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एक भाई की वासना
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भाई ये कहानी है एक भाई की जिसका अपने बहन के प्रति वासना जाग उठता है जिसको बढ़वा एक भाभी और एक पत्नी ने दिया है तो जान बुझ कर नए किरदार डाल ही नहीं सकते नाकहानी जबरदस्त है
लेकिन बाप बेटी
बहु ससुर की चुदाई
भी ऐड करो तो
स्टोरी में चार चांद लग जायेंगे...
Superb update
thanks for the compliment bhaiSuperb update
अपडेट 48
आपने अभी तक पढ़ा..
वो थोड़ा सा मेरी तरफ दोबारा झुका और अपने होंठों को मेरे नंगे कन्धों पर रख कर बोला- प्लीज़ भाभी नाराज़ ना हों.. मैं आपको सेल फोन दिखा दूँगा.. अभी तो फिल्म खत्म होने वाली है.. लेकिन कल मैं आपके घर आकर आपको दिखाऊँगा.. फिर इसमें से जो दिल चाहे.. देख लीजिएगा।
मैंने अपना चेहरा मोड़ कर उसकी तरफ देखा.. तो उसके होंठ मेरे होंठों के बहुत क़रीब थे और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसकी गरम साँसों की वजह से मेरी चूत में कुछ होने लगा था और मुझे थोड़ा गीलापन महसूस होने लगा था। उसकी पतले गुलाबी होंठों को अपने इतना क़रीब देख कर मेरे होंठों पर भी हल्की सी मुस्कान फैल गई।
अब आगे..
राजू ने मुझे मुस्कुराते देखा तो एकदम से जैसे उसे पता नहीं.. कितनी खुशी हुई कि उसने आगे बढ़ कर अचानक से मेरे गालों को किस कर लिया और बोला- यह हुई ना बात भाभी.. यू आर माय सो स्वीट भाभी..
यह कहते हुए उसने अपना बाज़ू मेरी दूसरे कंधे की तरफ डाला और मुझे अपनी सीने की तरफ खींच लिया। मैं उस लड़के की हरकत देख-देख कर हैरान हो रही थी।
फिर मैं बोली- अरे.. यह क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे.. और तुमने मुझे यह किस क्यों किया?
राजू थोड़ा पीछे हटा.. लेकिन मेरे कन्धों पर से अपना हाथ नहीं हटाया और बोला- आप भी तो मेरी भाभी की तरह ही हो ना.. तो जब मैं उनसे खुश होता हूँ.. तो उनको भी ऐसे ही किस और हग करता हूँ।
मैं उस पर मुस्कुरा दी।
बाक़ी फिल्म के दौरान भी राजू मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर बैठा रहा और उसे ना महसूस अंदाज़ में आहिस्ता आहिस्ता सहलाता रहा।
मुझे भी उसकी इस तरह से सहलाने से मज़ा आ रहा था। मुझे हैरत हो रही थी कि इतना मासूम और भोला भाला नज़र आने वाला लड़का किस क़दर तेज है और उसको जवान और खूबसूरत लड़कियों और औरतों को छूने का कितना शौक़ है।
कुछ ही देर में फिल्म खत्म हो गई और फिर हॉल की बत्तियाँ जल पड़ीं.. जो कुछ लोग हॉल में थे.. वो एक-एक करके बाहर निकलने लगे। सामने ही बैठे हुए सूरज और रश्मि पर मेरी नज़र पड़ी तो वो भी खुद को जैसे ठीक कर रहे थे। फिर सूरज ने उठ कर पीछे मुझे तलाश करने की कोशिश की.. तो मैंने फ़ौरन ही हाथ हिलाकर उसे अपनी पोजीशन का अहसास दिलाया और राजू ने भी हाथ हिला दिया।
सूरज और रश्मि उठे और हमारी तरफ बढ़े। जब वो क़रीब आए तो मैंने मुस्कुरा कर राश्म की तरफ देखा तो वो शरम से लाल हो गई और उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कुराहट फैल गई। सूरज और राजू दोनों मिलने के बाद आगे-आगे चलने लगे और मैं और रश्मि उनकी पीछे हो लिए थे।
मैंने रश्मि से पूछा- तुमने तो आज खूब मज़ा किया होगा अपने भाई के साथ?
रश्मि- नहीं भाभी.. हमने तो कुछ भी नहीं किया..
मैं- अच्छा.. कुछ नहीं किया? तो फिर यह अपने ऊपर वाले होंठ के ऊपर से अपने भाई का रस तो साफ़ कर लो.. सबको दिख रहा है कि तुम क्या-क्या करके आ रही हो..
जैसे ही मैंने यह कहा.. तो फ़ौरन ही रश्मि का हाथ अपने होंठों की तरफ बढ़ा और वो अपने होंठों को साफ करने लगी।
उसकी इस हरकत पर मैं हँसने लगी और बोली- अरी पगली.. कुछ नहीं लगा हुआ हुआ.. सब तो तू चाट गई है.. मैं तो सिर्फ़ यह देखने के लिए ऐसा बोली थी कि मुझे पता चल सके कि वहाँ पर क्या-क्या हुआ है..
रश्मि ने शरमाते हुए कहा- भाभी आप भी ना बस..
फिर हम दोनों भी हँसते हुए चलते हुए उन दोनों की पीछे स्टैंड पर आ गए।
वे दोनों अपनी बाइक्स ले आए.. मैं और रश्मि दोनों ही सूरज की बाइक पर बैठने लगीं.. तो राजू बोला- भाभी आप मेरे साथ आ जाओ.. क्या जरूरी है कि आप सबको एक बाइक पर ही बैठना है? मैं भी तो घर ही जा रहा हूँ ना..
सूरज ने मेरी तरफ देखा और बोला- हाँ ठीक है.. तुम राजू के साथ बैठ जाओ.. मैं रश्मि को बैठा लेता हूँ।
मैंने एक नज़र मुस्कुरा कर रश्मि की तरफ देखा और फिर राजू की तरफ बढ़ी मुझे अपनी तरफ आता हुआ देख कर उसकी भी आँखें चमक उठी थीं।
मैं आगे बढ़ी और फिर राजू के कंधे पर हाथ रख कर उसकी बाइक पर उसके पीछे बैठ गई और हम सब घर की तरफ चल पड़े।
राजू के पीछे मैं जानबूझ कर उससे चिपक कर बैठी थी.. मैंने अपनी चूचियों को भी राजू की बैक के साथ लगा दिया था और जैसे ही मोटर बाइक थोड़ा सा उछलती.. तो मैं अपनी चूचियों को उसकी पीठ के साथ रगड़ देती। इस तरह मुझे इस खूबसूरत और मासूम लड़के को टीज़ करने में बहुत मज़ा आ रहा था।
घर पहुँच कर राजू ने अपने घर का दरवाज़ा नॉक किया.. तो उसके पापा ने दरवाजा खोला.. तो हमें अपनी बेटे के साथ देख कर खुश हुए और बोले- चलो अच्छा हुआ कि यह अकेला नहीं था।
फिर मैंने वहाँ से अपने घर के अन्दर आ गए।
घर में आकर रश्मि अपने कमरे में कपड़े चेंज करने के लिए चली गई और मैं और सूरज अपने बेडरूम में आ गए। अपने कपड़े चेंज करते हुए फैजान मुझे मज़ाक़ करते हुए बोला।
सूरज - उस लड़के के साथ बहुत चिपक-चिपक कर बैठ रही थी।
मैं- नहीं तो.. ऐसी तो कोई बात नहीं है.. तुमको तो पता ही है ना.. कि बाइक पर ऐसे ही बैठा जाता है।
सूरज हँसते हुए- हाहहहहा.. बस करो.. अब मुझे सब कुछ दिख रहा था कि कैसे तुम अपनी यह खूबसूरत चूचियों को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी।
मैं- अच्छा जी.. मेरा सब कुछ पता है तुमको.. लेकिन अपना नहीं पता.. जो अपनी ही सग़ी बहन को पटा रहे हो..
सूरज एकदम से घबरा गया और बोला- कक्ककया..क्या मतलब है तुम्हारा?
मैं- हाहहहाहा.. देखा ना.. चोरी पकड़ी गई तुम्हारे. मैं सब देख रही हूँ कि कुछ दिनों से कैसे तुम्हारा अपनी ही सग़ी छोटी बहन पर दिल आ रहा है और कैसे तुम उसके लिए बेचैन हो रहे हो। अगर कोई ऐसी बात है ना.. तो मुझे बता दो.. मैं तुम्हारी हेल्प कर दूँगी.. मेरी जान.. मैं आख़िर तुम्हारी दोस्त भी तो हूँ ना..
सूरज घबरा कर इधर-उधर देख रहा था.. मैं और आगे बढ़ी और उसके क़रीब जाकर उसके होंठों को चूम कर बोली- डोंट वरी डियर.. होता है.. ऐसा भी होता है.. वैसे तुम्हारी बहन है बहुत सेक्सी और खूबसूरत.. मैं अगर लड़का होती ना.. तो कब से उसे चोद चुकी होती और एक बात कान खोल कर सुनलो मेरा पहला और आखिरी प्यार तुम ही हो.. हे हे देखो अपनी शक्ल कैसी हो गई है..
मेरे होंठ अभी भी उसके होंठों को चूम रहे थे और मेरा एक हाथ नीचे जाकर उसके लण्ड को सहला रहा था.. जो कि उसकी पैन्ट में अकड़ रहा था।
मैंने उसे किस करते हुए उसकी पैन्ट खोल कर नीचे गिरा दी और उसके लण्ड को उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया।
सूरज का लंड अकड़ा हुआ था और अंडरवियर में कड़क हो रहा था।
मैं उसके लण्ड को सहलाते हुए आहिस्ता आहिस्ता सरगोशियाँ करने लगी- सूरज.. मेरी जान.. रश्मि बहुत हॉट लड़की है.. उफ्फ़.. उसकी जवान और चिकनी बहुत है.. किस क़दर मुलायम और मदहोश कर देने वाली जिस्म पाई है.. इस्स्स.. उसके रसीले होंठ.. उफफ्फ़.. कितने सेक्सी और कितनी रस से भरे हुए हैं.. जैसे सुर्ख गुलाब हों.. मेरा तो दिल करता है.. एक ही बार में उसके होंठों का रस पी लूँ.. आह्ह..
यह कहते हुए मैं सूरज के होंठों को चूस रही थी।
सूरज मेरी कमर में अपनी बाज़ू डाल कर मुझे अपने साथ दबाते हुए बोला- क्या कह रही हो मेरी जान.. उम्माह.. ऐसा मत बोलो.. वो मेरी बहन है..
लेकिन उसका लंड उसके बातों का साथ नहीं दे रहा था और अकड़ता ही जा रहा था.. जिसे मैंने अब उसकी अंडरवियर से बाहर निकाल लिया था और अपनी मुठ्ठी में लेकर सहला रही थी।
मैं- उफ्फ्फ.. सूरज अगर तुम एक बार अपना यह लंड उसकी कुँवारी चूत में डाल लो ना.. तो ज़िंदगी भर उसके गुलाम बन जाओगे.. काश.. मेरे पास लंड होता.. तो सबसे पहले मैं तुम्हारी बहन की कुँवारी चूत को चोदती..
मैं अपनी ज़ुबान सूरज के मुँह में डालते हुए बोली- बोलो भरना चाहते हो ना अपनी बहन को.. अपनी बाँहों में.. चूमना चाहते हो ना उसके खूबसूरत गालों को… चूसना चाहते हो ना उसके रसीले होंठों को… चोदना चाहोगे ना.. उसकी कुँवारी चूत को.. अपनी इस मोटे लंड से..तुम्हारे लिए में उसको तैयार कर लूँगी आखिर मेरे जान के लिए इतना भी नहीं कर सकती क्या
सूरज ने जोर से मुझे अपनी सीने से चिपका लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से मसलता हुआ बोला- बस करो.. डार्लिंग.. बस करो..ऊऊऊओहह.. मेरी जान.. कहीं ऐसा ना हो कि मैं अभी उसे चोदने चला जाऊँ.. आह्ह..
इतने में दरवाजे पर नॉक हुई.. तो हम दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए।
रश्मि अन्दर आई तो बोली- हैलो गाइस.. कोई मिल्क शेक लेना चाहेगा कि नहीं.. मैं बनाने जा रही हूँ..
मैंने कहा- हाँ.. बना लो सबके लिए लेकिन तुम्हारे भैया तो शायद आज की रात ‘दूध’ ही पीना पसंद करेंगे..
मेरी बात सुन कर सूरज घबरा गया और बोला- नहीं नहीं.. मेरे लिए भी मिल्क शेक ही बना लाओ।
रश्मि ने मेरी बात समझ ली थी.. वो हँसती हुई वहाँ से चली गई और फिर मैं भी कपड़े चेंज करने लगी।
मैं जानती थी कि सूरज परेशान है कि वो अब मुझे क्या बताए कि वो तो अपनी बहन को पहली ही चोद चुका हुआ है। लेकिन मैं भी अब तीनों के बीच का यह परदा खत्म कर देना चाहती थी।
Superb updateUpdate- 46
आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि बाहर गई तो सूरज टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. रश्मि सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
सूरज एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन रश्मि कहाँ मानने वाली थी- क्या बात है भैया.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे..। क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?
अब आगे..
सूरज- नहीं नहीं.. रश्मि.. ऐसी बात नहीं है.. वो बस तुम्हारी भाभी भी क़रीब ही हैं ना.. तो इसलिए डर लगता है। उसे कहीं जाने दो.. फिर देखना मैं तुम को कैसे चोदता हूँ..
यह कहते हुए सूरज ने एक बार तो अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपनी हाथों में लेकर दबा ही दिया।
रश्मि ने भी मस्त होते हुए अपने गर्म-गर्म गुलाबी होंठ आगे बढ़ाए और अपने भाई के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी।
थोड़ी देर के लिए तो सूरज भी अपनी बहन की गरम जवानी में सब कुछ भूल गया और रश्मि के होंठों को चूमने लगा।
लेकिन साथ ही उसे मेरा ख्याल आ गया और फिर उसने खुद को अपनी बहन के जवान जिस्म से अलग कर लिया।
कुछ ही देर में मैंने और रश्मि ने टेबल पर खाना लगा दिया और फिर हम सब टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे।
खाने के दौरान भी रश्मि मेरे इशारे पर टेबल के नीचे से ही अपने पैर के साथ अपने भाई को टीज़ करती रही और जब भी मौका मिलता तो उसके लण्ड को अपनी पैर से टच कर देती।
इस सब के दौरान हर बार सूरज खुद को मेरी नजरों से बचाने की भरसक कोशिश कर रहा था।
खाना खाते हुए ही हमने शाम को फिल्म देखने के लिए चलने का प्लान बना लिया.. जिसको सूरज ने भी मान लिया।
फिर खाने के बाद कुछ देर के लिए हम लोग आराम की खातिर लेट गए।
शाम को हम फिल्म देखने जाने के लिए तैयार होने लगे.. तो मैं रश्मि के पास आई और बोली- आज तुमको बहुत ही हॉट और सेक्सी ड्रेस पहनना है।
रश्मि आँख मारते हुए बोली- तो भाभी क्या मैं ब्रा और पैन्टी में ही ना चली चलूं?
मैंने भी करारा जबाव दिया- तुझे मैंने सिर्फ़ तेरी भाई से चुदवाना है.. पूरे शहर से नहीं..
हम दोनों हँसने लगीं।
मैं- देख सिनेमा हॉल में खुल कर उसे तंग करना है और तड़पाना है.. एक तरफ तेरे हुस्न और शरारत की वजह से उसका लंड अकड़ता जाए और दूसरी तरफ मेरे डर से उसकी फटती जाए बस.. वो कुछ करना चाहे.. मगर कुछ भी ना कर सके..
रश्मि- ठीक है भाभी.. ऐसा ही होगा।
फिर मैंने रश्मि के लिए एक ब्लैक टाइट जींस सिलेक्ट की… जो कि उसके जिस्म के साथ बिल्कुल ही चिपकने वाली थी। उसके साथ जो टॉप सिलेक्ट किया.. वो एक टी-शर्ट टाइप की थी.. जो कि नीचे तक लंबी थी और उसके चूतड़ों को कवर करती थी। लेकिन सिर्फ़ हाफ जाँघों तक रहती थी। उसका गला भी थोड़ा सा डीप था.. जिसमें से उसका क्लीवेज साफ़ नज़र आता था।
मैंने उससे कहा- चल.. अब इसे पहन ले मेरे सामने..
रश्मि थोड़ा शर्मा कर बोली- भाभी आपके सामने.. कैसे?
मैं- वाह भई वाह.. अपने भाई से तो नंगी होकर चुदवाती हो.. और अब भी नंगी होने को तैयार हो.. लेकिन मेरे सामने नंगी होते हुए तुमको शर्म आती है। अभी सुबह ही तो मैंने तेरी मलाई खाई है.. वो भूल गई हो किया?
रश्मि भी हँसने लगी और फिर उसने अपनी पहनी हुई शर्ट उतार दी।
नीचे उसने जो ब्रा पहनी हुई थी..
वो भी उसने उतारी और फिर उसकी दोनों खुबसूरत चूचियों नंगी हो गईं।
मैंने झट से आगे बढ़ कर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उनको दबाते हुए चूमने लगी।
मैं- उफफ्फ़.. रश्मि.. तेरी चूचियों का शेप कितना सेक्सी है..
रश्मि- मैं तो भाभी आप और भैया से बहुत तंग हूँ.. जब भी जहाँ भी मौका मिलता है.. आप लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए मुझ बेचारी को पकड़ लेते हो.. और इसे चक्कर में मेरी प्यास बढ़ा देते हो।
मैंने हँसते हुए रश्मि को छोड़ दिया और वो अपनी दूसरी ब्रा पहनने लगी.. तो मैंने उसे मना कर दिया कि आज तुम बिना ब्रा के ही चलो।
रश्मि ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर अपनी ब्रा वापिस अल्मारी में रख दी और बिना ब्रा के ही वो टी-शर्ट पहन ली। उसकी टी-शर्ट भी बहुत टाइट थी और बिल्कुल उसके जिस्म के साथ चिपक गई हुई थी।
उसकी दोनों चूचियाँ बहुत ही सेक्सी लग रही थीं..
फिर रश्मि ने अपनी जींस पहनी तो वो भी उसकी जाँघों और चूत के एरिया में उसके जिस्म के साथ बिल्कुल चिपक गई।
मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेरा.. तो एक लम्हे की लिए मेरी अपनी नियत भी खराब होने लगी.. लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया। फिर मैंने उसकी चूचियों को सहलाया और उसके निप्पलों पर उंगली फेरीं.. तो उसके निप्पल अकड़ने लगे। कुछ ही पलों बाद उसके निप्पल बिल्कुल साफ़ उसकी शर्ट में से नज़र आ रहे थे।
उसकी निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच मसलते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे किस करने लगी। इसी के साथ मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू भी कर दिया।
रश्मि भी मस्ती के हाथों मजबूर होकर मेरा साथ देने लगी।
कुछ लम्हों तक एक-दूसरे को किस करने और एक-दूसरे के होंठों चूसने के बाद मैं अलग हुई और बोली- कुछ देर में तुम भी मेरे कमरे आ जाओ और मेकअप कर लेना।
फिर मैं अपने कमरे मैं चली गई। उधर सूरज बिस्तर पर लेटा हुआ था.. तैयार होकर मैंने भी अपने लिए टाइट्स और एक थोड़ी लूज कमीज़ निकाल ली।
तभी रश्मि भी कमरे में आ गई। जैसे ही सूरज की नज़र रश्मि पर पड़ी.. तो उसकी आँखें चमक उठीं और मुँह एकदम से खुला रह गया।
मैं दोनों बहन-भाई को थोड़ा प्यार करने का मौका देने के लिए अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और फिर अन्दर से झाँकने लगी।
जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद हुआ.. तो सूरज जंप लगा कर उठा और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हुई अपनी बहन के पीछे आ गया। उसने पीछे से ही उसे दबोच लिया और उसकी दोनों टाइट चूचियों को पकड़ कर सहलाते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
रश्मि- उफफफ्फ़.. भैया.. क्या हो जाता है आपको.. प्लीज़ छोड़ दो.. अभी भाभी आ जाएंगी.. तो पता नहीं क्या कर देंगी।
सूरज- उफफफ्फ़.. क्या हुस्न है तेरा.. अब तो तुझे छोड़ने को नहीं बल्कि चोदने को दिल करता है। तूने तो आज नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई है.. क्यों मुझे तड़पा तड़पा कर मारने का प्रोग्राम बनाया हुआ है तूने..
सूरज ने रश्मि की शर्ट को नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और उसके चूतड़ों को नंगा कर लिया और उसकी जींस के ऊपर से उसकी गाण्ड पर हाथ फेरने लगा।
फिर अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूत को सहलाने लगा।
मैंने अपने कपड़े चेंज किए और फिर थोड़ा सा शोर करके बाहर को निकली.. तो तब तक सूरज वापिस बिस्तर पर लेट चुका था.. लेकिन रश्मि ने अपनी टी-शर्ट को अपनी चूतड़ों से नीचे नहीं किया था और उसकी टाइट जींस में उसके दोनों चूतड़ बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में दिख रहे थे।
मैं भी रश्मि के पास ही आ गई और मेकअप करने लगी।
मैंने थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा ताकि सूरज भी सुन सके- अरे रश्मि.. यह तुमने कैसा ड्रेस पहन लिया है.. क्या यह पहन कर जाओगी बाहर?
रश्मि अपनी आगे-पीछे देखते हुए बोली- क्यों भाभी इसमें क्या बुराई है?
मैंने सूरज को इन्वॉल्व करती हुए कहा- क्यों सूरज यह ड्रेस ठीक है क्या?
सूरज ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा और फिर बोला- हाँ ठीक तो है.. बस अब चेंज करने के चक्कर में देर ना कर.. पहले ही शो के लिए बहुत देर हो रही है।
मैंने मुस्कुरा कर रश्मि की तरफ देखा तो उसने भी मुझे एक आँख मारी और फिर हम लोगों ने अपने मेकअप को फाइनल टच दिया.. और फिर बाहर निकल आईं.. जहाँ सूरज अपनी बाइक लिए तैयार खड़ा था।
पहले की तरह ही मैंने रश्मि को सूरज के बिल्कुल पीछे.. सेंटर में बैठाया और खुद उससे पीछे बैठ गई।
उसे आगे को पुश करते हुई बोली- यार थोड़ा सा आगे होकर बैठो न.. मुझे तो थोड़ी सी जगह और दो ना..
सूरज को तो पहले ही पता था कि उसकी बहन ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई है और अब जब उसने अपनी चूचियों उसकी पीठ से लगाईं.. तो उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बहन की दोनों चूचियाँ बिल्कुल ही नंगी होकर उसकी पीठ पर लगी हुई हैं।
रश्मि ने अपना एक हाथ आगे किया और उसे सूरज की जाँघों पर रख दिया और फिर हम चल पड़े।
सड़क पर थोड़ा-थोड़ा अँधेरा हो रहा था.. कुछ ही देर में रश्मि का हाथ फिसलता हो अपने भैया के लौड़े पर आ गया। उसने अपने भाई के लंड पर अपना हाथ रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसको सहलाने लगी।
पीछे से वो अपने होंठों को सूरज की गर्दन पर टच कर रही थी।
कभी-कभी मौका देख कर उसे चूम भी लेती थी। रश्मि के सूरज की गर्दन पर चूमने की हल्की सी आवाज़ मेरे कान में भी आई।
‘ना कर.. तेरी भाभी पीछे ही बैठी है..’
तभी मैंने भी सहारा लेने के लिए अपना हाथ आगे किया और सूरज की जांघ पर रख दिया।
एक पल के लिए तो सूरज जैसे घबरा ही गया.. लेकिन फिर खुद को सम्भाल लिया। इसी तरह से मैं और रश्मि सूरज को तंग करते हुए सिनेमा पहुँच गए।
रात का लास्ट शो था.. 10 बज चुके हुए थे और हर तरफ अँधेरा हो रहा था। शो शुरू हो चुका हुआ था.. इसलिए ज्यादा रश नज़र नहीं आ रहा था। सूरज ने गैलरी की तीन टिकट ली और हम ऊपर गैलरी में आ गए। वहाँ गैलरी में भी बहुत कम लोग ही बैठे हुए थे.. बल्कि सिर्फ़ दो कपल्स थे.. वो भी सबसे अलग-अलग होकर दूर-दूर बैठे हुए थे। हमने भी एक कॉर्नर में अपनी जगह बना ली। हॉल में बहुत ही ज्यादा अँधेरा था। सूरज को बीच में बैठा कर मैं और रश्मि उसके दोनों तरफ बैठ गईं।