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एक भाई की वासना
INDEX
Last edited:
Thanks for the compliment bhaiShirshak to bhai ki vasna hai bhabhi sabse maharathi hai.
SuperUpdate- 39
आपने अभी तक पढ़ा..
उसकी चूत के दोनों फलकों के निचले हिस्से में जहाँ पर चूत की लकीर खत्म होती है.. वहाँ पर पानी का एक क़तरा चमक रहा था।
रश्मि की कुँवारी चूत से निकल रही चूत का रस का क़तरा.. जो कि अपनी गाढ़ेपन की वजह से उस जगह पर जमा हुआ था और आगे नहीं बह रहा था।
रश्मि की कुँवारी चूत के क़तरे की चमक से मेरी आँखें भी चमक उठीं और मैं वो करने पर मजबूर हो गई.. जो कि मैंने आज तक कभी नहीं किया था.. सिर्फ़ मूवी में देखा भर था।
अब आगे..
मैंने रश्मि की दोनों जाँघों को खोल कर बीच में जगह बनाई और वहाँ पर बैठ कर नीचे को झुकी.. और अपनी ज़ुबान की नोक को निकाल कर रश्मि की चूत की लकीर के बिल्कुल निचले हिस्से में चमक रही उसकी चूत के रस के क़तरे को अपनी ज़ुबान पर ले लिया।
मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत की चूत के पानी को टेस्ट कर रही थी। रश्मि की चूत के पानी के इस रस में हल्का मीठा मीठा सा.. अजीब सा स्वाद था।
जैसे ही मेरी ज़ुबान ने रश्मि की चूत को छुआ.. तो रश्मि का जिस्म काँप उठा। उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैंने दोबारा से झुक कर रश्मि की चूत के बाहर के मोटे होंठों पर अपनी गुलाबी होंठ रखे और उसे एक चुम्मा दिया।
रश्मि के जिस्म को जैसे झटके से लग रहे थे।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने रश्मि की चूत के ऊपर चुम्बन करने शुरू कर दिए।
फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे को अपनी ज़ुबान को उसकी चूत की लकीर पर फेरने लगी।
अब रश्मि की चूत ने और भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अपनी दोनों हाथों की एक-एक उंगली रश्मि की चूत के बाहर के फलकों पर रख कर आहिस्ता से उसकी चूत को खोला.. तो आगे उसकी चूत की गुलाबी फलकों की अंदरूनी रंगत नज़र आने लगी।
बिल्कुल पतले-पतले और छोटे फलकें थीं.. जो कि साफ़ दिखा रही थीं कि यह चूत अभी तक बिल्कुल कुँवारी है और इसके अन्दर अभी तक किसी भी लंड को जाना नसीब नहीं हुआ है।
मैं दिल ही दिल में मुस्कराई कि खुशक़िस्मत है सूरज.. जो उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत को खोलने का मौक़ा मिलेगा।
फिर मैंने नीचे झुक कर रश्मि की चूत के एक गुलाबी फोल्ड को अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया और उसे आहिस्ता से चूसने लगी।
दोनों गुलाबी फलकों के बिल्कुल ऊपर.. जहाँ पर वो मिल रहे थे.. एक छोटा सा.. बिल्कुल छोटा सा.. रश्मि की चूत का दाना नज़र आ रहा था।
मैंने जैसे ही उसे देखा तो अपनी उंगली से उसे मसलने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता उस पर अपनी उँगलियाँ फेरने के साथ ही रश्मि की चूत से जैसे पानी निकलने की रफ़्तार और भी बढ़ गई।
धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया और फिर जैसे ही अपने दोनों होंठों को उसके ऊपर रख कर जोर से चूसा.. तो रश्मि तो तड़फ ही उठी।
‘भाभीईई… ईईईईई.. ओाआहह.. आआहह.. आहह.. क्य्आआ कर दियाआ.. ऊऊहह..’
मैं मुस्करा दी और फिर अपनी ज़ुबान को नीचे को लाते हुए रश्मि की कुँवारी चूत के बिल्कुल तंग और टाइट सुराख के अन्दर डालने लगी।
बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान रश्मि की चूत के अन्दर दाखिल हो रही थी। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान को रश्मि की चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।
रश्मि से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.. उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए अपनी चूत को ऊपर उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश करते हुए एकदम से झड़ने लगी।
रश्मि का निचला जिस्म बुरी तरह से झटके खा रहा था और पानी उसकी चूत से निकल रहा था।
मेरी ज़ुबान रश्मि की चूत के अन्दर अब भी थी.. और मुझे उसकी टाइट चूत की नसें सुकड़ती और फैलती हुई बिल्कुल महसूस हो रही थीं।
रश्मि की जाँघों को सहलाते हुए मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे रिलेक्स करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और साँस तेज चल रही थीं और उसी के साथ रश्मि मेरी बूब्स भी चूस रही थी
गोरे-गोरे चूचे.. बड़ी तेज़ी के साथ ऊपर-नीचे को हो रहे थे। मैंने उसके साथ लेटते हुए उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।
साथ ही रश्मि ने भी अपना मुँह मेरे सीने में छुपाते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं।
अब मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत कर रही थी।
पहली बार इतना ज्यादा मज़ा लेने के बाद रश्मि एकदम से नींद की आगोश में चली गई। मैंने उस ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ की माथे को एक बार चूमा और उठ कर रसोई में आ गई।
दोपहर को रश्मि ने नहा कर एक टी-शर्ट और लाल रंग की टाइट लैगी पहन ली थी.. जिसमें उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहा था।
जब सूरज घर आया.. गेट मैंने ही खोला। सूरज ने अन्दर आकर जब कपड़े आदि बदल लिए.. तो मैं रसोई में आ गई ताकि खाना गरम करके निकाल सकूँ।
जैसे ही सूरज ने मुझे रसोई में जाते देखा.. तो वो टीवी लाउंज से उठ कर रश्मि के कमरे की तरफ चला गया।
मुझे पता था कि वो यही करेगा।
रसोई से निकल कर मैंने छुप कर रश्मि के कमरे में झाँका.. तो देखा कि रश्मि कमरे में सूरज के आगे-आगे भाग रही है और सूरज उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है।
कमरा कौन सा बहुत बड़ा था.. जो वो उसके हाथ ना आती… जल्द ही सूरज ने उसको हाथ से पकड़ा और खींच कर अपने सीने से लगा लिया।
रश्मि मचलते हुई बोली- छोड़ दो ना भैया.. मुझे वरना मैं जोर से चीखूँगी और फिर भाभी आ जाएंगी।
सूरज- क्या है यार.. तू दो मिनट के लिए चुप नहीं रह सकती.. मैं तुझे खा तो नहीं जाऊँगा ना..
रश्मि हँसते हुए बोली- आप कोशिश तो खाने की ही कर रहे हो ना..!
सूरज अपने होंठों को रश्मि के गालों की तरफ ले जाते हुए उसको सहलाने लगा।
सूरज ने अपनी बहन रश्मि को अपनी बाँहों में समेटा हुआ था और अब अपने होंठों को उसके होंठों पर रखने में कामयाब हो चुका था।
जैसे-जैसे सूरज रश्मि के होंठों को किस कर रहा था..
वैसे-वैसे ही रश्मि की दिखावटी विरोध भी ख़त्म होती जा रही थी। वो भी आहिस्ता आहिस्ता खुद के जिस्म को ढीला छोड़ते हुए खुद को अपने भाई के हवाले कर चुकी थी।
सूरज अब आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के होंठों को चूम रहा था और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।
रश्मि की बाज़ू भी अपने भाई की कमर की गिर्द लिपट चुकी थी और वो भी आहिस्ता-आहिस्ता उसके जिस्म को सहला रही थी।
मैंने देखा कि सूरज ने अपनी ज़ुबान को रश्मि के मुँह के अन्दर दाखिल करने की कोशिश करते हुए उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू कर दिया था।
रश्मि सूरज के हाथ पर अपना हाथ रखते हुई बोली- भैया.. भाभी आ जाएंगी.. कुछ भी ना करो न.. प्लीज़।
सूरज- नहीं.. वो नहीं आएगी..
रश्मि- भाभी हैं कहाँ पर?
सूरज- वो रसोई में है.. तुम उसकी फिकर मत करो.. बस मैं जल्दी से चला जाऊँगा..
यह कहते हुए सूरज ने रश्मि की टी-शर्ट को ऊपर किया
और नीचे उसकी गुलाबी रंग की ब्रेजियर में छुपी हुई चूचियाँ उसके भाई की नज़रों के सामने आ गईं।
सूरज ने अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।
ऊपर वो अपनी ज़ुबान को रश्मि के मुँह में डाल चुका था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसे चूस रही थी।
सूरज का एक हाथ रश्मि की लेग्गी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहला रहा था।
एक भाई के हाथ अपनी ही सग़ी बहन की गाण्ड पर रेंगते हुए देख कर मेरी तो अपनी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अब सूरज ने रश्मि का हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर रखने लगा।
Bdiya update brotherUpdate- 39
आपने अभी तक पढ़ा..
उसकी चूत के दोनों फलकों के निचले हिस्से में जहाँ पर चूत की लकीर खत्म होती है.. वहाँ पर पानी का एक क़तरा चमक रहा था।
रश्मि की कुँवारी चूत से निकल रही चूत का रस का क़तरा.. जो कि अपनी गाढ़ेपन की वजह से उस जगह पर जमा हुआ था और आगे नहीं बह रहा था।
रश्मि की कुँवारी चूत के क़तरे की चमक से मेरी आँखें भी चमक उठीं और मैं वो करने पर मजबूर हो गई.. जो कि मैंने आज तक कभी नहीं किया था.. सिर्फ़ मूवी में देखा भर था।
अब आगे..
मैंने रश्मि की दोनों जाँघों को खोल कर बीच में जगह बनाई और वहाँ पर बैठ कर नीचे को झुकी.. और अपनी ज़ुबान की नोक को निकाल कर रश्मि की चूत की लकीर के बिल्कुल निचले हिस्से में चमक रही उसकी चूत के रस के क़तरे को अपनी ज़ुबान पर ले लिया।
मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत की चूत के पानी को टेस्ट कर रही थी। रश्मि की चूत के पानी के इस रस में हल्का मीठा मीठा सा.. अजीब सा स्वाद था।
जैसे ही मेरी ज़ुबान ने रश्मि की चूत को छुआ.. तो रश्मि का जिस्म काँप उठा। उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैंने दोबारा से झुक कर रश्मि की चूत के बाहर के मोटे होंठों पर अपनी गुलाबी होंठ रखे और उसे एक चुम्मा दिया।
रश्मि के जिस्म को जैसे झटके से लग रहे थे।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने रश्मि की चूत के ऊपर चुम्बन करने शुरू कर दिए।
फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे को अपनी ज़ुबान को उसकी चूत की लकीर पर फेरने लगी।
अब रश्मि की चूत ने और भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अपनी दोनों हाथों की एक-एक उंगली रश्मि की चूत के बाहर के फलकों पर रख कर आहिस्ता से उसकी चूत को खोला.. तो आगे उसकी चूत की गुलाबी फलकों की अंदरूनी रंगत नज़र आने लगी।
बिल्कुल पतले-पतले और छोटे फलकें थीं.. जो कि साफ़ दिखा रही थीं कि यह चूत अभी तक बिल्कुल कुँवारी है और इसके अन्दर अभी तक किसी भी लंड को जाना नसीब नहीं हुआ है।
मैं दिल ही दिल में मुस्कराई कि खुशक़िस्मत है सूरज.. जो उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत को खोलने का मौक़ा मिलेगा।
फिर मैंने नीचे झुक कर रश्मि की चूत के एक गुलाबी फोल्ड को अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया और उसे आहिस्ता से चूसने लगी।
दोनों गुलाबी फलकों के बिल्कुल ऊपर.. जहाँ पर वो मिल रहे थे.. एक छोटा सा.. बिल्कुल छोटा सा.. रश्मि की चूत का दाना नज़र आ रहा था।
मैंने जैसे ही उसे देखा तो अपनी उंगली से उसे मसलने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता उस पर अपनी उँगलियाँ फेरने के साथ ही रश्मि की चूत से जैसे पानी निकलने की रफ़्तार और भी बढ़ गई।
धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया और फिर जैसे ही अपने दोनों होंठों को उसके ऊपर रख कर जोर से चूसा.. तो रश्मि तो तड़फ ही उठी।
‘भाभीईई… ईईईईई.. ओाआहह.. आआहह.. आहह.. क्य्आआ कर दियाआ.. ऊऊहह..’
मैं मुस्करा दी और फिर अपनी ज़ुबान को नीचे को लाते हुए रश्मि की कुँवारी चूत के बिल्कुल तंग और टाइट सुराख के अन्दर डालने लगी।
बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान रश्मि की चूत के अन्दर दाखिल हो रही थी। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान को रश्मि की चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।
रश्मि से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.. उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए अपनी चूत को ऊपर उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश करते हुए एकदम से झड़ने लगी।
रश्मि का निचला जिस्म बुरी तरह से झटके खा रहा था और पानी उसकी चूत से निकल रहा था।
मेरी ज़ुबान रश्मि की चूत के अन्दर अब भी थी.. और मुझे उसकी टाइट चूत की नसें सुकड़ती और फैलती हुई बिल्कुल महसूस हो रही थीं।
रश्मि की जाँघों को सहलाते हुए मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे रिलेक्स करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और साँस तेज चल रही थीं और उसी के साथ रश्मि मेरी बूब्स भी चूस रही थी
गोरे-गोरे चूचे.. बड़ी तेज़ी के साथ ऊपर-नीचे को हो रहे थे। मैंने उसके साथ लेटते हुए उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।
साथ ही रश्मि ने भी अपना मुँह मेरे सीने में छुपाते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं।
अब मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत कर रही थी।
पहली बार इतना ज्यादा मज़ा लेने के बाद रश्मि एकदम से नींद की आगोश में चली गई। मैंने उस ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ की माथे को एक बार चूमा और उठ कर रसोई में आ गई।
दोपहर को रश्मि ने नहा कर एक टी-शर्ट और लाल रंग की टाइट लैगी पहन ली थी.. जिसमें उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहा था।
जब सूरज घर आया.. गेट मैंने ही खोला। सूरज ने अन्दर आकर जब कपड़े आदि बदल लिए.. तो मैं रसोई में आ गई ताकि खाना गरम करके निकाल सकूँ।
जैसे ही सूरज ने मुझे रसोई में जाते देखा.. तो वो टीवी लाउंज से उठ कर रश्मि के कमरे की तरफ चला गया।
मुझे पता था कि वो यही करेगा।
रसोई से निकल कर मैंने छुप कर रश्मि के कमरे में झाँका.. तो देखा कि रश्मि कमरे में सूरज के आगे-आगे भाग रही है और सूरज उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है।
कमरा कौन सा बहुत बड़ा था.. जो वो उसके हाथ ना आती… जल्द ही सूरज ने उसको हाथ से पकड़ा और खींच कर अपने सीने से लगा लिया।
रश्मि मचलते हुई बोली- छोड़ दो ना भैया.. मुझे वरना मैं जोर से चीखूँगी और फिर भाभी आ जाएंगी।
सूरज- क्या है यार.. तू दो मिनट के लिए चुप नहीं रह सकती.. मैं तुझे खा तो नहीं जाऊँगा ना..
रश्मि हँसते हुए बोली- आप कोशिश तो खाने की ही कर रहे हो ना..!
सूरज अपने होंठों को रश्मि के गालों की तरफ ले जाते हुए उसको सहलाने लगा।
सूरज ने अपनी बहन रश्मि को अपनी बाँहों में समेटा हुआ था और अब अपने होंठों को उसके होंठों पर रखने में कामयाब हो चुका था।
जैसे-जैसे सूरज रश्मि के होंठों को किस कर रहा था..
वैसे-वैसे ही रश्मि की दिखावटी विरोध भी ख़त्म होती जा रही थी। वो भी आहिस्ता आहिस्ता खुद के जिस्म को ढीला छोड़ते हुए खुद को अपने भाई के हवाले कर चुकी थी।
सूरज अब आहिस्ता आहिस्ता रश्मि के होंठों को चूम रहा था और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।
रश्मि की बाज़ू भी अपने भाई की कमर की गिर्द लिपट चुकी थी और वो भी आहिस्ता-आहिस्ता उसके जिस्म को सहला रही थी।
मैंने देखा कि सूरज ने अपनी ज़ुबान को रश्मि के मुँह के अन्दर दाखिल करने की कोशिश करते हुए उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू कर दिया था।
रश्मि सूरज के हाथ पर अपना हाथ रखते हुई बोली- भैया.. भाभी आ जाएंगी.. कुछ भी ना करो न.. प्लीज़।
सूरज- नहीं.. वो नहीं आएगी..
रश्मि- भाभी हैं कहाँ पर?
सूरज- वो रसोई में है.. तुम उसकी फिकर मत करो.. बस मैं जल्दी से चला जाऊँगा..
यह कहते हुए सूरज ने रश्मि की टी-शर्ट को ऊपर किया
और नीचे उसकी गुलाबी रंग की ब्रेजियर में छुपी हुई चूचियाँ उसके भाई की नज़रों के सामने आ गईं।
सूरज ने अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।
ऊपर वो अपनी ज़ुबान को रश्मि के मुँह में डाल चुका था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसे चूस रही थी।
सूरज का एक हाथ रश्मि की लेग्गी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहला रहा था।
एक भाई के हाथ अपनी ही सग़ी बहन की गाण्ड पर रेंगते हुए देख कर मेरी तो अपनी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अब सूरज ने रश्मि का हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर रखने लगा।