Mst bhai randi ammi ko aram se chudvana bete se paheli kisi ke sath pakade ammi ko chuvate phir black mail kare sexsud kare phir chodeअपडेट 6
अगले दिन कि सुबह मेरी आँख खुली तो टाइम 9:00 बज रहे थे। मेने बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और नीचे डाइनिंग हाल में आया तो अम्मी किचन में नास्ता बना रही थी। अब्बू नहा धोकर तैयार बैठे थे और अखबार पढ़ रहे थे एक सोफे पर बैठकर। अब्बू भी नास्ते का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने अम्मी को आवाज लगाई " अम्मी नास्ते में कितना टाइम लगेगा"
अम्मी:- बस हो गया बेटा 5 मिनट ओर लगेगी
मैं फिर वहीं बैठकर मोबाइल चलाने लगा, कुछ देर बाद अम्मी नास्ता लेकर आई । इतने में बाजी भी नास्ते की टेबल पर आ गयी। आज बाजी बहुत प्यारी लग रही थी,
बाजी ने बुर्का पहना हुआ था, क्योंकि बाजी नास्ता करके मदरसे जाने वाली थी।
शैतान मुझपर धीरे धीरे हावी होने लगा और मैं बाजी को हवस भरी नजरों से देखने लगा। बाजी की कमर बुर्के से बाहर निकल जाती थी क्योंकि बाजी की कमर थोड़ी बाहर को निकली रहती थी। बाजी के मम्मों का कटाव भी साफ दिखता था। बाजी के मम्मे बुर्के में गोल गोल नजर आ रहे थे, जो मेरा लन्ड खड़ा करने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और बाजी मदरसे निकल गयी और अब्बू दुकान के लिए
फिर मैं भी कमरे में चला गया ओर पढ़ने के लिए बैठ गया। पढ़ते पढ़ते जब बोर हो गया तो मैंने मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगा। गाने सुनते हुए मेरा मन फिर से गंदी वीडियोस देखने को हुआ। अब मेरा रोजाना गंदी वीडियोस देखने का मामूल (आदत) बनता जा रहा था। मेने पोर्न सर्च किया और देखने लगा। जिसमे वही नार्मल चुदाई वाली वीडियो थी।
फिर मुझे एक ऐसी वीडियो दिखी जिसके नीचे "माँ बेटे की चुदाई" ऐसा कुछ लिखा था। और मैं हैरानी से सोचने लगा कि अब क्या दुनियां में यही गंदगी बची थी जो कोई अपनी माँ के साथ ही हमबिस्तर हो।
मैंने वीडियो ओपन की जिसमे एक मुस्लिम औरत थी, जो जिस्म से हट्टी कट्टी ओर गदराई हुई थी
एक उस लड़के का लन्ड चूस रही थी, मैं हैरान पूर्वक उस वीडियो को देखता गया।
वीडियो में उस लड़के कभी लन्ड चुसाया, कभी चुत मारता कभी गाँड़।
मुझे यकीन नही आ रहा था कि दुनियां में क्या ऐसे भी लोग है जो अपनी माँ को भी चोद लेते हैं। क्या मजबूरी रहती होगी इनकी या इन्हें मजा आता है।
मेरे पास कोई जवाब नही था, औरत के हाव भाव से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, उसके मम्मों के ऊपर उस आदमी ने अपना माल छोड़ा था जो उसका बेटा था।
मैंने फ़ोन बंद किया और सोचने लगा कि कितनी गंदी दुनियां है जिसमे रिश्तों का कोई लिहाज नही, अपनी लाज लज्जत की कोई फिक्र नही ओर इन गुनाहों में मुब्तिला (शामिल) है।
मैं खड़ा हुआ और पानी के लिए जग के पास गया तो वो खाली था।
मैंने गिलास उठाया और पानी पीने नीचे उतर कर जाने लगा।
(नीचे हमारे दो कमरे थे एक साथ । कमरों के बीचों बीच एक किचन था ओर कमरों के सामने बरामदा था, जिसमे एक दो पलँग बिछे रहते थे एक सोफा रहता था बरामदे में ही हम लोग टेबल लगाकर खाना खाते थे)
बरामदे में पहुंचा तो मुझे अम्मी लेटी हुई दिखी जो पलंग पर सो गई थी। उसके साइड में एक दीनी किताब पड़ी हुई थी। अम्मी अक्सर दोपहर को दीन/अरबी किताब पढ़ती है और फिर वहीं सो जाती। क्योंकि किताबें पढ़कर नींद कब आती है पता ही नही चलता।
अम्मी कुछ तरह सोई हुई थी
अम्मी ने एक टांग फोल्ड की हुई थी जिससे अम्मी की विशालकाय गाँड़ मेरी नजरों के सामने थी।
अम्मी के टांग फोल्ड होने की वजह से सलवार चूतड़ों से चिपकी हुई थी और कमीज ऊपर हो गयी थी सोते समय
अम्मी की गाँड़ का शानदार नजारा मेरे सामने था।
अम्मी एक तालीम याफ्ता औरत थी जिसे बस अपने बच्चों और शौहर से मतलब था, बाकी समय दीनदारी में टाइम देती थी। अम्मी की तारीफ पूरे कस्बे में थी उनकी परहेजगारी ओर नेक होने की वजह से।
लेकिन आज अम्मी को इस हालत में देखकर मैं अपने आपको काबू नही रख पा रहा था। दिल रोकने की गवाही दे रहा था तो दिमाग मुझे उकसा रहा था।
मेरी पाक दामन अम्मी बेखबर सो रही थी उसे क्या पता कि उसका बेटा उसकी किन किन चीजों को देख रहा है।
में पलट कर साइड में गया तो मुझे एक ओर नजारा मिला
अम्मी के बूब्स कमीज से झांक रहे थे, जैसे कि आजाद होना चाहते हो। अम्मी के मम्मे एक दम सफेद और दुध जैसे थे। और मम्मों कि मोटाई भी अच्छी खासी थी और गोल मटोल थे।
मुझे एक दम वो " माँ बेटे वाली वीडियो" याद आ गयी जिसमे माँ अपने बेटे से गंदा काम करती है।
उस वीडियो और अम्मी को हालत में सोता देख मेरा लन्ड खड़ा हो गया, ओर झूमने लगा मैं कभी अम्मी के मम्मों को देखता कभी अम्मी की गाँड़ का।
मैं एक फिर अम्मी के चूतड़ों की तरफ आया और चूतड़ों का जायजा लेने लगा,अम्मी की गाँड़ में मेरा बुरा हाल कर दिया, ओर मैं अपने लन्ड को भी मसलता रहा।
आज मुझपर एक जुनून सवार था हवस का मैं अच्छे बुरे का फर्क भूल गया था, सामने जो नजारा था उसका आनंद ले रहा था। मैंने हिम्मत करके अम्मी की गाँड़ के नजदीक अपना मुँह किया और गोर से देखने लगा।
अम्मी की गाँड़ वाकई लाजवाब थी एक दम टाइट ओर गदराई हुई मांस जितना होना चाहिए उतना मांस था अम्मी की गाँड़ पर।
मैंने हवस के हाथों मजबूर होकर अपना मुँह अम्मी के गाँड़ से बिल्कुल करीब लाया, अब अम्मी की गाँड़ ओर मेरे मुँह के बीच मैं बस 2 इंच का फर्क था।
मैंने अम्मी की गाँड़ के पास मुँह लाकर एक जोरदार साँस खींची ओर उस साँस में अम्मी की गाँड़ से एक मादक महक मेरे नथुनों में घुस गई। गाँड़ से क्या खुसबू आ रही थी बिल्कुल मादकता से भरपूर। अम्मी की गाँड़ से कुछ कुछ पाद (जिसे fart बोलते है जो सोते समय अक्सर आता है) जैसी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। अम्मी का पाद सूंघकर जो मजा मिला उसके बयान करना मेरे बस मैं नही है।
गाँड़ से मुँह लगाकर मैं जोर जोर से सांस खीँचने लगा या यूं कहें सूंघना लगा और मैंने हवस की ड़ोर थामें अपना लन्ड लोअर से बाहर निकाल लिया
अम्मी की गांड के नशे में मुझे कोई होश नही था कि अम्मी कभी भी जाग सकती है, या बाजी भी आ सकती है मदरसे से। मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा वैसे भी अम्मी गहरी नींद में सोती है क्यों ना आज में इन लम्हों का मजा लिया जाए
हाथ मेरा लन्ड पर ही था और उसे मुठिया रहा था, मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोचा ओर अम्मी की इलास्टिक वाली सलवार के ऊपरी हिस्से को दोनों हाथों से पकड़ा और आराम आराम से नीचे करने लगा। डर से मेरे हाथ कांप रहे थी, आखिरकार में अम्मी की सलवार नीचे करने में सफल हो गया।
(दोस्तों अब से कुछ मजहबी शब्द इस्तेमाल होंगे जो कहानी को ओर भी मादक बनाएंगे)
सलवार इतना नीचे हो गयी की अम्मी की साफ सुथरी, मजहबी ओर नमाजी पाकीजा गाँड़ बिल्कुल मेरे सामने नंगी थी। सलवार निकलने से अम्मी की गाँड़ का छेद ओर चुत की फांके दिखने लगी
अम्मी की गाँड़ का भूरा छेद एक दम कसा हुआ था जैसे एक तिनका भी अंदर नही जाएगा,
(मुझे क्या पता ये हमारी तहजीबदार, नेक खातून, शर्मो हया का दामन थामे हुए पाकीजा औरतें के अंदर कितने ही जोशीले लन्ड घुसकर अपना आत्म समर्पण कर गए और उनका नामो ओ निशान ना मिला)
गाँड़ का छेद कभी खुलता कभी बंद होता। गाँड़ की मिड भाग पर सिलवटे थी जो कतारबद्ध अम्मी की पाकीजा गाँड़ के छेद की तरह जा रही थी, जो अम्मी की नमाजी गाँड़ को ओर भी मादक ओर लज्जत दार बना रही थी,
मैं अम्मी की नंगी नमाजी गाँड़ के पास अपनी नाक लाया और एक सांस खींची, अहहहहहहहह क्या महक थी अम्मी की गाँड़ से गुलाब की महक भी फीकी पड़ जाए। मैंने उस महक को से अपने तन बदन को तरोताजा किया और लगातार सांसे लेने लगा।
अचानक अम्मी की गाँड़ का छेद थोड़ा खुला ओर एक मधुर आवाज से जोरदार पाद(fart) मेरे मुँह पर आकर लगा , मेरा मुँह नाक अम्मी की गाँड़ के पास था तो समूचा पाद मेरे मुँह ओर नाक के रास्ते अंदर चला गया। पाद की महक इतनी बुरी नही थी जितना उसमे मादकता ओर नशा था। ऐसा नशा जो तन बदन में खून का संचार बढ़ा दे। ऐसा नशा जिसे जितना किया जाए उतना कम। अम्मी के पाद के नशे से निकल कर मेने अपनी आंखें खोली जो पाद सूंघते समय आनंद में अपने आप बंद ही गयी थी। आंखे खोली तो अम्मी की हसीन गाँड़ का छेद सामने था। मैंने हवस की हालत में आगे बढ़ने का सोचा लेकिन एक डर अभी भी था के अगर अम्मी ने जाग जाना है तो मुझे मौत के सिवा कुछ नही मिलेगा, पर पोर्न देखते देखते ओर अम्मी को इस तरह महसूस करके वो डर भी अब छोटा पड़ गया था।
मैंने ऊपर वाला का नाम लिया और अम्मी की खुशबूदार छेद पर अपनी जबान की नोक रख दी।
छेद ओर जबान टच होते ही मेरा 9 इंच लौड़ा फुल अकड़ गया और उससे प्री-कम निकलने लगा।
मैंने अम्मी की छेद पर एक दो बार जीभ टच, बाकी मैं अम्मी के छेद के पास नाक रखकर सूंघता रहा।
बदन में नशा बढ़ता गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरे लन्ड ने वीर्ये की बारिश कर दी।
मेरा ढेर सारा वीर्या फर्श पर पड़ा था, वीर्ये की मात्रा इतनी थी के उससे आधा ग्लास भर सकता था जो मेरे लिए चोंका देने वाला सीन था।
मैंने अम्मी की सलवार को ऊपर किया और सही तरीके से पहना दिया।
अब मैं हवस से बाहर निकल कर अपनी असली दुनियां में आ गया और एक कपड़ा लेकर फर्श पर पड़े अपने वीर्ये को साफ किया और बाहर आ गया
ओर कमरे में आकर इस घटना का मुआयना करने लगा
【अगला सेक्सी अपडेट तब आएगा जब कम से 30 कमेंट कर दोगे। कमेंट मैं अपना सुझाव रखें और कोनसी चीज ने आपको ज्यादा उत्तेजित किया वो बताना】
Bhai kahani bahot hi shandaar he padhkar maja hi aa jata he sirf ek complaint he thode bade update dijiyega ho sake to...अपडेट 6
अगले दिन कि सुबह मेरी आँख खुली तो टाइम 9:00 बज रहे थे। मेने बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और नीचे डाइनिंग हाल में आया तो अम्मी किचन में नास्ता बना रही थी। अब्बू नहा धोकर तैयार बैठे थे और अखबार पढ़ रहे थे एक सोफे पर बैठकर। अब्बू भी नास्ते का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने अम्मी को आवाज लगाई " अम्मी नास्ते में कितना टाइम लगेगा"
अम्मी:- बस हो गया बेटा 5 मिनट ओर लगेगी
मैं फिर वहीं बैठकर मोबाइल चलाने लगा, कुछ देर बाद अम्मी नास्ता लेकर आई । इतने में बाजी भी नास्ते की टेबल पर आ गयी। आज बाजी बहुत प्यारी लग रही थी,
बाजी ने बुर्का पहना हुआ था, क्योंकि बाजी नास्ता करके मदरसे जाने वाली थी।
शैतान मुझपर धीरे धीरे हावी होने लगा और मैं बाजी को हवस भरी नजरों से देखने लगा। बाजी की कमर बुर्के से बाहर निकल जाती थी क्योंकि बाजी की कमर थोड़ी बाहर को निकली रहती थी। बाजी के मम्मों का कटाव भी साफ दिखता था। बाजी के मम्मे बुर्के में गोल गोल नजर आ रहे थे, जो मेरा लन्ड खड़ा करने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और बाजी मदरसे निकल गयी और अब्बू दुकान के लिए
फिर मैं भी कमरे में चला गया ओर पढ़ने के लिए बैठ गया। पढ़ते पढ़ते जब बोर हो गया तो मैंने मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगा। गाने सुनते हुए मेरा मन फिर से गंदी वीडियोस देखने को हुआ। अब मेरा रोजाना गंदी वीडियोस देखने का मामूल (आदत) बनता जा रहा था। मेने पोर्न सर्च किया और देखने लगा। जिसमे वही नार्मल चुदाई वाली वीडियो थी।
फिर मुझे एक ऐसी वीडियो दिखी जिसके नीचे "माँ बेटे की चुदाई" ऐसा कुछ लिखा था। और मैं हैरानी से सोचने लगा कि अब क्या दुनियां में यही गंदगी बची थी जो कोई अपनी माँ के साथ ही हमबिस्तर हो।
मैंने वीडियो ओपन की जिसमे एक मुस्लिम औरत थी, जो जिस्म से हट्टी कट्टी ओर गदराई हुई थी
एक उस लड़के का लन्ड चूस रही थी, मैं हैरान पूर्वक उस वीडियो को देखता गया।
वीडियो में उस लड़के कभी लन्ड चुसाया, कभी चुत मारता कभी गाँड़।
मुझे यकीन नही आ रहा था कि दुनियां में क्या ऐसे भी लोग है जो अपनी माँ को भी चोद लेते हैं। क्या मजबूरी रहती होगी इनकी या इन्हें मजा आता है।
मेरे पास कोई जवाब नही था, औरत के हाव भाव से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, उसके मम्मों के ऊपर उस आदमी ने अपना माल छोड़ा था जो उसका बेटा था।
मैंने फ़ोन बंद किया और सोचने लगा कि कितनी गंदी दुनियां है जिसमे रिश्तों का कोई लिहाज नही, अपनी लाज लज्जत की कोई फिक्र नही ओर इन गुनाहों में मुब्तिला (शामिल) है।
मैं खड़ा हुआ और पानी के लिए जग के पास गया तो वो खाली था।
मैंने गिलास उठाया और पानी पीने नीचे उतर कर जाने लगा।
(नीचे हमारे दो कमरे थे एक साथ । कमरों के बीचों बीच एक किचन था ओर कमरों के सामने बरामदा था, जिसमे एक दो पलँग बिछे रहते थे एक सोफा रहता था बरामदे में ही हम लोग टेबल लगाकर खाना खाते थे)
बरामदे में पहुंचा तो मुझे अम्मी लेटी हुई दिखी जो पलंग पर सो गई थी। उसके साइड में एक दीनी किताब पड़ी हुई थी। अम्मी अक्सर दोपहर को दीन/अरबी किताब पढ़ती है और फिर वहीं सो जाती। क्योंकि किताबें पढ़कर नींद कब आती है पता ही नही चलता।
अम्मी कुछ तरह सोई हुई थी
अम्मी ने एक टांग फोल्ड की हुई थी जिससे अम्मी की विशालकाय गाँड़ मेरी नजरों के सामने थी।
अम्मी के टांग फोल्ड होने की वजह से सलवार चूतड़ों से चिपकी हुई थी और कमीज ऊपर हो गयी थी सोते समय
अम्मी की गाँड़ का शानदार नजारा मेरे सामने था।
अम्मी एक तालीम याफ्ता औरत थी जिसे बस अपने बच्चों और शौहर से मतलब था, बाकी समय दीनदारी में टाइम देती थी। अम्मी की तारीफ पूरे कस्बे में थी उनकी परहेजगारी ओर नेक होने की वजह से।
लेकिन आज अम्मी को इस हालत में देखकर मैं अपने आपको काबू नही रख पा रहा था। दिल रोकने की गवाही दे रहा था तो दिमाग मुझे उकसा रहा था।
मेरी पाक दामन अम्मी बेखबर सो रही थी उसे क्या पता कि उसका बेटा उसकी किन किन चीजों को देख रहा है।
में पलट कर साइड में गया तो मुझे एक ओर नजारा मिला
अम्मी के बूब्स कमीज से झांक रहे थे, जैसे कि आजाद होना चाहते हो। अम्मी के मम्मे एक दम सफेद और दुध जैसे थे। और मम्मों कि मोटाई भी अच्छी खासी थी और गोल मटोल थे।
मुझे एक दम वो " माँ बेटे वाली वीडियो" याद आ गयी जिसमे माँ अपने बेटे से गंदा काम करती है।
उस वीडियो और अम्मी को हालत में सोता देख मेरा लन्ड खड़ा हो गया, ओर झूमने लगा मैं कभी अम्मी के मम्मों को देखता कभी अम्मी की गाँड़ का।
मैं एक फिर अम्मी के चूतड़ों की तरफ आया और चूतड़ों का जायजा लेने लगा,अम्मी की गाँड़ में मेरा बुरा हाल कर दिया, ओर मैं अपने लन्ड को भी मसलता रहा।
आज मुझपर एक जुनून सवार था हवस का मैं अच्छे बुरे का फर्क भूल गया था, सामने जो नजारा था उसका आनंद ले रहा था। मैंने हिम्मत करके अम्मी की गाँड़ के नजदीक अपना मुँह किया और गोर से देखने लगा।
अम्मी की गाँड़ वाकई लाजवाब थी एक दम टाइट ओर गदराई हुई मांस जितना होना चाहिए उतना मांस था अम्मी की गाँड़ पर।
मैंने हवस के हाथों मजबूर होकर अपना मुँह अम्मी के गाँड़ से बिल्कुल करीब लाया, अब अम्मी की गाँड़ ओर मेरे मुँह के बीच मैं बस 2 इंच का फर्क था।
मैंने अम्मी की गाँड़ के पास मुँह लाकर एक जोरदार साँस खींची ओर उस साँस में अम्मी की गाँड़ से एक मादक महक मेरे नथुनों में घुस गई। गाँड़ से क्या खुसबू आ रही थी बिल्कुल मादकता से भरपूर। अम्मी की गाँड़ से कुछ कुछ पाद (जिसे fart बोलते है जो सोते समय अक्सर आता है) जैसी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। अम्मी का पाद सूंघकर जो मजा मिला उसके बयान करना मेरे बस मैं नही है।
गाँड़ से मुँह लगाकर मैं जोर जोर से सांस खीँचने लगा या यूं कहें सूंघना लगा और मैंने हवस की ड़ोर थामें अपना लन्ड लोअर से बाहर निकाल लिया
अम्मी की गांड के नशे में मुझे कोई होश नही था कि अम्मी कभी भी जाग सकती है, या बाजी भी आ सकती है मदरसे से। मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा वैसे भी अम्मी गहरी नींद में सोती है क्यों ना आज में इन लम्हों का मजा लिया जाए
हाथ मेरा लन्ड पर ही था और उसे मुठिया रहा था, मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोचा ओर अम्मी की इलास्टिक वाली सलवार के ऊपरी हिस्से को दोनों हाथों से पकड़ा और आराम आराम से नीचे करने लगा। डर से मेरे हाथ कांप रहे थी, आखिरकार में अम्मी की सलवार नीचे करने में सफल हो गया।
(दोस्तों अब से कुछ मजहबी शब्द इस्तेमाल होंगे जो कहानी को ओर भी मादक बनाएंगे)
सलवार इतना नीचे हो गयी की अम्मी की साफ सुथरी, मजहबी ओर नमाजी पाकीजा गाँड़ बिल्कुल मेरे सामने नंगी थी। सलवार निकलने से अम्मी की गाँड़ का छेद ओर चुत की फांके दिखने लगी
अम्मी की गाँड़ का भूरा छेद एक दम कसा हुआ था जैसे एक तिनका भी अंदर नही जाएगा,
(मुझे क्या पता ये हमारी तहजीबदार, नेक खातून, शर्मो हया का दामन थामे हुए पाकीजा औरतें के अंदर कितने ही जोशीले लन्ड घुसकर अपना आत्म समर्पण कर गए और उनका नामो ओ निशान ना मिला)
गाँड़ का छेद कभी खुलता कभी बंद होता। गाँड़ की मिड भाग पर सिलवटे थी जो कतारबद्ध अम्मी की पाकीजा गाँड़ के छेद की तरह जा रही थी, जो अम्मी की नमाजी गाँड़ को ओर भी मादक ओर लज्जत दार बना रही थी,
मैं अम्मी की नंगी नमाजी गाँड़ के पास अपनी नाक लाया और एक सांस खींची, अहहहहहहहह क्या महक थी अम्मी की गाँड़ से गुलाब की महक भी फीकी पड़ जाए। मैंने उस महक को से अपने तन बदन को तरोताजा किया और लगातार सांसे लेने लगा।
अचानक अम्मी की गाँड़ का छेद थोड़ा खुला ओर एक मधुर आवाज से जोरदार पाद(fart) मेरे मुँह पर आकर लगा , मेरा मुँह नाक अम्मी की गाँड़ के पास था तो समूचा पाद मेरे मुँह ओर नाक के रास्ते अंदर चला गया। पाद की महक इतनी बुरी नही थी जितना उसमे मादकता ओर नशा था। ऐसा नशा जो तन बदन में खून का संचार बढ़ा दे। ऐसा नशा जिसे जितना किया जाए उतना कम। अम्मी के पाद के नशे से निकल कर मेने अपनी आंखें खोली जो पाद सूंघते समय आनंद में अपने आप बंद ही गयी थी। आंखे खोली तो अम्मी की हसीन गाँड़ का छेद सामने था। मैंने हवस की हालत में आगे बढ़ने का सोचा लेकिन एक डर अभी भी था के अगर अम्मी ने जाग जाना है तो मुझे मौत के सिवा कुछ नही मिलेगा, पर पोर्न देखते देखते ओर अम्मी को इस तरह महसूस करके वो डर भी अब छोटा पड़ गया था।
मैंने ऊपर वाला का नाम लिया और अम्मी की खुशबूदार छेद पर अपनी जबान की नोक रख दी।
छेद ओर जबान टच होते ही मेरा 9 इंच लौड़ा फुल अकड़ गया और उससे प्री-कम निकलने लगा।
मैंने अम्मी की छेद पर एक दो बार जीभ टच, बाकी मैं अम्मी के छेद के पास नाक रखकर सूंघता रहा।
बदन में नशा बढ़ता गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरे लन्ड ने वीर्ये की बारिश कर दी।
मेरा ढेर सारा वीर्या फर्श पर पड़ा था, वीर्ये की मात्रा इतनी थी के उससे आधा ग्लास भर सकता था जो मेरे लिए चोंका देने वाला सीन था।
मैंने अम्मी की सलवार को ऊपर किया और सही तरीके से पहना दिया।
अब मैं हवस से बाहर निकल कर अपनी असली दुनियां में आ गया और एक कपड़ा लेकर फर्श पर पड़े अपने वीर्ये को साफ किया और बाहर आ गया
ओर कमरे में आकर इस घटना का मुआयना करने लगा
【अगला सेक्सी अपडेट तब आएगा जब कम से 30 कमेंट कर दोगे। कमेंट मैं अपना सुझाव रखें और कोनसी चीज ने आपको ज्यादा उत्तेजित किया वो बताना】
Bahut shandar updateअपडेट 6
अगले दिन कि सुबह मेरी आँख खुली तो टाइम 9:00 बज रहे थे। मेने बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और नीचे डाइनिंग हाल में आया तो अम्मी किचन में नास्ता बना रही थी। अब्बू नहा धोकर तैयार बैठे थे और अखबार पढ़ रहे थे एक सोफे पर बैठकर। अब्बू भी नास्ते का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने अम्मी को आवाज लगाई " अम्मी नास्ते में कितना टाइम लगेगा"
अम्मी:- बस हो गया बेटा 5 मिनट ओर लगेगी
मैं फिर वहीं बैठकर मोबाइल चलाने लगा, कुछ देर बाद अम्मी नास्ता लेकर आई । इतने में बाजी भी नास्ते की टेबल पर आ गयी। आज बाजी बहुत प्यारी लग रही थी,
बाजी ने बुर्का पहना हुआ था, क्योंकि बाजी नास्ता करके मदरसे जाने वाली थी।
शैतान मुझपर धीरे धीरे हावी होने लगा और मैं बाजी को हवस भरी नजरों से देखने लगा। बाजी की कमर बुर्के से बाहर निकल जाती थी क्योंकि बाजी की कमर थोड़ी बाहर को निकली रहती थी। बाजी के मम्मों का कटाव भी साफ दिखता था। बाजी के मम्मे बुर्के में गोल गोल नजर आ रहे थे, जो मेरा लन्ड खड़ा करने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और बाजी मदरसे निकल गयी और अब्बू दुकान के लिए
फिर मैं भी कमरे में चला गया ओर पढ़ने के लिए बैठ गया। पढ़ते पढ़ते जब बोर हो गया तो मैंने मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगा। गाने सुनते हुए मेरा मन फिर से गंदी वीडियोस देखने को हुआ। अब मेरा रोजाना गंदी वीडियोस देखने का मामूल (आदत) बनता जा रहा था। मेने पोर्न सर्च किया और देखने लगा। जिसमे वही नार्मल चुदाई वाली वीडियो थी।
फिर मुझे एक ऐसी वीडियो दिखी जिसके नीचे "माँ बेटे की चुदाई" ऐसा कुछ लिखा था। और मैं हैरानी से सोचने लगा कि अब क्या दुनियां में यही गंदगी बची थी जो कोई अपनी माँ के साथ ही हमबिस्तर हो।
मैंने वीडियो ओपन की जिसमे एक मुस्लिम औरत थी, जो जिस्म से हट्टी कट्टी ओर गदराई हुई थी
एक उस लड़के का लन्ड चूस रही थी, मैं हैरान पूर्वक उस वीडियो को देखता गया।
वीडियो में उस लड़के कभी लन्ड चुसाया, कभी चुत मारता कभी गाँड़।
मुझे यकीन नही आ रहा था कि दुनियां में क्या ऐसे भी लोग है जो अपनी माँ को भी चोद लेते हैं। क्या मजबूरी रहती होगी इनकी या इन्हें मजा आता है।
मेरे पास कोई जवाब नही था, औरत के हाव भाव से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, उसके मम्मों के ऊपर उस आदमी ने अपना माल छोड़ा था जो उसका बेटा था।
मैंने फ़ोन बंद किया और सोचने लगा कि कितनी गंदी दुनियां है जिसमे रिश्तों का कोई लिहाज नही, अपनी लाज लज्जत की कोई फिक्र नही ओर इन गुनाहों में मुब्तिला (शामिल) है।
मैं खड़ा हुआ और पानी के लिए जग के पास गया तो वो खाली था।
मैंने गिलास उठाया और पानी पीने नीचे उतर कर जाने लगा।
(नीचे हमारे दो कमरे थे एक साथ । कमरों के बीचों बीच एक किचन था ओर कमरों के सामने बरामदा था, जिसमे एक दो पलँग बिछे रहते थे एक सोफा रहता था बरामदे में ही हम लोग टेबल लगाकर खाना खाते थे)
बरामदे में पहुंचा तो मुझे अम्मी लेटी हुई दिखी जो पलंग पर सो गई थी। उसके साइड में एक दीनी किताब पड़ी हुई थी। अम्मी अक्सर दोपहर को दीन/अरबी किताब पढ़ती है और फिर वहीं सो जाती। क्योंकि किताबें पढ़कर नींद कब आती है पता ही नही चलता।
अम्मी कुछ तरह सोई हुई थी
अम्मी ने एक टांग फोल्ड की हुई थी जिससे अम्मी की विशालकाय गाँड़ मेरी नजरों के सामने थी।
अम्मी के टांग फोल्ड होने की वजह से सलवार चूतड़ों से चिपकी हुई थी और कमीज ऊपर हो गयी थी सोते समय
अम्मी की गाँड़ का शानदार नजारा मेरे सामने था।
अम्मी एक तालीम याफ्ता औरत थी जिसे बस अपने बच्चों और शौहर से मतलब था, बाकी समय दीनदारी में टाइम देती थी। अम्मी की तारीफ पूरे कस्बे में थी उनकी परहेजगारी ओर नेक होने की वजह से।
लेकिन आज अम्मी को इस हालत में देखकर मैं अपने आपको काबू नही रख पा रहा था। दिल रोकने की गवाही दे रहा था तो दिमाग मुझे उकसा रहा था।
मेरी पाक दामन अम्मी बेखबर सो रही थी उसे क्या पता कि उसका बेटा उसकी किन किन चीजों को देख रहा है।
में पलट कर साइड में गया तो मुझे एक ओर नजारा मिला
अम्मी के बूब्स कमीज से झांक रहे थे, जैसे कि आजाद होना चाहते हो। अम्मी के मम्मे एक दम सफेद और दुध जैसे थे। और मम्मों कि मोटाई भी अच्छी खासी थी और गोल मटोल थे।
मुझे एक दम वो " माँ बेटे वाली वीडियो" याद आ गयी जिसमे माँ अपने बेटे से गंदा काम करती है।
उस वीडियो और अम्मी को हालत में सोता देख मेरा लन्ड खड़ा हो गया, ओर झूमने लगा मैं कभी अम्मी के मम्मों को देखता कभी अम्मी की गाँड़ का।
मैं एक फिर अम्मी के चूतड़ों की तरफ आया और चूतड़ों का जायजा लेने लगा,अम्मी की गाँड़ में मेरा बुरा हाल कर दिया, ओर मैं अपने लन्ड को भी मसलता रहा।
आज मुझपर एक जुनून सवार था हवस का मैं अच्छे बुरे का फर्क भूल गया था, सामने जो नजारा था उसका आनंद ले रहा था। मैंने हिम्मत करके अम्मी की गाँड़ के नजदीक अपना मुँह किया और गोर से देखने लगा।
अम्मी की गाँड़ वाकई लाजवाब थी एक दम टाइट ओर गदराई हुई मांस जितना होना चाहिए उतना मांस था अम्मी की गाँड़ पर।
मैंने हवस के हाथों मजबूर होकर अपना मुँह अम्मी के गाँड़ से बिल्कुल करीब लाया, अब अम्मी की गाँड़ ओर मेरे मुँह के बीच मैं बस 2 इंच का फर्क था।
मैंने अम्मी की गाँड़ के पास मुँह लाकर एक जोरदार साँस खींची ओर उस साँस में अम्मी की गाँड़ से एक मादक महक मेरे नथुनों में घुस गई। गाँड़ से क्या खुसबू आ रही थी बिल्कुल मादकता से भरपूर। अम्मी की गाँड़ से कुछ कुछ पाद (जिसे fart बोलते है जो सोते समय अक्सर आता है) जैसी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। अम्मी का पाद सूंघकर जो मजा मिला उसके बयान करना मेरे बस मैं नही है।
गाँड़ से मुँह लगाकर मैं जोर जोर से सांस खीँचने लगा या यूं कहें सूंघना लगा और मैंने हवस की ड़ोर थामें अपना लन्ड लोअर से बाहर निकाल लिया
अम्मी की गांड के नशे में मुझे कोई होश नही था कि अम्मी कभी भी जाग सकती है, या बाजी भी आ सकती है मदरसे से। मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा वैसे भी अम्मी गहरी नींद में सोती है क्यों ना आज में इन लम्हों का मजा लिया जाए
हाथ मेरा लन्ड पर ही था और उसे मुठिया रहा था, मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोचा ओर अम्मी की इलास्टिक वाली सलवार के ऊपरी हिस्से को दोनों हाथों से पकड़ा और आराम आराम से नीचे करने लगा। डर से मेरे हाथ कांप रहे थी, आखिरकार में अम्मी की सलवार नीचे करने में सफल हो गया।
(दोस्तों अब से कुछ मजहबी शब्द इस्तेमाल होंगे जो कहानी को ओर भी मादक बनाएंगे)
सलवार इतना नीचे हो गयी की अम्मी की साफ सुथरी, मजहबी ओर नमाजी पाकीजा गाँड़ बिल्कुल मेरे सामने नंगी थी। सलवार निकलने से अम्मी की गाँड़ का छेद ओर चुत की फांके दिखने लगी
अम्मी की गाँड़ का भूरा छेद एक दम कसा हुआ था जैसे एक तिनका भी अंदर नही जाएगा,
(मुझे क्या पता ये हमारी तहजीबदार, नेक खातून, शर्मो हया का दामन थामे हुए पाकीजा औरतें के अंदर कितने ही जोशीले लन्ड घुसकर अपना आत्म समर्पण कर गए और उनका नामो ओ निशान ना मिला)
गाँड़ का छेद कभी खुलता कभी बंद होता। गाँड़ की मिड भाग पर सिलवटे थी जो कतारबद्ध अम्मी की पाकीजा गाँड़ के छेद की तरह जा रही थी, जो अम्मी की नमाजी गाँड़ को ओर भी मादक ओर लज्जत दार बना रही थी,
मैं अम्मी की नंगी नमाजी गाँड़ के पास अपनी नाक लाया और एक सांस खींची, अहहहहहहहह क्या महक थी अम्मी की गाँड़ से गुलाब की महक भी फीकी पड़ जाए। मैंने उस महक को से अपने तन बदन को तरोताजा किया और लगातार सांसे लेने लगा।
अचानक अम्मी की गाँड़ का छेद थोड़ा खुला ओर एक मधुर आवाज से जोरदार पाद(fart) मेरे मुँह पर आकर लगा , मेरा मुँह नाक अम्मी की गाँड़ के पास था तो समूचा पाद मेरे मुँह ओर नाक के रास्ते अंदर चला गया। पाद की महक इतनी बुरी नही थी जितना उसमे मादकता ओर नशा था। ऐसा नशा जो तन बदन में खून का संचार बढ़ा दे। ऐसा नशा जिसे जितना किया जाए उतना कम। अम्मी के पाद के नशे से निकल कर मेने अपनी आंखें खोली जो पाद सूंघते समय आनंद में अपने आप बंद ही गयी थी। आंखे खोली तो अम्मी की हसीन गाँड़ का छेद सामने था। मैंने हवस की हालत में आगे बढ़ने का सोचा लेकिन एक डर अभी भी था के अगर अम्मी ने जाग जाना है तो मुझे मौत के सिवा कुछ नही मिलेगा, पर पोर्न देखते देखते ओर अम्मी को इस तरह महसूस करके वो डर भी अब छोटा पड़ गया था।
मैंने ऊपर वाला का नाम लिया और अम्मी की खुशबूदार छेद पर अपनी जबान की नोक रख दी।
छेद ओर जबान टच होते ही मेरा 9 इंच लौड़ा फुल अकड़ गया और उससे प्री-कम निकलने लगा।
मैंने अम्मी की छेद पर एक दो बार जीभ टच, बाकी मैं अम्मी के छेद के पास नाक रखकर सूंघता रहा।
बदन में नशा बढ़ता गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरे लन्ड ने वीर्ये की बारिश कर दी।
मेरा ढेर सारा वीर्या फर्श पर पड़ा था, वीर्ये की मात्रा इतनी थी के उससे आधा ग्लास भर सकता था जो मेरे लिए चोंका देने वाला सीन था।
मैंने अम्मी की सलवार को ऊपर किया और सही तरीके से पहना दिया।
अब मैं हवस से बाहर निकल कर अपनी असली दुनियां में आ गया और एक कपड़ा लेकर फर्श पर पड़े अपने वीर्ये को साफ किया और बाहर आ गया
ओर कमरे में आकर इस घटना का मुआयना करने लगा
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