Kahani ki shuruwat achi haiप्रथम अध्याय : पारिवारिक कलह
हमारा गाओं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से प्रांत में है| एक हरा भरा गाओं जिसकी खासियत है उसके बाग़ बगीचे और हरी भरी फसलों से लह-लहाते खेत परन्तु मौलिक सुविधाओं की यदि बात करें तो वह न के बराबर है| न सड़क, न बिजली और न ही शौचालय! शौचालय की बात आई है तो आप को शौच के स्थान के बारे में बता दूँ की हमारे गावों में मूँज नामक पौधा होता है,जो झाड़ की तरह फैला होता है| सुबह-सुबह लोग अपने खेतों में इन्ही मूँज के पौधों की ओट में सौच के लिए जाते हैं, आदमी और औरतों के लिए अलग-अलग जगह है शौच की| अस्पताल गाँव से एक घंटा दूर है, अगर कोई इंसान बीमार होता तो कई बार अस्पताल पहुँचने से पहले ही मर जाता| चूँकि गाँव में सड़कें नहीं हैं तो आने-जाने के बस तीन ही साधन हैं; साइकिल, रिक्शा या बैल गाडी! प्रमुख सड़क जो घर से करीब 20 मिनट दूर है वहाँ से जीप, टाटा बस या फिर एक पुराने जमाने का ऑटो चलता है|
यही वो शानदार ऑटो है....
पाँचवीं तक पढ़े मेरे पिताजी ने जवानी में कदम रखते ही घर छोड़ दिया था, शहर आ कर उन्होंने नौकरी ढूँढी और फिर एक दिन उनकी मुलाक़ात मेरी माँ से हुई| मेरी माँ का पूरा परिवार एक हादसे में मर गया था, शहर में माँ को एक घर में आया की नौकरी मिल गई थी और वो वहीं रहा करती थी| जल्द ही माँ-पिताजी को प्यार हुआ और हालात कुछ ऐसे बिगड़े की दोनों को शहर में ही शादी करनी पड़ी| शादी कर के जब पिताजी गाँव लौटे तो उनका बहुत तिरस्कार हुआ! कारन था माँ का दूसरी ज़ात का होना! बड़के दादा ने उन्हें बड़ा जलील किया और गन्दी-गन्दी गालियाँ देकर घर से निकाल दिया| पिताजी ने चुप-चाप उनका तिरस्कार सहा और सर झुकाये हुए दिल्ली वापस आ गए| वो बड़के दादा को अपने पिताजी की तरह पूजते थे और उनका हर हुक्म उनके लिए आदेश होता था जिसकी अवहेलना वो कभी नहीं कर सकते थे| जिंदगी में पहलीबार उन्होंने बिना बताये प्यार किया और उसके नतीजन उन्हें घर निकाला मिला!
मेरे माझिले दादा बहुत लालची प्रवित्ति के थे और पिताजी को घर से निकालते ही उन्होंने उनके हिस्से की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया| बड़के दादा को पता चले उसके पहले ही उन्होंने वो जमीन तथा अपने हिस्से की जमीन बेच कर रेवाड़ी आ गए| बड़के दादा को ये पता तब चला जब साहूकार जमीन पर अपना कब्ज़ा लेने आया| बड़के दादा का दिल बहुत दुखा पर वो अब कुछ नहीं कर सकते थे, क्योंकि माझिले दादा रेवाड़ी में कहाँ थे इसका उन्हें कुछ पता नहीं था|
इधर इन सब बातों से अनजान, पिताजी ने शहर में अपनी नई जिंदगी शुरू कर दी थी| माँ से शादी करने के बाद उनकी किस्मत ने बहुत बड़ी करवट ली थी| पिताजी ने बहुत ही छोटे स्तर पर ठेकेदारी शुरू कर दी थी, छोटे-मोटे काम जैसे की कारपेन्टरी, प्लंबिंग का काम करवाना| इससे घर में आमदनी शुरू हो गई थी और गुजर-बसर आराम से हो जाता था| फिर पिताजी को पता चला की माँ पेट से हैं तो वो बहुत खुश हुए पर तब तक काम इतना फ़ैल चूका था की उनके पास माँ के लिए समय नहीं होता था| माँ को रक्तचाप की समस्या थी इसलिए डॉक्टर ने माँ को कुछ ख़ास हिदायतें दी थीं जैसे की चावल ना खाना, नमक ना खाना, अधिक से अधिक आराम करना आदि| पर पिताजी की अनुपस्थिति में माँ लापरवाह हो गईं और उनके चोरी-छुपे उन्होंने वो सारी चीजें की जो उन्हें नहीं करनी चाहिए थी| इसके परिणाम स्वरुप जब मेरा जन्म हुआ तो मैं शारीरिक रूप से बहुत कमजोर था, मेरे जिस्म का तापमान काफी ज्यादा था और माँ-पिताजी की रक्तचाप की अनुवांशिक बिमारी मुझे सौगात में मिली| मेरे जन्म के दो महीने तक पिताजी मुझे गोद में नहीं उठाते थे, उन्हें डर था की कहीं उनके सख्त हाथों से मुझे कोई चोट ना लग जाए! मेरी माँ मुझे बड़ा लाड-प्यार करती थी और दिनभर में नाजाने कितने नामों से पुकारती| तीन महीने बाद जब पिताजी ने मुझे गोद में लिया तो उनके दुलार की कोई सीमा नहीं थी, उनके प्यार के आगे माँ का लाड-प्यार कम था| पिताजी ने काम-धाम छोड़ कर बस मुझे गोद में खिलाना शुरू कर दिया| सिवाए दूध पिलाने के, पिताजी सारे काम करते थे| जो सबसे ज्यादा उन्हें पसंद था वो था मेरी मालिश करना, उनकी जितनी मालिश कभी किसी ने अपने बच्चे की नहीं की होगी| पिताजी मुझे प्यार से लाड-साहब कहा करते और मेरी माँ तो मेरे प्यार से इतने सारे नाम रखती की पिताजी हँस पड़ते थे|
दिन बड़े प्यार-मोहब्बत से बीत रहे थे और मैं अब 3 साल का हो गया था| की तभी एक दिन...........
Gaao ke vatavaran ko bht hi achi tarike se darshaya h aap ne.manu ke pitaji apne achi future ke liye sahar ja ke job krne lge or waha unki mulakat manu ke maa se hui or unhone shaadi kr li lekin manu ke bade papa ne unki shaadi ko maanne se inkaar kr diya ek tarah se dekha jaye toh unka gussa hona zayaj bhi hai woh apne chote bhai pe bht vishwas krte the or unka bina bataye itna bada faisla lena unhe psnd nhi aya or unhe ghar se nikl diya.
Manu ke papa ne haar nhi mani or unhone din raat mahnat krke apna ek alag mukaam hasil kiya