गातांक से आगे
PART 3
वर्तमान
अचानक उंगलियों पर तपिश महसूस हुई जैसे कोई आग से जला रहा है तो हड़बड़ा कर अजिंक्य अपनी तंद्रा से उठा । देखा तो सिगरेट पूरी जल कर राख हो चुकी है और अंगार अपने अंतिम सिरे पर देहक रहा है जिसकी तपिश उंगलियों पर महसूस हुई थी । गाने अभी तक बज रहे थे मोबाइल पर । मोबाइल उठा कर टाइम तो हैरान रह गया ।सुबह के ६ बज रहे थे । शायद उसका अतीत अब उसके ख्वाबों में आ कर उसे डराने लगा है । आसमान में हल्के बादलों के साथ हल्की रोशनी उजागर हो रही थी। वो उठा और ब्रश करके चूल्हे पर चाय बनने को रख दिया । इतने में अजिंक्य का फोन बजा। वो फोन चेक किया तो एक मैसेज आया था
" तुम वापस शहर में आ गए और मुझे बताया तक नही "
मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा कर जवाब टाइप करने लगा
" आना तो नही चाहिए था पर इस शहर ने जख्म बहुत दिए है ,बदला देने तो आना ही था न "
इतना टाइप करके उसने जवाब भेज दिया और जा कर चाय एक प्याले में छान कर साथ में सिगरेट सुलगा कर फिर से कुर्सी पर बैठ गया चाय पीते हुए शून्य में कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगा । इतने में उसका फोन फिर बजा लिखा था
" ठीक है मैं आ रही हू ,खाना तो खाए नही होगे ,सिर्फ दारू और सिगरेट में ही लगे होगे "
पढ़ा और मुस्कुरा दिया ये सोच कर कि इतने साल हो गए है ये मुझे कितना ज्यादा जानती है । कुछ सोचा और जवाब टाइप करने लगा
" ठीक है , पता तो जानती ही होगी "
" हां जानती हू "
इतनी बात हो कर उसने बातचीत बंद करके मोबाइल में fm रेडियो चालू कर दिया । रेडियो चालू होते ही गाने की एक लाइन सुनाई पड़ गई
" हर पल मुझको तड़पाता है ,मुझे सारी रात जगाता है
इस बात की तुमको खबर नहीं ,ये सिर्फ तुम्ही पर मरता है "
आंखे बंद करके कुर्सी पे पुष्ट टिका कर बैठ गया और अतीत के भंवर में खोने लगा ।
अतीत
"अबे मुट्ठल जल्दी कर बे देर हो रही है "
अजिंक्य अपने गले में टाई बांधते हुए चिल्ला रहा था क्यू के बहुत देर से अर्चित बाथरूम में था ,न जाने क्या कर रहा था। कुछ देर में अर्चित अपनी छोटी सी मेल थॉन्ग अंडरवियर में बाहर आया । और ट्राउजर पहनते हुए बोला
" यार सपने में सुनीता बाई की तूने लेने नही दी थी ना तो वही सोचते सोचते हुए बाथरूम में लंड खड़ा हो गया तो उसी को सुलाने में देर हो गई "
अजिंक्य : भोसड़ी के तेरे इस लंड के चक्कर में रोज कॉलेज में देर हो रही है , वो मीठा hod आज अपनी गांड मार लेगा ,याद रखियो
अर्चित : तो भाई दिलवा दे ना सुनीता बाई की चूत ,फिर कभी देर नही होगा
अजिंक्य : अबे मुझे दल्ला समझ रखा है क्या , जल्दी तैयार हो
आपस में नोक झोंक करते हुए दोनो तैयार हो कर रूम से निकले ही थे कि सुनीता बाई सामने आ गई
" भैया कल संडे है तो खाना सिर्फ सुबह मिलेगा ,शाम को मैं उनके साथ घूमने जाऊंगी तो शाम की छुट्टी "
सुनीता बाई ये बॉम्ब हम पर फोड़ रही थी और अर्चित उसके बिना पल्लू के ब्लाउज के अंदर झांक कर उसके बूब्स देखने की कोशिश कर रहा था और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था । तभी सुनीता बाई ने अर्चित की ओर देखा और उसकी नजरों का पीछा किया तो पता चला अर्चित तो उसके चूंचियां घूर रहा है , सुनीता कड़क हो कर अर्चित को आवाज दी
" O अर्चित भैया ,अगर इन्हें देख लिया हो तो मेरी बात भी सुन लो , कल शाम को खाना नही मिलेगा "
अर्चित मुस्कुराते हुए : ठीक है ना सुनीता ,कोई बात नही ,हम बाहर खा लेंगे
मै अर्चित को देखा और फिर सुनीता को देखा , फिर चिल्ला कर बोला " जल्दी चल यार "
हॉस्टल से बाहर निकल हम बस स्टॉप की ओर बढ़ चले । कुछ देर के इंतजार के बाद ही एक बस आ गई ,uspe चढ़े हम इधर उधर सीट के लिए देखा तो एक सीट सबसे पीछे खाली थी जहां खिड़की के पास एक औरत बैठी हुई थी गदरायी हुई ,सांवली रंगत , हल्की लाल लिपस्टिक ,एक छोटी ,और बूब्स भरे और बड़े ,तो अर्चित भाग कर उधर बैठ गया और दूसरी सीट खाली थी बस के बीच में जहां एक हल्के गेहूए रंगत वाली लड़की बालों को हाफ टाई की हुई थी ,होंठ थोड़े मोंटे पर रसदार , और हल्का पीला रंग का सूट पहने हुए थे । वही जा कर उसके बगल में बैठ गया । बस में भीड़ बढ़ती जा रही थी बस में धक्के भी लग रहे थे तो बार बार अजिंक्य का कंधा उस लड़की के कंधे से छू रहे थे । एक बार तो लड़की थोड़ा किनारे सरक गई और अजिंक्य ने खुद को भी थोड़ा इधर किया ताकि वापस ये गलती न हो ।कुछ ही देर में बस में अचानक ब्रेक लगा तो एक महिला अजिंक्य के ऊपर टकराई जिसके वजह से अजिंक्य उस लड़की से टकरा गया । दोनो ने खुद को संभाला और लड़की बोली
" ये क्या बदतमीजी है ,ठीक से नही बैठ सकते क्या "
अजिंक्य : मैडम मुझे कोई शौक नहीं ये सब करने का ,लेकिन वो आंटी मुझ पर गिरी तो मैं आप कर गिरा
लड़की : हां हां ठीक है ।
अजिंक्य ने ध्यान से देखा तो लड़की हाथ में कुछ फाइल फोल्डर्स और एक डायरी पकड़ कर बैठी है । कुछ ही देर में बस स्टॉप आया तो वो लड़की उतर गई । लेकिन अजिंक्य को ध्यान नही था ,इतने में अर्चित चिल्लाया " अबे अजिंक्य उतरना है बे "
अजिंक्य अपनी सीट से उठने लगा तो देखा एक कागज़ गिरा पड़ा है , शायद उस लड़की का था । कागज़ उठाया और बस से नीचे उतर गया और चलते हुए ध्यान से पढ़ने लगा । नाम था आशी ,उम्र 20 थर्ड ईयर।
" अरे थर्ड ईयर ! मतलब लड़की सीनियर है मेरी "
ये सोचते हुए कॉलेज के अंदर घुस कर उस लड़की को ढूंढने लगा कागज़ लौटाने के लिए
इधर वो लड़की अपने डिपार्टमेंट में थी सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवाने के लिए । सारे ही डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिया था बस एक एनरोलमेंट वाला कागज़ नही मिल रहा था । बहुत ढूंढा पर नही मिला तो रुआंसी हो कर बाहर गार्डन में बैठ गई अकेले । इधर अजिंक्य पूरे कॉलेज में ढूंढ रहा था और ढूंढने के बाद गार्डन तरफ बढ़ चला तभी देखा कि वो पीले सूट वाली तो यही बैठी है । अजिंक्य लड़की के सामने पहुंच कर उसे आवाज दिया
" O हेलो मैडम "
इतना सुन कर वो लड़की अपना चेहरा उठाई और अजिंक्य को देखी और गुस्से में आ गई
" तुम पीछा करते करते कॉलेज तक आ गए "
अजिंक्य : कोई पीछा नहीं किया ,मै यही पढ़ता हूं
लड़की : किस ईयर में
अजिंक्य : सेकंड ईयर में
लड़की : मै तुम्हारी सीनियर हूं ,और तुम मुझे छेड़ने यहां तक पहुंच गए । वाह
अजिंक्य : o हूर परी की चोदी । मै तुझे कोई छेड़ने नही आया हूं । ये कागज़ गिर गया था तेरा बस में । इसलिए खुद की क्लास छोड़ कर तुझे ढूंढने आया ताकि तुझे दे सकू
और इतना कह कर वो कागज़ लड़की के हाथ में थमा कर चल दिया और लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई ।
खैर लड़की अपने कॉलेज का काम खत्म करके कॉलेज से बाहर निकली कॉलेज के बाहर बने टपरे की ओर मुड़ चली
ये जो टपरा होता है वो हर कॉलेज के बाहर मिलेगा जहां पर चाय ,भजिए ,पकौड़ी ,चाय ,और सिगरेट मिलती है । और इसी के साथ वहा ज्ञान मिलता है जिंदगी जीने का । कॉलेज के स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान तो कॉलेज से मिल जाता है लेकिन व्यवहारिक और दुनिया जहां का ज्ञान इन्ही तपरो से मिलता है ।
वहां टपरे पे पहुंची तो देखा ये सेकंड ईयर वाला लड़का तो बाहर बैठा है । खैर वो दो चाय का बोली और अजिंक्य के पास पहुंच गई और उसके सामने खड़े हो कर पूछी " तुम्हारे लेक्चर चल रहे है ना ,तो तुम यहां क्या कर रहे हो "
अजिंक्य एक बार को नजर उठाता है और ध्यान से देख कर वापस सर झुका लेता है और तुनक कर बोलता है
" आपसे मतलब "
लड़की अजिंक्य से थोड़ी दूरी पे बैठ जाती है और बोलती है मुस्कुरा कर " लगता है फर्स्ट ईयर में रैगिंग हुई नही थी इसलिए सीनियर से बात करने की तमीज नही "
इस बात पर अजिंक्य एक बार को नजर उठा कर घूरता है लड़की को। और फिर दूसरी तरफ देखते हुए अपनी सिगरेट सुलगा लेता है । इतने में चाय आ जाती है तो लड़की चाय का एक ग्लास ले कर अजिंक्य की ओर बढ़ा कर बोलती है " और गुस्सा ना हो , लो चाय पियो "
पर अजिंक्य चाय नही लेता है इसपर लड़की मुस्कुरा कर बोलती है " अच्छा यार सॉरी ,वो मै बहुत परेशान थी उस पेपर के वजह से इसलिए ऐसा बोल गई । सॉरी न "
ये सुन कर अजिंक्य लड़की के तरफ देखता है और चाय ले लेता है ।
चाय दे कर लड़की दूसरा हाथ बढ़ा कर बोलती है
" मेरा नाम आशी है "
अजिंक्य उससे हाथ मिला कर बोलता है
" मै अजिंक्य "
To be continued in next part