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एक भाई की वासना
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वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई। इसमें चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था.. लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके। नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने सूरज से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही रश्मि भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
अब आगे..
सूरज बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
सूरज- दो किस लिए?
मैं- एक रश्मि के लिए भी लेना है।
रश्मि ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों सूरज ठीक कह रही हूँ ना?
सूरज ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वासनामय चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. इसमे बुराई तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर रश्मि आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और रश्मि की लाल रंग की थी।
मैंने शरारत के अंदाज़ में रश्मि की तरफ देखा और बोली- रश्मि तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
रश्मि घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और रश्मि का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने सूरज को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने रश्मि को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर रश्मि को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
रश्मि लाल चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
रश्मि- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
रश्मि ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में रश्मि तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने सूरज जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- सूरज देखना.. रश्मि ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि सूरज यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया..
लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब सूरज को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। रश्मि ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और सूरज के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
सूरज मुझसे मेरे ड्रेस देखने बाहने बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।
सूरज की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर सूरज से थोड़ा हट कर मैंने कुछ ब्रा पेन्टी खरीदी अपने और रश्मि के लिए।
रश्मि तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
रश्मि बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।
रश्मि मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे।
सूरज बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।
सूरज- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?
सूरज की बात सुन कर रश्मि घबरा गई। मैंने रश्मि को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया।
रश्मि ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और सूरज की तरफ बढ़ा दीं।
सूरज ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. रश्मि अपनी नजरें चुरा रही थी।
सूरज ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?
मैं मुस्कराई और रश्मि की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा रश्मि की है..
सूरज ने भी फ़ौरन ही रश्मि की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी।
सूरज ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
रश्मि उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद सूरज बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
सूरज बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और रश्मि को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
रश्मि बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
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अचानक सूरज ने अपने हाथ को पूरा रश्मि की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो रश्मि के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर रश्मि तुरंत ही शांत भी हो गई।
मैं दिल ही दिल में रश्मि के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
अब आगे..
अब शायद कुछ ज्यादा हो गया था.. जो कि रश्मि बर्दाश्त ना कर सकी या फिर सूरज के लंड ने रश्मि की गाण्ड के दरम्यान घुसने की कोशिश की..
जिसकी वजह से एकदम रश्मि सीधी हो गई और सूरज ने भी खुद को सम्भालते हुए अपना हाथ फ़ौरन ही पीछे खींच लिया।
अब रश्मि अपनी पीठ के बल बिल्कुल सीधी होकर लेट गई.. पर सूरज उसी की तरफ मुँह करके लेटा हुआ था।
एक बार उसने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर कुछ क्षण इन्तजार करने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के क़रीब जाने लगा।
रश्मि की नेट ड्रेस की तनियाँ अभी भी उसके कन्धों से नीचे ही थीं और उसका सीना मानो जैसे कि पूरा नंगा ही हो रहा था।
सूरज ने आहिस्ता से अपने होंठ रश्मि के कन्धों पर रख दिए और उसके कंधे को चूम लिया।
जब रश्मि के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हुई.. तो सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने रश्मि के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया।
एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए रश्मि के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
सूरज की हवस में और उसके लौड़े की चुदास में बढोती होता जा रहा था और उसकी हिम्मत भी बढ़ती ही जा रही थी।
अब उसने आहिस्ता से रश्मि की दूसरे कन्धे से भी उसकी ड्रेस की डोरी को नीचे की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और कुछ ही समय के बाद दूसरी तरफ की डोरी भी उसके बाज़ू पर झूल रही थी।
अब रश्मि के सीने पर उस शर्ट के ऊपर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी काले रंग की ब्रेजियर की तनियाँ ही नज़र आ रही थीं।
सूरज कुछ देर तक इसी हालत में अपनी सोई हुई बहन को देखता रहा और फिर उसने अपनी उंगलियों में पकड़ कर रश्मि की नेट ड्रेस को उसकी चूचियों से नीचे को करना शुरू कर दिया।
उस ढीली सी नेट ड्रेस को जब सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता नीचे को उतारा.. तो थोड़ी सी कोशिश के बाद रश्मि की चूचियाँ उसकी काली ब्रेजियर समेत खुल सी गईं।
सूरज की तो आँखें ही खुल गईं और अपनी सग़ी बहन की चूचियों को इस तरह सिर्फ़ ब्रेजियर में देख कर उसका चेहरा भी खिल उठा।
रश्मि की गोरे-गोरे मम्मे उस काली ब्रेजियर में बहुत ही प्यारे लग रहे थे.. और उसकी आधी चूचियों उसकी ब्रा में से बाहर थीं।
उसकी चूचियों के बीच बहुत ही खूबसूरत सा क्लीवेज बन रहा था। उसकी लेटे हुए होने की वजह से उसकी चूचियों ऊपर की तरफ को जैसे उबली पड़ रही थीं और बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत मंज़र पेश कर रही थीं।
मैंने भी आज पहली बार अपनी ननद को इस हालत में देखा था तो उसके खूबसूरत जिस्म को देख कर मेरे मुँह और चूत में भी पानी आ रहा था।
सूरज ने अपना हाथ रश्मि के सीने पर दोबारा रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता से उसके सीने पर हाथ फेरने लगा।
उसके हाथ अब अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी जा रहे थे और सूरज अपनी बहन की चूचियों के नंगे हिस्सों को मस्ती से सहलाने लगा था।
कुछ पलों बाद सूरज ने अपनी एक उंगली को रश्मि की क्लीवेज में दाखिल किया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अचानक पीछे मुड़ कर मेरी तरफ दोबारा देखा और मेरे सोए होने की तसल्ली करके सूरज थोड़ा सा ऊपर को उठा और झुक कर उसने अपने होंठ अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी नंगे हिस्से पर रख दिए और अपनी बहन की चूचियों का अपनी ज़िंदगी का पहला किस ले लिया।
उन दोनों की लाइफ में इस सेक्स को लेकर जाने आगे कितने और किस.. और क्या-क्या आने वाला था।
मैं अब इस खेल को आज की रात के लिए यहीं पर रोक देना चाहती थी.. ताकि दोनों के अन्दर ही तड़फ और प्यास बाक़ी रहे और एक ही रात में सारी हदें पार ना कर लें। यही सोच कर मैं एकदम नींद की हालत का नाटक करती हुई सूरज के साथ चिपक गई और उसे मजबूर कर दिया कि वो अब कुछ और ना कर सके।
मैंने उसे इतना मौका भी नहीं दिया कि वो अपनी बहन का ड्रेस ही दुरूस्त कर सके।
उसकी बहन उसके बिल्कुल क़रीब उस अधनंगी हालत में पड़ी रही कि उसकी चूचियाँ उसकी ब्रा में उसके भाई के सामने खुली पड़ी थीं और वो बार-बार उनको देख रहा था.. लेकिन छू नहीं पा रहा था।
कुछ देर के बाद मैंने सूरज को करवट दिलाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपने मम्मों से चिपका लिया।
आख़िर कुछ देर बाद ही उसकी भी मेरे साथ ही आँख लग गई।
अगले दिन रविवार था.. तो सब ही देर तक सोते रहे। सबसे पहली मेरी आँख खुली.. कमरे में बिल्कुल हल्की हल्की दिन की रोशनी हो रही थी.. क्योंकि सारे परदे बंद थे।
मैंने अपने मोबाइल में वक्त देखा तो 9 बज रहे थे।
मैं अपनी जगह से उठी और उठ कर वॉशरूम गई और फिर सबके लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।
मैंने रसोई में चाय बनाई और फिर जब मैं चाय की तीन कप लेकर बेडरूम में वापिस आई तो अन्दर का नजारा देख कर मैं मुस्करा उठी।
बेड पर सूरज अपनी बहन से लिपट कर सो रहा था और नींद में होने की वजह से रश्मि भी उससे लिपटी हुई थी।
वो अपना बाज़ू सूरज के गले में डाल कर उससे चिपकी हुई थी। उसका बरमूडा भी उसकी जाँघों पर ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी जाँघों नंगी हो रही थीं।
वो दोबारा अपनी ड्रेस को तो अपनी ब्रा पर करके ही सोई थी.. लेकिन अब फिर उसकी ड्रेस का एक स्ट्रेप कन्धों से नीचे बाजुओं पर आया हुआ था।
सूरज की टाँगें उसकी चिकनी मुलायम नंगी जांघों पर थीं और उसका हाथ रश्मि की कमर पर था।
चाय को बगल में टेबल पर रखने के बाद मैं रश्मि की तरफ ही बैठ गई और अपना हाथ बहुत ही आहिस्ते से उसकी नंगी जांघ पर रख दिया।
ओह .. सच में रश्मि की बहुत ही चिकनी और मुलायम थी..
मेरा दिल चाह रहा था कि धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाती रहूँ..!
मैं कभी भी लेज़्बीयन नहीं रही थी.. लेकिन आज रश्मि की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो सूरज बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत में देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे रश्मि की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
रश्मि का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ रश्मि के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
रश्मि बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
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रश्मि उठ कर रसोई में चली गई, उसके जाने के बाद सूरज बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आते हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
सूरज बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और रश्मि को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
रश्मि बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
अब आगे..
मैं- अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
रश्मि- भाभीइई..
मैं हँसने लगी।
फिर मैं अपने बेडरूम में आ गई और रश्मि अपने कमरे में चली गई। मैंने जल्दी से अपनी शर्ट उतारी और फिर अपनी ब्रा भी उतारा
फिर वो झीना सा खुला हुए ड्रेस पहन लिया।
मेरी चूचियाँ बड़ी थीं.. तो उस ड्रेस में और भी खुलासा हो रही थीं.. चूचियों के बीच की दरार भी काफ़ी ज्यादा दिख रही थी।
मेरी आधी चूचियाँ तो नंगी दिख रही थी, मैंने वो पहना और बाहर आ गई..
इतने में सूरज भी पिज़्ज़ा गरम करके आ गया।
मुझे देख कर उसने लार टपकाई.. और अपनी आँख दबा दी।
फिर हम दोनों बैठ कर रश्मि का वेट करने लगे।
जब वो बाहर नहीं आई.. तो मैंने उसे आवाज़ दी- रश्मि आ भी जाओ अब.. जल्दी से.. पिज़्ज़ा फिर से ठंडा हो रहा है..
तभी रश्मि ने हौले से दरवाज़ा खोला और बाहर क़दम रखा.. तो हम दोनों की नज़रें उस पर ही थीं। उस छोटी से शॉर्ट सेक्सी ड्रेस में वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
उस का कुंवारा खूबसूरत गोरा-चिट्टा जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
देखने वाले का फ़ौरन ही उसे अपने बाँहों में लेने के लिए दिल मचल जाए..
रश्मि बेहद शर्मा रही थी.. इससे पहले कि वो चेंज करने के लिए वापिस जाती।
सूरज ने पिज़्जा का बॉक्स खोला और बोला- चलो आ जाओ जल्दी से ले लो..
रश्मि शरमाती हुई हौले-हौले क़दम उठाते हुई आई और मेरे पास सूरज के सामने ही बैठ गई।
अब हम तीनों ही पिज़्ज़ा खाने लगे।
मैं और सूरज की बहन दोनों ही सूरज के सामने इस तरह अधनंगे हालत में बैठे हुए थे और दोनों के ही खूबसूरत जिस्म.. सूरज पर बिजलियाँ सी गिरा रहे थे।
ज़ाहिर है कि सूरज की नजरें ज्यादातर अपनी बहन ही को देख रही थीं।
मैं भी इस चीज़ को नोट कर रही थी जैसे ही रश्मि सामने टेबल पर रखे हुए पिज्जा का पीस उठाने के लिए आगे को झुकती.. तो उसका ड्रेस सामने से नीचे को हो जाता और उसकी खूबसूरत चूचियों की घाटी नज़र आने लगती।
रश्मि ने अपनी ब्रेजियर नहीं उतारी थी और उस ड्रेस के नीचे उसकी हरे रंग की ब्रा की स्ट्रेप्स बिल्कुल खुली हुई दिख रही थीं।
थोड़ी देर बाद सूरज बोला- रश्मि जाकर रसोई में फ्रिज से कोक निकाल कर ले आओ।
रश्मि उठी और रसोई की तरफ बढ़ गई। उसकी पीठ पर वो ड्रेस इस क़दर नीचे तक खुला हुआ था कि उसकी ब्रा की पट्टी से भी नीचे तक वो ड्रेस खुली हुई थी।
रश्मि की ब्रेजियर की पट्टी और उसके हुक बिल्कुल साफ़ नज़र आ रहे थे।
यूँ समझो कि रश्मि की पीठ पर से उसकी पूरी की पूरी ब्रेजियर बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी। हरे ब्रेजियर की अलावा रश्मि की पूरी की पूरी गोरी-गोरी चिकनी कमर भी बिल्कुल नंगी नज़र आ रही थी। उसकी गोरे-गोरे सफ़ेद कन्धे बिल्कुल ओपन थे.. उस ड्रेस से नीचे उसकी टाइट जीन्स थी.. जिसमें उसकी गोल-गोल चूतड़ बहुत ही अधिक फँस कर बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहे थे।
सूरज बोला- इसकी पिछली तरफ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही लो नहीं है क्या?
मैं- हाँ है तो सही.. लेकिन यह असल में बिना ब्रेजियर की पहनने वाली ड्रेस है ना.. जो कि तुम्हारी बहन ने गलती से ब्रा के साथ पहन ली है।
इतने में रश्मि कोक ले आई, दूर से चल कर आते हुए भी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
रश्मि वापिस आकर दोबारा अपनी जगह पर बैठ गई। पिज़्ज़ा खाते हुए मैंने उससे कहा- रश्मि.. तुमने यह ड्रेस की नीचे ब्रा क्यों पहनी है.. इसे तो ब्रा के वगैर पहनना होता है.. देखो सारी ब्रा साफ़ नज़र आ रही है।
मेरी बात सुन कर रश्मि घबरा गई।
सूरज बोला- अरे यार क्यों तंग कर रही हो इसे.. पहली बार तो पहना है उसने यह ड्रेस.. आहिस्ता-आहिस्ता पता चल जाएगा इसे भी.. कि कौन सा कपड़ा कैसे पहना जाता है।
रश्मि चुप कर गई.. खाने के बाद हम दोनों ने बर्तन रखे और फिर मैं रश्मि को पकड़ कर अपने कमरे में ले आई।
उसने बहुत कहा कि वो ड्रेस चेंज करके आएगी.. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और बोली- जब है ही यह नाईट ड्रेस.. तो रात को ही पहनोगी ना..
मैं उसे उसके कमरे में ले गई और उसे पैन्ट चेंज करके उसे दिया हुआ सूरज का बरमूडा पहनने को कहा। कल रात की बात से मुझे यक़ीन था कि वो ज़रूर पहन कर आएगी.. क्योंकि उसे भी अपने भाई के छूने से आख़िर मज़ा जो आ रहा था।
मैंने अपने कमरे में आकर सूरज के सामने ही खड़े होकर अपनी पैन्ट उतारी और फिर एक बरमूडा पहन लिया। अब मेरा ऊपरी और नीचे का जिस्म दोनों ही बहुत ज्यादा नंगा नज़र आ रहा था।
मैं खामोशी से जाकर सूरज के पास बैठ गई और उससे बातें करने लगी।
सूरज बोला- डार्लिंग आज तुम इस ड्रेस में बहुत ही हॉट लग रही हो।
मैं मुस्कराई और बोली- हॉट तो तुम्हारी बहन भी लग रही है.. लेकिन कहीं उसे ना कह देना ऐसा.. शरमिंदा हो जाएगी। पहले ही बड़ी मुश्किल से मैंने उसे गाँव के माहौल से आज़ाद किया है।
सूरज भी हँसने लगा.. इतने में शरमाती हुई रश्मि कमरे में आ गई.. जहाँ उसका अपना सगा भाई उसकी इंतज़ार में था।
रश्मि कमरे में दाखिल हुई तो अभी मैंने लाइट बंद नहीं की थी.. ट्यूब लाइट की सफ़ेद रोशनी में रश्मि का खूबसूरत चिकना जिस्म चमक रहा था, उसके गोरे-गोरे कंधे और छाती के ऊपर खुले मम्मे बहुत प्यारे लग रहे थे। नीचे उसके गोरे-गोरे बालों से बिल्कुल साफ चिकनी टाँगें.. घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थीं।
अपने भाई के बरमूडा में हलचल हुआ जैसे ही वो अन्दर दाखिल हुई.. क्यूँ की सूरज की नजरें उसी के जिस्म पर थीं।
आज मेरे ज़हन में एक और ख्याल आया था। आज मैंने सूरज से कहा- वो बिस्तर पर हम दोनों के बीच में लेटेगा और हम दोनों तुम्हारे बगल में लेटेंगी।
सूरज और रश्मि दोनों ही मेरी इस बात को सुन कर हैरान हुए लेकिन सूरज तो फ़ौरन ही बिस्तर पर बीच में होकर लेट गया। मैं उसकी एक तरफ लेट गई और फिर ज़ाहिर है कि रश्मि को सूरज के दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटना पड़ा।
कुछ मिनटों तक सीधे लेटने के बाद मैंने करवट ली और सूरज के ऊपर अपना बाज़ू डाल कर उसे खुद से चिपकाती हुए लेट गई।
मैंने अपनी एक टाँग भी सूरज के ऊपर उसकी टाँगों पर रख दी। रश्मि भी सीधे ही लेटी हुई थी.. और यह सब देख रही थी।
मैं आहिस्ता-आहिस्ता सूरज के गालों पर रश्मि की तरफ से हाथ फेर रही थी और कभी उसकी नंगे कन्धों पर हाथ फेरने लगती।
मैं रश्मि को भी और सूरज को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं सूरज को गरम कर रही थी।
मैं अपनी जाँघों के नीचे सूरज के लंड को आहिस्ता आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ सूरज की छाती पर ले आई और आहिस्ता आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी।
मेरा हाथ सरकता हुआ सूरज की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो सूरज मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग रश्मि है.. इधर देख लेगी वो..
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आपने अभी तक पढ़ा..
अचानक सूरज ने अपने हाथ को पूरा रश्मि की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया।
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो रश्मि के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर रश्मि तुरंत ही शांत भी हो गई।
मैं दिल ही दिल में रश्मि के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
अब आगे..
अब शायद कुछ ज्यादा हो गया था.. जो कि रश्मि बर्दाश्त ना कर सकी या फिर सूरज के लंड ने रश्मि की गाण्ड के दरम्यान घुसने की कोशिश की..
जिसकी वजह से एकदम रश्मि सीधी हो गई और सूरज ने भी खुद को सम्भालते हुए अपना हाथ फ़ौरन ही पीछे खींच लिया।
अब रश्मि अपनी पीठ के बल बिल्कुल सीधी होकर लेट गई.. पर सूरज उसी की तरफ मुँह करके लेटा हुआ था।
एक बार उसने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर कुछ क्षण इन्तजार करने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के क़रीब जाने लगा।
रश्मि की नेट ड्रेस की तनियाँ अभी भी उसके कन्धों से नीचे ही थीं और उसका सीना मानो जैसे कि पूरा नंगा ही हो रहा था।
सूरज ने आहिस्ता से अपने होंठ रश्मि के कन्धों पर रख दिए और उसके कंधे को चूम लिया।
जब रश्मि के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हुई.. तो सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने रश्मि के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया।
एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए रश्मि के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
सूरज की हवस में और उसके लौड़े की चुदास में बढोती होता जा रहा था और उसकी हिम्मत भी बढ़ती ही जा रही थी।
अब उसने आहिस्ता से रश्मि की दूसरे कन्धे से भी उसकी ड्रेस की डोरी को नीचे की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और कुछ ही समय के बाद दूसरी तरफ की डोरी भी उसके बाज़ू पर झूल रही थी।
अब रश्मि के सीने पर उस शर्ट के ऊपर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी काले रंग की ब्रेजियर की तनियाँ ही नज़र आ रही थीं।
सूरज कुछ देर तक इसी हालत में अपनी सोई हुई बहन को देखता रहा और फिर उसने अपनी उंगलियों में पकड़ कर रश्मि की नेट ड्रेस को उसकी चूचियों से नीचे को करना शुरू कर दिया।
उस ढीली सी नेट ड्रेस को जब सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता नीचे को उतारा.. तो थोड़ी सी कोशिश के बाद रश्मि की चूचियाँ उसकी काली ब्रेजियर समेत खुल सी गईं।
सूरज की तो आँखें ही खुल गईं और अपनी सग़ी बहन की चूचियों को इस तरह सिर्फ़ ब्रेजियर में देख कर उसका चेहरा भी खिल उठा।
रश्मि की गोरे-गोरे मम्मे उस काली ब्रेजियर में बहुत ही प्यारे लग रहे थे.. और उसकी आधी चूचियों उसकी ब्रा में से बाहर थीं।
उसकी चूचियों के बीच बहुत ही खूबसूरत सा क्लीवेज बन रहा था। उसकी लेटे हुए होने की वजह से उसकी चूचियों ऊपर की तरफ को जैसे उबली पड़ रही थीं और बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत मंज़र पेश कर रही थीं।
मैंने भी आज पहली बार अपनी ननद को इस हालत में देखा था तो उसके खूबसूरत जिस्म को देख कर मेरे मुँह और चूत में भी पानी आ रहा था।
सूरज ने अपना हाथ रश्मि के सीने पर दोबारा रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता से उसके सीने पर हाथ फेरने लगा।
उसके हाथ अब अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी जा रहे थे और सूरज अपनी बहन की चूचियों के नंगे हिस्सों को मस्ती से सहलाने लगा था।
कुछ पलों बाद सूरज ने अपनी एक उंगली को रश्मि की क्लीवेज में दाखिल किया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अचानक पीछे मुड़ कर मेरी तरफ दोबारा देखा और मेरे सोए होने की तसल्ली करके सूरज थोड़ा सा ऊपर को उठा और झुक कर उसने अपने होंठ अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी नंगे हिस्से पर रख दिए और अपनी बहन की चूचियों का अपनी ज़िंदगी का पहला किस ले लिया।
उन दोनों की लाइफ में इस सेक्स को लेकर जाने आगे कितने और किस.. और क्या-क्या आने वाला था।
मैं अब इस खेल को आज की रात के लिए यहीं पर रोक देना चाहती थी.. ताकि दोनों के अन्दर ही तड़फ और प्यास बाक़ी रहे और एक ही रात में सारी हदें पार ना कर लें। यही सोच कर मैं एकदम नींद की हालत का नाटक करती हुई सूरज के साथ चिपक गई और उसे मजबूर कर दिया कि वो अब कुछ और ना कर सके।
मैंने उसे इतना मौका भी नहीं दिया कि वो अपनी बहन का ड्रेस ही दुरूस्त कर सके।
उसकी बहन उसके बिल्कुल क़रीब उस अधनंगी हालत में पड़ी रही कि उसकी चूचियाँ उसकी ब्रा में उसके भाई के सामने खुली पड़ी थीं और वो बार-बार उनको देख रहा था.. लेकिन छू नहीं पा रहा था।
कुछ देर के बाद मैंने सूरज को करवट दिलाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपने मम्मों से चिपका लिया।
आख़िर कुछ देर बाद ही उसकी भी मेरे साथ ही आँख लग गई।
अगले दिन रविवार था.. तो सब ही देर तक सोते रहे। सबसे पहली मेरी आँख खुली.. कमरे में बिल्कुल हल्की हल्की दिन की रोशनी हो रही थी.. क्योंकि सारे परदे बंद थे।
मैंने अपने मोबाइल में वक्त देखा तो 9 बज रहे थे।
मैं अपनी जगह से उठी और उठ कर वॉशरूम गई और फिर सबके लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।
मैंने रसोई में चाय बनाई और फिर जब मैं चाय की तीन कप लेकर बेडरूम में वापिस आई तो अन्दर का नजारा देख कर मैं मुस्करा उठी।
बेड पर सूरज अपनी बहन से लिपट कर सो रहा था और नींद में होने की वजह से रश्मि भी उससे लिपटी हुई थी।
वो अपना बाज़ू सूरज के गले में डाल कर उससे चिपकी हुई थी। उसका बरमूडा भी उसकी जाँघों पर ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी जाँघों नंगी हो रही थीं।
वो दोबारा अपनी ड्रेस को तो अपनी ब्रा पर करके ही सोई थी.. लेकिन अब फिर उसकी ड्रेस का एक स्ट्रेप कन्धों से नीचे बाजुओं पर आया हुआ था।
सूरज की टाँगें उसकी चिकनी मुलायम नंगी जांघों पर थीं और उसका हाथ रश्मि की कमर पर था।
चाय को बगल में टेबल पर रखने के बाद मैं रश्मि की तरफ ही बैठ गई और अपना हाथ बहुत ही आहिस्ते से उसकी नंगी जांघ पर रख दिया।
ओह .. सच में रश्मि की बहुत ही चिकनी और मुलायम थी..
मेरा दिल चाह रहा था कि धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाती रहूँ..!
मैं कभी भी लेज़्बीयन नहीं रही थी.. लेकिन आज रश्मि की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो सूरज बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत में देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे रश्मि की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
रश्मि का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ रश्मि के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
रश्मि बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।