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अपडेट 9
मैं कमरें में पहुंच कर लेट गया और सारी चीजों को सोचने लगा, जो चीजें मेरे साथ हो रही थी। उन चीजों के बारे में सोचते सोचते मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. मैंने अपना पेंट निकाला और साइड में रख दिया, अब मैं कच्छे में था और मेरा लन्ड कच्छे को फाड़ने की फिराक में था। नंगा होने मेरी चाल का हिस्सा था, की अगर बाजी ऊपर आये तो मेरा लन्ड देखकर कामुक हो जाये तो बात आगे बढ़ सकती है। मैंने दरवाजा भी लॉक नही किया ताकि बाजी आराम से अंदर आ सके। मैंने इन्सेस्ट कहानी वाली बुक उठाकर लेट गया और पेज पलटने लगा। तभी मेरी निगाहें उस कहानी पर पड़ी जिसे पढ़कर मेरे लन्ड ने प्रि-कम निकलना शुरू कर दिया।
कहानी थी "माँ बहन को चोदा" मैंने उस कहानी को शुरू से पढ़ना शुरू किया कहानी में जगह जगह चित्र भी थे जो कहानी के अनुसार छापे गए थे।
कहानी में एक लड़का होता है वो अपनी बहन और माँ को प्यार करता है, जो अपनी माँ बहन को चोदना चाहता है और उसके लिए वो एक प्लान के तहत काम भी शुरू कर देता है।
कहानी पढ़ते पढ़ते मुझे एक चित्र दिखता है जिसमे लड़का अपनी बहन से लन्ड चुसवाता है फिर लन्ड का माल भी अपनी बहन के मुँह में छोड़ देता है।
ये चित्र देखकर मेरा लन्ड फटने की हालत में था। अब लड़का अपनी बहन को चोदने के लिए लन्ड डालता है लेकिन बहन की पुद्दी टाइट होती है तो वो घी लाकर अपने लन्ड ओर बहन की पुद्दी पर लगाता है फिर दोबारा कोशिस करके आखिरकार अपना लन्ड डाल देता है। उसकी कुँवारी बहन बहुत चीखती चिल्लाती है लेकिन वो लड़का नही रुकता है और चोद चोद कर अपना माल भी अपनी बहन की पुद्दी के अंदर छोड़ देता है। इसी तरह कहानी आगे बढ़ती जाती है वो अपनी माँ को पटाने में लग जाता है और इस काम में उसकी बहन भी उसका साथ देती है। उसे अपनी माँ की गाँड़ बहुत अच्छी लगती है और उसे पाने के लिए बहुत मेहनत करता है। आखिर लड़का सफल हो जाता है और अपनी माँ की गाँड़ भी मार लेता है।
इस जगह मुझे एक चित्र दिखता है जिसमे लड़का अपनी माँ की गाँड़ मार रहा होता है तो उसकी माँ गाँड़ चुदाई बर्दास्त नही कर पाती और मुत देती है।
लड़का भी जोश में आकर बेरहमी से चोदता चला जाता है। उसकी माँ भी अब मजे ले लेकर चुदवाती है। कहानी में यही सब चलता है। मेने वो कहानी दो दो ढाई घण्टे में पढ़ देता हूँ, मेरा लन्ड भयंकर रूप ले चुका होता है।
मैं वापस उस चित्र पर पहुंचता हूँ जहां लड़के का लन्ड अपनी बहन की चुत में घुसता है और घी लगाता है।
उस पेज को देखकर में लन्ड हिलाने लगता हूँ तभी बाजी की परछाई मुझे दरवाजे के नीचे से महसूस होती है।
मैं बाजी को सुनाने के लिए तेज़ तेज़ हाथ चलाने लगता हूँ, ओर जान बूझकर उसे सुनाने के लिए उसका नाम भी लेने लगता हूँ
【कहानी में जो जोशीली आवाजे जैसे अहह उहहह वो सब इंग्लिश फॉन्ट में लिखी जाएगी क्योंकि हिंदी में लिखना मुश्किल है समय लगता है】
ahhhhhh baajjjjjjiiiiiiiii तुम कितनी अच्छी हो, maiiiiiiiii तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ tuuuuuuummmmmmmm kabbbb मेरे प्यार को समझोगी बाजी। तुम्हारी चुचियों ने पागल कर दिया है बाजी, तुम्हारी गद्देदार गाँड़ का क्या कहना, कितनी मादक गाँड़ है बाजी तुम्हारी, मुझे अपनी गाँड़ के दर्शन करा दो बाजी मैं मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।
इतने में मेरे लावा निकल कर लन्ड के आखरी छोर पर आ गया, मैंने जल्दी से अपना रुमाल लिया और मैंने नशे में "bajiiiii teriiii chutttt kooooooo chattttt jaunnnnnn" इतना कहकर मेरे लन्ड ने माल छोड़ दिया।
पहली पिचकारी इतनी तेज थी के रुमाल में छेद करके निकल सकती थी, ओर फिर मैं एक मीनट तक झड़ता रहा है माल रुमाल में इकट्ठा होता रहा।
अच्छी तरह झड़ कर मैं अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा और रुमाल को बेड के नीचे फेंक दिया।
मुझे पता था बाजी मेरी हरकते की-होल से देख रही है मुझे भी बाजी का कोई डर नही था, मुझे बाजी को पाना था चाहे उसके लिये कुछ भी करना पड़े।
झड़ कर मैं अब काफी सम्भल चुका था, मैंने कपड़े पहने ओर पानी पीकर लेट गया ओर बाजी का इंतजार करने लगा कि बाजी कब अंदर आती हैं। इन्सेस्ट कहानी की किताब बेड के साइड में ही पड़ी थी। जो आराम से दिख सकती थी बाजी को।
कोई 5-10 मिनट रुक कर बाजी आराम से अंदर आयी और मुझे आवाज लगाई "भाई सो गया क्या"
मैंने बाजी को जवाब दिया नही बाजी बस सोने की तैयारी कर रहा हूँ।
बाजी मेरे पास आई और बेड के सहारे बैठ गयी तभी उसकी निगाह उस किताब पर पड़ी जो मैंने बेड पर रख दी थी बाजी को दिखाने के लिए।
बाजी ने वो किताब उठाई और कवर पेज पर छपी गंदी फ़ोटो को देखने लगी
बाजी:- भाई ये कैसी वाहियात किताब पढ़ते हो तुम, इसमें क्या नॉलेज मिलता है तुम्हे, ये तो गंदी किताब लग रही है।
बाजी ने पेज पलटकर अंदर देखा और बाजी की निगाह कहानियों के नाम पढ़ने लगी
【बाजी 10 क्लास हिंदी स्कूल में पढ़ी थी उसके बाद अम्मी अब्बू ने उसे मदरसे दाखिल कर दिया ताकि आगे चलकर बाजी एक स्कोलर बन सके】
बाजी की निगाहें हैरतजदा होती गयी और फिर अचानक किताब फेंक दी
बाजी:- तो तुम ये पढ़ाई करते हो हरामजादे, हम तो सोचते थे भाई साहब एग्जाम की पढ़ाई करते हैं, पर यहां तो कोई और ही गुल खिला रहे हो।
मैं:- बाजी ये किताब मुझे सड़क पर मिली थी मैं इसे उठा कर ले आया, मुझे क्या पता इसमें क्या है। जब मैने इसे खोल कर देखा तो मुझे भी हैरत हुई। मैं इसको कल जलाने वाला था।
बाजी:- वाह भाई वाह क्या शानदार झूट बोला है। कुत्ते तुम इसे पढ़ रहे थे और गंदी हरकत कर रहे थे समझे।
मैंने सब देख लिया है बाहर से, वक़ार भाई तुम्हे क्या हो गया है, पहले ही तुम्हारी हरकते कम थी जो अब ये पढ़कर अपनी बहन का नाम अपनी गंदी जुबां से लेते हो।
मैं:- बाजी मैंने तो बस ऐसे ही पढ़ लिया था, पढ़ते हुए मुझे मजा आने लगा तो अपने आप गंदी हरकत हो गयी, सॉरी बाजी
बाजी:- चलो मां लिया तुमने गलती से पढ़ ली और गंदी हरकत भी इसके पढ़ने से हो गयी, लेकिन मेरा नाम क्यों लिया गंदी हरकत करते हुए।
मैं:- बाजी कहानी मैं एक भाई भी ऐसा ही करता है तो मैंने भी कर लिया के कितना मजा आता है।
बाजी:- तुमने ऐसा क्या पढ़ लिया जो ये हरकते कर रहे हो जरा मैं भी तो देखु।
मैंने किताब उठाई और बाजी को "माँ बहन को चोदा" उस कहानी को दिखाने लगा साथ मे फ़ोटो भी दिखा दिए।
बाजी:- हाय ये क्या वाहियात चीज़ें है। कोई भी इंसान नही कर सकता ऐसा, ये सब झूट है, किताब वाले पागल हो गए हैं जो झूट मुट की कहानी बनाकर छाप देते हैं।
मैं:- बाजी ये सब सच है देखो राइटर ने पहले पेज पर लिखा भी है कि सब कहानी सच्ची है जो लोगो ने हमे बताई हैं, मैंने बाजी को वो सब दिखा दिया और बाजी का चेहरे पर पसीना आ गया।
बाजी:- वक़ार भाई ये तो बड़े शर्म की बात है लोगों का दिमाग ऐसा हो चला है कि वो रिस्ते नाते शर्म लिहाज भूल गए हैं।
कोई अपनी माँ बहन के साथ ऐसा गंदा काम कैसे कर लेता है।
भाई क्या उनकी माँ बहन भी इन चीजों को पसंद करती हैं
मैं:- बाजी इंसान जब बड़ा हो जाता है तो उनके जिस्म में जवानी का जोश आता है जो कभी कभार ज्यादा बढ़ जाता। इंसान उस जोश में आकर गलतियां करता है और ये चीजें करने लगता है।
उसे जो चीज पसन्द आती है उसको पाने के लिए कुछ भी कर गुजरता है
बाजी:- अच्छा तो तुम भी वही गलतियां कर रहे हो, मेरा नाम लेकर पता नही तुम क्या क्या करते हो। तुम्हे भी जवानी चढ़ रही है क्या
मैं:- बाजी मैं तो आपसे प्यार करता हूँ, आपको देखता हूँ तो अपने आप को काबू नही रख पाता,ओर इसी वजह से गलती हो जाती है। बाजी अगर आपको बुरा लगा तो सॉरी पर मैं अब ये गलतियां करता रहूंगा, चाहे उसके लिए मुझे बाजारू रंडियों के पास जाना पड़े। बाजी ने इतना सुनते ही मेरे गाल पर झन्नाटे दार थप्पड़ जड़ दिया।
बाजी:- कुत्ते अब तू ये काम भी करेगा, क्या इज्जत रह जायेगी तेरी ये काम करके। उनसे बीमारी कर लेगा अपने।
मैं:- बाजी मैं क्या करूँ, मैं अपनी जवानी पर कंट्रोल नही कर पा रहा हूँ, इसके लिए मुझे कुछ तो करना पड़ेगा।
बाजी:- तो तू रंडियों के पास जाएगा, अब्बू से कह के तेरी शादी करा देते हैं।
मैं:- बाजी पहले तो आपकी शादी होगी उसके बाद मेरा नंबर आएगा ना। आप जल्दी से शादी करा को जिससे मेरा नम्बर भी आ जाये, ओर ये बात मैंने मुस्कुरा कर रही जिस ओर बाजी ने मुझे मुक्का मार दिया
बाजी:- कुत्ते अपनी जवानी के चक्कर मे मुझे घर से धकेलना चाहता है। अब्बू से बोल दूंगी की मुझसे पहले अपने लाडले के हाथ पीले कर दो, इसे ही ज्यादा जोश चढ़ा हुआ है।
मैं:- बाजी जोश तो आपको भी चढ़ता होगा, आप ही कह दे अम्मी से की शादी कर दे।
बाजी:- मुझे कोई शोक नही है शादी करने का, ये काम तुम्हे ही मुबारक।
चल छोड़ ये बात और पढ़ाई पे मन लगा कुछ नही रखा इन गंदी चीजों में। ओर बाजी उठने लगी तो मैंने बाजी से एक बार फिर बाथरूम में कच्छी रखने को बोला।
बाजी:- कुत्ते क्या करेगा मेरी प्राइवेट चीज का
मैं:- बाजी मुझे आपकी कच्छी से मादक महक आती है जिससे मुझे अच्छा लगता है।
बाजी:- तुम्हे शर्म है कुछ अपनी बाजी की चीजों को सूंघते फिरते हो। मेरी चीज को इतना गंदा कर देते हो, छीईईई पता नही क्या डालते हो उपसर
मैं:- बाजी वो मेरे जिस्म का जोश होता है, आपने देखा होगा कितना जोश आता है आपकी कच्छी को देखकर
बाजी:- हाँ हाँ देखा था, पूरी की पूरी गंदी हो जाती है, पता नही क्या लगा होता है सफेद सफेद सा।
बाजी को सब पता था लेकिन कहना नही चाहती थी या मेरे मुँह से उगलवाना चाहती थी।
मैं:- बाजी आपको अच्छा नही लगा क्या वो, कभी आपने सूंघकर या चाट कर चेक किया हो।
बाजी:- छीईईई मैं क्यों चेक करूंगी उसे, मुझे तो देखकर ही उल्टी की हालत हो जाती है। वैसे क्या चीज होती है वो इतनी गंदी सी
मैं:- बाजी मैं नही बता सकता आप बुरा मान जाओगी
बाजी:- बताओ भी मेने बुरा मानना होता तो अब तक तुम्हारी बकवास सुनती रहती मैं
मैं:- बाजी बुरा ना मानना वो मेरे पानी होता है।
बाजी:- तुम्हारा पानी मतलब, तुम कहाँ से लाते हो पानी जो मेरे कपड़े पर गिराते हो
मैं:- बाजी वो पानी मेरे अंदर से निकलता है
बाजी:- तुम्हारे अंदर से मतलब कहाँ से
मैं:- बाजी वो में.में.मेरे यहां से निकलता है और मेरा लन्ड जो बाजी की बातों से खड़ा हो गया था उसकी तरफ इशारा किया
जैसे ही बाजी ने मेरे लन्ड की तरफ देखा उसकी आंखें शर्म ओर हैरत से झुक गयी।
बाजी:- कमीने शर्म है तुम्हे थोड़ी बहुत या वो भी बेच खाई तुमने, ये क्या बकवास है जो तुम करने लगे हो
मैं:- बाजी मैंने क्या कर दिया अब, जो सच बात है वही बताया है आपको.आप बेवजह गुस्सा कर रही हैं।
【मुझे पता था बाजी को सब पता है लेकिन शर्म का नाटक तो करना ही पड़ता है आखिर वो मेरी सगी बहन थी वो भी एक अपकमिंग स्कोलर】
बाजी:- कमीने इससे पेशाब निकलता है वो चीज नही जो तुम मेरे कपड़े पर तुम गिराते हो।
मैं:- बाजी में सच कह रहा हूँ वो पानी इसी से निकलता है मैं बाजी की चालाकियों पर मन ही मन मुस्कुरा रहा था,के बाजी आगे क्या करती है।
बाजी:- मुझे यकीन नही होता, तुम झूठे हो, मुझे झूट पसन्द नही वक़ार ये तुम जानते हो
मैं:- बाजी अगर बुरा मान जाओगी वरना मैं आपको यकीन दिला देता, चलो छोड़ो इस बात को मैं झूटा ही सही
बाजी:- अच्छा चलो मुझे बताओ कैसे निकलता है, मैं भी तो देखु तुम सच्चे हो या झूठे.
मैं:- बाजी आप गुस्सा करोगी मेरी हरकत पर, कहीं कोई बात आपको बुरी लग जायेगा इज़लिये रहने दो
बाजी:- भाई कसम से किसी बात का बुरा नही मानूँगी बस अब दिखा दो कैसे निकलता है।
मैं:- बाजी मुझे नंगा होना पड़ेगा इसके लिए, ओर इसको बाहर निकाल कर हिलाना पड़ेगा तब जाके निकलेगा
ओर मैं बाजी के सामने ही नंगा होने लगा, बाजी मेरी हरकतों को देखी जा रही थी। मैंने कच्छा निकाल दिया और मेरा 9 इंच का लुल्ला बाजी की आंखों के सामने था। जिसे देखकर बाजी की आंखे फ़टी की फटी रह गयी। यूं तो बाजी ने पहले भी देखा था मेरा लन्ड लेकिन आज इतने पास से पहली बार देखा था।
मैं लन्ड को हिलाने लगा, बाजी बेड पर बैठी देख रही थी और मैं बाजी से 3 फुट दूर खड़ा होकर मुठ मार रहा था।
मैं:- बाजी इसका पानी ऐसे नही निकलेगा इसको जोश दिलाने के लिए कुछ करना पड़ेगा।
बाजी:- क्या करना पड़ेगा अब, तुम कोशिस कर तो रहे हो। पहले भी तो निकलते रहे हो, अब भी निकाल दे ऐसे ही
मैं:- बाजी पहले मैं कोई सेक्सी चीज को देखकर निकलता था, अब यहां कोई सेक्सी चीज नही दिख रही।
मैंने एकदम दुपट्टे के ऊपर से बाजी के बूब्स देखने लगा और तेज़ तेज़ लन्ड हिलाने लगा। बाजी ने जब अपने बूब्स की तरफ मुझे देखता पाया तो शर्म से दोहरी हो गयी।
बाजी:- वक़ार ये तुम क्या घूर रहे हो, कोई अपनी बाजी को ऐसे घूरता है बेशर्म
मैं:- बाजी आपको देखकर मेरा जल्दी निकल जायेगा, आप अपना दुपट्टा हटा लें फिर देखना कैसे निकलता है।
बाजी:- मैं नही करने वाली ये काम, तुम खुद जानो कैसे निकलना है तुम्हे
मैं:- बाजी प्लीज एक बार अपना दुपट्टा हटा लें, जल्दी निकल जायेगा इससे। मेरा हाथ भी दुखने लगा है अब जल्दी करो।
बाजी मेरा लन्ड देखकर हवस में पागल हुए जा रही थी तो उसने ज्यादा मजहमत नही की ओर दुपटटा बेड पर रख दिया। मुझे अब बाजी के गोल गोल चुचे दिखने लगे। जो सूट फाड़ कर बाहर निकलने की भीख मांग रहे थे।
मैं बाजी के चुंचो को देखकर जोश में आ गया और लगातार बाजी के चुचे देख रहा था।
मैं:- बाजी बुरा ना मानो तो इन्हें सूट से बाहर निकाल लो प्लीज,
मेरी प्यारी बाजी इतना कर दो प्लीज
बाजी:- अब क्या है वक़ार तुम अब हद पार कर रहे हो, यही बहुत जो मेने दुपट्टा हटा लिया। अब मैं कुछ नही करने वाली
मैंने चालाकी चली और हिलाना बंद किया। और बाजी की तरफ़ निराशा भरी नजरों से देखने लगा।
बाजी ने मुझे रुकता देख कर पूछा, अब क्या हुआ रुक क्यों गए
मैं:- बाजी मेरा हाथ दुख गया लेकिन निकल नही रहा आप अपने बूब्स बाहर निकाल ले, तब जाकर निकल सकता है।
बाजी:- प्लीज भाई मुझे अपनी ही नजरों में मत गिराओ, मैं शर्म से पानी हो जाऊंगी। तुम इतने से काम चला लो
मैं:- बाजी प्लीज, मेरी एक बात नही मान सकती, मैं आपके बारे में कुछ गलत नही सोचूंगा बस आप इन्हें बिल्कुल आजाद करदे
बाजी ने झुंझलाते हुए अपनी कमीज ऊपर करके निकली और कमीज साइड में रख दी। बाजी को शरीर कांप रहा था, बाजी ने कभी सोचा भी नही था कि उसे अपने ही भाई के सामने ऐसा करना पड़ेगा।
बाजी ने फिर सफेद ब्रा भी निकाल दी और शर्म से नीचे देखने लगी, बाजी के गोल मटोल चुचे मेरी आँखों के सामने थे
ahhhhhhh baaaajiiiiii maarrrrrr hi dalaaaa aap neee tooooooo
बाजी के चुचे एकदम सख्त ओर कसे हुए थे। बाजी के चुचे कागज से भी ज्यादा सफेद और भूरे थे।
ahhhh baajiiii itne moteeee chucheeeee ne dilllllll jeeeeet liya, baaaaji kyaaaaa khilaaaatiijjj ho inhee jooooo itne gollllll mtolllll hai aapkeeee chuuuuche
बाजी:- चुप हो जाओ बत्तमीज इंसान, चुप चाप अपना काम खत्म करो, मैं भी पागल हूँ कहाँ मुसीबत मोल लेली।
बाजी फिर से मेरे लन्ड को देखने लगी जो घिस घिस कर लाल पड़ गया था। बाजी की आंखे हवस में लाल पड़ गयी थी। बाजी कभी अपने होंठ अपने दांतों से काटती तो कभी टांगो को भींचती
बाजी भी मदहोशी में डूबी हुई थी। बाजी के जिस्म से पसीना बहाने लगा।
ओर फिर अचानक ही मेरे अंदर करंट सा दौड़ने लगा, मैं तेज़ तेज़ हिलाते हुए बाजी का नाम लेना शुरू कर दिया। बाजी को भी अंदाजा हो गया कि मेरा किसी भी समय निकल सकता है
bajiiiii aaapp ne tooooo mujhe pagalllll karrrr diyaaaaaa haiiii apneeeee chuncheeee dikhaaaaa ahhhhhhh baaaji mai tumhareeee jismmmmm parrrr fidaaaa hooooo gyaaaaaa hun.
ohhhhhh meri pyariiii baaaji meraaaaa nikalneee walaaaaaa haiiiii ahhhhhhhhh ohhhhhhhhhbhh baaaji
ओर फिर वो हुआ जिसपे मेने यकीन भी नही किया था रात के इस पहर बाजी मेरे सामने आकर बैठ गयी
बाजी हवस में पागलों वाली हरकत करने लगी थी।
तभी मेरा सारा माल लन्ड के आखिरी छोर पर आया और ओर एक तेज़ धार बाजी के सीने ओर पड़ी और बाजी ने अपना मुंह एक साइड कर लिया
मेरा बाकी का माल बाजी के चुचों को भीगता चला गया। बाजी के चुचे मेरे माल से नहा चुके थे। और कुछ माल चुचों से टपक कर नीचे गिरने लगा। क्या सीन था एक साफ, जो हमेशा पर्दे में निकलती, कभी उसका चेहरा किसी गैर मर्द ने नही देखा। प्राथना की पाबंद लड़की के चुचे उसके भाई के माल से सने हुए थे। मैंने लन्ड की आखिरी बून्द भी बाजी के चुचों पर छिड़क कर निकाल दी और बेड ओर बैठ कर हांपने लगा।
माहौल एक दम शांत हो गया था मेरी आँखें बंद थी और लम्बी लम्बी सांस ले रहा था। आज जितना माल मेरे लन्ड ने छोड़ा उससे एक ग्लास भी भर सकता था।
तभी मेने बाजी की तरफ देखा तो बाजी अपने चुंचों पर गिरे माल को खुद ही जीभ निकाल कर चाट रही थी।
मैं बाजी की इस हरकत से हैरान था कि बाजी इतनी बाजारू कैसे हो गयी।
बाजी इतनी हवस में पागल हो गयी कि अपने ही भाई के सामने उसका माल चाट रही थी।
बाजी ने जब सब चाट लिया तो जल्दी से ब्रा पहनी ओर फिर सलवार ओर बिना बात किये हुए बाहर जाने लगी।
मैंने बाजी को आवाज लगाई तो बाजी ने मेरी तरफ देखा लेकिन कोई जवाब नही दिया, मैंने बाजी की आंखों और गोर किया तो बाजी सायद रो रही थी।
बाजी के ये आंसू सायद उसकी गंदी हरकत की वजह से थे, बाजी इस बात को लेकर रो रही थी के वो इतनी गिर गयी है जो इतनी साफ होकर भी ऐसी हरकत कर गयी।
मैंने भी अपने आप को बाथरूम जाकर साफ किया और वापस आकर लेट गया और रात कब नींद आई पता नही चला।
बाजी की जुबानी:- रात भाई के साथ जो हुआ उसे सोच सोचकर मैं परेशान हो गयी, भाई मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा, कितनी पढ़ी लिखी बनती है दुनियां के सामने ओर कितनी बड़ी रंडी निकली जो अपने ही भाई का माल पी गयी।
मेरे जिस्म क्यों इन चीजों का आदि हो चला है, क्यों मुझे ये चीजें बहका देती है। क्या मुझे किसी का माल पीने की आदत हो गयी है। नही नही वो तो मैंने जोश में आकर ऐसा किया था। आगे से नही करूंगी कभी भी, अपनी पढाई पर ध्यान लगाउंगी ओर स्कोलर बनकर अम्मी अब्बू का नाम ऊंचा करूंगी।
सुबह मैं मदरसा जाने के लिए तैयार हुई ओर नास्ता करने हॉल में गयी। वहां अब्बू बैठे अखबार पढ़ रहे थे। किचन में जाकर
अम्मी के साथ मैंने नास्ता तैयार करवाया ओर लेकर टेबल पर रख दिया। नास्ता रखकर मेने भाई को नीचे से आवाज लगाई नास्ते के लिए
ओर वापस आकर अब्बू को नास्ता दिया और खुद भी बैठ गयी
अम्मी भी आ गयी और उसने भाई का पूछा तो मैने बोल दिया कि आ रहे हैं।
हमने नास्ता शुरू किया तभी भाई भी आ गए ओर हमारे साथ बैठ गए। भाई मुझे खाते हुए घूर रहा था लेकिन मेने कोई ध्यान नही दिया। वैसे भी रात जो हमारे बीच हुआ वो शर्मसार करने वाला था। मैंने जल्दी जल्दी नास्ता किया और सबको सलाम कहके मदरसे के लिए निकल आई।
कल मेरा आधा कोर्स पूरा हो जाएगा और उसके लिए कल एग्जाम था जिसके लिए आज पर्चा मिलना था, जो कल लाहौर सिटी में था।
सब लड़कियों ने बारी बारी सबक सुनाया ओर आखिर में सबको पर्चा दिया गया। मैं भी पर्चा लेकर घर के लिए निकल पड़ी।
घर आकर मैं फ्रेश हुई और अम्मी के पास बैठ गयी। अम्मी हमेशा की तरफ फ्री टाइम में उर्दू किताब ही पड़ती थी।
मैंने अम्मी को सलाम किया ओर अम्मी के पास बैठ कर बातें करने लगी।
मैं:- अम्मी कल मेरा पेपर है लाहौर में, मेरी आधी पढ़ाई हो गयी है तो उसका एग्जाम होना है।
अम्मी:- अच्छा बेटी फिर तुमने क्या सोचा है कैसे जाओगी पेपर देने। मे वक़ार को बोल देती हूं वो ले जाएगा तुम्हे बाइक से
मैं:- अम्मी बाइक से तो अब्बू जाते हैं
अम्मी:- बेटी कल तेरे अब्बू सवारी से चले जायेंगे एक दिन की तो बात है।
मैं:- अम्मी चलो आप अब्बू से बाइक दिला देना मैं भाई के साथ चली जाऊंगी।
अम्मी:- हां मैं तेरे अब्बू से बोल दूंगी। ओर तुम्हारी तैयारी केसी है बेटी पेपर में पास हो जाओगी ना
मैं:- अम्मी आपकी बेटी ने खूब पढ़ाई की है देखना अच्छे नम्बरों से पास हूंगी।
अम्मी:- मेरी बेटी पर मुझे फक्र है, मेरी बेटी एक स्कोलर बन जाएगी और जगह जगह जाकर अच्छी बातों की दावत देगी। इतना कहकर अम्मी ने मुझे सीने से लगा लिया।
मैं भी अम्मी का प्यार देखकर उसके गले लगकर सुकून लेने लगी। तभी अम्मी के बूब्स मेरे गालों को टच करने लगे।
अम्मी ने थोड़ी हेल्थी थी तो अम्मी के बूब्स भी बड़े बड़े थे।
मुझे अम्मी का बूब्स गाल पर एक अलग अहसास कराने लगा। और मैंने अम्मी को ओर जोर से गले लगा लिया।
अब अम्मी के बूब्स बिल्कुल मेरे गाल से सटे हुए थे, मैंने चालाकी से अपना मुँह तिरछा किया और अम्मी के निप्पल पर निगाह गयी जो देखने मे कुछ बड़ा था। मेरी हवस जागने लगी और मैंने धीरे से अम्मी के निप्पल पर जीभ फिराई जो सूट के अंदर था।
मजे की एक सनसनाहट मेरे अंदर हुई और मैं कामुक होने लगी, मैं अम्मी से गले लगने के बहाने उसके निप्पल पर आहिस्ता से बार बार जीभ फिराने लगी। अम्मी के जिस्म से भी खुशबू आ रही थी जिससे में फिर बहकने लगी। मेरा मन कर रहा था कि अम्मी के बूब्स को निकाल कर नंगा कर दु ओर पूरा मुँह में भर के चूस लू। हालांकि ये सम्भव नही था।
तभी अम्मी ने मुझे सीने से अलग किया ओर मैं साइड में ही बैठी रही।
अम्मी:-चलो बेटी तुम कल के एग्जाम की तैयारी कर लो मैं वक़ार से बोल देती हूं कि कल तुम्हे लाहौर ले जाये।
मैं:- अम्मी रहने दो आप क्यों परेशान होती हो मैं खुद कह देती हूं
अम्मी:- चलो तुम कह देना वैसे भी सीढ़ियां चढ़के में हार जाती हूँ
ये मोटापा भी ना जल्दी थका देता है
मैं:- अम्मी आप मोटि नही है आप तो एक 16 साल की लड़की हो, ओर मैं मुस्कुराने लगी
अम्मी:- अब मेरा मजाक मत उड़ाओ तुम बेटी।
मैं:- अम्मी मजाक नही कर रही आप तो एक अफसरा हो जो अब्बू के लिए दुनिया मे उतारी गई हो।
इतना सुनकर अम्मी ने मुझे मुक्का मारा, चल अब ज्यादा मत बोल।
मैं:- अम्मी अब्बू बड़े खुशकिस्मत होंगे जो उन्हें इतनी साफ फरमाबरदार, ओर खूबसूरत बीवी मिली है।
अम्मी:- अच्छा तुम्हारे अब्बू भी बड़े नेक ओर देखो तुम्हारे लिए कितना मेहनत करत्ते हैं ताकि तुम दोनों की जिंदगी सवार सके।
मैं:- हाँ अम्मी अब्बू बहुत अच्छे और आप भी, आप दोनों में हमारी जान बस्ती है
अम्मी:- चल जा ओर भाई को बोल दे कल तुम्हे ले जाएगा
मैं भाई को बोलने ऊपर जाने लगी मन मे कल रात की बात रह रह कर आ रही थी पर क्या करे एक ही घर मे रहना था तो इन चीजों का सामना तो करना ही था। अब जो हो गया वो हो गया।
मैं भाई के दरवाजे पर पहुंची और की-होल से देखा कहीं भाइ गलत हरकत तो नही कर रहे, लेकिन भाई बेंच के सहारे कुर्सी लगाकर पढ़ रहे थे।
मैंने दरवाजा हटाया ओर अंदर आ गयी, भाई ने मुझे देखा और खड़े होकर कहा, बाजी सलाम आप केसी हो
मैं ठीक हूँ भाई आप बताओ कैसे हो, क्या कर रहे हो
भाई:- बाजी में तो पढ़ रहा था, आप बताओ कैसे आना हुआ
मैं:- अच्छा पढ़ रहे थे, चलो अच्छा है मैं ये कहने आई थी के कल मेरा एग्जाम है लाहौर में तुम मुझे बाइक से लेकर जाना है कल
भाई:- अच्छा बाजी, कोई बात नही मैं आपको लेकर चल दूंगा
मैं:- तुम्हे बाइक सही तरीके से चलानी आती है ना कभी मुझे गिराकर चोट लगवा दो
भाई:- अरे बाजी में अच्छी तरह आती है तुम पीछे रहोगी तो अपने आप ही अच्छी चलाऊंगा ओर भाई मुस्कुराने लगा
मैं:- अच्छा मेरे बैठने से क्या फर्क पड़ेगा तुम्हारे बाइक चलाने से
भाई:- आप अगर पीछे बैठोगी तो मुझे डर रहेगा कि मेरी प्यारी सी बाजी कहीं गिर ना जाये इसलिए अच्छी तरह चलाऊंगा
मैं:- ओह्ह शुक्रिया मेरे प्यारे भाई हिहिहिहिहि
भाई आज काफी कम्फ़र्टेबल ओर खुश लग रहे थे, ओर कहीं ना कहीं में भी खुश थी।
भाई:- बाजी आज आप निहायत ही खूबसूरत दिख रही हो
मैं:- अच्छा मस्का मत लगाओ, मैं तो रोज ऐसे ही दिखती हूँ, हो सकता तुझे ना दिखाई देता हो।
भाई:- बाजी सच मे आप बहुत प्यारी हो, मोहल्ला तो क्या आप इस लाहौर सिटी की टॉप बीयूटी में एक हो।
मैं:- अच्छा जी। अब छोड़ो इस बात को ओर बताओ
भाई:- बाजी आप आपसे एक बात कहूं अगर बुरा ना मानो तो
मैं:- कहो क्या कहना है भाई तुम्हे
भाई:- बाजी क्या मैं आपको गले लग सकता हूँ, मुझे आपकी बाहों में सुकून मिल जाएगा.
मुझे पता था भाई कल रात के हादसे के बाद ओर ज्यादा चाहने लगा था, मेरा भी मन कहीं ना कहीं भाई की तरफ खींचा चला जा रहा था।
मैं:- अच्छा गले लग कर कोई बदमाशी करने के चक्कर मे हो, पहले ही बता रही हूं कोई बदमाशी मत करना समझे
भाई:- ठीक है बाजी सिर्फ गले लगूंगा ओर कुछ नही
मैंने भाई को इजाजत दी तो भाई मेरे पास आया और मेरे गले लग गया। मैंने भी भाई को अपने गले लगा लिया।
भाई ने मुझे कसके गले लगाया हुआ था जिससे मेरे बूब्स भाई को महसूस होने लगे थे। कुछ देर बाद मुझे नीचे कुछ कठोर चीज का अहसास हुआ। मैंने गेर इरादी तोर पर अपना हाथ नीचे लेकर गयी , जैसे ही मेरा हाथ नीचे गया तो मेरे हाथ कुछ कठोर चीज से टकराया,
मैंने उसे छूने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो भाई का बड़ा लन्ड मेरे हाथ मे आ गया
और भाई की एक तेज़ सिसकी ahhhhhhhhhh bajiiiiiiiiii ओर भाई ने सिसकते हुए मेरी गर्दन को चाट लिया। मैं भाई की इस हरकत ओर नीचे उसके लन्ड से मदहोशी की दुनियां में चली गयी।
मैंने भाई का लन्ड छोड़ दिया तो भाई ने मेरी गर्दन को चाटते हुए मेरा हाथ पकड़ा और दोबारा अपने लुल्ले पर रख दिया। भाई का लन्ड पेंट के ऊपर से भी काफी गर्म लग रहा था।
भाई मेरी गर्दन चूमते चूमते हुए मेरे गालों की तरफ बढ़ने लगे, मैं फिर से कमजोर पड़ने लगी, मेरे अंदर भाई को रोकने की जान ना बची, भाई की जबान मुझे गर्म करने में लगी थी, ओर नीचे से मैं भाई का लन्ड अब मसलने लगी थी।
भाई मेरे गालों पर आए और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे मखमली ओर टमाटर जैसे गालों को चाटने लगे।
भाई की जीभ ने मुझे बहुत गर्म कर दिया था कि अचानक भाई ने मेरे गाल मुँह में भरा ओर फिर दांतों से काट लिया ahhhhhhhh hahhah मैंने भाई को हटाने के लिए जोर लगाया लेकिन भाई ने मुझे कसके पकड़ा हुआ था। मैंने दोनों हाथों से भाई का मुँह पकड़ा और सामने लाकर " कमीने मुझे काट क्यों रहा है, मेरे गाल पर निशान पड़ जायेगा, किसी ने देख लिया तो।
भाई ने सॉरी बोला और अबकी बार कमर से पकड़ लिया और मैं भाई से जुड़ती हुई चली गयी।
ऊपर से भाई गाल चुम रहे थे, मेरे तने हुए बूब्स भाई की छाती में धंस गए थे। नीचे भाई का लन्ड अब सलवार के ऊपर से चुत पर ठोकर मार रहा था।
हमे कोई होश नही था, एक दूसरे में इस कदर डूबे हुए थे जैसे कभी अलग नही होंगे।
भाई का लन्ड मुसलसल मेरी चुत पर वार कर रहा था। भाई ने अपने मुँह मेरे सामने किया और मेरी आँखों मे देखा और मुस्कुराने लगा, भाई ने अपने होंठों पर जीभ फिराई जिससे मैं समझ गयी कि भाई आगे क्या करने वाले हैं।
मेरी आँखों मे हवस साफ दिखाई दे रही थी, मैंने आंखे बंद की जो भाई को सिंग्नल था कि तुम आगे बढ़ सकते हो।
भाई ने धीरे से अपने होंठ मेरे गुलाबी रस से भरे होंठों पर रखे हो चूसने लगे।
ahhhhhh हल्की सी सिसकी निकल गयी, भाई ने पहला नीचे वाला होंठ चूसा फिर ऊपर वाले होंठ को अपने चूस रहे थे।
भाई ने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और अपने तपते हुए लन्ड पर रख दिया।
मुझे इतना मजा आ रहा था जिसे लफ्जो में बयां नही किया जा सकता। मुझे ये बात की एक छोटा भाई कैसे अपनी बड़ी बाजी को चूम रहा है काट रहा है और लन्ड मसलवा रहा है ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। मैंने भाई के नशीले हमलों में बह गई थी।
मैंने भी अब भाई के होंठ चूसने शुरू कर दिए, भाई भी मेरी तरह हसीन ओर खूबसूरत थे तो मुझे भी भाई के होंठों से मजा आने लगा। मेने नशे में चूर होकर भाई के होंठों पर टूट पड़ी थी।
नीचे से अभी भी मेरा हाथ भाई के लन्ड पर था जो झटके पे झटका ले रहा था जिसे मेने अपनी मुट्ठी में जकड़ रखा था।
भाई ने अपनी जबान निकाली और मेरे मुँह दाखिल कर दी।
एक लज्जत की लहर मेरे तन बदन में दौड़ गयी, मैं भाई की जबान को अपने मुँह में महसूस कर रही थी, भाई मेरे मुँह का थूक भी चाट रहे थे।
भाई एक हाथ नीचे लेकर गए और पेंट को खोलकर नीचे कर दिया, मुझे पता था भाई अब फूल नशे में है और नंगा लन्ड मुझसे मसलवाना चाहते हैं, भाई ने पेंट नीचे खिसका कर अपना कच्छा भी नीचे कर दिया और भाई का लन्ड उछलकर मेरी चुत पर जाकर लगा। ahhhhhhh siiiiiiiii ahhhhhhh
मेरी सिसकी निकल गयी। ऊपर हम दोनों अपनी अपनी जबान को एक दूसरे के मुँह में दाखिल कर रहे थे।
हमारे थूक एक दूसरे के मुँह से आ-जा रहा था।
भाई के थूक को चाटकर मेरी चुत बुरी तरह से कांप रही थी,
ओर अचानक भाई ने अपना हाथ मेरे चुत के ऊपर रख दिया, हालांकि मैंने सलवार पहनी हुई थी फिर भी ऐसा लगा जैसे भाई ने नंगी चुत पर हाथ रख दिया हो। भाई मेरी चुत सहला रहे थे मैं भाई का लन्ड, ऊपर हमारी जीभ अपना कमाल दिखा रही थी।
मैं इतना गर्म हो गयी कि कभी मेरे अंदर का ज्वालामुखी फट कर बाहर आने वाला था। भाई ने अपना मुँह हटाया ओर मेरे काम मे फुसफुसाया "बाजी तुम बहुत सेक्सी ओर मीठी हो"
इतना सुनकर मेरे जिस्म में झनझनाहट हुई और मैने भी भाई की गर्दन पर काट लिया ahhhhhhhhhhhh भाई के मुँह से सिसकी निकल गयी।
हम दोनों अपनी अंतिम चरम सुख पर थे भाई ने अपना हाथ चुत पर तेज़ कर दिया और मेरे कान की लौ चाटने लगे।
ये हरकत मुझसे बर्दास्त नही हुई और मेरी चुत का गर्म गर्म पानी निकल कर कच्छी में जज्ब (सोंख लेना) हो गया।
मैं ठंडी पड़ गयी और भाई के कंधे पर सर रखकर सांस लेने गयी।
भाई ने मेरे हाथ को हटाया ओर अपना हाथ लन्ड पर रखकर हिलाने लगे,
ओर मुझसे दूर हो गया। मैं थक कर बेड ओर बैठ गयी।
भाई फर्श पर खड़े होकर मेरी तरफ देखने लगे और अपना लन्ड मसलते रहे।
ahhhhhhh baajiii meriii pyariiiiiii bajjiiiiiii tumneeeee mujjjjheeee pagalllllll karrrrrr diyaaaaaaa hai ओर एक तेज़ धार भाई के लन्ड से निकली और फर्श पर जा गिरी, एक दो तीन चार ओर कई सारी मोटी मोटी पिचकारी भाई के लन्ड से छुटी।
मैंने फर्श पर देखा तो भाई का बहुत सारा माल पड़ा था और भाई थक कर खड़े खड़े ही सांस लेने लगा। भाई की हालत ऐसी हो गयी जैसे उसे चक्कर आ रहे हैं ओर गिरने ही वाला है
मैंने उसे जल्दी से पकड़कर बेड पर बिठा दिया। कुछ देर बाद भाई नार्मल हुए और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे।
मेने उसे मुस्कुराता देख कर उसे मुक्का मार दिया।
मैं:- अब क्यों हंस रहा है, करली ना अपनी मनमर्जी।
भाई:- बाजी पता नही क्या नशा है आप मे कुछ होश ही नही रहता
मैं:- कमीने तुझे शर्म नही आई अपनी बहन को गाल पर काटते,
ओर तूने मेरी प्राइवेट जगह पर हाथ क्यों लगाया, कुछ शर्म हया है तुझमे।
भाई:- बाजी होश ही कहाँ था मुझे, मैं तो आपके होंठों में खोया हुआ था, वैसे बाजी आपके होंठ बहुत मीठे है। मन करता है इन्हें चूसता रहू।
मैं:- कमीने चुप हो जा ओर जो तूने गंध फैलाई है इसे साफ कर
भाई:- बाजी तुम इसे किसी कपड़े से साफ कर दो।
मैं:- अच्छा जी, गंध तुम्हारी है और साफ मैं करू,
भाई:- मेरी प्यारी बाजी नही हो आप, बाजी एक बात में आपको बहुत प्यार करता हूँ, क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो
मैं:- भाई चुप हो जाओ, ये प्यार नही है ये सिर्फ तेरी हवस है जो तूने गंदी गन्दी चीजों से सीखा है।
भाई:- बाजी में आपको जान से ज्यादा चाहता हूं, आप मानो या ना मानो मैं आपको अपने प्यार का अहसास जरूर कराउंगा
मैं:- अच्छा, मैं कभी नही आने वाली तुम्हारे हाथ और हंस कर कोई कपड़ा ढूंढने लगी। मुझे भाई का एक रुमाल मिल गया, उसे लेकर में फर्श पर पड़े भाई के माल को साफ करने लगी।
भाई का माल इतना था कि रुमाल भी पूरा गीला हो गया।
मैं:- कमीने देखो कितना पानी गिराया है तूने, रुमाल पूरा भर गया है इससे
भाई:- बाजी जब हथियार बड़ा है तो माल भी ज्यादा ही गिरायेगा
मैं:- तौबह तुम्हारा खम्बा कितना बड़ा है, में भाई के सामने इन चीजों पर खुलकर नही बोल सकती, क्योंकि भाई समझेंगे की मैं कितनी बिगड़ी हुई हूँ।
भाई:- बड़ा क्यों नही होगा सुबह शाम तेल की मालिश जो करता हूँ।
मैं:- तेल लगाकर अब क्या इसे 10 हाथ का करोगे ओर हंस पड़ी। मुझे हंसता देखकर भाई भी हंसी मजाक के मूड में आ गए
भाई:- 10 हाथ का हो जाएगा तो इसे छिपाना मुश्किल हो जाएगा बाजी, ओर मेरी होने वाली बीवी तो इसे देखकर ही तलाक मांग लेगी।
मैं:- चुप अब ओर देख कितना ज्यादा पानी है मेरे हाथ मे भी लग गया।
भाई:- बाजी आपको तो मेरा पानी पसन्द है क्यों ना हाथ पर लगा हुआ पानी तुम पी जाओ
मैं:- छीईईई गंदे इंसान, मैं ऐसा वैसा नही करने वाली। ओर मैं उठकर बाहर आने लगी तो भाई ने आवाज दी
भाई:- बाजी सुक्रिया इस मजे के लिए i love you बाजी
मैंने उसकी बात का जवाब नही दिया और बाथरूम में आकर गंदे रुमाल को फर्श पर फेंक दिया हाथ धोने के लिए पानी लिया।
तभी मुझे एक खुमारी चढ़ी ओर मैंने हाथ पर लगे हुए भाई का माल चाटने लगी।
भाई का माल मुझे खारा खारा सा लगा, ओर पूरा पानी चटकारे लेकर पी गयी। किसी का माल पीना मेरी आदत बन गयी थी, माल पीने से मेरा तन बदन में नशा सा हो जाता था। और भाई का गाढ़ा माल हो तो क्या ही कहना।
मैं नीचे गयी तो अम्मी सो रही थी और मैं अपने कमरें में जाकर कपड़े लिए ओर नहाने के लिए ऊपर आ गयी।
बाथरूम में दाखिल होकर मेने दरवाजा लॉक किया और कपड़े निकाल कर पेशाब करने बैठ गयी।
तभी भाई बाथरूम के दरवाजे पर आए और आवाज देने लगे
भाई:- बाजी क्या कर रही हो, मुझे तेज़ पेशाब लगा है और मैने अपना हथियार भी नही धोया है
मैं:- कमीने में नहा रही हूं मैं फारिग हो जाऊं फिर कर लेना
भाई:- मुझे बहुत तेज़ आ रहा है बाजी प्लीज दरवाजा खोले
मैं:- कमीने शर्म कर मैं अंदर हूँ तो तुम कैसे आ सकते हो
भाई:- बाजी आप एक साइड हो जाना मैं पेशाब करके ओर हथियार धोकर निकल आऊंगा प्लीज बाजी जल्दी करो वरना मैं पेंट मैं ही कर दूंगा
मुझे पता था भाई मस्ती के मूड में हैं और मुझे भी भाई की मस्तियाँ अच्छी लगने लगी थी। मैंने कपड़े अभी भी पहने हुए थे।
मैंने सोचा अगर भाई अंदर आ भी गए तो मेरा कुछ नही देख पाएंगे। वैसे भी मैंने भाई का कई दफा देख लिया है।
मैं:- भाई वैसे तुम बहुत बेगैरत इंसान हो, जल्दी आओ ओर करके चले जाना चुपचाप अब कोई मस्ती नही चलेगी समझे
भाई:- बाजी बस पेशाब करना और कुछ नही, दरवाजा खोलो जल्दी।
मैंने कांपते हाथों से दरवाजा खोला ओर भाई अंदर आ गया।
भाई:- बाजी तुमने बड़ी देर लगा दी अगर मेरा पेशाब पेंट में निकल जाता तो?
मैं:- बेशर्म इंसान शुक्र करो मैंने दरवाजा खोल दिया, कोई भाई अपनी बाजी के साथ बाथरूम शेयर करता है क्या
जल्दी करो जो करना है और निकलो यहां कभी अम्मी को पता चल जाये।
भाई:- बाजी तुम साइड हो जाओ मुझे जल्दी से पेशाब करने दो।
भाई मेरे सामने ही पेंट निकाला और फिर कच्छा ओर अपना लन्ड निकाल लिया, मैं भाई के पीछे खड़ी थी लेकिन थोड़ा दूर थी।
भाई पेशाब करने बैठ गए और पेशाब करने लगे।
मैं भाई चोरी छिपे देख रही थी, भाई के लन्ड से मोटी मोटी धार से पेशाब निकल रहा था।
भाई ने पेशाब किया और खड़े होकर आखिरी बून्द को भी निकाल दिया।
भाई:- बाजी एक काम करोगी अगर बुरा ना मानो तो
मैं:- अब क्या रह गया तुम्हारा जल्दी निकलो मुझे नहाना है।
भाई:- बाजी मेरे हथियार पर मनी लगी हुई है जो सूख गई है
क्या तुम इसे धो सकती हो और इतना कहकर मुस्कुराने लगे।
मैं:- कमीने इंसान ये गलीज काम मैं करूंगी तुमने सोच भी कैसे लिया। जबकि मेरा भी मन कर रहा था कि भाई के लन्ड के देखु
मुझे भाई के साथ एक अलग की रोमांच आने लगा था, यु कह सकते हैं कि भाई की हरकते मुझे भाने लगी थी, लेकिन मैं भाई को इस चीज का अहसास नही कराना चाहती थी, ऐसा ना हो कि भाई की नजरों में गिर जाऊं, एक तो मै गुनाह पे गुनाह किये जा रही थी, मेरा अपने ऊपर कंट्रोल लगभग खो गया था।
भाई:- बाजी प्लीज, मेरी प्यारी सी बाजी हो ना तुम। अपने लाडले भाई का इतना भी काम नही आ सकती। जब आपका कभी काम आएगा तो मैं बिना सोचे समझे कर दूंगा।
मैं:- भाई प्लीज तुम खुद कर लो ना, मैं कैसे कर सकती हूं ये काम
भाई:- बाजी आप बस साबुन लगा कर पानी डाल दो, इतना काम तो आप कर सकती हो बाजी प्लीज
मैं:- भाई तुम जिद कर रहे हो तो साबुन तुम लगा लो पानी मे डाल दूंगी बस।
भाई :- बाजी जब पानी ही डाल सकती हो तो धोने में क्या बिगड़ जाएगा आपका, वैसे भी आपने तो ये देखा हुआ है अब शर्माना कैसा मेरी लाडली बाजी
मैं:- चल ठीक है गंदे इंसान, ओर मैं मैंने भाई को पलटा ओर उसके सामने घुटनो ओर बैठ गयी। भाई का लन्ड अभी बैठा हुआ था जैसे उसमे कोई जान ही नही हो
मैंने भाई के लन्ड ओर पानी डाला और हाथों में साबुन लिया और लन्ड को पकड़ कर उस पर साबुन लगाने लगी।
जैसे ही मैंने भाई का लन्ड पकड़ा उसकी सिसकी निकल गयी साथ मैं मुझे भी करंट सा फील हुआ।
मैं जैसे जैसे साबुन लगाती गयी भाई के लन्ड ने हरकत शुरू करदी, भाई का लन्ड अब अपनी औकात में आ चुका था ।
मैंने जल्दी जल्दी से उसपर पानी डाल दिया, भाई का लन्ड नहा धोकर बहुत प्यारा लग रहा था।
भाई का लन्ड अकड़ कर गोल गोल घूम रहा था और उसके साथ साथ मेरी भी निगाहे भाई के लन्ड के साथ घूम रही थी
तभी भाई ने अपना लन्ड पकड़ कर साइड किया और छोड़ दिया
मैं भी के सामने थी तो लन्ड आकर मेरे होंठों पर आकर लगा।
भाई का लन्ड मेरे होंठो ओर लगते ही मेरी चींख निकल गयी
ahhhhhhhhhh kamineeeeeee, kutteeeeeee
मैं भाई के लन्ड की मार से गिरते गिरते बची, मैंने भाई को गुस्से से देखा और कहा
मैं:- कमीने ये क्या किया तुमने, थोड़ी बहुत शर्म बची है
भाई:- बाजी मेरा क्या कसूर है इसमें जिसका कसूर है उसे बोलो
मैं:- अच्छा तुम्हारा कोई कसूर नही है ठीक है बच्चू ये ले और मैंने भाई के लन्ड पर थप्पड़ मारने लगी।
तभी भाई को दर्द होने लगा तो मैंने उसका पेंट ऊपर किया और कच्छा पहना कर धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
भाई आवाज देते रहे कि बाजी क्या हुआ लेकिन मेने कुछ नही सुना और दरवाजा बंद कर दिया और दरवाजा से सट कर मुस्कुराने लगी।
भाई भी सायद कमरे में चले गए थे।
मैंने बाल्टी में पानी भरना शुरू किया और कपड़े निकलना शुरू किया। सभी कपड़े निकाल कर मैं नंगी बाथरूम में खड़ी थी
【दोस्तों हमारा बाथरूम में लैटरिंग ओर नहाना एक साथ होता था बाथरूम बड़ा था जिसमे एक साइड लैटरिंग शीट थी और एक साइड नहाना होता था】
सबसे पहले में ग़ुस्ल किया और ग़ुस्ल से फारिक होकर
मैंने अपने बदन पर पानी डाला और साबुन उठा कर जिस्म पर लगाने लगी फिर मैंने अपनी गाँड़ ओर चुत पर अच्छे से साबुन लगाई
गाँड़ ओर चुत को अच्छी तरह धोकर मेने बालो पर शैम्पू लगाया
ओर बालों पर शैम्पू मलने लगी।
अच्छी तरह नहा धोकर मैं बाथरूम से निकल आई और अपने कमरे में पहुंच कर नए कपड़े पहने।
कपड़े पहनकर मेने ऊपर वाले को याद किया ओर ढेर सारी दुआएं की।
उसके बाद पढ़ने के लिए बैठ गयी, कल मेरा एग्जाम था उसकी तैयारी करने लगी।
शाम को अम्मी के साथ मिलकर खाना बनाया और सभी ने मिलकर खाया और सभी सोने के लिए अपने अपने कमरों में आ गए।
कमरें में पहुंच कर मैंने किताबें उठाई और पढ़ने बैठ गयी। पढ़ते पढ़ते मुझे 11 बज गए। मुझे थकान होने लगी, किताबों को अलमारी में रखा और पानी पीकर सोने की तैयारी करने लगी।
मैं पानी लेने किचन की तरफ़ गयी जहां फ्रीज रखा था।
अभी मैं किचन के पास पहुंची ही थी के मुझे अम्मी अब्बू के कमरे से आवाजे आने लगी। मैंने आवाज को गौर से सुना तो अम्मी की सिसकने की आवाजें आ रही थी।
मुझे शर्म आने लगी कि सायद अम्मी अब्बू हमबिस्तर हो रहे होंगे।
मैंने अम्मी की सिसकियों को इग्नोर किया और फ्रीज से पानी लिया और पीने लगी।
अम्मी की सिसकियां बदसूरत जारी थी, अम्मी की सिसकियों से मेरे जिस्म में खुमारी चढ़ने लगी।
मेरा मन किया कि मैं दरवाजे के पास जाऊं तो उनकी आवाजे सुनु। मैं घबराई हुई थी, जिंदगी में कभी मैंने अम्मी की इस तरह की आवाजें नही सुनी। आज पहली मर्तबा मेरे सामने ऐसा वाकया आया था।
मैं अम्मी अब्बू के कमरे की तरफ बढ़ी, शर्म तो आ रही थी कि मैं इस तरह उनके कमरे की तरफ़ जा रही थी।
मैं दरवाजे पर पहुंची तो आवाजे साफ सुनाई देने लगी
ahhhhhhhh siiiiiiiii ahhhhhhhh suniyeeeee jiiiiiii
rhneeee dijiyeeeeeee naaaaaaaa ahhhhhhhhh kyaaaaa krrrr rhe hooooooo
begummmmmmm aaajjjjjjj to bdaaaaaa mjaaaa aaaa rhaaaa hai tumhaaaari chutttttt maiiiiii
chiiiiiiiiiiii besharm mmm insaaan uskaaaa naaaaam mattt loooo, chuppppp chap kaaaam kroooooo
अंदर अब्बू सायद अम्मी की चुत मार रहे थे। अम्मी बेहताशा सिसकती हुई अब्बू को मना कर रही थी।
ahhhhh anjummmmmmmm ke abbuuuu aaj kyaaaa hoooo gyaaaa hai tumheeee aiiiiiii ammiiiii, begummmmmmm aaajjjjjjj bdaaaaa mannnn hai tumhariiii chuttttt ko marneeee kaaaa, gadraiiii huiiiii chut kaaaaaaa mjaaaaa hi alagggg hai.
अंदर अम्मी के मुँह से मेरा नाम सुनकर अब्बू तेज़ तेज़ झटके देने लगे जिससे अम्मी की आवाजें तेज़ हो गयी।
ahhhhhhhhhh anjum ki ammmiiiii mai aane walaaaaa hunnnnnn ahhhhhhhohhhhhhhh
ओर फिर अब्बू सायद झड़ गए। लेकिन एक सवाल मेरे जेहन में गूंज रहा था कि अम्मी अब्बू ने मेरा नाम क्यों लिया।
क्या अम्मी ने मेरा नाम जानबूझ कर लिया जिससे अब्बू जोश में आकर जल्दी झड़ जाए।
मुझे पसीना आया हुआ था और मैने जल्दी से दोबारा पानी पिया ओर भागती हुई कमरे में आ गयी।
बेड पर लेटकर मैं अभी अम्मी अब्बू की चुदाई के बारे में सोच रही थी कि मेरी चुत चिपचिपी महसूस हुई, मैंने हाथ लगाकर चेक किया तो सच मे मेरी कच्छी गीली हो गयी थी।
मैंने कच्छी को निकाला और बिना धुले हुए कपड़ों में लपेट कर लेट गयी और कब नींद आई पता ही नही चला
मैं कमरें में पहुंच कर लेट गया और सारी चीजों को सोचने लगा, जो चीजें मेरे साथ हो रही थी। उन चीजों के बारे में सोचते सोचते मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. मैंने अपना पेंट निकाला और साइड में रख दिया, अब मैं कच्छे में था और मेरा लन्ड कच्छे को फाड़ने की फिराक में था। नंगा होने मेरी चाल का हिस्सा था, की अगर बाजी ऊपर आये तो मेरा लन्ड देखकर कामुक हो जाये तो बात आगे बढ़ सकती है। मैंने दरवाजा भी लॉक नही किया ताकि बाजी आराम से अंदर आ सके। मैंने इन्सेस्ट कहानी वाली बुक उठाकर लेट गया और पेज पलटने लगा। तभी मेरी निगाहें उस कहानी पर पड़ी जिसे पढ़कर मेरे लन्ड ने प्रि-कम निकलना शुरू कर दिया।
कहानी थी "माँ बहन को चोदा" मैंने उस कहानी को शुरू से पढ़ना शुरू किया कहानी में जगह जगह चित्र भी थे जो कहानी के अनुसार छापे गए थे।
कहानी में एक लड़का होता है वो अपनी बहन और माँ को प्यार करता है, जो अपनी माँ बहन को चोदना चाहता है और उसके लिए वो एक प्लान के तहत काम भी शुरू कर देता है।
कहानी पढ़ते पढ़ते मुझे एक चित्र दिखता है जिसमे लड़का अपनी बहन से लन्ड चुसवाता है फिर लन्ड का माल भी अपनी बहन के मुँह में छोड़ देता है।
ये चित्र देखकर मेरा लन्ड फटने की हालत में था। अब लड़का अपनी बहन को चोदने के लिए लन्ड डालता है लेकिन बहन की पुद्दी टाइट होती है तो वो घी लाकर अपने लन्ड ओर बहन की पुद्दी पर लगाता है फिर दोबारा कोशिस करके आखिरकार अपना लन्ड डाल देता है। उसकी कुँवारी बहन बहुत चीखती चिल्लाती है लेकिन वो लड़का नही रुकता है और चोद चोद कर अपना माल भी अपनी बहन की पुद्दी के अंदर छोड़ देता है। इसी तरह कहानी आगे बढ़ती जाती है वो अपनी माँ को पटाने में लग जाता है और इस काम में उसकी बहन भी उसका साथ देती है। उसे अपनी माँ की गाँड़ बहुत अच्छी लगती है और उसे पाने के लिए बहुत मेहनत करता है। आखिर लड़का सफल हो जाता है और अपनी माँ की गाँड़ भी मार लेता है।
इस जगह मुझे एक चित्र दिखता है जिसमे लड़का अपनी माँ की गाँड़ मार रहा होता है तो उसकी माँ गाँड़ चुदाई बर्दास्त नही कर पाती और मुत देती है।
लड़का भी जोश में आकर बेरहमी से चोदता चला जाता है। उसकी माँ भी अब मजे ले लेकर चुदवाती है। कहानी में यही सब चलता है। मेने वो कहानी दो दो ढाई घण्टे में पढ़ देता हूँ, मेरा लन्ड भयंकर रूप ले चुका होता है।
मैं वापस उस चित्र पर पहुंचता हूँ जहां लड़के का लन्ड अपनी बहन की चुत में घुसता है और घी लगाता है।
उस पेज को देखकर में लन्ड हिलाने लगता हूँ तभी बाजी की परछाई मुझे दरवाजे के नीचे से महसूस होती है।
मैं बाजी को सुनाने के लिए तेज़ तेज़ हाथ चलाने लगता हूँ, ओर जान बूझकर उसे सुनाने के लिए उसका नाम भी लेने लगता हूँ
【कहानी में जो जोशीली आवाजे जैसे अहह उहहह वो सब इंग्लिश फॉन्ट में लिखी जाएगी क्योंकि हिंदी में लिखना मुश्किल है समय लगता है】
ahhhhhh baajjjjjjiiiiiiiii तुम कितनी अच्छी हो, maiiiiiiiii तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ tuuuuuuummmmmmmm kabbbb मेरे प्यार को समझोगी बाजी। तुम्हारी चुचियों ने पागल कर दिया है बाजी, तुम्हारी गद्देदार गाँड़ का क्या कहना, कितनी मादक गाँड़ है बाजी तुम्हारी, मुझे अपनी गाँड़ के दर्शन करा दो बाजी मैं मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।
इतने में मेरे लावा निकल कर लन्ड के आखरी छोर पर आ गया, मैंने जल्दी से अपना रुमाल लिया और मैंने नशे में "bajiiiii teriiii chutttt kooooooo chattttt jaunnnnnn" इतना कहकर मेरे लन्ड ने माल छोड़ दिया।
पहली पिचकारी इतनी तेज थी के रुमाल में छेद करके निकल सकती थी, ओर फिर मैं एक मीनट तक झड़ता रहा है माल रुमाल में इकट्ठा होता रहा।
अच्छी तरह झड़ कर मैं अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा और रुमाल को बेड के नीचे फेंक दिया।
मुझे पता था बाजी मेरी हरकते की-होल से देख रही है मुझे भी बाजी का कोई डर नही था, मुझे बाजी को पाना था चाहे उसके लिये कुछ भी करना पड़े।
झड़ कर मैं अब काफी सम्भल चुका था, मैंने कपड़े पहने ओर पानी पीकर लेट गया ओर बाजी का इंतजार करने लगा कि बाजी कब अंदर आती हैं। इन्सेस्ट कहानी की किताब बेड के साइड में ही पड़ी थी। जो आराम से दिख सकती थी बाजी को।
कोई 5-10 मिनट रुक कर बाजी आराम से अंदर आयी और मुझे आवाज लगाई "भाई सो गया क्या"
मैंने बाजी को जवाब दिया नही बाजी बस सोने की तैयारी कर रहा हूँ।
बाजी मेरे पास आई और बेड के सहारे बैठ गयी तभी उसकी निगाह उस किताब पर पड़ी जो मैंने बेड पर रख दी थी बाजी को दिखाने के लिए।
बाजी ने वो किताब उठाई और कवर पेज पर छपी गंदी फ़ोटो को देखने लगी
बाजी:- भाई ये कैसी वाहियात किताब पढ़ते हो तुम, इसमें क्या नॉलेज मिलता है तुम्हे, ये तो गंदी किताब लग रही है।
बाजी ने पेज पलटकर अंदर देखा और बाजी की निगाह कहानियों के नाम पढ़ने लगी
【बाजी 10 क्लास हिंदी स्कूल में पढ़ी थी उसके बाद अम्मी अब्बू ने उसे मदरसे दाखिल कर दिया ताकि आगे चलकर बाजी एक स्कोलर बन सके】
बाजी की निगाहें हैरतजदा होती गयी और फिर अचानक किताब फेंक दी
बाजी:- तो तुम ये पढ़ाई करते हो हरामजादे, हम तो सोचते थे भाई साहब एग्जाम की पढ़ाई करते हैं, पर यहां तो कोई और ही गुल खिला रहे हो।
मैं:- बाजी ये किताब मुझे सड़क पर मिली थी मैं इसे उठा कर ले आया, मुझे क्या पता इसमें क्या है। जब मैने इसे खोल कर देखा तो मुझे भी हैरत हुई। मैं इसको कल जलाने वाला था।
बाजी:- वाह भाई वाह क्या शानदार झूट बोला है। कुत्ते तुम इसे पढ़ रहे थे और गंदी हरकत कर रहे थे समझे।
मैंने सब देख लिया है बाहर से, वक़ार भाई तुम्हे क्या हो गया है, पहले ही तुम्हारी हरकते कम थी जो अब ये पढ़कर अपनी बहन का नाम अपनी गंदी जुबां से लेते हो।
मैं:- बाजी मैंने तो बस ऐसे ही पढ़ लिया था, पढ़ते हुए मुझे मजा आने लगा तो अपने आप गंदी हरकत हो गयी, सॉरी बाजी
बाजी:- चलो मां लिया तुमने गलती से पढ़ ली और गंदी हरकत भी इसके पढ़ने से हो गयी, लेकिन मेरा नाम क्यों लिया गंदी हरकत करते हुए।
मैं:- बाजी कहानी मैं एक भाई भी ऐसा ही करता है तो मैंने भी कर लिया के कितना मजा आता है।
बाजी:- तुमने ऐसा क्या पढ़ लिया जो ये हरकते कर रहे हो जरा मैं भी तो देखु।
मैंने किताब उठाई और बाजी को "माँ बहन को चोदा" उस कहानी को दिखाने लगा साथ मे फ़ोटो भी दिखा दिए।
बाजी:- हाय ये क्या वाहियात चीज़ें है। कोई भी इंसान नही कर सकता ऐसा, ये सब झूट है, किताब वाले पागल हो गए हैं जो झूट मुट की कहानी बनाकर छाप देते हैं।
मैं:- बाजी ये सब सच है देखो राइटर ने पहले पेज पर लिखा भी है कि सब कहानी सच्ची है जो लोगो ने हमे बताई हैं, मैंने बाजी को वो सब दिखा दिया और बाजी का चेहरे पर पसीना आ गया।
बाजी:- वक़ार भाई ये तो बड़े शर्म की बात है लोगों का दिमाग ऐसा हो चला है कि वो रिस्ते नाते शर्म लिहाज भूल गए हैं।
कोई अपनी माँ बहन के साथ ऐसा गंदा काम कैसे कर लेता है।
भाई क्या उनकी माँ बहन भी इन चीजों को पसंद करती हैं
मैं:- बाजी इंसान जब बड़ा हो जाता है तो उनके जिस्म में जवानी का जोश आता है जो कभी कभार ज्यादा बढ़ जाता। इंसान उस जोश में आकर गलतियां करता है और ये चीजें करने लगता है।
उसे जो चीज पसन्द आती है उसको पाने के लिए कुछ भी कर गुजरता है
बाजी:- अच्छा तो तुम भी वही गलतियां कर रहे हो, मेरा नाम लेकर पता नही तुम क्या क्या करते हो। तुम्हे भी जवानी चढ़ रही है क्या
मैं:- बाजी मैं तो आपसे प्यार करता हूँ, आपको देखता हूँ तो अपने आप को काबू नही रख पाता,ओर इसी वजह से गलती हो जाती है। बाजी अगर आपको बुरा लगा तो सॉरी पर मैं अब ये गलतियां करता रहूंगा, चाहे उसके लिए मुझे बाजारू रंडियों के पास जाना पड़े। बाजी ने इतना सुनते ही मेरे गाल पर झन्नाटे दार थप्पड़ जड़ दिया।
बाजी:- कुत्ते अब तू ये काम भी करेगा, क्या इज्जत रह जायेगी तेरी ये काम करके। उनसे बीमारी कर लेगा अपने।
मैं:- बाजी मैं क्या करूँ, मैं अपनी जवानी पर कंट्रोल नही कर पा रहा हूँ, इसके लिए मुझे कुछ तो करना पड़ेगा।
बाजी:- तो तू रंडियों के पास जाएगा, अब्बू से कह के तेरी शादी करा देते हैं।
मैं:- बाजी पहले तो आपकी शादी होगी उसके बाद मेरा नंबर आएगा ना। आप जल्दी से शादी करा को जिससे मेरा नम्बर भी आ जाये, ओर ये बात मैंने मुस्कुरा कर रही जिस ओर बाजी ने मुझे मुक्का मार दिया
बाजी:- कुत्ते अपनी जवानी के चक्कर मे मुझे घर से धकेलना चाहता है। अब्बू से बोल दूंगी की मुझसे पहले अपने लाडले के हाथ पीले कर दो, इसे ही ज्यादा जोश चढ़ा हुआ है।
मैं:- बाजी जोश तो आपको भी चढ़ता होगा, आप ही कह दे अम्मी से की शादी कर दे।
बाजी:- मुझे कोई शोक नही है शादी करने का, ये काम तुम्हे ही मुबारक।
चल छोड़ ये बात और पढ़ाई पे मन लगा कुछ नही रखा इन गंदी चीजों में। ओर बाजी उठने लगी तो मैंने बाजी से एक बार फिर बाथरूम में कच्छी रखने को बोला।
बाजी:- कुत्ते क्या करेगा मेरी प्राइवेट चीज का
मैं:- बाजी मुझे आपकी कच्छी से मादक महक आती है जिससे मुझे अच्छा लगता है।
बाजी:- तुम्हे शर्म है कुछ अपनी बाजी की चीजों को सूंघते फिरते हो। मेरी चीज को इतना गंदा कर देते हो, छीईईई पता नही क्या डालते हो उपसर
मैं:- बाजी वो मेरे जिस्म का जोश होता है, आपने देखा होगा कितना जोश आता है आपकी कच्छी को देखकर
बाजी:- हाँ हाँ देखा था, पूरी की पूरी गंदी हो जाती है, पता नही क्या लगा होता है सफेद सफेद सा।
बाजी को सब पता था लेकिन कहना नही चाहती थी या मेरे मुँह से उगलवाना चाहती थी।
मैं:- बाजी आपको अच्छा नही लगा क्या वो, कभी आपने सूंघकर या चाट कर चेक किया हो।
बाजी:- छीईईई मैं क्यों चेक करूंगी उसे, मुझे तो देखकर ही उल्टी की हालत हो जाती है। वैसे क्या चीज होती है वो इतनी गंदी सी
मैं:- बाजी मैं नही बता सकता आप बुरा मान जाओगी
बाजी:- बताओ भी मेने बुरा मानना होता तो अब तक तुम्हारी बकवास सुनती रहती मैं
मैं:- बाजी बुरा ना मानना वो मेरे पानी होता है।
बाजी:- तुम्हारा पानी मतलब, तुम कहाँ से लाते हो पानी जो मेरे कपड़े पर गिराते हो
मैं:- बाजी वो पानी मेरे अंदर से निकलता है
बाजी:- तुम्हारे अंदर से मतलब कहाँ से
मैं:- बाजी वो में.में.मेरे यहां से निकलता है और मेरा लन्ड जो बाजी की बातों से खड़ा हो गया था उसकी तरफ इशारा किया
जैसे ही बाजी ने मेरे लन्ड की तरफ देखा उसकी आंखें शर्म ओर हैरत से झुक गयी।
बाजी:- कमीने शर्म है तुम्हे थोड़ी बहुत या वो भी बेच खाई तुमने, ये क्या बकवास है जो तुम करने लगे हो
मैं:- बाजी मैंने क्या कर दिया अब, जो सच बात है वही बताया है आपको.आप बेवजह गुस्सा कर रही हैं।
【मुझे पता था बाजी को सब पता है लेकिन शर्म का नाटक तो करना ही पड़ता है आखिर वो मेरी सगी बहन थी वो भी एक अपकमिंग स्कोलर】
बाजी:- कमीने इससे पेशाब निकलता है वो चीज नही जो तुम मेरे कपड़े पर तुम गिराते हो।
मैं:- बाजी में सच कह रहा हूँ वो पानी इसी से निकलता है मैं बाजी की चालाकियों पर मन ही मन मुस्कुरा रहा था,के बाजी आगे क्या करती है।
बाजी:- मुझे यकीन नही होता, तुम झूठे हो, मुझे झूट पसन्द नही वक़ार ये तुम जानते हो
मैं:- बाजी अगर बुरा मान जाओगी वरना मैं आपको यकीन दिला देता, चलो छोड़ो इस बात को मैं झूटा ही सही
बाजी:- अच्छा चलो मुझे बताओ कैसे निकलता है, मैं भी तो देखु तुम सच्चे हो या झूठे.
मैं:- बाजी आप गुस्सा करोगी मेरी हरकत पर, कहीं कोई बात आपको बुरी लग जायेगा इज़लिये रहने दो
बाजी:- भाई कसम से किसी बात का बुरा नही मानूँगी बस अब दिखा दो कैसे निकलता है।
मैं:- बाजी मुझे नंगा होना पड़ेगा इसके लिए, ओर इसको बाहर निकाल कर हिलाना पड़ेगा तब जाके निकलेगा
ओर मैं बाजी के सामने ही नंगा होने लगा, बाजी मेरी हरकतों को देखी जा रही थी। मैंने कच्छा निकाल दिया और मेरा 9 इंच का लुल्ला बाजी की आंखों के सामने था। जिसे देखकर बाजी की आंखे फ़टी की फटी रह गयी। यूं तो बाजी ने पहले भी देखा था मेरा लन्ड लेकिन आज इतने पास से पहली बार देखा था।
मैं लन्ड को हिलाने लगा, बाजी बेड पर बैठी देख रही थी और मैं बाजी से 3 फुट दूर खड़ा होकर मुठ मार रहा था।
मैं:- बाजी इसका पानी ऐसे नही निकलेगा इसको जोश दिलाने के लिए कुछ करना पड़ेगा।
बाजी:- क्या करना पड़ेगा अब, तुम कोशिस कर तो रहे हो। पहले भी तो निकलते रहे हो, अब भी निकाल दे ऐसे ही
मैं:- बाजी पहले मैं कोई सेक्सी चीज को देखकर निकलता था, अब यहां कोई सेक्सी चीज नही दिख रही।
मैंने एकदम दुपट्टे के ऊपर से बाजी के बूब्स देखने लगा और तेज़ तेज़ लन्ड हिलाने लगा। बाजी ने जब अपने बूब्स की तरफ मुझे देखता पाया तो शर्म से दोहरी हो गयी।
बाजी:- वक़ार ये तुम क्या घूर रहे हो, कोई अपनी बाजी को ऐसे घूरता है बेशर्म
मैं:- बाजी आपको देखकर मेरा जल्दी निकल जायेगा, आप अपना दुपट्टा हटा लें फिर देखना कैसे निकलता है।
बाजी:- मैं नही करने वाली ये काम, तुम खुद जानो कैसे निकलना है तुम्हे
मैं:- बाजी प्लीज एक बार अपना दुपट्टा हटा लें, जल्दी निकल जायेगा इससे। मेरा हाथ भी दुखने लगा है अब जल्दी करो।
बाजी मेरा लन्ड देखकर हवस में पागल हुए जा रही थी तो उसने ज्यादा मजहमत नही की ओर दुपटटा बेड पर रख दिया। मुझे अब बाजी के गोल गोल चुचे दिखने लगे। जो सूट फाड़ कर बाहर निकलने की भीख मांग रहे थे।
मैं बाजी के चुंचो को देखकर जोश में आ गया और लगातार बाजी के चुचे देख रहा था।
मैं:- बाजी बुरा ना मानो तो इन्हें सूट से बाहर निकाल लो प्लीज,
मेरी प्यारी बाजी इतना कर दो प्लीज
बाजी:- अब क्या है वक़ार तुम अब हद पार कर रहे हो, यही बहुत जो मेने दुपट्टा हटा लिया। अब मैं कुछ नही करने वाली
मैंने चालाकी चली और हिलाना बंद किया। और बाजी की तरफ़ निराशा भरी नजरों से देखने लगा।
बाजी ने मुझे रुकता देख कर पूछा, अब क्या हुआ रुक क्यों गए
मैं:- बाजी मेरा हाथ दुख गया लेकिन निकल नही रहा आप अपने बूब्स बाहर निकाल ले, तब जाकर निकल सकता है।
बाजी:- प्लीज भाई मुझे अपनी ही नजरों में मत गिराओ, मैं शर्म से पानी हो जाऊंगी। तुम इतने से काम चला लो
मैं:- बाजी प्लीज, मेरी एक बात नही मान सकती, मैं आपके बारे में कुछ गलत नही सोचूंगा बस आप इन्हें बिल्कुल आजाद करदे
बाजी ने झुंझलाते हुए अपनी कमीज ऊपर करके निकली और कमीज साइड में रख दी। बाजी को शरीर कांप रहा था, बाजी ने कभी सोचा भी नही था कि उसे अपने ही भाई के सामने ऐसा करना पड़ेगा।
बाजी ने फिर सफेद ब्रा भी निकाल दी और शर्म से नीचे देखने लगी, बाजी के गोल मटोल चुचे मेरी आँखों के सामने थे
ahhhhhhh baaaajiiiiii maarrrrrr hi dalaaaa aap neee tooooooo
बाजी के चुचे एकदम सख्त ओर कसे हुए थे। बाजी के चुचे कागज से भी ज्यादा सफेद और भूरे थे।
ahhhh baajiiii itne moteeee chucheeeee ne dilllllll jeeeeet liya, baaaaji kyaaaaa khilaaaatiijjj ho inhee jooooo itne gollllll mtolllll hai aapkeeee chuuuuche
बाजी:- चुप हो जाओ बत्तमीज इंसान, चुप चाप अपना काम खत्म करो, मैं भी पागल हूँ कहाँ मुसीबत मोल लेली।
बाजी फिर से मेरे लन्ड को देखने लगी जो घिस घिस कर लाल पड़ गया था। बाजी की आंखे हवस में लाल पड़ गयी थी। बाजी कभी अपने होंठ अपने दांतों से काटती तो कभी टांगो को भींचती
बाजी भी मदहोशी में डूबी हुई थी। बाजी के जिस्म से पसीना बहाने लगा।
ओर फिर अचानक ही मेरे अंदर करंट सा दौड़ने लगा, मैं तेज़ तेज़ हिलाते हुए बाजी का नाम लेना शुरू कर दिया। बाजी को भी अंदाजा हो गया कि मेरा किसी भी समय निकल सकता है
bajiiiii aaapp ne tooooo mujhe pagalllll karrrr diyaaaaaa haiiii apneeeee chuncheeee dikhaaaaa ahhhhhhh baaaji mai tumhareeee jismmmmm parrrr fidaaaa hooooo gyaaaaaa hun.
ohhhhhh meri pyariiii baaaji meraaaaa nikalneee walaaaaaa haiiiii ahhhhhhhhh ohhhhhhhhhbhh baaaji
ओर फिर वो हुआ जिसपे मेने यकीन भी नही किया था रात के इस पहर बाजी मेरे सामने आकर बैठ गयी
बाजी हवस में पागलों वाली हरकत करने लगी थी।
तभी मेरा सारा माल लन्ड के आखिरी छोर पर आया और ओर एक तेज़ धार बाजी के सीने ओर पड़ी और बाजी ने अपना मुंह एक साइड कर लिया
मेरा बाकी का माल बाजी के चुचों को भीगता चला गया। बाजी के चुचे मेरे माल से नहा चुके थे। और कुछ माल चुचों से टपक कर नीचे गिरने लगा। क्या सीन था एक साफ, जो हमेशा पर्दे में निकलती, कभी उसका चेहरा किसी गैर मर्द ने नही देखा। प्राथना की पाबंद लड़की के चुचे उसके भाई के माल से सने हुए थे। मैंने लन्ड की आखिरी बून्द भी बाजी के चुचों पर छिड़क कर निकाल दी और बेड ओर बैठ कर हांपने लगा।
माहौल एक दम शांत हो गया था मेरी आँखें बंद थी और लम्बी लम्बी सांस ले रहा था। आज जितना माल मेरे लन्ड ने छोड़ा उससे एक ग्लास भी भर सकता था।
तभी मेने बाजी की तरफ देखा तो बाजी अपने चुंचों पर गिरे माल को खुद ही जीभ निकाल कर चाट रही थी।
मैं बाजी की इस हरकत से हैरान था कि बाजी इतनी बाजारू कैसे हो गयी।
बाजी इतनी हवस में पागल हो गयी कि अपने ही भाई के सामने उसका माल चाट रही थी।
बाजी ने जब सब चाट लिया तो जल्दी से ब्रा पहनी ओर फिर सलवार ओर बिना बात किये हुए बाहर जाने लगी।
मैंने बाजी को आवाज लगाई तो बाजी ने मेरी तरफ देखा लेकिन कोई जवाब नही दिया, मैंने बाजी की आंखों और गोर किया तो बाजी सायद रो रही थी।
बाजी के ये आंसू सायद उसकी गंदी हरकत की वजह से थे, बाजी इस बात को लेकर रो रही थी के वो इतनी गिर गयी है जो इतनी साफ होकर भी ऐसी हरकत कर गयी।
मैंने भी अपने आप को बाथरूम जाकर साफ किया और वापस आकर लेट गया और रात कब नींद आई पता नही चला।
बाजी की जुबानी:- रात भाई के साथ जो हुआ उसे सोच सोचकर मैं परेशान हो गयी, भाई मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा, कितनी पढ़ी लिखी बनती है दुनियां के सामने ओर कितनी बड़ी रंडी निकली जो अपने ही भाई का माल पी गयी।
मेरे जिस्म क्यों इन चीजों का आदि हो चला है, क्यों मुझे ये चीजें बहका देती है। क्या मुझे किसी का माल पीने की आदत हो गयी है। नही नही वो तो मैंने जोश में आकर ऐसा किया था। आगे से नही करूंगी कभी भी, अपनी पढाई पर ध्यान लगाउंगी ओर स्कोलर बनकर अम्मी अब्बू का नाम ऊंचा करूंगी।
सुबह मैं मदरसा जाने के लिए तैयार हुई ओर नास्ता करने हॉल में गयी। वहां अब्बू बैठे अखबार पढ़ रहे थे। किचन में जाकर
अम्मी के साथ मैंने नास्ता तैयार करवाया ओर लेकर टेबल पर रख दिया। नास्ता रखकर मेने भाई को नीचे से आवाज लगाई नास्ते के लिए
ओर वापस आकर अब्बू को नास्ता दिया और खुद भी बैठ गयी
अम्मी भी आ गयी और उसने भाई का पूछा तो मैने बोल दिया कि आ रहे हैं।
हमने नास्ता शुरू किया तभी भाई भी आ गए ओर हमारे साथ बैठ गए। भाई मुझे खाते हुए घूर रहा था लेकिन मेने कोई ध्यान नही दिया। वैसे भी रात जो हमारे बीच हुआ वो शर्मसार करने वाला था। मैंने जल्दी जल्दी नास्ता किया और सबको सलाम कहके मदरसे के लिए निकल आई।
कल मेरा आधा कोर्स पूरा हो जाएगा और उसके लिए कल एग्जाम था जिसके लिए आज पर्चा मिलना था, जो कल लाहौर सिटी में था।
सब लड़कियों ने बारी बारी सबक सुनाया ओर आखिर में सबको पर्चा दिया गया। मैं भी पर्चा लेकर घर के लिए निकल पड़ी।
घर आकर मैं फ्रेश हुई और अम्मी के पास बैठ गयी। अम्मी हमेशा की तरफ फ्री टाइम में उर्दू किताब ही पड़ती थी।
मैंने अम्मी को सलाम किया ओर अम्मी के पास बैठ कर बातें करने लगी।
मैं:- अम्मी कल मेरा पेपर है लाहौर में, मेरी आधी पढ़ाई हो गयी है तो उसका एग्जाम होना है।
अम्मी:- अच्छा बेटी फिर तुमने क्या सोचा है कैसे जाओगी पेपर देने। मे वक़ार को बोल देती हूं वो ले जाएगा तुम्हे बाइक से
मैं:- अम्मी बाइक से तो अब्बू जाते हैं
अम्मी:- बेटी कल तेरे अब्बू सवारी से चले जायेंगे एक दिन की तो बात है।
मैं:- अम्मी चलो आप अब्बू से बाइक दिला देना मैं भाई के साथ चली जाऊंगी।
अम्मी:- हां मैं तेरे अब्बू से बोल दूंगी। ओर तुम्हारी तैयारी केसी है बेटी पेपर में पास हो जाओगी ना
मैं:- अम्मी आपकी बेटी ने खूब पढ़ाई की है देखना अच्छे नम्बरों से पास हूंगी।
अम्मी:- मेरी बेटी पर मुझे फक्र है, मेरी बेटी एक स्कोलर बन जाएगी और जगह जगह जाकर अच्छी बातों की दावत देगी। इतना कहकर अम्मी ने मुझे सीने से लगा लिया।
मैं भी अम्मी का प्यार देखकर उसके गले लगकर सुकून लेने लगी। तभी अम्मी के बूब्स मेरे गालों को टच करने लगे।
अम्मी ने थोड़ी हेल्थी थी तो अम्मी के बूब्स भी बड़े बड़े थे।
मुझे अम्मी का बूब्स गाल पर एक अलग अहसास कराने लगा। और मैंने अम्मी को ओर जोर से गले लगा लिया।
अब अम्मी के बूब्स बिल्कुल मेरे गाल से सटे हुए थे, मैंने चालाकी से अपना मुँह तिरछा किया और अम्मी के निप्पल पर निगाह गयी जो देखने मे कुछ बड़ा था। मेरी हवस जागने लगी और मैंने धीरे से अम्मी के निप्पल पर जीभ फिराई जो सूट के अंदर था।
मजे की एक सनसनाहट मेरे अंदर हुई और मैं कामुक होने लगी, मैं अम्मी से गले लगने के बहाने उसके निप्पल पर आहिस्ता से बार बार जीभ फिराने लगी। अम्मी के जिस्म से भी खुशबू आ रही थी जिससे में फिर बहकने लगी। मेरा मन कर रहा था कि अम्मी के बूब्स को निकाल कर नंगा कर दु ओर पूरा मुँह में भर के चूस लू। हालांकि ये सम्भव नही था।
तभी अम्मी ने मुझे सीने से अलग किया ओर मैं साइड में ही बैठी रही।
अम्मी:-चलो बेटी तुम कल के एग्जाम की तैयारी कर लो मैं वक़ार से बोल देती हूं कि कल तुम्हे लाहौर ले जाये।
मैं:- अम्मी रहने दो आप क्यों परेशान होती हो मैं खुद कह देती हूं
अम्मी:- चलो तुम कह देना वैसे भी सीढ़ियां चढ़के में हार जाती हूँ
ये मोटापा भी ना जल्दी थका देता है
मैं:- अम्मी आप मोटि नही है आप तो एक 16 साल की लड़की हो, ओर मैं मुस्कुराने लगी
अम्मी:- अब मेरा मजाक मत उड़ाओ तुम बेटी।
मैं:- अम्मी मजाक नही कर रही आप तो एक अफसरा हो जो अब्बू के लिए दुनिया मे उतारी गई हो।
इतना सुनकर अम्मी ने मुझे मुक्का मारा, चल अब ज्यादा मत बोल।
मैं:- अम्मी अब्बू बड़े खुशकिस्मत होंगे जो उन्हें इतनी साफ फरमाबरदार, ओर खूबसूरत बीवी मिली है।
अम्मी:- अच्छा तुम्हारे अब्बू भी बड़े नेक ओर देखो तुम्हारे लिए कितना मेहनत करत्ते हैं ताकि तुम दोनों की जिंदगी सवार सके।
मैं:- हाँ अम्मी अब्बू बहुत अच्छे और आप भी, आप दोनों में हमारी जान बस्ती है
अम्मी:- चल जा ओर भाई को बोल दे कल तुम्हे ले जाएगा
मैं भाई को बोलने ऊपर जाने लगी मन मे कल रात की बात रह रह कर आ रही थी पर क्या करे एक ही घर मे रहना था तो इन चीजों का सामना तो करना ही था। अब जो हो गया वो हो गया।
मैं भाई के दरवाजे पर पहुंची और की-होल से देखा कहीं भाइ गलत हरकत तो नही कर रहे, लेकिन भाई बेंच के सहारे कुर्सी लगाकर पढ़ रहे थे।
मैंने दरवाजा हटाया ओर अंदर आ गयी, भाई ने मुझे देखा और खड़े होकर कहा, बाजी सलाम आप केसी हो
मैं ठीक हूँ भाई आप बताओ कैसे हो, क्या कर रहे हो
भाई:- बाजी में तो पढ़ रहा था, आप बताओ कैसे आना हुआ
मैं:- अच्छा पढ़ रहे थे, चलो अच्छा है मैं ये कहने आई थी के कल मेरा एग्जाम है लाहौर में तुम मुझे बाइक से लेकर जाना है कल
भाई:- अच्छा बाजी, कोई बात नही मैं आपको लेकर चल दूंगा
मैं:- तुम्हे बाइक सही तरीके से चलानी आती है ना कभी मुझे गिराकर चोट लगवा दो
भाई:- अरे बाजी में अच्छी तरह आती है तुम पीछे रहोगी तो अपने आप ही अच्छी चलाऊंगा ओर भाई मुस्कुराने लगा
मैं:- अच्छा मेरे बैठने से क्या फर्क पड़ेगा तुम्हारे बाइक चलाने से
भाई:- आप अगर पीछे बैठोगी तो मुझे डर रहेगा कि मेरी प्यारी सी बाजी कहीं गिर ना जाये इसलिए अच्छी तरह चलाऊंगा
मैं:- ओह्ह शुक्रिया मेरे प्यारे भाई हिहिहिहिहि
भाई आज काफी कम्फ़र्टेबल ओर खुश लग रहे थे, ओर कहीं ना कहीं में भी खुश थी।
भाई:- बाजी आज आप निहायत ही खूबसूरत दिख रही हो
मैं:- अच्छा मस्का मत लगाओ, मैं तो रोज ऐसे ही दिखती हूँ, हो सकता तुझे ना दिखाई देता हो।
भाई:- बाजी सच मे आप बहुत प्यारी हो, मोहल्ला तो क्या आप इस लाहौर सिटी की टॉप बीयूटी में एक हो।
मैं:- अच्छा जी। अब छोड़ो इस बात को ओर बताओ
भाई:- बाजी आप आपसे एक बात कहूं अगर बुरा ना मानो तो
मैं:- कहो क्या कहना है भाई तुम्हे
भाई:- बाजी क्या मैं आपको गले लग सकता हूँ, मुझे आपकी बाहों में सुकून मिल जाएगा.
मुझे पता था भाई कल रात के हादसे के बाद ओर ज्यादा चाहने लगा था, मेरा भी मन कहीं ना कहीं भाई की तरफ खींचा चला जा रहा था।
मैं:- अच्छा गले लग कर कोई बदमाशी करने के चक्कर मे हो, पहले ही बता रही हूं कोई बदमाशी मत करना समझे
भाई:- ठीक है बाजी सिर्फ गले लगूंगा ओर कुछ नही
मैंने भाई को इजाजत दी तो भाई मेरे पास आया और मेरे गले लग गया। मैंने भी भाई को अपने गले लगा लिया।
भाई ने मुझे कसके गले लगाया हुआ था जिससे मेरे बूब्स भाई को महसूस होने लगे थे। कुछ देर बाद मुझे नीचे कुछ कठोर चीज का अहसास हुआ। मैंने गेर इरादी तोर पर अपना हाथ नीचे लेकर गयी , जैसे ही मेरा हाथ नीचे गया तो मेरे हाथ कुछ कठोर चीज से टकराया,
मैंने उसे छूने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो भाई का बड़ा लन्ड मेरे हाथ मे आ गया
और भाई की एक तेज़ सिसकी ahhhhhhhhhh bajiiiiiiiiii ओर भाई ने सिसकते हुए मेरी गर्दन को चाट लिया। मैं भाई की इस हरकत ओर नीचे उसके लन्ड से मदहोशी की दुनियां में चली गयी।
मैंने भाई का लन्ड छोड़ दिया तो भाई ने मेरी गर्दन को चाटते हुए मेरा हाथ पकड़ा और दोबारा अपने लुल्ले पर रख दिया। भाई का लन्ड पेंट के ऊपर से भी काफी गर्म लग रहा था।
भाई मेरी गर्दन चूमते चूमते हुए मेरे गालों की तरफ बढ़ने लगे, मैं फिर से कमजोर पड़ने लगी, मेरे अंदर भाई को रोकने की जान ना बची, भाई की जबान मुझे गर्म करने में लगी थी, ओर नीचे से मैं भाई का लन्ड अब मसलने लगी थी।
भाई मेरे गालों पर आए और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे मखमली ओर टमाटर जैसे गालों को चाटने लगे।
भाई की जीभ ने मुझे बहुत गर्म कर दिया था कि अचानक भाई ने मेरे गाल मुँह में भरा ओर फिर दांतों से काट लिया ahhhhhhhh hahhah मैंने भाई को हटाने के लिए जोर लगाया लेकिन भाई ने मुझे कसके पकड़ा हुआ था। मैंने दोनों हाथों से भाई का मुँह पकड़ा और सामने लाकर " कमीने मुझे काट क्यों रहा है, मेरे गाल पर निशान पड़ जायेगा, किसी ने देख लिया तो।
भाई ने सॉरी बोला और अबकी बार कमर से पकड़ लिया और मैं भाई से जुड़ती हुई चली गयी।
ऊपर से भाई गाल चुम रहे थे, मेरे तने हुए बूब्स भाई की छाती में धंस गए थे। नीचे भाई का लन्ड अब सलवार के ऊपर से चुत पर ठोकर मार रहा था।
हमे कोई होश नही था, एक दूसरे में इस कदर डूबे हुए थे जैसे कभी अलग नही होंगे।
भाई का लन्ड मुसलसल मेरी चुत पर वार कर रहा था। भाई ने अपने मुँह मेरे सामने किया और मेरी आँखों मे देखा और मुस्कुराने लगा, भाई ने अपने होंठों पर जीभ फिराई जिससे मैं समझ गयी कि भाई आगे क्या करने वाले हैं।
मेरी आँखों मे हवस साफ दिखाई दे रही थी, मैंने आंखे बंद की जो भाई को सिंग्नल था कि तुम आगे बढ़ सकते हो।
भाई ने धीरे से अपने होंठ मेरे गुलाबी रस से भरे होंठों पर रखे हो चूसने लगे।
ahhhhhh हल्की सी सिसकी निकल गयी, भाई ने पहला नीचे वाला होंठ चूसा फिर ऊपर वाले होंठ को अपने चूस रहे थे।
भाई ने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और अपने तपते हुए लन्ड पर रख दिया।
मुझे इतना मजा आ रहा था जिसे लफ्जो में बयां नही किया जा सकता। मुझे ये बात की एक छोटा भाई कैसे अपनी बड़ी बाजी को चूम रहा है काट रहा है और लन्ड मसलवा रहा है ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। मैंने भाई के नशीले हमलों में बह गई थी।
मैंने भी अब भाई के होंठ चूसने शुरू कर दिए, भाई भी मेरी तरह हसीन ओर खूबसूरत थे तो मुझे भी भाई के होंठों से मजा आने लगा। मेने नशे में चूर होकर भाई के होंठों पर टूट पड़ी थी।
नीचे से अभी भी मेरा हाथ भाई के लन्ड पर था जो झटके पे झटका ले रहा था जिसे मेने अपनी मुट्ठी में जकड़ रखा था।
भाई ने अपनी जबान निकाली और मेरे मुँह दाखिल कर दी।
एक लज्जत की लहर मेरे तन बदन में दौड़ गयी, मैं भाई की जबान को अपने मुँह में महसूस कर रही थी, भाई मेरे मुँह का थूक भी चाट रहे थे।
भाई एक हाथ नीचे लेकर गए और पेंट को खोलकर नीचे कर दिया, मुझे पता था भाई अब फूल नशे में है और नंगा लन्ड मुझसे मसलवाना चाहते हैं, भाई ने पेंट नीचे खिसका कर अपना कच्छा भी नीचे कर दिया और भाई का लन्ड उछलकर मेरी चुत पर जाकर लगा। ahhhhhhh siiiiiiiii ahhhhhhh
मेरी सिसकी निकल गयी। ऊपर हम दोनों अपनी अपनी जबान को एक दूसरे के मुँह में दाखिल कर रहे थे।
हमारे थूक एक दूसरे के मुँह से आ-जा रहा था।
भाई के थूक को चाटकर मेरी चुत बुरी तरह से कांप रही थी,
ओर अचानक भाई ने अपना हाथ मेरे चुत के ऊपर रख दिया, हालांकि मैंने सलवार पहनी हुई थी फिर भी ऐसा लगा जैसे भाई ने नंगी चुत पर हाथ रख दिया हो। भाई मेरी चुत सहला रहे थे मैं भाई का लन्ड, ऊपर हमारी जीभ अपना कमाल दिखा रही थी।
मैं इतना गर्म हो गयी कि कभी मेरे अंदर का ज्वालामुखी फट कर बाहर आने वाला था। भाई ने अपना मुँह हटाया ओर मेरे काम मे फुसफुसाया "बाजी तुम बहुत सेक्सी ओर मीठी हो"
इतना सुनकर मेरे जिस्म में झनझनाहट हुई और मैने भी भाई की गर्दन पर काट लिया ahhhhhhhhhhhh भाई के मुँह से सिसकी निकल गयी।
हम दोनों अपनी अंतिम चरम सुख पर थे भाई ने अपना हाथ चुत पर तेज़ कर दिया और मेरे कान की लौ चाटने लगे।
ये हरकत मुझसे बर्दास्त नही हुई और मेरी चुत का गर्म गर्म पानी निकल कर कच्छी में जज्ब (सोंख लेना) हो गया।
मैं ठंडी पड़ गयी और भाई के कंधे पर सर रखकर सांस लेने गयी।
भाई ने मेरे हाथ को हटाया ओर अपना हाथ लन्ड पर रखकर हिलाने लगे,
ओर मुझसे दूर हो गया। मैं थक कर बेड ओर बैठ गयी।
भाई फर्श पर खड़े होकर मेरी तरफ देखने लगे और अपना लन्ड मसलते रहे।
ahhhhhhh baajiii meriii pyariiiiiii bajjiiiiiii tumneeeee mujjjjheeee pagalllllll karrrrrr diyaaaaaaa hai ओर एक तेज़ धार भाई के लन्ड से निकली और फर्श पर जा गिरी, एक दो तीन चार ओर कई सारी मोटी मोटी पिचकारी भाई के लन्ड से छुटी।
मैंने फर्श पर देखा तो भाई का बहुत सारा माल पड़ा था और भाई थक कर खड़े खड़े ही सांस लेने लगा। भाई की हालत ऐसी हो गयी जैसे उसे चक्कर आ रहे हैं ओर गिरने ही वाला है
मैंने उसे जल्दी से पकड़कर बेड पर बिठा दिया। कुछ देर बाद भाई नार्मल हुए और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे।
मेने उसे मुस्कुराता देख कर उसे मुक्का मार दिया।
मैं:- अब क्यों हंस रहा है, करली ना अपनी मनमर्जी।
भाई:- बाजी पता नही क्या नशा है आप मे कुछ होश ही नही रहता
मैं:- कमीने तुझे शर्म नही आई अपनी बहन को गाल पर काटते,
ओर तूने मेरी प्राइवेट जगह पर हाथ क्यों लगाया, कुछ शर्म हया है तुझमे।
भाई:- बाजी होश ही कहाँ था मुझे, मैं तो आपके होंठों में खोया हुआ था, वैसे बाजी आपके होंठ बहुत मीठे है। मन करता है इन्हें चूसता रहू।
मैं:- कमीने चुप हो जा ओर जो तूने गंध फैलाई है इसे साफ कर
भाई:- बाजी तुम इसे किसी कपड़े से साफ कर दो।
मैं:- अच्छा जी, गंध तुम्हारी है और साफ मैं करू,
भाई:- मेरी प्यारी बाजी नही हो आप, बाजी एक बात में आपको बहुत प्यार करता हूँ, क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो
मैं:- भाई चुप हो जाओ, ये प्यार नही है ये सिर्फ तेरी हवस है जो तूने गंदी गन्दी चीजों से सीखा है।
भाई:- बाजी में आपको जान से ज्यादा चाहता हूं, आप मानो या ना मानो मैं आपको अपने प्यार का अहसास जरूर कराउंगा
मैं:- अच्छा, मैं कभी नही आने वाली तुम्हारे हाथ और हंस कर कोई कपड़ा ढूंढने लगी। मुझे भाई का एक रुमाल मिल गया, उसे लेकर में फर्श पर पड़े भाई के माल को साफ करने लगी।
भाई का माल इतना था कि रुमाल भी पूरा गीला हो गया।
मैं:- कमीने देखो कितना पानी गिराया है तूने, रुमाल पूरा भर गया है इससे
भाई:- बाजी जब हथियार बड़ा है तो माल भी ज्यादा ही गिरायेगा
मैं:- तौबह तुम्हारा खम्बा कितना बड़ा है, में भाई के सामने इन चीजों पर खुलकर नही बोल सकती, क्योंकि भाई समझेंगे की मैं कितनी बिगड़ी हुई हूँ।
भाई:- बड़ा क्यों नही होगा सुबह शाम तेल की मालिश जो करता हूँ।
मैं:- तेल लगाकर अब क्या इसे 10 हाथ का करोगे ओर हंस पड़ी। मुझे हंसता देखकर भाई भी हंसी मजाक के मूड में आ गए
भाई:- 10 हाथ का हो जाएगा तो इसे छिपाना मुश्किल हो जाएगा बाजी, ओर मेरी होने वाली बीवी तो इसे देखकर ही तलाक मांग लेगी।
मैं:- चुप अब ओर देख कितना ज्यादा पानी है मेरे हाथ मे भी लग गया।
भाई:- बाजी आपको तो मेरा पानी पसन्द है क्यों ना हाथ पर लगा हुआ पानी तुम पी जाओ
मैं:- छीईईई गंदे इंसान, मैं ऐसा वैसा नही करने वाली। ओर मैं उठकर बाहर आने लगी तो भाई ने आवाज दी
भाई:- बाजी सुक्रिया इस मजे के लिए i love you बाजी
मैंने उसकी बात का जवाब नही दिया और बाथरूम में आकर गंदे रुमाल को फर्श पर फेंक दिया हाथ धोने के लिए पानी लिया।
तभी मुझे एक खुमारी चढ़ी ओर मैंने हाथ पर लगे हुए भाई का माल चाटने लगी।
भाई का माल मुझे खारा खारा सा लगा, ओर पूरा पानी चटकारे लेकर पी गयी। किसी का माल पीना मेरी आदत बन गयी थी, माल पीने से मेरा तन बदन में नशा सा हो जाता था। और भाई का गाढ़ा माल हो तो क्या ही कहना।
मैं नीचे गयी तो अम्मी सो रही थी और मैं अपने कमरें में जाकर कपड़े लिए ओर नहाने के लिए ऊपर आ गयी।
बाथरूम में दाखिल होकर मेने दरवाजा लॉक किया और कपड़े निकाल कर पेशाब करने बैठ गयी।
तभी भाई बाथरूम के दरवाजे पर आए और आवाज देने लगे
भाई:- बाजी क्या कर रही हो, मुझे तेज़ पेशाब लगा है और मैने अपना हथियार भी नही धोया है
मैं:- कमीने में नहा रही हूं मैं फारिग हो जाऊं फिर कर लेना
भाई:- मुझे बहुत तेज़ आ रहा है बाजी प्लीज दरवाजा खोले
मैं:- कमीने शर्म कर मैं अंदर हूँ तो तुम कैसे आ सकते हो
भाई:- बाजी आप एक साइड हो जाना मैं पेशाब करके ओर हथियार धोकर निकल आऊंगा प्लीज बाजी जल्दी करो वरना मैं पेंट मैं ही कर दूंगा
मुझे पता था भाई मस्ती के मूड में हैं और मुझे भी भाई की मस्तियाँ अच्छी लगने लगी थी। मैंने कपड़े अभी भी पहने हुए थे।
मैंने सोचा अगर भाई अंदर आ भी गए तो मेरा कुछ नही देख पाएंगे। वैसे भी मैंने भाई का कई दफा देख लिया है।
मैं:- भाई वैसे तुम बहुत बेगैरत इंसान हो, जल्दी आओ ओर करके चले जाना चुपचाप अब कोई मस्ती नही चलेगी समझे
भाई:- बाजी बस पेशाब करना और कुछ नही, दरवाजा खोलो जल्दी।
मैंने कांपते हाथों से दरवाजा खोला ओर भाई अंदर आ गया।
भाई:- बाजी तुमने बड़ी देर लगा दी अगर मेरा पेशाब पेंट में निकल जाता तो?
मैं:- बेशर्म इंसान शुक्र करो मैंने दरवाजा खोल दिया, कोई भाई अपनी बाजी के साथ बाथरूम शेयर करता है क्या
जल्दी करो जो करना है और निकलो यहां कभी अम्मी को पता चल जाये।
भाई:- बाजी तुम साइड हो जाओ मुझे जल्दी से पेशाब करने दो।
भाई मेरे सामने ही पेंट निकाला और फिर कच्छा ओर अपना लन्ड निकाल लिया, मैं भाई के पीछे खड़ी थी लेकिन थोड़ा दूर थी।
भाई पेशाब करने बैठ गए और पेशाब करने लगे।
मैं भाई चोरी छिपे देख रही थी, भाई के लन्ड से मोटी मोटी धार से पेशाब निकल रहा था।
भाई ने पेशाब किया और खड़े होकर आखिरी बून्द को भी निकाल दिया।
भाई:- बाजी एक काम करोगी अगर बुरा ना मानो तो
मैं:- अब क्या रह गया तुम्हारा जल्दी निकलो मुझे नहाना है।
भाई:- बाजी मेरे हथियार पर मनी लगी हुई है जो सूख गई है
क्या तुम इसे धो सकती हो और इतना कहकर मुस्कुराने लगे।
मैं:- कमीने इंसान ये गलीज काम मैं करूंगी तुमने सोच भी कैसे लिया। जबकि मेरा भी मन कर रहा था कि भाई के लन्ड के देखु
मुझे भाई के साथ एक अलग की रोमांच आने लगा था, यु कह सकते हैं कि भाई की हरकते मुझे भाने लगी थी, लेकिन मैं भाई को इस चीज का अहसास नही कराना चाहती थी, ऐसा ना हो कि भाई की नजरों में गिर जाऊं, एक तो मै गुनाह पे गुनाह किये जा रही थी, मेरा अपने ऊपर कंट्रोल लगभग खो गया था।
भाई:- बाजी प्लीज, मेरी प्यारी सी बाजी हो ना तुम। अपने लाडले भाई का इतना भी काम नही आ सकती। जब आपका कभी काम आएगा तो मैं बिना सोचे समझे कर दूंगा।
मैं:- भाई प्लीज तुम खुद कर लो ना, मैं कैसे कर सकती हूं ये काम
भाई:- बाजी आप बस साबुन लगा कर पानी डाल दो, इतना काम तो आप कर सकती हो बाजी प्लीज
मैं:- भाई तुम जिद कर रहे हो तो साबुन तुम लगा लो पानी मे डाल दूंगी बस।
भाई :- बाजी जब पानी ही डाल सकती हो तो धोने में क्या बिगड़ जाएगा आपका, वैसे भी आपने तो ये देखा हुआ है अब शर्माना कैसा मेरी लाडली बाजी
मैं:- चल ठीक है गंदे इंसान, ओर मैं मैंने भाई को पलटा ओर उसके सामने घुटनो ओर बैठ गयी। भाई का लन्ड अभी बैठा हुआ था जैसे उसमे कोई जान ही नही हो
मैंने भाई के लन्ड ओर पानी डाला और हाथों में साबुन लिया और लन्ड को पकड़ कर उस पर साबुन लगाने लगी।
जैसे ही मैंने भाई का लन्ड पकड़ा उसकी सिसकी निकल गयी साथ मैं मुझे भी करंट सा फील हुआ।
मैं जैसे जैसे साबुन लगाती गयी भाई के लन्ड ने हरकत शुरू करदी, भाई का लन्ड अब अपनी औकात में आ चुका था ।
मैंने जल्दी जल्दी से उसपर पानी डाल दिया, भाई का लन्ड नहा धोकर बहुत प्यारा लग रहा था।
भाई का लन्ड अकड़ कर गोल गोल घूम रहा था और उसके साथ साथ मेरी भी निगाहे भाई के लन्ड के साथ घूम रही थी
तभी भाई ने अपना लन्ड पकड़ कर साइड किया और छोड़ दिया
मैं भी के सामने थी तो लन्ड आकर मेरे होंठों पर आकर लगा।
भाई का लन्ड मेरे होंठो ओर लगते ही मेरी चींख निकल गयी
ahhhhhhhhhh kamineeeeeee, kutteeeeeee
मैं भाई के लन्ड की मार से गिरते गिरते बची, मैंने भाई को गुस्से से देखा और कहा
मैं:- कमीने ये क्या किया तुमने, थोड़ी बहुत शर्म बची है
भाई:- बाजी मेरा क्या कसूर है इसमें जिसका कसूर है उसे बोलो
मैं:- अच्छा तुम्हारा कोई कसूर नही है ठीक है बच्चू ये ले और मैंने भाई के लन्ड पर थप्पड़ मारने लगी।
तभी भाई को दर्द होने लगा तो मैंने उसका पेंट ऊपर किया और कच्छा पहना कर धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
भाई आवाज देते रहे कि बाजी क्या हुआ लेकिन मेने कुछ नही सुना और दरवाजा बंद कर दिया और दरवाजा से सट कर मुस्कुराने लगी।
भाई भी सायद कमरे में चले गए थे।
मैंने बाल्टी में पानी भरना शुरू किया और कपड़े निकलना शुरू किया। सभी कपड़े निकाल कर मैं नंगी बाथरूम में खड़ी थी
【दोस्तों हमारा बाथरूम में लैटरिंग ओर नहाना एक साथ होता था बाथरूम बड़ा था जिसमे एक साइड लैटरिंग शीट थी और एक साइड नहाना होता था】
सबसे पहले में ग़ुस्ल किया और ग़ुस्ल से फारिक होकर
मैंने अपने बदन पर पानी डाला और साबुन उठा कर जिस्म पर लगाने लगी फिर मैंने अपनी गाँड़ ओर चुत पर अच्छे से साबुन लगाई
गाँड़ ओर चुत को अच्छी तरह धोकर मेने बालो पर शैम्पू लगाया
ओर बालों पर शैम्पू मलने लगी।
अच्छी तरह नहा धोकर मैं बाथरूम से निकल आई और अपने कमरे में पहुंच कर नए कपड़े पहने।
कपड़े पहनकर मेने ऊपर वाले को याद किया ओर ढेर सारी दुआएं की।
उसके बाद पढ़ने के लिए बैठ गयी, कल मेरा एग्जाम था उसकी तैयारी करने लगी।
शाम को अम्मी के साथ मिलकर खाना बनाया और सभी ने मिलकर खाया और सभी सोने के लिए अपने अपने कमरों में आ गए।
कमरें में पहुंच कर मैंने किताबें उठाई और पढ़ने बैठ गयी। पढ़ते पढ़ते मुझे 11 बज गए। मुझे थकान होने लगी, किताबों को अलमारी में रखा और पानी पीकर सोने की तैयारी करने लगी।
मैं पानी लेने किचन की तरफ़ गयी जहां फ्रीज रखा था।
अभी मैं किचन के पास पहुंची ही थी के मुझे अम्मी अब्बू के कमरे से आवाजे आने लगी। मैंने आवाज को गौर से सुना तो अम्मी की सिसकने की आवाजें आ रही थी।
मुझे शर्म आने लगी कि सायद अम्मी अब्बू हमबिस्तर हो रहे होंगे।
मैंने अम्मी की सिसकियों को इग्नोर किया और फ्रीज से पानी लिया और पीने लगी।
अम्मी की सिसकियां बदसूरत जारी थी, अम्मी की सिसकियों से मेरे जिस्म में खुमारी चढ़ने लगी।
मेरा मन किया कि मैं दरवाजे के पास जाऊं तो उनकी आवाजे सुनु। मैं घबराई हुई थी, जिंदगी में कभी मैंने अम्मी की इस तरह की आवाजें नही सुनी। आज पहली मर्तबा मेरे सामने ऐसा वाकया आया था।
मैं अम्मी अब्बू के कमरे की तरफ बढ़ी, शर्म तो आ रही थी कि मैं इस तरह उनके कमरे की तरफ़ जा रही थी।
मैं दरवाजे पर पहुंची तो आवाजे साफ सुनाई देने लगी
ahhhhhhhh siiiiiiiii ahhhhhhhh suniyeeeee jiiiiiii
rhneeee dijiyeeeeeee naaaaaaaa ahhhhhhhhh kyaaaaa krrrr rhe hooooooo
begummmmmmm aaajjjjjjj to bdaaaaaa mjaaaa aaaa rhaaaa hai tumhaaaari chutttttt maiiiiii
chiiiiiiiiiiii besharm mmm insaaan uskaaaa naaaaam mattt loooo, chuppppp chap kaaaam kroooooo
अंदर अब्बू सायद अम्मी की चुत मार रहे थे। अम्मी बेहताशा सिसकती हुई अब्बू को मना कर रही थी।
ahhhhh anjummmmmmmm ke abbuuuu aaj kyaaaa hoooo gyaaaa hai tumheeee aiiiiiii ammiiiii, begummmmmmm aaajjjjjjj bdaaaaa mannnn hai tumhariiii chuttttt ko marneeee kaaaa, gadraiiii huiiiii chut kaaaaaaa mjaaaaa hi alagggg hai.
अंदर अम्मी के मुँह से मेरा नाम सुनकर अब्बू तेज़ तेज़ झटके देने लगे जिससे अम्मी की आवाजें तेज़ हो गयी।
ahhhhhhhhhh anjum ki ammmiiiii mai aane walaaaaa hunnnnnn ahhhhhhhohhhhhhhh
ओर फिर अब्बू सायद झड़ गए। लेकिन एक सवाल मेरे जेहन में गूंज रहा था कि अम्मी अब्बू ने मेरा नाम क्यों लिया।
क्या अम्मी ने मेरा नाम जानबूझ कर लिया जिससे अब्बू जोश में आकर जल्दी झड़ जाए।
मुझे पसीना आया हुआ था और मैने जल्दी से दोबारा पानी पिया ओर भागती हुई कमरे में आ गयी।
बेड पर लेटकर मैं अभी अम्मी अब्बू की चुदाई के बारे में सोच रही थी कि मेरी चुत चिपचिपी महसूस हुई, मैंने हाथ लगाकर चेक किया तो सच मे मेरी कच्छी गीली हो गयी थी।
मैंने कच्छी को निकाला और बिना धुले हुए कपड़ों में लपेट कर लेट गयी और कब नींद आई पता ही नही चला
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