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Incest एक परिवार की आत्मकथा (हिंदी संस्करण )

odin chacha

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Naik

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Pehle ek dam theek ho jao fir update dena shuru kijiyega
God bless you brother
 

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New Update... 006

कामीनी - मत तड़पा बेटा कम से कम अपनी माँ पे तो ऐसा ज़ुल्म मत कर ।
कबीर - बस इतने में ही तड़प उठी और मेरा क्या होगा ।
कामीनी - तू बोल तुझे क्या चाहिए ।
कबीर नीचे अपने कच्छे की तरफ ऊँगली से इशारा करते हुए मुस्कुराने लगा और अपना कच्छा निकल दिया ।
अब बारिश के इस ठन्डे मौसम में दो लोग अपनी जन्मावस्था जैसी हालत में चांदनी रात में शारीरिक संसर्ग का आनंद लेने को व्याकुल थे ।
कबीर ने जाके दरवाज़ से बँधी कामीनी की रस्सी को थोड़ा ढीला किया जिससे वो नीचे बैठ सके या झुक सके लेकिन उसके हाथ अभी भी बंधे हुए थे ।
कबीर ने उसे झुकाया और उसके चेहरे को अपने लंड के पास ले गया ।
कामीनी ने कबीर को देखा और रस्सी की तरफ इशारा करके बोला -
कामीनी - बेटा हाथ तो खोल दे ।
कबीर - नही आज तेरे हाथ नही खुलेंगे । तुझे ऐसे ही बिना हाथ लगाए मेरा लौड़ा चूसना है । चल अब जल्दी शुरू कर । इतना बोलकर उसने कामीनी की गोरी चिकनी और कद्दू जैसी गोल मटोल गांड पे एक करारा थप्पड़ लगाया । थप्पड़ इतना ज़ोरदार था की कामीनी खड़े खड़े उछल गयी और उसकी चीख निकल गयी ।
कामीनी - आह माँ मेरी मार दिया रे... अईई
कबीर - इतने में तेरी चीख निकल गयी कमीनी आज तो तेरा मार मार भरता बना दूंगा । चल जल्दी से मेरा लंड चूस समझी ।
कामीनी ने भी बिना देर लगाए उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी । थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद कबीर ने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकल लिया और उसका जबड़ा पूरी ताकत से पकड़ लिया जिससे उसका मुँह पूरा खुल गया ।
कबीर ने ऐसे ही उसके जबड़े को पकडे हुए दूसरे हाथ से उसके गाल पे एक थप्पड़ लगाया ।
थप्पड़ मारने के बाद उसने तुरंत अपना लंड वापिस उसके मुँह में डाल दिया जिससे उसकी चीख मुँह में ही रह गयी और वो उसका मुँह चोदने लगा ।
अब बस कामीनी के मुँह से गूं गूं गूं... की आवाज़ आ रही थी और कबीर सिसकियां ले रहा था ।
कबीर - क्यों कामीनी मज़ा तो आ रहा है ना ।
कामीनी अपने मुँह से उसका लंड बाहर निकाल के बोली -
कामीनी - हाँ बहुत मज़ा आ रहा है ।
ये देख के कबीर ने फिर उसका मुँह पकड़ के खोला और फिर एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पे लगाया और तुरंत अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया ।
कबीर - तुझे लंड निकालने को किसने बोला था । चूसती रह चुप चाप । कुछ देर तक ऐसे मार मार के अपना लंड चुसवाने से कामीनी का गाल पूरा लाल पड़ गया और उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे ।
इधर कबीर की सिसकियां बढ़ती जा रही थी ।
कबीर - आह जानेमन ओह्ह्ह मज़ा ही आ गया उउफ्फ्फ बहुत बढ़िया चूसती है रे तू । कसम से मन करता है तेरे मुँह में हमेशा अपना लंड डाले रहूँ ।
आअह्ह्ह... उम्म्म्म.... उउउम्म्म....
अब कबीर को लगा की वो झड़ने वाला है तो उसने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल लिया और नीचे बैठके अपने होंठ उसकी चूत पे लगा दिए और दनादन चूसने लगा । वो तो कभी कामीनी की चूत को चूसता कभी उसके मुँह से पकड़ के खींचता तो कभी अपनी जीभ अंदर डाल के गोल गोल घूमता ।
कबीर की इन्ही हरकतों से कामीनी मदहोश होती जा रही थी और बड़बड़ाती जा रही थी ।
कामीनी - ओह्ह कबीर आअह्ह्ह मेरे राजा तूने तो आज मुझे पागल ही कर दिया कसम से आअह्ह्ह... उफ्फ्फ्फ़.... मुझे कुछ हो रहा है कबीर मेरी पैर कमज़ोर पड़ रहे हैं बेटा संभाल मुझे ।
कबीर ने भी उसकी चूत के दाने को चाटना शुरू किया जिससे उसकी साँसे और तेज़ चलने लगी और वो जल बिन मछली की तरह फड़फड़ाने लगी । उसकी ऐसी हालत देखकर कबीर ने तुरंत उसकी चूत के दाने को चूसते हुए अपने दाँत हलके से उसके दाने पर गड़ा दिए ।
कामीनी ये हमला सहन नही कर पायी और भरभराके झड़ने लगी ।
कामीनी - मैं गयी बेटा, मैं झड़ रही हूँ.... आआहहहह.... निचोड़ ले मेरी चूत को, पी जा सारा रस ओह्ह्ह... संभाल मुझे.... आअह्ह्ह.... मैं गिर जाऊंगी मुझे कस के पकड़... उउउफ्फ्फ्फ़....
कामीनी काफी देर तक झड़ती रही और कबीर भी उसकी चूत से निकला सारा रस पीता रहा ।
सारा रस पीने के बाद वो खड़ा हुआ और उसने कामीनी के होठों को कस के अपने होठों से पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया । कामीनी भी उसका बराबर साथ दे रही थी । दोनों आँखें बंद किये दुनिया से बेखबर एक दूसरे को चूमने में खो गए थे । कभी ऊपर वाला होंठ तो कभी नीचे वाला होंठ तो कभी एक दूसरे के मुँह में जीभ डालके चूसते । ऐसा लग रहा था जैसे कोई जंग छिड़ी हो दोनों के बीच और कोई हारने को तैयार नही है ।
काफी देर बाद दोनों अलग हुए तो दोनों के मुँह से लार टपक रही थी और दोनों के होंठ कटे हुए थे जिनमें थोड़ा थोड़ा खून निकल रहा था । अलग होने के बाद अब दोनों अपनी साँसों को काबू कर रहे थे और एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुरा रहे थे ।
अब कबीर ने उसके हाथों से रस्सी खोली और उसे गार्डन में रखी कुर्सी पर बैठाया और खुद भी दूसरी कुर्सी पर बैठ गया ।
चाँद की रौशनी में पसीने से तर बतर दोनों के दूधिया बदन चमक रहे थे । कबीर उसके निप्पल को सहलाते हुए बोला -
कबीर - कैसा लगा मेरी कम्मो ।
कामीनी - पूछ मत बेटा इतना मज़ा तो आज तक नही आया । तूने तो मेरी जान ही निकाल दी ।
कबीर - अरे अभी कहाँ मेरी कम्मो जान तो तेरी मेरा ये लौड़ा निकालेगा ।
कामीनी ने उसके लौडे को देखा फिर नज़रेँ उठा के कबीर को देखा । जैसे ही दोनों की नज़रें मिली दोनो ही मुस्कुरा उठे ।
कामीनी - तो आगे का क्या इरादा है ।
कबीर - रुक मैं एक ड्रिंक लेके आता हूँ । ये बोलके उसने एक बार फिर होठों को चूमा और अंदर चला गया ।
वो अंदर से दो कड़क पेग बनाके लाया एक अपने लिए और एक उसके लिए और दोनों बातें करते करते पीने लगे । तभी कबीर ने एक घूँट भरा और अपने होठों से उसके होंठ मिला दिए । दोनों मुँह में शराब भरे एक दूसरे को चूम रहे थे । शराब कभी कबीर के मुँह में जाती कभी कामीनी के मुँह में फिर दोनों ने उसे थोड़ा थोड़ा पिया और कबीर ने कामीनी की जीभ को अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू कर दिया ।
कामीनी ने एक बार फिर ज़ोर पकड़ा । शराब का नशा और जिस्म की बढ़ती हुई गर्मी से उसकी चूत एक बार फिर पनिया गयी ।
कबीर ने भी उसका हाथ उठा के अपने लंड पे रख दिया जिसे कामीनी ने अपने नरम मुलायम हाथों से पकड़ के धीरे धीरे हिलाना शुरू किया ।
कबीर एक बार फिर गरम होने लगा था और उसका लंड भी खड़ा होने लगा था । कबीर ने थोड़ी सी शराब अपने लंड पे और कामीनी के हाथ पे गिरायी जिससे उसका लंड एकदम चिकना हो गया और कामीनी के हाथ उसपे फिसलने लगे । कामीनी ने भी देर ना करते हुए उसका शराब में भीगा लंड अपने मुँह में ले लिया और सुर सुर करके चूसने लगी । कबीर को मस्ती सी चढ़ने लगी और उसने मुँह को उसके स्तनों पे रखके बारी बारी दोनों स्तनों को चूसना, चूमना और चाटना शुरू कर दिया ।
कामीनी का तो बुरा हाल हो गया । लंड मुँह में होने की वजह से वो ठीक से सिसकियां भी नही ले पा रही थी । उसके मुँह से बस गूं गूं उम्म्म उउउम्म्म की आवाज़ें आ रही थी ।
कबीर ने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड पे थप्पड़ मारने शुरू किये । वो हर थप्पड़ के बाद उसकी गांड पे थोड़ी सी शराब गिरता और उसे चाटते हुए चूम लेता । कामीनी को दर्द हो रहा था लेकिन उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था । वो कभी चिल्लाती तो कभी आहें भर्ती ।
कामीनी - आह्ह्ह बेटा नही कर दर्द हो रहा है । मैं मर जाउंगी बेटा ओह्ह्ह उउउम्म्म । बेटा बस कर छोड़ दे मुझे ।
कबीर - क्या कहाँ चोद दूं तुझे । हाहाहा आज तो तुझे ऐसे चोदुँगा की तेरी गांड के चिठड़े उड़ा दूंगा ।
कामीनी - मान जा बेटा तेरी माँ हूँ मैं । कुछ तो सोच मेरे बारे में ।
कबीर - तुझे ये पहले सोचना था मेरी कम्मो । पहले अपना ये भरा हुआ बदन दिखा के मेरे अंदर का राक्षस जगा दिया अब क्यों रोती है ।
गांड का अच्छे से तबला बजा के लाल करने के बाद कबीर बोला -
कबीर - चल अब घोड़ी बन जल्दी ।
और उसको घोड़ी बनाके अपना लंड उसकी गांड के छेद पे सेट किया ।
कामीनी - गीला तो करले बेटा । ये सूखा तो मेरी गांड फाड़ देगा ।
कबीर ने अपने अपने लंड पे शराब डाल के एक करारा झटका मारा और अपना आधा लंड एक झटके में उसकी गांड में पेल दिया ।
कामीनी की तो चीख ही निकल गयी । चीख इतनी ज़ोरदार थी की उसकी गूँज तीनो लोकों में फ़ैल गयी होगी । और होती भी क्यों ना एक तो बेचारी की गांड पूरी छिल गयी उसपर से बहती हुई शराब की जलन ने उसे तारे दिखा दिए । उसे तो लगा जैसे पूरी दुनिया उसकी आँखों के सामने घूम रही हो । वो चिल्लायी -
कामीनी - मार दिया रे मादरचोद... फाड़ दी मेरी गांड । बचाओ मुझे इस माँ के लौडे से ये मेरा खून करने पे उतारू है । आअह्ह्ह... नहीईई.... मम्मी.... बचाओ.... ऊऊह्ह्ह्ह.... आअह्ह्ह.... ओह्ह... नही मुझे नही करना कुछ भी । छोड़ दे मुझे मादरचोद । जाने दे मुझे आअह्ह्ह... ओह्ह्ह.... बचाओ.... ।
कामीनी अब दर्द से छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी ।
लेकिन कबीर ने उसकी कमर को कसके जकड रखा था इसलिए वो कुछ नही कर पायी ।
कबीर एक और दमदार झटका मारके अपने बाकी बचे लंड को भी उसकी गांड में उतार दिया ।
कामीनी की एक ज़ोरदार चीख निकली बचाओ मुझे.... और एकदम से चुप हो गयी । उसकी आँखें बंद हो गयी थीं और वो तो शायद बेहोश हो गयी थी ।
लेकिन कबीर भी कहाँ मानने वाला था उसने पहले उसको आवाज़ लगायी - कम्मो, ओ मेरी कम्मो । पर कामीनी की तरफ से कोई हरकत ना देख वो समझ गया की ये शायद बेहोश हो गयी है ।
तो उसने अपना लंड टोपे तक बाहर निकला और पूरी रफ़्तार के साथ अंदर डाल दिया । इस बेरहम हमले से कामीनी फिर होश में आयी और चीखने लगी ।
कामीनी - साले मार के ही दम लेगा क्या । बाहर निकल इसे हरामी । आह... आआहहहह.... अरे इस हाथी के लौडे से कोई बचाओ मुझे.... आअह्ह्ह... दर्द हो रहा है.... नही... और नही करना.... ओह्ह्ह... मम्मी....
कामीनी की चीखों का कबीर पे कोई असर नही हुआ । उसने तो ताबड़तोड़ उसकी गांड मारनी शुरू कर दी । उसके हर धक्के के साथ कामीनी आगे सरक जाती थी और कबीर उसे पीछे खींच रहा था ।
कामीनी का दर्द जब थोड़ा कम हुआ तो उसकी सिसकियां निकलने लगीं । लेकिन जैसे ही उसकी सिसकियां निकलती वो अपना लंड बाहर खींच के पूरा का पूरा एक ही बार में अंदर डाल देता जिससे उसकी चीखें फिर निकल जाती ।
थोड़ी देर ही बाद कामीनी की गांड ने अब कबीर का लंड स्वीकार कर लिया था । और अब वो भी कबीर के धक्कों के साथ ताल से ताल मिलाके धक्के मारने लगी थी ।
कामीनी अब बहुत ज़्यादा गरमा गयी थी । वो तो बड़बड़ाते जा रही थी -
कामीनी - चोद साले और तेज़ चोद साले अंदर तक डाल दे अपना लौड़ा... जल्दी कर... फाड़ दे मेरी गांड और वो खुद ही मस्ती में अपनी उँगलियों को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी । दोनों एक दूसरे में समा जाने को आतुर थे । दोनों इतने धुआंधार तरीके से चुदाई में उलझे हुए थे की कोई अगर उनको देख लेता तो उसे यही लगता की यहाँ कोई युद्ध चल रहा है ।
खैर इस गांड फाडू चुदाई और अपनी चूत में लगातार ऊँगली करने से कामीनी अपने चरम पे पहुँच गयी और चिल्लाने लगी ।
कामीनी - मैं आ रही हूँ बेटा... मैं झड़ने वाली हूँ... आअह्ह्ह.. बेटा... मैं जा रही हूँ.... ओह्ह्ह... रोक ले मुझे... मैं गयी... मम्मी... ओ मेरी माँ... मैं आ रही हूँ... आअह्ह्ह... बेटा उउउफ्फ्फ...
उसके इस तरह चिल्लाते हुए झड़ने से कबीर भी अपने चरम पे आ गया था । उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी थी । जैसे ही उसे लगा की अब वो कभी भी झड़ सकता है उसने एक झटके में अपना लंड बाहर निकाल लिया और तुरंत कामीनी को पलटा के बिठा दिया ।
कबीर - ये ले मेरी कम्मो... मेरा भी हो गया.. मैं आया कम्मो... मैं आया.... आह मेरी जान... ये ले मेरा रस... मेरी जान.... ओह्ह्ह... आह्ह... उम्म्म... । ये बोलते हुए उसने अपना लंड सीधे उसके चेहरे के सामने रख दिया और एक एक ज़ोरदार पिचकारी मारी जो सीधे कामीनी की मांग में गिरी जाके और उसकी पूरी माँग कबीर के वीर्य से भर गयी । इसके तुरंत बाद उसने कामीनी के मुँह को खोला और अपना लंड जड़ तक उसके मुँह में भर दिया और 3-4 लंबी लंबी धार मारी जिससे उसका बचा हुआ सारा वीर्य जैसे उसके पेट में ही उतर गया ।
कामीनी ने भी सारा वीर्य गटक जाने के बाद अच्छे से उसके लंड को चूसके साफ किया और अपने मुँह से बाहर निकल दिया । उसके बाद वो दोनों वहीं गार्डन की घास में लुढ़क गए और हाफने लगे ।
कुछ देर बाद दोनों ने अपनी साँसों पे काबू पाया और इस भीषण युद्ध की समाप्ति के बाद एक दूसरे को विजयी मुस्कान के साथ देखने लगे ।
कबीर कामीनी को देख के मुस्कुराते हुए बोला -
कबीर - मेरे वीर्य से अपनी मांग भरने के बाद कितनी प्यारी लग रही है तू कम्मो रानी ।
आज तो तूने मेरा दिल ही खुश कर दिया ।
कसम से बड़ा कड़क माल है तू एकदम गरमा गरम ।
और एक बार फिर वो दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराने लगे ।

Next update tomorrow...
mai humiliation ko support nahi karti aur mera maan na hai ki shuruat me hi iski koi jarurat nahi thi kher ye kahani hai abhi tak attract nahi hui age dekhte hai
 

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कामिनी और कबीर की मधु यामिनी की शुरुआत - भाग - 4
सुहागरात की आगे की कहानी...


थोड़ी देर इसी तरह एक दूसरे के ऊपर पड़े रहने के बाद कबीर और कामीनी एक दूसरे से अलग हुए और एक बार और एक दूसरे के होठों को चूम के बैठ गए ।
कबीर उठके चला गया और अपने और कामीनी के लिए एक एक पेग बना लाया ।
दोनों ही अब थक चुके थे और फिलहाल आगे बढ़ने की दोनों में ही हिम्मत नही थी ।
वैसे थकान तो स्वीटू को भी हो चुकी थी । कैमरे में कैद करते हुए उसने अभी तक की जितनी भी घटनाओं को देखा था उससे उसकी चूत ने भी 2 बार पानी छोड़ दिया था । तो अब स्वीटू भी कुछ देर के लिए वहीं बैठ गयी थी ।
कबीर ने शराब पीते हुए कामीनी से पूछा -
कबीर - कामीनी मेरी जान, मेरी कम्मो, कैसा लग रहा है ।
कामीनी ने कबीर की बात का कोई जवाब नही दिया बस शर्मा के अपना मुँह फेर लिया । स्वीटू के सामने इतना कुछ करने से ज़्यादा उसे कुछ कहने में शर्म आ रही थी ।
कबीर ने दुबारा कामीनी से पूछा -
कबीर - बताया नही कम्मो ।
कामीनी ने एक नज़र स्वीटू को देखा और उसकी आँखों में देखते हुए धीरे से कहा -
कामीनी - अच्छा ।
और ये बोलके कामीनी ने अपना मुँह छुपा लिया हाथों से और कामीनी को ऐसे शरमाते देख स्वीटू की हंसी निकल गयी ।
कामिनी ने चिढ़ते हुए कबीर से कहा -
कामीनी - सुनिए जी, आप अपनी बेटी को समझा दीजिये की वो मेरा मज़ाक़ ना बनाये ।
कबीर कामीनी के मज़े लेते हुए -
कबीर - अच्छा सिर्फ मेरी बेटी है क्या, तेरी नही है ।
कामीनी कबीर की जांघ पे मुक्का मारती हुई बोली -
कामीनी - धत... आप भी ना... कैसी बात करते हैं ।
कामीनी और कबीर की बातें सुनके स्वीटू की हंसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी ।
ये देखके एक बार फिर कामीनी बोली -
कामीनी - बोलिये ना । आप कुछ कहते क्यों नही उसे ।
कबीर - क्या बोलूं उसे । हँस ही तो रही है । कुछ कर थोड़ी ना रही है ।
कबीर की इस बात से कामीनी और स्वीटू दोनों शर्मा गए और कामीनी चिढ़ते हुए बोली -
कामीनी - जाइये, मैं आपसे बात नही करती ।
कबीर - कोई बात नही । बात मत कर लेकिन अपनी गांड दे दे मुझे । बोल ना अपनी गांड देगी क्या ।
कामीनी गुस्से से कबीर को देखते हुए -
कामीनी - छी... कुछ भी बोलते हैं आप । इतना तो देखो सामने बेटी खड़ी है, वो क्या सोचेगी ।
कबीर - अब क्या सोचेगी वो कम्मो । इतना सब कुछ हो जाने के बाद कुछ सोचना बाकी रह जाता है क्या ।
वो तो पूरे मजे ले रही है और तेरी शर्म ख़त्म होने का नाम ही नही ले रही ।
कबीर की बात पे कामीनी ने उसका लंड बड़ी ज़ोर से मसल दिया जिससे उसकी चीख निकल गयी ।
कबीर - आआआह्ह... क्या करती है, उखाड़ देगी क्या ।
और इतना बोलके कबीर ने भी कामीनी की चूची को बेदर्दी से मसल दिया जिससे कामीनी की भी चीख निकल गयी ।
कामीनी - ईईईशशश... धीरे...
इस तरह कुछ देर तक मस्ती करने के बाद अब तीनों को थोड़ा आराम लग रहा था ।
कबीर ने अब और ज़्यादा वक़्त ना गवाते हुए कामीनी के हाथ को अपने लंड पर रख दिया ।
कामीनी भी कबीर का इशारा समझ गयी और ये खेल एक बार फिर शुरू हो गया ।
कामीनी ने कबीर के लंड को जैसे ही हाथ में पकड़ा उसे झटका लगा । कबीर का लंड किसी भट्टी की तरह गरम हो गया था और पत्थर की कड़क हो गया था ।
उसने थोड़ी देर तक उसके लंड को धीरे धीरे सहलाया जिससे कबीर की आँखें भी बंद हो गयी थीं ।
कबीर की साँसे भी अब तेज़ चल रही थी और कबीर के मुँह से रह रह के - ओह... निकल जाता था ।
मगर कामीनी के लिए अब थोड़ी मुश्किल होने लगी थी । उसे लगा की अगर कबीर के लंड की गर्मी ऐसे ही बढ़ती रही तो यकीनन उसके हाथों में छाले पड़ जायेंगे ।
कामीनी ने सोचा के जल्दी से कबीर के लंड तो ठंडा किया जाए और उसने अपना मुँह झुकाके अपनी जीभ कबीर के लंड के टोपे पर फिराई ।
कबीर के लंड ने उत्सुकता और उत्तेजना के कारण अपने प्रेम की कुछ बूंदें छोड़ दी थीं ।
कामीनी अपना मुँह फाड़े अपनी जीभ को किसी अजगर के जीभ की तरह उसके टोपे पे बड़े प्यार और इत्मीनान से घुमा रही थी ।
कबीर मस्ती की एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया था ।


4
काफी देर तक कामीनी कबीर के लंड को अपनी जीभ से सहलाती रही और चाटती रही ।
उसे तो जैसे इस कार्य में अद्भुत आनंद आ रहा था ।
मगर कामीनी का यूँ कबीर के लंड को छेड़ना कबीर को तड़पाने लगा था । उसका लंड अब पहले से ज़्यादा कठोर हो गया था और उसमें अब दर्द भी काफी हो रहा था ।
कबीर से जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो वो बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और उसने कामीनी को नीचे बिठाके अपना लंड एक ही झटके में उसके मुँह में उतार दिया ।
कबीर ने अब कामीनी के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को आगे पीछे करते हुए अपना लंड उसके गले तक भरना शुरू किया ।


9
कामीनी को कबीर का इस बेदर्दी के साथ उसके मुँह को चोदना बड़ा पसंद आया ।
कामीनी को हमेशा से ही बेरहमी से की गयी चुदाई पसंद थी । वो कबीर की आँखों में देखती रही और अपने मुँह को कबीर के लंड के हवाले करके मस्ती में उसका लंड चूसने लगी ।
कबीर भी कामीनी के मुँह को चोदते हुए सिसकियाँ ले रहा था और बड़बड़ा रहा था ।
कबीर - आअह्ह्ह.... ओह्ह्ह... कम्मो मेरी जान, मन तो करता है की इस लंड को जीवन भर ऐसे ही तेरे मुँह में डाले रहूँ.... उउउफ्फ्फ्फ़.... क्या आनंद है.... आअह्ह्ह....
कबीर की इस बेदर्दी ठुकाई से अब उसका मुँह दुखने लगा तो कबीर ने उसे छोड़ दिया ।
कामीनी को लगा जैसे कबीर ने आखिर उसपे रहम कर ही दिया । मगर ये कामीनी की भूल थी ।
कबीर ने अगले ही पल कामीनी को बिस्तर पे किनारे से लिटाया जिससे कामीनी का पूरा सर बिस्तर से नीचे झूल रहा था और कबीर ने ऐसे ही खड़े खड़े अपना लंड कामीनी के मुँह में एक बार फिर भर दिया और उसे अंदर बाहर करते हुए उसका मुँह चोदने लगा ।


5
कबीर ने भी अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी थी । और हर धक्के के साथ कबीर ओह्ह... ओह्ह्ह... कर रहा था ।
कबीर अब झड़ने के काफी करीब था । उसे लग रहा था की उसका वीर्य अब किसी भी समय निकल सकता है तो उसने कामीनी को वापस उठाया और बिस्तर पर घोड़ी बनाके खुद भी बिस्तर पर चढ़ गया और उसके बालों को पकड़ कर अपना लंड मुँह में डालके पूरे जोश के साथ कमर हिलाते हुए उसका मुँह चोदने लगा ।


6
इसका नतीजा भी ये हुआ की कुछ ही धक्कों के बाद कबीर ने अपने लंड से अपने प्रेम रस की बारिश की और उसके गाढ़े गाढ़े वीर्य की धार सीधे कामीनी के मुँह में जाने लगी ।
कामीनी ने भी अपना मुँह खोलके ख़ुशी ख़ुशी कबीर के प्रेम के प्रसाद को ग्रहण किया और उसका पूरा वीर्य निगल गयी ।


7
इधर कबीर का कामीनी के मुँह में झड़ना हुआ तो उधर इस पूरी क्रिया से एक बार फिर गरम हो जाने की वजह से स्वीटू ने भी अपने प्रेम रस की धार छोड़ी ।
ये भी बड़ा ही कमाल का नज़ारा था । स्वीटू जिसे किसीने भी अभी तक छुआ नही था, और ना ही खुद उसने अपना हाथ लगाया था, सिर्फ इन दो प्रेमियों को इस तरह एक दूसरे के प्रेम के सागर में डुबकी लगाते देख ही वो 3 बार झड़ चुकी थी ।
कामीनी ने कबीर का सारा वीर्य पी जाने के बाद उसके लंड को अच्छे से चाट कर साफ किया और उसके बाद दोनों वहीं बिस्तर पर लुढ़क गए ।

Next Update Later...
इस रात की आगे की कहानी अगले भाग में...
Nice update
 
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