसा लग रहा है जैसे प्राण आपके पास रह गए हों और ये खोखला शरीर मेरे पास रह गया!

भौजी को अपने दिल की बात कहनी थी पर वो अपनी भावनाओ में बहते हुए कुछ ज्यादा कह गईं जिससे मुझे हँसी आ गई! :laugh:

मैं: ओह! ये कुछ ज्यादा नहीं हो गया?

मैंने हँसते हुए बोला|

भौजी: न!

भौजी भी हँसते हुए बोलीं तथा अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ा कर अपनी बाँहों का हार बनाकर मेरी गर्दन में डाल दिया| भौजी का हाथ मेरे कँधे से छुआ तो मेरी आह निकल गई;

मैं: आह!

मेरी आह सुन भौजी परेशान हो गईं;

भौजी: क्या हुआ?

भौजी ने भोयें सिकोड़ कर पुछा|

मैं: कुछ नहीं!

मैंने बात को तूल न देते हुए कहा, लेकिन भौजी को चैन तो पड़ने वाला था नहीं इसलिए उन्होंने फ़ौरन मेरी टी-शर्ट का कालर मेरे कँधे तक खींचा तो उन्हें कल रात वाले अपने दाँतों के निशान दिखाई दिए! मेरा कन्धा उतने हिस्से में काला पड़ चूका था, भौजी अपने होठों पर हाथ रखते हुए बोलीं;

भौजी: हाय राम! ये मैंने.....!

इतना कह भौजी एकदम से दवाई लेने जाने लगीं, लेकिन मैंने उन्हें उठने नहीं दिया;

मैं: ये ठीक हो जायेगा! आप ये लो....

ये कहते हुए मैंने भौजी की तरफ i-pill का पत्ता बढ़ाया| उस i-pill के पत्ते को देख भौजी की आँखें बड़ी हो गईं, एक पल के लिए भौजी की आँखों में डर पनपा लेकिन फिर अगले ही पल उनकी आँखों में मुझे दृढ निस्चय नजर आने लगा!

भौजी: I wanna conceive this baby!

भौजी की दृढ निस्चय से भरी बात सुन कर मेरी हालत ऐसी थी की न साँस आ रहा था ओर न जा रहा था, मैं तो बस आँखें फाड़े उन्हें देख रहा था! अगले कुछ सेकंड तक मैं बस भौजी के कहे शब्दों को सोच रहा था, जितना मैं उन शब्दों को अपने दिमाग में दोहराता, उतना ही गुस्सा मेरे दिमाग पर चढ़ने लगता! वहीं भौजी का आत्मविश्वास देख मेरे दिमाग में शक का बीज बोआ जा चूका था;

मैं: तो आपने ये सब पहले से plan कर रखा था न, इसीलिए आपने मुझे कल रात condom use नहीं करने दिया न?

मैंने अपना शक जताते हुए पुछा तो भौजी ने अपना गुनाह कबूल करते हुए मुजरिम की तरह सर झुका लिया!

मैं: मैं आपसे कुछ पूछ रहा हूँ, answer me!!!

मैंने भौजी से सख्ती से पुछा, पर अपना गुस्सा उन पर नहीं निकाला था| मेरी सख्ती देख भौजी ने हाँ में सर हिला कर अपना जवाब दिया| ‘FUCK’ मैं अपने मन में चीखा! मैंने भौजी से इतनी चालाकी की कभी उम्मीद नहीं की थी और इसीलिए मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था! मैंने अपने सर पर हाथ रखा और गुस्से से उठ के खड़ा हो गया! गुस्सा मेरे अंदर भर चूका था और बाहर आने को मचल रहा था| मैं अपने इस गुस्से को दबाना चाहता था इसलिए मैंने अपना गुस्सा दबाने के लिए कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक तेजी से चलने लगा|



ये समझ लो शोले फिल्म के गब्बर और सांभा का दृश्य था, मैं गब्बर की तरह चल रहा था और भौजी सांभा की तरह सर झुकाये बैठीं थीं!



इधर मेरा गुस्सा इतना था की एक बार को तो मन किया की भौजी को जी भर के डाँट लगाऊँ, मगर उनकी तबियत का ख्याल कर मैंने अपना गुस्सा शांत करना शुरू किया और उन्हें इत्मीनान से बात समझाने की सोची| मुझे पूरा भरोसा था की मैं भौजी को सारे तथ्य समझा दूँगा और उन्हें मना भी लूँगा!

मैं: चलो एक पल के लिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ की आप मेरे बच्चे की माँ बनना चाहते हो और आपको ये बच्चा चाहिए मगर मुझे ये बताओ की आप सब से कहोगे क्या? बड़की अम्मा, माँ, पिताजी, बड़के दादा और हाँ चन्दर... उस साले से क्या कहोगे?

मैंने भौजी की ओर मुँह करते हुए अपने हाथ बढ़ते हुए कहा, मगर भौजी खामोश रहीं और कुछ नहीं बोलीं|

मैं: चन्दर कहेगा की मैंने तुम्हें (भौजी को) पाँच सालों से छुआ तक नहीं तो ये बच्चा कहाँ से आया? बोलो है कोई जवाब?

मैं जानता था की इस सवाल का जवाब भौजी क्या देंगीं, इसलिए मैंने उनके कुछ कहने से पहले ही उनके जवाब को सवाल बना दिया;

या फिर इस बार भी आप यही कहोगे की शराब पी कर उसने (चन्दर ने) आपके साथ जबरदस्ती की?

अब भौजी के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था, इसलिए वो बस सर झुकाये बैठी रहीं!

मैं: बताओ क्या जवाब दोगे?

मुझे पता था की भौजी के पास मेरे इन सवालों का कोई जवाब नहीं होगा, लेकिन तभी भौजी ने रोते हुए अपनी बात कही;

भौजी: मैं ...नहीं जानती...मैं क्या जवाब दूँगी! मैं बस ये बच्चा चाहती हूँ....आप मुझे ये गोली लेने को कह रहे हो...पर अंदर ही अंदर ये बात मुझे काट रही है! मैं....मैं ये नहीं कर सकती....

शुक्र है की बच्चे बाहर बैठक में माँ के पास बैठे खेल रहे थे, वरना अपनी मम्मी को यूँ रोता हुआ देख वो भी परेशान हो जाते| इधर भौजी की कही बात बिना सर-पैर की थी, उसमें कोई तर्क नहीं था मगर फिर भी मैं उनकी बातों में आ गया और उन्हें प्यार से समझाने लगा| मैं भौजी के सामने अपने दोनों घुटने टेक कर बैठ गया;

मैं: Hey!!! Listen to me, अभी बच्चा आपकी कोख में नहीं आया है! आप उसकी हत्या नहीं कर रहे हो! अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं this pill....its completely safe! कुछ नहीं होगा, all you've to do is take this pill ...and that's it!

भौजी: मेरा मन नहीं मान रहा इसके लिए! पाँच साल पहले जब मैंने आपको फोन किया था तब भी मेरा मन नहीं मान रहा था! मैंने अपना मन मार के आपको फोन किया और आप देख सकते हो की उसका नतीजा क्या हुआ? मेरे एक गलत फैसले ने आपको आपके ही बेटे, आपके अपने खून से दूर कर दिया! आपको बाप बनने का मैंने कोई सुख नहीं दिया, आप कभी आयुष को अपनी गोद में खिला नहीं पाये, उसे वो प्यार नहीं दे पाये जो आप उसे देना चाहते थे, यहाँ तक बेचारी नेहा भी आपके प्यार से वंचित रही! आज जब आयुष आपके सामने आता है तो मुझे बड़ी खेज होती है की मैंने बिना आपसे पूछे आप से वो खुशियाँ छीन ली!

इतना कह भौजी अपने पेट पर हाथ रखते हुए बोलीं;

भौजी: हमारा ये बच्चा आपको बाप बनने का सुख देगा! आप हमारे इस बच्चे को अपनी गोद में खिलाओगे, उसे प्यार करोगे, उसे कहानी सुनाओगे, उसे वो सारी बातें सिखाओगे जो आप आयुष को सिखाना चाहते थे|

भौजी के मुँह से सच सुन कर मैं हैरान था, मैंने ये कभी उम्मीद नहीं की थी की मुझे आयुष से दूर रखने के लिए वो अब भी खुद को दोषी समझतीं हैं!

मैं: जान ऐसा नहीं है! मैं आयुष से बहुत प्यार करता हूँ! मेरी जगह आपने उसे वो संस्कार दिए हैं जो मैं देता! फिर उसके बड़े होने से मेरे प्यार में कोई कमी नहीं आई! हमारे (भौजी और मेरे) बीच जो हुआ वो past था, आप क्यों उसके चक्कर में हमारा present ख़राब करने पर तुले हो!

मैंने भौजी के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा, लेकिन भौजी ने पलट कर मेरे आगे हाथ जोड़ दिए;

भौजी: Please...मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ...मुझे ये पाप करने को मत कहो...मैं अपना मन नहीं मार सकती!

भौजी रोते हुए विनती करने लगीं| अब सब बातें साफ़ थीं, मेरी किसी भी बात कर असर भौजी पर नहीं पड़ने वाला था इसलिए मैं गुस्से से उठा और अपना सारा गुस्सा उस i-pill के पत्ते पर निकलते हुए उसे तोड़-मोड़ कर तहस-नहस कर भौजी के सामने कूड़ेदान में खींच कर दे मारा!

मैं: FINE!

मैंने गुस्से से कहा और ताज़ी हवा खाने के लिए छत पर आ गया| गुस्सा सर पर चढ़ा था इसलिए मैं टंकी पर जा चढ़ा, रात होने लगी थी और केवल ठंडी हवा मेरा दिमाग शांत कर सकती थी!



भौजी की बातों ने मेरे मन में अपने बच्चे को गोद में खिलाने की लालसा जगा दी थी, लेकिन ये सम्भव नहीं था! भौजी की pregnancy पूरे परिवार की नजरें हम दोनों (मेरे और भौजी) पर ले आतीं और हम दोनों आकर्षण का केंद्र बन जाते! अगर भौजी कुछ झूठ बोल कर अपनी pregnancy को चन्दर के सर मढ़ भी देतीं तो मेरे बच्चे को चन्दर का नाम मिलता, न की मेरा! जबकि इस बच्चे को मैं अपना नाम देना चाहता था! मैं चाहता था की ये बच्चा मुझे पापा कहे न की चन्दर को! “मैं उसे अपनी गोद में खिलाऊँगा, वो मुझे पापा कहेगा, मेरी ऊँगली पकड़ कर चलेगा और मैं ही उसे अपना नाम दूँगा!” मैं अपनी सनक में बड़बड़ाया! मुझ पर अपने बच्चे को पाने का जूनून सवार हो चूका था, ये ही वो बिंदु था जहाँ से हमारे (भौजी और मेरे) रिश्ते की नई शुरुआत हो सकती थी! ये बच्चा मेरी जिंदगी को ठहराव देने वाला था और इस ठहराव के लिए मैं मोर्चा सँभालने को तैयार था!

मैंने फैसला ले लिया था, अब इस फैसले पर सख्ती से अम्ल करना था! चाहे जो हो जाए मैं इस बार हार नहीं मानने वाला था! अब दुनिया की कोई दिवार मुझे नहीं रोक सकती थी, मेरे सामने मेरा लक्ष्य था और मुझे अपना लक्ष्य पाना था!



करीब एक घंटे बाद भौजी छत पर आईं और "जानू...जानू" पुकारते हुए मुझे छत पर ढूँढने लगीं! मैं चूँकि टंकी पर चुपचाप बैठा था इसलिए भौजी मुझे देख नहीं पाईं! मैं धीरे से दबे पाँव नीचे उतरा और भौजी को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया, अगले पल मैंने भौजी को झटके से अपनी तरफ घुमाया और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला;

मैं: Marry me!

मेरी आवाज में आत्मविश्वास था और मेरा ये आत्मविश्वास देख कर भौजी की आँखें फटी की फटी रह गईं| भौजी इस वक़्त वैसा ही महसूस कर रहीं थीं जैसा मैंने किया था जब भौजी ने मुझसे हमारा बच्चा conceive करने की बात कही थी!

भौजी: क्या?

भौजी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था!

मैं: I said ‘Marry Me! Its the only way, we both can be happy!

मैंने अपनी बात थोड़ा विस्तार से बताई, मगर मेरी बात सुन कर भौजी न में गर्दन हिलाने लगीं और रुँधे गले से बोलीं;

भौजी: No…we can’t!

मैं: मैं आपके सामने कोई शर्त नहीं रख रहूँ, अब मुझे भी ये बच्चा चाहिए पर मैं चाहता हूँ की ये बच्चा मुझे सब के सामने पापा कह सके, न की आयुष और नेहा की तरह छुपते-छुपाते पापा कहे! गाँव में जब आपने माँ बनने की माँग रखी थी तब मैंने हमारे बच्चे से कोई उम्मीद नहीं रखी थी, मैंने नहीं चाहा था की वो मुझे पापा कहे मगर इस बार मैं चाहता हूँ की हमारा बच्चा मुझे बेख़ौफ़ पापा कहे!

मेरी भावुक बात सुन भौजी की आँखें भर आईं थीं, वो एक बाप के दर्द को महसूस कर रहीं थीं लेकिन वो ये भी जानतीं थीं की ये मुमकिन नहीं है, तभी तो वो न में सर हिला रहीं थीं!

मैं: जान जरा सोचो! हम दोनों एक नई शुरुआत करेंगे, आपको कोई झूठ बोलने की जर्रूरत नहीं पड़ेगी, हमें बिछड़ने का कोई डर नहीं रहेगा, इस तरह छुपकर मिलने से आजादी और हमारे बच्चे सब के सामने हमें मम्मी-पापा कह सकेंगे! Everything's gonna be fine!

मैंने भौजी को सुनहरे सपने दिखाते हुए कहा|

भौजी: नहीं...कुछ भी fine नहीं होगा....माँ-पिताजी कभी नहीं मानेंगे...कम से कम अभी हम साथ तो हैं...आपकी इस बात को जानकर वो हम दोनों को अलग देंगे! मैं जैसी भी हूँ...भले ही उस इंसान (चन्दर) के साथ रह रही हूँ पर दिल से तो आपसे ही प्यार करती हूँ...मैं उसके साथ रह लूँगी...पर please...

भौजी रोते-बिलखते हुए बोलीं| भौजी के मन में वही डर दिख रहा था जो पिछले कुछ दिनों से मैं अपने सीने में दबाये हुए था! अब समय था भौजी को आज शाम माँ की बताई हुई बात बताने का;

मैं: आप उसके साथ तो अब वैसे भी नहीं रह सकते क्योंकि वो लखनऊ के ‘नशा मुक्ति केंद्र’ में भर्ती है|

मैंने भौजी की बात काटते हुए उन पर पहाड़ गिरा दिया!

भौजी: क्या?

भौजी चौंकते हुए बोलीं|

मैं: हाँ! कल पिताजी और माँ की बात हुई थी, उन्होंने बताया की चन्दर घर नहीं आ रहा था तो उसे लेने के लिए सब लोग मामा के घर जा पहुँचे! चन्दर के गबन को ले कर वहाँ बहुत क्लेश हुआ, फिर किसी ने चन्दर को लखनऊ के नशा मुकरी केंद्र में भर्ती करवाने की बात कही| बात सब को जची इसलिए सब ने हामी भर दी, लेकिन चन्दर नहीं माना! बड़ी मुश्किल से उसे समझा-बुझा कर नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया गया है तथा बड़के दादा ने आपको और बच्चों को गाँव वापस बुलाया था| पिताजी के गाँव जाने से पहले जो मैंने उनके दिमाग में बच्चों की पढ़ाई की बात बिठाई थी, उसके चलते पिताजी ने बड़के दादा को समझाया की इस तरह बीच साल में बच्चों को गाँव बुलाने से उनका पूरा पढ़ाई का साल खराब हो जायेगा! तब जा कर बड़के दादा ने आपको और बच्चों को बस तीन महीने की मोहलत दी है, फरवरी में बच्चों के पेपर के बाद आप तीनों को गाँव रवाना कर दिया जाएगा, जो मैं होने नहीं दूँगा! इसीलिए यही सही समय है जब मैं माँ-पिताजी से हमारे रिश्ते के बारे में बात करूँ! माँ की आँखों में मैंने आपके लिए जो प्यार आज देखा है, उससे मुझे पूरा यक़ीन है की वो मान जाएँगी, रही बात पिताजी की तो उन्हें थोड़ा समय लगेगा!

मैंने भौजी को सच से रूबरू कराया और अंत में उन्हें उम्मीद की किरण भी दिखा दी, मगर भौजी मेरी तरह सैद्धांतिक बातों पर नहीं चलना चाहतीं थीं, वो व्यवहारिक बात सोच रहीं थीं;

भौजी: नहीं...please.... वो नहीं मानेंगे! कोई नहीं मानेग! उसकी (चन्दर की) नशे की आदत छूट जाएगी तो वो मेरे साथ बदतमीजी नहीं करेगा!

भौजी फफक कर रोते हुए बोलीं| उनमें न तो हमारे रिश्ते के लिए लड़ने की ताक़त थी और न ही उसे खो देने को बर्दाश्त करने की हिम्मत! उन्हें लग रहा था जैसा चल रहा है वैसा चलता रहेगा, चन्दर की नशे की आदत छूटेगी और पिताजी उसे फिर से अपने साथ काम में लगा लेंगे, मगर मैं भौजी को सच से रूबरू करवाना चाहता था;

मैं: आपको पूरा यकीन है की उसकी शराब पीने की आदत छूट जाएगी और वो आपको मानसिक तौर पर परेशान नहीं करेगा? उसके अंदर की वासना की आग का क्या, क्या वो इतनी जल्दी बुझ जाएगी? अगर ये सब हो भी गया तो आपको लगता है की पिताजी उसे हमारे साथ काम करने का दूसरा मौका देंगे?

मेरे सवाल सुन कर भौजी खामोश हो गईं|

मैं: इन सब सवालों का जवाब है: 'नहीं'! ये समय उम्मीद करने का नहीं है, बल्कि दिल मजबूत कर के कदम उठाने का है!

मैंने भौजी को हिम्मत देनी चाहि मगर उनका दिल बहुत कमजोर था, उनकी आँखों से बस डर के आँसूँ बह रहे थे|

मैं: अच्छा at least let me try once...please!

मैंने भौजी को उम्मीद देते हुए कहा|

भौजी: अगर माँ-पिताजी नहीं माने तो? हम दोनों को हमेशा के लिए जुदा कर दिया जायेगा और मैं सच कहती हूँ, मैं आपके बिना जान दे दूँगी!

मेरे समझाने का थोड़ा असर हो रहा था, भौजी के मन में अब बस एक ही सवाल था और वो था मेरे माँ-पिताजी की अनुमति न मिलना! वो जानती थीं की मेरे माँ-पिताजी मेरी बात कभी नहीं मानेंगे और हम दोनों को हमेशा के लिए जुदा कर दिया जायेगा जो भौजी बर्दाश्त नहीं कर पायेंगी! अब मुझे इस मुद्दे पर एक stand लेना था, मुझे अपना पक्ष साफ़ रखना था की मैं ऐसे हालात में क्या करूँगा;

मैं: मैं माँ-पिताजी से बात कर लूँगा और उन्हें मना भी लूँगा! अगर वे नहीं माने…तो हम चारों ये घर छोड़कर चले जाएँगे! मैं अब कमा सकता हूँ तो मैं आपका और हमारे बच्चों का बहुत अच्छे से ध्यान रख सकता हूँ!

मैंने भौजी को स्पष्ट शब्दों में अपनी बात समझा दी, परन्तु उनका दिल बहुत अच्छा था, वो मुझे मेरे परिवार से अलग नहीं करना चाहतीं थीं;

भौजी: Please…ऐसा मत कहो!...please..... मेरे खातिर माँ-पिताजी को मत छोडो....उनका दिल मत दुखाओ! आपके इस एक कदम से आपका पूरा परिवार तबाह हो जाएगा!

भौजी रोते हुए मेरे आगे हाथ जोड़ कर विनती करने लगीं|

मैं: आप मुझसे प्यार करते हो न, तो मुझ पर भरोसा रखो और दुआ करो की कुछ तबाह न हो और सब हमारी शादी के लिए मान जाएँ!

इतना कह मैंने भौजी को अपने गले लगा लिया और उनकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उन्हें शांत करने लगा;

मैं: बस मेरी जान...बस .... अब रोने का समय नहीं है...आज रात पिताजी आ जाएँगे और मैं कल ही उनसे सारी बात कर लूँगा| फिर हम दोनों हमेशा-हमेशा के लिए एक हो जायेंगे!

मैंने भौजी को बहुत बड़ी आस बँधा दी थी, मुझे अपने ऊपर पूरा विश्वास था की मैं पिताजी से अपने दिल की बात कह दूँगा और उन्हें तथा पूरे परिवार को मना भी लूँगा, मगर ये इतना आसान काम तो था नहीं! मैं पिताजी से कोई खिलौना नहीं माँग रहा था जिसे वो इतनी आसानी से मुझे खरीद देते, वैसे भी बचपन में वो मुझे खिलोने खरीदकर कम ही देते थे! मैं उनसे (पिताजी से) जो माँगने जा रहा था वो हमारे पूरे खानदान को झकझोड़ने वाला था, परन्तु मुझे ये चाहिए था, किसी भी कीमत पर!
Nice update Rocky bhai
 

Rockstar_Rocky

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laajwaab update bhai
bemishaal update hai bhai
nice update bhai
prem puran update bhai
bahut badhiya vart puran kiya bhouji ne
rashila update hai bhai
bahad
manmaafik update hai bhai
manmaafik update hai bhai
adbhut update hai bhai
bahad khubsurat update hai bhai

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
 

Rockstar_Rocky

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Masterpiece ...of Emotion.
& Nice review Sir

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:


Nice update bhai

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

Dhamkedar update..bhai💥

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

बहुत ही शानदार अपडेट है

Amzing update manu bhai......

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:


बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

Nice update Rocky bhai

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
 

Rockstar_Rocky

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That's superb sirji.
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Ab narazgi dur ho hi gye meri.
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Ye fir nya kaand chalu ho gya manu bhai ki bachpan ki jid ka ghar se dur ho jao.
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Ab ek bhauji ki bacche wali jidd fir manu bhaiya ki shadi wali jidd.
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Ab hogi diwali pitaji k aane k baad jo bomb futege ki dhua kitne time tak niklta hi rahega.
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Ye nya choga pehna diya chandar ko nasha mukti kendra ka.
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An dekhte h kis kis ko hangover hota h manu bhai k jhatke ka.
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Khub raita failne wala h barf mila hua.
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Keep writing.
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Keep posting.
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...
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जिद्द नहीं stand लिया है और ये stand कितना सही है इसका पता आपको जल्दी चलेगा|

मेरा आपसे एक सवाल था, आपने मेरी लेखनी xossip पर पढ़ी थी?

चन्दर को कोई चोगा नहीं पहनाया मैंने, उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजा गया था| आगे आने वाली updates में आपको चन्दर की हाल-खबर मिलती रहेगी!

रायता नहीं भूचाल आएगा जब बात खुलेगी, या फिर क्या पता की ऐसा कुछ हो ही न! You never know!
 

Rockstar_Rocky

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जहां 1 बच्चे का नियम है आधी सदी से ....................उनके हालात तो हिंदुस्तान से भी बुरे हैं....................... चाइना
लेकिन जहां बच्चों की गिनती पर कोई लिमिट नहीं........... वो दुनिया में सबसे रईस हैं ........... अरब देश
................................................................................ अब इसे क्या कहेंगे???

बच्चे पालने से किसी पर गरीबी नहीं आती.................. गरीबी हमारी सोच मे है............. खुद को दूसरों से ज्यादा रईस दिखने की होड़

प्रकृति सशक्त को जीने का मौका देती है और अशक्त से छीन लेती है....... आपके कृत्रिम प्रयास प्रकृति में हस्तक्षेप हैं.... सृजन रोकने के

प्रकृति को मत बदलो.......... अपने आप को बदलो............ सशक्त बनो...... जो सशक्त नहीं और ना बनना चाहते हैं..........उनके संरक्षण के लिए कब तक संसाधन बर्बाद करते रहोगे

..................................................................................
rule of nature.................. Survival of the Fittest............

:bow: प्रणाम है सर जी आपको! :bow:
 

Rockstar_Rocky

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Shandar Update hai Maanu Bhai, aakhir ab samay aa hi gaya aar paar ki ladai ka, dekhte aage kya hota hain...

Waiting for next update..

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
Climax तो अभी शुरू हुआ है!
 

Rockstar_Rocky

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इससे बेहतर जवाब की उम्मीद आप से नहीं की थी भैया.....पता नहीं क्यों लोगों को दूसरे के फलते फूलते घर को देख कर जलन होती है....... १ बच्चा हो या ३....पाल तो हम रहे हैं न....किसी दूसरे के सहारे तो नहीं छोड़ रहे.... फिर क्यों जलन होती है.......इतनी ही दिक्कत है तो चले जाओ दूसरे मुल्क......जहाँ एक बच्चा अलाउड है.......एक इंसान यहाँ इतने प्यार से अपनी जिंदगी की कहानी लिख रहा है....और लोगों को इसमें भी गलती नजर आती है......किसी ने सही कहा है....कुछ लोग जुगनू की तरह होते हैं.....बिना मतलब उनकी जलती रहती है...... :girlmad:

देवी जी,

कुछ तो लोग कहेंगे,
लोगों का काम है कहना,
छोड़ो बेकार की बातों,
कहीं बीत न जाए रैना! :cheers:
 

Johnboy11

Nadaan Parinda.
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जिद्द नहीं stand लिया है और ये stand कितना सही है इसका पता आपको जल्दी चलेगा|

मेरा आपसे एक सवाल था, आपने मेरी लेखनी xossip पर पढ़ी थी?

चन्दर को कोई चोगा नहीं पहनाया मैंने, उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजा गया था| आगे आने वाली updates में आपको चन्दर की हाल-खबर मिलती रहेगी!

रायता नहीं भूचाल आएगा जब बात खुलेगी, या फिर क्या पता की ऐसा कुछ हो ही न! You never know!
Sirji baat esi h ki maine jid issliye bola kyoki gaon mai bhi manu bhai ne apne bacchpane aur pyar k khone k dar se esa hi kuch kiya tha aur mai abhi aap ki baat se sehmat hu ki abhi mature kamau aur halat k hisab se ye decision ya stand sahi h so my mistake.
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Ab baat aap k sawal ki to sirji mujhe xossip pe bas 1 saal hua tha aur tab mai bina writer ka naam pade hi stories padta tha siway kuch particular stories k to nhi maine shayad nhi padi aap ki koi story wha par.
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Aur sirji choga ki jaha tak baat h to mai ye nhi bol rha ki aap ne choga pehnaya h mai to wo chandar k mama aur chandar k pitaji ki soch k bol rha tha kyoki wha se chandar wapas jald hi aajyega aur wo thehra kutte ki dum jo kitna hi lohe ki pipe mai dal lo sidhi to honi nhi jo wo sudharega jo aapni maa ki kasam pi gya wo nasha mukti kendra se kha kendra mai aayega esa mai soch rha tha.
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Aur jo bhi ho raita faile ya bhuchal aaye aap ki lekhni se hame to mja aayega hi.
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Last edited:

kamdev99008

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इससे बेहतर जवाब की उम्मीद आप से नहीं की थी भैया.....पता नहीं क्यों लोगों को दूसरे के फलते फूलते घर को देख कर जलन होती है....... १ बच्चा हो या ३....पाल तो हम रहे हैं न....किसी दूसरे के सहारे तो नहीं छोड़ रहे.... फिर क्यों जलन होती है.......इतनी ही दिक्कत है तो चले जाओ दूसरे मुल्क......जहाँ एक बच्चा अलाउड है.......एक इंसान यहाँ इतने प्यार से अपनी जिंदगी की कहानी लिख रहा है....और लोगों को इसमें भी गलती नजर आती है......किसी ने सही कहा है....कुछ लोग जुगनू की तरह होते हैं.....बिना मतलब उनकी जलती रहती है...... :girlmad:
ऐसा नहीं है मेरी भोली भली बहना.......... ये भाई भी बहुत अच्छे स्वभाव के और मिलनसार व्यक्ति हैं........... इन पति-पत्नी से में xossip से ही परिचित हूँ....... बहुत अच्छा लिखते भी हैं दोनों......... दिल को छू लेने वाले गाँव घर से जुड़ी कहानियाँ

अब इनहोने जो लिखा है यहाँ इस कमेंट में वो किसी दुर्भावना या जलन से नहीं.............. एक आम मानसिकता है, जो 400 सालों से अंग्रेज़ और उसके बाद ब्रिटिश कॉमनवैल्थ की गुलाम, खुद को जनता की सरकार कहलाने वाली लोकतान्त्रिक (?) सरकारें लोगों के दिमाग में प्रचार-प्रसार से लेकर शिक्षा तक जहर की तरह भरती आ रही हैं......... स्वाबलंबन (स्वरोजगार) की बजाए गुलामी (नौकरी) और लोगों के आर्थिक/व्यावसायिक उत्थान से ज्यादा परिवार नियोजन पर ज़ोर देने के लिए सरकारी पैसे को उड़ा रही हैं

सरकार जितना समाज कल्याण के नाम पर एनजीओ, पेंशन, अनुदान और इनको बांटने, चलाने वाले सरकारी-गैरसरकारी अमले पर खर्च कर रही है ...... उतने में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है...... स्वरोजगार के लिए प्रेरित करके उनके उत्पादों को उनके घर से खरीदकर सरकारी दुकानों से बेचे. विदेशों में निर्यात करें.
अनपढ, बुजुर्ग, विधवा, विकलांग भी कुछ ना कुछ कर पाने का कौशल रखते हैं..... क्या करदाताओं (taxpayers) की मेहनत की कमाई को छीनकर, इन लोगों को भीख और अहसान की तरह देने से देश या समाज का भला होगा.....

बल्कि एक गलत धारणा और बन जाती है.... अगर आप ज्यादा कमाने की येग्यता और क्षमता रखते हैं तो सरकार आपसे दण्ड के रूप में टैक्स लेगी....... लेकिन अगर आप स्वयं को बेरोजगार, निकम्मा और ऩाकारा साबित कर दें तो.... आपको अनाज, मकान, पैंशन सब मुफ्त मिलेगा.....
क्या जिनकी मेहनत की कमाई से वसूल किए गए टैक्स से सरकार ही नहीं पूरा देश चल रहा है......... उनको कोई सुविधा या योजना तो छोड़ो.... सरकार या जनता ने सम्मान भी दिया है?
:banghead:
जाने किस समाज का कल्याण होगा
 
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