Sanju@
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for the new one priya ji prolog sandar hai dekhte hai aage aap Kon kon se rango ko ham padhko ke sammukh pradarshit Karti hai or Usme kitna Kamyab hoti hain...यह कहानी एक ऐसे लड़के की है जो अपने परिवार का प्यार पाने केलिए बहुत सारे गलत काम करता है। लेकिन फिर भी कोई प्यार नही मिल पाता। अंतिम में उसकी हत्या उसकी मंगेतर और उसके सौतेले भाई ने मिलकर कर दी। और उसकी आत्मा एक अलग लड़के के शरीर में समा गई।
क्या वह अपने साथ हुए इस नाइंसाफी ले पाएगा?? कैसे लेगा अपने साथ हुए नाइंसाफी का बदला???
Notes: वैसे मुझे कहानी लिखने की ज्यादा कोई अनुभव नहीं है इसके लिए आप सबको मुझे कहानी में कही कोई गलती हुई तो क्षमा करे। और उसे बताइएगा जिससे हम अपनी कहानी को सुधार सके।
Kya khubsurati ke sath likha hai aapne or prolog me kah rhi thi Aap ki likhna nhi aata, Aap to swayam ko kahut kam aank rhi ho priya ji, Aap behtreen writer hain,अध्याय 01 धोखा
अरब सागर मुंबई से 300 नॉटिकल मिल दूर समुंद्र में
“आरुष….. अब तुम हमसे बच कर कहा जाओगे……” एक लड़की की एक ठंडी आवाज जब ship के किनारे खड़ा गंभीर रूप से घायल आरुष के कानो में पड़ी तो मानो जैसे उसकी दुनिया ही उजड़ गई हो। वह एकटक उस लड़की को देखता ही रह गया।
आज वह अपनी मंगेतर आयुषी खुराना और अपनी सौतेले भाई रजत भाटिया के साथ एक मिशन से लौट रहा था। यह उसकी शादी से पहले की आखिरी मिशन था। उसके पिता महेंद्र भाटिया ने वादा किया था की अगर वह इस मिशन को पूरा कर देता है तो उसकी शादी आयुषी से हो जायेगी। वह बहुत ही खुश और नर्वश था। इसी खुशी में वह आज जब अपनी मंगेतर के रूम में गया तो उसे आयुषी ने पहले तो खूब सारा wine पीला दिया जब आरुष पूरे नशे में था तब रजत कमरे में आया। उसने नशे में धुत आरुष पर हमला कर दिया।
आरुष अपने परिवार के लिए वह बिजनेस में होने वाले सारे काले कारनामों को किया करता था। उसे जन्म से ही एक मोहरा बनाकर पाला गया था। उसको बचपन से ही भाटिया खानदान द्वारा अच्छी मार्शल आर्ट ट्रेनिंग मिली थी। वह भाटिया परिवार केलिए एक प्रोफेशनल किलर से कम नहीं था।
लेकिन भाटिया परिवार को एक बात पता नही थी की आरुष एक काबिल डॉक्टर भी था। वह एक सर्जन के साथ साथ उसने आयुर्वैदिक चिकित्सा पढ़ती पर भी अपनी गहरी धाक जमा रखी थी। यह बात उसने अपनी मंगेतर को भी नही बताई जिसे वह अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था।
"आयुषी…… यह तुम कैसे कर सकती हो।" आरुष को अपनी कानो पर यकीन नही हो रहा था की उसको जान से भी ज्यादा प्यार करने वाली यह लड़की अभी अभी क्या बकवास किए जा रही है। यह बात उसने अपनी कमजोर आवाज में आयुषी से पूछा।
"तुमने जो सुना वह सच सुना मेरे प्यारे मंगेतर…" इतना कहकर आयुषी रजत की तरफ मुड़ी। "बेबी इसे जल्दी से खत्म करो ना… हमारा रोमांस का समय बर्बाद हो रहा है।" इतना कहकर वह रजत को किस करने लगी। वही पास खड़ा आरुष सबकुछ समझने की कोशिश कर रहा था।
आरुष आयुषी से पांच साल पहले अपने परिवार के फंक्शन पर मिला था। तब उसे आयुषी से प्यार हो गया था। उसके एक बार इजहार से ही आयुषी मान गई थी। लेकिन आज उसे पता चला की सब एक गहरी साजिश थी।
"जानते हो मेरे प्यारे भाई…. मेंने आयुषी से पार्टी में शर्त लगाई थी की अगर वह तुम्हे अपने प्यार में पूरी तरह पागल कर दे तो मैं उससे शादी करने केलिए राजी हो जाऊंगा।" रजत जब कुछ देर बाद जब आयुषी से अलग हुआ तो आरुष की ओर देखते हुए बोला। और उसने पूरी सच्चाई भी बताई। और आखिर में कहा "यह तुम्हारी जिंदगी की आखिरी मिशन है भाई अब आप जाकर आराम करो।"
इतना सुनते ही आरुष अंदर तक टूट गया। मतलब सब कोई उससे इतना नफरत करता था। आजतक अपने परिवार से प्यार पाने केलिए उसने न जाने कितने गलत काम किए थे लेकिन आज उसे पता चला की सब एक फरेब था। वह अब जीना नही चाहता था।
"अगर मैं किसी भी तरह जिंदा बच गया तो उसी दिन से ही तुम्हारी उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।" इतना कहते ही वह जहाज से समुंद्र में छलांग लगा दिया। जैसे जैसे वह समुंद्र की गहराइयों में जाता गया वह बेहोश होने लगा। और उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म होने लगी। उसके चारो ओर अंधकार फैलने लगा।
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To arush ki atma shaurya Varma ke Sharir me aa gyi hai uske Marne ke baad, dono hi bando ko dhokha mila hai or ab arush ban gya hai shaurya or uske dushmano ki ab khair nhi...अध्याय 02 : पुनर्जन्म
मनाली लाइफ केयर हॉस्पिटल
"मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा रजत भाटिया। हर एक से गिन गिन कर बदला लूंगा।" आरुष को जैसे ही होश आता है वह अपने मन में सोचने लगता है….
"Huh मैं कैसे सोच सकता हू मै तो समुंद्र में कूद गया था न यानी की मै जिंदा हूं। हा हा हा…." आरुष मन ही मन सोचता है उसने अपनी आंखे खोलने की कोशिश की लेकिन उसे बहुत ही तेज सिर दर्द होने लगा। उसके दिमाग में एक लड़के की पूरी जिंदगी चलने लगी थी। करीब एक घंटे बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ। उसने अपनी आंखे खोलकर देखा तो उसके बगल में एक लड़की उसका हाथ पकड़े सोई हुई थी। उसके सामने एक बड़ी सी TV पर एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी।
एंकर जोर जोर से बोल रहा था "मुंबई की जाने माने बिजनेसमैन महेंद्र भाटिया के बेटे आरुष भाटिया की समुंद्र में मौत हो गई। उनकी हत्या उनके ही भरोसेमंद साथी रानी मल्होत्रा ने की है। पोस्टमार्टम में पता चला है की उनपर रानी ने अपनी बंदूक से पांच गोलियां चलाई थी। उसके बाद उन्होंने खुद ही अपनी बंदूक से अपनी हत्या कर ली। और दोनो समुंद्र में कूद गए।"
यह सुनते ही आरुष की आंखे नम हो गई। रानी उसकी बहन की तरह थी। उसकी भी हत्या सबने मिलकर कर दी। उसने बगल से TV की रिमोट उठाई और टीवी को बंद कर दिया।
आरुष अपने आप को शांत करता है। फिर वह वर्तमान के बारे में सोचने लगता हैं। वह अभी जिस लड़के के शरीर में था उसका नाम शौर्य वर्मा था। उसका परिवार एक मिडिल क्लास फैमिली से belong करती थी। कल उसका अठारहवां जन्मदिन था। उसके परिवार में कुल 8 लोग थे। उसके माता पिता, और पांच बड़ी बहने। वह नीलम नाम की एक लड़की से प्यार करता था जो उसके ही क्लास में पढ़ा करती थी।
फ्लैसबैक
कल रात उसने अपने जन्मदिन की पार्टी रखी थी। जिसमे अपने दो दोस्त रोहन, सोहन और साथ ही नीलम को भी बुलवाया था। रोहन एक हाई क्लास परिवार का लड़का था। वही सोहन और नीलम मिडिल क्लास परिवार से थे।
शौर्य दिखने में ज्यादा हैंडसम नहीं था थोड़ा सांवला ही था। लेकिन उसके नैन नक्श बहुत ही अच्छे थे। वह और नीलम एक दूसरे से बहुत ही प्यार करते थे। लेकिन आज की पार्टी में कुछ देर केलिए नीलम और रोहन गायब हो गए थे। जब उसने सोहन से पूछा तो उसने उसे बताया की नीलम घर के पीछे गार्डन में गई है। वह भी वहा चला गया। घर के पीछे एक छोटा सा गार्डन था। वहा पर रोहन और नीलम एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले बैठे हुए थे।
"नीलू अब कब तक उस चपरगंजू के साथ रहेगी। छोर दे ना उसको और मैं तुमसे शादी करने केलिए तैयार हूं।" रोहन नीलम से बोलता है।
"रोहन तुम जानते हो उससे मुझे क्या काम है। मैने तो उसे अपने नोट्स बनाने केलिए साथ रखा है। वह एक मजदूर की तरह हम सभी के नोट्स बनाता है। इतना अच्छा मजदूर हम कहा ढूंढ कर लायेंगे।" इतना कहकर वह रोहन के होंठो पर एक किस कर देती है। और बोलती है "उसकी तो अभी तक हिम्मत ही नहीं हुई है मुझे एक किस भी कर सके। वह कहता की यह सब हम शादी के बाद करेंगे। हा हा हा…."
शौर्य उनकी बात सुनकर आग बबूला हो गया। अभी दोनो कुछ और बोलते पीछे से शौर्य ने एक मुक्का रोहन के कंधे पर मारा। जिससे रोहन दर्द से बिलबिलाता वहा से निकल गया।
वही शौर्य गुस्से से नीलम के पास गया और उसको एक थप्पड़ मारा। वह उसके चेहरे को पकड़कर उसको बुरी तरह किस करने लगा। शौर्य नीलम के कंधे को पकड़ा और उसके ड्रेस को कंधे से फाड़ते हुए बोला। "कितने पैसे लेगी यह सब करने के लिए बोल……"
"शौर्य मुझे छोड़ दो… मैं तुमसे हाथ जोड़कर कहती हूं।"
"बोल ना कितने पैसे चाहिए।" शौर्य अपना गुस्सा में सब कुछ भूल चुका था की वह कहा है और क्या कर रहा है आज उसके विश्वास को तोड़ा गया था।
उधर सोहन पार्टी में जाकर सबको गार्डन भेज देता है की शौर्य सबको पीछे बुला रहा है। जब सभी आ ही रहे थे की उन्हे दर्द में रोहन दिखाई देता है। पूछने पर रोहन बताता है की शौर्य नीलम के साथ बदतमीजी कर रहा था जब मैंने उसे समझने की कोसिस की तो उसने मुझे मुक्का मार दिया। जल्दी चलिए और नीलम को बचा लो वरना पता नहीं वह क्या करेगा।
सब जल्दी जल्दी वहा पहुंचे तो उनके कानो में शौर्य की गुस्से भरी आखिरी वाक्य पड़ी। जब सबने यह सुना तो सब लोग शौर्य को पीटने लगे केवल एक को छोड़कर वह थी प्रिया शौर्य की पांचवी बहन और उससे एक साल बड़ी।
प्रिया अपने भाई से बहुत प्यार करती थी। वह थोड़ी मोटी और सावली थी। उसे शौर्य पर पूरा भरोसा था। उसे दुख तो हुआ की उसके भाई ने ये शब्द कैसे बोले लेकिन वह अपने भाई को सबसे अच्छे से जानती थी। उसने आते हुए शौर्य के आंखो में आंसू देख लिए थे। उसे पता था की कुछ तो जरूर हुआ होगा इसीलिए शौर्य ने अपना आपा खो दिया है।
प्रिया बचपन से ही थोड़ी मोटी और सावली थी इसलिए उसके साथ कोई भी नही खेला करता उसकी चारो बहने गोरे थे। जब शौर्य का जन्म हुआ तो वह भी सांवला था। उसे भी कोई प्यार नही करता था। इसीलिए शौर्य बचपन से ही प्रिया के साथ खेलता था। प्रिया को पता था की अभी उसके बोलने से कोई फायदा नही है। घर में कोई भी शौर्य या उसकी बात नही सुनेगा। वह यह भी जानती थी की शौर्य को लोग बहुत बुरी तरह घायल करेंगे।
प्रिया अपने घर की तरफ तेजी से भागी। उसने अपने कार की चाभी, एटीएम कार्ड लिए। उसने शौर्य और अपने सारे डॉक्यूमेंट्स एक बैग में पैक किए साथ ही वह कुछ कपड़े भी पैक कर लिए थे। वह भागते हुए नीचे आई। उसने देखा की शौर्य को अभी भी सब मार रहे है। उसने सबको अलग किया। वह शौर्य को ले जाते हुए बोली "आपलोगो ने मेरे भाई के साथ जो किया है उसका फल ईश्वर आपको जरूर देगा। मैं घर छोड़कर जा रही हू। आप लोग रहिए इस घर में।" इतना बोलकर प्रिया वहा से निकल गई।______
शौर्य के सर में बहुत तेज चोट के कारण उसकी मौत सुबह ही हो गई थी और आरुष की आत्मा उसमे आ गई थी। आरुष ने अपने आप से कहा आज से वह शौर्य की जिंदगी जिएगा। उसकी सारी तकलीफ मेरी होगी। आज से आरुष दुनिया केलिए मार गया और रह गया तो शौर्य वर्मा!!!
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To dono bhai bahan apna sahar chhod kr dilhi pahuch gye hai or ab yha se apna nya safar suru karne vale hai Dekhte hai kya kya samasyao ka samna karna padta hai...अध्याय 03: सफर
"भाई भाई…… डॉक्टर देखो ना भाई को क्या हो गया है वह बोल क्यों नहीं रहा है।" जब प्रिया शौर्य को ऐसे आंखे खोले हुए देखती है तो वह शौर्य को आवाज लगती है। लेकिन जब शौर्य कोई जबाव नहीं देता तो उसे अपने भाई केलिए डर लगने लगता है।
"दीदी मैं ठीक हूं। अब चलो यहां से।" शौर्य अपनी सोच में आते हुए प्रिया से बोलता है।
"थैंक गॉड तुम ठीक हो। वरना मैं क्या करती।" प्रिया बोली। "एक बार चेकअप करवा ले भाई फिर चलते है।"
"ठीक है" शौर्य बोलता है। फिर कुछ सोचकर "दीदी हमलोग तो घर छोड़कर चले आए अब हम कहा जाएंगे।"
"भाई अब मनाली में रहने का मेरा मन नही करता चलो कहीं और चलते है।"
"ठीक है दीदी!!" शौर्य इतना कहता है की डॉक्टर आ जाते है।
डॉक्टर चेकअप करने के बाद "यह बिलकुल ठीक है। इसे कुछ नही हुआ है। आप इन्हे ले जा सकती है। बस खाने पीने का ध्यान रखिएगा।"
यह सब बताकर डॉक्टर वार्ड से बाहर चला गया। शौर्य प्रिया की मदद से हॉस्पिटल से बाहर आकर कार में बैठ जाता है।
प्रिया कार चलाने लगती है। वह कार अपने और शौर्य के स्कूल की तरफ ले जाती है। उसे ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने थे। कुछ देर बाद जब प्रिया स्कूल पहुंचती है तो करीब दोपहर के एक बज चुके थे। वह शौर्य को कार में बिठाकर प्रिंसिपल ऑफिस चली जाती है। जब प्रिंसिपल को पता चलता है की दोनो स्कूल छोड़कर जा रहे है तो उसे बहुत ही बुरा लगता है। क्योंकि दोनो स्कूल के टॉप स्टूडेंट थे।
प्रिया आकर कार में बैठ जाती है। तब शौर्य उससे पूछता है "हम कहा चल रहे है।"
"पहले तो खाना खाने उसके बाद ही फिर सोचेंगे।" प्रिया चुप हो जाती है। कुछ देर बाद प्रिया कार एक ढाबे के पास रोकती है। वहा से खाने का पैकेट और पानी की बोतल लेकर प्रिया फिर कार में आ बैठती है। दोनो साथ खाना खाते हैं। प्रिया खाते वक्त कुछ सोच रही थी।
"दीदी आपने कुछ सोचा की हम कहा जाएंगे।" शौर्य प्रिया से एक बार फिर पूछता है।
"भाई जब हमारे सामने सब रास्ते बंद हो जाते है न तो ईश्वर हमे कोई न कोई रास्ता दिखा ही देता है। चलो चलते है, सायद कुछ देर में हमे कोई रास्ता मिल जाए।" प्रिया शौर्य को इतना व्याकुल देख उसे समझाती है। "तुम इस सब के बारे में मत सोचो अभी तुम्हे आराम करना चाहिए।"
प्रिया रातभर हाईवे पर गाड़ी चलती रही। पता नही कितने सहर पार कर चुके थे। जब कुछ सुबह हुई तो उसने कार एक पार्क के बाहर खड़ी कर दी और वही सोने लगी। उसकी नींद 11 बजे खुली। उसने फिर गाड़ी आगे बढ़ाई और एक होटल के सामने रोका। उसने रिसेप्शन पर जाकर एंट्री की। फिर वह शौर्य के साथ रूम में चली गई।
दोनो नहा धो कर तैयार हो कर नीचे आए। उन्होंने होटल के रेस्टोरेंट में ही अपना खाना खाया और फिर आराम करने लगे। उनकी नींद शाम को खुली। पता करने पर उन्हें मालूम हुआ की वे लोग रातभर ड्राइव करते हुए दिल्ली में है।
दोनो ने एक रात और होटल में रुकने का फैसला करते है।
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Nicely updatesअध्याय 03: सफर
"भाई भाई…… डॉक्टर देखो ना भाई को क्या हो गया है वह बोल क्यों नहीं रहा है।" जब प्रिया शौर्य को ऐसे आंखे खोले हुए देखती है तो वह शौर्य को आवाज लगती है। लेकिन जब शौर्य कोई जबाव नहीं देता तो उसे अपने भाई केलिए डर लगने लगता है।
"दीदी मैं ठीक हूं। अब चलो यहां से।" शौर्य अपनी सोच में आते हुए प्रिया से बोलता है।
"थैंक गॉड तुम ठीक हो। वरना मैं क्या करती।" प्रिया बोली। "एक बार चेकअप करवा ले भाई फिर चलते है।"
"ठीक है" शौर्य बोलता है। फिर कुछ सोचकर "दीदी हमलोग तो घर छोड़कर चले आए अब हम कहा जाएंगे।"
"भाई अब मनाली में रहने का मेरा मन नही करता चलो कहीं और चलते है।"
"ठीक है दीदी!!" शौर्य इतना कहता है की डॉक्टर आ जाते है।
डॉक्टर चेकअप करने के बाद "यह बिलकुल ठीक है। इसे कुछ नही हुआ है। आप इन्हे ले जा सकती है। बस खाने पीने का ध्यान रखिएगा।"
यह सब बताकर डॉक्टर वार्ड से बाहर चला गया। शौर्य प्रिया की मदद से हॉस्पिटल से बाहर आकर कार में बैठ जाता है।
प्रिया कार चलाने लगती है। वह कार अपने और शौर्य के स्कूल की तरफ ले जाती है। उसे ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने थे। कुछ देर बाद जब प्रिया स्कूल पहुंचती है तो करीब दोपहर के एक बज चुके थे। वह शौर्य को कार में बिठाकर प्रिंसिपल ऑफिस चली जाती है। जब प्रिंसिपल को पता चलता है की दोनो स्कूल छोड़कर जा रहे है तो उसे बहुत ही बुरा लगता है। क्योंकि दोनो स्कूल के टॉप स्टूडेंट थे।
प्रिया आकर कार में बैठ जाती है। तब शौर्य उससे पूछता है "हम कहा चल रहे है।"
"पहले तो खाना खाने उसके बाद ही फिर सोचेंगे।" प्रिया चुप हो जाती है। कुछ देर बाद प्रिया कार एक ढाबे के पास रोकती है। वहा से खाने का पैकेट और पानी की बोतल लेकर प्रिया फिर कार में आ बैठती है। दोनो साथ खाना खाते हैं। प्रिया खाते वक्त कुछ सोच रही थी।
"दीदी आपने कुछ सोचा की हम कहा जाएंगे।" शौर्य प्रिया से एक बार फिर पूछता है।
"भाई जब हमारे सामने सब रास्ते बंद हो जाते है न तो ईश्वर हमे कोई न कोई रास्ता दिखा ही देता है। चलो चलते है, सायद कुछ देर में हमे कोई रास्ता मिल जाए।" प्रिया शौर्य को इतना व्याकुल देख उसे समझाती है। "तुम इस सब के बारे में मत सोचो अभी तुम्हे आराम करना चाहिए।"
प्रिया रातभर हाईवे पर गाड़ी चलती रही। पता नही कितने सहर पार कर चुके थे। जब कुछ सुबह हुई तो उसने कार एक पार्क के बाहर खड़ी कर दी और वही सोने लगी। उसकी नींद 11 बजे खुली। उसने फिर गाड़ी आगे बढ़ाई और एक होटल के सामने रोका। उसने रिसेप्शन पर जाकर एंट्री की। फिर वह शौर्य के साथ रूम में चली गई।
दोनो नहा धो कर तैयार हो कर नीचे आए। उन्होंने होटल के रेस्टोरेंट में ही अपना खाना खाया और फिर आराम करने लगे। उनकी नींद शाम को खुली। पता करने पर उन्हें मालूम हुआ की वे लोग रातभर ड्राइव करते हुए दिल्ली में है।
दोनो ने एक रात और होटल में रुकने का फैसला करते है।
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