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अब आगे
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मुममेथ : "ओह....गंगू....बड़ी जल्दी फोन कर दिया, यानी जितना मैं तड़प रही हू यहाँ, उतना ही तू भी तड़प रहा है मेरे लिए, इसलिए घर जाते ही मिला दिया नंबर...''
गंगू : "हाँ , बस कुछ ऐसा ही समझ लो...तुम कहा हो अभी...''
मुममेथ : "अभी तो उन दोनों की सेवा करके बाहर निकली हूँ ...सालों ने एकसाथ मिलकर बजा डाली आज तो...बस अभी इक़बाल का ड्राइवर घर छोड़कर आएगा मुझे...''
गंगू : "तुम मेरा एक काम कर सकती हो क्या...''
मुममेत : "काम तो मैं तेरा कोई भी कर दूँगी...बस मेरी प्यास बुझा जा एक बार फिर से...आज रात इक़बाल दुबई जा रहा है...अगले दो दिनों तक मैं अकेली ही रहूंगी..तू कल आ जा मेरे घर...पहले मेरी बारी , फिर तेरे काम की बारी...''
गंगू ने अगले दिन आने का वादा करके फोन रख दिया..
फिर वो वापिस अपने झोपडे की तरफ चल दिया...अंधेरा होने को था...उसने रास्ते से ही खाने का समान पैक करवा लिया..
घर पहुँचकर उसने बड़े ही प्यार से नेहा यानी शनाया को देखा...सच मे वो काफ़ी खूबसूरत थी...उसका मासूम सा चेहरा,गहरी झील सी आँखे , उसके चेहरे से निकलता तेज सब बयान कर रहे थे की वो एक अमीर घराने की लड़की है..
पर बेचारी की किस्मत तो देखो...उसको देह व्यापार वालो के चुंगल मे फँसा कर दुबई तक पहुँचा दिया गया..और फिर उसकी यादश्त भी चली गयी ...और अब वो अपनी पिछली जिंदगी भूलकर उसके साथ भिखारियो जैसी जिंदगी बिता रही है...और अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी, यानी अपना कुँवारापन भी वो गंगू को दे चुकी है...
इसलिए गंगू ने सोच लिया की अब तो कुछ भी हो जाए, वो इसको किसी भी कीमत पर बचाकर ही रहेगा उस भेड़िए के हाथों से..उसके ही पैसे और हथियार का इस्तेमाल करके वो अकेला ही लड़ाई करेगा उन सभी से...और इसके लिए चाहे उसकी जान भी क्यो न चली जाए, वो अब पीछे नही हटेगा..
नेहा : "ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...पहली बार देखा है का...''
गंगू : "नही कुछ भी नही....ये लो खाना, जल्दी से लगा दो, काफ़ी भूख लगी है..''
नेहा : "भूख तो मुझे भी लगी है...पर इस खाने की नही...इसकी..'' और इतना कहकर उसने गंगू की पेंट के उपर से ही उसका लंबा लंड पकड़ कर सहला दिया.
नेहा की असलियत जानने के बाद तो और भी ज़्यादा सेक्सी लग रही थी गंगू को वो...ऐसी सेक्सी लड़की की दोबारा चुदाई के ख़याल से ही उसका लंड फटने सा लगा...वो बोला : "तो पहले तुम्हारी इसी भूख का इलाज कर देता हू...''
और इतना कहते ही उसने आगे बढ़कर नेहा को पकड़ कर भींच लिया अपनी बाहों मे और उसके रसीले होंठों को पकड़कर ज़ोर से चूम लिया...उसके होंठों पर लगा सारा शहद निकलकर उसके मुँह मे जाने लगा...और वो कसमसाती हुई सी उसकी बाहों मे मचलने लगी..
''अहह ....... पुचssssssssssssssssssssssssssss ...... उम्म्म्ममममममममम ......''
नेहा की बल खाती जवानी को अपनी बाहों मे उठाकर उसने बिस्तर पर पटक दिया...और फिर हल्की रोशनी मे उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...नेहा ने भी बिस्तर पर पड़े-2 अपने कपड़े उतारे और नंगी हो गयी...अपनी टांगे और बाहें फेला कर उसने गंगू को बड़े ही प्यार से अपने उपर बुलाया..और गंगू ने उसके प्यार भरे चेहरे को चूमते हुए अपना लंड उसके अंदर डाल दिया..
''अहह ...... ओह ...गंगू ................. .... कितना मज़ा आता है ...जब तुम्हारा ये मेरे अंदर जाता है..... अहह ....... और अंदर डालो ...... उम्म्म्मममममम ''
और फिर गंगू ने ऐसे झटके मार मारकर उसकी चुदाई की, जिन्हे सुनकर शायद अडोस पड़ोस के लोग भी जाग गये होंगे...
और फिर अगले दिन की प्लानिंग करता हुआ गंगू,नेहा के नंगे जिस्म को अपनी बाहों मे लेकर सो गया.
अगली सुबह गंगू की नींद जल्दी ही खुल गयी...उसके दिमाग़ मे कल के सारे सीन किसी मूवी की तरह से चल रहे थे...उसको तो अब भी विश्वास नही हो पा रहा था की उसकी बाहों मे लेटी हुई नंगी लड़की एक अमीर घराने की औलाद है..जो अब सब कुछ भूलकर उसकी पत्नी की तरह उसके साथ रह रही है...चुदाई का मज़ा ले रही है...
हल्का उजाला होने लगा था...उसको प्रेशर भी लगा था, वो धीरे से उठा और बाहर निकल गया..शोच से निपटने के बाद उसने सोचा की लगे हाथो नहा भी लिया जाए, क्योंकि आज के लिए उसने काफ़ी कुछ प्लान कर रखा था, जिसके लिए उसको हर हाल मे 8 बजे से पहले घर से निकलना ही था..आज उसने मुम्मैथ ख़ान से जो मिलना था..
वो नहाने के लिए नदी की तरफ चल दिया..अभी तक पूरी तरह से उजाला नही हुआ था..इसलिए 2-4 लोग ही गलियों मे नज़र आ रहे थे...जब वो नहाने की जगह पहुँचा तो उसकी नज़र सीधा वहाँ नहा रही लच्छो पर पड़ी...जो हमेशा की तरह उपर से नंगी होकर आराम से नहा रही थी..नीचे उसने एक छोटी सी कच्छी पहनी हुई थी..जिसमे उसकी छोटी-2 गोल मटोल सी गांड बंद थी..
गंगू को देखते ही उसकी आँखो मे भी चमक आ गयी...पर अगले ही पल उसने घूम कर दूसरी तरफ़ देखा, जहाँ उसकी माँ भी नहा रही थी..आज वो इतनी सुबह अपनीमाँ के साथ आई थी...जो अपने बदन पर मात्र एक पेटीकोट पहने हुए नहा रही थी..जिसे उसने अपने मोटे-2 मुम्मों के उपर चड़ा रखा था..उसकी माँ उमा को भी वो काफ़ी बार चोद चुका था...पर बाद मे जब गंगू को दूसरी जवान और छरहरी लड़कियाँ और औरतें मिलने लगी चुदाई के लिए तो उसने उमा की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया..क्योंकि वो काफ़ी मोटी थी..उसका वजन लगभग 90 किलो के आस पास था उस वक़्त.....और उसके भारी भरकम शरीर के नीचे लेटना किसी यातना से कम नही लगता था गंगू को..
उमा ने भी जब गंगू को देखा तो वो नदी मे चलती हुई उसकी तरफ ही आकर नहाने लगी..लच्छो भी बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से गंगू को देख रही थी...जैसे आज वो उसके लंड से चुदने को पूरी तरह से तैयार हो..एक ही जगह पर माँ-बेटी को अपने लिए आशिक़ होता देखने का गंगू के लिए ये पहला मौका था..
इंसान के दिमाग़ मे भले ही लाख परेशानियाँ हो, पर सेक्स वो सब भुला देता है...गंगू के दिमाग़ से इस वक़्त ये निकल ही चुका था की वो और नेहा कितनी बड़ी मुसीबत मे हैं...इस वक़्त तो उसको सिर्फ़ और सिर्फ़ लच्छो की नमकीन और कुँवारी चूत ही नज़र आ रही थी..
लच्छो अपनी छोटी-2 घुंडीयों पर साबुन लगाकर उन्हे सॉफ कर रही थी...जिसकी वजह से वो काफ़ी सख़्त हो चुकी थी...और गंगू को देखने के बाद तो उनमे रक्त संचार और भी तेज़ी से होने लगा था...और ज़ोर से रगड़ने की वजह से वो लाल हो चुकी थी..
गंगू उन्हे देखने मे बिज़ी था की उसके कानों मे उमा की आवाज़ पड़ी : "आज तो बड़े दिनों के बाद दिखा है रे गंगू...मेरी याद नही आती आजकल...''
वो भी बेशर्मो की तरह अपना आधे से ज़्यादा मुम्मा बाहर निकाल कर उसपर साबुन लगा रही थी...लच्छो अपनी माँ को ऐसी हाकत करती देखकर जल भुन रही थी...वैसे तो वो अपनी माँ को अच्छी तरह से जानती थी...उसका झुग्गी के काई मर्दों के साथ संबंध था...पर इस वक़्त वो गंगू पर लाइन मार रही थी, जो उसको बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था...वो तो अपनी माँ को किसी सोतन की तरह से देख रही थी..
गंगू : "तू ही नही दिखती आजकल उमा, तेरे पति का कुछ पता चला क्या ..?"
उसका पति 4 महीने पहले लापता हो गया था, शुरू मे उमा भी परेशान हुई थी, पर ये सोचकर की चलो अच्छा हुआ की अब कोई रोक टोक वाला नही है, वो भी अपनी जिंदगी मे मस्त हो गयी थी...वो शायद अब पैसों के लिए भी चुदवाने लगी थी बाहर जाकर..और ये उड़ती हुई खबर गंगू ने भी सुनी थी की वो अब एक धंधे वाली बन चुकी है..
उमा : "नही पता चला रे...बेवड़ा था, पता नही कहाँ मर खप गया...वैसे भी वो किसी काम का नही था मेरे लिए...तू तो जानता है गंगू, जवान हो रही बेटी की चिंता हर किसी को रहती है...बस उसी के लिए इधर उधर फिरती रहती हू अब...''
उसने बड़ी ही बेशर्मी का परिचय देते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट बाहर निकाल ली...वो जानती थी की उन्हे देखकर गंगू का लॅंड ज़रूर खड़ा हो जाएगा और उसको फिर से एक बार उसके तगड़े लॅंड को अंदर लेने का मज़ा मिलेगा..
पीछे खड़ी हुई लच्छो अपनी मा को उपर से नंगी देखकर हैरान रह गयी...उसने तो सोचा भी नही था की वो ऐसा कुछ करेगी...और वो भी ऐसे, सबके सामने...नदी मे 8-10 लोग और भी नहा रहे थे...उनकी नज़रें भी उमा की मोटी ब्रेस्ट पर जम कर रह गयी...वो भी अपने-2 लॅंड को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगे..और उसके मोटे-2 मुम्मों के दर्शन का मज़ा लेने लगे..
गंगू ने भी नोट किया की अब वो पहले जैसी मोटी नही रह गयी...उसकी ब्रेस्ट और भी आकर्षक हो चुकी है...और गांड भी पीछे से काफ़ी बाहर निकली हुई थी...शायद रंडी बनने के बाद उसने अपने जिस्म को सही तरह से ढाल लिया था..
गंगू : "हाँ , दिख रहा है, तेरे इधर उधर फिरने का असर तेरे उपर...''
वो उसके गुलाबी और मोटे निप्पल को घूरता हुआ बोला..
उमा ने इधर उधर देखा फिर धीरे से बोली : "चल ना गंगू...मेरी खोली मे चल...बस थोड़ी ही देर लगेगी...''
उसकी चूत शायद अंदर से खुजाने लगी थी.
पर गंगू की नज़रें तो उसकी बेटी लच्छो पर थी...गंगू को उधर देखता हुआ पाकर वो बोली : "उसको क्यो देख रहा है रे...वो तो बच्ची है अभी...''
वो शायद उसकी नज़रों को पहचान गयी थी..
गंगू : "बच्ची नही है वो अब....मज़े लेना वो भी सीखना चाहती है...मैं चलता हू तेरे घर ...पर उसको भी सामने रखना होगा तुझे...''
गंगू से ऐसी शर्त की उम्मीद नही थी उमा को...वो जानती थी की उसकी बेटी का मन आजकल काफ़ी मचलने लगा है...उसने अक्सर गाँव के लड़कों के साथ उसको चूमा चाटी करते हुए देखा था...पर ज़्यादा कुछ वो भी नही बोलती थी उसको...ऐसे माहोल में रहकर एक ना एक दिन तो वो सब होना ही है..पर आज गंगू के मुँह से उसके बारे मे सुनकर वो समझ गयी की उसकी बेटी भी अब बड़ी हो चुकी है...इस वक़्त तो उसके जिस्म मे आग लगी हुई थी, इसलिए वो बोली : "ठीक है...पर कुछ ज़बरदस्ती ना करना उसके साथ...वो अभी छोटी है...''
गंगू जानता था की वो कितनी बड़ी है...वो मुस्कुराता हुआ उमा के पीछे चल दिया..लच्छो ने भी अपनी टी शर्ट पहनी और उनके पीछे चल दी..वो नही जानती थी की उनके बीच क्या बात हुई है, पर इतना समझ चुकी थी की कुछ मजेदार होने वाला है..अपने बाप के घर से चले जाने के बाद उसने अक्सर दूसरे मर्दों को अपने घर पर आते हुए देखा था...और उसकी माँ ने समझाया भी था की उन्हे अपनी लाइफ चलाने के लिए अब यही काम करना पड़ेगा...इसलिए उसको भी अब कोई फ़र्क नही पड़ता था..
उमा के घर पहुँचकर गंगू तो उसके ठाट बाट देखकर हैरान रह गया...उसने अपनी झोपड़ी को पक्के मकान मे बदल दिया था...और सबसे बड़ी बात, उसने अपने अंदर वाले कमरे मे एसी भी लगवाया हुआ था..
उमा उसको लेकर सीधा अंदर घुस गयी...और दरवाजा बंद कर दिया..पर गंगू के ज़ोर देने पर उसको फिर से खोल भी दिया...
अब उमा से सब्र नही हो रहा था...उसने अपना गाउन निकाल फेंका और पूरी नंगी हो गयी..गंगू की धोती भी उसने निकाल फेंकी..उसका खड़ा हुआ लंड सुबह -2 उसको सलामी ठोंकने लगा ..
वो झट से नीचे बैठ गयी...और उसके लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी..
गंगू ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए दरवाजे की तरफ देखा, जहाँ लच्छो आकर खड़ी हो चुकी थी..उसने शायद आज पहली बार अपनी माँ को ऐसा कुछ करते हुए देखा था...वैसे तो वो भी उस दिन गंगू का लंड चूस चुकी थी..पर अपनी माँ को इतनी आसानी से वो सब करता देखकर वो समझ गयी की वो पहले भी गंगू के साथ ये सब कर चुकी है..
गंगू ने लच्छो को इशारे से उसकी टी शर्ट उतारने को कहा...पहले तो वो झिझकी पर फिर जल्द ही उसकी बात मान गयी...टी शर्ट के साथ-2 उसने अपनी कच्छी भी उतार फेंकी...और अब एक ही कमरे मे दोनो माँ बेटियाँ नंगी थी गंगू के सामने..
लच्छो की चूत पर अभी हल्के-2 बाल आने शुरू हुए थे पर उसकी गांड मे माल भर चुका था काफ़ी...गंगू का मान हुआ की उसके गोल चूतड़ो पर अपना मुँह रग़ड़ डाले..पर इसके लिए पहले उमा को तैयार करना था...ताकि वो अपने सामने ही अपनी बेटी को गंगू के हवाले कर दे..
और वैसे भी आज गंगू ये सोचकर ही उसके साथ घर पर आया था की वो लच्छो की चूत लेकर ही रहेगा..क्योंकि आज के बाद जो काम वो करने वाला था,उसके बाद वो कभी भी इस कॉलोनी मे वापिस तो आ ही नही सकता था..इसलिए जाने से पहले वो इस कच्ची जवानी को अपने लंड की सोगात देकर जाना चाहता था..
उमा तो गंगू के लंड को चूसने मे बीजी थी...उसे तो पता भी नही था की उसकी बेटी नंगी होकर पीछे ही खड़ी है..
गंगू ने अचानक लच्छो से कहा : "आ जा लच्छो बांदरी ...इधर आकर दिखा, कितनी जवान हुई है तू और कितनी बच्ची है अभी तक...''
गंगू की बात सुनते ही उमा ने घूमकर पीछे देखा...उसको तो विश्वास ही नही हुआ की उसकी जवान हो चुकी बेटी ऐसे नंगी होकर उनके सामने आ जाएगी...पर उसको देखकर उमा समझ गयी की आज वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गयी है...वो मना करती भी तो किस मुँह से , वो खुद भी तो यही काम कर रही थी..ऐसे मे सिर्फ़ सिर झुकाकर उसके लिए जगह बनाने के अलावा वो कुछ और कर ही नही पाई...
अब गंगू के सामने दोनो माँ बेटी उसकी दासियों की तरह बैठी हुई थी...और एक -2 करके उसके लंड को चूस रही थी...
पर गंगू को तो उमा मे कोई दिलचस्पी ही नही थी...वो तो बस लच्छो को देखने मे लगा था...अपना हाथ सिर्फ़ उसके सिर पर फेर रहा था...अपने लंड को ज़्यादा देर तक उसके ही मुँह मे रख रहा था...और उसकी माँ को अपने टटटे दे रहा था चूसने के लिए..
अब उमा भी समझ चुकी थी की उसकी बेटी का चुदना लगभग तय ही है गंगू के लंबे लंड से...और वो सिर्फ़ उसकी वजह से ही उसके घर तक आया है...
वो बीच मे से हटना चाहती थी..पर अपनी चूत की खुजली मिटाए बिना नही...वो सीधा बिस्तर पर जा चढ़ी और गंगू को अपने उपर खींच कर उसके लंड को अंदर ले लिया...
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... साले .....गंगू ....हरामजादे .......मेरी बेटी से ज़्यादा मज़े ले रहा है...तू आया भी इसके लिए ही है ना....कोई बात नही कमीने...आज कर ले इसके साथ भी मज़े...अहह...पर पहले मेरी चुदाई कर ले अच्छी तरह से....ओफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ .....मैं तो इससे भी छोटी थी जब पहली बार चुदी थी...इसके अंदर की गर्मी मैं समझ सकती हू.....अहह....चोद लियो आज इसको भी....कर दे इसको भी जवान....''
उमा के मुँह से अपनी बेटी के बारे मे ऐसी बाते सुनकर गंगू के साथ-2 लच्छो भी हैरान रह गयी....गंगू समझ गया की एक लड़की के अंदर जब आग भड़कती तो कैसा फील होता है...और ऐसी आग मे ज़्यादा देर तक वो अपनी बेटी को तड़पाना नही चाहती थी...
ऐसी माँ आजकल कम ही मिलती है, जो अपनी बेटी की ऐसी ज़रूरत का भी पूरा ध्यान रखे..
गंगू ने भी तेज़ी से धक्के मारने शुरू कर दिए....सुबह का वक़्त था, इसलिए उसका लंड पूरे उफान पर था...पर वो जल्दी झड़कर लच्छो को और लंबा इंतजार नही करवाना चाहता था...और लच्छो तो उसके लंबे लंड से अपनी माँ की चुदाई होते देखकर हैरानी से कभी उसके लॅंड को देखती और कभी अपनी अनचुदी छोटी सी चूत को....वो समझ नही पा रही थी की ऐसी छोटी सी चूत मे उसका मोटा और लंबा लंड कैसे जाएगा...
पर आज तो किसी भी हालत मे वो उसकी चुदाई करके ही मानने वाला था...उसने उसकी चूत को चुदाई के लिए तैयार करने का एक नायाब तरीका निकाला...उसने लच्छो को भी उपर खींचकर सीधा उसकी माँ के मुँह के उपर बिठा दिया और लच्छो का चेहरा अपनी तरफ कर लिया...इस तरीके से लच्छो की कुँवारी चूत अब उसकी माँ उमा के मुँह मे थी और उसके छोटे-2 उभार सीधा गंगू की वासना से भरी आँखो के सामने...
गंगू ने आगे बढ़कर उन्हे सहलाया और फिर उसके चेहरे को पकड़कर अपने पास लाया और उसे स्मूच करने लगा....
नीचे के होंठों पर उसकी माँ के होंठों की पकड़ और उपर के होंठों पर गंगू के होंठों की....लच्छो की तो बुरी हालत हो गयी....उसकी चूत से लबालब तरी निकल कर उसकी माँ की डेगची जैसे मुँह मे जाने लगी...
और अपनी बेटी के रस को पीकर उमा भी अपनी उत्तेजना के उफान पर पहुँच गयी और एक जोरदार झटके के साथ उसकी चूत ने ढेर सारा पानी बाहर की तरफ उछाल दिया...और उसने भी अपनी बेटी की जांघों को ज़ोर से भींचते हुए उसकी चूत को और भी अंदर तक चूस कर उसे उसकी चुदाई के लिए तैयार कर दिया...
अब बारी थी लच्छो की....उसको गंगू ने अपने सामने बिछाया...बगल मे ही उसकी माँ गहरी साँसे लेती हुई अपने ऑर्गॅज़म से उभरने की कोशिश कर रही थी...इतने मे गंगू ने बिना वक़्त गँवाए लच्छो की दोनो टांगे पकड़ी और उसके अंदर अपना लंड सटाकर जोरदार धक्का मारा...
''माआआआआआआआआअ...... अहह ....मररररर गयी ................ ''
और जब तक उसकी माँ देखती की क्या खून ख़राबा चल रहा है वहाँ, गंगू ने एक और शॉट मारा और अपना आधे से ज़्यादा लंड अंदर तक पेल दिया....
''आआआआआआआआआहह.................... ममममाआआआअ .....दर्द हो रहा है .....''
उमा : "गंगू.....धीरे कर हरामी....मेरी फूल सी बच्ची को दर्द हो रहा है...''
वो उसका सिर सहलाने लगी...और तब तक गंगू ने आख़िरी वार किया और अपना पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत के अंदर डाल कर उसके उपर ओंधा लेट गया...
लच्छो की आँखे उबल कर बाहर निकल आई....उसने गंगू की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया...और वो दोनो काफ़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे लेटे रहे...
फिर लच्छो ने ही अपनी गांड उपर की तरफ उचकानी शुरू की...उसके अंदर के दर्द ने कब खुजली का रूप ले लिया, उसको भी पता नही चला...और अब वो इस खुजली को गंगू के लंड से बुझाना चाहती थी...
वो बड़बड़ाने लगी : "आआआआआआआह ....अब चोद ना साले ....गंगू......अपने लॅंड से....जैसे अपनी बीबी को चोदता है.....जैसे मेरी माँ को चोदा अभी.....साले .....हरामी....ज़ोर से धक्के मार ना...... अहह ....अहह ......और तेज कर गंगू.......''
अब तो उसके सिर पर जैसे सेक्स का नशा पूरी तरह चड चुका था....उसने गंगू के लॅंड को ऐसे झटके ले-लेकर अंदर लिया की उसकी माँ भी समझ गयी की उसकी बेटी उससे भी बड़ी रंडी बनेगी...
गंगू ने उसकी जांघे पकड़ी और ज़मीन पर खड़ा होकर धक्के मारने लगा....उसकी छोटी-2 ब्रेस्ट हर झटके मे ऐसे हिलती जैसे गुलाब जामुन थाली से निकल कर बाहर आ जाएगा...
और अब वो भी हर झटके को एंजाय कर रहा था...ऐसी टाइट चूत तो नेहा की भी नही निकली थी, जब उसने उसकी पहली चुदाई की थी....
और फिर नेहा के बारे में सोचते हुए...और लच्छो की कसाव वाली चूत को मारते हुए उसके लंड ने भी जवाब दे दिया...और आख़िरी वक़्त पर उसने अपने लंड को बाहर निकाला और जोरदार प्रेशर के साथ सीधा लच्छो के जिस्म को भिगो दिया....उसके गर्म लावे मे पिघलकर लच्छो की जवानी की आग शांत हुई...
और कुछ देर तक आराम करने के बाद गंगू बाहर निकल गया...और सीधा अपनी झोपड़ी मे पहुँचा...नेहा अभी तक सो रही थी...गंगू ने मुम्मैथ को फोन करके मिलने का टाइम लिया...और फिर नेहा को उठाया..
दोनो ने मिलकर नाश्ता किया...और फिर नेहा को कुछ समझाकर वो बाहर निकल गया...मुम्मैथ के घर की तरफ..