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एक भाई की वासना
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Thanks for the compliment bhai and stay tuned for more updatesमस्त अपडेट है । एकदम गरमा गरम
Bdiya update brother.....barish ka pura maza le rhi hai dono....lgta hai suraj jaldi ghr nhi aane wala..अपडेट 31
आपने अभी तक पढ़ा..
जब मैं खुद को रोक ना पाई तो मैंने धीरे से अपनी गीली उंगलियों को चाट लिया।
रश्मि ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अपनी उंगलयों को चाटते हुए देख कर बोली- भाभी.. क्या कर रही हैं यह?
मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ।
मेरी बात सुन कर रश्मि के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई । मैंने भी आहिस्ता-आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और रश्मि को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी।
अब आगे..
कुछ देर के लिए मैं और रश्मि इसी तरह से निढाल हालत में लेटे रहे। मेरी चूत की प्यास अभी तक नहीं बुझ पाई थी.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल कर लिया हुआ था और एक ही वक़्त में मैं रश्मि को बिल्कुल ओपन नहीं कर लेना चाहती थी.. शायद वो भी एक ही बार में सारे हदें को क्रॉस ना कर पाती इसलिए मैं बड़े ही आराम से अपनी बाँहों में लिए हुए उसके जिस्म को सहलाती रही। वो भी आँखें बंद करके मेरी बाँहों में पड़ी रही।
उसने अपना टॉप भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही मैंने उसे उसकी चूचियों से नीचे किया।
इस तरह से पड़े हुए उसकी नंगी चूचियों का नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके जिस्म को सहलाते रहने और ज़िंदगी के पहले ओर्गैज्म की वजह से उसे थोड़ी ही देर में नींद आ गई.. लेकिन मैं सो ही नहीं पाई।
शाम की क़रीब 7 बजे जब मैं और रश्मि बैठे टीवी देख रहे थे.. तो अचानक से बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। मैं और रश्मि दोनों ही पिछले आँगन में भागीं कि बारिश देखते हैं।
देखते ही देखते बारिश तेज होने लगी। मैंने कहा- रश्मि आओ बारिश में नहाते हैं।
रश्मि बोली- लेकिन भाभी यह नई ड्रेस खराब हो जाएगी.. जो हमने कल ही ली है।
मैंने कहा- हाँ.. कह तो तुम ठीक रही हो..
मैंने उसे आँख मारी और बोली- क्यों ना इसे उतार कर नहाते हैं।
रश्मि प्यार से मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुई बोली- क्या.. भाभी आप पता नहीं कैसी-कैसी बातें करती रहती हो और पता नहीं आपको क्या होता जा रहा है.. अभी कुछ देर पहले भी आपने…!
मैं- लेकिन मेरी जान.. तुमको भी तो मज़ा आया था ना?
रश्मि शर्मा गई।
मैंने कहा- अच्छा चलो अन्दर आओ.. मेरे साथ कुछ सोचते हैं।
अपने कमरे में लाकर मैंने अल्मारी खोली और मेरी नज़र सूरज की स्लीबलैस सफ़ेद बनियान पर पड़ी..। मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने फ़ौरन से दो बनियाने निकालीं और एक रश्मि की तरफ बढ़ाते हुए बोली- लो एक तुम पहन लो.. और एक मैं पहन लेती हूँ।
रश्मि हैरत से उस बनियान को देखते हुए बोली- भाभी यह कैसे पहनी जा सकती है.. यह तो काफ़ी खुली है और इसका तो गला भी काफ़ी खुला है..
मैंने उससे कहा- अब बातें ना कर और जल्दी से इसको चेंज करो।
मैंने उसकी टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाया.. तो खामोशी से रश्मि ने अपने बाज़ू ऊपर कर दिए। मैंने उसके टॉप को उतार कर बिस्तर पर फैंका और अब रश्मि मेरी नज़रों के सामने अपनी ऊपरी बदन से बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
मैंने जैसे ही उसकी चूचियों को नंगी देखा तो एक बार फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूचियों को सहलाने लगी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनको सहलाते हुए अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ाए.. तो थोड़ा सा हिचकिचाते हुए रश्मि ने अपनी होंठ आगे कर दिए और मैंने उसकी होंठों को चूम लिया।
फिर रश्मि ने मेरे हाथ से अपने भैया वाली बनियान छीनी और बोली- मैं खुद ही पहन लेती हूँ।
मैंने हँसते हुए उसे छोड़ दिया और रश्मि अपनी बनियान पहनने लगी।
मैंने भी अपनी वो नेट शर्ट उतारी और रश्मि के सामने मैं भी मम्मों की तरफ से नंगी हो गई।
रश्मि ने पहली बार मेरी चूचियों को खुला देखा.. तो मुझसे दूर ना रह सकी।
रश्मि- वॉव.. भाभिईईई.. आपकी चूचियाँ.. ईस्स्स्स.. कितनी सेक्सीईई.. हैं..।
मैं धीरे से मुस्कराई और उसे अपने सिर और आँख के इशारे से अपनी चूचियों की तरफ आने को कहा।
रश्मि जल्दी से मेरे पास आई और आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
उसकी उंगलियों ने मेरे निप्पलों को छुआ तो मेरे निप्पलों में भी अकड़न आने लगी।
फिर खुद को रश्मि से अलग करके मैंने अपने नंगी जिस्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ वो खुली बनियान पहन ली और नीचे तो पेन्टी ही था।
मैंने खुद को आइने में देखा तो सच में मेरा गला काफ़ी खुला हुआ था और मेरी चूचियों भी गहराई तक नज़र आ रही थीं.. बनियान भी कुछ पतली कॉटन की थी.. जिसकी वजह से मेरे निप्पलों की जगह पर डार्क-डार्क हिस्सा दिख रहा था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे निप्पल इस जगह पर हैं।
रश्मि का भी यही हाल था.. हम दोनों ने जो सूरज की बनियाने पहन रखीं थीं.. वो लंबाई में हमारी हाफ जाँघों तक पहुँच रही थीं।
मैंने जब रश्मि को देखा तो मुझे एक और ख्याल आया। मैंने उसके सामने खड़े होकर अपने पैन्टी को नीचे को खींच दिया।
रश्मि का मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने अपनी एक दूसरी पैन्टी उठाई और उस बनियान की नीचे वो पहन ली।
रश्मि- भाभी यह क्या कर रही हो आप..? क्या आप बारिश में नहाने ऐसे ही जाओगी..?
मैं- जी हाँ.. और सिर्फ़ मैं ही नहीं.. तुम भी..
यह कहते हुए मैंने रश्मि का बरमूडा भी खींच कर नीचे कर दिया और उससे बोली- चलो तुम भी इसके नीचे से अपनी पैन्टी पहन लो।
रश्मि ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन भाभी ऐसे कैसे?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और उसे कोई बात करने का मौका दिए बिना ही खींच कर बाहर लाई और फिर उसके कपड़ों में से एक पैन्टी उसे पहनने को दी और उसे चूत का ढक्कन पहना कर उसे आँगन में ले आई।
यहाँ पर अँधेरा भी हो रहा था और बारिश भी पहली से तेज हो चुकी हुई थी। हम दोनों जैसे ही बारिश में पहुँचे.. तो चंद मिनटों में ही हमारे जिस्म बिल्कुल गीले हो गए और हमारी बनियाने भीग कर हमारे जिस्मों के साथ चिपक गईं।
अब ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दोनों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ वो बनियाने ही पहन रखी हैं और कुछ भी नहीं पहना हुआ है।
अब हम दोनों शरारतें कर रहे थे और एक-दूसरे को छेड़ रही थीं।
मैंने शरारत से रश्मि के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं..
रश्मि ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं।
मैं- सस्स्स.. ऊऊऊऊऊ.. ईईईई.. अरे ज़ालिम दबानी ही हैं चूचियाँ.. तो थोड़ा प्यार से दबा ना.. अपने भैया की तरह..
रश्मि हंस पड़ी और बोली- भाभी आपको भैया की बड़ी याद आ रही है..
मैं- हाँ यार.. वो भी साथ में नहाते तो और भी मज़ा आ जाता।
रश्मि बोली- लेकिन भाभी फिर तो मैं नहीं नहा सकती ना.. आप लोगों के साथ..
मैं- क्यों.. तुझे क्या है?
रश्मि- भाभी मेरा तो पूरा ही जिस्म नंगा हो रहा है.. मैं कैसे भैया के सामने??
मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए रश्मि के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया।
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. रश्मि फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और एक हात से मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर और दूसरे हाथ से चुत को इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभी.. किसी ने देख लिया तो??
another bdiya update Odin bhai...suraj ki chandi krwa di uski biwi ne....baarish wala scene sach me hot tha bhai....ab dekhte hai is chutiya wale game me suraj kaise mazeeta hai....अपडेट 32
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए रश्मि के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया।
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. रश्मि फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभीजान.. किसी ने देख लिया तो??
अब आगे..
मैंने उसे खींच कर अपनी बाँहों में भरा और बोली- अरे इतने अँधेरे में कौन देखेगा हमें.. लेट्स एंजाय यार..
यह कहते हुए मैंने उसकी बनियान को भी नीचे को खींचा और उसकी चूचियों भी नंगी कर लीं।
अब जैसे ही मैंने उसके साथ अपने आप को चिपकाया.. तो रश्मि की चूचियों ने मेरी चूचियों के साथ रगड़ना शुरू कर दिया।
अब हम दोनों खूबसूरत लड़कियों के जिस्म के ऊपरी हिस्से बिल्कुल नंगे हो रहे थे। रश्मि को भी जब मज़ा आने लगा.. तो उसने भी अपनी बाज़ू मेरी कमर के गिर्द कस ली और मुझे अपने सीने से दबा लिया।
धीरे-धीरे मैं उसकी नंगी कमर पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठों को चूम रही थी।
इस बार रश्मि ने पहल की और अपनी ज़ुबान मेरे होंठों के दरम्यान घुसेड़ दी और मुझे अपनी ज़ुबान चूसने का मौका दिया।
मैं भी अपनी कुँवारी ननद की ज़ुबान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
उसकी ज़ुबान को चूसते और उसे किस करते हुए.. मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर से हटा कर दोनों के जिस्मों के बीच में लाई और उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया।
फ़ौरन ही मेरे हाथ को रश्मि की चूत के ऊपर के जिस्म के बाल महसूस हुए थे, ये बहुत ही हल्के-हल्के रेशमी से बाल थे, मैं वहाँ से उसे सहलाते हुई आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी चूत पर ले आई।
मेरी हाथों की उंगलियाँ मेरी ननद की कुँवारी अनछुई चूत को टकराईं.. तो मुझे बेहद मजा आ गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत के लबों और चूत की दाने को सहलाना शुरू कर दिया।
रश्मि की चूत के दाने को सहलाते हुए मैं अपनी उंगली की नोक को उसकी चूत के सुराख पर रगड़ रही थी और कभी-कभी उंगली की नोक को थोड़ा सा उसकी चूत के अन्दर भी दाखिल कर देती थी।
‘ईसस्स.. स्स्स्मम्म्ह.. भाभिईईई… ईईईईई.. ईईईई.. उफफ.. उफफ्फ़..’ रश्मि की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैं उसकी चूत के सुराख के अन्दर अपनी उंगली की नोक को आगे-पीछे करते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊऊफ.. उफफ्फ़.. डार्लिंग.. असल मज़ा तो तुम्हें उस वक़्त आएगा.. जब तेरी चूत में लंड जाएगा..
रश्मि- ऊऊऊ.. ऊऊऊहह… ऊऊ.. भाभिईईई.. ऐसी बातें ना करें.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
मैं- क्यों.. तेरी चूत में कुछ होने लगता है क्या..?
मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी उंगली की हरकत की वजह से रश्मि की चूत गीली होती जा रही थी और मुझे भी उसकी चूत को सहलाने और उसे किस करने और उसकी ज़ुबान को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था।
अभी हम यह बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घंटी बजी।
मैंने रश्मि की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही बोली- ना ना भाभी.. मैं नहीं जाऊँगी दरवाज़ा खोलने.. खुद ही जाओ और मैं अपने कमरे में जा रही हूँ।
मैं हँसी और बोली- अच्छा बाबा मैं ही खोल आती हूँ..
मैं सहन(मकान के बीच का खुला छोड़ा हुआ भाग) से अन्दर गई और अन्दर जाकर सहन के दरवाजे को अन्दर से बंद कर दिया.. ताकि रश्मि अन्दर आ कर अपने कमरे में ना जा सके।
फिर मैं मुस्कराते हुए गेट खोलने चली गई।
दरवाज़ा खोला तो सूरज था.. जो कि बिल्कुल भीग कर आया हुआ था.. बाइक अन्दर खड़ी करके.. मुझे इस हालत में देखा.. तो फ़ौरन से मुझे अपनी बाँहों में दबोच लिया और मुझे चूमना शुरू कर दिया।
वो मेरी चूचियों को दबाने और मसलने लगा..
मैंने भी कोई विरोध नहीं की और उसके लण्ड पर हाथ रख कर उसे दबाने लगी।
मैंने सूरज की शर्ट पकड़ कर ऊपर उठाई और उसकी गले से निकाल दी। फिर उसकी पैन्ट की बेल्ट खोली और उसकी पैन्ट भी उतार दी।
अब सूरज एक लूज से कॉटन शॉर्ट्स में था.. जो उसने नीचे पहना हुआ था।
मैंने सूरज के शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.. जो कि पूरा अकड़ चुका हुआ था।
मैंने नीचे बैठ कर सूरज के शॉर्ट्स को नीचे खींचा और उसका लंड उछाल कर बाहर निकल आया।
वो फ़ौरन ही मुझे पीछे करते हुए बोला- अरे क्या कर रही हो.. रश्मि आ जाएगी।
मैंने उसके लण्ड के अगली हिस्से को चूमा और बोली- वो इधर नहीं आ सकती।
यह कहते हुए मैंने सूरज के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया।
मैं सूरज को उसकी बहन के पास ले जाने से पहले अच्छी तरह से गरम कर देना चाहती थी।
कुछ देर तक सूरज के लंड को चूसने के बाद मैंने कहा- आओ सूरज बाहर सहन में चलकर बारिश में नहाते हैं।
सूरज अपने लंड को वापिस अपने शॉर्ट्स में अन्दर करते हुए मेरे साथ चल पड़ा और बोला- रश्मि कहाँ है?
मैंने कहा- वो भी बाहर सहन में ही है।
सूरज एक लम्हे के लिए झिझका और फिर मेरे साथ चल पड़ा। मैंने सहन के दरवाजे की कुण्डी खोली और फिर हम दोनों पीछे सहन में आ गए।
रश्मि ने हमें देखा.. तो अपनी बाज़ू अपने सीने की उभारों पर लपेट लिए।
बाहर बहुत ही कम रोशनी थी.. सूरज भी हमारी साथ ही नहाने लगा। लेकिन अभी तक कोई भी कुछ भी शरारत नहीं कर रहा था।
सूरज का पूरा जिस्म बिल्कुल ही नंगा था और नीचे जो कॉटन शॉर्ट्स पहने हुए था.. उसमें से उसके लण्ड का शेप भी साफ़ दिख रहा था।
रश्मि का जिस्म भी सूरज की सफ़ेद पतली कॉटन बनियान में से बिल्कुल साफ़ दिख रहा था।
जैसे ही वो दूसरी तरफ मुँह करती और उसकी कमर नज़र आती.. तो उसकी कमर बिल्कुल ही नंगी लगती थी। नीचे उसकी जाँघें भी और मेरी जाँघें भी पूरी नंगी हो रही थीं। लेकिन सामने से वो अपनी चूचियों को नहीं देखा रही थी।
लेकिन ज़ाहिर है कि मैं ऐसा नहीं कर रही थी और अपना पूरा जोबन उन दोनों बहन-भाई के सामने गीली बनियान में एक्सपोज़ कर रही थी.. जिसकी वजह से भी सूरज को मस्ती आती जा रही थी।
अचानक से ही बारिश की तेज होने की वजह से इलाके की लाइट चली गई.. और बिल्कुल ही घुप्प अँधेरा हो गया।
बस हल्की सी रोशनी हो रही थी।
सूरज की नजरें अपनी बहन की नंगे हो रहे जिस्म पर से नहीं हट पा रही थीं।
अपनी सग़ी बहन की चूचियाँ.. उसके निप्पलों को.. उसका दूधिया क्लीवेज और उसकी नंगी जाँघों का हसीन नजारा उसके सामने था।
सब कुछ जानते हुए भी वो खुद की नज़रों को रोक नहीं पा रहा था। दूसरी तरफ मैं देख रही थी कि रश्मि की नजरें भी बार-बार सूरज के जिस्म के निचले हिस्से की तरफ उसके शॉर्ट्स पर जा रही थीं। जिसमें उसे अपने भाई का अकड़ा हुआ लंड बिल्कुल साफ़-साफ़ दिख रहा था।
दोनों बहन-भाई के जिस्मों में एक-दूसरे के लिए बढ़ती हुई प्यास को मैं बहुत गौर से देख रही थी। इस सबसे मुझे एक अजीब सी खुशी और उत्तेजना मिल रही थी।
कुछ देर ऐसे ही एंजाय करने के बाद मैंने कहा- सूरज .. आओ कुछ गेम खेलते हैं।
रश्मि बोली- कौन सा गेम भाभी?
मैंने कहा- सूरज की आँखों पर पट्टी बाँधते हैं.. और वो फिर हम दोनों को पकड़ेगा और फिर पहचानने की भी कोशिश करेगा कि दोनों में से जिसे पकड़ा है.. वो कौन है और हम लोग बिना कुछ बोले उससे खुद को छुडाने को कोशिश करेंगे.. अगर ना छुड़ा सके या कोई बोल पड़ा.. तो फिर पकड़ने की उसकी बारी होगी।
ज़ाहिर है कि यह एक बिल्कुल ही चुतियापे सा गेम था.. क्योंकि चाहे आँखें बंद हों.. फिर भी सूरज आसानी के साथ हम दोनों के जिस्मों में फरक़ कर सकता था। लेकिन सूरज फ़ौरन से मान गया.. क्योंकि उसे भी शायद इसमें मिलने वाले मजे का अंदाज़ा हो गया था।