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एक भाई की वासना
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Mast update bro.. Maza aagaya
new update postedwah wah odin chacha bhai jabardast garma garm update lagatarr parosha hai .
itne sav karne kai baadh suraj
Super updateअपडेट 26
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं कभी भी लेज़्बियन नहीं रही थी.. लेकिन आज रश्मि की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो सूरज बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत मैं देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे रश्मि की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
रश्मि का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ रश्मि के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
रश्मि बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
अब आगे..
रश्मि के कन्धों को चूमते और उसे सहलाते हुए मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी नेट ड्रेस के अन्दर घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरा हाथ रश्मि की खुबसूरत टाइट चूचियों के बीच क्लीवेज पर पहुँच गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की चूचियों पर अपनी हाथों की उंगलियों को फेरना शुरू कर दिया। मुझ पर रश्मि की चूचियों को छूने के बाद बहुत ही ज्यादा मस्ती सी छाने लगी थी।
उसकी ठोस चूचियाँ और क्लीवेज में हाथ फेरते हुए मैं हौले-हौले उसके नंगे गोरे चिकने कन्धों को चूम रही थी।
अपने भाई की बाँहों में ज़कड़ी हुई और उससे चिपकी हुई.. वो बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
मेरे ज़हन में ख्याल आया कि जब इसकी चूत में इसके भाई का लंड जाएगा तो उस वक्त ये मासूम परी कैसी लगेगी.. और कितना मज़ा आएगा वो मंज़र देखने में.. यह सोचते ही मेरे चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट दौड़ गई।
कुछ देर बाद कमरे की बत्ती जलाकर उन दोनों को जगाने लगी। दोनों को आवाज़ दी.. तो कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने एक साथ ही आँख खोली और जैसे ही दोनों की नज़र एक-दूसरे पर पड़ी।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैं दोनों की हालत देख कर हँसने लगी।
सूरज थोड़ा शर्मिंदा होता हुआ बोला- तुम किस वक़्त उठ कर चली गई थीं?
मैं मुस्कराई कि अभी गई थी और शायद आप समझे कि मैं अभी आपके पास ही यहीं लेटी हुई हूँ।
मेरी बात सुन कर रश्मि ने शर्म से सिर झुका लिया और अपने कन्धों पर अपनी नेट ड्रेस की डोरी ठीक करती हुए उसने चाय का कप उठा लिया।
उसके कंधों पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स अभी भी बिल्कुल खुली ही दिख रही थीं।
सूरज उठ कर वॉशरूम में चला गया। मैंने आहिस्ता से रश्मि के गोरे-गोरे नंगी बाजुओं पर चुटकी काटी और बोली- आज तो तू अपने भैया के साथ बड़ी चिपक कर सो रही थी?
रश्मि शर्मा कर- भाभी बस पता ही नहीं चला और भैया को भी तो चाहिए था ना कि वो दूर हो कर सोते..
मैं- वो तो शायद समझे होंगे कि मैं ही उनके साथ चिपकी हुई हूँ.. अब नींद में उसे क्या पता कि यह खूबसूरत जिस्म उसकी अपनी बहना का है।
रश्मि शर्मा गई।
मैं- वैसे यार क़सूर उसका भी नहीं है..
रश्मि चुस्की लेते हुए बोली- वो कैसे भाभी??
मैं- देखो ना.. तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की किसी की बाँहों में हो तो किसे होश रहेगा डार्लिंग..
यह कहते हुए मैंने उसकी कन्धों पर एक चुम्मी कर दी।
रश्मि- भाभी.. आप भी ना बस..
रश्मि शर्मा गई.. इतने में सूरज भी वॉशरूम से बाहर आ गया।
हम तीनों ही चाय पीने लगे। मैं और रश्मि उस नेट शर्ट और बरमूडा में बैठे हुए थे.. दोनों की ही टाँगें घुटनों के ऊपर तक खुली हुई नंगी हो रही थीं।
ऊपर से हम दोनों का सीना भी खुला हुआ था.. मेरा क्लीवेज तो काफ़ी ज्यादा ही नज़र आ रहा था। जब कि रश्मि की चूचियों का ऊपरी हिस्सा भी काफ़ी सेक्सी लग रहा था।
चाय के दौरान ही सूरज बोला- यार नाश्ते में क्या बनाया है?
मैंने कहा- साहब जी आज हमने कुछ नहीं बनाना.. आप ही जाओ और बाज़ार से कोई अच्छा सा नाश्ता लेकर आओ।
सूरज बोला- ठीक है.. मैं फ्रेश होकर जाता हूँ।
चाय पीने के बाद सूरज वॉशरूम गया और अपनी कपड़े बदल कर मार्केट चला गया।
रश्मि बोली- भाभी मैं भी यह ड्रेस चेंज करके आती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली- नहीं आज हम दोनों ने ही ड्रेस चेंज नहीं करना.. आज रविवार है ना.. तो घर में यही ड्रेस चलेगा। तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. फिर मैं तुम्हारा थोड़ा सा मेकअप करती हूँ। तुम्हारे भैया कह रहे थे कि तुम्हें भी मेकअप वगैरह करा दिया करूँ.. ऐसी ही फिरती रहती है।
मैंने हँसते हुए उससे झूठ बोला।
मेरी बात सुन कर रश्मि थोड़ा शर्मा गई और बोली- लेकिन घर में मेकअप की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- अरे यार.. घर में भी करना चाहिए.. इसमें क्या हर्ज है.. अब जल्दी से मुँह-हाथ धोकर आओ.. तुम्हारे भैया चाहते हैं कि तुम घर में उनको खूबसूरत नज़र आओ।
रश्मि- तो क्या ऐसे में मैं खूबसूरत नहीं दिखती हूँ भाभी?
मैं- खूबसूरत तो हो.. लेकिन मेकअप करके तुम्हारी में सेक्सी लुक आ जाता है ना रश्मि..
मैंने रश्मि को एक आँख मारते हुए कहा.. तो वो मुस्कराती हुई उठ कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर के बाद रश्मि बाथरूम से तौलिया से अपना चेहरा पोंछती हुई बाहर आई.. मैंने उसे पकड़ कर अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा लिया।
मैं बोली- बैठो यहाँ.. मैं तुम्हारा मेकअप करती हूँ।
मैं रश्मि के पीछे खड़ी हुई और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी। फिर अपना हाथ उसकी नंगे कन्धों पर रख कर उनको सहलाते हुए नीचे को झुकी और उसकी कन्धों को चूमती हुई बोली- कितनी खूबसूरत है मेरी ननद.. भगवान तुम्हें हर बुरी नज़र से बचाए.. लेकिन मुझे लगता है कि तुझे अपने भाई की ही नज़र लग जानी है।
रश्मि मेरी बात पर हँसने लगी। मैंने आहिस्ता से अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा.. तो वो उछल ही पड़ी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसल दिया और बोली- हाय.. क्या सॉलिड चूचियों हैं तेरी.. मेरी जान..
रश्मि बोली- भाभी क्या करती हो आप.. तुम्हारी भी तो हैं ना.. बल्कि मेरी से भी बड़ी-बड़ी हैं।
मेरी नज़र रश्मि की पीठ पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और हुक्स पर पड़ी।
मैं- रश्मि यह तुमने क्यों नीचे पहनी हुई है.. यह तो बिल्कुल ही खुली नज़र आ रही है.. और भी ज्यादा सेक्सी लगती है.. उतारो इसे.. पूरी की पूरी ब्रेजियर खुलम्म-खुल्ला अपने भैया को दिखाती फिर रही हो.. क्या छुपा हुआ है इसमें?
यह कह कर मैंने रश्मि की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई विरोध करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं।
एकदम से रश्मि की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
रश्मि ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभि..भाभी.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
Superb updateअपडेट 26
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मैं कभी भी लेज़्बियन नहीं रही थी.. लेकिन आज रश्मि की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
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मेरा हाथ धीरे-धीरे रश्मि की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
रश्मि का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ रश्मि के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
रश्मि बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
अब आगे..
रश्मि के कन्धों को चूमते और उसे सहलाते हुए मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी नेट ड्रेस के अन्दर घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरा हाथ रश्मि की खुबसूरत टाइट चूचियों के बीच क्लीवेज पर पहुँच गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की चूचियों पर अपनी हाथों की उंगलियों को फेरना शुरू कर दिया। मुझ पर रश्मि की चूचियों को छूने के बाद बहुत ही ज्यादा मस्ती सी छाने लगी थी।
उसकी ठोस चूचियाँ और क्लीवेज में हाथ फेरते हुए मैं हौले-हौले उसके नंगे गोरे चिकने कन्धों को चूम रही थी।
अपने भाई की बाँहों में ज़कड़ी हुई और उससे चिपकी हुई.. वो बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
मेरे ज़हन में ख्याल आया कि जब इसकी चूत में इसके भाई का लंड जाएगा तो उस वक्त ये मासूम परी कैसी लगेगी.. और कितना मज़ा आएगा वो मंज़र देखने में.. यह सोचते ही मेरे चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट दौड़ गई।
कुछ देर बाद कमरे की बत्ती जलाकर उन दोनों को जगाने लगी। दोनों को आवाज़ दी.. तो कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने एक साथ ही आँख खोली और जैसे ही दोनों की नज़र एक-दूसरे पर पड़ी।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैं दोनों की हालत देख कर हँसने लगी।
सूरज थोड़ा शर्मिंदा होता हुआ बोला- तुम किस वक़्त उठ कर चली गई थीं?
मैं मुस्कराई कि अभी गई थी और शायद आप समझे कि मैं अभी आपके पास ही यहीं लेटी हुई हूँ।
मेरी बात सुन कर रश्मि ने शर्म से सिर झुका लिया और अपने कन्धों पर अपनी नेट ड्रेस की डोरी ठीक करती हुए उसने चाय का कप उठा लिया।
उसके कंधों पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स अभी भी बिल्कुल खुली ही दिख रही थीं।
सूरज उठ कर वॉशरूम में चला गया। मैंने आहिस्ता से रश्मि के गोरे-गोरे नंगी बाजुओं पर चुटकी काटी और बोली- आज तो तू अपने भैया के साथ बड़ी चिपक कर सो रही थी?
रश्मि शर्मा कर- भाभी बस पता ही नहीं चला और भैया को भी तो चाहिए था ना कि वो दूर हो कर सोते..
मैं- वो तो शायद समझे होंगे कि मैं ही उनके साथ चिपकी हुई हूँ.. अब नींद में उसे क्या पता कि यह खूबसूरत जिस्म उसकी अपनी बहना का है।
रश्मि शर्मा गई।
मैं- वैसे यार क़सूर उसका भी नहीं है..
रश्मि चुस्की लेते हुए बोली- वो कैसे भाभी??
मैं- देखो ना.. तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की किसी की बाँहों में हो तो किसे होश रहेगा डार्लिंग..
यह कहते हुए मैंने उसकी कन्धों पर एक चुम्मी कर दी।
रश्मि- भाभी.. आप भी ना बस..
रश्मि शर्मा गई.. इतने में सूरज भी वॉशरूम से बाहर आ गया।
हम तीनों ही चाय पीने लगे। मैं और रश्मि उस नेट शर्ट और बरमूडा में बैठे हुए थे.. दोनों की ही टाँगें घुटनों के ऊपर तक खुली हुई नंगी हो रही थीं।
ऊपर से हम दोनों का सीना भी खुला हुआ था.. मेरा क्लीवेज तो काफ़ी ज्यादा ही नज़र आ रहा था। जब कि रश्मि की चूचियों का ऊपरी हिस्सा भी काफ़ी सेक्सी लग रहा था।
चाय के दौरान ही सूरज बोला- यार नाश्ते में क्या बनाया है?
मैंने कहा- साहब जी आज हमने कुछ नहीं बनाना.. आप ही जाओ और बाज़ार से कोई अच्छा सा नाश्ता लेकर आओ।
सूरज बोला- ठीक है.. मैं फ्रेश होकर जाता हूँ।
चाय पीने के बाद सूरज वॉशरूम गया और अपनी कपड़े बदल कर मार्केट चला गया।
रश्मि बोली- भाभी मैं भी यह ड्रेस चेंज करके आती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली- नहीं आज हम दोनों ने ही ड्रेस चेंज नहीं करना.. आज रविवार है ना.. तो घर में यही ड्रेस चलेगा। तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. फिर मैं तुम्हारा थोड़ा सा मेकअप करती हूँ। तुम्हारे भैया कह रहे थे कि तुम्हें भी मेकअप वगैरह करा दिया करूँ.. ऐसी ही फिरती रहती है।
मैंने हँसते हुए उससे झूठ बोला।
मेरी बात सुन कर रश्मि थोड़ा शर्मा गई और बोली- लेकिन घर में मेकअप की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- अरे यार.. घर में भी करना चाहिए.. इसमें क्या हर्ज है.. अब जल्दी से मुँह-हाथ धोकर आओ.. तुम्हारे भैया चाहते हैं कि तुम घर में उनको खूबसूरत नज़र आओ।
रश्मि- तो क्या ऐसे में मैं खूबसूरत नहीं दिखती हूँ भाभी?
मैं- खूबसूरत तो हो.. लेकिन मेकअप करके तुम्हारी में सेक्सी लुक आ जाता है ना रश्मि..
मैंने रश्मि को एक आँख मारते हुए कहा.. तो वो मुस्कराती हुई उठ कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर के बाद रश्मि बाथरूम से तौलिया से अपना चेहरा पोंछती हुई बाहर आई.. मैंने उसे पकड़ कर अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा लिया।
मैं बोली- बैठो यहाँ.. मैं तुम्हारा मेकअप करती हूँ।
मैं रश्मि के पीछे खड़ी हुई और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी। फिर अपना हाथ उसकी नंगे कन्धों पर रख कर उनको सहलाते हुए नीचे को झुकी और उसकी कन्धों को चूमती हुई बोली- कितनी खूबसूरत है मेरी ननद.. भगवान तुम्हें हर बुरी नज़र से बचाए.. लेकिन मुझे लगता है कि तुझे अपने भाई की ही नज़र लग जानी है।
रश्मि मेरी बात पर हँसने लगी। मैंने आहिस्ता से अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा.. तो वो उछल ही पड़ी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसल दिया और बोली- हाय.. क्या सॉलिड चूचियों हैं तेरी.. मेरी जान..
रश्मि बोली- भाभी क्या करती हो आप.. तुम्हारी भी तो हैं ना.. बल्कि मेरी से भी बड़ी-बड़ी हैं।
मेरी नज़र रश्मि की पीठ पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और हुक्स पर पड़ी।
मैं- रश्मि यह तुमने क्यों नीचे पहनी हुई है.. यह तो बिल्कुल ही खुली नज़र आ रही है.. और भी ज्यादा सेक्सी लगती है.. उतारो इसे.. पूरी की पूरी ब्रेजियर खुलम्म-खुल्ला अपने भैया को दिखाती फिर रही हो.. क्या छुपा हुआ है इसमें?
यह कह कर मैंने रश्मि की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई विरोध करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं।
एकदम से रश्मि की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
रश्मि ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभि..भाभी.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
भाई के साथ खुद भी हाथ साफ करने में लगी है ये भाभी आगे देखिए ये क्या करती हैसुपर अपडेट है । ये भाभी तो अपनी ननद रश्मि को उस के भाई सूरज के नीचे लिटा कर ही चैन लरगी
Sexyअपडेट 19
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- रश्मि जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..
रश्मि शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी..
रश्मि मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर सूरज सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजना भरी बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
अब आगे..
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो रश्मि की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे रश्मि की दूसरी तरफ सूरज हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैंने देखा की रश्मि ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ।
अपनी तसल्ली करके रश्मि ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी।
मैं समझ गई कि रश्मि भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से रश्मि भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ।
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे सूरज के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। सूरज का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का रश्मि के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से रश्मि की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। सूरज का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए रश्मि की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो रश्मि की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो।
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर रश्मि के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को रश्मि की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
रश्मि ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था।
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए सूरज के हाथ आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए।
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
सूरज का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता रश्मि के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ रश्मि की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया।
रश्मि के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से रश्मि की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। सूरज ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
सूरज की एक टाँग अभी तक रश्मि की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे पति ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ रश्मि की चूचियों पर ले गया।
अभी शायद वो रश्मि की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ रश्मि की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
सूरज के हाथ रश्मि की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र रश्मि के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है।
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन सूरज समझ रहा था कि मैं और रश्मि दोनों सो रहे हैं।
रश्मि मेरे सोए हुए होने की प्रार्थना कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ रश्मि की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही सूरज ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो रश्मि के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
रश्मि की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। सूरज ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया।
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
रश्मि की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ सूरज ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ रश्मि के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही सूरज के हाथ ने रश्मि की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी सूरज को रश्मि की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।