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Rzaveri

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Yaar isne to pareshan kar liya bar bar nayi date dekar bhag jata h ....pura intrest khatam kar diya kahani ka itne time me
 

Alok

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Waiting for next update bhai...
 

Alok

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Kitna wait karna hai aagle update ke liye
 

gavu

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Dear Readers,

I am gonna start Kanchan bahu story from a new perspective, it will be continued from the previous plot. But as i am not the original writer i will be adding some new plots and characters to the story. Along with the writing i am hoping that you readers will also give me some suggestions and i will be glad to hear from you.



It will be my first erotica mainly would be focused in incest but will play around some outside of it too. Readers can read the previous parts of this story from the following link, it is available on this forum : https://drive.google.com/file/d/1TNfEskAFQN20i6EewqJj6UceQa_CrUmV/view?usp=drivesdk


Story will start from the point where kanchan is still in village with her in-laws.
i hope to have to have some good feedback and suggestion from the readers.

Thanks
Story not show
Link not opening
 

Dungeon Master

Its not who i am underneath
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अपडेट- 4२………

सीन भाग- करो या मरो

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पिछले भाग मे।।



पूरी छत पर आग लगी हुई थी, हल्की हल्की आग की लपटे विशाल के पैरों को छू रही थी। वो धीरे धीरे रेंगते हुए समीर की तरफ बढ़ता है। समीर की आंखे बंद होने वाली थी, पर फिर भी वो अपना दाया हाथ आगे बढ़ा देता है।

विशाल अब कुछ ही दूर था, वो भी अपना दाया हाथ आगे बढ़ा देता है और बोलता है- बहुत अच्छा लड़े मेरे भाई तुम, जिंदा रहे तो फिर मिलेंगे।
(ये बोलकर विशाल समीर का हाथ पकड़ लेता है और समीर मुस्कुरा कर विशाल की तरफ देखता है, और दोनो की आंखे बंद हो जाती है)


अब आगे।।

गतिशील सीन :-

मुखिया की हालत बहुत बुरी थी, उसके बदन पर लगी आग को वो बड़ी मुश्किल से बुझा पाया था, उसकी सांसे पूरी तरह चढ़ी हुई थी, उसके सामने बस काला धुआं और आग फैली हुई थी, विशाल और समीर की हालत देख उसका मन लगभग हर मान चुका था।पर शायद आज रात अनहोनी की थी, जिसमे खून बहना जरूरी था, और कोई भी इसे टाल नहीं सकता था।

धीरज पूरा सतर्क था उसने अभी जीत की किरण देखी ही थी एक दम से जैसे उसका दिल डर से बैठने लगा था, मौत का नजारा उसकी आंखों के आगे हो रहा था, मैदान में आग फैली हुई थी, पुलिसवालों की और गांववालो की चीखे आसमान में गूंज रही थी।

अचानक धीरज को जोर जोर से किसी लड़की के रोने की आवाजे आने लगी, धीरज का जैसे ध्यान टूट गया और वो देवसिंह पकड़े हुए थे जिसका खून रुक नहीं रहा था। धीरज के ऊपर अपने फर्ज को निभाने का दबाव था। वो पूछता है

धीरज : कोन है उधर ?

धीरज के सवाल का उसे कोई जवाब नही मिलता, लड़की के रोने की आवाज तेज हो जाती है वो चीखने लगती है। पुलिसवाले और गांववाले लड़की की दर्द भरी आवाजे सुनकर एक पल के लिए रुक जाते है।


धीरज देखता है वो आवाज उसके पीछे से थोड़ी दूर से आ रही थी, पर वो देवसींह को छोड़ना नही चाहता था।
इतने में देवसिँह की आंखे खुलती है, वो भी उस लड़की की भयंकर चीखे सुनकर जग गया था।

देवसिंह: आप जाइए धीरज सर आपका कर्तव्य है एक नागरिक की रक्षा करना।

धीरज: पर देवसिंह तुम

देवसिंह: आप मेरी चिंता मत करिए, आप जाइए। ऐसी घोर अंधेरी रात में इन हवानो के बीच पता नही उस लड़की का क्या हाल होगा।

धीरज: सही कहा तुमने मैं उसे कुछ भी नही होने दूंगा। अभी जाता हूं, किसी को तुम्हारे पास भेजता हूं।

धीरज पेड़ के पीछे देवसिंह को छोड़ कर, उस आवाज के पीछे जाता है। वो लड़की लगातर रोए जा रही थी। धीरज बीच बीच में आवाज लगाता।

धीरज: आप किधर है, घबराए नही मैं आ रहा हु।

थोड़ी दूरी तय करने के बाद धीरज को एक अजीब सा सन्नाटा महसूस होता है, एक जाबाज पुलिसवाला होने के बावजूद एक बार उसका दिल काप जाता है। अंधेरी रात होने के बावजूद वो देखता है। की कोई लड़की झाड़ियों की दूसरी तरफ मूंह करके बैठी है, और सिसक सिसक कर रो रही है।

धीरज उससे बात करने की कोशिश करता है।

धीरज: सुनिए देवी जी, आप रो क्यों रही है।

उसे कोई जवाब नही मिलता।

धीरज फिर पूछता है।

धीरज: आप यहाँ कैसे आई ? आपको कही चोट लगी है ? किसी ने मारा है ?

पर धीरज को वो लड़की कोई जवाब नही दे रही थी वो बस रोती जा रही थी। धीरज एक जगह पर थोड़ी दूर खड़ा हो जाता है, और सोचता है जब तक ये लड़की शांत नहीं हो जाती इसके पास नही जाना चाहिए। वो कुछ सोचता है फिर बोलता है

धीरज :शायद ये लड़की बहरी है इसीलिए इसको सुनाई नही दे रहा।

ये सुनकर एक दम से वो लड़की रोना बंद कर देती है। धीरज को जैसे झटका लगता है। उसकी सांसे बढ़ जाती है।

लड़की: में बहरी नही हूं।

धीरज: तो आपने मेरी बात का जवाब क्यू नही दिया।

लड़की: मैं अफसोस मना रही थी।

धीरज: किसलिए रो रही थी ? किस बात का अफ़सोस ?

लड़की (एक गहरी अजीब आवाज में): एक आदमी की मौत का

धीरज उस लड़की की ये बात सुनकर घबरा जाता है उसके पैरो तले जमीन निकल जाती है।

धीरज डरते हुए पूछता है: क क क….. कोन आदमी।

लड़की (एक डरावनी हसी हंसना शुरू कर देती है) और बोलती है : तू

धीरज को काटो तो सांस नही उसकी सांस वही अटक जाती है, उसको लगता है कि उसको हार्ट अटैक आने वाला है।

पर अगले ही पल………
पच……


धीरज की सांसे रुक जाती है, उससे सांस नही लिया जा रहा था, उसके गर्दन में दर्द होने लगता है, और जब धीरज चेक करता है तो उसे पता लगता है की गर्दन से खून बहने लगा है। धीरज को दर्द का अहसास होता है वो अपने दोनो हाथो को गले पर दबाकर खून रोकने के असफहल कोशिश करता है।
और वो लड़की जो एक पल पहले धीरज के सामने थी अब धीरज के पीछे खड़ी है। धीरज को जब ये महसूस तो उसको पता लगता है उसका अंत नजदीक है। कहा वो गांववालो को बचाने आया था अब वो खुद ही जान से हाथ धीनेवाला है।

लड़की धीरज के पीछे खड़ी होती है, और एक दम से धीरज को पीछे से पकड़ लेती है, लड़की को बाजुए पीछे से धीरज के पेट को पकड़ लेती है। और लड़की अपना चेहरा धीरज की गर्दन के पास लाती है। और कहती है।

लड़की: लंबी नींद के तैयार है ना। रात बड़ी लंबी होने वाली है। (हाहाहाहाहा)
लड़की अपनी जुबान से धीरज की गर्दन से बह रहे खून को चाट लेती है। और चटकारा लेते हुए कहती है।

लड़की: वाह तू तो बड़ा स्वादिष्ट है, गबरू जवान लग रहा है मोटा ताजा टमाटर (हहाहा)
धीरज कुछ भी बोल नही पा रहा था।

लड़की: अरे कुछ तो बोल, बड़ा बत्तमीज है, लड़की बात कर रही है जवाब नही दे रहा है। और बत्तमीज़ लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं।

ये बोलकर लड़की धीरज की कमर में घुसा मारती है और सामने पेट से बाहर निकाल देती है। और एक दम से पीछे से अपने बड़े बड़े दातों को उसके कंधे पे गढ़ा देती है।

धीरज आंखरी पलो में पीछे मुड़कर देखता है तो उसे बस एक सुंदर काली काली बड़ी आंखे दिखाई देती है, जो हल्की हल्की लाल हो गई है। और इसके साथ धीरज अपना दम तोड देता है।


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
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