• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery एक भिकारी की हवस

Arnavxlover

Member
233
443
63
दोस्तो में एक नई कहानी का जिकर करने जा रहा हूँ, जिसका नाम है "एक भिकारी की हवस"
मैंने एक साल पहले कहानी शुरू की थी लेकिन कुछ पर्सनल प्रॉब्लम के कारण पोस्ट नही कर पाया।


उसके लिए मुझे खेद रहेगा।

कहानी का संक्षेप:

ये कहानी है एक भिखारी की काली जिंदगी के बारे मे...जिसका नाम है गंगू.. पर लोग इसे लंगड़ा भिखारी कहते हैं, क्योंकि वो अपने दाँये पैर से लंगड़ा कर चलता है, मैले -कुचेले कपड़े, घनी दादी, लंबे और उलझे हुए बॉल, चेहरा बिल्कुल काला , जिसे उसने ना जाने कितने समय से धोया ही नही है..

शहर के बीचो बीच बने रेलवे स्टेशन की पटरी से लगी हुई झुग्गी झोपड़ी की कॉलोनी मे वो रहता था, महीने के 1200 देकर..दिन भर मे जो भी वो भीख माँगकर कमाता, उसकी दारू पीता , जुआ खेलता, कभी-2 रंडियों के पास भी जाता ....

वो पूरे दिन चिलचिलाती धूप मे, सड़कों पर, रेड लाइट पर, ऑफिसों के बाहर भीख माँगता रहता था, कोई उसको खाने के लिए देता और कोई उसको पैसे देकर उसकी मदद करता..ऐसे ही चल रही थी उसकी जिंदगी..

पर एक दिन एक हादसे ने गंगू की जिंदगी ही बदल दी..एक बार तो उसने सोचा की इसको लेकर पुलिस स्टेशन चले जाना चाहिए..पर फिर उसके दिमाग़ मे छुपे शैतान ने कहा की ऐसे माल को तू ऐसे ही अपने हाथ से क्यो जाने देना चाहता है ...ले चल इसको अपने घर..और मज़े ले इसके साथ..

और फिर गंगू ने मन ही मन निश्चय कर लिया और उसको लेकर अपने साथ चल पड़ा..गंगू को क्या परेशानी हो सकती थी ....उसके शातिर दिमाग़ मे अचानक ये ख़याल आया की उसके साथ इतनी सुंदर लड़की को देखकर शायद उसे ज़्यादा भीख मिलने लग जाए ...क्योंकि कॉलोनी मे जो दूसरे भिखारी थे, जिस जिसके साथ उनकी बीबी या या जवान बेटी जाती थी, वो ज़्यादा कमा कर ही आते थे वापिस ...

उसने हामी भर दी और दोनो भीख माँगेने लिए निकल पड़े
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

Arnavxlover

Member
233
443
63
ये कहानी है एक भिखारी की काली जिंदगी के बारे मे...जिसका नाम है गंगू.. पर लोग इसे लंगड़ा भिखारी कहते हैं, क्योंकि वो अपने दाँये पैर से लंगड़ा कर चलता है, मैले -कुचेले कपड़े, घनी दादी, लंबे और उलझे हुए बॉल, चेहरा बिल्कुल काला , जिसे उसने ना जाने कितने समय से धोया ही नही है..

शहर के बीचो बीच बने रेलवे स्टेशन की पटरी से लगी हुई झुग्गी झोपड़ी की कॉलोनी मे वो रहता था, महीने के 1200 देकर..दिन भर मे जो भी वो भीख माँगकर कमाता, उसकी दारू पीता , जुआ खेलता, कभी-2 रंडियों के पास भी जाता ....

वो पूरे दिन चिलचिलाती धूप मे, सड़कों पर, रेड लाइट पर, ऑफिसों के बाहर भीख माँगता रहता था, कोई उसको खाने के लिए देता और कोई उसको पैसे देकर उसकी मदद करता..ऐसे ही चल रही थी उसकी जिंदगी..

पर एक दिन एक हादसे ने गंगू की जिंदगी ही बदल दी..

रात का समय था, लगभग 2 बजे थे, गंगू अपनी भीख से इकट्ठे हुए पैसों को शराब और चिकन मे उड़ा कर अपनी झोपड़ी की तरफ जा रहा था की अचानक उसने देखा की एक तेज रफ़्तार से आती हुई कार सड़क के बीचो बीच बने डिवाइडर से जा टकराई और बीच की रेलिंग तोड़ती हुई एक जगह पर जाकर रुक गयी ..

गंगू का सारा नशा हवा हो गया..

वो कार की तरफ भागने लगा की अचानक उसे एक लड़की के चीखने की आवाज़ आई, कार का अगला दरवाजा खुला और उसमे से एक लड़की, जो बुरी तरहा से लहू लुहान थी , वो निकली और उसके पीछे-2 एक मोटा सा आदमी भी निकला, जिसके सिर से भी हल्का खून निकल रहा था

उस मोटे आदमी ने लड़की की टाँग पकड़ी और उसकी सलवार पकड़ कर फाड़ डाली..उसकी गोटी-2 टांगे नंगी हो गयी, खून निकलने की वजह से वो कमजोर सी लग रही थी और सही ढंग से अपना बचाव भी नही कर पा रही थी..


गंगू समझ गया की वो मोटा आदमी उसका रेप करना चाहता है, और रेप शब्द उसके जहन मे आते ही उसका खून खोलने लगा और वो पागलो की तरह भागता हुआ उस तरफ आ गया, उसने एक्सीडेंट की वजह से टूटे हुए डिवाईडर के लोहे का सरिया उठा लिया और खींचकर उसने एक जोरदार प्रहार उस मोटे आदमी की पीठ पर कर दिया..

वो पहले से ही ज़ख्मी था, इस वार से वो तिलमिला उठा..

लड़की अपने ही खून मे लिपटी पड़ी थी, उसने एक नज़र भिखारी को देखा और फिर वो बेहोशी के आगोश मे डूबती चली गयी..

मोटे आदमी ने जब देखा की भिखारी उसे मारने के लिए फिर से अपना हाथ उठा रहा है तो वो अपनी कार मे बैठा और भाग खड़ा हुआ...

पीछे रह गयी वो लड़की..जिसके सिर से काफ़ी खून निकल रहा था.

उसने आस पास देखा, सड़क किनारे एक रिक्शे वाला सो रहा था, उसने जल्दी से जाकर उसे उठाया, पहले तो उसने एक्सीडेंट वाला केस समझ कर मना किया, पर गंगू ने जब अपना रुद्र रूप दिखाकर उसे डराया तो वो मान गया, और गंगू ने उस लड़की को उठा कर रिक्शे पर लादा और हॉस्पिटल ले गया

सरकारी अस्पताल था, इसलिए ज़्यादा पूछताछ नही हुई..लड़की को फर्स्ट ऐड देकर एक कमरे मे पहुँचा दिया गया, गंगू भी उसके साथ ही था..

अगली सुबह जब उसको होश आया तो डॉक्टर्स ने उसकी जाँच की, उसके बारे मे पूछा, पर वो चुपचाप लेटी रही, किसी भी बात का जवाब नही दिया उसने..बस अपनी आँखे शून्य मे घुमाती रही..

डॉक्टर ने गंगू को अपने केबिन मे बुलाया

डॉक्टर : "तुम कौन लगते हो इस लड़की के ...''

गंगू इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था...उसके मुँह से अचानक निकल गया : "जी ...मेरी रिश्तेदार है ..''

डॉक्टर ने उसे उपर से नीचे तक देखा, डॉक्टर को विश्वास तो नहीं हुआ पर कुछ बोला भी नही..

कुछ देर बाद उसने एक एक्सरे स्क्रीन पर लगा कर दिखाया और बोला : "देखो, इसके सिर पर अंदर तक चोट आई है...वैसे तो घबराने की कोई बात नही है, पर मुझे लगता है की ये अपनी यादश्त खो बैठी है...इसको अपने बारे मे कुछ भी याद नही है ...''

गंगू की समझ मे कुछ भी नही आ रहा था...वो डॉक्टर की बातें सुनता रहा..

डॉक्टर : "अभी तो आप इसको घर ले जा सकते हैं, पर इसकी पट्टियां करवाने के लिए और चेकअप के लिए इसको हर दो दिन के बाद लेकर आना.."

वो चुपचाप उठा और वापिस उस लड़की के पास आ गया.

वो उसे देखकर कुछ याद करने की कोशिश कर रही थी ...पर सब बेकार..

आख़िर गंगू ने उससे पूछा : "तुम कौन हो ...क्या नाम है तुम्हारा ...''

लड़की ने पहली बार अपने मुँह से वो शब्द निकाले : "मुझे कुछ याद नही है ....मेरा नाम क्या है ...मुझे याद नही आ रहा ...''

और इतना कहकर वो अपना सिर पकड़कर रोने लगी...शायद उसे दर्द हो रहा था वहाँ..

गंगू उठकर उसके पास गया और उसे चुप कराया, उसे पानी का गिलास दिया.

शाम तक नर्स ने उसे देने की दवाइयाँ एक लिफाफे मे डाल कर दी और बोली की अब तुम लोग घर जा सकते हो.

गंगू उस लड़की को लेकर बाहर आ गया.

एक बार तो उसने सोचा की इसको लेकर पुलिस स्टेशन चले जाना चाहिए..पर फिर उसके दिमाग़ मे छुपे शैतान ने कहा की ऐसे माल को तू ऐसे ही अपने हाथ से क्यो जाने देना चाहता है ...ले चल इसको अपने घर..और मज़े ले इसके साथ..

और फिर गंगू ने मन ही मन निश्चय कर लिया और उसको लेकर अपने साथ चल पड़ा..

वो जहाँ रहता था, उसकी झोपड़ी के आस पास ज़्यादातर दूसरे भिखारियों की झोपडिया थी, जो अपने सिर और पैरों पर नकली चोट और पट्टियाँ लगाकर सहानभूति बटोरते और भीख माँगते थे..

उस लड़की की हालत भी कुछ ऐसी ही हो रही थी अभी..

सिर पर पट्टी बँधी थी..कपड़े मैले कुचेले से हो गये थे...सलवार की जगह एक पुराना सा पायज़ामा पहना हुआ था उसने जो हॉस्पिटल से ही मिला था ..कुल मिलाकर वो भी अब उनकी तरह ही लग रही थी..

फ़र्क था तो बस उसके गोरे रंग का..जो उसे अलग ही दर्शा रहा था .

गंगू उसको लेकर अपनी कॉलोनी मे पहुँच गया..

अंदर जाते हुए हर कोई उसको और उस लड़की को घूर रहा था..एक-दो ने तो पूछ भी लिया ''कहा से लाया है ये माल गंगू..''

पर उसने किसी की बात का जवाब नही दिया..और उसे लेकर अपने झोपडे पर पहुँच गया..

दरवाजा बंद करके उसने लड़की को चारपाई पर बिठाया और झोपड़ी मे कुछ खाने पीने का समान ढूंढने लगा...पर वहाँ कुछ होता तभी मिलता ना, वो ढूँढने की एक्टिंग कर ही रहा था की अचानक बाहर का दरवाजा खड़का, उसने जैसे ही दरवाजा खोला, बाहर लगी भीड़ को देखकर घबरा गया.

बाहर कॉलोनी का ठेकेदार यानी मालिक खड़ा था और साथ मे आस पड़ोस के काफ़ी लोग भी थे.
 

kartik

Member
327
557
108
Yeh kahani mene pehle bhi padhi hui hai par sayad adhuri thi..kya original lekhak tum hii ho?

Waiting next update..
 

Arnavxlover

Member
233
443
63
बाहर कॉलोनी का ठेकेदार यानी मालिक खड़ा था और साथ मे आस पड़ोस के काफ़ी लोग भी थे.

अब आगे

गंगू : "अरे, राजू भाई , आप...कहिए...''

राजू : "मैने सुना है की तेरे साथ एक लड़की आई है...देखने मे सुंदर भी है...और इन लोगो को लगता है की तू उसको कहीं से उठा कर लाया है..बोल, क्या बात है...मुझे अपनी जगह पर कोई पंगा नही चाहिए.....''

गंगू : "अरे नही राजू भाई, ऐसा कुछ भी नही है...ये लड़की तो मेरी जोरू है...कल ही गाँव से आई है..रास्ते मे एक्सीडेंट हो गया था, इसलिए अस्पताल ले गया था, आज ही छुट्टी हुई है..ये देखो..अस्पताल का पर्चा..''

उसने अपनी जेब से हॉस्पिटल का पर्चा दिखा दिया..

तभी वो लड़की अचानक बाहर निकल आई...उसके चेहरे पर कोई भी भाव नही था..वो सब लोगो को टकटकी लगाकर देख रही थी ..

राजू ने उस लड़की से पूछा : "ये तेरा मर्द है ना...बोल''

कुछ देर तक उसे देखते रहने के बाद उस लड़की ने अपना सिर हाँ मे हिला दिया..

उन सभी लोगो के साथ-2 गंगू भी हैरान रह गया..की आख़िर उस लड़की ने हाँ क्यो कहा..

सब लोग उसकी तरफ हैरानी से देखने लगे, की ऐसे बदसूरत भिखारी की इतनी सुंदर बीबी कैसे हो सकती है..

पर अब शक करने का कोई प्रश्न ही नही रह गया था...उसकी बात मानकर सभी लोग अपने-2 घर की तरफ चल दिए..

राजू ने जाते-2 कहा : "अब तू अपनी बीबी के साथ रहेगा यहाँ तो मेरी झोपड़ी का किराया 1500 होगा..समझा..''

गंगू ने हाँ मे सिर हिला दिया..

और उसके बाद राजू भी वहाँ से चला गया..

गंगू ने दराजा फिर से बंद किया और उस लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया..

और अपने प्रश्नो की बोछार कर दी उसके उसपर ....

गंगू : "बता मुझे, कौन है तू, कहा की रहने वाली है...वो आदमी कौन था तेरे साथ कार मे जो तेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहा था..बोल...और तूने इन सबके सामने मेरे झूट का साथ क्यो दिया...''

लड़की हैरानी से उसकी तरफ देखे जा रही थी..मानो कुछ समझ ही नही पा रही की हो क्या रहा है उसके साथ..

उसने थोड़ी देर बाद सुबकना शुरू कर दिया...और बोली : "मुझे नही पता ...मुझे कुछ याद नही है...मेरा नाम क्या है...मुझे नही पता...वो तुमने हॉस्पिटल मे मेरा इतना ध्यान रखा ...मुझे घर ले आए...इसलिए मुझे लगा की तुम ही मेरे पति हो ...इसलिए सबके सामने मैने ऐसे कहा ...''

कुछ देर बाद वो बोली : "तुम ऐसे क्यो बोल रहे हो ....क्या मैं तुम्हारी पत्नी नही हू ...बोलो ...''

गंगू की समझ मे आ गया की उसे कुछ भी याद नही है..वो बेकार ही उसपर गुस्सा हो रहा था..

वो बाहर निकल गया और कुछ देर मे ही खाने पीने का समान लेकर आया और दोनो ने मिलकर खाना खाया.

खाना खाते हुए गंगू उसके शरीर को घूर-2 कर देख रहा था..उसका मासूम सा चेहरा, गोरा बदन..मोटे -2 मुम्मे और बाहर निकली हुई गांड ...उसकी उम्र लगभग 23 के आस पास थी ...बिल्कुल फिल्मी हीरोइन अमीशा पटेल जैसा चेहरा और फिगर था उसका..शादी शुदा तो नही लगती थी ...पर इतनी सेक्सी लड़की का कोई बाय्फ्रेंड नही रहा होगा, इसपर गंगू को शक़ था...

खाना खाने के बाद गंगू बीड़ी पीने के लिए बाहर निकल गया..शाम का समय था,..इसलिए कॉलोनी मे काफ़ी रोनक थी ...

तभी गंगू को ध्यान आया की घर पर सोने का तो कोई इंतज़ाम भी नही है...वो तो टूटी-फूटी सी चारपाई पर सो जाता था ...पर इस लड़की को उसपर नींद कैसे आएगी ..

और उसके लिए कपड़ो का भी इंतज़ाम करना होगा ..वो पिछले दो दीनो से उन्ही कपड़ो मे थी ..

वो कॉलोनी के बाहर पटरी पर लगने वाली मार्केट की तरफ चल दिया..वहाँ कॉलोनी के ही कई लोग सस्ते कपड़े बेचते थे ..

वो वहाँ पहुँचा और औरतों के कपड़े देखने लगा ...एक घाघरा चोली का सेट उसे पसंद आ गया ..और उसके साथ ही उसने एक ब्रा और पेंटी भी ले ली ...साथ मे एक मोटी चादर और चप्पल भी ले ली उस लड़की के लिए ..ये सारा सामान उसे 500 रुपए मे मिल गया..

वो अपने झोपडे की तरफ चल दिया..और वहां पहुँचकर उसने वो सब समान उस लड़की को दे दिया..तब तक वो अपना मुँह हाथ धो चुकी थी और पहले से काफ़ी साफ़ सुथरी दिख रही थी..

वो उन कपड़ों को गोल-2 आँखों से देखने लगी..गंगू ने चारपाई की चादर बदल दी ..और उस लड़की को कपड़े बदलने के लिए बोला ..

अब थी कठिन घड़ी उस लड़की के लिए...क्योंकि गंगू की 8x8 की झोपड़ी मे कोई अलग से कपड़े बदलने की जगह नही बनी हुई थी ...और गंगू तो चारपाई पर चादर बिछा कर ऐसे लेट गया जैसे वो कोई शो देखने के लिए आया हो ..

लड़की सकुचाती हुई सी उठी और उसने दूसरी तरफ मुंह कर लिया ..उसने वही हॉस्पिटल वाला पायज़ामा और अपने सूट का कुर्ता पहना हुआ था.. पहले उसने अपना पायज़ामा उतारा ..उसकी गोरी-2 पिंडलियाँ देखकर गंगू का लंड खड़ा हो गया ...वो उसे अपनी पेंट के उपर से ही मसलने लगा ...

फिर उस लड़की ने अपनी पेंटी को उतारा ...जो एक ब्लेक कलर की महंगी पेंटी थी ..चूँकि उस लड़की और गंगू की चारपाई के बीच ज़्यादा गेप नही था, गंगू ने अपना पैर लंबा करते हुए नीचे पड़ी हुई पेंटी को अपने पैर के अंगूठे मे फँसाया और उपर लाकर अपने हाथों मे पकड़ लिया ...

अहह ....इतनी गर्म पेंटी थी उसकी ...और चूत वाली जगह से गीली भी थी ...वो उसे सूंघने लगा...एक मादकता से भरी खुश्बू निकल रही थी ...उसे सूंघते ही वो समझ गया की उसकी चूत कुँवारी है ..इतना तो तजुर्बा हो ही चुका था उसे ...
 

Arnavxlover

Member
233
443
63
फिर उस लड़की ने नयी पेंटी उठाई और अपने पैरों मे चड़ा ली, और फिर घाघरा भी पहन लिया ...फिर उसने अपना उपर का कुर्ता उतरा ..अब तो गंगू की हालत खराब होने लगी उसे ऊपर से लगभग नंगा देखकर ,उसकी पतली कमर और ब्लेक ब्रा देखकर गंगू से सहन नही हुआ और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसपर लड़की की पेंटी लपेट कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा ..

लड़की ने धीरे से अपनी ब्रा के क्लेप्स खोले और उसे भी उतार कर नीचे गिरा दिया ...अब वो उपर से पूरी नंगी थी ...जैसे ही वो ब्रा उठाने के लिए नीचे झुकी उसकी एक चुचि किसी लटके हुए आम की तरह दिख गयी गंगू को ...इतनी रसीली और मोटी चुचि देखकर उसकी उत्तेजना की सीमा नही रही और उसने भरभरा कर झड़ना शुरू कर दिया ...बड़ी मुश्किल से उसने अपने मुँह से निकलने वाली आहों को बाहर निकलने से बचाया ..पर अपने लंड के माल को उस लड़की की पेंटी मे भरने से नही बचा सका ..उसने जल्दी से अपने लंड का सारा पानी उस पेंटी से सॉफ किया और उसे वापिस नीचे कपड़ों मे फेंक दिया ..

गंगू ने लाख कोशिश की पर उसकी मोटी ब्रेस्ट को और नही देख पाया ...इतनी देर मे उसने जल्दी से नयी ब्रा पहन ली और उसके उपर से वो चोली भी ...

और जब सारे कपड़े पहन कर वो उसकी तरफ घूमी तो गंगू उसे देखता ही रह गया ...वो बहुत सुंदर लग रही थी इन नये कपड़ों मे ..बिल्कुल गाँव की भोली भली दुल्हन की तरह. ..

गंगू : "ये कपड़े वहाँ कोने मे रख दे...कल इन्हे धोने के लिए चलेंगे नदी किनारे ...''

उसने उन्हे उठाया और कोने मे रख दिया ....रखते हुए उसके हाथ में जैसे ही अपनी पेंटी आई और उसपर लगा हुआ ढेर सारा गीलापन उसने महसूस किया, उसने झट से गंगू की तरफ देखा...पर वो अंजान सा बनता हुआ दूसरी तरफ देखने लगा ..वो कुछ नही बोली और सारे कपड़े उठा कर कोने मे रख दिए ..

अब समय था सोने का...

वो तो खुद ही अपने आप को गंगू की पत्नी समझ रही थी..इसलिए गंगू ने सोचा की आज की रात वो उसकी चूत मारकर ही रहेगा..

गंगू ने चारपाई पर बिछा हुआ बिस्तर नीचे ज़मीन पर बिछा दिया और उसपर नयी चादर भी बिछा दी..और चारपाई को किनारे पर खड़ा कर दिया..

बिस्तर पर लेटते हुए गंगू बोला : "चल .. आ जा यहाँ ...सोते हैं ...''

अपने लंड को मसलता हुआ वो बड़े ही भद्दे ढंग से बोला ...

उस लड़की की आँखों मे एक अजीब सा भय उतर आया ... पता नही उसके मन मे क्या चल रहा था..पर साफ़ था की वो समझ चुकी है की गंगू क्या चाहता है ..

वो गंगू की तरफ पीठ करके साईड पोस्स में लेट गयी, गंगू ने उसकी पतली कमर को पीछे से दबोच लिया और अपना लंड वाला हिस्सा उसकी उभरी हुई गांड पर लगा कर ज़ोर से दबा दिया..

अह्ह्ह्ह्ह्हहह ...... उस लड़की के मुँह से एक आह्ह्ह सी निकल गयी...

गंगू को ऐसा लगा की उसने किसी रुई के गद्दे पर अपना लंड टीका दिया है ..

इतनी मुलायम और गद्देदार गांड उसने आज तक महसूस नही की थी ..

अपने हाथों को उसने लड़की के पेट से लपेट रखा था ...लड़की के दिल की धड़कन उसे सॉफ सुनाई दे रही थी ..

अपनी निचली कमर को धीरे-2 चलाते हुए वो उसकी गांड पर अपने खड़े हुए लंड से ठोकरे मार रहा था ..

वो लड़की अपनी जगह पर लेटी हुई कसमसा रही थी ...सॉफ था की गंगू जो भी कर रहा था वो उसमे असहज महसूस कर रही थी ...पर गंगू को इससे कोई फ़र्क नही पड़ा, वो अपने काम मे लगा रहा ..

अपने हाथ को उसने धीरे-2 उपर करना शुरू किया ...और जैसे ही उसके मोटे मुम्मे से गंगू का हाथ टकराया, वो लड़की एक जोरदार चीख मारती हुई उससे छिटककर दूर जाकर खड़ी हो गयी ...और ज़ोर-2 से रोने लगी ..

गंगू को उसपर बहुत गुस्सा आया पर उसे डर से कांपता हुआ देखकर और उसके आँसुओं को देखकर उसे एकदम से ये एहसास हुआ की वो उसके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था ...ज़बरदस्ती यानी रेप .. और अचानक उसने अपने चेहरे पर ज़ोर-2 से दो थप्पड़ मारे और मन ही मन अपने आपको गालियाँ देने लगा की क्यो वो उस लड़की की मजबूरी का फायदा उठा रहा है ..वो ऐसा कैसे कर सकता है ..बिना उस लड़की की रज़ामंदी के वो उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना चाह रहा था ..वो तो ऐसा बिल्कुल नही था, उसे तो नफ़रत थी ऐसे काम से और आज वो खुद वो काम कर रहा था ..ऐसा सोचते-2 उसने फिर से एक जोरदार चांटा मारा अपने ही मुँह पर. ..

वो लड़की रोते-2 चुप हो चुकी थी और हैरानी से गंगू की तरफ देखे जा रही थी ...जो अपने ही मुँह पर बुरी तरह से थप्पड़ मार रहा था ..

थोड़ी देर बाद गंगू ने उसकी तरफ देखा और बोला : "मुझे माफ़ कर दो...मैं बहक गया था ...''

और उसने वो बिस्तर फिर से चारपाई पर लगाया और उस लड़की को वहाँ सोने के लिए कहा ...और खुद एक कोने पर ऐसे ही नंगी ज़मीन पर सो गया ...

वो लड़की कुछ देर तक तो खड़ी रही फिर धीरे-2 चलती हुई चारपाई तक आई और वहाँ सो गयी ..

दोनो के मन मे ना जाने क्या -2 चलता रहा पर उसके बाद उन्होने आपस मे कोई बात नही की ..

सुबह जब गंगू 8 बजे उठा तो उसकी नज़र चारपाई की तरफ गयी, वो लड़की बेसूध सी होकर सो रही थी .. शायद उन दवाइयों का असर था, जो उसने रात को ली थी, या फिर देर रात तक जागने की वजह से वो ऐसी नींद सो रही थी अब तक ..

वो नाश्ते का इंतज़ाम करने के लिए बाहर निकल गया ..और जब वापिस आया तो वो उठ चुकी थी और बेसब्री से उसका उंतजार कर रही थी ..

जैसे ही वो अंदर आया वो बोली : "कहाँ चले गये थे, मुझे उठा तो दिया होता ...''

गंगू : "नाश्ते का इंतज़ाम करने गया था...ये लो ..''

उसने अपने साथ लाया हुआ नाश्ता उसे दिया और दोनो ने मिलकर खाया.

अचानक वो लड़की धीरे से बोली : "सुनो ...वो रात वाली बात, दरअसल ...मुझे ....वो सब ....थोड़ा अजीब सा … ''

गंगू बीच मे ही बोला : "मैं समझ सकता हू, तुम चिंता मत करो, आज के बाद ऐसा नही होगा ...तुम्हे घबराने की कोई ज़रूरत नही है ...''

उसने राहत की साँस ली ...और फिर बोली : "तुम्हारा नाम तो गंगू है ...पर मेरा नाम क्या है ...''

गंगू कुछ देर तक सोचता रहा और फिर बोला : "नेहा .... नेहा नाम है तुम्हारा ...''

वो लड़की भी बुदबुदाई : "नेहा ..... ह्म्*म्म्म ''

नाश्ता करने के बाद गंगू ने उससे कहा : "चलो, नदी किनारे चलते हैं, वो कपड़े भी धोने हैं, तुम चाहो तो नहा भी लेना वहां , उसके बाद हॉस्पिटल चलेंगे ...डॉक्टर साब ने कहा था की आज दिखा देना एक बार ...''

उसने हाँ मे सिर हिलाया और अपने कपड़ों की पोटली उठा कर उसके साथ नदी किनारे चल दी ..

वो बहती हुई नदी, उनकी कॉलोनी के पीछे की तरफ थी, जहाँ झोपड़पट्टी के लोग नहाते-धोते और अपने कपड़े सॉफ करते थे ...

सुबह का समय था, इसलिए वहाँ काफ़ी भीड़ थी ..

गंगू के साथ उस लड़की को आता देखकर सभी की नज़रें उसी तरफ थी ...वो नेहा को ऐसे देख रहे थे जैसे उसे आँखों ही आँखों मे चोद देंगे ...

गंगू को अपनी तरफ मिल रही अटेंशन से काफी मजा आ रहा था, वो उसकी बीबी तो नही थी, इसलिए उसे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की कोई उसे किस नज़र से देख रहा है...और नेहा भी अपनी तरफ उठने वाली हर नज़र को देखकर उतनी ही खुश हो रही थी, जितनी आजकल की नोजवान लड़कियाँ अपनी तरफ मिल रही अटेंशन से होती है ..

पर उसे नहीं मालुम था की ऐसी अटेंशन ही उसकी मुसीबत बन जायेगी …
 

Arnavxlover

Member
233
443
63
वहां हर कोई खुले मे नहा रहा था..औरतें और लड़कियाँ भी लगभग नंगी होकर नहा रही थी ..15 साल के आस पास की लड़कियाँ तो सिर्फ़ एक कच्छी पहन कर एक झुंड मे नहा रही थी ..उनकी अर्धविक्सित चुचियाँ ठंडे पानी मे भीगकर तनी हुई थी ..जिनकी चुचियाँ ज़्यादा मोटी हो चुकी थी उन्होने टी शर्ट या कोई महीन सा कपड़ा पहना हुआ था, जिसमे से उनके मुम्मे साफ़ दिख रहे थे ..औरतों ने अपना पेटीकोट उपर तक बाँधकर अपनी छातियों को ढका हुआ था ..जिसकी वजह से उनकी मोटी-2 जांघे साफ़ दिख रही थी सभी को … और भीगने के बाद उनके पेटीकोट के नीचे छुपा खजाना भी ....ये नज़ारा देखना गंगू का रोज का काम था ...उसने तो कई बार पानी के अंदर ही अंदर उन लड़कियों और औरतों को देखकर मूठ मारी थी ..और काई बार तो कई औरतों के साथ मज़े भी लिए थे ..झोपड़पट्टियों मे रहने वाले खुलकर मज़े लेते थे एक दूसरे से ..

नेहा बड़ी उत्सुकतता से सभी को देख रही थी ..तब तक गंगू उसका हाथ पकड़कर एक कोने की तरफ ले गया जहाँ ज़्यादा भीड़ नही थी और अपने कपड़े उतार कर नहाने लगा ...

नेहा ने पयज़ामा और टी शर्ट पहनी हुई थी ..वो ऐसे ही पानी मे उतर गयी ..हालाँकि उसने अंदर ब्रा भी पहनी थी ..पर उसके निप्पल शायद कुछ ज़्यादा ही सेंसेटिव और लंबे थे, वो दोनो कपड़ो को झाँककर बाहर उजागर होने लगे ...वो जब पहली डुबकी लगाकर बाहर निकली तो उसके संगमरमरी बदन को देखकर गंगू के जंगली लॅंड की हालत बेकाबू सी हो गयी ...वो धोती मे ही फड़फड़ाने लगा ...अब उसने ये वादा तो कर दिया था की वो नेहा के साथ कोई ज़बरदस्ती नही करेगा..पर अपने अंदर की बढ़ती हुई हवस को वो कैसे समझाए ...उसके अंदर का जानवर बुरी तरहा से गुर्रा रहा था नेहा का सेक्सी शरीर देखकर ..

वैसे देखा जाए तो हर भले इंसान के अंदर एक जानवर होता है ..जो हर वक़्त सक्रिए रहता है...ये तो इंसान की इच्छाशक्ति के उपर है की वो उसपर कब तक कंट्रोल रख पता है ...गंगू की भी यही हालत थी ..

नेहा दिन-दुनिया से बेख़बर अपने बदन पर साबुन लगा-लगाकर नहा रही थी ..और वहाँ नहा रहे दूसरे मर्दों की भूखी नज़रें उसके बदन को छेद कर उसका रसपान कर रही थी ..

गंगू भी सब देख रहा था...उसकी नज़रें उन सभी पर भी थी जो नेहा की तरफ गंदी नज़रों से देख रहे थे ...

तभी गंगू के पीछे से एक सुरीली आवाज़ आई ...

''अब तो गंगू हमे भूल ही जाएगा ...''

उसने तुरंत घूम कर देखा...वहाँ रजनी खड़ी थी ..जिसे प्यार से सभी लोग रज्जो कहते थे ..

वो उसकी कॉलोनी की सबसे हसीन औरतों मे से एक थी ...वो बिना ब्लाउस के साड़ी पहन कर नहा रही थी , और साड़ी भीगने की वजह से उसके मोटे मुम्मे और उनपर लगे निप्पल अलग ही चमक रहे थे.

उसका अपाहिज पति भी गंगू की तरहा ही सड़कों पर भीख माँगता था ...उसका एक हाथ नही था..और रज्जो बाजार मे मछली बेचती थी ..उसका मछली बेचने का तरीका भी सेक्सी था ...वो खुले गले का ब्लाउस और पेटीकोट पहन कर बैठती थी बाजार मे ..और सामने खड़े ग्राहक को उसके मोटे दूध और चिकनी जांघे सॉफ दिख जाते थे ...इसलिए उसकी मछलियाँ बाजार मे सबसे पहले बिक जाती थी ..

गंगू के साथ उसका चक्कर भी चल रहा था ...रात के समय गंगू कई बार उसकी झोपड़ी मे जाकर ही उसे चोद चुका था ...उसका बेवड़ा पति जब शराब के नशे मे सो रहा होता था तो गंगू उसकी बगल मे लेटकर ही उसकी बीबी को चोद रहा होता था ..

और ये चक्कर सिर्फ़ रज्जो के साथ ही नही था उसका..कॉलोनी की कई लड़कियाँ और औरतें गंगू के जंगली लॅंड की दीवानी थी ..कारण था उसका नौजवान शरीर और लंबा लॅंड...साथ ही उसका जंगलिपना भी ...क्योंकि वो चोदते हुए किसी जानवर की तरहा बिहेव करता था..गालियां निकालता था और बड़ी ही बेदर्दी से चुदाई करता था वो सबकी...चाहे इसमे दर्द भी होता था उन्हे, पर मज़ा भी भरपूर मिलता था ..उसके जैसा लॅंड पूरी कॉलोनी मे और किसी के पास नही था ..इसलिए जो उसके लॅंड का स्वाद एक बार चख लेता था, वो दोबारा चुदे बिना नही रह सकता था ..

गंगू भी रज्जो की तरफ पलटा और बोला : "तुझे कैसे भूल जाऊंगा मेरी जान ...घर की दाल के आगे तेरी फिश करी तो कमाल की लगेगी ...''

रज्जो ने आँखे नचाकर नेहा की तरफ देखा और बोली : "घर की दाल तो नही लगती ये ...बहुत मिर्च मसाला भरा हुआ है इसके अंदर ...देख ज़रा, सारे कॉलोनी के कुत्ते कैसे उसको घूर कर देख रहे हैं ...''

गंगू हंसते हुए बोला : "अब कुत्तों को घूरने से कौन रोक सकता है ...''

नेहा का ध्यान अभी तक उनकी तरफ नही था ...ये देखकर रज्जो ने एकदम से अपनी साड़ी को अपनी छातियों से हटा दिया, जिसकी वजह से उसके नंगे मुम्मे एक पल के लिए गंगू की नज़रों के सामने चमक गये ..और अगले ही पल उसने फिर से साड़ी अपनी छातियों पर बाँध ली ..और पास ही पड़ी हुई एक बड़ी सी चट्टान के पीछे की तरफ चल दी ..

गंगू उसका इशारा समझ गया ....वो पहले भी काई बार उस चट्टान के पीछे उसकी चुदाई कर चुका था ..पर उसे आज नेहा की भी चिंता थी ..उसने एक नज़र उसकी तरफ देखा और फिर अपने लॅंड की बात सुनकर वो भी चट्टान के पीछे की तरफ चल दिया ..

और गंगू को वहाँ ना पाकर अचानक ही 3-4 आदमी नेहा के आस पास मंडराने लगे ...

उनमे से एक था कॉलोनी का गुंडे किस्म का आदमी भूरे सिंह ..जो शायद अंडरवर्ल्ड के लिए काम करता था ..इसलिए सभी उससे डर कर रहते थे ..उसके पास एक पिस्टल भी थी, जो वो अपनी शर्ट के नीचे छुपा कर रखता था ..

दूसरी तरफ गंगू जैसे ही चट्टान के पीछे पहुँचा, रज्जो उससे किसी बेल की तरह से लिपट गयी और उसे चूमने लगी ...गंगू ने उसकी साड़ी उसकी छातियों से हटा दी और उसके मोटे-2 मुम्मो को चूसने लगा ...वहाँ उन्हे चुदाई के लिए ज़्यादा वक़्त नही मिल पाता था, इसलिए जल्दी-2 करना पड़ता था सब कुछ ..

रज्जो ने उसके लॅंड को बाहर निकाला और अपनी साड़ी उपर करते हुए वो एक चिकने पत्थर पर लेट गयी ...गंगू ने अपना लॅंड सीधा उसकी रसीली चूत के अंदर पेल दिया और ठोकने लगा उस गदर माल को वहीं नदी किनारे ...उसके हिलते हुए मुममे वो अपने मुँह से पकड़ने की कोशिश करता और जैसे ही वो पकड़ मे आता वो उनपर काट लेता ...रज्जो मछली की तरहा मचल जाती ..

और सिर्फ़ पाँच मिनट के अंदर ही गंगू का तेल उसकी चूत के अंदर भरा पड़ा था ..

वो उसकी मुलायम छातियों के उपर मुँह रखकर हाँफने लगा..

दूसरी तरफ भूरे सिंह बिल्कुल पास पहुँच गया था नेहा के ..और उसके गोरे शरीर को देखकर उसकी आँखे लाल सुर्ख हो चुकी थी ...वो नहाने के बहाने इधर उधर डुबकी लगाता और नेहा के आस पास जाकर निकलता, इस तरह से वो उसके गुदाज जिस्म को छूने मे कामयाब हो रहा था ..

नेहा भी थोड़ा विचलित लग रही थी ..उसने शायद ऐसी परिस्थितियों के बारे मे सोचा नही था...या शायद जानती नही थी की इनसे कैसे निपटा जाता है ...

अचानक भूरे सिंह पानी के अंदर गया और अंदर ही अंदर उसने नेहा की भरंवा गांड को अपने हाथों मे लेकर ज़ोर से दबा दिया ...

नेहा के अंदर एक चिंगारी सी सुलग उठी ... उसकी यादश्त चाहे चली गयी थी पर उसके अंदर की औरत ऐसे टच पाकर उत्तेजित होने लगी थी ...वो चाहकर भी अपनी उत्तेजित भावनाओ को नियंत्रित करने मे कामयाब नही हो पा रही थी ...

तक भूरे अपना सर पानी से बाहर निकाल कर नेहा के पीछे खड़ा हुआ था , नेहा उसे देख तो नहीं पा रही थी पर महसूस जरूर कर रही थी

भूरे ने जब देखा की नेहा अब ज़्यादा विरोध नही कर रही है तो उसने अपने हाथ की उंगलियों को थोड़ा नीचे करते हुए उसकी दोनो टाँगो के बीच फँसा दिया और उसकी चूत के उपर रखकर अपने हाथ से उसे जोरों से भींच लिया ...पानी के अंदर खड़ी हुई नेहा अपने पंजों पर खड़ी हो गयी ....उसका मुँह खुला का खुला रह गया ...आँखों मे गुलाबीपन उतर आया ...और साँसे तेज़ी से चलने लगी ...

भूरे समझ गया की लोंडिया को मज़ा आने लगा है ...उसने अपनी उंगलियों की थिरकन तेज कर दी ..उसे उसकी चूत पानी के अंदर भी किसी भट्टी की तरह सुलगती हुई महसूस हो रही थी ..

पर तभी भूरे के एक साथी ने उसे आगाह किया की गंगू वापिस आ रहा है .. भूरे ने बेमन से अपना हाथ वहाँ से हटा लिया ..और पानी के अंदर एक डुबकी लगाकर दूर निकल गया ...ताकि गंगू उसे नेहा के आस पास ना देख पाए ...बेचारी नेहा देख भी नहीं पायी की वो कौन इंसान था जो उसे इतने मजे दे रहा था

गंगू और भूरे का एक दो बार झगड़ा हो चुका था पहले भी ..भूरे अपनी बदमाशी चलाता था पूरी कॉलोनी मे..सिर्फ़ गंगू ही एक ऐसा शख्स था जो उससे डरता नही था ...इसलिए दोनो मे ठनी रहती थी हमेशा ..

भूरे वहाँ कोई फ़साद खड़ा नही करना चाहता था इसलिए अपने दोस्तों के साथ वहाँ से निकल गया
 
Top