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भाई अपडेट समय से देते रहना
अपडेट थोड़ा छोटा था पर अच्छा है
शैतान की बेटी भी आ गयी । देखते हैं कि कंचन और बल्देव शैतान की बेटी को कैसा टक्कर देते हैं ।
Pata nahi aur kitna intezar kawayenge admin ji
प्रिय रॉकी जी,
हिंदी में आपका नया विशेषांक देख कर मन अति गद्गद हो गया / आपकी लेखनी एक मिसाल है (सभी के लिए) //
वैसे दोस्त, फोटो डालने की आवश्यकता नहीं है क्योकि आपकी लेखनी ही अपने आप में फोटो क्रिएट कर देती है //
बाकी जैसे बाकि दोस्तों का मत होगा, आप कीजिये /
बहुत बहुत शुभकामनाएँ //
नया अपडेट-43 "एक बहू या एक अवतार" पोस्ट हो चुका है।इंतजार हो रहा हैं
Super come backअपडेट- 43………
सीन भाग- करो या मरो ।
पिछले भाग मे।।
ये बोलकर लड़की धीरज की कमर में घुसा मारती है और सामने पेट से बाहर निकाल देती है। और एक दम से पीछे से अपने बड़े बड़े दातों को उसके कंधे पे गढ़ा देती है।
धीरज आंखरी पलो में पीछे मुड़कर देखता है तो उसे बस एक सुंदर काली काली बड़ी आंखे दिखाई देती है, जो हल्की हल्की लाल हो गई है। और इसके साथ धीरज अपना दम तोड देता है।
अब आगे।।
गतिशील सीन :-
वो लड़की और कोई नहीं बल्कि संध्या ही थी, उसकी ताक़त 100 दानवों से भी जायदा थी, और उसकी जानवर प्रवत्ति के आगे धीरज नहीं बच पाया, और उसने अपनी जान गवा दी।
हवन कुंड के पास, पंडित और पांडे होश में आते है, और पंडित अपने चारों और देखता है की छत पर आग लगी हुई है। और उसे पता था की मुखिया ऊपर ही था। उसे बाक़ी किसी से लेना देना नहीं था, मुखिया में उसकी जान बस्ती थी।
पांडे- उस्ताद हम वापस आ गये, पर इधर क्या कुछ लोचा हुआ लगता है। क्या करे अब ?
पंडित- अब शैतान की शक्तिओं को पहले प्रयोग में लाने का समय हो गया है।
पांडे- ठीक है उस्ताद समझ गया, मैं आपके साथ हूँ।
पंडित और पांडे दोनों शैतान लोक से वापिस आ चुके थे, और दोनों के पास शैतान की दी हुई शैक्तियाँ थी। पंडित और पांडे पर शैतान की शक्तिओं का प्रभाव होने लगा, आसमान में फिर से बिजलिया चमकने लगी और तूफ़ान चलने लगे, और देखते ही देखते दोनों का रूप बदलना शुरू हो गया। पंडित और पांडे, दोनों की क़द काठी बढ़ने लगी, दोनों ही 10-10 फुट उच्चे लंबे राक्षस रूपी बन गये।
पंडित और पांडे दोनों अपने दानवी रूप से आश्चर्यचकित थे, दोनों को अपने शरीर में भ्रपूर ऊर्जा और शक्ति का भराव महसूस हो रहा था, उनके शरीर के अंग जैसे शक्ति से फूलकर फटने को हो गये थे।
पांडे का शरीर देखने में पंडित से ज़्यादा शक्तिशाली मालूम होता था, उसके हाथ पैर पंडित के दानवी शरीर से ज़्यादा मोटे और मांसल थे, पांडे के मन आया की उस्ताद को शायद कम शक्ति मिली है, पर फिर उसको याद आया की उस्ताद की शक्ति शैतान से है।
पांडे का दानवी रूप काफ़ी भरा हुआ, था, उसके हाथ पैर एक बड़े मासल घोड़े की तरह लग रहे थे, इधर दूसरी और पंडित का शरीर मासल ज़रूर था, पर पांडे से पतला पर मज़बूत था, पांडे का शरीर बेशक शक्तिशाली थी, पर पांडे की शक्ति पंडित की शक्ति के आगे कुछ भी नहीं थी उसका विशेष कारण था कि पंडित के पास ख़ुद शैतान की शक्ति थी। पंडित और पांडे दोनों का रूप दानवी हो चुका था, पंडित ने एक बार पांडे की तरफ़ देखा, फिर वो हवन कुंड उछाल कर सीधा छत पर चला गया, उसके पीछे पीछे पांडे भी छत पर छलांग लगा कर पहुँच गया।दानवी रूप में ये उनके लिये बहुत आसान बात थी।
पंडित की आँखें मुखिया को ढूँढ रही थी, उसकी दानवी आँखें रात के अंधेरे के बावजूद साफ़ देख पा रही थी, उसकी साँसे एक जानवर की तरह भारी और खुखार लग रही थी। उसने देखा छत पर समीर और विशाल आग के पास पड़े हुए है और उनकी आख़िरी साँसे चल रही थी। और चिमनी के पास मुखिया भी आग से जला हुआ चोटिल डरा हुआ पंडित और पांडे के दानवी रूप को देख रहा था, ऐसा देखकर पंडित मुखिया की और देख कर कहता है।
पंडित- घबराओ नहीं मित्र, हम मनोहर है और ये पांडे
पंडित की आवाज़ किसी जानवर के गुर्राने और चिल्लाने से मिलती हुई निकल रही थी, परंतु मुखिया को इस बात का अंदाज़ा था कि शैतान कि दुनिया में क्या होने वाला था।
मुखिया- उस्ताद, हम सब हार की कैग़ार पर है, पुलिस वाले और गाँव वाले
पंडित- सबको मौत नसीब होगी।
मुखिया का मुँह खुला रह जाता है। और उसकी आँखें डर के कारण बाहर आ जाती है।
मुखिया- पर उस्ताद सब घायल है, और बेहोश है।
पंडित शैतानी हाँसी हस्त है जो की जंगल में गूंज उठती है, जिसे सुनकर गाँववाले, पुलिसवाले और ख़ुद गुंडे लोग डर जाते है। और ये हाँसी संध्या को जैसे ही सुनती है, वो समझ जाती है की मौत का तांडव शुरू होने वाला है।
पंडित- देखते जाओ मित्र
पंडित कुछ मंत्र पढ़ता है, और अपना हाथ घुमाता है। एक काली और लाल परछाई उसके दानवी 10 फुट उच्चे शरीर से निकलनी शुरू हो जाती है। और मुखिया के अंदर, छत पर पड़े समीर और विशाल के अंदर बाक़ी गुंडों में चली जाती है।
पंडित- अपनी दानवी आवाज़ में बोलता है, जो भी आया था वो अब ज़िंदा वापिस नहीं जाएगा।
पंडित शैतान की शक्ति का प्रयोग करते हुए, सभी 12 गुंडों में और मुखिया में शैतान की दानवी शक्ति भर देता है।
उधर जंगल रही संध्या भी अब दानवी रूप में आ चुकी थी, उसका 10 फुट का रूप मानव शरीर के मुक़ाबले बहुत शक्तिशाली था, और उसपर गोलियो और हथियारों का कुछ भी असर नहीं होने वाला था।
मुखिया का शैतानी रूप बहुत ही ख़तरनाक दिख रहा था एक आँख नीली और एक आँख लाल और पूरा जानवर रूपी 12 फुट ऊँचा क़द, जगह जगह मांसल फूला हुआ शरीर। भारी हाथ पैर, ऐसा लग रहा था की मानी मौत उसके शरीर के अंदर समा गई है और सब पर बरसने वाली है।
देखते ही देखते, पहले तो समीर और विशाल की आँखें खुल जाती है और दोनों ही दानव बन जाते है, उनके शरीर पर जो कपड़े थे वो जलकर फट चुके थे, और बाक़ी दानवी शरीर की वजह से फट चुके थे। दोनों ने ही ख़ूँख़ार रूप ले लिया था।
एक तरफ़ समीर भेड़िया माफ़िक़ एक बड़ा werewolf बन गया था और दूसरी और विशाल एक बड़े शक्तिशाली रीछ (Bear)) जैसे हो गया था, दोनों की स्किन कुछ नीली लाल सी हो गई थी चेहरे पर और पूरे शरीर पर बाल भर गये थे, आँखें एक दम बड़ी बड़ी लाल हो गई थी, और बड़े बड़े दागो का गुच्छा जिसमें से लगातार थूक टपक रहा था।
ऐसा ही कुछ बाक़ी गुंडों के साथ भी हुआ था, जी की उन्होंने भी अपना रक्त शैतान को भेट चढ़ाया था, सबके सब जानवर रूपी इंसान में तब्दील हो गई थे, जहां सभी गुंडे घायल या बेहोश हो चुके थे हार की कगार पर थे पंडित के शैतानी रूप ने पूरा खेल पलट दिया था।
पंडित शैतानी आवाज़ में बोलता है, और आवाज़ अंधेरी रात में गूंज उठती है- मेरे बच्चों जाओ शिकार करो और अपना पेट भरो। कोई भी इस भूखे अंधेरे से बचने ना पाए। हाहाहा
संध्या देखती है की मौत का तांडव शुरू हो चुका था , उसके चेहरे पर एक कातिल हाँसी फेल जाती है, उसकी नीली नीली आँखों के साथ खूनी हाँसी एक दुम जानलेवा होती है, उसका शरीर भी दानवी रूप में नगर हो चुका था और जगह जगह से फैट चुका था, उसके भरे हुए स्तन और कूल्हे हर एक कदम के साथ थिरक रहे थे, परंतु उसकी ऐसी भरी हुई मादक जवानी को बिना दिल में दहशक हुए देख पाना असंभव था।
देखते ही देखते पूरे जंगल में गाँव वालों और पुलिस वालों की चीखे गूंज उठी।
आह
बचाओ हमे,
ओह नहीं बचाओ कोई तो बचाओ।
पर दूर दूर तक बचाने वाला कोई भी नहीं था।
थोड़ी hi देर में पुलिसवाले और गाँववाले मौत में मुँह में जा चुके थे। और उसके साथ ही तरह तरह की जानवरों की आवाज़ जंगल में गूंज रही थी, उधर गाँव में आधा गाँव नींद में सो रहा था परंतु आज ki रात सभी कामी जागने वाले थे और कामरस को पाने वाले थे।
पंडित और पांडे अब आग फैले हुए जंगल के बीच, जहां पास में ही दो लोगो के आधे खाये हुए शरीर पड़े थे, खड़े हुए थे और अपने दानवी शरीर की साँसों पर क़ाबू पास रहे थे।
पंडित- हाहाहा देखा पांडे हमने कहा था ना प्लान कामयाब होगा। पंडित का मुँह खून से भरा हुआ था उसने भी खूब गाँववालों का खून पी लिया था।
पाण्डे- जी उस्ताद, आपकी बुद्धी और शक्ति का कोई अंत नहीं।
पांडे- देखते जाओ पांडे और गाँव में क्या क्या होता है, शैतान का ही बोलबाला होगा। खून की नादिया बहने लगेगी।
पांडे- जी सरकार, आप जो कहेंगे वैसा ही होगा, पांडे का शरीर शैतानी रूप में ख़तरनाक लग रहा या।
पांडे- उस्ताद आपके शरीर से ये लाल रोशनी कैसी निकालने लगी।
पंडित- पता नहीं क्या। हो रहा है।।। आहाआएआ।।।।।।
पंडित के शरीर से अचानक बहुत ज़्यादा लाल रोशनी निकलने लगी। और पूरे जंगल और आसमान में फेलने लगी, उसके शरीर से बहुत ऊर्जा एकत्रित होने लगी और उसके शरीर में दर्द होने लगा था।
संध्या को भी ऐसा दिखाई दिया, वो समझ गई की क्या होने वाला है। वो जल्दी से पंडित और पांडे के पास पहुँचती है। तब तक पंडित थोड़ा लड़खड़ाते हुए एक घुटना ज़मीन पर रख लिया था और ज़मीन का सहारा ले रहा था, उसका भारी भरकम शरीर दिल दहला देने वाला था। मुखिया भी वहाँ जल्द ही पहुँच गया। उसने देखा कि अब पंडित से कुछ बोला भी नहीं जा raha था वो बस जानवर की तरह गुर्रा और चिल्ला रहा था जिसका किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, पर सबको दिख रहा था की वो दर्द में है। उसको अब मुखिया और पांडे सँभाले हुए थे।
जल्द ही संध्या उसके पास जाती है और उसका लगभग नंगा शरीर कामुक लग रहा था उसके सुडौल स्तन और नितंब फूले हुए बड़े ही कामुक लग रहे थे जिन्हें पांडे और बाक़ी शतानी गुंडे बड़ी लालच से देख रहे थे और सबके बड़े बड़े लिंगों में तनाव आना शुरू हो जाता है। सब सोच ही रहे थे ये अधिभूत दिखने वाली नारी कौन है।
संध्या अपनी मादक चाल चलते हुए हुई चोली के अंदर से एक छोटी छुरी निकलती है।
बस इतना ही था कि विशाल दानवी रूप में संध्या कि और लपक पड़ता है, पर संध्या के आगे विशाल का कोई मुक़ाबला नहीं था।
संध्या फूर्ती से आगे हुए और एक हाथ से विशाल का हाथ रोक लिया और दूसरे हाथ की छुरी उसकी गर्दन पर लगा दी।
संध्या- ज़्यादा गर्मी दिखाई तो इधर ही बोटी बोटी कर दूँगा साधारण मानव
सभी एक दम तनाव मे आ जाते है और चिल्लाने को होते है की पांडे उन सबको चिल्ला कर बोलता है- ये हमारे साथ है, इसको आने दो।
सभी गुंडे पीछे हो जाते है। संध्या एक बार और अपना हाथ कसकर विशाल की बाँह पकड़ लेती है और जानलेवा खूनी आँखों से विशाल की तरफ़ देखती है और आखे चढ़ा लेती है। फिर एक दम से छोड़ लेती है
संध्या जाकर पंडित के पास ज़मीन पर बैठती है संध्या की आँखें और पांडे कि आँखें फिर से मिल जाती है संध्या के चेहरे पर हल्की सी दबी हुई हाँसी आ जाती है क्यों पांडे संध्या के भरे हुए खूबसूरत जिस्म से जैसे मोहित ही हो गया था पर पांडे ने स्तिथि के अनुसार ख़ुद पर क़ाबू किया और संध्या ने फिर उस छुरी को दोनों हाथी में लेकर कुछ मंत्र पढ़ने लगती है, देखे ही देखते एक नीली रोशनी छुरी में से निकलने लगती है और वो छुरी का रूप बदलकर एक बड़ी जादुई छड़ी (स्टाफ़) में बदल गया और जैसे ही उसने ये छड़ी पंडित को दी पंडित की साँसे क़ाबू में आने लगी और देखते ही देखते पंडित की हालत क़ाबू में आ गई फिर संध्या पंडित के कान में कुछ कहती है।
पंडित मुखिया के कान में कुछ कहता है। और फिर मुखिया समीर को अपने पास बुलाता है। समीर बोलता है- जी उस्ताद कहो।
मुखिया समीर के कान में कुछ कहता है। उसके बाद समीर बस हाँ भरता है। और गाँव की और चल पड़ता है। उसी गाँव में जहां कंचन अपने ससुर रामलाल के साथ अनोखी सुहागरात बनाने वाली थी।
(सोचना ये था की समीर इतनी रात मुखिया के कहने पर गाँव मे क्या करने गया है, ये सब देखते है अगले अपडेट मे )
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
agle update me pics add hongi.....pics jaha tak mil sakti hai internet se main add kar hi deta...fantasy theme ki pics google pe jyada available hai nahiSuper come back
Pics bhi add kijiye