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एक भाई की वासना
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आपने अभी तक पढ़ा..
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई। इसमें चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था.. लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके। नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने सूरज से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही रश्मि भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
अब आगे..
सूरज बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
सूरज- दो किस लिए?
मैं- एक रश्मि के लिए भी लेना है।
रश्मि ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों सूरज ठीक कह रही हूँ ना?
सूरज ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वासनामय चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. इसमे बुराई तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर रश्मि आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और रश्मि की लाल रंग की थी।
मैंने शरारत के अंदाज़ में रश्मि की तरफ देखा और बोली- रश्मि तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
रश्मि घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और रश्मि का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने सूरज को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने रश्मि को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर रश्मि को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
रश्मि लाल चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
रश्मि- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
रश्मि ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में रश्मि तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने सूरज जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- सूरज देखना.. रश्मि ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि सूरज यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया..
लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब सूरज को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। रश्मि ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और सूरज के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
सूरज मुझसे मेरे ड्रेस देखने बाहने बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।
सूरज की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर सूरज से थोड़ा हट कर मैंने कुछ ब्रा पेन्टी खरीदी अपने और रश्मि के लिए।
रश्मि तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
रश्मि बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।
रश्मि मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे।
सूरज बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।
सूरज- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?
सूरज की बात सुन कर रश्मि घबरा गई। मैंने रश्मि को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया।
रश्मि ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और सूरज की तरफ बढ़ा दीं।
सूरज ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. रश्मि अपनी नजरें चुरा रही थी।
सूरज ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा रश्मि की है..
सूरज ने भी फ़ौरन ही रश्मि की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी।
सूरज ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
रश्मि उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद सूरज बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
सूरज बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और रश्मि को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
रश्मि बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
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मैं रश्मि को भी और सूरज को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं सूरज को गरम कर रही थी। मैं अपनी जाँघों के नीचे सूरज के लंड को आहिस्ता-आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ सूरज की छाती पर ले आई और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी। मेरा हाथ सरकता हुआ सूरज की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो सूरज मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग रश्मि है.. इधर देख लेगी वो..
अब आगे..
मैं अपना हाथ उसकी बरमूडा में पुश करके अन्दर दाखिल करते हुई बोली- नहीं.. अँधेरा है.. उसे कुछ नहीं दिख रहा है।
सूरज चुप हो गया.. और मैंने हाथ अन्दर डाल कर उसके लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसका लंड आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा हो रहा था और मैंने उसे सहलाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा कर दिया।
साथ-साथ मैं उसकी गर्दन को भी चूम रही थी
और अपनी चूचियों को उसकी बाज़ू पर रगड़ रही थी.. जो कि मैंने अपनी ड्रेस को नीचे करते हुए बाहर निकाल ली हुई थीं।
अब मेरा नंगी चूची सूरज की बाज़ू से रगड़ रही थीं और उसका लंड भी मेरे हाथ में था।
सूरज की हालत उत्तेजना से बुरी हो रही थी और उसके शॉर्ट्स की अन्दर खड़ा हुआ लंड और उस पर हरकत करता हुआ हाथ.. उसकी बहन को साफ़ नज़र आ रहा था।
दूसरा.. मैं जो उसकी गर्दन पर किस कर रही थी..
वो भी मैं जानबूझ कर आवाज़ पैदा करती हुए कर रही थी.. ताकि उसकी आवाज़ भी उसकी बहन को सुनाई दे सके।
कुछ देर तक ऐसी ही चूमने के बाद मैंने सूरज का बाज़ू पकड़ कर उसे अपनी तरफ को कर लिया।
अब सूरज का चेहरा मेरी तरफ था और मैंने उसके गले में अपनी बाँहें डालीं और उसके ऊपर अपनी नंगी टाँग रखते हुए उससे चिपक गई।
मेरी जाँघों के खुल जाने से सूरज का अकड़ा हुआ लंड सीधा मेरी चूत से टकरा रहा था।
मैंने भी एक हाथ से उसे पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। जब फिर भी मेरी तसल्ली ना हुई तो मैंने सूरज के शॉर्ट्स को थोड़ा सा नीचे को करके उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
सूरज भी मुझे अपनी बाहों में भर कर अपने साथ चिपकाते हुए मेरा कान में आहिस्ता से बोला- तुमको आज क्या हो गया है डार्लिंग?
लेकिन मैं मस्ती में अपनी आँखें बंद किए बस उसके लण्ड से अपनी चूत को रगड़ती जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने सूरज को छोड़ा और आहिस्ता से बोली- सॉरी डार्लिंग..
और फिर थोड़ा पीछे हट कर लेट गई।
यह सूरज के खड़े लण्ड पर धोखा जैसा हुआ।
सूरज सीधा हुआ तो फ़ौरन ही रश्मि ने दूसरी तरफ करवट ले ली.. मैं समझ गई कि वो सब कुछ बड़े मजे से देख रही थी।
अब कमरे में बिल्कुल खामोशी और अँधेरा था। हम तीनों ही आँखें बंद किए हुए लेटे थे.. और सब ही एक-दूसरे के सोने का इन्तजार कर रहे थे।
क़रीब एक घंटे तक जब बिस्तर पर बिल्कुल कोई हरकत ना हुई तो अचानक ही सूरज ने रश्मि की तरफ करवट ले ली। रश्मि अभी भी दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी और उसकी खूबसूरत उठी हुई गाण्ड.. उसके भाई के लण्ड के ठीक सामने थी.. बल्कि यूँ कहें कि उसके भाई के लंड के बिल्कुल सामने चुदने को तैयार दिख रही थी।
उस छोटे से जालीदार ड्रेस में रश्मि की खूबसूरत कमर सूरज की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगी हो रही थी।
उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और बेल्ट और हुक्स साफ़-साफ़ दिख रहे थे।
उसकी गोरी-गोरी चिकनी कमर कमरे के अन्दर मौजूद हल्की सी रोशनी में चमक रही थी।
कुछ देर में सूरज का हाथ सरकता हुआ रश्मि की कमर के पास पहुँचा और उसने धीरे-धीरे अपने हाथ की बैक से रश्मि की कमर को सहलाना शुरू कर दिया।
उसके हाथ की बैक साइड.. अपनी बहन की नंगी कमर पर ऊपर-नीचे सरक़ रही थी और वो अपनी बहन की नंगी और गोरी कमर के चिकनेपन को महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर के बाद सूरज ने अपना हाथ को सीधा किया और उसे आहिस्ता से रश्मि की कमर के नंगे हिस्से पर रख दिया।
जब रश्मि ने कोई हरकत नहीं की तो सूरज ने हौले-हौले रश्मि की नंगी कमर को सहलाना शुरू कर दिया।
सूरज का हाथ अपनी बहन की बिल्कुल बाहर को निकली हुई ब्रेजियर की तनियों पर गया। वो रश्मि की ब्रा की तनियों को आहिस्ता-आहिस्ता छूने लगा और उस पर अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दिया।
रश्मि की कमर पर से शुरू करके अपनी उंगली को कन्धों पर चिपकी हुई ब्रा की स्ट्रेप के ऊपर फिराता हुआ नीचे को लाने लगा और फिर उसकी उंगली रश्मि की ब्रा की हुक वाली पट्टी पर आ गई।
अब सूरज ने अपनी बहन की ब्लैक ब्रेजियर की हुक पर अपनी उंगली फेरनी शुरू कर दी.. जिसने ब्रा की दोनों सिरों को मिलाकर रश्मि की खूबसूरत चूचियों को जकड़ कर रखा हुआ था। उस पट्टी के सहारे ही रश्मि के मस्त मम्मे सधे और बंधे हुए थे।
कुछ देर तक तो सूरज रश्मि की ब्रा की स्ट्रेप्स पर हाथ फिराता रहा और कभी उसकी नंगी गोरी कमर पर ऊपर- नीचे और उसके कन्धों पर अपना हाथ फेरता रहा।
फिर उसने अपना हाथ आगे ले जाते हुए अपनी बहन की चूची पर अपना हाथ ढीला सा रख दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता उसका हाथ बंद होने लगा और उसकी मुठ्ठी में रश्मि की चूची समा गई।
अब सूरज अपनी बहन की चूची को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।
इस पोजीशन में सूरज रश्मि के और भी क़रीब चला गया हुआ था। अब उसने आहिस्ता से अपने होंठ अपनी बहन की नंगी कमर पर रखे और अपनी बहन की नंगी चिकनी कमर को एक बार चूम लिया।
ज़ाहिर है कि सिर्फ़ एक बार किस करने से उसकी तसल्ली होने वाली नहीं थी। अब तो जैसे वो पागल ही हो गया.. उसने बार-बार अपनी बहन की नंगी कमर और नंगे कन्धों पर किस करना और उन्हें चूमना शुरू कर दिया।
नीचे सूरज का हाथ रश्मि की उभरी हुई गाण्ड पर पहुँचा और आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपना हाथ रश्मि की गाण्ड पर फेरना शुरू कर दिया।
बिना किसी पैन्टी के पतले से कपड़े के बरमूडा में फंसी हुई रश्मि की चिकनी गाण्ड.. ज़ाहिर है कि उसे बहुत ज्यादा मज़ा दे रही होगी। इसलिए उसका हाथ उसकी गाण्ड पर फिसलता ही जा रहा था।
मैं सूरज के पीछे ही थोड़ी ऊँची होकर यह सब देख रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता सूरज ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और उसकी कमर को चाटने लगा। उसके कन्धों को चूमा और फिर अपनी ज़ुबान उन पर फेरनी लगा। सूरज ने रश्मि की उस नेट ड्रेस की डोरी वाली स्ट्रेप को पकड़ा जो कि उसके कंधों पर फंसी थी.. और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे नीचे उसके कन्धों से बाज़ू पर ले आया।
मेरी चूत तो जैसे गर्मी से जल ही उठी कि आज अपनी बहन के लिए सूरज और भी ज्यादा हवस की आग में भड़क रहा है।
सूरज ने अपना हाथ दोबारा से अपनी बहन के सीने पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके नंगे सीने को सहलाने लगा।
यह नेट ड्रेस ऊपर से तो वैसे भी काफ़ी ओपन था.. तो सूरज का हाथ बड़े ही आराम से ड्रेस के अन्दर भी दाखिल हो रहा था और उसकी ब्रा से निकलती हुई उसकी मदमस्त चूचियों के ऊपरी हिस्से को मसल रहा था।
अचानक सूरज ने अपने हाथ को पूरा रश्मि की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो रश्मि के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर रश्मि तुरंत ही शांत भी हो गई।
मैं दिल ही दिल में रश्मि के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
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वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई। इसमें चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था.. लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके। नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने सूरज से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही रश्मि भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
अब आगे..
सूरज बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
सूरज- दो किस लिए?
मैं- एक रश्मि के लिए भी लेना है।
रश्मि ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों सूरज ठीक कह रही हूँ ना?
सूरज ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वासनामय चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. इसमे बुराई तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर रश्मि आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और रश्मि की लाल रंग की थी।
मैंने शरारत के अंदाज़ में रश्मि की तरफ देखा और बोली- रश्मि तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
रश्मि घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और रश्मि का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने सूरज को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने रश्मि को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर रश्मि को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
रश्मि लाल चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
रश्मि- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
रश्मि ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में रश्मि तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने सूरज जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- सूरज देखना.. रश्मि ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि सूरज यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया..
लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब सूरज को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। रश्मि ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और सूरज के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
सूरज मुझसे मेरे ड्रेस देखने बाहने बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।
सूरज की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर सूरज से थोड़ा हट कर मैंने कुछ ब्रा पेन्टी खरीदी अपने और रश्मि के लिए।
रश्मि तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
रश्मि बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।
रश्मि मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे।
सूरज बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।
सूरज- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?
सूरज की बात सुन कर रश्मि घबरा गई। मैंने रश्मि को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया।
रश्मि ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और सूरज की तरफ बढ़ा दीं।
सूरज ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. रश्मि अपनी नजरें चुरा रही थी।
सूरज ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा रश्मि की है..
सूरज ने भी फ़ौरन ही रश्मि की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी।
सूरज ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
रश्मि उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद सूरज बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
सूरज बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और रश्मि को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
रश्मि बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
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आपने अभी तक पढ़ा..
हम सब नाश्ते की टेबल पर आए.. तो सूरज की नजरें आज तो रश्मि की जिस्म पर कुछ ज्यादा ही गहरी थीं और उसके नशीले जिस्म से उसका नजर हट ही नहीं रही थीं।
मैं इस सबको देख कर मजे ले रही थी, लेकिन अभी भी वो दोनों यही समझ रहे थे कि मुझे दोनों को इनकी हरकतों का मालूम नहीं है।
अब आगे..
नाश्ते के बाद वो दोनों बहन-भाई चले गए और मैं रसोई का सामान समेटने के बाद नहाने के लिए चली गई। फुव्वारे से ठंडी-ठंडी पानी की गिरती बूंदों के नीचे नहाते हुए मैं यही सोच रही थी कि अब आगे क्या किया जाए.. जिससे सूरज को अपनी बहन के क़रीब आने का और भी मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने और भोगने का भरपूर मौका मिल सके।
हालांकि मैं दोनों को बिस्तर पर तो एक-दूसरे के क़रीब ला ही चुकी थी। अब मैं उनके दरम्यान की शरम और परदे की दीवार को भी गिरा देना चाहती थी।
दोपहर को दोनों एक साथ ही वापिस आ गए।
खाने की टेबल पर ही मैंने सूरज को कह दिया कि आज हम दोनों को शाम को शॉपिंग के लिए लेकर चलो.. मुझे कुछ रेडीमेड कपड़े ख़रीदने हैं।
सूरज मान गया कि शाम को खरीददारी के लिए निकलते हैं।
तक़रीबन अँधेरा ही हो चुका था जब हम लोग शॉपिंग की लिए निकले। चूंकि अगले दिन रविवार था.. इसलिए कोई फिकर नहीं थी कि रात को देर हो जाएगी या सुबह कॉलेज और ऑफिस जल्दी जाना है।
मैंने एक पोलका डॉट वाली फ्राक पहनी थी और मेरी फ्राक का गला हमेशा की तरह ही डीप था.. जिसकी वजह से मेरा क्लीवेज आसानी से नज़र आ रहा था।
रश्मि ने जीन्स ही पहनी थीं । जो कि ज्यादा वल्गर या सेक्सी नहीं लग रही थीं।
रश्मि भी आज खूब बन-संवर कर तैयार हुई थी। उसने बहुत ही अच्छा सा परफ्यूम भी लगाया हुआ था और हल्का सा मेकअप भी कर रखा था।
उसके पतले-पतले प्यारे-प्यारे होंठों पर रेड लिप ग्लो लगी हुई थी.. जिसकी वजह से उसके लिप्स बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। दिल करता था कि उनको चूम ही लें।
मैंने आज भी रश्मि को हम दोनों के बीच में बिल्कुल सूरज के पीछे बैठाया और खुद उसको सूरज की कमर के साथ दबाते हुए उसके पीछे बैठ गई।
रश्मि की दोनों खुबसूरत चूचियाँ अपने भाई की कमर के साथ दब रही थीं और आज मुझे पक्का यक़ीन था कि सूरज भी खुद उनको अपनी पीठ से महसूस करना चाह रहा होगा।
यही वजह थी कि वो थोड़ा-थोड़ा अपनी कमर को आगे-पीछे भी कर रहा था।
मैंने अचानक ही हाथ एक साइड से आगे ले जाकर सूरज की जांघ पर रखा और फिर जैसे ही उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड को छुआ.. तो पता चला कि वो तो पहले से ही खड़ा हो चुका है।
सूरज के लंड के ऊपर हाथ फेरते हुए मैं थोड़ा सा ऊँची आवाज़ में रश्मि से बोली- रश्मि डार्लिंग.. आज तो तुम बहुत प्यारी लग रही हो और तुम्हारे लिप्स तो बहुत ही सेक्सी लग रही हैं। मेरा तो दिल करता है कि इनको चूम ही लूँ।
मैंने अपनी आवाज़ इतनी तेज रखी थी कि सूरज भी सुन सके और उसके सुनने का अहसास मुझे उसके लण्ड से हुआ.. जिसने मेरे हाथ में एक साथ दो-तीन झटके लिए।
मैं मुस्करा दी और आहिस्ता से अपने होंठ रश्मि की गर्दन से थोड़ा नीचे पीठ के ऊपरी हिस्से को चूम लिया।
रश्मि कसमसाई- भाभी.. क्या करती हो यार..
मैं उसकी गर्दन के नीचे अपने होंठ आहिस्ता-आहिस्ता चलाते हुए बोली- डार्लिंग तू प्यारी ही इतनी लग रही है आज.. तो मैं क्या करूँ..
वो चुप रही।
मैंने फिर पूछा- तू बता.. तूने क्या क्या लेना है?
वो बोली- कुछ नहीं भाभी..
मैंने आहिस्ता से उसकी चूची को एक साइड से छुआ और बोली- नई ब्रेजियर ही ले लो.. आज तो तेरे भैया भी साथ ही हैं।
रश्मि ने पीछे को हौले से अपनी कोहनी मेरी पेट में मारी और बोली- भाभी कुछ तो शरम करो.. भैया भी साथ हैं।
मैं जोर-जोर से हँसने लगी और फिर उसके कान में बोली- उस दिन से भी तो अपने भैया की ही लाई हुई ब्रा पहन रही है ना.. तो उनके साथ आकर लेने में क्या शरम है तुझे?
रश्मि चुप रही लेकिन मैंने देखा कि वो मुस्करा रही थी। मुझे यक़ीन था कि मेरी यह नोक-झोंक सूरज ने भी सुन ली होगी और यही मैं चाहती थी कि वो भी मेरी यह बातें सुन कर एन्जॉय करे।
सूरज ने एक बड़े शॉपिंग माल के बाहर बाइक रोकी और हम नीचे उतर आए।
सूरज बाइक पार्क करने गया तो रश्मि बोली- भाभी.. यार कुछ तो शरम किया करो न.. भैया अगर सुन लें तो.. क्या सोचेंगे?
मैंने दिल ही दिल में सोचा कि उस वक़्त तो तुझे शरम नहीं आती.. जब तेरे भैया तेरी चूचियों और जिस्म पर हाथ फेर रहे होते हैं। उस वक़्त तो बड़े मजे ले रही होती हो।
लेकिन मैं चुप रही और बोली- अरे कुछ नहीं होता.. उसे हमारी बातों का क्या पता..
इतने मैं सूरज भी आ गया और हम तीनों मॉल में दाखिल हो गए।
ये काफ़ी मॉडर्न किस्म का मॉल था.. जहाँ पर अनेक किस्म की दुकानें थीं और आजकल कुछ दुकानों पर सेल भी चल रही थी.. इसलिए मैं यहाँ आई थी वरना सूरज की इनकम में ज्यादा महँगी शॉपिंग अफोर्ड नहीं हो सकती थी ना..
हम लोग एक दुकान में गए.. तो वहाँ पर कई किस्म की ड्रेसेज को मॉडल्स के ऊपर पहनाया गया था.. कुछ मॉडल्स के ऊपर ब्रा और पैन्टी पहना कर रखी हुई थीं।
कुछ पुतलों पर ड्रेस भी थी.. तो कुछ में काफ़ी सेक्सी किस्म की जालीदार कपड़ें सजाए गए थे।
इस दुकान पर आकर रश्मि का चेहरा तो शरम से सुर्ख ही हो गया था। वो इधर-उधर देखते हुए बहुत शर्मा और घबरा रही थी।
अपने भाई की मौजूदगी की वजह से उसे ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी।
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई, इसके कन्धों पर सिर्फ़ पतली सी डोरियाँ थीं और छाती का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा था।
आप यूँ समझ लें कि इसमें से चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था..
लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके, नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने सूरज से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही रश्मि भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।