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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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Sonieee

Active Member
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139
Very hot update...keep writting
 

jatin

Member
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58
Marvelous update! Excellent and super exciting story writings!
 

maakaloda

Active Member
1,534
1,487
158
Shandaar, super hot, 🔥🔥🔥🔥 laga di.
Bahen Bhai dono ko hi jawani Chad Rahi hai.
Jis tarah se ye kutiya ki tarah maal chat rahi hai,jaldi hi randi banegi
 

Ass licker

❤️❤️
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827
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अगला बड़ा अपडेट रात 9 बजे से पहले डाल दिया जाएगा
कहानी में क्या देखना चाहते हो सुझाव दे
 
Last edited:

Ass licker

❤️❤️
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अपडेट 8❤️❤️

मैंने सारे हादसों के बारे में सोचा, लेकिन कोई हल नही मिला।
मैंने सब ऊपर वाले के हवाले छोड़ कर अम्मी के पास गई जो कमरे में दोपहर की प्राथना कर रही थी।
मैं बदन साफ करने के लिए बैठ गयी और बदन साफ कर अम्मी के बराबर प्राथना करने लगी। प्राथना करके अपने गुनाहों की माफी मांगी और सही रास्ते पर चलने की दुआ की।
कुछ देर अम्मी से बातें की उनकी तबियत के बारे में पूछ कर
अपने कमरें में आ गयी ओर लेट गयी।
आज जो हुआ और जो आगे होना है उसे सोचते हुए कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
शाम को अम्मी ने आवाज लगा कर खड़ा किया
अम्मी:- बेटी अंजुम जाग जाओ, चलो मेरे साथ खाना बनाओ जिससे तुम भी खाना बनाना सीख जाओ
वरना तुम्हारी सास तुम्हे ताना देगी और अम्मी मुस्कुराने लगी
मैं:- अम्मी तुम भी ना, मुझे नही करनी शादी वादी, मैं तो आप लोगो के साथ ही रहूंगी
अम्मी:- अरे बेटी दुनियां की हर लड़की शादी करती है और दूसरे घर की जीनत बनती है। देखना अपनी बेटी की शादी हम धूम धाम से करेंगे।
मैं:- अम्मी बस करो, चलो मैं आती हूँ किचन में फिर आप सिखा देना मुझे खाना बनाना।
अम्मी:- जल्दी आ जाओ बेटी, तुम्हारे अब्बू भी आने वाले होंगे।
इतना कहकर अम्मी चली गयी, ओर मैं भी हाथ मुँह धोकर अम्मी के पास चली गयी.
मैंने अम्मी के साथ खाना बनाया इतने मैं अब्बू आ गए।
मैंने अब्बू को पानी दिया और एक दूसरे का हाल पूछा।
मैं टेबल पर खाना लगाने लगी इतने में अम्मी ने कहा कि अपने भाई को बुला लाओ ऊपर स खाने के लिए
अम्मी तुम चली जाओ मैं खाना लगा देती हूं
(आज की घटना से मेरा मन नही किया कि ऊपर जाऊं ओर भाई का सामना करू)
अम्मी ऊपर चली गयी भाई को जगाने मैंने खाना लगाया अब्बू को आवाज देकर खाने के लिए बुलाया।
अब्बू को खाना दिया इतने मैं भाई और अम्मी भी आ गए।
भाई आज मुझसे नजरें चुरा रहे थे जो मेने नोट कर लिया था
भाई अब्बू के बराबर बैठ गए और सामने मैं ओर अम्मी बैठ गए और खाना शुरू कर दिया।
मेरी निगाह जब भी सामने बैठे भाई पर जाती तो वो शर्मा कर नजरें झुका लेता।
इसी तरह खाना हुआ और भाई कमरे में चले गए।
मैंने अम्मी के साथ बर्तन धुले ओर कमरे में आ गयी, कमरे में आकर मैं किताबे लेकर बैठ गयी और अपना सबक याद करने लगी।
कोई एक घण्टा पढ़ाई करके मैं सोने की तैयारी करने लगी, मैंने अपने कपड़े बदले ओर ढीले सलवार कमीज पहनकर लेट गयी अभी कुछ ही देर हुई कि अचानक मुझे दिन की बात याद गयी
मैंने सोचा क्यों ना भाई से बात करके उसके गुनाह के बारे में बात की जाय, क्या वजह है जो भाई मुझपर ही अपनी गंदी नजर रखे हुए है।
टाइम देखा तो 10 बज गए थे। मैं पहले अम्मी अब्बू को देखकर तसल्ली कर लेना चाहती थी वो सो गए हैं या जाग रहे हैं
उनके कमरे की तरफ निगाह डाली तो लाइट बन्द थी इसका मतलब अम्मी अब्बू सो गए होंगे या सोने की तैयारी कर रहे होंगे।
मैंने सोचा अगर भाई के पास डायरेक्ट गयी तो भाई डर जाएंगे और हो सकता है भाई मुझे कुछ ना बताए या सच बात ना पता पाय, मुझे प्यार से काम लेना होगा ताकि में भाई के दिल की बात उगलवा सकू
मैंने पहले बाथरूम जाने का फैसला किया ओर धीरे धीरे कदमो से ऊपर चल दी। भाई के रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला था लेकिन अंदर का कुछ दिखाई नही दे सकता था। इसका मतलब भाई अभी भी जाग रहे थे या पढ़ाई कर रहे होंगे। आगे बढ़कर मैं बाथरूम में इंटर हुई और पेशाब करने बैठ गयी
मेरी आदत थी के मैं ज्यादातर उल्टा ही बैठकर पेशाब करती थी जिससे पेशाब सीधे लैटरिंग शीट के आखरी छोर पे गिरता था जिससे पेशाब के छींटे लगने का चांस बहुत कम होते थे।
कई बार ऐसा होता है कि पेशाब की धार तेज़ हो तो पेशाब शीट से टकराकर वापस कपड़ो पर लग जाता था इसलिए में उल्टा ही बैठती थी।
मैं पेशाब करने लगी और पेशाब को गिरते देखती रही, मेरे पेशाब करने की आवाज कुछ ज्यादा थी, लेकिन भी मैं कोशिस करती की पेशाब की सीटी वाली आवाज कम आये।
पेशाब खत्म करके मैं चुत धोने के लिए सीधी हुई और पानी लेकर धोने लगी तभी मुझे एक साया/परछाई दिखी जो दरवाजे के नीचे से दिखाई दी।
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मुझे पता चल गया था कि ये भाई ही है जो पेशाब वाली सीटी सुनकर आये हैं। मैंने जल्दी से पानी डाला और खड़ी हो गयी।
मै भाई को ये अहसास नही कराना चाहती थी के मैंने उसकी परछाई देख ली है। हालांकि मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था भाई पर, लेकिन मैं आराम से काम ले रही थी ताकि भाई की इन हरक़तों की वजह जान सकू।
मैंने धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर देखा तो भाई नही थे सायद वो कमरे में चले गए थे मुझे उठता देख कर।
मैं अब भाई के दरवाजे पर खड़ी थी इस कशमकश में कई अंदर जाऊं या नही, क्योंकि जो बातें होंगी वो एक भाई बहन के लिए बेहद शर्मनाक थी।
मैंने दरवाजा हटाया तक भाई बेंच पर बैठे पढ़ाई करने का नाटक कर रहे थे। मैंने भाई से इजाजत ली भाई अंदर आ जाऊं
भाई ने बोला आ जाओ बाजी। अंदर जाकर में बेड के किनारे बैठ गयी।
भाई:- बाजी क्या बात है जो इस समय आप मेरे कमरे में आई हो
मैं:- क्यों मैं अब अपने भाई के कमरे में भी नही आ सकती
भाई:- नही नही बाजी वो बात नही है मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा हूँ, कुछ बात हो गयी है कोई खास बात तो नही हैं
मैं:- बात तो खास है अगर तुम सच बताओ तो
भाई:- क्या बात है बाजी पूछे क्या पूछना है तुम्हे ओर मेरे साइड में आकर बैठ गए।
मैं:- भाई क्या तुम अभी बाथरूम करने बाहर गए थे
भाई :- नही बाजी मैं तो अंदर ही था, बताओ क्या बात हो गयी
इतना सुनकर भाई के चेहरे का रंग बदल गया मुझे पता था भाई झूट बोल रहा है।
मैं:- भाई क्या हो गया है तुम्हे जो तुम अपनी सगी बहन को ही नंगा देखते हो, मुझे पता है जब मैं पेशाब कर रही थी तो तुम वहां थे तुम्हारा साया मुझे नजर पड़ गया था।
इतना सुनते ही भाई का चेहरा पीला पड़ गया और अपनी नजरे झुका ली। भाई को पता लग गया कि मैं सब कुछ जानती हूं
मैं :- भाई तुम तो इतना गिर चुके हो कि दिन में मेरे कपड़ों को चुराकर तुम उन पर गंदा गलीच पानी डालते हो।
शर्म आनी चाहिए तुम्हे, मैं बाजी हूँ तुम्हारी भाई कोई गेर नही।
भाई:- बाजी मुझे माफ़ कर देना, पता नही मुझे क्या हो जाता है
मैं कंट्रोल नही कर पाता, मन करता है बस आपको देखता रहू
मैं:- भाई ये तुम क्या बकवास कर रहे हो, तुम्हारी सोच इतनी गंदी होगी मैंने कभी सोचा ना था। भाई तो अपनी बहन की इज्जत के रखवाले होते हैं और तुम मेरी ही इज्जत उतारने चाहते हो, मुझे गंदा करना चाहते हो। ये तुम्हारी हवस है जिस दिन ये उतर जाएगी तुम्हे बहुत अफसोस होगा भाई
भाई:- बाजी ये सच्चा प्यार है मेरा, मैं आपसे मोहब्बत करने लगा हूँ। क्या भाई अपनी बहन से प्यार नही कर सकता
मैं:- भाइ मैं भी तुमसे प्यार करती हूं लेकिन भाई बहन की तरह
उस तरह नही जिस तरह तुम करते हो, हमारे माशरे इसे गंदगी कहते हैं, तुम मुझे बहन की तरह प्यार कर सकते हो, पर जो तुम करते हो वो हवस है और कुछ नही।
भाई:- बाजी मुझसे अब बहन वाला प्यार नही होगा, मुझे आप अच्छी लगती है और मैं आपसे ऐसे ही प्यार करूँगा, चाहे तो आप अम्मी अब्बू को बता दे या फिर मुझे मार ले, अब मुझे कोई डर नही है।
मैं:- भाई तुम इतना जलील कैसे हो गए जो अपनी बहन से ही मोहब्बत करने चले हो।
भाई:- बाजी मैं क्या करूँ मुझसे अब बर्दास्त नही होता, मेरा मन करता है बस आपको देखता रहू, आपका प्यार ही अब मेरी जिंदगी है।
मैं:- चुप हो जाओ गलीज इंसान, क्या हो गया है तुम्हे कहाँ से सीखा है तुमने ये गंदा काम, मेरा कपड़ा कहाँ है जो तूने अपनी हवस में गन्दा किया है।
भाई:- भाई खड़े हुए और अपने तकिए के नीचे से मेरी कच्छी निकाली और अपने हाथों से पकड़ कर उसे देखते रहे
मैं भाई को इस तरह देख कर शर्मिंदा हो गयी और उसके हाथ से कच्छी छीन ली, ओर भाई से कहा
मैं:- सुधर जाओ भाई, ये अच्छी बात नही है तुमने मेरे कपड़े चुराने शुरू कर दिए और उन्हें गन्दा भी करते हो।
भाई:- भाई बाजी इस बात की माफी चाहता हूं, आगे से आपके कपड़े धोकर रख दिया करूँगा, मैंने भाई की तरह थप्पड़ दिखाया और चुप रहने का इशारा किया
मैं:- जा रही हूं मैं,ओर अपनी गंदी हरकतों से बाज आ जाओ वरना अब्बू को बताकर तुझे डांट लगवा दूंगी
भाई:- बाजी आप जो करो आपकी मर्जी मैं तो बस आपको ही प्यार करता रहूंगा।
मैं:- चुप कर ओर सोजा रात बहुत हो गयी है, मैं उठकर कमरे से बाहर निकलने लगी जैसे ही मैं दरवाजे पर पहुंची तो भाई ने आवाज दी
भाई:- बाजी एक रिकवेस्ट है सुबह अपनी कच्छी उतार कर हेंगर पर लटका देना, भाई अब खुलकर बोल रहा था, सायद वो मुझे भांप गया कि मैं उससे नाराज नही हूँ
मैं:- क्यों ताकि तुम फिरसे गंदा कर सको अपने गलीज पानी से
भाई:- बाजी मे धो दूंगा अगर गन्दा किया तो, बस आप सुबह हेंगर से लटका कर मदर्स चले जाना।
में उसकी बात को नजरअंदाज करके नीचे चली आई और कमरे में पहुंची और दरवाजा लॉक करके बेड पर सांसे दुरुस्त करने लगी।
भाई की मानसिकता मुझे पता लग गयी थी, वो अब रुकने वाला नही था।
मुझे ही उसे लाइन पर लाना होगा, मैं भी उससे अब ज्यादा झगड़ नही सकती, क्योंकि मेरा एक ही भाई है अगर उसने कुछ उल्टा सीधा कर लिया तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी।
मैंने भाई को प्यार से हैंडल करना है और उसके दिमाग से हवस का भूत उतारना है, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े।
इतने में मेरा ध्यान बेड पर पड़ी कच्छी पर गया और उसे गौर से देखने लगी। कच्छी अकड़ी हुई लग रही थी और उसपर जो भाई ने माल छोड़ा था वो सुख कर पपड़ी बन गया था।
मैं उसे नाक के पास लाई ओर सुंघा तो एक गंदी सी स्मेल मेरी नाक के रास्ते अंदर चली गयी। वो स्मेल गंदी थी फिर भी मेरा जिस्म उसे महसूस करके उत्तेजित हो रहा था, मेने उस पपड़ी बन चुके माल पर जीभ गुमाई तो मेरा थूक उस सूखे हुए माल पर लगा और एक तेज़ जायका मेरी जीभ पर आ गया।
मेने जीभ पर रखे माल को निगल गयी और दोबारा से जीभ घुमा घुमा कर माल पीने लगी। जब सब चाट लिया तो मैंने कच्छी को मरोड़ मरोड़ कर टाइट किया और मुँह के ऊपर रखकर दबाया तो एक कतरा उससे गिरने लगा जो मेरे हलक में जाके गिरा।
मैं भाई का माल आज फिरसे पी गयी,
मेरा जिस्म अब मदहोश होने लगा और चुत में चींटियां सी काटने लगी, जैसे कोई चुत पर अपने डंकों से वार कर रही हो।
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मैंने कच्छी साइड फेंकी ओर अपनी सलवार निकाल दी, सलवार निकालकर मेरा ध्यान मेरी कच्छी पर गया तो वो मुझे गीली गीली लगी। मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया तो उस पर मेरी गुलाबी चुत का पानी चिपका हुआ था, जो भाई का माल पीने से उत्तेजित होकर निकल गया था।
मुझे भी की वो बात याद आ गयी जब भाई ने बोला कि बाजी अपनी कच्छी हेंगर से टांक देना।
मैं सोच में पड़ गयी ऐसा क्या करेंगे भाई मेरी कच्छी के साथ, क्या दोबारा से भाई मेरी कच्छी को सूंघ कर उसपर अपना माल निकलेंगे, भाई की कच्छी सूंघने वाली बात सोचकर में गर्म होने लगी और कच्छी के ऊपर से ही चुत मसलने लगी।
चुत मसलते मसलते मुझे मजा आने लगा और मैं खुमारी में तेज तेज़ हाथ चलाने लगी ओर भाई की हरकतों को सोचकर मजा आने लगा। मैं भूल गयी कि जो हरकते मैं कर रही हूं वो ना काबिले गुनाह है, पर मैं जवानी के उस मोड़ पर थी जहां मुझे भी ये चीज अच्छी लगने लगी थी।
जवानी का जोश उबाल मार रहा था कि एकदम भाई का औजार जहन में आ गया
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कितना लम्बा ओर मोटा था भाई का लन्ड, मेरी कलाई से भी दोगुना मोटा, ओर उसपर चारो तरह नशों( veins)का ढेर
तौबह भाई भी पता नही क्या खाते है जो इतना लंबा मोटा लन्ड लिए बैठे हैं। मैं अब फूल उफान पर थी कभी भी मेरे अंदर का लावा फुट कर बाहर निकलने वाला था। अहह.हहहहहह.सीईई सीईई की आवाजें मेरे मुँह से निकलने लगी।
भाई के लन्ड से निकली पिचकारी को ओर निकले हुए माल को सोचकर मेरी गुलाबी चुत ने भी आंसू बहा दिए और मैं खल्लाश हो गयी। बहुत सारा चुत का पानी मेरी कच्छी पर लग चुका था जो कच्छी ने अपने अंदर सोंख लिया।
मुझे अब गीली कच्छी से उलझन होने लगी और मैंने उसे निकाला और देखा कि उसपर बहुत सारा पानी लगा हुआ था। मैंने उसे अखबार से लपेटा ओर बेड के नीचे फेंक दिया।
मेरा जिस्म ठंडा पड़ गया था जिस्म एक दम हल्का फुल्का हो गया, जैसे कितना ही बोझ मेरे पानी के साथ मेरे जिस्म से निकल गया हो।
मैंने सलवार पहनी ओर पानी पीकर लेट गयी कब नींद आई पता ही ना चला।
सुबह उठकर मदरसे की तैयारी करने लगी, कपड़े लिए ओर बेड के नीचे पड़ी हुई गंदी कच्छी को लेकर ऊपर बाथरूम चल दी
बाथरूम में पहुंच कर मैंने कपड़ो को टांगा ओर नहाने लगी
ग़ुस्ल किया और अच्छी तरह रगड़ रगड़ कर अपने जिस्म को साफ किया फिर साबुन लगा कर अच्छी तरह नहा कर फारिग हो गयी।
अपनी गंदी कच्छी पर निगाह गयी तो मुस्कुरा पड़ी, सायद मुझे भी भाई के लिए कच्छी देना अच्छा लग रहा था, जिस्म में एक रोमांच पैदा हो गया था।
कपड़े पहने ओर बाथरूम से निकल कर नीचे आ गयी।
अम्मी ने नास्ता लगाया इतने में भाई भी नीचे आ गए, हम सब बैठकर नास्ता करने लगे। भाई आज कुछ खुश लग रहे थे, उसकी वजह उसका प्यार इजहार करना था मेरे लिए।
मैंने भाई की तरफ निगाहे डाली तो वो मेरे सीने को घूर रहा रहा, मैंने उसे आंखे दिखाई फिर भी उनकी हरकत बदसूरत जारी रही।
मैंने नास्ता किया और अम्मी अब्बू से दुआ सलाम करके बाहर आकर मदरसे के लिए निकल गयी।
भाई की जुबानी:-
मैंने बाजी से अपना प्यार का इजहार कर दिया था अब देखना था बाजी इसमें मेरा साथ देती है या नही,
बाजी को रात में बोला था कि अपनी कच्छी बाथरूम में रख देना
मैंने नास्ता किया और बाजी के जाने का इंतज़ार कर रहा था,
आखिर बाजी के जाते ही मैं दौड़ कर बाथरूम गया और हेंगर पर लटकी हुई बाजी की कच्छी को उठा कर अपने कमरे में ले आया
कमरे में आकर मेने दरवाजा लॉक किया कहीं अम्मी ऊपर आकर मेरी हरकत देख ले। सबसे पहले मैंने अपने कपड़े निकाले ओर एक दम नंगा हो गया। नंगा होकर मेरा 9 इंच का अजगर फुंकार कर बाहर आ गया।
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कच्छी को उठाकर अपनी नाक पर रखकर सूंघने लगा और लन्ड को हिलाने लगा, आज बाजी की कच्छी पर ढेर सारा पानी लगा हुआ था, कहीं ना कहीं मैं भी अब बाजी के चुत रस का आदि हो गया था, कच्छी को सूंघते हुए मैंने अपनी जबान निकाल कर चाटने लगा और मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी।
बंद आंखों से मैं बाजी के सपने देखने लगा अहह.हह आह्हह बाजी तेरी चुत रस बड़ा मीठा है, क्या खूबसूरत चुत होगी बाजी, कब आएगा वो दिन जब मैं अपनी बाजी को प्यार करूँगा,
बाजी की गोल गोल चुचियों को मुँह में भर कर चुसूंगा, अहह हह हा बाजी मेरी प्यारी बाजी कब समझोगी तुम मेरी तड़प को
ओर मेरे लन्ड ने जहर छोड़ दिया जो बाजी की कच्छी को नहलाता चला गया। आज मेरे लन्ड ने इतना माल छोड़ा की उससे आधा ग्लास भर सकता था। मेरा लन्ड 9 इंच का था तो माल भी ढेर सारा निकलता था। मुठ मार कर मैंने बाजी की कच्छी को बाथरूम में ही छोड़ दिया और नहा धोकर आराम करने लगा।
मुठ मारकर आलस आ गया तो आराम करने लगा और बाजी के बारे में सोचने लगा। मैं आगे की प्लानिंग करने लगा, किस तरह बाजी को गर्म किया जाए, किस तरह बाजी को अपना बनाया जाए। नेट पर मैंने पढा था कि लड़की बड़े लन्ड को देखकर आकर्षित होती है जो पहले ही मेरे पास था।
मैंने एक सेक्सी किताब लाने के बारे में सोचा, ताकि बाजी गलती से वो किताबे देख ले और उनके मन मे भी सेक्स की तरफ रुचि बढ़े। मैं बाजार जाने के लिए तैयार हुआ और अम्मी को बताकर "अम्मी किताबे लेने जा रहा हूँ" बोलकर घर से निकल आया।
हमारे पास एक बाइक थी जिससे अब्बू दुकान पर जाते थे इसलिए मुझे सवारी से जाना था। मैंने ऑटो लिया और मार्किट चल पड़ा।
मार्किट पहुंच कर मैंने बुक सेलर वाली दुकान ढूंढना शुरू कर दी, काफी खोज बीन के बाद मुझे एक दुकान दिखी, वहां पहुंच कर मैं बुक्स देखने लगा। बुक्स दुकान के सामने लगी हुई जो फैली हुई थी। मैंने कुछ देर ढूंढा तो मुझे एक कवर पेज पर नंगा फ़ोटो दिखा। मैंने पेज पलट पलट कर पूरी किताब को देखा तो मुझे अच्छी लगी, वही साइड मैं एक ओर बुक थी जिस पर इन्सेस्ट कहानियां लिखा हुआ था। मैंने उसे भी खंगाल कर देखा तो उसमें रिश्तों पर आधारित सेक्स कहानियां थी।
मैंने दोनों बुक खरीदी ओर पैसे देकर घर की तरफ चल दिया।
मुझे एक बात का डर लगने लगा कि अगर अम्मी किताबों के बारे में पूछेगी या उन्होंने किताबें देख ली तो कयामत आ जायेगी।
मैं उन्हें छिपाने की तरकीब सोचने लगा तभी मैंने सोचा इन्हें पीछे की साइड शर्ट में छिपा लेता हूँ और कमीज पैंट के अंदर डाल लेता हूँ ताकि किताबे गिरे ना।
मैंने ऐसा ही किया और घर पहुंचा तो अम्मी घर के कामों में लगी हुई थी, बाजी अभी नही आई थी। बाजी अक्सर दोपहर एक बजे के आसपास आती थी
मैंने अम्मी को बोला कि अम्मी में आ गया हूँ किताबे लेकर
अम्मी ने बोला मिल गयी बेटा किताबें
मैंने कहाँ अम्मी अभी किताबे नही थी लेकिन दुकानदार ने बोला कि एक दो दिन में आ जाएंगी तब लेकर चले जाना
अम्मी ने बोला चलो कोई बात नही बेटा, अम्मी आज नहा धोकर गजब की खूबसूरत लग रही थी।

मेरी नियत अम्मी पर बिगड़ने लगी थी, मुझे वो दिन याद आ गया किस तरह मैंने अम्मी की गाँड़ देखकर ओर सूंघकर अपना माल निकाला था, हालांकि अम्मी बहुत नेक ओर परहेजगार थी पर मेरी चढ़ती हवस अब कोई रिश्ता नाता नही देख रही थी।
फिलहाल में बाजी पर ध्यान लगाना चाहता था, अम्मी थोड़ी हेल्थी थी अम्मी जब चलती तो उसके चूतड़ आपस मे टकराते थे।
सीने पर दो बड़े बड़े फुटबाल नुमा चुचे थे, जिन्हें सायद अब्बा ने खूब चूसा होगा। अम्मी को थोड़ी देर ताड़ कर मैं ऊपर चला गया और सेक्सी किताब जिसमे नंगे फ़ोटो थे उसे गोर से देखने लगा।
उस किताब ने चुदाई करते हुए फ़ोटो थी, किसी फ़ोटो में लड़का गाँड़ मार रहा था तो किसी फ़ोटो में चुत। लगभग सभी प्रकार के फोटो उस किताब में थे। फिर मेने दूसरी किताब उठाई जिसमे माँ बहन की सेक्सी कहानियां थी।
मैंने उसे ओपन किया तो उसमें तरह तरह की कहानियां थी, उनमें से एक कहानी का टाइटल " माँ बहन को चोदा" उस पर मेरा ध्यान चला गया। मैं इतना पढ़कर ही उत्तेजित हो गया कि कोई मां बहन को भी चोदता है क्या, या फिर ये सब झूटी कहानियां है।
नही नही अगर ये झूटी है तो पोर्न वीडियो में भी तो मैंने देखा था कैसे एक बेटा अपनी गदराई हुई माँ को चोद रहा था।
फिर मैंने पहला पेज पढ़ा जिसमे राइटर ने लिखा
"सभी कहानियां हकीकत है ओर अलग अलग लोगो ने आकर अपनी सच्ची आपबीती हमे बताई और हमने सोचा क्यों ना इन कहानियों को एक किताब के रूप में आप सब को पेश किया जाए"
इतना पढ़कर मुझे यकीन हो गया कि दुनियां में बहुत से लोग हैं जो अपनी माँ बहन को ही चोदते है।
मैंने कहानी पढ़ने का सोचा लेकिन रात तक के लिए मैंने अपना इरादा रोक लिया।
इसके बाद मैं अपनी पढ़ाई के लिए बैठ गया जो मैं रोजाना करता हूँ। थोड़ी देर बाद मुझे नीचे से बाजी की आवाज आई जो अम्मी को कुछ कह रही थी। मुझे पता था बाजी अब बाथरूम आएगी और अपनी कच्छी को देखेगी की उसका मैंने क्या किया है।
अंदाजे के मुताबिक सीढ़ियों से किसी के आने की आवाज आती गयी। मैं चौकन्ना हो गया और पढ़ाई करने लगा ताकि बाजी को पता चले कि मैं पढ़ रहा हूँ, असल मैं बाजी को शक नही करवाना चाहता था कि मुझे बाजी का ऊपर आना पता है।
मैं देखना चाहता था कि बाजी बाथरूम में क्या करती है।
बाजी ऊपर आई और की-होल से मुझे पड़ता देखा, मुझे भी बाजी का अंदाजा हो गया कि बाजी रूम के अंदर झाक रही है। इसलिये मैने ध्यान पढ़ाई पर रखा।
बाजी मुझे पड़ता देखकर बाथरूम चली गयी, मैं बहुत आराम से धीरे धीरे कदमो से बाहर आया और बाथरूम के पास पहुंच गया, मुझे डर नही था क्योंकि मैं बाजी से कह चुका था कि उनसे प्यार करता हूँ। अगर बाजी ने देख भी लिया तो कोई डर नही था
आने को तो मैं सीधा भी आ सकता था लेकिन फिर बाजी वो नही करती जो मैं देखना चाहता था आप समझ गए होंगे उम्मीद है
मैं धीरे से नीचे बैठा ओर अपनी निगाहे दरवाजे के नीचे से अंदर बाथरूम में डाली तो बाजी खड़ी थी। लेकिन उसका मुँह नही दिख रहा था। मैंने थोड़ा आगे मुँह किया तो मुझे बाजी का मुँह दिख गया। बाजी खड़ी थी और उनके हाथों में अपनी गंदी कच्छी थी, जिसे वो चाट रही थी। बाजी कभी उस कच्छी पर थूक फेंकती ओर फिर चाट लेती। बाजी का ये रूप मैं पहली बार देख रहा था। बाजी कितनी पढ़ी लिखी थी, रोज तालीम हासिल करने मदरसे जाती थी, अम्मी अब्बू को उनसे स्कोलर बनने की उम्मीद थी, लेकिन बाजी किसी बाजारू रंडी की तरह अपनी ही गंदी कच्छी पर अपने भाई का गाढ़ा माल चाट कर पी रही थी।
मुझे बाजी के लिए बुरा लग रहा था मुझे तरस आ रहा था बाजी पर , कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं भी था। बाजी को मैं प्यार करता था लेकिन उनसे इतने गंदे काम की उम्मीद नही की थी। इतनी गंदी हरकतें मेरी अपकमिंग स्कोलर बाजी करेगी मुझे अंदाजा ना था।
हवस भी क्या चीज बनाई है जो ना रिस्ते देखती है ना शर्म, इन्ही सोचो में घूम था कि मेरा ध्यान बाजी पर गया जो सायद रो रही थी क्योंकि बाजी का आंसुओ से भरा दिखाई दिया।
बाजी का रोना मुझे हैरान कर रहा था कि बाजी का क्या हुआ, अभी तो मेरा माल अपनी कच्छी से चाट चाटकर साफ किया है और अभी रोने भी लगी, मुझे कुछ समझ नही आया।
[बाजी का रोना आगे स्टोरी में पता लगेगा जो बाजी मुझे खुद बतायेगी]
मैं वहां से उठा और कमरें मैं आ गया।
बाजी के बाथरूम से निकलने ओर सीढ़ियाँ उतरने की आवाज आई और वो भी नीचे चली गयी।
शाम को मैं खाना खाने नीचे गया तो बाजी कुछ अजीब सी बेचैनी में दिखी। बाजी अम्मी के साथ खाना लगा रही थी।
मैं बरामदे में बैठा बाजी ओर अम्मी को चुपके से देख रहा था
की मेरा ध्यान अम्मी पर गया जो नीचे झुक कर कुछ चीज ढूंढ रही थी।
बाजी तो बाजी मेरा दिल अम्मी की गाँड़ पर भी आ गया था, क्या गुदाज ओर गदराई हुई गाँड़ थी अम्मी की
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इसी बीच खाना लगा अब्बू कमरे से निकलकर खाने के लिए ओर मुझे वहां बैठा देखकर मेरा हाल चाल पूछा।
अब्बू को मैं खाने के टाइम ही मिलता था, क्योंकि अम्मी अब्बू ऊपर कभी कभार ही आते थे।
ओर दिन में अब्बू दुकान पर होते है, अब्बू से दुआ सलाम किया और पढ़ाई लिखाई का पूछ कर खाने के लिए बैठ गए।
इतने मैं बाजी ओर अम्मी ने खाना रखा और सब बैठ कर खाना शुरू किया। खाने पर ऐसी कोई बात नही
सब खाना वगेरह से फारिग होकर अपने अपने कमरे चले गए।
 
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