अपडेट- 34………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
बलदेव और कोई नहीं रामलाल का ही नाजायज बच्चा था, रामलाल ने मायादेवी से शादी से पहले गाँव मे की औरतो से संबंध बना रखे थे, उसका एक गाँव की सुंदरी पर दिल अआ गया था, चूकी रामलाल लिंगदेव की चेतन का रूप था और वो लड़की योनिदेवी की पुजारण थी, योनिदेवी ने ही उस लड़की को रामलाल से संभोग करने को कहा था, योनिदेवी की आज्ञा का पालन करते हुए उसने रामलाल से संभोग किया और गर्भवती हो गई…………..
अब आगे।।
आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN
मनोहर-MN लिखा जाएगा
लिंगदेव- देवी उधर मनोहर की क्रिया सम्पन्न होने वाली है, और इधर हमारी संभोग क्रिया शुरू ही नहीं हुई
योनिदेवी- देव धैर्य रखिए, एक बार इनका संभोग हो जाए फिर हम अपनी संभोग क्रिया शुरू करेंगे।
लिंगदेव- मुझे तो लगता है हमे अभी कर देनी चाहिए, वक्त बहुत कम है।
योनिदेवी- नहीं देव अभी कंचन इस चीज के लिए तैयार नहीं है, रामलाल से संभोग के बाद वो तैयार हो जाएगी उसकी कामोत्तेजना चरम पर होगी।
लिंगदेव- फिर हम कुछ करते है,( लिंगदेव भविष्य मे देखते है और उसे पता चलता है मनोहर की क्रिया रुकेगी तो नहीं पर उसका रफ्तार कम हो जाएगी, जो वो क्रिया कर रहा है उसकों सम्पन्न करना मुस्किल है।)
लिंगदेव- देवी ठीक है मनोहर की क्रिया पूरा इतनी जल्दी नहीं होगी। इधर बलदेव होता तो हम कुछ कर पाते
योनिदेवी- देव बलदेव जल्द ही आ जाएगा यह, पर क्या हमने कंचन को बलदेव का सच छुपकर सही किया,
लिंगदेव- देवी कंचन अभी तैयार नहीं है, उसको धीरे धीरे ये सब मालूम होने दो। आज रात मे वैसे भी हमारे पास समय कम है हम ये समय बातों मे व्यर्थ नहीं कर सकते
योनिदेवी- आप ये बात बिल्कुल सही कह रहे है, हमे जल्द ही संभोग क्रिया के लिए तैयार रहना होगा
इधर रामलाल और कंचन मिलन के लिए बेचैन थे, दोनों के अंदर एक अपार प्रेम था, जैसे सदियों के बाद दोनों एक दूसरे से मिल रहे हो, कंचन को एक मर्द, एक प्रेमी का स्पर्श पाए कितने दिन हो गए थे, उसकी भारी मस्तानी जवानी काम की जवाला मे जल रही थी, और ये जानकार की आज पूरी रात वो अपने प्रेमी के साथ गुजारने वाली है, उसको अपना गदराया बदन सौपने वाली थी, कंचन रामलाल के लिए, रात को हसीन बनाने के लिए सजी हुई थी।
कंचन का सुंदर मोहक बदन एक सफेद सजे हुए संगमरमर की तरह चमक रहा था, उसने बालों को अच्छा सजाकर जूड़ा बना रखा था, माथे पर हल्की छोटी बिंदी थी, आँखों मे काला गहरा काजल था, जो कंचन की सुंदर बड़ी काली आँखों को और भी आकर्षक बना रहा था, कंचन की आंखें हल्की लाल थी। कंचन की सिर्फ आंखे ही इतनी सुंदर थी, जिनको एक बार देखकर ही प्रेमी को नशा हो जाए। उसके गोरे चिकने गालों पार हया की लाली थी, और उसके लाल सुंदर मोठे फैले हुए होंठ जिसका चुंबन शहद से भी मीठा और अमृत पान से भी ऊपर था।
कंचन ने एक काला गाउन डाल रखा था, जो कंधों से लेकर उसके घुटनों तक था पर कंचन की भारी गदराई जवानी को नमाकयाबी से छुपा रहा था, गाउन का कपड़ा रेशमी और पतला था जिसमे से कंचन का हर एक मादक अंग कामुकता की झलक दे रहा था, गाउन का गला गहरा था और खुला हुआ था, जिसमे से कंचन के मोटे स्तन बाहर की ओर झाक रहे थे, कंचन का गाउन उसके भारी फैले हुए चूतड़ों के उभार को ओर ज्यादा कामुक बना रहा था, गाउन के नीचे कंचन ने एक काले रंग की lingerie पहन ली थी, जिससे उसकी जवानी कस गई थी, और उसके चूतड़ और चूचियाँ जानलेवा कामुक लग रही थी। कंचन ने साथ मे हील पहन ली थी, जिससे उसके शरीर के उभारों me और लचक अअ गई थी। पूरे कमरे मे कंचन ने गुलाब के इत्र की महक फैला रखई थी।
रामलाल ने सफेद कुड़ता पाजामा पहन रखा था, उसके चेहरा खुशी से चमक रहा था, उसके शरीर मे कांचन से मिलन के लिए गर्मी और बेचैनी थी, उसका लंड पाजामे के अंदर ही जोर मार रहा था, जो आराम से दिख रहा था, उसके अंदर जवानी का जोश फिर से भर गया था, बहुत दिनों बाद वो अपनी प्रेमीका, अपनी बहू के साथ संभोग करने वाला था।
जैसे ही रामलाल कमरे के अंदर घुसता है, उसके नथुनों मे गुलाब की महक अअ जाती है, और अंदर कांचन का रूप और रंग देखकर उसके होश उड़ जाते है। उसके दिल की धकड़न तेज हो जाती है, और उसको देखकर आँखों मे चमक और रामलाल के होंठों पर लंबी मुस्कान फ़ाइल आती है
कंचन भी अपने प्रेमी, अपने ससुर को के ऐसी प्रतिक्रिया देखकर खुश हो जाती है, उसकी योनि मे संभोग के लिए तरंगे उथनी शुरू हो जाती है और उधर रामलाल का लंड भी भी पाजामे मे ठुमके मारना शुरू कर देता है।
कंचन
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वापस वारंगल के जंगल मे चलते है
वारंगल जंगल
मनोहर शैतान का पुजारी थी, काली विद्या के रहते कुछ क्रियाओ की सामग्री मे खून की बलि देना जरूरी होता था, पर आज मनोहर जो क्रिया सम्पन्न करने वाला था, उसमे कुछ जरूरी सामग्री की आवश्यकता थी।
मनोहर ने क्रिया की सामग्री मे 21 बकरों की बलि का खून 21 कुआरी लड़किओ के माहवारी का खून, 13 शेर के दांत, 13 अलग गेनडे के सिंग का चूरा, 13 जवान घोड़े का रक्त, 13 सांप की खयाल, 13 मुरदों की हड्डीया, और मनोहर का खुद का खून और सिर के बालों का मिश्रण। पर हवं कर रहे सब लोगों के शरीर से कुछ ना कुछ हवन मे अर्पित होना जरूरी था, और ये बात पांडे को भी पता थी। मनोहर और पांडे दोनों को पता थी की जितनी बड़ी बलि होगी उतना बड़ा तोहफा शैतान तुम्हें देगा। पांडे ने भी एक बड़ी बलि देने की थान ली थी, और उसको पता था की ऐसी बलि देने से शायद उसकी मौत भी हो सकती है, पर वो भी मनोहर की तरह शक्तियाँ पाने के लिए तत्पर था
मनोहर ने सालों से शैतान की पूजा करी थी, वो समय समय पर शैतान को भेट के रूप मे कुआरी लड़किओ और कुआरे लड़कों की बलि दी है और इसी की वजह से शैतान ने उसे जवान रहने का तोहफा दिया था, मनोहर 45 का होने के बाद भी 25-30 का दिखता था।
पंडित से हवन के चारों ओर खून का गोल घेरा बना रखा था, जिसके अंदर शैतान का निशान था, और जैसे जैसे विधि आगे बढ़ रही थी, उस घेरे के अंदर अंधकार बढ़ता जा रहा था। धीरे धीरे अब मनोहर ने विशेष सागरी डालनी शुरू कर दी, और मंत्रों का जाप तेज होता जा रहा था, घेरे के अंदर अब अंधेरा इतना बढ़ गया था की मुखिया को पांडे और मनोहर दोनों नहीं दिख रहे थे। उसका दिल भी एक बार घबरा गया था।
अचानक से तेज हवाये चली शुरू हो गई और आकाश मे गहने काले बादल के साथ बीजलिया चमकने लगी, मौसम एक दम डरावना और भयानक हो गया, तेज तूफान के चलने से मंत्र पढ़ने की रफ्तार कम हो गई, मनोहर और पांडे दोनों का गला मंत्र पढ़ने से दर्द कर रहा था, काले मंत्र पढ़ने से दोनों के प्राण उनके शरीर से निकाल रहे थे। दोनों की आवाज मे दर्द उभरने लगा था, जो की मुखिया को सुन रहा था
मुखिया को ये समझने मे देर नहीं लगी की ये सब हवन की विधि की वजह से हो रहा है, एक दम से उसे रेडियो पर बाहर पहरा दे रहे अपने आदमिओ मे से, विशाल का संदेश आता है
विशाल- सरदार यह बाहर कुछ लोग मशाल लिए कोठी की तरफ अअ रहे है (विशाल को रेडियो पर चल रहे मंत्रों की आवाज सुनाई देती वो समझ जाता अंदर किसी तरह की पूजा हो रही है)
मुखिया चोंक जाता है पर उसको मनोहर ने बता दिया था की ऐसा कुछ हो सकता है तो उसने आराम से पूछा- कितने आदमी है
विशाल- पता नहीं सरदार बस दूर से आते दिख रहे है, मशाल से पता लग रहा है की 10-12 लोग तो होंगे
मुखिया- सुन तो उधर ही अपने लोगों को तैनात कर दे, मैं ऊपर जाकर चिमनी से देखता हु
कोठी मे 3 फ्लोर थे, ऊपर चैट पर एक उची चिमनी थी, जिससे पूरा खुला जंगल दूर तक दिखता है, मुखिया ऊपर जाता है, और sniper बंदूक उठा लेता है, और फिर बंदूक के निशाने मे देखता है, जो नजारा उसे बंदूक के निशाने मे से दिखता है वो देखकर उसकी गांड फट जाती है।
वो तुरंत विशाल से रेडियो पर बोलता है सब आदमिओ को बंदूक और हथियारों से तैनात कर दो, बात दो गोलिया चलाने के लिए तैयार रहे।
ये सुनकर विशाल भी चौकन्ना हो जाता है, और साथ मे समीर को बोल देता है की सभी साथियों को ये खबर पहुचा दे, समीर समझ जाता है आज कुछ बड़ा कांड होने वाला है
वो जल्दी से भाग कर दूसरे आदमिओ को संदेश पहुचाने लगता है, ऊपर चिमनी मुखिया मे बैठे मुखिया की आंखे सामने का नजारा देखकर लाल हो उठती है ।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।