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अनंगवती नीचे आयी तो उसका कमरा पूरा साफ और सजा हुआ था। अनंगवती ये देखके खुश हुई और मुस्कुराती हुई बिस्तर पर लेट गयी। वो सोचती रही कल रात से अभी तक की सभी घटनाओं को और कुछ ही देर में सुलोचना ने आवाज़ देके उसके ख्यालों में खलल डाला।
अनंगवती अपनी माँ के पास नीचे चली गयी और उधर कबीर गाड़ी भगा रहा था उसे जल्दी घर पहुंचना था की तभी उसका मोबाइल बजा।
फ़ोन स्वीटू का था जिसे कबीर ने उठाया और बात की।
कबीर - हाँ बेटू बोल...
स्वीटू - कहाँ रह गए आप... स्कूल भी जाना है।
कबीर - हाँ आया... बस रास्ते में हूँ...
स्वीटू - ठीक है...
कबीर फटाफट घर पहुंचा और तैयार होके नीचे आया। कबीर और स्वीटू दोनों ने नाश्ता किया और निकल गए स्कूल के लिए। लेकिन कबीर को पहले सारा को भी लेना था तो उसने अपने दूसरे घर की तरफ गाड़ी मोड़ दी।
स्वीटू कबीर को देख के बोली -
स्वीटू - ये कहाँ जा रहे हो... स्कूल नही चलना क्या।
कबीर - हाँ स्कूल ही जा रहे हैं मगर पहले तेरी मैडम तो उठा लें। वो साथ में ही आती जाती हैं।
स्वीटू - अच्छा समझ गयी।
कबीर - बढ़िया है।
कबीर ने घर के बाहर गाड़ी लगायी और बोला -
कबीर - स्वीटू तू बैठ... मैं लेके आया।
स्वीटू - ओके
कबीर घर गया और सारा को आवाज़ लगायी।
सारा जैसे ही बाहर आयी, वो कबीर के गले लग गयी तो कबीर बोला -
कबीर - अभी टाइम नही है... स्कूल चल वहीं कुछ समझ लेंगे।
सारा - जी मालिक।
कबीर - जल्दी कर मैं गाड़ी में इंतेज़ार कर रहा हूँ और स्वीटू भी आयी है।
सारा - वो आपकी बहन है ना मालिक।
कबीर - हाँ क्यों...
सारा - तो वो मेरी मालकिन हुई क्या।
कबीर - नही... अभी तक तो नही... फिलहाल तो तू मेरी है। अब जा और वो खिमार और स्कर्ट पहन के आ जा जल्दी।
सारा - जी मालिक।
सारा तैयार होके आयी तो स्वीटू उसे हैरानी से देख रही थी। सारा का ये हुलिया और नाम मात्र के कपड़ों में हिलते उसके स्तन और चूतड बड़े ही अजीब लग रहे थे मगर वो देखते ही समझ गयी की ये कबीर का किया धरा है ।
स्वीटू और सारा ने एक दूसरे को नमस्ते किया और तीनों स्कूल निकल गए ।
उधर स्कूल में पहुँच के स्वीटू और कबीर ने क्लास में जाके अपना बैग रखा । स्वीटू असेंबली में चली गयी और कबीर प्रिंसिपल के पास गया ।
कबीर - नमस्ते सर ।
प्रिंसिपल - आओ बेटा कबीर... बताओ कुछ काम था क्या...
कबीर - सर वो सारा मैडम को कल कुछ बच्चे छेड़ने की कोशिश कर रहे थे । मैं तो नही जानता कौन थे और शायद मैडम भी नही जानती उन्हें । मैडम ने मुझे बताया इस बारे में तो मैंने उन्हें उनके मुसलमानी लिबास में आने को कहा है ।
प्रिंसिपल - मगर बेटा... हमारे यहाँ तो... कोई भी टीचर ये सब नही पहनता है ।
कबीर - सर अब मैडम काफी परेशान थी तो बोल दिया । आप बस स्कूल का देख लो बाकी मामा को मैं संभाल लूंगा ।
प्रिंसिपल - पक्का ना बेटा... मेरी नौकरी को खतरे में मत डलवा देना ।
कबीर - अरे नही सर... मेरे रहते आपको कुछ नही होगा ।
प्रिंसिपल - ठीक है बेटा ।
बाहर असेंबली शुरू होने वाली थी और कबीर ने सारा को फ़ोन करके अपनी क्लास में बुलाया ।
सारा के आते ही कबीर बोला -
कबीर - मैंने बात कर ली है प्रिंसिपल से । अब से तू रोज़ इन कपड़ों में स्कूल आ सकती है । कोई तुझे कुछ नही बोलेगा ।
सारा - थैंक यू मालिक ।
कबीर - चल आजा अब अपना काम शुरू कर ।
सारा ने अपने बदन को कपड़ों से आज़ाद किया और कपड़े टेबल पे रख के कबीर के पास आयी और उसे चूमने लगी ।
कबीर ने सारा को बोला -
कबीर - रुक जा सारू । आज कुछ अलग करते हैं कुछ नया...
सारा बस चुप चाप कबीर को देखती रही । कबीर उसका हाथ पकड़ के बाहर लाया और उसे नीचे ले जाने लगा ।
सारा को घबराहट होने लगी वो डरते हुए बोली -
सारा - मालिक... नीचे...
कबीर - हाँ... बड़ा मज़ा आएगा... असेंबली भी पास से देखेंगे...
सारा - मालिक... अगर किसी ने देख लिया... मेरे कपड़े भी ऊपर हैं...
कबीर - कुछ नही होगा... चल जल्दी...
कबीर सारा को लेके नीचे आया और बिल्डिंग के एक कोने में सारा के साथ छुपके खड़ा हो गया ।
कबीर - देख यहाँ से हम सबको देख सकते हैं और किसी को पता भी नही है की हम यहाँ है । चल शुरू कर...
सारा को डर तो लग रहा था मगर उसे कबीर की बात भी माननी थी तो उसने कबीर को चूमना शुरू किया ।
सारा कबीर के होठों को चूमती जा रही थी और कबीर उसके स्तनों को और उसकी गांड को दबा रहा था । कबीर ने उसकी जीभ को अपने मुँह में लिया और उसे अपने मुँह में भरके चूमने लगा ।
सारा के मुँह की लार कबीर के मुँह में जा रही थी और वो उसे पी रहा था । फिर कबीर ने उसके मुँह को छोड़ा और उसके स्तनों को दबाते हुए उसकी गार्डन चाटने लगा ।
सारा उम्म... उम्म कर रही थी । कबीर ने उसके स्तनों को ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू किया और उसकी गार्डन को दांतो से काटना शुरू किया ।
सारा को दर्द हो रहा था और उसे मज़ा भी आ रहा था । वो दर्द में कराहने लगी ।
सारा - ओह्ह्ह मालिक... धीरे काटो... दर्द हो रहा है... आह मालिक...
मगर कबीर ने उसकी एक ना सुनी और सारा की गार्डन पे अपने लाल लाल निशान छोड़ दिए ।
इस तरह पूरे स्कूल के इतने नज़दीक और बेपर्दा खड़े होकर चुदाई का आनंद लेने से सारा की चूत भी दिल खोल कर बह रही थी । वो कभी कबीर को देखती जो मस्ती में उसके नंगे बदन के एक एक अंग को निचोड़ रहा था तो कभी अपने स्कूल के सभी टीचर्स ओर बच्चों को देखती । सारा का मज़ा और उसकी हवस बढ़ती ही जा रही थी ।
कबीर ने सारा के स्तन मुँह में भरे और उन्हें दबा दबा के चूसने लगा । सारा उसके सर पे हाथ फेरते हुए उसे अपनी छाती पर दबा रही थी और आह... मालिक... और चूसो मालिक बोलती जा रही थी ।
कबीर ने सारा को नीचे बिठाया और उसके पूरे चेहरे पे अपना लंड रागड़ने लगा ।
कबीर अपना लंड पकड़ के सारा के गालों पे मारता तो कभी उसके होठों पे । सारा से भी रहा ना गया और उसने मुँह खोल कर कबीर का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी । सारा कबीर का लंड अपने गले तक लेके चूस रही थी और सब तरफ बस ऑ... ऑ... ऑ... और उम्म... उम्म... की आवाज़ें गूँज रही थी । कबीर का पूरा लंड सारा की थूक से सन गया था और वो थूक सारा के मुँह से नीचे गिरके उसके बदन को चमका रहा था ।
कबीर अपनी आँखें बंद किये चुसाई का मज़ा ले रहा था और बोल रहा था -
कबीर - आह... मेरी रंडी रानी... ओह्ह्ह... सारू रांड... चूसती रह... वाह... क्या मक्खन जैसा मुँह है तेरा.... आह... मेरा लंड फिसल फिसल जा रहा है... उफ्फ्फ...
कबीर झड़ने वाला था तो उसने सारा को खड़ा किया और नीचे बैठके एक टांग अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत चाटने लगा ।
सारा चिल्लायी - आह मालिक... खा जाओ मेरी चूत को... बहुत रोती है साली... ओह्ह्ह मालिक... और चाटो उसे...
कबीर ने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और उसे लंड की तरह अंदर बाहर करने लगा । सारा ने कबीर का सर कस कर पकड़ लिया और आँखें बंद कर ली ।
कबीर अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदते हुए उसकी गांड पे मारता भी जा रहा था ।
सारा इस मीठे मीठे दर्द के एहसास में मरी सी जा रही थी । कबीर ने सारा की गांड में ऊँगली घुसाई तो सारा एक दम से उछल गयी और कबीर की ज़ुबान और अंदर तक उसकी चूत में चली गयी ।
सारा का इस हालत में खड़े रहना मुश्किल हो रहा था । वो झड़ने के करीब थी और उसके पैर काँपने लगे थे । कबीर ने सारा की चूत के दाने को ज़ोर से काटा तो सारा दर्द में चिल्लायी -
सारा - आअह्ह्ह्ह... मालिक... मर गयी... या अल्लाह... बचाओ मुझे... धीरे मालिक... आह...
सारा को जैसे ही होश आया उसकी गांड फटने लगी की किसी ने उसकी चीख तो नही सुन ली । मगर उसकी किस्मत अच्छी थी की असेंबली के शोर में उसकी आवाज़ दब गयी थी ।
कबीर ने भी सारा की चूत को चाटते हुए दो तीन बार उसकी चूत के दाने पे हमला किया और सारा झड़ने लगी ।
सारा - मैं आ रही हूँ... ओह्ह्ह मालिक... पकड़ो मुझे... आह... मैं गिर जाउंगी... उफ्फ्फ... पी जाओ मालिक... खाली कर दो मेरी चूत को.... उह्ह्ह...
कबीर सारा की चूत से निकला वीर्य चाट के खड़ा हुआ तो सारा हांफ रही थी और उसका पूरा शरीर काँप रहा था ।
कबीर ने सारा की एक टांग उठायी और अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया ।
सारा - नही... आह... मर गयी... धीरे... आहहह...
कबीर उसे पूरी रफ़्तार से चोदता रहा मगर कुछ ही देर में सारा को खड़े खड़े दर्द होने लगा ।
सारा - मालिक... अब और नही खड़ी रह पाऊँगी... आह... पैर दुखने लगे... आह मालिक...
कबीर ने सारा को कमर से झुका के घोड़ी बनाया और उसके दोनों स्तनों को पकड़ के पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया ।
सारा के लिए ये थोड़ा आराम दायक था । कबीर उसे ऐसे ही चोदता रहा और बेरहमी से उसके स्तनों को मसलता रहा ।
लगभग 10 मिनट की चुदाई में सारा दुबारा झड़ने लगी और सारा के झड़ते ही कबीर ने अपना लंड निकाल लिया और सारा को नीचे बिठा के अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया । कुछ ही धक्कों में कबीर के लंड ने अपना वीर्य उगलना शुरू किया और वो सारा के मुँह में झड़ता चला गया ।
सारा कबीर का वीर्य पी के खड़ी हुई और कबीर को बाहों में भर लिया ।
करीब 2 मिनट ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में खड़े रहने के बाद कबीर बोला -
कबीर - मज़ा आया सारू...
सारा - मालिक... ये तो बहुत ही मज़ेदार था । हम ऐसा रोज़ करेंगे ।
कबीर - हाँ करेंगे... और तुझे तो अभी और भी मज़े देने हैं ।
सारा - जी मालिक ।
कबीर - अब चल क्लास में ।
सारा - जी मालिक ।
जैसे ही वो जाने लगे तो घंटी बज गयी और कबीर और सारा ने दौड़ लगायी और क्लास में आये ।
सारा ने अपना खिमार पहना और जैसे ही वो स्कर्ट पहनने गयी तो कबीर ने उसे खींच लिया ।
सारा - मालिक... स्कर्ट तो दे दो... मेरी पूरी टाँगे नंगी हैं ।
कबीर - अरे तू ऐसे ही सुन्दर लग रही है...
सारा - मालिक कोई देख लेगा...
कबीर - कोई नही देखेगा... एक काम कर आज अपनी कुर्सी पे बैठे बैठे पढ़ाना सबको । टेबल के नीचे तेरी टाँगे छुपी रहेंगी तो किसी को पता भी नही चलेगा । अब बैठ जा जल्दी से, इससे पहले की कोई तुझे इस हाल में देख ले ।
सारा जल्दी से जाके बैठ गयी । उसे बड़ी शर्म आ रही थी । वो एक तरह से नंगी बैठी थी । उसके ऊपरी बदन पे खिमार का होना ना होना सब बराबर था और ना अंदर कुछ था ना नीचे कुछ था । वो अपने पैर दबाके बैठी थी ।
ज़ब सारे बच्चे आ गए तो सारा ने अपनी कुर्सी पे बैठे बैठे ही पढ़ाना शुरू किया ।
उधर स्वीटू ने कबीर से बातें शुरू की ।
स्वीटू - नीचे क्यों नही आये... कहाँ थे...
कबीर - मैं सारा के साथ...
स्वीटू - ओहो... क्या बात है... सुबह सुबह ही खेल लिए...
कबीर - चुप कर... पढ़ाई पे ध्यान दे ।
स्वीटू - सुनो तो... मेरा भी कुछ कर दो... देखो ना... कितनी मचल रही है ।
और ये बोलके स्वीटू ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाके कबीर को अपनी पैंटी दिखाई जो पूरी गीली थी ।
कबीर - क्या कर रही है तू... नीचे कर उसे...
मगर स्वीटू भी कहाँ मानने वाली थी उसने अपनी पैंटी उतार के टेबल पे रख दी और कबीर का हाथ पकड़ के अपनी चूत पे रख दिया ।
कबीर ने उसकी पैंटी हटाई और धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाने लगा । स्वीटू ने अपना सर टेबल पे रख दिया और आँखें बंद कर ली ।
स्वीटू - आह... बहुत अच्छा लग रहा है... रुकना नही... करते रहो... उफ्फ्फ...
कबीर ने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और उसे अंदर बाहर करने लगा ।
स्वीटू - आह... भाई... ओह्ह्ह... ऐसे ही करो... थोड़ा तेज़ करो... उफ्फ्फ...
थोड़ी ही देर में स्वीटू का शरीर अकड़ने लगा और उसने कबीर के हाथ को कस कर अपनी चूत पर दबाया और झड़ने लगी ।
कबीर का हाथ पूरा भीग चुका था । उसने अपना हाथ हटाया और उसे चाट के साफ किया ।
थोड़ी देर बाद स्वीटू भी सीधी होके बैठ गयी तो कबीर बोला -
कबीर - स्वीटू एक काम कर...
स्वीटू - हाँ बोलो...
कबीर - जाके मैडम को कुछ सामान दे आ...
स्वीटू - कौन सा सामान....
कबीर ने स्वीटू को सारा की स्कर्ट दिखाई । स्वीटू को अपनी आँखों पे यकीन ही नही हुआ । वो बोली -
स्वीटू - भाई ये तो मैडम की स्कर्ट है...
कबीर - हाँ...
स्वीटू - तो क्या मैडम नंगी बैठी है...
कबीर - हाँ...
स्वीटू - ओह माय गॉड... भाई आप तो सच में... कैसे किया ये आपने...
कबीर - पागल वो ग़ुलाम है मेरी...
स्वीटू - सच में...
कबीर - हाँ मैं उसे जो बोलता हूँ वो करती है... अभी तू जा और उसे स्कर्ट वापस दे दे... क्लास खत्म होने से पहले पहन लेगी... वरना सबके सामने नंगी जाएगी क्या...
स्वीटू - लाओ दो जल्दी...
स्वीटू सारा की स्कर्ट छुपा के लेके गयी और सारा की टेबल पे रख के बोली -
स्वीटू - कबीर ने आपकी स्कर्ट दी है... जल्दी पहन लो...
सारा तो शर्म के मारे मरी जा रही थी । उसने स्वीटू की तरफ देखा भी नही और फटाफट अपनी स्कर्ट नीचे करके पहनने लगी ।
वहीं स्वीटू खड़ी खड़ी ये नज़ारा देख रही थी ।
सारा के स्कर्ट पहन लेने के बाद स्वीटू भी वापस आयी और कबीर के साथ बैठ गयी ।
उसके बाद क्लास ख़त्म हुई और सारा अपना सामान लेके चली गयी ।
इधर बाकी का दिन सामान्य रूप से गुज़रता रहा । कबीर और स्वीटू मन लगा के पढ़ते रहे । लंच टाइम में कबीर को एक अनजाने नंबर से मैसेज मिला ।
मैसेज में लिखा था की खाना खाके ऊपर आ जाना ।
कबीर मैसेज को पढ़के सोचने लगा की ये कौन है जो इसे मैसेज कर रहा है । उसने उस नंबर पे फ़ोन किया तो वो बंद था । उसने सोचा जाके देखते हैं की कौन है ।
कबीर को परेशान देखकर स्वीटू ने पूछा -
स्वीटू - क्या हुआ भाई... कुछ परेशान लग रहे हो ।
कबीर - हाँ कुछ ज़रूरी काम आ गया है । मुझे जाना पड़ेगा ।
स्वीटू - सारा के पास जाना है क्या ।
कबीर - चल पागल । उसके पास नही जाना है कुछ दूसरा काम है । मैं आता हूँ 1-2 घंटे में ।
स्वीटू - ठीक है ।
कबीर ने फटाफट खाना खाया और ऊपर चला गया ।
वो जैसे ही ऊपर पहुंचा तो उसे फिर एक मैसेज मिला जिसमें लिखा था की आख़री वाले कमरे में आओ ।
कबीर सबसे आख़री वाले कमरे में गया तो देखा की वहां कोई नही था । कमरा पूरा खाली पड़ा था । कबीर को लगा किसी ने मज़ाक़ किया है । वो वापस जाने ही वाला था की किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर लिया ।
कबीर जब तक कुछ समझ पता तब तक उसके कानों में एक आवाज़ आयी - आई लव यू...
कबीर एकदम पलटा तो उसका दिमाग ख़राब हो गया । वो एकदम चिल्लाया -
कबीर - तमन्ना... तेरा दिमाग ख़राब है क्या... ये क्या हरकत है...
तमन्ना - क्या हुआ भाई... अच्छा नही लगा क्या...
कबीर - छोड़ मुझे जाने दे... तू होश में नही है...
तमन्ना - क्या हुआ भाई... अभी भी नाराज़ हो...
कबीर - देख मैं बोल रहा हूँ तुझे... जाने दे मुझे...
कबीर ने उसे धक्का दिया और वापस जाने लगा तो तमन्ना उसे आवाज़ देती हुई बोली -
तमन्ना - रुको तो सही... इतनी जल्दी भी क्या है...
कबीर जैसे ही पीछे पलटा तो उसके होश उड़ गए ।
तमन्ना अपनी शर्ट उतारते हुए बोली -
तमन्ना - क्या मैं सुन्दर नही हूँ... बताओ ना भाई...
कबीर - तुझे समझ में नही आता है क्या... हम भाई बहन हैं...
तमन्ना अपनी स्कर्ट उतारते हुए बोली -
तमन्ना - मुझे इतना पता है की मैं आपसे प्यार करती हूँ ।
कबीर - ये नही हो सकता ।
तमन्ना अब सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और अपने हाथ पीछे ले जाके वो अपनी ब्रा खोलते हुए बोली -
तमन्ना - क्यों नही हो सकता भाई... क्या मैं सुन्दर नही... ठीक से देखके बताओ...
कबीर तो बस उसे आँखें फाड़े देखता रहा ।
तमन्ना समझ गयी थी की कबीर जल्दी अपना फैसला बदलने वाला है । उसने अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए कहा -
तमन्ना - आपने बताया नही... क्या कमी है मुझमें... ठीक से देखो... क्या मेरे स्तन अच्छे नही... क्या मेरे चूतड अच्छे नही... क्या मेरी चूत अच्छी नही...
तमन्ना अपना एक एक अंग कबीर को घुमा घुमाके दिखा रही थी ।
मगर कबीर भी एक मंझा हुआ खिलाड़ी था । उसकी पारखी नज़र ने तमन्ना में छुपी रंडी तो ताड़ लिया था । कबीर ने फैसला किया की इसे भी अपनी उँगलियों पे नचाना पड़ेगा । और कबीर बिना कुछ बोले बाहर जाने लगा ।
तमन्ना के लिए ये बहुत बड़ी बेज़्ज़ती थी । वो सहन नही कर पायी और भाग के बाहर आयी और कबीर को पकड़ लिया ।
कबीर - तमन्ना छोड़... मुझे जाने दे ।
तमन्ना - लेकिन क्यों... मुझमे खराबी क्या है...
कबीर - तुझमें... छोड़ रहने दे... मैं जा रहा हूँ...
तमन्ना - नही... मुझे सुनना है... आप क्या कहने वाले थे...
कबीर - रहने दे... तेरे बस की बात नही...
तमन्ना - ऐसा क्या है जो मैं नही कर सकती... आप बोलके देखो...
कबीर - अगर मुझे पाना है... तो कर खुद को मेरे हवाले... फिर मेरे लिए सब कुछ छोड़ना पड़ेगा... अपने माँ बाप अपनी बहन... सब कुछ...
तमन्ना सोच में पड़ गयी ।
कबीर - बस... हो गया इतने में ही... चल अब जाने दे मुझे...
तमन्ना - रुको भाई... मैं तैयार हूँ सब कुछ छोड़ने के लिए... और बोलो क्या चाहिए...
कबीर - सोच ले एक बार... फिर तू सांस भी लेगी तो मुझसे पूछ के...
तमन्ना - मंज़ूर है...
कबीर ने सोचा की इसकी परीक्षा लेते हैं और देखते हैं की ये किस हद्द तक जाने को तैयार है । कबीर ने जाके उसके सारे कपड़े उठाये और एक एक करके सारे कपड़े फाड़ दिए ।
तमन्ना - हाँ फाड़ दो... मुझे उनकी कोई ज़रूरत नही... और ये मेरे मोज़े भी ले लो... फाड़ दो उन्हें भी...
तमन्ना ने अपने मोज़े भी कबीर को उतार के दे दिए ।
कबीर तो उसकी हद्द को आज़माने में लगा था तो उसने तमन्ना के मोज़े भी फाड़ दिए ।
तमन्ना - अब क्या... अब मुझे कबूल करोगे या और आज़माना चाहते हो ।
कबीर - इतने से क्या पता चलेगा... अभी तो तुझे और साबित करना है ।
तमन्ना - बोलो... और क्या करूँ ।
कबीर - चल अब मेरी पेंट खोल और लंड निकाल मगर अपने हाथों से नही अपने मुँह से खोलना है ।
तमन्ना ने कबीर की ये चुनौती भी स्वीकार की और बड़ी मुश्किलों के बाद उसकी पेंट और चड्डी अपने मुँह से खोल के उसके लंड को आजाद किया ।
कबीर - अब बिना हाथ लगाए मेरे लंड को मुँह में लेके चूस और ज़ब तक मेरा वीर्य नही निकल जाता तब तक चूसती रह और मेरे वीर्य को पीना भी पड़ेगा ।
याद रहें अगर एक भी बार तेरे दाँत लगे तो तू उसकी वक़्त यहाँ से अपनी क्लास में नंगी जाएगी ।
तमन्ना ने कबीर की बात सुनके उसके लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया । उसे मुश्किल तो बहुत हो रही थी क्योंकि मुँह भी ज़्यादा खोल के रखना था ताकि दाँत ना लगें और हाथ भी नही लगाने थे । इस तरह से चूसने से उसका मुँह दुखने लगा मगर उसने हार नही मानी और बीस मिनट तक जैसे तैसे चूसने के बाद उसने कबीर के लंड को झड़ा दिया और उसका वीर्य पीने लगी । पहली बार किसी के वीर्य का स्वाद चखने का अनुभव उसके लिए कष्टदायक था और उसे लगा की कहीं वो उलटी ना कर दे । खैर उसने कबीर के वीर्य की एक एक बूँद पी और उसके लंड को चाट के साफ किया और खड़ी हो गयी ।
तमन्ना खड़ी होके खाँसते हुए बोली -
तमन्ना - चलो ये भी कर लिया... और बोलो अभी और भी कुछ करवाने की इच्छा है क्या...
कबीर - हाँ... अभी तेरी परीक्षा ख़त्म नही हुई है... अभी तुझे और आज़माना है ।
तमन्ना - तो बोलो...
कबीर - आज नही... बाद में बताऊंगा... तेरी अगली परीक्षा कल होगी । अभी तू बैठ... मैं नीचे से आया ।
कबीर तमन्ना को छोड़ के नीचे गया और उसके लिए एक नयी स्कूल ड्रेस निकलवा के लाया ।
कबीर ने तमन्ना को उसकी ड्रेस दी और कहा -
कबीर - चल ये कपड़े पहन ।
तमन्ना ने कपड़े पहने और कबीर से पूछा -
तमन्ना - अब मुझे कबूल करते हो...
कबीर - वो भी बताऊंगा... इतनी जल्दी क्या है ।
तमन्ना - ठीक है... मुझे कोई जल्दी नही है ।
कबीर - आज स्कूल से जाने के बाद अपनी इस स्कर्ट को छोटा कर । तेरी इस स्कर्ट की लम्बाई 11 इंच होनी चाहिए और अपनी शर्ट को दोनों तरफ से टाइट कर साथ में ऊपर के दो बटन निकाल दे । आज के बाद बिना ब्रा पैंटी के इस नयी ड्रेस में स्कूल आएगी और रोज़ मुझे चेक करवाएगी ।
तमन्ना - और कुछ है तो वो भी बोलो...
कबीर - नही अब जा अपनी क्लास में और कल मिल मुझे ।
कबीर तमन्ना को जाने का बोल के निकल गया और तमन्ना मन में सोचती रही -
तमन्ना - भाई... तुझे तो मैं पाके ही रहूंगी किसी भी कीमत पर... तू मुझसे जो चाहे करवा ले मगर मैं भी जब तक तुझे पा ना लूं मुझे चैन नही आएगा ।
इधर कबीर तमन्ना के इस रंडीपने से भौचक्का था और वो तमन्ना के लिए अब कुछ नया और कुछ इससे भी ज़्यादा साहसी और बेशर्मी वाली योजना बनाने में लगा हुआ था ।
कल रात से अभी तक तीन बार की चुदाई और एक बार की लंड चुसाई से कबीर अब थक चुका था और अब उसमें बिलकुल भी हिम्मत नही थी । वो सीधे अपनी क्लास में गया और वहीं सो गया । कबीर को सोते देख स्वीटू ने भी उसे जगाना ठीक नही समझा और सोने दिया मगर आख़री पीरियड में सारा कबीर के सो जाने से काफी उदास थी जिसे देखके स्वीटू मन ही मन खुश होते हुए मुस्कुरा रही थी ।
स्वीटू मुस्कुराती हुई अपने मन में बोली -
स्वीटू - अभी तो बस शुरुआत है... आगे आगे देखना कैसा मज़ा आएगा ।
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