अपडेट- 35………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
वो तुरंत विशाल से रेडियो पर बोलता है सब आदमिओ को बंदूक और हथियारों से तैनात कर दो, बात दो गोलिया चलाने के लिए तैयार रहे।
ये सुनकर विशाल भी चौकन्ना हो जाता है, और साथ मे समीर को बोल देता है की सभी साथियों को ये खबर पहुचा दे, समीर समझ जाता है आज कुछ बड़ा कांड होने वाला है
वो जल्दी से भाग कर दूसरे आदमिओ को संदेश पहुचाने लगता है, ऊपर चिमनी मुखिया मे बैठे मुखिया की आंखे सामने का नजारा देखकर लाल हो उठती है ।
अब आगे।।
आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN
मनोहर-MN लिखा जाएगा
मुखिया ऊपर चिमनी मे बैठा बंदूक के निशाने से देख रहा था, उसकी दाई आँख पर उसके बाप का दिया हुआ निशान था जो खतरे की घड़ी मे जल उठता था, उसकी दाई आँख लाल हो जाती थी। मुखिया बाई आँख से बान्डोक के निशाने से देख रहा था। उससे दिखता है की 10 गाँव वाले और 5-7 पुलिस वाले कोठी की तरफ बढ़ रहे है, गाव वालों के हाथों मे मशाले थी, साथ मे गाव वालों ने तलवारे और pistol ले रखई थी, और पुलिस वालों के पास बड़ी राइफल और असला बारूद था। इतना असला बारूद देख कर जाहीर था की पुलिस कुछ भी करके कोठी मे घुसने और उनको गिरफ्तार करने आ रही है।
मुखिया ने सबको चॉकन्ना करने की सोची। मुखिया चिमनी मे sniper की तरह पज़िशन ले लेता है। और अपना रेडियो उठता है और विशाल को बोलता है
मुखिया- ध्यान से सुन मेरी बात, अपने लोगों को बात दे लड़ाई के लिए तैयार हो जानगे, गाव वाले पुलिस के साथ कोठी की तरफ आ रहे है, कुछ भी करके उन्हे कोठी मे नहीं आने देना है
विशाल- सरदार मैं आपकी बात समझ गया, अभी लोगों को बात देता हु
मुखिया-याद रखना कुछ भी हो जाए, कोठी मे कोई भी घुसना नहीं चाहिए, और हो सकता है सबको मौत के घाट उतारना पड़े।
विशाल- ये सुनकर विशाल थोड़ा घबरा किया और बोला ज ज ज जी ठीक है सरदार
मुखिया- थोड़ा गुस्से मे समझा की नहीं ठीक से बोल
विशाल- जी सरदार समझ गया
मुखिया के माथे पर पसीना उभर आया था उसकी दाई आँख सुर्ख लाल हो चुकी थी, उसके दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी वो जानता था करने मरने वाली घड़ी आ चुकी है।
इधर विशाल ने भी सबको तैनात कर दिया था, समीर को उसने अपने साथ रखा था, विशाल के चेहरे पर घबराने का कोई भाव नहीं था, उसको देखकर दूसरों का मनोबल बना हुआ था। विशाल के चेहरे पर गंभीरता के भाव सपष्ट देखे जा सकते थे, जिनको समीर बखूबी पहचान रहा था।
मुखिया को पता था जल्द ही गोलियाँ चलने वाली है वो बस उम्मीद कर रहा था जल्दी से विधि समाप्त हो जाए।
मंत्रों की रफ्तार काम हो चुकी थी, पंडित और पांडे दोनों की साँसे उखाड़ रही थी, समय बड़ी धीमी रफ्तार से बीत रहा था, हवन की जवाला बहुत उची होकर आसमान को छूती नजर अा रही थी, जिससे कोठी के बाहर मुखिया के लोगों ने और गाँव के लोगों ने देख लिया था। पांडे और पंडित दोनों जानते थे क्रिया मे मुसकीले आनी थी, पर क्रिया खुद इतनी कठिन थी की दोनों के जान पर बन आई थी। काली विध्या के मंत्रों को पढ़ते हुए शैतान दोनों के शरीर से उनकी जीवन शक्ति खीच रहा था, पंडित के लिए ये आम बात थी, पर पांडे की हालत अधमरी होने को आई थी, उसकी आंखे बेहोशी की हालत जैसी हो गई थी, पर वो जैसे तैसे हवन की विधि मे लगा हुआ था।
क्रिया चल ही रही थी की बाहर पुलिस और गाँव वाले एक जगह पर इकठे हो चुके हुए थे, जो कोठी के कुछ दूर थी।
1 पुलिस वाले से माइक पर बोलना चालू किया
पुलिस ने तुम सबको चारों तरफ से घेर लिया है हमे खबर मिली है की यहा गैर कानूनी हथियार रखे गए है और गैर कानूनी काम हो रहे है, तुम सबको पहली और आखरी वार्निंग दी जाती है, चुप चाप हाथ ऊपर करके बाहर आ जाओ, अगर तुम हमारी बात लेते हो तो शायद तुम्हारी सजा कम हो जाए ये काम हम बिना गोली चलाए भी कर सकते है, अगर 10 मिनट मे कोई बाहर नहीं आया तो हम अंदर आ जाएंगे, और उसके बाद किसी भी तरह का रहम नहीं करा जाएगा
पुलिस का ये ऐलान सबके कानों मे गूंज गया, मुखिया पांडे और पंडित, उनके लोगों को ये सुन चुका था, पंडित को अंदाजा था ऐसा कुछ हो सकता इसीलिए उनसे मुखिया को पहले ही इस बात का आगाह कर दिया और बता दिया था बंदूक और असल बारूद तैयार रखे।
ये ऐलान सुनते ही पांडे और पंडित सतर्क हो गए और अपनी क्रिया पर ध्यान बनाए रखा।
मुखिया ने ऐलान सुनते ही रेडियो पर विशाल को बोलता है- सुन मेरी बात ध्यान से कोई भी अपनी जगह से मत हिलना और आदमिओ को बोल अगर कोई भी अपनी जगह से हिला तो उनकी मा चोद दूंगा, पुलिस और गाँव वालों मे से कोई भी आगे बढ़े तो गोलियां चला देना
विशाल मुखिया की बात ध्यान से सुन रहा था- ठीक है सरदार समझ गया
विशाल की दिल की धड़कने तेज हो गई थी, वो ज़िंदगी मे पहली बार किसी पुलिस वाले के ऊपर गोली चलाने वाला था, और बाकी लोगों का भी यही हाल था
विशाल रेडियो पर बाकी साथियों से- सुनो पनटर लोग, ये गाँव वाले और कुछ पुलिस वाले अपनी गांड मरवाने यह आए है। कोई भी अपनी जगह से मत हिलना, और ये लोग अगर एक भी कदम आगे बढ़ाए तो गोली चला देना, और किसी ने नहीं चलाई तो उसकी गांड पे गोली मैं मारूँगा
ये सुनकर सब गुंडों की गयंद फट गई और कुछ गुंडे खुश हो गए की आज उन्हे खून बहाने को मिलेगा, विशाल और समीर को मिलकर बाहर 12 गुंडे पहरा दे रहे थे, अंदर मुखिया sniper की बंदूक से चिमनी मे छुपा पुलिस और गाँव वालों पर नजर रख रहा था।
समीर विशाल का ये रूप देखकर डर गया उसके पास जो AK 47 उसने वो कस ली, और उसके कारतूस भी उसने अपने बेल्ट और जेभों मे भर लिए।
उधर पुलिस वाले अपना प्लान बना कर आए थे, एक इन्स्पेक्टर था उसके साथ 2 si 3 हवलदार, इन्स्पेक्टर को पता था कोई भी बाहर नहीं आने वाला वो बस समय देकर गुंडों पर दबाव बना रहा था.
अंदर पंडित और पांडे मंत्रों के आखरी पहर पर थे। आखरी और सबसे बड़ी आहुति देने का व्यक्त अा गया था, पंडित ने धीरे धीरे सारी सामग्री हवन कुंड मे डाल दी, जिससे हवन कुंड की जवाल ऊपर की और उठ गई, जिसे बाहर पुलिस ने और पहरा दे रहे गुंडों ने देख लिया, अपने बाल और खून को हवन कुंड मे डाल दिया, पंडित का वैसे तो सारा शरीर ही वो शैतान के नाम कर चुका था। और अब वो पांडे की तरफ देख रहा था वो क्या आहुति देगा। पांडे भी समझ चुका की क्रिया पूरी होने वाली है आखरी पड़ाव आ चुका है। पंडित ने पांडे की और मंत्र पढ़ते हुए इशारा किया।
पांडे को पता था की बलि का व्यक्त आ चुका है पांडे ने साथ मे रखी हुई तलवार उठाई और हवन की अग्नि मे गरम करी, पंडित पांडे की और देख रहा था और इससे पहले पंडित कुछ समझ पाता पांडे ने तलवार अपने दाय बाजू पर जोर दे चला दी, 2 वार मे ही पूरी बाजू कट कर अलग हो गई, बाजू से निकाला खून सीधा हवनकुंड मे जा गिरा और कुछ खून के छीटे पंडित के चेहरे पर लग गए। पंडित पांडे की तरफ देख कर हैरान था, पांडे की दाबी हुई चीखे निकाल रही थी, उसका चेहरा पूरा लाल हो चुका वो लगभग बेहोशी की हालत मे जा चुका था। पर हवन की गर्मी से उसको कुछ होश मे रहने की शक्ति मिल रही थी। कटी बाजू को पांडे ने अग्नि मे डाल दिया, वो भी शैतान को खुश करना चाहता था और अपनी मनोकामना पूरी करवाना चाहता था।
मुखिया को अंदर पांडे की दर्द भरी चीख चीख सुनाई दी, पर उसको सख्त आदेश थे पंडित के वो अपनी जगह से नहीं हिला। अग्नि की जवाला मे पांडे और मनोहर दोनों लगभग जल रहे थे, हवन की जवाला उठ कर 10-15 फुट की हो गई थी, और उसको बाहर सभी लोगों ने देख लिया, ये देखकर पुलिस और गाँव वाले घबहर गए अभी बस 5 मिनट ही हुए थे पर इन्स्पेक्टर ने सबको आगे बढ़ने का आदेश दिया।
पांडे ने अपने दर्द को काबू करने के लिए गमछा अपने बाह पर मुंह और हाथ का प्रयोग करते हुए जोर से बांध लिया जिससे खून का बहाव कम हो गया, पांडे को शक्ति का लाच था, इसीलिए उसने अपने एक हाथ का बलिदान दे दिया, पंडित को पांडे का जुनून और साहस देखकर खुसी हुई, पर ये समय पांडे की बाह से बह रहे खून की चिंता करने का नहीं था। अब पांडे और पांडे ने शैतान के मंत्र का आप करना शुरू कर दिया। जिससे हवन के चारों और अंधेरा फैलता गया और हवन मे जल रही अग्नि उची होती चली गई हवन की आग की लपटे दहक रही थी।
जैसे जैसे मंत्र चले बिजली चमकने लगी और तूफान तेज होने लगा, बिजली और तूफान के आने की वजह से दोनों के मंत्र पढ़ने मे मुस्किल हो रही थी पर धीरे धीरे दोनों, मनोहर और पांडे, मंत्र पढ़ रहे थे।
पंडित से हवन के चारों ओर खून का गोल घेरा बना रखा था, जिसके अंदर शैतान का निशान था, और वो घेर अब एक दम से आग से जल उठा। घेरे की सीमा पर आग लग चुकी थी, अब पांडे और पंडित दोनों घेरे मे कैद थे।
देखते ही देखते 15 फिट की अग्नि की जवाला बढ़ गई जो बाहर पहरा दे रहे गुंडों को भी दिख रही थ, सब लोगों को जब ये नजारा दिखा तो एक पल के लिए सब के मन मे मौत का डर पनप उठा, और ये सच था, शैतान सब के दिल मे मौत का डर भर देता था यही उसकी शक्ति थी। इतनी ऊंची आग की लपटे देखकर पुलिस वाले और गाँव वाले सन्न होकर रुक गए।
मनोहर ने पांडे को देखते हुए मंत्र पढ़ने जारी रखे, और हवन की उठ रही आग की लपटों के ऊपर एक काले रंग का साया बनने लगा, और मंत्रों के साथ उस साय का आकार बढ़ने लगा, फिर उस हवन के बीचों बीच आकाश से एक तेज लाल रंग की रोशनी निकली जो हवन कुंड के बीचों बीच जाके टकरा गई, और जिसकी वजह से वो काले रंग के साए मे से लाल रंग की रोशनी निकालने लगी और देखते ही देखते एक दूसरी दुनिया उस साय मे से दिखने लगी, कोठी के बाहर हो रही घमासान लड़ाई एक पल के लिए रुक गई और सब उस रोशनी को देखने लगे।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।