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एक भाई की वासना
INDEX
Last edited:
Haan ab dono milkar uska nikalegi ya woh dono pe bhari padega ye aage pata chal hi Jayegahot seen hai bhai dono milkar suraj ka to nikalne mai lage hai
Aap khudko govinda ji ke jagah rakh ke sochiyehaan odin chacha bhai nora madam ki tarha he garmi lagg raha hai. lakin yea Govinda ji kar kya rahe hai ?
Thanks for the compliment bhaiBohot aache scene chal rhe hai, lund baith hi nhi rha hai
Superb updateUpdate- 44
आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि हँसते हुए- तो फिर ठीक है.. मैं आपका लंड बिस्किट की तरह गर्म-गर्म चाय में डुबो कर ना ले लूँ?
सूरज भी इस बात पर हँसने लगा और उन दोनों की शरारतों और अठखेलियों पर मेरी भी हँसी छूट गई..
नाश्ता करने के बाद सूरज ऑफिस चला गया और रश्मि मेरे पास ही घर पर रुक गई।
रश्मि रसोई समेटने लगी.. तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी होकर लेट गई.. क्योंकि रात में एक भाई के लंड से एक बहन की चुदाई देख कर मेरी अपनी चूत में आग लगी हुई थी।
अब आगे..
कुछ देर में रश्मि चाय बना कर लाई तो मुझे नंगी लेटी देख कर चौंक उठी, वो मुस्कुरा कर बोली- भाभी.. लगता है कि आपको बहुत गर्मी लग रही है।
मैं उसके सामने ही बड़ी बेशर्मी से अपनी चूत पर हाथ फेरते हुई बोली- हाँ डार्लिंग.. मेरी चूत में बहुत गर्मी हो रही है.. आ थोड़ा सा इसे प्यार करके ठंडी तो कर दो..
रश्मि चाय की ट्रे साइड टेबल पर रख कर मेरे पास बैठ गई और मेरी चूत पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी सुबह ही सुबह यह आपको क्या हो गया है?
मैंने रश्मि के हाथ की उंगली को लिया और उसे अपनी चूत के अन्दर डालते हुई बोली- देख तो सही.. मेरी चूत कितनी गीली हो रही है..?
यह कहते हुए मैंने रश्मि को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। रश्मि को भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके पजामे को नीचे को खींचते हुए उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया। रश्मि ने थोड़ा ऊँची होकर मुझे उसका पजामा उतारने दिया और फिर अपनी नंगी चूत को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
अचानक से मैंने रश्मि को पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगी। रश्मि भी बराबर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी ज़ुबान रश्मि के होंठों के अंदर में पुश किया तो वो मेरी ज़ुबान चूसने लगी, रश्मि के टॉप के नीचे से हाथ डाल कर मैंने उसकी गोल चूचियों को पकड़ लिया और उनको जोरों से दबाने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता मैं नीचे को आते हुए रश्मि की दोनों जाँघों की बीच में आ गई और उसकी चूत के ऊपर एक जोर का चूमा किया, फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक को उसकी चूत के ऊपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे से उसकी चूत ने दोबारा से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
उसकी चूत के दोनों लबों को खोलते हुए मैं बोली- रश्मि तुम्हारी चूत तो कल से ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी ने अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया हो?
मेरी बात सुनते ही मानो रश्मि के चेहरे का रंग उड़ ही गया, वो फ़ौरन बोली- क्या मतलब भाभी.. ऐसी तो कोई बात नहीं है।
मैं हँसने लगी और बोली- मैं तो मज़ाक़ कर रही हूँ.. बस मुझे तेरी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था।
फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत के अन्दर डाला और उसकी चूत के दाने को चाटते हुए उसकी चूत के अन्दर अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगी।
धीरे-धीरे रश्मि की आँखें बंद होने लगीं, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत के अन्दर जा रही थी।
मैंने फिर उससे कहा- रश्मि यह तुम्हारी चूत के अन्दर का परदा भी फटा हुआ है.. कल तो मेरी उंगली आधी भी अन्दर नहीं जा रही थी और आज पूरी की पूरी उंगली तुम्हारी चूत में अन्दर हो गई है.. सच सच बता.. कि कैसे हुआ है यह सब.. और किसने किया है?
रश्मि चुप करके सिर झुकाए हुए रही।
मैं- वैसे कल से तो तुम कहीं भी बाहर नहीं गई.. तो किसी बाहर वाले से कैसे चुदवा सकती हो.. कहीं तुमने अपने ही भाई से ही तो?
रश्मि ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और घबराहट साफ़ दिख रहे थे..
मैं थोड़ी ऊँची हुई और उसके होंठों पर एक किस करती हुई बोली- हायय.. मेरी जानन.. मुझे बताया भी नहीं और तूने मेरे पति से ही चुदवा लिया.. कैसा लगा था तुझे.. जब तेरे भाई का लंड पहली-पहली बार तेरी चूत में उतरा था?
रश्मि- भाभिईईई.. मत करो ना ऐसी बातें..!
मैं- वाह जी वाह.. तू अपने भैया से चुदवाती रहे और मैं तुम से ऐसी बात भी ना करूँ.. यह कैसे हो सकता है मेरी जान.. अब तो तेरी यह प्यारी सी चूत हम दोनों की हो गई है। मेरी भी और तेरे भैया की भी..।
रश्मि- भाभिईईईईई..!
रश्मि ने शरमाते हुए कहा।
मैं रश्मि को चूमते हुए बोली- मेरी जान बता तो सही.. कैसे हुआ यह सब.. कल रात को?
रश्मि- भाभी वो ना.. मुझे लगता है कि.. भैया ने कल रात को आपके चक्कर में ही मुझे पकड़ लिया था.. और फिर उन्होंने.. ‘वो’ सब कर दिया.. जो वो आपके साथ करते हैं..!
रश्मि के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मैं बोली- रश्मि.. सच बताओ.. मज़ा आया था ना तुमको.. या नहीं?
रश्मि- जी भाभी.. लेकिन दर्द भी बहुत हुआ है ना.. अभी भी हो रहा है।
मैं आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की चूत को सहलाते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरी ननद रानी.. पहली पहली बार तो हर लड़की को ही दर्द होता है.. लेकिन ऐसी कोई-कोई ही खुशक़िस्मत लड़की होती है जो कि सबसे पहले यह दर्द अपने ही भाई से पाए।
रश्मि मेरी तरफ देखते हुए बोली- भाभी आपको इस बात पर कोई गुस्सा नहीं आया कि भैया ने किसी दूसरी लड़की के साथ सेक्स किया है और वो भी अपनी ही सग़ी बहन के साथ?
मैं मुस्कुराई और उसके होंठों को चूम कर बोली- मेरी प्यारी ननद जी.. मुझे क्यों ऐतराज़ होगा.. बल्कि मेरा तो अब दिल चाह रहा है कि मैं भी तुम लोगों के साथ शामिल हो जाऊँ और हम सब मिल कर खूब मजे करें..
यह कहते हुए मैं सरक़ कर रश्मि की दोनों टाँगों के बीच में आ गई और उसकी इसी रात में अपना कुंवारापन खोने वाली प्यारी सी चूत को चूमने लगी।
‘हायय.. मेरी बन्नो.. दिल कर रहा है कि तेरी इस चूत को चूम-चूम कर लाल कर दूँ.. जिसमें कल रात को पहली-पहली बार मेरे पति का लंड गया है और जिस चूत को उसके अपने ही भाई ने फाड़ा है.. इसे एक कुँवारी कली से खिलाकर फूल बना दिया है।’
मेरी बातें सुन कर रश्मि का चेहरा लाल होने लगा।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि उसकी चूत से हल्का-हल्का रसीला सा पानी टपकना शुरू हो गया था।
मैंने अपनी ज़ुबान की नोक से जाहिरा की चूत से बह रहे रस को छुआ.. क्या माल था.. और फिर मैंने मजे से उसे चाट लिया।
अब मैंने अपनी एक उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरी उंगली रश्मि की चूत के अन्दर उसके चिकने पानी की वजह से बहुत आराम से फिसल रही थी।
अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर..
रश्मि की चूत के पानी से गीली हो रही हुई अपनी उंगली को मैंने रश्मि के होंठों पर रगड़ा और फिर अपनी उंगली उसकी मुँह के अन्दर डाल दी, उसे अपनी ही चूत का पानी चटवा दिया।
मैं थोड़ा सा घूम कर इस तरह रश्मि के ऊपर आई.. कि अपनी चूत को उसके मुँह के ऊपर ले आई।
रश्मि ने मेरी साफ़ और मुलायम चूत को देखा तो उस पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी चूत तो आपकी भी बहुत चिकनी और मुलायम है.. इसलिए भैया हर वक़्त आपके पीछे आपको चोदने के लिए पड़े रहते हैं।
मैं- लेकिन अब तो मुझे लगता है कि वो तेरी ही टाइट चूत के पीछे रहेगा.. वो अब मेरी चूत की कहाँ सोचेंगे?
रश्मि ने भी मेरी चूत के लबों को चूमा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान मेरी चूत के लबों पर फेरने लगी। जैसे ही रश्मि की ज़ुबान मेरी चूत को छूने लगी.. तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
अब मैं और रश्मि दोनों ही एक-दूसरे की चूत की आग को ठंडा करने में लग गए। मैं रश्मि की चूत में अपनी उंगली मार रही थी और उसकी उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।
आज रश्मि ने पहली बार मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटा था और इसे प्यार किया था.. बल्कि रश्मि क्या किसी भी लड़की से अपनी चूत को चटवाने का मेरा यह पहला मौक़ा था और मुझे इसमें बेहद मज़ा आ रहा था।
मेरी चूत पानी छोड़ती ही जा रही थी कुछ ही देर में मैं और रश्मि दोनों ही अपनी-अपनी मंज़िलों पर पहुँच गईं।
फिर हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में लेट गईं, कब हमारी आँख लग गई.. हमें कुछ पता नहीं चला।
काफ़ी देर बाद जब आँख खुली तो भी बिस्तर से निकलने को दिल नहीं किया।
मैं हौले-हौले रश्मि की चूचियों के निप्पलों पर उंगली फेरने लगी।
रश्मि- भाभी क्या आप सच में ही नाराज़ नहीं हो कि मैंने अपने भैया के साथ में सेक्स कर लिया है।
मैं- अरे यार.. क्यों परेशान होती हो.. मुझे तो यह सुन कर ही बहुत मज़ा आ रहा है.. तो जब तुम दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी.. तो कितना अच्छा लगेगा। प्लीज़ मुझे यह सब तुम दिखाओगी ना?
रश्मि शर्मा गई।
मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि सूरज को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।
मैंने सारा प्रोग्राम रश्मि को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।
जैसे ही दोपहर में सूरज घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया मैन गेट पर .. उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।
मैं रसोई में आ गई और रश्मि को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
रश्मि ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
Superb updateUpdate- 45
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि सूरज को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।
मैंने सारा प्रोग्राम रश्मि को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।
जैसे ही दोपहर में सूरज घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया। मैन गेट पर उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।
मैं रसोई में आ गई और रश्मि को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
रश्मि ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
अब आगे..
मैं भी उसके साथ-साथ ही थी.. मैं बेडरूम के दरवाजे के एक तरफ रुक गई और रश्मि अन्दर कमरे में चली गई।
अन्दर कमरे में सूरज अभी-अभी वॉशरूम से मुँह-हाथ धो कर आया था।
सूरज ने रश्मि को पानी लाते हुए देखा तो वो बहुत खुश हुआ। रश्मि भी जवाब में मुस्कुराई और एक अदा के साथ पानी का गिलास लेकर अपने भाई की तरफ बढ़ी।
सूरज ने पानी का गिलास लेकर उसमें से एक घूँट लिया और फिर गिलास टेबल पर रख कर रश्मि का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।
रश्मि ने भी कोई विरोध नहीं की और अपने भाई के सीने से लग गई। सूरज ने अपने होंठों को रश्मि के होंठों पर रखा और उनको चूमने लगा।
सूरज थोड़ी सी चूमा-चाटी करने के बाद रश्मि को छोड़ने का इरादा रखता था.. क्योंकि उसे पता था कि मैं रसोई से किसी भी वक़्त बेडरूम में आ सकती हूँ।
सूरज ने अपनी बहन को किस करने के बाद छोड़ दिया और बोला- चलो अब जाओ.. तुम्हारी भाभी बेडरूम की तरफ आती ही होंगी।
रश्मि- वाह जी वाह.. भाई, अगर इतना ही अपनी बीवी से डरते थे.. तो क्यों मुझ पर डोरे डाले और क्यों मुझे अपने झूठे प्यार में फँसाया था?
यह कहते हुए रश्मि अपने भाई के साथ लिपट गई।
सूरज तो जैसे बौखला सा गया, वो उसे खुद से अलग करते हुए बोला- नहीं नहीं रश्मि.. ऐसी बात नहीं है.. मेरा प्यार झूठा नहीं है, ना मैं तुमसे प्यार से इन्कार कर रहा हूँ.. यह तो मैं इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हारी भाभी को हमारे बारे में पता ना चल सके वरना वो हंगामा खड़ा कर देगी।
रश्मि सूरज की शर्ट के बटन खोलती हुई बोली- भाई भाभी से डर गए हो.. तो दुनिया को कैसे बताओगे कि तुम अपनी बहन से कितना प्यार करते हो? कहीं मैंने तुम जैसे बुज़दिल मर्द से प्यार करके कोई गलती तो नहीं कर ली?
यह कहते हुए रश्मि ने सूरज की शर्ट उतार दी और उसके नंगे सीने पर हाथ फेरने लगी।
सूरज ने रश्मि को पीछे की तरफ धकेला और घबरा कर बोला- अभी नहीं.. जैसे ही मौक़ा मिलेगा.. मैं खुद तुम्हारे पास आऊँगा मेरी जान।
लेकिन रश्मि तो किसी और ही मूड में थी.. उसने थोड़ा सा पीछे होकर अपनी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ा और ऊपर उठा कर अपनी शर्ट को अपने जिस्म से उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया।
अब रश्मि का ऊपरी बदन सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी ब्लैक रंग की ब्रा में था और नीचे उसने टाइट्स पहनी हुई थी।
रश्मि को इस हालत में देख कर सूरज की तो जैसे फट कर हाथ में आ गई हो.. उसके चेहरे का रंग उड़ गया और माथे पर पसीना बहने लगा।
वो फ़ौरन ही दरवाजे की तरफ भागा, मैं जल्दी से रसोई में चली गई।
सूरज ने बाहर झाँक कर देखा और फिर अन्दर आकर दरवाज़े को लॉक कर लिया और तेज़ी के साथ रश्मि की तरफ बढ़ा।
रश्मि ने अपनी दोनों बाज़ू फैलाए और बोली- आ जा मेरे राजा.. मुझे अपनी बाँहों में ले लो न..
सूरज ने उसकी शर्ट बिस्तर से उठा कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा- रश्मि आख़िर आज क्या हो गया हुआ है तेरे को ?
रश्मि- भाई मुझे क्या होना है.. वो ही हुआ है ना.. जो आपने मुझे किया है.. मेरे कुँवारे जिस्म में अपने प्यार की आग लगा दी है.. जो अब हर वक़्त सुलगती रहती है.. अब आप ही बताओ कि मैं अपनी यह प्यास कैसे बुझाऊँ?
सूरज उसकी टी-शर्ट को उसकी गले में डालते हुए बोला- मैं ही बुझाऊँगा तेरी प्यास.. लेकिन थोड़ा टाइम तो आने दे ना मेरी जान.. लेकिन रश्मि थी कि मेरे प्लान के मुताबिक़ सूरज के साथ चिपकती जा रही थी और अपनी चूचियों को उसके सीने के साथ रगड़ रही थी।
इतने में मैंने बाहर दरवाजे पर नॉक किया..
तो उस वक़्त रश्मि ने अपना हाथ सूरज के लंड पर रख दिया हुआ था।
सूरज के तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने जल्दी से उसे किस किया और उसे बाथरूम की तरफ धकेला।
मैंने आवाज़ दी- सूरज क्या कर रहे हो.. दरवाज़ा खोलो ना.. और यह रश्मि कहाँ चली गई है..?
रश्मि अब भी बाथरूम में जाने का नाम नहीं ले रही थी और सूरज से चिपकी जा रही थी। सूरज ने जल्दी से उसे खुद पर से हटाया और उसे बाथरूम की तरफ धकेलने लगा।
उसे बाथरूम में लगभग फेंकते हुए वो वापिस दरवाजे की तरफ भागा और फिर दरवाजा खोल दिया। मैं अन्दर गई तो सूरज के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था.. वो काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा और बोली- क्या बात है सूरज.. तुम ठीक तो हो ना?
सूरज घबरा कर बोला- हाँ हाँ.. ठीक हूँ मैं.. कुछ नहीं हुआ मुझे..
मैं सूरज की क़रीब आई और आहिस्ता से उसके साथ चिपक गई और बोली- क्या बात है जानू.. नाराज़ हो क्या मुझसे..
मेरी बात सुन कर वो थोड़ा रिलेक्स हुआ और बोला- नहीं नहीं.. नाराज़ तो नहीं हूँ जान.. बस ऐसे ही थोड़ा थका हुआ हूँ।
मैंने उसके गालों पर एक किस की और अपना हाथ उसकी पैन्ट की ऊपर से उसके लण्ड की तरफ ले जाते हुए बोली- आओ फिर मैं तुमको भी थोड़ा रिलेक्स कर दूँ।
मैंने देखा कि उसका लंड अभी भी अकड़ा हुआ है.. मैं उसके लण्ड को उसकी पैन्ट के ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी में लेते हुए बोली- जानू तुम्हारा तो लंड भी फुल टेन्शन में है.. मुझे अभी इसकी टेन्शन तो रिलीव करना ही पड़ेगी..
यह कहते हुए मैं नीचे फर्श पर बैठ गई और उसकी पैन्ट की बेल्ट खोलने लगी।
सूरज ने थोड़ी सी विरोध की लेकिन फिर खुद से ही अपनी पैन्ट नीचे उतार दी।
मैंने नीचे बैठ कर उसके लण्ड को अपनी मुँह में लिया और चूसने लगी।
धीरे-धीरे उसके ऊपर के हिस्से को अपनी ज़ुबान से चाटती और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगाती।
मेरी कमर दरवाजे की तरफ थी और दरवाज़ा खुला हुआ ही था और मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर में रश्मि भी अन्दर देखने लगेगी।
मैंने अपना चेहरा ऊपर किया और सूरज की तरफ देखने लगी.. मुझे उसके चेहरे के हाव-भाव से साफ़ पता चल रहा था कि रश्मि दरवाजे पर आ चुकी है।
मेरी नज़र सूरज के पीछे पड़ी हुई ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी.. तो उसके शीशे में मुझे रश्मि का अक्स नज़र आया।
रश्मि अब सूरज की तरफ देख रही थी और सूरज की नज़र भी उसकी बहन के ऊपर ही थी।
मैंने देखा कि रश्मि ने दरवाजे में खड़े-खड़े अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर आहिस्ता से अपनी शर्ट को ऊपर करते हुए अपनी चूचियों को एक्सपोज़ कर लिया।
जैसे ही सूरज की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी उसकी गोटियों को सहलाते हुए उसके लण्ड को चूस रही थी और आज मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
सूरज धक्के मारते हुए बोला- और चूस.. मेरी जान और चूस.. जल्दी कर.. जल्दी से निकाल दे मेरा पानी..
मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाला और फिर उसे अपने मुठ्ठी में आगे-पीछे करते हुए बोली- लेकिन रश्मि घर पर ही है.. वो किसी भी वक़्त इस तरफ को आ सकती है.. तो हमें देख ना ले..
सूरज अपनी बहन की तरफ देखता हुआ बोला- कुछ नहीं होगा.. वो नहीं आएगी.. तुम बस जल्दी से मेरे लण्ड का पानी चूसो..
उधर रश्मि अब अपनी टाइट्स के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी और आँखें बंद किए हुए खुद को ओर्गैज्म पर ले जाने की कोशिश कर रही थी।
यह सब वो अपने भाई के सामने कर रही थी.. ताकि उसके भाई की प्यास और भी बढ़ सके और हो भी ऐसा ही रहा था।
जैसे-जैसे रश्मि की मस्ती बढ़ रही थी.. वैसे-वैसे ही सूरज में भी जोश आता जा रहा था। वो पहले से भी जोर-जोर से धक्के मार रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल रहा था।
जैसे ही सूरज झड़ने वाला हुआ.. तो मैंने उसका लंड अपनी मुँह से निकाला और उठ गई कि नहीं.. अब मुझे रसोई में जाना है.. कुछ बाद में करूँगी।
रश्मि भी फुर्ती से दरवाजे से हट गई और सूरज मुझे रोकता ही रह गया लेकिन मैं वहाँ से चली आई।
कुछ ही देर में सूरज भी चेंज करके बाहर आ गया। उसने अपना एक बरमूडा पहन लिया हुआ था। रश्मि ने जैसे ही अपने भाई को देखा तो उसे अपने नज़रों से ही चिढ़ाने लगी। मैं रसोई में ही रही तो वो मुझे बता कर बाहर निकली और आँख मार कर बोली- भाभी, मैं भाई से मिल कर अभी आती हूँ।
हम दोनों हँसने लगे।
रश्मि बाहर गई तो सूरज टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. रश्मि सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
सूरज एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन रश्मि कहाँ मानने वाली थी।
रश्मि- क्या बात है भाई.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे.. क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?
thanks for the compliment bhaibahot ji jabardast tarike se aaaram se kahani ko aage badate hue.. waahhh