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एक भाई की वासना
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आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि शर्मा कर बोली- अब ज्यादा भी गलतफहमी में ना रहें आप.. मैंने तो वैसे ही बस रुटीन में साफ़ कर लिए थे। अब मुझे क्या पता था कि आप आकर इसे देखोगे?
सूरज हंसा और अपनी होंठ रश्मि की चूत पर रख दिए और उसकी कुँवारी मुलायम चूत को चूम लिया।
फिर सूरज ने अपनी कुँवारी बहन की कुँवारी चूत की लबों को खोला और अपनी ज़ुबान से उसे अन्दर से चाटने लगा।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसकी ज़ुबान अपनी बहन की चूत को चाट रही थी.. तो उसके साथ-साथ ही रश्मि की हालत खराब होती जा रही थी।
अब आगे..
वो अपने भाई के सिर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने चूत पर दबा रही थी और आँखें बंद करके अपनी गाण्ड को ऊपर उठाते हुए अपनी चूत को उसके मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी।
कुछ देर तक अपनी बहन की कोरी चूत को चाटने के बाद सूरज खड़ा हुआ और अपनी बहन के सामने अपनी शॉर्ट्स को उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
फिर लेटी हुई रश्मि के ही ऊपर आ गया और अपनी मोटे खड़े हुए लंड को अपनी बहन की दोनों चूचियों की बीच में रगड़ने लगा।
रश्मि मुस्कुरा कर अपने भाई के लंड को देख रही थी।
सूरज ने अपनी बहन की दोनों छोटी-छोटी चूचियों के बीच अपने लंड को दबाया और फिर आगे-पीछे को करते हुए अपना लंड उसकी चूचियों के बीच आगे पीछे करने लगा। आगे को जाता तो उसका लंड रश्मि की ठोड़ी को टकराता था और उसकी गोटियाँ नीचे अपनी बहन के पेट पर रगड़ खा रही थीं।
थोड़ी देर के बाद सूरज बोला- रश्मि इसे मुँह में लेकर थोड़ा सा चूसो ना..
रश्मि ने अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- नहीं भाई.. यह तो बहुत गंदा होता है.. मैं कैसे इसे मुँह में ले सकती हूँ।
सूरज- अरे यार कुछ भी गंदा नहीं होता.. इसे मुँह में लेकर तुम्हारी भाभी भी तो चूसती हैं ना..
रश्मि इठलाते हुए बोली- वो तो आपकी बीवी हैं.. मैं आपकी क्या लगती हूँ.. बहन ना..
सूरज अपने लंड की टोपी को अपनी बहन के गुलाबी होंठों पर आहिस्ता-आहिस्ता फिराता हुआ बोला- तुम आज से मेरी बहन भी हो और मेरी बीवी भी हो..
रश्मि- भाई.. अगर मुझे अपनी बीवी बनाना है.. तो फिर कर लो मुझसे भी शादी..
सूरज- झुक कर अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए बोला- मेरी जान यह तो दिल की बात होती है.. जिसे भी दिल से अपना बना लो.. वो बीवी ही होती है।
सूरज ने थोड़ा सा जोर लगाया तो रश्मि ने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और उसके लण्ड को अन्दर दाखिल होने का रास्ता देने लगी।
सूरज ने भी आहिस्ता से अपनी लंड को उसके होंठों के बीच पुश किया और साथ ही रश्मि ने आहिस्ता आहिस्ता उसके लौड़े के टोपे के ऊपर अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी।
रश्मि ने अपने दोनों होंठों के बीच अपने भाई के लंड के टॉप को पकड़ा और आहिस्ता से दोनों होंठों को बंद करके उसे चुम्बन कर लिया।
सूरज ने अपना लंड उसके होंठों से निकाला और धीरे-धीरे उसके होंठों के ऊपर टकराने लगा।
उसके लण्ड से प्रीकम की छोटी-छोटी चमकीली बूँदें निकल रही थीं.. जो कि उसकी बहन के होंठों से लग कर एक तार की तरह से उसके लण्ड से जुड़ रही थीं।
रश्मि ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता उसके लण्ड के अगले हिस्से पर फेरते हुए बोली- भाई अगर भाभी ने देख लिया ना.. तो बहुत बुरा होगा।
सूरज पीछे होकर रश्मि के ऊपर लेट गया और अपने नंगे लंड को अपनी बहन की नंगी चूत पर रगड़ते हुए बोला- कुछ नहीं होगा मेरी जान.. आज तो मैं तुम्हारी यह कुँवारी चूत लेकर ही रहूँगा।
रश्मि ने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने भाई का लंड अपने कंट्रोल में लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चूत के दाने पर रगड़ते हुए बोली- नहीं भाई.. प्लीज़ ऐसा नहीं करो न.. हम कुछ भी नहीं कर सकते.. आप इसे पीछे करो न.. इससे तो आप मुझे और भी पागल कर रहे हैं।
रश्मि ने यह बोला और दूसरे हाथ से अपने भाई के सिर के बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूसने और उसे चूमने लगी।
धीरे-धीरे दोनों की सिसकारियां बढ़ती जा रहा था। रश्मि ने अपनी दोनों टाँगें ऊपर कीं और उनको अपने भाई की कमर के गिर्द उसके चूतड़ों पर रख कर उसके जिस्म को जकड़ लिया.. जैसे कि उसका भाई उसे इतना गरम करने के बाद कहीं छोड़ कर भागने लगा हो।
सूरज भी अपनी बहन की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूस रहा था और पीछे से हिलते हुए अपनी लंड को अपनी बहन की चूत पर रगड़ रहा था।
इधर मेरी हालत भी बहुत ही पतली हो रही थी.. मेरा हाथ मेरी चूत पर था और मेरी चूत बिल्कुल पानी-पानी हो रही थी।
सूरज उठा और अपनी बहन की दोनों टाँगों के बीच में बैठते हुए अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी टोपी को रश्मि की कुँवारी प्यासी चूत पर फिर से रगड़ने लगा।
अगले ही किसी भी पल में सूरज अपना लंड अपनी कुँवारी बहन की चूत में दाखिल करने वाला था।
मेरा ख्वाब पूरा होने वाला था कि ज़िंदगी में पहली बार किसी भाई को अपनी बहन को चोदते हुए देखूँ.. लेकिन पता नहीं क्यों मैं अभी उन दोनों बहन-भाई को ऐसा करने नहीं देना चाहती थी।
मैं अभी इन दोनों की चूत और लंड की प्यास को बरक़रार रखना चाहती थी ताकि यह दोनों एक-दूसरे के लिए अभी थोड़ा और भी तड़फें..
यही सोच कर मैं अपने कमरे की तरफ गई और सूरज को आवाज़ दी।
दूसरी आवाज़ के साथ ही रश्मि को छोड़ कर सूरज भागता हुआ आया। उसने अपने कपड़े पहन लिए हुए थे।
वो बोला- हाँ क्या बात है.. तुम ठीक तो हो?
मैंने उसे पानी लाने को कहा और वो रसोई में गया.. तो मैं उसके चेहरे की बेबसी और झुँझलाहट देख कर मेरी हँसी छूट गई।
कुछ देर के बाद मैं भी अन्दर उन दोनों के साथ ही जाकर लेट गई।
शाम को मेरी आँख खुली तो रश्मि कमरे से जा चुकी हुई थी और सिर्फ़ मैं और सूरज ही बिस्तर पर थे।
हम कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर रश्मि चाय लेकर आ गई लेकिन अपनी चाय यह कहते हुए बाहर ले गई कि उसे कुछ काम करना था।
मैंने और सूरज ने चाय पी और फिर मैं रेस्ट करने का बहाना करके लेट गई और सूरज कमरे से बाहर चला गया।
मैंने फ़ौरन उठ कर देखा तो रश्मि सोफे पर बैठी हुई थी और सूरज उसके पीछे से झुक कर उसकी चूचियों को दबा रहा था।
रश्मि खुद को उससे छुड़ाते हुए बोली- भाई आपको तो हर वक़्त यही काम सूझता रहता है.. आप न.. भाभी को भी हर वक़्त तंग किए रखते हो.. और अब तो आपको सताने के लिए मैं भी मिल गई हूँ।
सूरज रश्मि के सामने की तरफ आया और अपने शॉर्ट में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- एक किस तो कर दो प्लीज़..
रश्मि मेरे कमरे की तरफ देखते हुए बोली- भाई.. आपको शर्म नहीं आती क्या.. अगर अभी भाभी बाहर आ जाएं तो.. और यह क्या है कि हर वक़्त इसी हालत में ही खड़ा रहता है?
सूरज- बस जब से इसने अपनी प्यारी सी बहना की कुँवारी चूत का दीदार किया है ना.. तो यह बैठता ही नहीं है.. हर वक़्त तुम्हारी चूत को याद कर करके खड़ा हुआ ही रहता है। जब तक अब यह तेरी चूत की अन्दर नहीं चला जाएगा.. इसको सुकून नहीं आने वाला।
रश्मि सूरज के लंड को अपने हाथ में लेकर आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए बोली- भाई प्लीज़, कोई जगह तो देख लिया करो ना..
सूरज अब नीचे रश्मि के पास ही बैठ गया। अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी.. तो मैं नहीं देख सकती थी कि वो दोनों क्या कर रहे हैं। इस हालत में वो दोनों सेफ थे.. लेकिन मैं भी उनको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।
सूरज- बस अब तो ठीक है ना.. यहाँ से तेरी भाभी भी हम दोनों को नहीं देख पाएगी.. चल अब जल्दी से नीचे आजा और इसे चूसा लगा दे।
रश्मि हँसी और बोली- भाई आप बाज़ आने वाले नहीं हो.. और ना ही मानने वाले हो..
यह कह कर रश्मि ने एक नज़र मेरे कमरे के दरवाजे की तरफ डाली और फिर झुक कर शायद अपने भाई का लंड चूसने लगी।
रश्मि- भाई एक ही बार काट कर खा ना लूँ इसको.. जो यह हर वक़्त मुझे तंग करता रहता है।
सूरज अपनी बहन के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए बोला- काट कर खा लोगी तो फिर तुम्हारी चूत की प्यास कौन बुझाएगा मेरी जान?
मैं अपने कमरे के बाथरूम में आई और दूसरे दरवाजे में से बाहर झाँका.. तो अब यह जगह उनको देखने के लिए ठीक थी.. और इधर से दोनों की हरकतें साफ़ नज़र आ रही थीं।
सूरज ने अपना हाथ नीचे झुकी हुई अपनी बहन की शर्ट की के नीचे डाला हुआ था और उसकी नंगी कमर को सहला रहा था और कभी उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगता था।
दूसरी तरफ रश्मि भी अपने भाई के लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और कभी उसे चाट लेती थी।
सूरज- यार ठीक से चूस ना मेरा लंड..
रश्मि- भाई मैं कौन सा लंड चूसती रहती हूँ.. जो मुझे आता है कि कैसे चूसते हैं.. पहली बार तो चूस रही हूँ। मुझसे तो ऐसे ही चूसा जाएगा.. चुसवाना है तो बोलो.. नहीं तो मैं चली।
सूरज- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जैसे भी चूस ले.. ठीक है, कोई बात नहीं.. आहिस्ता आहिस्ता तुझे मेरा लंड ठीक से चूसना भी आ जाएगा। तेरे पति तक पहुँचने से पहले तुझे बिल्कुल एक्सपर्ट बना दूँगा.. देखना तू..।
जाहिरा- मेरे पति के लिए कुछ बाकी छोड़ोगे.. तभी तो जाऊँगी ना उसके पास बरना फिर जाने का क्या फ़ायदा?
दोनों हँसने लगे..
सूरज- चल अब जल्दी से मेरा पानी निकाल दे ना..
Thanks for the compliment bhaiधांसू अपडेट है । एकदम गरमा गरम । कामुकता से भरपूर
Thanks for the compliment bhaiStory bohot garam chal rhi, mja aa rha hai poora