गतांक से आगे
PART 5
वर्तमान
" ये थप्पड़ क्यू मारा तुमने "
अजिंक्य लगभग गुस्से से खीझते हुए अपने गाल को सहलाते हुए बोला
"ये थप्पड़ तो उसी समय मारना था जब तुम मुझे छोड़ गए थे " इतना कह कर लगभग अजिंक्य को धक्का दे कर अंदर करके आशी कमरे के दरवाजे को बंद की और अपने साथ लाई झोले को किचन की स्लैब पर रख दी । और सर घुमा कर पूछी
" चाय पियोगे ? "
अजिंक्य अपने जबड़े को हाथ से उधर उधर करते हुए बोला
" पीना तो है पर दूध नही है "
" मैने सिर्फ पूछा है चाय पियोगे या नही , ये नही पूछा के दूध है या नही "
" जी समझ गया मालकिन " कह कर अजिंक्य गया अंदर कमरे में और अपना फोन ले कर उसमे fm शुरू कर दिया ।
" हम तुम कितने पास हैं
कितने दूर हैं चाँद सितारे
सच पूछो तो मन को झूठे
लगते हैं ये सारे "
गाने की यही पंक्ति सबसे पहले सुनाई दी । और इधर आशी किचन में काम करते हुए ये गाने की लाइन सुनी और सर घुमा कर अजिंक्य की तरफ घूर कर देखी और वापस अपने काम पर लग गई । चाय बनाने में लगी हुई थी वो और इधर अजिंक्य का लंड तन रहा था आशी की गोल मटोल गांड देख कर । अजिंक्य ने गौर किया कि आशी का शरीर इन २ ३ सालों में और भर गया है और वो और सेक्सी हो गई है ।
अचानक ही आशी की आवाज ने अजिंक्य को उसकी सोचो से बाहर खींच लाई
" ज्यादा घूरो मत वरना मुंह तोड़ दूंगी "
ये सुन कर अजिंक्य फिर सोचने लग गया कि भेमचोद इस लड़की हर बार बिना देखे कैसे पता लग जाता है कि मैं इसे घूर रहा हूं ।
इतने में आशी चाय ले आती है और एक प्याला इसको थमा कर दूसरा प्याला ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती है । हल्के बादल वाला आसमान था ।लग रहा था आज फिर बारिश होगी ।रात होते होते बारिश शुरू हो जाएगी । इतने में अजिंक्य भी उसके बगल में आ खड़ा हुआ । अपना प्याला बालकनी के दीवार पर रखा और सिगरेट सुलगाने लगा ये देख कर आशी सिगरेट अजिंक्य के मुंह से छिनती है और फेंक देती है बालकनी से नीचे । अजिंक्य कुछ न कह कर एक दूसरी सिगरेट जलाता है और आशी फिर उसे फेंक देती है । अजिंक्य फिर से एक सिगरेट सुलगाने की कोशिश करता है आशी चीख पड़ती है
" मना किया था सिगरेट मत पियो , तुम मानते क्यू नही आखिर "
" आखिर क्यों मानू तुम्हारी बात " अजिंक्य चीखते हुए गुस्से में कहा
आंखो में आंसू लिए आशी कही " क्यू कि मुझे तुम्हारी फिक्र है , क्यू कि मैं तुमसे प्या.... " आगे का वाक्य अधूरा छोड़ आशी अपना प्याला लिए अंदर चली गई किचन में और स्लैब में टिक कर रोने लगी ।
कुछ देर बाहर खड़ा रहा अजिंक्य और फिर अंदर गया और अपने हथेलियों में आशी का चेहरा ले कर बोलता है " सॉरी न , अब से गलती नही होगी "
" किस किस बात के लिए माफी मांगेंगे तुम अजिंक्य ,किस किस बात के लिए आखिर । पता है मैने तुम्हारा कितना इंतजार किया , हर रात मेरी तुम्हारे इंतजार में कटी है । हर रात मैं रोई। ,सिर्फ तुम्हारे लिए । और तुम पता नही कहां थे "
अजिंक्य आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके सर पे चूमते हुए बोला " बस ये समझो धोखा खाने और जिंदगी से लड़ने गया था । अब आ गया हूं , कही नही जाऊंगा "
आशी अजिंक्य की आंखो में देखते हुए बोली " तुम सच बोल रहे हो ना , वादा करो ,खाओ कसम मेरे मरे मुंह की "
" हां बाबा ,कसम खाता हूं अब कही नही जाऊंगा "
" अच्छा चलो अब मुझे देर हो गई है । अंधेरा हो रहा है , मुझे घर जाना है , तुम्हारे लिए खाना लाई थी , खा लेना , मै सुबह जल्दी आ जाऊंगी । "
इतना कह कर आशी निकल गई और पीछे छोड़ गई अजिंक्य के लिए ढेर सारी अतीत की यादें ।
बिस्तर पर लेटा हुआ था कुछ सोचते हुए । बाहर घनघोर बारिश हो रही थी । अजिंक्य बिस्तर से उठा ,अपना सिगरेट का पैकेट उठाया और चल दिया फिर से घाट पर । घाट पर पहुंच कर कुछ देर तो बारिश में बैठा भीगता रहा फिर पानी में उतर में तब तक खुद को डुबोए रखा जब उसकी सांसों ने टूटने का जोखिम न ले लिया । पानी से सर बाहर निकाल कर अजिंक्य बढ़ चला मंदिर की सीढ़ियों पर । वहा जा कर देखा तो वही बाबा बैठा हुआ था और अजिंक्य को ही घूर रहा था । बाबा को देख अजिंक्य ने मुस्कुरा दिया और अपने जेब से पन्नी में रखे पैकेट को निकाल उसमे से सिगरेट सुलगा लिया और एक सिगरेट बाबा को दी
" लो बाबा सिगरेट पियो "
बाबा को सिगरेट और लाइटर कर वही खुद सीढ़ियों पे बैठ कश खींचने लगा
" तुझे मना किया था न यहां मत आया कर , तेरा वक्त नही आया अभी "
बूढ़ा बड़ा आसमान की ओर एकटक देखता हु अजिंक्य को बोला
" बाबा ये जिंदगी भी किसी काम की है भला ,जिसमे घुट घुट कर जीना पड़ रहा है । बस अब तो सोच लिया है या तो मैं jiyunga बदला लेने के लिए या मर ही जाऊंगा। अगर न ले पाया था "
अजिंक्य सिगरेट के धुएं को आसमान में उड़ात हुआ बोला
एक बार फिर बूढ़ा अजिंक्य को देख कर मुस्कुराया और बोला
" बदला लेने से किसका भला हो पाया है "
" मुझे भला नही करना बस सुकून चाहिए । और सकूं तभी मिलेगा जब बदला लूंगा " इतना कह कर अजिंक्य खड़ा हो कर जाने लगा
इतने में बूढ़ा बाबा ने आवाज दे कर कहा
" मुझे कुसुमपुर ले चलेगा ? "
कुसुमपुर नाम सुनते ही अजिंक्य के पैर जहां थे वहीं रुक गए । एक जमाना हुआ इस जगह का नाम सुने हुए । पलट कर सिर्फ इतना ही बोल पाया " कुसुमपुर ? "
" हां कुसुमपुर तेरा तो रिश्ता है ना वहां से । वही जाना है वही मेरी साधना पूरी होगी । और मैं चाहता हूं तुम मुझे अपनी गाड़ी पर बैठ कर छोड़ दे "
इतना कह कर बाबा मुस्कुरा कर उठ खड़े हुए अपना झोला टांगने लगे
" चलो छोड़ देता हूं " अजिंक्य कुछ न कहते हुए बस अपनी बाइक की ओर चल दिया ।
कुसुमपुर एक ६ किलोमीटर की जद में फैला कस्बा । जहां अजिंक्य का बचपन गुजरा और कॉलेज के बीच ३ साल का वक्त गुजरा अपमान ,जिल्लत ,और मौत से सामना करने में । वही कुसुमपुर जहां अजिंक्य ने अपना सब कुछ खो दिया और अब इस अरमान में जिंदा है की बदला ले सके ।
To be continued in next part