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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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Dhansu2

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गातांक से आगे

part 4


अतीत


इधर अर्चित आज कॉलेज से जल्दी आ गया था । हॉस्टल पूरा खाली था शायद सारे लड़के कॉलेज में थे । और अभी तो सिर्फ १ ही बजे थे । अपने रूम के तरफ बढ़ ही रहा था कि किचन से कुछ आवाज़ आई तो अर्चित वही रुक गया । ( ये हॉस्टल एक बिल्डिंग का ऊपर का फ्लोर में बना हुआ था जिसमे ८ रूम थे और रसोई । रसोई में ही सुनीता बाई और उसका पति सोता था )आवाज से लग रहा था कि रसोई में कुछ कांड चल रहा था तो अर्चित को उत्सुकता हुई ।इधर उधर छेद तलाशने लगा तो पाया दरवाजे के नीचे के पल्ले में एक छेद हो रखा है । अर्चित वहीं राहदरी में लेट गया और साइड हो कर छेद में आंख टिका दिया ।छेद से अंदर देखते ही अर्चित की सांस अटक गई ,धड़कने बढ़ गई और पैंट के अंदर लंड टाइट होने लगा । अंदर सुनीता बाई लेटी हुई थी ,उसका ब्लाउज खुला हुआ था और सारी पेटीकोट कमर तक थी और दोनो पतली टांगो के बीच उसका पति का सर था । लग रहा था उसका पति चूत चाट रहा है । ये देखते ही अर्चित का लंड फुल टाइट हो गया ।लेकिन छेद से आंखे टिका कर ही रखा था ।

सुनीता बाई बहुत ही धीरे धीरे बोल रही थी पर सुनने में आ रहा था
" उम्मम्म हम्म्म अजी अच्छे से बुर चाटो ना "
ऐसा कहते हुए अपने पति का सर अपनी चूत पे दबा रही थी
कुछ देर तक उसका पति चूत चाटता रहा फिर वो उठ गया । उसके ऐसे उठने से सुनीता खीझ कर रह गई लेकिन कुछ कही नही ।उसका पति अपना लंड सीधे सुनीता के चूत के मुहाने पे टिकाया और डाल दिया ,पर सुनीता के मुंह से बस हल्की सी आवाज निकली । इधर उसका पति चूत में लंड डाल कर धक्के लगाने लगा लेकिन सुनीता के हाव भाव से लग रहा था जैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा ।उसका पति बस १०–१५ सेकंड धक्के लगाया और अपना पानी चूत में गिरा कर सुनीता के ऊपर लेट कर हांफने लगा ।सुनीता बुरा सा मुंह बना कर अपने ऊपर से पति को झटके से धक्का दे कर हटाती है और खड़ी हो जाती है और गेट खोलने बढ़ जाती है ऐसा लग रहा था जैसे वो इस चुदाई से संतुष्ट नहीं थी । अर्चित भी सुनीता बाई को गेट के तरफ आते देख जल्दी से खड़ा होता है और अपने रूम की ओर चल देता है । सुनीता बाई गेट खोल कर बाहर निकली तो देखा अर्चित के रूम का गेट खुला है ।वो रूम के अंदर गई तो अर्चित को बैठा देख पूछती है

" कब आए अर्चित भैया "
अर्चित : बस २० मिनट हुए

सुनीता को लगा अर्चित ने कुछ सुना या देखा तो नही तो एक बार को पूछ लिया

" अरे मुझे पता नहीं चला कि आप आ गए ।

अर्चित कमीनेपन से मुस्कुराते हुए बोला
" कैसे पता चलेगा इतने मजे की आवाज जो आ रही थी आह उह की तो मेरे आने की आवाज नहीं सुनाई दी होगी "

सुनीता बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली

" अरे काहे का मजा हुंह "

अर्चित मुस्कुराते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से एडजस्ट करते हुए बोला " मेरे साथ आइए मजे ही मजे मिलेंगे "

सुनीता हंसते हुए जाते हुए बोली " कही ऐसा ना हो जाए अर्चित भैया "नाम बड़ा दर्शन छोटे "

और वो चली गई और अर्चित गेट लगा कर अपनी पेंट को उतार कर अपने लंड को हिलाते हुए आंखे बंद करके सुनीता के बारे में सोचने लगा। इधर अजिंक्य कॉलेज के बाहर टपरे पर आशी के साथ बैठा हुआ था चाय पीते हुए

आशी : तुम्हे पहले कभी नही देखा मैने कॉलेज में , आज पहली बार देख रही हूं

अजिंक्य : नही मै पिछले ६ दिनों से कॉलेज आ रहा हूं । पर दरअसल मैंने यहां ट्रांसफर लिया है । मै कुसुमनगर कॉलेज से ट्रांसफर लिया है ।

आशी हैरान होते हुए : क्यों । ट्रांसफर क्यू लिया । वहां क्या हो गया था ।

अजिंक्य मुस्कुराते हुए : वहां मेरा झगड़ा हो गया था सीनियर से इसलिए

आशी हंसते हुए : तो मार पड़ने के डर से भाग आए । वाह साहब

अजिंक्य : नही मार पड़ने के डर से नही

आशी : तो किस डर से छोड़ आए वहां से

अजिंक्य नजर झुका कर : वो दरअसल मैंने गुस्से में सीनियर्स पे गोली चला दी थी और एक hod को थप्पड़ मार दिया था । लेकिन मेरे दादाजी वहां रसूख वाले हैंतो मुझे सिर्फ ट्रांसफर किया गया ।

आशी हंसते हुए : यार तुम तो गुंडे बदमाश निकले । शकल से घोंचू दिखते हो ।

ऐसा कह कर दोनो हंसने लगे । टपरे वाले को चाय के पैसे दे कर दोनो पैदल पैदल बस स्टॉप तक आए और विदा ले कर अपने अपने गंतव्य के लिए चल पड़े ।



वर्तमान

इधर दरवाजे पे लगातार घंटी बज रही थी जिससे अजिंक्य की तंद्रा टूटी तो पता चला बाहर गेट की डोरबेल बज रही है । वो उठा और दरवाजा खोला तो वही मैसेज करने वाली लड़की खड़ी थी । वो देखता ही रहा ,आज भी वही मासूमियत , आंखो में मोटा काजल , हॉफ टाई बाल ,और आंखो में गुस्सा ।गेट से अंदर घुसते हुए अजिंक्य के गाल पे थप्पड़ पड़ा ।लड़की को हतप्रभ देखता ही रह गया और बस मुंह से निकला

" अबे आशी ये क्या "


To be continued
Bhai mast update
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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गतांक से आगे

PART 5

वर्तमान


" ये थप्पड़ क्यू मारा तुमने "
अजिंक्य लगभग गुस्से से खीझते हुए अपने गाल को सहलाते हुए बोला

"ये थप्पड़ तो उसी समय मारना था जब तुम मुझे छोड़ गए थे " इतना कह कर लगभग अजिंक्य को धक्का दे कर अंदर करके आशी कमरे के दरवाजे को बंद की और अपने साथ लाई झोले को किचन की स्लैब पर रख दी । और सर घुमा कर पूछी

" चाय पियोगे ? "

अजिंक्य अपने जबड़े को हाथ से उधर उधर करते हुए बोला
" पीना तो है पर दूध नही है "
" मैने सिर्फ पूछा है चाय पियोगे या नही , ये नही पूछा के दूध है या नही "

" जी समझ गया मालकिन " कह कर अजिंक्य गया अंदर कमरे में और अपना फोन ले कर उसमे fm शुरू कर दिया ।

" हम तुम कितने पास हैं
कितने दूर हैं चाँद सितारे

सच पूछो तो मन को झूठे
लगते हैं ये सारे "

गाने की यही पंक्ति सबसे पहले सुनाई दी । और इधर आशी किचन में काम करते हुए ये गाने की लाइन सुनी और सर घुमा कर अजिंक्य की तरफ घूर कर देखी और वापस अपने काम पर लग गई । चाय बनाने में लगी हुई थी वो और इधर अजिंक्य का लंड तन रहा था आशी की गोल मटोल गांड देख कर । अजिंक्य ने गौर किया कि आशी का शरीर इन २ ३ सालों में और भर गया है और वो और सेक्सी हो गई है ।
अचानक ही आशी की आवाज ने अजिंक्य को उसकी सोचो से बाहर खींच लाई
" ज्यादा घूरो मत वरना मुंह तोड़ दूंगी "
ये सुन कर अजिंक्य फिर सोचने लग गया कि भेमचोद इस लड़की हर बार बिना देखे कैसे पता लग जाता है कि मैं इसे घूर रहा हूं ।

इतने में आशी चाय ले आती है और एक प्याला इसको थमा कर दूसरा प्याला ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती है । हल्के बादल वाला आसमान था ।लग रहा था आज फिर बारिश होगी ।रात होते होते बारिश शुरू हो जाएगी । इतने में अजिंक्य भी उसके बगल में आ खड़ा हुआ । अपना प्याला बालकनी के दीवार पर रखा और सिगरेट सुलगाने लगा ये देख कर आशी सिगरेट अजिंक्य के मुंह से छिनती है और फेंक देती है बालकनी से नीचे । अजिंक्य कुछ न कह कर एक दूसरी सिगरेट जलाता है और आशी फिर उसे फेंक देती है । अजिंक्य फिर से एक सिगरेट सुलगाने की कोशिश करता है आशी चीख पड़ती है

" मना किया था सिगरेट मत पियो , तुम मानते क्यू नही आखिर "

" आखिर क्यों मानू तुम्हारी बात " अजिंक्य चीखते हुए गुस्से में कहा

आंखो में आंसू लिए आशी कही " क्यू कि मुझे तुम्हारी फिक्र है , क्यू कि मैं तुमसे प्या.... " आगे का वाक्य अधूरा छोड़ आशी अपना प्याला लिए अंदर चली गई किचन में और स्लैब में टिक कर रोने लगी ।
कुछ देर बाहर खड़ा रहा अजिंक्य और फिर अंदर गया और अपने हथेलियों में आशी का चेहरा ले कर बोलता है " सॉरी न , अब से गलती नही होगी "
" किस किस बात के लिए माफी मांगेंगे तुम अजिंक्य ,किस किस बात के लिए आखिर । पता है मैने तुम्हारा कितना इंतजार किया , हर रात मेरी तुम्हारे इंतजार में कटी है । हर रात मैं रोई। ,सिर्फ तुम्हारे लिए । और तुम पता नही कहां थे "
अजिंक्य आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके सर पे चूमते हुए बोला " बस ये समझो धोखा खाने और जिंदगी से लड़ने गया था । अब आ गया हूं , कही नही जाऊंगा "

आशी अजिंक्य की आंखो में देखते हुए बोली " तुम सच बोल रहे हो ना , वादा करो ,खाओ कसम मेरे मरे मुंह की "

" हां बाबा ,कसम खाता हूं अब कही नही जाऊंगा "

" अच्छा चलो अब मुझे देर हो गई है । अंधेरा हो रहा है , मुझे घर जाना है , तुम्हारे लिए खाना लाई थी , खा लेना , मै सुबह जल्दी आ जाऊंगी । "

इतना कह कर आशी निकल गई और पीछे छोड़ गई अजिंक्य के लिए ढेर सारी अतीत की यादें ।

बिस्तर पर लेटा हुआ था कुछ सोचते हुए । बाहर घनघोर बारिश हो रही थी । अजिंक्य बिस्तर से उठा ,अपना सिगरेट का पैकेट उठाया और चल दिया फिर से घाट पर । घाट पर पहुंच कर कुछ देर तो बारिश में बैठा भीगता रहा फिर पानी में उतर में तब तक खुद को डुबोए रखा जब उसकी सांसों ने टूटने का जोखिम न ले लिया । पानी से सर बाहर निकाल कर अजिंक्य बढ़ चला मंदिर की सीढ़ियों पर । वहा जा कर देखा तो वही बाबा बैठा हुआ था और अजिंक्य को ही घूर रहा था । बाबा को देख अजिंक्य ने मुस्कुरा दिया और अपने जेब से पन्नी में रखे पैकेट को निकाल उसमे से सिगरेट सुलगा लिया और एक सिगरेट बाबा को दी

" लो बाबा सिगरेट पियो "
बाबा को सिगरेट और लाइटर कर वही खुद सीढ़ियों पे बैठ कश खींचने लगा

" तुझे मना किया था न यहां मत आया कर , तेरा वक्त नही आया अभी "

बूढ़ा बड़ा आसमान की ओर एकटक देखता हु अजिंक्य को बोला

" बाबा ये जिंदगी भी किसी काम की है भला ,जिसमे घुट घुट कर जीना पड़ रहा है । बस अब तो सोच लिया है या तो मैं jiyunga बदला लेने के लिए या मर ही जाऊंगा। अगर न ले पाया था "
अजिंक्य सिगरेट के धुएं को आसमान में उड़ात हुआ बोला

एक बार फिर बूढ़ा अजिंक्य को देख कर मुस्कुराया और बोला
" बदला लेने से किसका भला हो पाया है "

" मुझे भला नही करना बस सुकून चाहिए । और सकूं तभी मिलेगा जब बदला लूंगा " इतना कह कर अजिंक्य खड़ा हो कर जाने लगा

इतने में बूढ़ा बाबा ने आवाज दे कर कहा

" मुझे कुसुमपुर ले चलेगा ? "
कुसुमपुर नाम सुनते ही अजिंक्य के पैर जहां थे वहीं रुक गए । एक जमाना हुआ इस जगह का नाम सुने हुए । पलट कर सिर्फ इतना ही बोल पाया " कुसुमपुर ? "

" हां कुसुमपुर तेरा तो रिश्ता है ना वहां से । वही जाना है वही मेरी साधना पूरी होगी । और मैं चाहता हूं तुम मुझे अपनी गाड़ी पर बैठ कर छोड़ दे "

इतना कह कर बाबा मुस्कुरा कर उठ खड़े हुए अपना झोला टांगने लगे

" चलो छोड़ देता हूं " अजिंक्य कुछ न कहते हुए बस अपनी बाइक की ओर चल दिया ।

कुसुमपुर एक ६ किलोमीटर की जद में फैला कस्बा । जहां अजिंक्य का बचपन गुजरा और कॉलेज के बीच ३ साल का वक्त गुजरा अपमान ,जिल्लत ,और मौत से सामना करने में । वही कुसुमपुर जहां अजिंक्य ने अपना सब कुछ खो दिया और अब इस अरमान में जिंदा है की बदला ले सके ।

To be continued in next part
 

A.A.G.

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नोट : कहानी अभी अजिंक्य के वर्तमान और अतीत दोनो के हिस्सो पर चलेगी

अब गातांक से आगे

Part II
वर्तमान

अजिंक्य आज फिर से १२ बजते ही झील किनारे पहुंच गया अपने साथ सिगरेट और और आज एक डायरी लाया था । भूरे चमड़े के जिल्द वाली जिसे वो अपने शर्ट के अंदर अपने सीने से लगा कर रखा था । धीरे धीरे घाट की सीढयां उतर कर झील के पानी के पास आ कर बैठ गया ।झील लगभग १०किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी ।घाट के इस किनारे एक मंदिर था महादेव का और उसी से लगा हुआ एक बहुत बड़ा श्मशान था । वहां अक्सर ही अघोरी या कुछ तांत्रिक से लोग बने रहते थे अपनी साधना के लिए । खैर अजिंक्य सीढ़ियों पर बैठ कर पहले सिगरेट सुलगाई और लंबा कश खींच कर धुएं को अपने अंदर जज्ब कर बाकी का धुआं आसमान में उगल दिया । और आसमान की तरफ एकटक देखते हुए अपनी उंगलियों मानो किसी की तस्वीर बनाई और अगले ही पल उसे धुएं में ही उड़ा दी । अपनी डायरी खोली और पहला पन्ना देखा ,लिखा हुआ था वहा
" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं ,जो बिकू कभी बाजारों में "

आगे पन्ना पलटा तो उसपर लिखा था " मुलाकात " ,कुछ देर यूं ही उस पन्ने को देखता रहा ,फिर मुस्कुराया और डायरी से पन्ना फाड़ कर उसके टुकड़े कर के पानी में फेंक दिया ।कुछ देर यूं ही न जाने क्या पानी में देखता ही रहा फिर अचानक उठा और पानी में कूद गया । हालांकि अजिंक्य को तैरना नहीं आता था लेकिन फिर भी वो पानी में कूद गया ।कुछ देर तक तो सांस बंद करके डूबता उतरता रहा । पर उसके फेफड़ो की भी एक सीमा थी संभालने की ।एक समय ऐसा आया जब वो हाथ पैर मारने लगा बचने हेतु । लग रहा था आज इहलीला समाप्त ही होने वाली है । उस एक पल में आंखे बंद होते होते पूरी बिताई जिंदगी नजर आने लगी । मां बाप ,भाई बहन और वो एक शख्स जिसने वादा लिया था अजिंक्य से जिंदा रहने का ,खुश रहने का ।बस अब लगा की जिंदगी की डोर टूटने ही वाली है कि अचानक किसी ने अजिंक्य के बाल पकड़े और घाट के तरफ खींचने लगा । और बाहर ला कर पटक दिया सीढ़ियों पर । कुछ देर यूं ही अजिंक्य खांसता रहा और अपनी सांसे संभालने की कोशिश करता रहा । सांस संभलने को हुई थी कि एक करारा थप्पड़ आ कर उसके गाल पे पड़ा और अजिंक्य को तारे दिखा दिया । और उसके शरीर में दर्द की तेज लहर दौड़ गई । आंखे खोल कर देखा तो एक बूढ़ा दिखा । लंबे बाल , जटाएं ,हल्की लंबी दाढ़ी ,लाल लंगोट ।

बूढ़ा : मादरचोद जब मरना नहीं था तो कूद क्यू गया ।इससे अच्छा तो किसी ट्रेन के नीचे आ जाता । भेंचोद सारे भड़वे यही आ जाते है अपनी मां चुदाने । अबे भोसड़ी के कुछ बोलेगा या नही ?

अजिंक्य सिर्फ उस बूढ़े को बोलते सुन देख रहा था । फिर वो सीढ़ियों पे अपने सिगरेट के पैकेट को ढूंढ कर उसमे से सिगरेट निकाली और सुलगा ली और बाबा की ओर बढ़ा कर पूछ लिया

अजिंक्य : बाबा गुस्सा छोड़ो ,सिगरेट पियो ।

अजिंक्य के इस व्यवहार से बूढ़ा हतप्रभ था । वो भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया कुछ देर , सिगरेट पिया और वहा से उठ कर चल दिया वापस श्मशान की ओर । और इधर अजिंक्य भी सिगरेट पी कर बची हुई सिगरेट पानी में फेंक दी और चल पड़ा शमशान की ओर ।
इधर उधर देखा तो दूर दूर तक कुछ नहीं था बस कुछ दूरी पे एक चीता से धुआं सा उठ रहा था । शायद शाम को ही किसी की अंतेष्ठि हुई होगी । डरते डरते नंगे पैर ही अजिंक्य उस बाबा के पीछे पीछे चल दिया ।बूढ़े ने एक बार पलट कर देखा और चिल्लाया " भाग मादरचोद ,पीछे मत आ "
पर शायद अजिंक्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा ,बस मुस्कुराते हुए वो भी बाबा के पीछे पीछे उस चिता तक आ गया और बूढ़े बाबा के संग वही बैठ गया ।

बूढ़ा : क्यू आया है यहां

अजिंक्य : ठंड लग रही है तो आग सेंकने आया हूं और आपको सिगरेट पिलाने ।

इतना कह कर अजिंक्य मुस्कुरा दिया ।बूढ़ा ध्यान से अजिंक्य के चेहरे की ओर एक पल को देखता रहा फिर आंखे बंद कुछ देर और जाने क्या सोच कर मुस्कुरा दिया । आंखे खोल कर अजिंक्य को देख कर बोला
" चला जा भोसड़ी के । अभी तेरा वक्त नही आया है न मरने का और न इधर आने का । "

अजिंक्य : हां तो इधर नही आ सकता अभी लेकिन आपसे तो मिल ही सकता हू ना ।
बूढ़ा उठा और वहां से एक लकड़ी उठाई और हवा में लहरा कर बोला अजिंक्य से " भाग मादरचोद ,एक बार में सुनाई नही दिया "
अजिंक्य को लगा के कही ये बूढ़ा मार न दे तो वो उठ कर चल दिया । बाहर सीढ़ियों पर आया अपनी डायरी उठाई और चल दिया बाइक से अपने रूम पर । रूम पर आया तो देखा घड़ी ३ बजा रही थी । कपड़े बदल कर बाहर बालकनी में बैठ गया कुर्सी पर । सिगरेट सुलगाई ,मोबाइल में पुराने हिंदी गाने बजाए और आंखे बंद करके बैठ गया । कुछ ही देर में वापस अपने अतीत में भवर में फंस गया ।

अतीत

दूसरे दिन सुबह पहले अजिंक्य उठा । और आसपास देखा तो अर्चित नंगा ही सो रहा है और उसका लन्ड खड़ा हो कर छत की ओर सलामी दे रहा है । अजिंक्य ने उसे ध्यान से देखा और मुस्कुरा कर मन में सोचा " अच्छा हुआ लोड़े का लंड इतना सा है वरना मेरी तो झांट फायर हो जाती जलन से "
फिर वो उठा और जा कर अर्चित के लात मारी और बोला " उठ बे भोसड़ी के देख ८ बज गए , कॉलेज नही जाना क्या , अबे उठ न "

अर्चित : अबे सोने दे ना हरामी
अजिंक्य : उठ रहा है या रूम का दरवाजा खोल कर बाकियों को भी तेरी हालत दिखाऊं

इतना सुनना था कि अर्चित हड़बड़ा कर उठा और अपनी निक्कर ढूंढने लगा । बिस्तर के नीचे से निक्कर निकाला और पहन लिया और बोला
अर्चित : यार कितना अच्छा सपना था ,मै सुनीता बाई की चूत चाट रहा था समोसे की मीठी वाली चटनी लगा कर और तू उसके चूंचे दबा रहा था

अजिंक्य : हाहाहाहाहा भोसड़ी के उसके चूंचे नही है
अर्चित: अबे तू भावनाओ को समझ न यार । मै बस उसकी चूत में लंड पेलने ही वाला था कि तूने उठा दिया ।

इतना कहते हुए अर्चित अपना लंड दबाने लगा निकर के ऊपर से ही । अजिंक्य हंसा और बोला

" चल बे ठरकी बस कर ,अब कॉलेज चलना है , जा कर जल्दी से नहा ,फिर मुझे भी नहाना है "

अर्चित हंसते हुए : चल भाई साथ में नहाते है हाहहह

अजिंक्य : ठीक है पर मैं तेरी गांड मारूंगा ,मंजूर हो तो बोल

अर्चित : भाग लोड़े ,तुझे मैं गांडू लगता हूं क्या । अबे गांडू से याद आया तुझे पता है वो अपने मैथ्स वाला hod hai na wo गांडू है ।

अजिंक्य : अबे सच बता । तुझे कैसे पता चला बे ।

अर्चित : और वो सिविल वाला अमित है न । वो बता रहा था की उसने hod की गांड मारी है अपने रूम में ।

अजिंक्य : देख ले तू भी अपना जुगाड़ फिट कर लें शायद इस बार मैथ्स में बैक नही लगेगा ।

अर्चित : हां यार बात तो सही कही तूने । अच्छा चल कॉलेज भी जाना है । वरना ये गांडू अपनी गांड मार लेगा ।

इतना कह कर दोनो कॉलेज के लिए तैयार होने चले जाते है ।



To be continued in next part
nice update..!!
ajinkya ki marne ke chakkar me uss aghori baba se mulaqat hogayi..woh baba ne ajinkya ko bhaga toh diya waha se lekin wapas jarur aayega ajinkya unse milne..!! yeh ajinkya ka roommate pura chutiya lag raha hai..kuchh bhi sapne dekhta hai..aur maths ke hod ki gand marke paas bhi hona chahta hai..!!
 

A.A.G.

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गातांक से आगे

PART 3

वर्तमान


अचानक उंगलियों पर तपिश महसूस हुई जैसे कोई आग से जला रहा है तो हड़बड़ा कर अजिंक्य अपनी तंद्रा से उठा । देखा तो सिगरेट पूरी जल कर राख हो चुकी है और अंगार अपने अंतिम सिरे पर देहक रहा है जिसकी तपिश उंगलियों पर महसूस हुई थी । गाने अभी तक बज रहे थे मोबाइल पर । मोबाइल उठा कर टाइम तो हैरान रह गया ।सुबह के ६ बज रहे थे । शायद उसका अतीत अब उसके ख्वाबों में आ कर उसे डराने लगा है । आसमान में हल्के बादलों के साथ हल्की रोशनी उजागर हो रही थी। वो उठा और ब्रश करके चूल्हे पर चाय बनने को रख दिया । इतने में अजिंक्य का फोन बजा। वो फोन चेक किया तो एक मैसेज आया था
" तुम वापस शहर में आ गए और मुझे बताया तक नही "

मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा कर जवाब टाइप करने लगा

" आना तो नही चाहिए था पर इस शहर ने जख्म बहुत दिए है ,बदला देने तो आना ही था न "

इतना टाइप करके उसने जवाब भेज दिया और जा कर चाय एक प्याले में छान कर साथ में सिगरेट सुलगा कर फिर से कुर्सी पर बैठ गया चाय पीते हुए शून्य में कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगा । इतने में उसका फोन फिर बजा लिखा था
" ठीक है मैं आ रही हू ,खाना तो खाए नही होगे ,सिर्फ दारू और सिगरेट में ही लगे होगे "

पढ़ा और मुस्कुरा दिया ये सोच कर कि इतने साल हो गए है ये मुझे कितना ज्यादा जानती है । कुछ सोचा और जवाब टाइप करने लगा
" ठीक है , पता तो जानती ही होगी "
" हां जानती हू "

इतनी बात हो कर उसने बातचीत बंद करके मोबाइल में fm रेडियो चालू कर दिया । रेडियो चालू होते ही गाने की एक लाइन सुनाई पड़ गई

" हर पल मुझको तड़पाता है ,मुझे सारी रात जगाता है
इस बात की तुमको खबर नहीं ,ये सिर्फ तुम्ही पर मरता है "

आंखे बंद करके कुर्सी पे पुष्ट टिका कर बैठ गया और अतीत के भंवर में खोने लगा ।

अतीत

"अबे मुट्ठल जल्दी कर बे देर हो रही है "

अजिंक्य अपने गले में टाई बांधते हुए चिल्ला रहा था क्यू के बहुत देर से अर्चित बाथरूम में था ,न जाने क्या कर रहा था। कुछ देर में अर्चित अपनी छोटी सी मेल थॉन्ग अंडरवियर में बाहर आया । और ट्राउजर पहनते हुए बोला
" यार सपने में सुनीता बाई की तूने लेने नही दी थी ना तो वही सोचते सोचते हुए बाथरूम में लंड खड़ा हो गया तो उसी को सुलाने में देर हो गई "

अजिंक्य : भोसड़ी के तेरे इस लंड के चक्कर में रोज कॉलेज में देर हो रही है , वो मीठा hod आज अपनी गांड मार लेगा ,याद रखियो

अर्चित : तो भाई दिलवा दे ना सुनीता बाई की चूत ,फिर कभी देर नही होगा

अजिंक्य : अबे मुझे दल्ला समझ रखा है क्या , जल्दी तैयार हो

आपस में नोक झोंक करते हुए दोनो तैयार हो कर रूम से निकले ही थे कि सुनीता बाई सामने आ गई
" भैया कल संडे है तो खाना सिर्फ सुबह मिलेगा ,शाम को मैं उनके साथ घूमने जाऊंगी तो शाम की छुट्टी "

सुनीता बाई ये बॉम्ब हम पर फोड़ रही थी और अर्चित उसके बिना पल्लू के ब्लाउज के अंदर झांक कर उसके बूब्स देखने की कोशिश कर रहा था और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था । तभी सुनीता बाई ने अर्चित की ओर देखा और उसकी नजरों का पीछा किया तो पता चला अर्चित तो उसके चूंचियां घूर रहा है , सुनीता कड़क हो कर अर्चित को आवाज दी

" O अर्चित भैया ,अगर इन्हें देख लिया हो तो मेरी बात भी सुन लो , कल शाम को खाना नही मिलेगा "

अर्चित मुस्कुराते हुए : ठीक है ना सुनीता ,कोई बात नही ,हम बाहर खा लेंगे

मै अर्चित को देखा और फिर सुनीता को देखा , फिर चिल्ला कर बोला " जल्दी चल यार "
हॉस्टल से बाहर निकल हम बस स्टॉप की ओर बढ़ चले । कुछ देर के इंतजार के बाद ही एक बस आ गई ,uspe चढ़े हम इधर उधर सीट के लिए देखा तो एक सीट सबसे पीछे खाली थी जहां खिड़की के पास एक औरत बैठी हुई थी गदरायी हुई ,सांवली रंगत , हल्की लाल लिपस्टिक ,एक छोटी ,और बूब्स भरे और बड़े ,तो अर्चित भाग कर उधर बैठ गया और दूसरी सीट खाली थी बस के बीच में जहां एक हल्के गेहूए रंगत वाली लड़की बालों को हाफ टाई की हुई थी ,होंठ थोड़े मोंटे पर रसदार , और हल्का पीला रंग का सूट पहने हुए थे । वही जा कर उसके बगल में बैठ गया । बस में भीड़ बढ़ती जा रही थी बस में धक्के भी लग रहे थे तो बार बार अजिंक्य का कंधा उस लड़की के कंधे से छू रहे थे । एक बार तो लड़की थोड़ा किनारे सरक गई और अजिंक्य ने खुद को भी थोड़ा इधर किया ताकि वापस ये गलती न हो ।कुछ ही देर में बस में अचानक ब्रेक लगा तो एक महिला अजिंक्य के ऊपर टकराई जिसके वजह से अजिंक्य उस लड़की से टकरा गया । दोनो ने खुद को संभाला और लड़की बोली

" ये क्या बदतमीजी है ,ठीक से नही बैठ सकते क्या "

अजिंक्य : मैडम मुझे कोई शौक नहीं ये सब करने का ,लेकिन वो आंटी मुझ पर गिरी तो मैं आप कर गिरा

लड़की : हां हां ठीक है ।

अजिंक्य ने ध्यान से देखा तो लड़की हाथ में कुछ फाइल फोल्डर्स और एक डायरी पकड़ कर बैठी है । कुछ ही देर में बस स्टॉप आया तो वो लड़की उतर गई । लेकिन अजिंक्य को ध्यान नही था ,इतने में अर्चित चिल्लाया " अबे अजिंक्य उतरना है बे "
अजिंक्य अपनी सीट से उठने लगा तो देखा एक कागज़ गिरा पड़ा है , शायद उस लड़की का था । कागज़ उठाया और बस से नीचे उतर गया और चलते हुए ध्यान से पढ़ने लगा । नाम था आशी ,उम्र 20 थर्ड ईयर।

" अरे थर्ड ईयर ! मतलब लड़की सीनियर है मेरी "
ये सोचते हुए कॉलेज के अंदर घुस कर उस लड़की को ढूंढने लगा कागज़ लौटाने के लिए

इधर वो लड़की अपने डिपार्टमेंट में थी सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवाने के लिए । सारे ही डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिया था बस एक एनरोलमेंट वाला कागज़ नही मिल रहा था । बहुत ढूंढा पर नही मिला तो रुआंसी हो कर बाहर गार्डन में बैठ गई अकेले । इधर अजिंक्य पूरे कॉलेज में ढूंढ रहा था और ढूंढने के बाद गार्डन तरफ बढ़ चला तभी देखा कि वो पीले सूट वाली तो यही बैठी है । अजिंक्य लड़की के सामने पहुंच कर उसे आवाज दिया

" O हेलो मैडम "

इतना सुन कर वो लड़की अपना चेहरा उठाई और अजिंक्य को देखी और गुस्से में आ गई

" तुम पीछा करते करते कॉलेज तक आ गए "

अजिंक्य : कोई पीछा नहीं किया ,मै यही पढ़ता हूं

लड़की : किस ईयर में

अजिंक्य : सेकंड ईयर में

लड़की : मै तुम्हारी सीनियर हूं ,और तुम मुझे छेड़ने यहां तक पहुंच गए । वाह

अजिंक्य : o हूर परी की चोदी । मै तुझे कोई छेड़ने नही आया हूं । ये कागज़ गिर गया था तेरा बस में । इसलिए खुद की क्लास छोड़ कर तुझे ढूंढने आया ताकि तुझे दे सकू

और इतना कह कर वो कागज़ लड़की के हाथ में थमा कर चल दिया और लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई ।
खैर लड़की अपने कॉलेज का काम खत्म करके कॉलेज से बाहर निकली कॉलेज के बाहर बने टपरे की ओर मुड़ चली

ये जो टपरा होता है वो हर कॉलेज के बाहर मिलेगा जहां पर चाय ,भजिए ,पकौड़ी ,चाय ,और सिगरेट मिलती है । और इसी के साथ वहा ज्ञान मिलता है जिंदगी जीने का । कॉलेज के स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान तो कॉलेज से मिल जाता है लेकिन व्यवहारिक और दुनिया जहां का ज्ञान इन्ही तपरो से मिलता है ।

वहां टपरे पे पहुंची तो देखा ये सेकंड ईयर वाला लड़का तो बाहर बैठा है । खैर वो दो चाय का बोली और अजिंक्य के पास पहुंच गई और उसके सामने खड़े हो कर पूछी " तुम्हारे लेक्चर चल रहे है ना ,तो तुम यहां क्या कर रहे हो "

अजिंक्य एक बार को नजर उठाता है और ध्यान से देख कर वापस सर झुका लेता है और तुनक कर बोलता है
" आपसे मतलब "

लड़की अजिंक्य से थोड़ी दूरी पे बैठ जाती है और बोलती है मुस्कुरा कर " लगता है फर्स्ट ईयर में रैगिंग हुई नही थी इसलिए सीनियर से बात करने की तमीज नही "

इस बात पर अजिंक्य एक बार को नजर उठा कर घूरता है लड़की को। और फिर दूसरी तरफ देखते हुए अपनी सिगरेट सुलगा लेता है । इतने में चाय आ जाती है तो लड़की चाय का एक ग्लास ले कर अजिंक्य की ओर बढ़ा कर बोलती है " और गुस्सा ना हो , लो चाय पियो "

पर अजिंक्य चाय नही लेता है इसपर लड़की मुस्कुरा कर बोलती है " अच्छा यार सॉरी ,वो मै बहुत परेशान थी उस पेपर के वजह से इसलिए ऐसा बोल गई । सॉरी न "

ये सुन कर अजिंक्य लड़की के तरफ देखता है और चाय ले लेता है ।
चाय दे कर लड़की दूसरा हाथ बढ़ा कर बोलती है

" मेरा नाम आशी है "
अजिंक्य उससे हाथ मिला कर बोलता है
" मै अजिंक्य "



To be continued in next part
nice update..!!
present me ajinkya apne room me baitha hai aur usko kisi ladki ka message aata hai aur uski baaton se yahi lagta hai ki woh ajinkya ko usse jyada janti ho..!! past me ajinkya ki mulaqat aashi se bahot hi dramatic tarike se huyi hai..ab dekhte hai aage kya hota hai..!!
 

A.A.G.

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गातांक से आगे

part 4


अतीत


इधर अर्चित आज कॉलेज से जल्दी आ गया था । हॉस्टल पूरा खाली था शायद सारे लड़के कॉलेज में थे । और अभी तो सिर्फ १ ही बजे थे । अपने रूम के तरफ बढ़ ही रहा था कि किचन से कुछ आवाज़ आई तो अर्चित वही रुक गया । ( ये हॉस्टल एक बिल्डिंग का ऊपर का फ्लोर में बना हुआ था जिसमे ८ रूम थे और रसोई । रसोई में ही सुनीता बाई और उसका पति सोता था )आवाज से लग रहा था कि रसोई में कुछ कांड चल रहा था तो अर्चित को उत्सुकता हुई ।इधर उधर छेद तलाशने लगा तो पाया दरवाजे के नीचे के पल्ले में एक छेद हो रखा है । अर्चित वहीं राहदरी में लेट गया और साइड हो कर छेद में आंख टिका दिया ।छेद से अंदर देखते ही अर्चित की सांस अटक गई ,धड़कने बढ़ गई और पैंट के अंदर लंड टाइट होने लगा । अंदर सुनीता बाई लेटी हुई थी ,उसका ब्लाउज खुला हुआ था और सारी पेटीकोट कमर तक थी और दोनो पतली टांगो के बीच उसका पति का सर था । लग रहा था उसका पति चूत चाट रहा है । ये देखते ही अर्चित का लंड फुल टाइट हो गया ।लेकिन छेद से आंखे टिका कर ही रखा था ।

सुनीता बाई बहुत ही धीरे धीरे बोल रही थी पर सुनने में आ रहा था
" उम्मम्म हम्म्म अजी अच्छे से बुर चाटो ना "
ऐसा कहते हुए अपने पति का सर अपनी चूत पे दबा रही थी
कुछ देर तक उसका पति चूत चाटता रहा फिर वो उठ गया । उसके ऐसे उठने से सुनीता खीझ कर रह गई लेकिन कुछ कही नही ।उसका पति अपना लंड सीधे सुनीता के चूत के मुहाने पे टिकाया और डाल दिया ,पर सुनीता के मुंह से बस हल्की सी आवाज निकली । इधर उसका पति चूत में लंड डाल कर धक्के लगाने लगा लेकिन सुनीता के हाव भाव से लग रहा था जैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा ।उसका पति बस १०–१५ सेकंड धक्के लगाया और अपना पानी चूत में गिरा कर सुनीता के ऊपर लेट कर हांफने लगा ।सुनीता बुरा सा मुंह बना कर अपने ऊपर से पति को झटके से धक्का दे कर हटाती है और खड़ी हो जाती है और गेट खोलने बढ़ जाती है ऐसा लग रहा था जैसे वो इस चुदाई से संतुष्ट नहीं थी । अर्चित भी सुनीता बाई को गेट के तरफ आते देख जल्दी से खड़ा होता है और अपने रूम की ओर चल देता है । सुनीता बाई गेट खोल कर बाहर निकली तो देखा अर्चित के रूम का गेट खुला है ।वो रूम के अंदर गई तो अर्चित को बैठा देख पूछती है

" कब आए अर्चित भैया "
अर्चित : बस २० मिनट हुए

सुनीता को लगा अर्चित ने कुछ सुना या देखा तो नही तो एक बार को पूछ लिया

" अरे मुझे पता नहीं चला कि आप आ गए ।

अर्चित कमीनेपन से मुस्कुराते हुए बोला
" कैसे पता चलेगा इतने मजे की आवाज जो आ रही थी आह उह की तो मेरे आने की आवाज नहीं सुनाई दी होगी "

सुनीता बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली

" अरे काहे का मजा हुंह "

अर्चित मुस्कुराते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से एडजस्ट करते हुए बोला " मेरे साथ आइए मजे ही मजे मिलेंगे "

सुनीता हंसते हुए जाते हुए बोली " कही ऐसा ना हो जाए अर्चित भैया "नाम बड़ा दर्शन छोटे "

और वो चली गई और अर्चित गेट लगा कर अपनी पेंट को उतार कर अपने लंड को हिलाते हुए आंखे बंद करके सुनीता के बारे में सोचने लगा। इधर अजिंक्य कॉलेज के बाहर टपरे पर आशी के साथ बैठा हुआ था चाय पीते हुए

आशी : तुम्हे पहले कभी नही देखा मैने कॉलेज में , आज पहली बार देख रही हूं

अजिंक्य : नही मै पिछले ६ दिनों से कॉलेज आ रहा हूं । पर दरअसल मैंने यहां ट्रांसफर लिया है । मै कुसुमनगर कॉलेज से ट्रांसफर लिया है ।

आशी हैरान होते हुए : क्यों । ट्रांसफर क्यू लिया । वहां क्या हो गया था ।

अजिंक्य मुस्कुराते हुए : वहां मेरा झगड़ा हो गया था सीनियर से इसलिए

आशी हंसते हुए : तो मार पड़ने के डर से भाग आए । वाह साहब

अजिंक्य : नही मार पड़ने के डर से नही

आशी : तो किस डर से छोड़ आए वहां से

अजिंक्य नजर झुका कर : वो दरअसल मैंने गुस्से में सीनियर्स पे गोली चला दी थी और एक hod को थप्पड़ मार दिया था । लेकिन मेरे दादाजी वहां रसूख वाले हैंतो मुझे सिर्फ ट्रांसफर किया गया ।

आशी हंसते हुए : यार तुम तो गुंडे बदमाश निकले । शकल से घोंचू दिखते हो ।

ऐसा कह कर दोनो हंसने लगे । टपरे वाले को चाय के पैसे दे कर दोनो पैदल पैदल बस स्टॉप तक आए और विदा ले कर अपने अपने गंतव्य के लिए चल पड़े ।



वर्तमान

इधर दरवाजे पे लगातार घंटी बज रही थी जिससे अजिंक्य की तंद्रा टूटी तो पता चला बाहर गेट की डोरबेल बज रही है । वो उठा और दरवाजा खोला तो वही मैसेज करने वाली लड़की खड़ी थी । वो देखता ही रहा ,आज भी वही मासूमियत , आंखो में मोटा काजल , हॉफ टाई बाल ,और आंखो में गुस्सा ।गेट से अंदर घुसते हुए अजिंक्य के गाल पे थप्पड़ पड़ा ।लड़की को हतप्रभ देखता ही रह गया और बस मुंह से निकला

" अबे आशी ये क्या "


To be continued
nice update..!!
yeh archit toh sunita ko chodne ke chakar me pagal ho rakha hai..aur jab sunita isko chance degi tab jarur yeh naam bade aur darshan chote wale kaam karega aur sunita ko adhura chhod dega..!! aashi aur ajinkya ki bonding achhi ban rahi hai aur ajinkya ne transfer ka reason bhi bata diya lekin aashi ne iss baat par ajinkya ka ulta majak uda diya..!! toh message karnewali ladki aashi hi thi..!!
 

A.A.G.

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गतांक से आगे

PART 5

वर्तमान


" ये थप्पड़ क्यू मारा तुमने "
अजिंक्य लगभग गुस्से से खीझते हुए अपने गाल को सहलाते हुए बोला

"ये थप्पड़ तो उसी समय मारना था जब तुम मुझे छोड़ गए थे " इतना कह कर लगभग अजिंक्य को धक्का दे कर अंदर करके आशी कमरे के दरवाजे को बंद की और अपने साथ लाई झोले को किचन की स्लैब पर रख दी । और सर घुमा कर पूछी

" चाय पियोगे ? "

अजिंक्य अपने जबड़े को हाथ से उधर उधर करते हुए बोला
" पीना तो है पर दूध नही है "
" मैने सिर्फ पूछा है चाय पियोगे या नही , ये नही पूछा के दूध है या नही "

" जी समझ गया मालकिन " कह कर अजिंक्य गया अंदर कमरे में और अपना फोन ले कर उसमे fm शुरू कर दिया ।

" हम तुम कितने पास हैं
कितने दूर हैं चाँद सितारे

सच पूछो तो मन को झूठे
लगते हैं ये सारे "

गाने की यही पंक्ति सबसे पहले सुनाई दी । और इधर आशी किचन में काम करते हुए ये गाने की लाइन सुनी और सर घुमा कर अजिंक्य की तरफ घूर कर देखी और वापस अपने काम पर लग गई । चाय बनाने में लगी हुई थी वो और इधर अजिंक्य का लंड तन रहा था आशी की गोल मटोल गांड देख कर । अजिंक्य ने गौर किया कि आशी का शरीर इन २ ३ सालों में और भर गया है और वो और सेक्सी हो गई है ।
अचानक ही आशी की आवाज ने अजिंक्य को उसकी सोचो से बाहर खींच लाई
" ज्यादा घूरो मत वरना मुंह तोड़ दूंगी "
ये सुन कर अजिंक्य फिर सोचने लग गया कि भेमचोद इस लड़की हर बार बिना देखे कैसे पता लग जाता है कि मैं इसे घूर रहा हूं ।

इतने में आशी चाय ले आती है और एक प्याला इसको थमा कर दूसरा प्याला ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती है । हल्के बादल वाला आसमान था ।लग रहा था आज फिर बारिश होगी ।रात होते होते बारिश शुरू हो जाएगी । इतने में अजिंक्य भी उसके बगल में आ खड़ा हुआ । अपना प्याला बालकनी के दीवार पर रखा और सिगरेट सुलगाने लगा ये देख कर आशी सिगरेट अजिंक्य के मुंह से छिनती है और फेंक देती है बालकनी से नीचे । अजिंक्य कुछ न कह कर एक दूसरी सिगरेट जलाता है और आशी फिर उसे फेंक देती है । अजिंक्य फिर से एक सिगरेट सुलगाने की कोशिश करता है आशी चीख पड़ती है

" मना किया था सिगरेट मत पियो , तुम मानते क्यू नही आखिर "

" आखिर क्यों मानू तुम्हारी बात " अजिंक्य चीखते हुए गुस्से में कहा

आंखो में आंसू लिए आशी कही " क्यू कि मुझे तुम्हारी फिक्र है , क्यू कि मैं तुमसे प्या.... " आगे का वाक्य अधूरा छोड़ आशी अपना प्याला लिए अंदर चली गई किचन में और स्लैब में टिक कर रोने लगी ।
कुछ देर बाहर खड़ा रहा अजिंक्य और फिर अंदर गया और अपने हथेलियों में आशी का चेहरा ले कर बोलता है " सॉरी न , अब से गलती नही होगी "
" किस किस बात के लिए माफी मांगेंगे तुम अजिंक्य ,किस किस बात के लिए आखिर । पता है मैने तुम्हारा कितना इंतजार किया , हर रात मेरी तुम्हारे इंतजार में कटी है । हर रात मैं रोई। ,सिर्फ तुम्हारे लिए । और तुम पता नही कहां थे "
अजिंक्य आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके सर पे चूमते हुए बोला " बस ये समझो धोखा खाने और जिंदगी से लड़ने गया था । अब आ गया हूं , कही नही जाऊंगा "

आशी अजिंक्य की आंखो में देखते हुए बोली " तुम सच बोल रहे हो ना , वादा करो ,खाओ कसम मेरे मरे मुंह की "

" हां बाबा ,कसम खाता हूं अब कही नही जाऊंगा "

" अच्छा चलो अब मुझे देर हो गई है । अंधेरा हो रहा है , मुझे घर जाना है , तुम्हारे लिए खाना लाई थी , खा लेना , मै सुबह जल्दी आ जाऊंगी । "

इतना कह कर आशी निकल गई और पीछे छोड़ गई अजिंक्य के लिए ढेर सारी अतीत की यादें ।

बिस्तर पर लेटा हुआ था कुछ सोचते हुए । बाहर घनघोर बारिश हो रही थी । अजिंक्य बिस्तर से उठा ,अपना सिगरेट का पैकेट उठाया और चल दिया फिर से घाट पर । घाट पर पहुंच कर कुछ देर तो बारिश में बैठा भीगता रहा फिर पानी में उतर में तब तक खुद को डुबोए रखा जब उसकी सांसों ने टूटने का जोखिम न ले लिया । पानी से सर बाहर निकाल कर अजिंक्य बढ़ चला मंदिर की सीढ़ियों पर । वहा जा कर देखा तो वही बाबा बैठा हुआ था और अजिंक्य को ही घूर रहा था । बाबा को देख अजिंक्य ने मुस्कुरा दिया और अपने जेब से पन्नी में रखे पैकेट को निकाल उसमे से सिगरेट सुलगा लिया और एक सिगरेट बाबा को दी

" लो बाबा सिगरेट पियो "
बाबा को सिगरेट और लाइटर कर वही खुद सीढ़ियों पे बैठ कश खींचने लगा

" तुझे मना किया था न यहां मत आया कर , तेरा वक्त नही आया अभी "

बूढ़ा बड़ा आसमान की ओर एकटक देखता हु अजिंक्य को बोला

" बाबा ये जिंदगी भी किसी काम की है भला ,जिसमे घुट घुट कर जीना पड़ रहा है । बस अब तो सोच लिया है या तो मैं jiyunga बदला लेने के लिए या मर ही जाऊंगा। अगर न ले पाया था "
अजिंक्य सिगरेट के धुएं को आसमान में उड़ात हुआ बोला

एक बार फिर बूढ़ा अजिंक्य को देख कर मुस्कुराया और बोला
" बदला लेने से किसका भला हो पाया है "

" मुझे भला नही करना बस सुकून चाहिए । और सकूं तभी मिलेगा जब बदला लूंगा " इतना कह कर अजिंक्य खड़ा हो कर जाने लगा

इतने में बूढ़ा बाबा ने आवाज दे कर कहा

" मुझे कुसुमपुर ले चलेगा ? "
कुसुमपुर नाम सुनते ही अजिंक्य के पैर जहां थे वहीं रुक गए । एक जमाना हुआ इस जगह का नाम सुने हुए । पलट कर सिर्फ इतना ही बोल पाया " कुसुमपुर ? "

" हां कुसुमपुर तेरा तो रिश्ता है ना वहां से । वही जाना है वही मेरी साधना पूरी होगी । और मैं चाहता हूं तुम मुझे अपनी गाड़ी पर बैठ कर छोड़ दे "

इतना कह कर बाबा मुस्कुरा कर उठ खड़े हुए अपना झोला टांगने लगे

" चलो छोड़ देता हूं " अजिंक्य कुछ न कहते हुए बस अपनी बाइक की ओर चल दिया ।

कुसुमपुर एक ६ किलोमीटर की जद में फैला कस्बा । जहां अजिंक्य का बचपन गुजरा और कॉलेज के बीच ३ साल का वक्त गुजरा अपमान ,जिल्लत ,और मौत से सामना करने में । वही कुसुमपुर जहां अजिंक्य ने अपना सब कुछ खो दिया और अब इस अरमान में जिंदा है की बदला ले सके ।

To be continued in next part
nice update..!!
bhai aapne present me yeh bataya ki ajinkya marna chahta hai lekin mar nahi pa raha hai..aur aashi usse milti hai aur woh baba bhi..aur past jo chal raha hai woh present se 6 mahine purana hai aur 6 mahine pehle hi usse aashi bhi usse first time mili thi..toh aap aisa kaise bol sakte ho ki arjun sochta hai 2-3 saal me aashi ka badan aur bhar gaya hai..kyunki aashi se ajinkya 6 mahine pehle hi toh mila hai..!! aur aapne bola hai ki kusumpur me ajinkya ke college ke 3 saal gujre..lekin ajinkya ne toh second year me hi transfer liya tha..toh 3 saal kaise uske kusumpur college me gujare..!!
aap past aur present bata rahe hai toh past kitna purana hai present se yeh achhese batao..abhi kuchh samajh nahi aaraha hai..!!
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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Thodaa likhne me idhar udhar hua hai jise mai ek edit karunga . Ajinkya college se transfer le kar 2nd year me bade shehar aaya tha kusumpur se . Par kisi wajah se beech me hi college chhod kar wo wapas kusumpur chala gaya jo ab 3 saal baad aa raha hai . Aur wartmaan aur ateet ke beech ka samay 3 saal se jyada ka hai . Jo mention karunga aur pichhle updates me edit karunga agar kahi galti hui hai to . Baaki kusumpur me aisa kya hua k padhai beech me chhod kar wo 3 saal ke liye wapas chala gaya tha wo aage clear hoga .

Baaki kahani padh kar apna review dene ke liye bahut bahut dhanywaad 🖤🙏
 
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A.A.G.

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Thodaa likhne me idhar udhar hua hai jise mai ek edit karunga . Ajinkya college se transfer le kar 2nd year me bade shehar aaya tha kusumpur se . Par kisi wajah se beech me hi college chhod kar wo wapas kusumpur chala gaya jo ab 3 saal baad aa raha hai . Aur wartmaan aur ateet ke beech ka samay 3 saal se jyada ka hai . Jo mention karunga aur pichhle updates me edit karunga agar kahi galti hui hai to . Baaki kusumpur me aisa kya hua k padhai beech me chhod kar wo 3 saal ke liye wapas chala gaya tha wo aage clear hoga .

Baaki kahani padh kar apna review dene ke liye bahut bahut dhanywaad 🖤🙏
okay bro..!!
 

Innocent_devil

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गताँक से आगे

अतीत
Part 6 A


धीरे धीरे दिन यूं ही गुजरते गए ,आशी और अजिंक्य के मुलाकातों में इजाफा होने लगा और वो दोनो दोस्त से अच्छे दोस्त में बदल गए । इधर अर्चित की सुनीता बाई को चोदने की प्यास बढ़ते बढ़ते अपने चरम पर आ गई थी । और वो सुनीता को पटाने की हर संभव कोशिश में लगा ही हुआ था कि मौका हाथ लग ही गया।
" सुनीता बाई ,o सुनीता बाई ,कहां रह गई तुम "
हॉस्टल के गेट में घुसते ही अर्चित आवाज लगाने लगा । आज वो कॉलेज से जल्दी बहुत ही जल्दी वापस आ गया था । और वजह ये थी कि सुनीता बाई का पति आज ही ३ दिनों के लिए गांव गया था ।

कमर से अपनी निकली हुई साड़ी को वापस खोंसते हुए बाहर आई । सीने से पल्लू हट कर साइड में हो गया था। और छोटे कच्चे आम के आकार के बराबर उसकी चूंचियां नुमाया होने लगी पतले कपड़े के ब्लाउज में ।

" का हुआब,काहे ऐसा चिल्ला रहे हो । "

"अरे सुनीता बाई आओ तो सही "
और ऐसा कह कर अर्चित सुनीता का हाथ कलाई से पकड़ कर अपने रूम में ले गया और बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर उसके हाथो में रख दिया
" ई का है भैया "
सुनीता चौंक कर पूछी

अजिंक्य मुस्कुराते हुए खुश हो कर बोला
" आपके लिए गिफ्ट । खोल कर तो देखिए "

सुनीता ने डिब्बी खोली तो उसमे बहुत सुंदर मोर के डिजाइन वाले कान के बूंदे थे । वो एक पल आश्चर्य से अर्चित को देखती और फिर उन बुंदो को देखती ।
" बहुत महंगे है अर्चित भैया हम न ले पाएंगे ,ये जो वापस कर दो "
" नही सुनीता ये आपके लिए ही है , नही पहनना है तो फेंक दीजिए बाहर कचरे में पर वापस न ले पाऊंगा मैं "

अर्चित मुंह फूला कर एक साइड में होते हुए बोला ।

" पर काहे ले कर आए ये हमारे लिए ये बताओ बस "

सुनीता बस एकटक अर्चित की ओर देख कर पूछ रही थी क्यू कि उसे विश्वास नहीं हो रहा था । आज तक उसके पति ने भी उसके लिए एक साड़ी भी ली थी । बस एकटक अर्चित को देख कर उसके जवाब की राह देख रही थी।
और अर्चित कुछ देर जाने कहां देखता रहा फिर बोलना शुरू किया

वो बात ये है कि जब से मैं यहां आया हूं मुझे तुम पसंद आ गई सुनीता बाई । पसंद नही बहुत पसंद आ गई । तुम्हारे अलावा कुछ दिखता भी नही मुझे । और तुम्हारे ये सुन कान बहुत खलते थे मुझे , टीस उठती थी । इसलिए आज ये ले लिए ।

ये सुनते ही सुनीता के कजरारी आंखो से मोटे मोटे आंसू छलक उठे ।


To be continued

Raat me karta hun aage ka update
 
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