- 1,415
- 3,453
- 143
एक भाई की वासना
INDEX
Last edited:
Thanks for the compliment bhai and stay tuned for more updatesSuperb update
Thanks for the compliment bhai and stay tuned for more updatesGjb ki story hai apki ekdm kamuk story. Maza a gya pdhkar update thoda jaldi jaldi dene ki kosis kriye plz
Super update broअपडेट 30
आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा.. तो मुझे उसकी आँखें सुर्ख होती हुई नज़र आईं। मैंने नीचे को झुक कर हिम्मत करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और एक बोसा ले लिया।
रश्मि मुस्कराई और बोली- भाभी क्या है.. आपको लगता है कि आपको भी इनकी तरह ही मज़ा करने का शौक चढ़ रहा है?
मैं आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की नंगी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उसके गालों को चूमते हुए बोली- हाँ.. तो क्या हर्ज है इसमें.. यह सब तो लड़कियां करती ही हैं ना?
अब आगे..
रश्मि- जी भाभी.. मुझे पता है कि यह सब कुछ होता है.. मेरी एक फ्रेंड है जो कि हॉस्टल में रहती है.. तो वो बताती है कि वहाँ गर्ल्स हॉस्टल में यह वाला प्यार बहुत कॉमन है।
रश्मि के सिर के बालों में हाथ फेरते हुए मैंने झुक कर रश्मि के होंठों को चूमा और उसकी निचले होंठ को अपने दाँतों की गिरफ्त में लेते हुए आहिस्ता आहिस्ता काटने लगी.. तो ‘इसस्स.. स्स्स्स्स.. स्स्स्स्स…’ की आवाज़ के साथ ही रश्मि की आँखें भी बंद हो गईं।
एक हाथ से रश्मि के सिर को कंट्रोल करते हुए उसके होंठों को चूसते हुए.. मैंने अपना हाथ रश्मि की शर्ट के नीचे डाला और उसकी नंगे गोरे पेट को सहलाते हुए अपना हाथ ऊपर को उसकी नंगी चूचियों की तरफ ले जाने लगी।
रश्मि की साँसें तेज हो रही थीं और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियों भी ऊपर-नीचे हो रही थीं।
जैसे ही मेरे हाथों ने सीधे रश्मि की नंगी चूचियों को अपनी गिरफ्त में लिया.. तो रश्मि का सीना एकदम से ऊपर को उठ गया, मैं फ़ौरन ही समझ गई कि रश्मि भी मस्ती में आ रही है, मैंने बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता उसके एक निप्पल को अपनी उंगली और अँगूठे के बीच लेकर दबाना और सहलाना शुरू कर दिया।
रश्मि के मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
बारी-बारी से मैं उसके दोनों छोटे-छोटे अंगूरों जैसे निप्पलों को सहला रही थी और साथ-साथ रश्मि के होंठों को भी चूम रही थी।
रश्मि की आँखें बिल्कुल बंद थीं.. बस उसके मुँह से गहरी-गहरी साँसें फूट रही थीं।
मैं उसकी चूचियों से उसकी शर्ट के नीचे से खोलती हुई उसकी गुलाबी और पतले-पतले रसीले होंठों पर अपनी ज़ुबान फेर रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने अपनी ज़ुबान को उसके होंठों के दरम्यान में धकेल दिया। अब मेरी ज़ुबान उसके होंठों को अन्दर से चाटने लगी और उसकी दाँतों से टकरा रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के दाँतों ने एक-दूसरे से अलग होते हुए मेरी ज़ुबान को अन्दर आने की इजाज़त दी और अगले ही पल मेरी ज़ुबान रश्मि की ज़ुबान से टकराने लगी.. साथ ही रश्मि ने अपने होंठों को बंद किया और मेरी ज़ुबान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
मैंने अपना हाथ रश्मि की उस छोटी सी शर्ट से बाहर निकाला और फिर उसकी शर्ट के ऊपर से उसकी चूचियों पर रख दिया।
अब मैंने उसकी शर्ट के खुले गले के किनारे को पकड़ा और आहिस्ता-आहिस्ता उसको नीचे को खींचते हुए मैंने उसकी चूचियों को नंगा कर लिया।
एक लम्हे के लिए रश्मि ने अपनी आँखें खोलीं.. लेकिन जैसे ही मैंने उसकी नंगी खुल्ला चूचियों को अपनी मुट्ठी में पकड़ा.. तो एक बार फिर से उसकी आँखें बंद हो गईं।
रश्मि की खूबसूरत गोरी-गोरी चूचियाँ और उनकी ऊपर सजे हुए गुलाबी-गुलाबी छोटे-छोटे अंगूरी निप्पल मेरी नज़रों के सामने बिल्कुल नंगे हो चुके थे।
उसकी दाईं तरफ की चूची पर दरम्यान में एक छोटा सा काला तिल था.. जो कि उसकी गोरी स्किन पर बहुत ही प्यारा लग रहा था।
कुछ समय उसके होंठों को दोबारा चूमने के बाद मैंने अपने होंठों को नीचे लाते हुए उसकी सीने को चूमा और फिर अपने होंठों को उसकी गुलाबी निप्पलों के पास ले आई.. और आहिस्ता आहिस्ता अपने होंठों से गर्म-गर्म साँसें निकाल कर उनको गर्म करने लगी।
जैसे ही मैंने अपने होंठों के हल्के से टच से उसके निप्पलों को छुआ और रगड़ा.. तो रश्मि की जिस्म में तनाव सा पैदा हो गया और उसके जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली।
धीरे-धीरे मैंने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला और उसकी एक निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहलाने लगी। जैसे-जैसे मेरी ज़ुबान उसके नर्म निप्पल को सहला रही थी.. तो रश्मि के जिस्म में बेचैनी सी बढ़ती ही जा रही थी।
ज़ाहिर है कि एक कुँवारी लड़की जिसके लिए यह सब कुछ पहली बार हो रहा हो.. उसका खुद पर कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल होता है।
यही हाल रश्मि का हो रहा था, अपने जिस्म के साथ हो रही इस नई छेड़-छाड़ को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और उसके हाथ भी मेरी नंगी कमर को सहलाने लगे थे।
मैंने आहिस्ता से उसके एक निप्पल को अपने होंठों में ले लिया और उसे हौले-हौले चूसने लगी। मैं चूसते हुए उसके निप्पलों को अपनी ज़ुबान से सहला भी रही थी।
मेरा हाथ उसकी जाँघों और नंगी कमर और जिस्म पर रेंग रहे थे.. मुझे लग रहा था कि कुछ ही देर में ही बिना चुदे ही रश्मि अपनी ज़िंदगी में पहली बार रस छोड़ने के मुकाम तक पहुँच जाने वाली है।
मैं भी यही चाह रही थी कि अभी उसकी चूत को ना टच करूँ.. और ऐसे ही उसकी चूत का पहला पानी निकाल दूँ।
मेरे हाथ उसकी नंगी जाँघों पर उसके बरमूडा के अन्दर तक उसकी चूत के इर्द-गिर्द रेंग रहे थे.. लेकिन उसकी चूत को टच नहीं कर रहे थे।
रश्मि से जब बर्दाश्त ना हो पाया तो उसने अपना हाथ अपनी बरमूडा के ऊपर से अपनी चूत पर रखा और उसे दबाने लगी.. साथ ही मैंने भी उसके निप्पलों पर अपने होंठों का दबाव बढ़ा दिया। बल्कि अब मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से हौले-हौले काटने भी लगी थी।
तेज-तेज साँसों के साथ रश्मि के मुँह से तेज-तेज सिसकारियाँ भी निकल रही थीं.. जो कि पूरे कमरे ही क्या.. पूरे घर में गूँज रही थीं।
कुछ क्षण के बाद ही रश्मि के जिस्म ने जैसे ज़ोरदार झटका सा खाया। उसके चेहरे के हाव-भाव भी चेंज हो गए और पूरे का पूरा जिस्म उसका अकड़ गया।
मैं समझ गई कि रश्मि की चूत पहली-पहली बार पानी छोड़ रही है। मैंने उसके जिस्म को अपने जिस्म के साथ भींच लिया और थोड़ी ही देर में ही उसका जिस्म मेरी बाँहों की गिरफ्त में बिल्कुल ढीला हो गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसे चूमते हुए उसे रिलेक्स करना शुरू कर दिया। मैंने अपनी नज़र उसकी चूत पर डाली.. तो उसका बरमूडा उसकी चूत के ऊपर से गीला हो रहा था।
मैंने उसकी बरमूडा को छुआ और फिर उसकी साइड से हाथ अन्दर ले जाकर उसकी चूत को छुआ.. तो रश्मि की कुँवारी चूत का कुँवारा पहला-पहला पानी मेरे हाथ पर लग गया।
मैंने अपने हाथ को बाहर निकाला और उसकी चूत की पानी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघा।
कभी ऐसा किसी के साथ ना करने के बावजूद भी मेरा दिल चाहा कि मैं उसे टेस्ट करके देखूँ.. जब मैं खुद को रोक ना पाई तो मैंने धीरे से अपनी गीली उंगलियों को चाट लिया।
रश्मि ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अपनी उंगलयों को चाटते हुए देख कर बोली- भाभी.. क्या कर रही हैं यह?
मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ।
मेरी बात सुन कर रश्मि के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई ।
मैंने भी आहिस्ता आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और रश्मि को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी।
Bahut hot update tha Odin bhia...bhabhi ne chakh hi liya nannd ko ....ab dekhte hai suraj kaise chakta hai.....bahut badhiya update tha yr...dekhte hai aage kya hota hai...
new update posted plz read and tell how is it...Super update bro
Super update broअपडेट 31
आपने अभी तक पढ़ा..
जब मैं खुद को रोक ना पाई तो मैंने धीरे से अपनी गीली उंगलियों को चाट लिया।
रश्मि ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अपनी उंगलयों को चाटते हुए देख कर बोली- भाभी.. क्या कर रही हैं यह?
मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ।
मेरी बात सुन कर रश्मि के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई । मैंने भी आहिस्ता-आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और रश्मि को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी।
अब आगे..
कुछ देर के लिए मैं और रश्मि इसी तरह से निढाल हालत में लेटे रहे। मेरी चूत की प्यास अभी तक नहीं बुझ पाई थी.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल कर लिया हुआ था और एक ही वक़्त में मैं रश्मि को बिल्कुल ओपन नहीं कर लेना चाहती थी.. शायद वो भी एक ही बार में सारे हदें को क्रॉस ना कर पाती इसलिए मैं बड़े ही आराम से अपनी बाँहों में लिए हुए उसके जिस्म को सहलाती रही। वो भी आँखें बंद करके मेरी बाँहों में पड़ी रही।
उसने अपना टॉप भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही मैंने उसे उसकी चूचियों से नीचे किया।
इस तरह से पड़े हुए उसकी नंगी चूचियों का नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके जिस्म को सहलाते रहने और ज़िंदगी के पहले ओर्गैज्म की वजह से उसे थोड़ी ही देर में नींद आ गई.. लेकिन मैं सो ही नहीं पाई।
शाम की क़रीब 7 बजे जब मैं और रश्मि बैठे टीवी देख रहे थे.. तो अचानक से बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। मैं और रश्मि दोनों ही पिछले आँगन में भागीं कि बारिश देखते हैं।
देखते ही देखते बारिश तेज होने लगी। मैंने कहा- रश्मि आओ बारिश में नहाते हैं।
रश्मि बोली- लेकिन भाभी यह नई ड्रेस खराब हो जाएगी.. जो हमने कल ही ली है।
मैंने कहा- हाँ.. कह तो तुम ठीक रही हो..
मैंने उसे आँख मारी और बोली- क्यों ना इसे उतार कर नहाते हैं।
रश्मि प्यार से मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुई बोली- क्या.. भाभी आप पता नहीं कैसी-कैसी बातें करती रहती हो और पता नहीं आपको क्या होता जा रहा है.. अभी कुछ देर पहले भी आपने…!
मैं- लेकिन मेरी जान.. तुमको भी तो मज़ा आया था ना?
रश्मि शर्मा गई।
मैंने कहा- अच्छा चलो अन्दर आओ.. मेरे साथ कुछ सोचते हैं।
अपने कमरे में लाकर मैंने अल्मारी खोली और मेरी नज़र सूरज की स्लीबलैस सफ़ेद बनियान पर पड़ी..। मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने फ़ौरन से दो बनियाने निकालीं और एक रश्मि की तरफ बढ़ाते हुए बोली- लो एक तुम पहन लो.. और एक मैं पहन लेती हूँ।
रश्मि हैरत से उस बनियान को देखते हुए बोली- भाभी यह कैसे पहनी जा सकती है.. यह तो काफ़ी खुली है और इसका तो गला भी काफ़ी खुला है..
मैंने उससे कहा- अब बातें ना कर और जल्दी से इसको चेंज करो।
मैंने उसकी टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाया.. तो खामोशी से रश्मि ने अपने बाज़ू ऊपर कर दिए। मैंने उसके टॉप को उतार कर बिस्तर पर फैंका और अब रश्मि मेरी नज़रों के सामने अपनी ऊपरी बदन से बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
मैंने जैसे ही उसकी चूचियों को नंगी देखा तो एक बार फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूचियों को सहलाने लगी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनको सहलाते हुए अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ाए.. तो थोड़ा सा हिचकिचाते हुए रश्मि ने अपनी होंठ आगे कर दिए और मैंने उसकी होंठों को चूम लिया।
फिर रश्मि ने मेरे हाथ से अपने भैया वाली बनियान छीनी और बोली- मैं खुद ही पहन लेती हूँ।
मैंने हँसते हुए उसे छोड़ दिया और रश्मि अपनी बनियान पहनने लगी।
मैंने भी अपनी वो नेट शर्ट उतारी और रश्मि के सामने मैं भी मम्मों की तरफ से नंगी हो गई।
रश्मि ने पहली बार मेरी चूचियों को खुला देखा.. तो मुझसे दूर ना रह सकी।
रश्मि- वॉव.. भाभिईईई.. आपकी चूचियाँ.. ईस्स्स्स.. कितनी सेक्सीईई.. हैं..।
मैं धीरे से मुस्कराई और उसे अपने सिर और आँख के इशारे से अपनी चूचियों की तरफ आने को कहा।
रश्मि जल्दी से मेरे पास आई और आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
उसकी उंगलियों ने मेरे निप्पलों को छुआ तो मेरे निप्पलों में भी अकड़न आने लगी।
फिर खुद को रश्मि से अलग करके मैंने अपने नंगी जिस्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ वो खुली बनियान पहन ली और नीचे तो पेन्टी ही था।
मैंने खुद को आइने में देखा तो सच में मेरा गला काफ़ी खुला हुआ था और मेरी चूचियों भी गहराई तक नज़र आ रही थीं.. बनियान भी कुछ पतली कॉटन की थी.. जिसकी वजह से मेरे निप्पलों की जगह पर डार्क-डार्क हिस्सा दिख रहा था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे निप्पल इस जगह पर हैं।
रश्मि का भी यही हाल था.. हम दोनों ने जो सूरज की बनियाने पहन रखीं थीं.. वो लंबाई में हमारी हाफ जाँघों तक पहुँच रही थीं।
मैंने जब रश्मि को देखा तो मुझे एक और ख्याल आया। मैंने उसके सामने खड़े होकर अपने पैन्टी को नीचे को खींच दिया।
रश्मि का मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने अपनी एक दूसरी पैन्टी उठाई और उस बनियान की नीचे वो पहन ली।
रश्मि- भाभी यह क्या कर रही हो आप..? क्या आप बारिश में नहाने ऐसे ही जाओगी..?
मैं- जी हाँ.. और सिर्फ़ मैं ही नहीं.. तुम भी..
यह कहते हुए मैंने रश्मि का बरमूडा भी खींच कर नीचे कर दिया और उससे बोली- चलो तुम भी इसके नीचे से अपनी पैन्टी पहन लो।
रश्मि ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन भाभी ऐसे कैसे?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और उसे कोई बात करने का मौका दिए बिना ही खींच कर बाहर लाई और फिर उसके कपड़ों में से एक पैन्टी उसे पहनने को दी और उसे चूत का ढक्कन पहना कर उसे आँगन में ले आई।
यहाँ पर अँधेरा भी हो रहा था और बारिश भी पहली से तेज हो चुकी हुई थी। हम दोनों जैसे ही बारिश में पहुँचे.. तो चंद मिनटों में ही हमारे जिस्म बिल्कुल गीले हो गए और हमारी बनियाने भीग कर हमारे जिस्मों के साथ चिपक गईं।
अब ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दोनों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ वो बनियाने ही पहन रखी हैं और कुछ भी नहीं पहना हुआ है।
अब हम दोनों शरारतें कर रहे थे और एक-दूसरे को छेड़ रही थीं।
मैंने शरारत से रश्मि के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं..
रश्मि ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं।
मैं- सस्स्स.. ऊऊऊऊऊ.. ईईईई.. अरे ज़ालिम दबानी ही हैं चूचियाँ.. तो थोड़ा प्यार से दबा ना.. अपने भैया की तरह..
रश्मि हंस पड़ी और बोली- भाभी आपको भैया की बड़ी याद आ रही है..
मैं- हाँ यार.. वो भी साथ में नहाते तो और भी मज़ा आ जाता।
रश्मि बोली- लेकिन भाभी फिर तो मैं नहीं नहा सकती ना.. आप लोगों के साथ..
मैं- क्यों.. तुझे क्या है?
रश्मि- भाभी मेरा तो पूरा ही जिस्म नंगा हो रहा है.. मैं कैसे भैया के सामने??
मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए रश्मि के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया।
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. रश्मि फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और एक हात से मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर और दूसरे हाथ से चुत को इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभी.. किसी ने देख लिया तो??
Thanks for the compliment bhai and stay tuned for more updatesSuper update bro