• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery एक भिकारी की हवस

Arnavxlover

Member
233
443
63
**********
अब आगे
***********

मुममेथ : "ओह....गंगू....बड़ी जल्दी फोन कर दिया, यानी जितना मैं तड़प रही हू यहाँ, उतना ही तू भी तड़प रहा है मेरे लिए, इसलिए घर जाते ही मिला दिया नंबर...''

गंगू : "हाँ , बस कुछ ऐसा ही समझ लो...तुम कहा हो अभी...''

मुममेथ : "अभी तो उन दोनों की सेवा करके बाहर निकली हूँ ...सालों ने एकसाथ मिलकर बजा डाली आज तो...बस अभी इक़बाल का ड्राइवर घर छोड़कर आएगा मुझे...''

गंगू : "तुम मेरा एक काम कर सकती हो क्या...''

मुममेत : "काम तो मैं तेरा कोई भी कर दूँगी...बस मेरी प्यास बुझा जा एक बार फिर से...आज रात इक़बाल दुबई जा रहा है...अगले दो दिनों तक मैं अकेली ही रहूंगी..तू कल आ जा मेरे घर...पहले मेरी बारी , फिर तेरे काम की बारी...''

गंगू ने अगले दिन आने का वादा करके फोन रख दिया..

फिर वो वापिस अपने झोपडे की तरफ चल दिया...अंधेरा होने को था...उसने रास्ते से ही खाने का समान पैक करवा लिया..

घर पहुँचकर उसने बड़े ही प्यार से नेहा यानी शनाया को देखा...सच मे वो काफ़ी खूबसूरत थी...उसका मासूम सा चेहरा,गहरी झील सी आँखे , उसके चेहरे से निकलता तेज सब बयान कर रहे थे की वो एक अमीर घराने की लड़की है..

पर बेचारी की किस्मत तो देखो...उसको देह व्यापार वालो के चुंगल मे फँसा कर दुबई तक पहुँचा दिया गया..और फिर उसकी यादश्त भी चली गयी ...और अब वो अपनी पिछली जिंदगी भूलकर उसके साथ भिखारियो जैसी जिंदगी बिता रही है...और अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी, यानी अपना कुँवारापन भी वो गंगू को दे चुकी है...

इसलिए गंगू ने सोच लिया की अब तो कुछ भी हो जाए, वो इसको किसी भी कीमत पर बचाकर ही रहेगा उस भेड़िए के हाथों से..उसके ही पैसे और हथियार का इस्तेमाल करके वो अकेला ही लड़ाई करेगा उन सभी से...और इसके लिए चाहे उसकी जान भी क्यो न चली जाए, वो अब पीछे नही हटेगा..

नेहा : "ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...पहली बार देखा है का...''

गंगू : "नही कुछ भी नही....ये लो खाना, जल्दी से लगा दो, काफ़ी भूख लगी है..''

नेहा : "भूख तो मुझे भी लगी है...पर इस खाने की नही...इसकी..'' और इतना कहकर उसने गंगू की पेंट के उपर से ही उसका लंबा लंड पकड़ कर सहला दिया.

नेहा की असलियत जानने के बाद तो और भी ज़्यादा सेक्सी लग रही थी गंगू को वो...ऐसी सेक्सी लड़की की दोबारा चुदाई के ख़याल से ही उसका लंड फटने सा लगा...वो बोला : "तो पहले तुम्हारी इसी भूख का इलाज कर देता हू...''

और इतना कहते ही उसने आगे बढ़कर नेहा को पकड़ कर भींच लिया अपनी बाहों मे और उसके रसीले होंठों को पकड़कर ज़ोर से चूम लिया...उसके होंठों पर लगा सारा शहद निकलकर उसके मुँह मे जाने लगा...और वो कसमसाती हुई सी उसकी बाहों मे मचलने लगी..

''अहह ....... पुचssssssssssssssssssssssssssss ...... उम्म्म्ममममममममम ......''

नेहा की बल खाती जवानी को अपनी बाहों मे उठाकर उसने बिस्तर पर पटक दिया...और फिर हल्की रोशनी मे उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...नेहा ने भी बिस्तर पर पड़े-2 अपने कपड़े उतारे और नंगी हो गयी...अपनी टांगे और बाहें फेला कर उसने गंगू को बड़े ही प्यार से अपने उपर बुलाया..और गंगू ने उसके प्यार भरे चेहरे को चूमते हुए अपना लंड उसके अंदर डाल दिया..

''अहह ...... ओह ...गंगू ................. .... कितना मज़ा आता है ...जब तुम्हारा ये मेरे अंदर जाता है..... अहह ....... और अंदर डालो ...... उम्म्म्मममममम ''

और फिर गंगू ने ऐसे झटके मार मारकर उसकी चुदाई की, जिन्हे सुनकर शायद अडोस पड़ोस के लोग भी जाग गये होंगे...

और फिर अगले दिन की प्लानिंग करता हुआ गंगू,नेहा के नंगे जिस्म को अपनी बाहों मे लेकर सो गया.

अगली सुबह गंगू की नींद जल्दी ही खुल गयी...उसके दिमाग़ मे कल के सारे सीन किसी मूवी की तरह से चल रहे थे...उसको तो अब भी विश्वास नही हो पा रहा था की उसकी बाहों मे लेटी हुई नंगी लड़की एक अमीर घराने की औलाद है..जो अब सब कुछ भूलकर उसकी पत्नी की तरह उसके साथ रह रही है...चुदाई का मज़ा ले रही है...

हल्का उजाला होने लगा था...उसको प्रेशर भी लगा था, वो धीरे से उठा और बाहर निकल गया..शोच से निपटने के बाद उसने सोचा की लगे हाथो नहा भी लिया जाए, क्योंकि आज के लिए उसने काफ़ी कुछ प्लान कर रखा था, जिसके लिए उसको हर हाल मे 8 बजे से पहले घर से निकलना ही था..आज उसने मुम्मैथ ख़ान से जो मिलना था..

वो नहाने के लिए नदी की तरफ चल दिया..अभी तक पूरी तरह से उजाला नही हुआ था..इसलिए 2-4 लोग ही गलियों मे नज़र आ रहे थे...जब वो नहाने की जगह पहुँचा तो उसकी नज़र सीधा वहाँ नहा रही लच्छो पर पड़ी...जो हमेशा की तरह उपर से नंगी होकर आराम से नहा रही थी..नीचे उसने एक छोटी सी कच्छी पहनी हुई थी..जिसमे उसकी छोटी-2 गोल मटोल सी गांड बंद थी..

गंगू को देखते ही उसकी आँखो मे भी चमक आ गयी...पर अगले ही पल उसने घूम कर दूसरी तरफ़ देखा, जहाँ उसकी माँ भी नहा रही थी..आज वो इतनी सुबह अपनीमाँ के साथ आई थी...जो अपने बदन पर मात्र एक पेटीकोट पहने हुए नहा रही थी..जिसे उसने अपने मोटे-2 मुम्मों के उपर चड़ा रखा था..उसकी माँ उमा को भी वो काफ़ी बार चोद चुका था...पर बाद मे जब गंगू को दूसरी जवान और छरहरी लड़कियाँ और औरतें मिलने लगी चुदाई के लिए तो उसने उमा की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया..क्योंकि वो काफ़ी मोटी थी..उसका वजन लगभग 90 किलो के आस पास था उस वक़्त.....और उसके भारी भरकम शरीर के नीचे लेटना किसी यातना से कम नही लगता था गंगू को..

उमा ने भी जब गंगू को देखा तो वो नदी मे चलती हुई उसकी तरफ ही आकर नहाने लगी..लच्छो भी बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से गंगू को देख रही थी...जैसे आज वो उसके लंड से चुदने को पूरी तरह से तैयार हो..एक ही जगह पर माँ-बेटी को अपने लिए आशिक़ होता देखने का गंगू के लिए ये पहला मौका था..

इंसान के दिमाग़ मे भले ही लाख परेशानियाँ हो, पर सेक्स वो सब भुला देता है...गंगू के दिमाग़ से इस वक़्त ये निकल ही चुका था की वो और नेहा कितनी बड़ी मुसीबत मे हैं...इस वक़्त तो उसको सिर्फ़ और सिर्फ़ लच्छो की नमकीन और कुँवारी चूत ही नज़र आ रही थी..

लच्छो अपनी छोटी-2 घुंडीयों पर साबुन लगाकर उन्हे सॉफ कर रही थी...जिसकी वजह से वो काफ़ी सख़्त हो चुकी थी...और गंगू को देखने के बाद तो उनमे रक्त संचार और भी तेज़ी से होने लगा था...और ज़ोर से रगड़ने की वजह से वो लाल हो चुकी थी..

गंगू उन्हे देखने मे बिज़ी था की उसके कानों मे उमा की आवाज़ पड़ी : "आज तो बड़े दिनों के बाद दिखा है रे गंगू...मेरी याद नही आती आजकल...''

वो भी बेशर्मो की तरह अपना आधे से ज़्यादा मुम्मा बाहर निकाल कर उसपर साबुन लगा रही थी...लच्छो अपनी माँ को ऐसी हाकत करती देखकर जल भुन रही थी...वैसे तो वो अपनी माँ को अच्छी तरह से जानती थी...उसका झुग्गी के काई मर्दों के साथ संबंध था...पर इस वक़्त वो गंगू पर लाइन मार रही थी, जो उसको बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था...वो तो अपनी माँ को किसी सोतन की तरह से देख रही थी..

गंगू : "तू ही नही दिखती आजकल उमा, तेरे पति का कुछ पता चला क्या ..?"

उसका पति 4 महीने पहले लापता हो गया था, शुरू मे उमा भी परेशान हुई थी, पर ये सोचकर की चलो अच्छा हुआ की अब कोई रोक टोक वाला नही है, वो भी अपनी जिंदगी मे मस्त हो गयी थी...वो शायद अब पैसों के लिए भी चुदवाने लगी थी बाहर जाकर..और ये उड़ती हुई खबर गंगू ने भी सुनी थी की वो अब एक धंधे वाली बन चुकी है..

उमा : "नही पता चला रे...बेवड़ा था, पता नही कहाँ मर खप गया...वैसे भी वो किसी काम का नही था मेरे लिए...तू तो जानता है गंगू, जवान हो रही बेटी की चिंता हर किसी को रहती है...बस उसी के लिए इधर उधर फिरती रहती हू अब...''

उसने बड़ी ही बेशर्मी का परिचय देते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट बाहर निकाल ली...वो जानती थी की उन्हे देखकर गंगू का लॅंड ज़रूर खड़ा हो जाएगा और उसको फिर से एक बार उसके तगड़े लॅंड को अंदर लेने का मज़ा मिलेगा..

पीछे खड़ी हुई लच्छो अपनी मा को उपर से नंगी देखकर हैरान रह गयी...उसने तो सोचा भी नही था की वो ऐसा कुछ करेगी...और वो भी ऐसे, सबके सामने...नदी मे 8-10 लोग और भी नहा रहे थे...उनकी नज़रें भी उमा की मोटी ब्रेस्ट पर जम कर रह गयी...वो भी अपने-2 लॅंड को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगे..और उसके मोटे-2 मुम्मों के दर्शन का मज़ा लेने लगे..

गंगू ने भी नोट किया की अब वो पहले जैसी मोटी नही रह गयी...उसकी ब्रेस्ट और भी आकर्षक हो चुकी है...और गांड भी पीछे से काफ़ी बाहर निकली हुई थी...शायद रंडी बनने के बाद उसने अपने जिस्म को सही तरह से ढाल लिया था..

गंगू : "हाँ , दिख रहा है, तेरे इधर उधर फिरने का असर तेरे उपर...''

वो उसके गुलाबी और मोटे निप्पल को घूरता हुआ बोला..

उमा ने इधर उधर देखा फिर धीरे से बोली : "चल ना गंगू...मेरी खोली मे चल...बस थोड़ी ही देर लगेगी...''

उसकी चूत शायद अंदर से खुजाने लगी थी.

पर गंगू की नज़रें तो उसकी बेटी लच्छो पर थी...गंगू को उधर देखता हुआ पाकर वो बोली : "उसको क्यो देख रहा है रे...वो तो बच्ची है अभी...''

वो शायद उसकी नज़रों को पहचान गयी थी..

गंगू : "बच्ची नही है वो अब....मज़े लेना वो भी सीखना चाहती है...मैं चलता हू तेरे घर ...पर उसको भी सामने रखना होगा तुझे...''

गंगू से ऐसी शर्त की उम्मीद नही थी उमा को...वो जानती थी की उसकी बेटी का मन आजकल काफ़ी मचलने लगा है...उसने अक्सर गाँव के लड़कों के साथ उसको चूमा चाटी करते हुए देखा था...पर ज़्यादा कुछ वो भी नही बोलती थी उसको...ऐसे माहोल में रहकर एक ना एक दिन तो वो सब होना ही है..पर आज गंगू के मुँह से उसके बारे मे सुनकर वो समझ गयी की उसकी बेटी भी अब बड़ी हो चुकी है...इस वक़्त तो उसके जिस्म मे आग लगी हुई थी, इसलिए वो बोली : "ठीक है...पर कुछ ज़बरदस्ती ना करना उसके साथ...वो अभी छोटी है...''

गंगू जानता था की वो कितनी बड़ी है...वो मुस्कुराता हुआ उमा के पीछे चल दिया..लच्छो ने भी अपनी टी शर्ट पहनी और उनके पीछे चल दी..वो नही जानती थी की उनके बीच क्या बात हुई है, पर इतना समझ चुकी थी की कुछ मजेदार होने वाला है..अपने बाप के घर से चले जाने के बाद उसने अक्सर दूसरे मर्दों को अपने घर पर आते हुए देखा था...और उसकी माँ ने समझाया भी था की उन्हे अपनी लाइफ चलाने के लिए अब यही काम करना पड़ेगा...इसलिए उसको भी अब कोई फ़र्क नही पड़ता था..

उमा के घर पहुँचकर गंगू तो उसके ठाट बाट देखकर हैरान रह गया...उसने अपनी झोपड़ी को पक्के मकान मे बदल दिया था...और सबसे बड़ी बात, उसने अपने अंदर वाले कमरे मे एसी भी लगवाया हुआ था..

उमा उसको लेकर सीधा अंदर घुस गयी...और दरवाजा बंद कर दिया..पर गंगू के ज़ोर देने पर उसको फिर से खोल भी दिया...

अब उमा से सब्र नही हो रहा था...उसने अपना गाउन निकाल फेंका और पूरी नंगी हो गयी..गंगू की धोती भी उसने निकाल फेंकी..उसका खड़ा हुआ लंड सुबह -2 उसको सलामी ठोंकने लगा ..

वो झट से नीचे बैठ गयी...और उसके लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी..

गंगू ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए दरवाजे की तरफ देखा, जहाँ लच्छो आकर खड़ी हो चुकी थी..उसने शायद आज पहली बार अपनी माँ को ऐसा कुछ करते हुए देखा था...वैसे तो वो भी उस दिन गंगू का लंड चूस चुकी थी..पर अपनी माँ को इतनी आसानी से वो सब करता देखकर वो समझ गयी की वो पहले भी गंगू के साथ ये सब कर चुकी है..

गंगू ने लच्छो को इशारे से उसकी टी शर्ट उतारने को कहा...पहले तो वो झिझकी पर फिर जल्द ही उसकी बात मान गयी...टी शर्ट के साथ-2 उसने अपनी कच्छी भी उतार फेंकी...और अब एक ही कमरे मे दोनो माँ बेटियाँ नंगी थी गंगू के सामने..

लच्छो की चूत पर अभी हल्के-2 बाल आने शुरू हुए थे पर उसकी गांड मे माल भर चुका था काफ़ी...गंगू का मान हुआ की उसके गोल चूतड़ो पर अपना मुँह रग़ड़ डाले..पर इसके लिए पहले उमा को तैयार करना था...ताकि वो अपने सामने ही अपनी बेटी को गंगू के हवाले कर दे..

और वैसे भी आज गंगू ये सोचकर ही उसके साथ घर पर आया था की वो लच्छो की चूत लेकर ही रहेगा..क्योंकि आज के बाद जो काम वो करने वाला था,उसके बाद वो कभी भी इस कॉलोनी मे वापिस तो आ ही नही सकता था..इसलिए जाने से पहले वो इस कच्ची जवानी को अपने लंड की सोगात देकर जाना चाहता था..

उमा तो गंगू के लंड को चूसने मे बीजी थी...उसे तो पता भी नही था की उसकी बेटी नंगी होकर पीछे ही खड़ी है..

गंगू ने अचानक लच्छो से कहा : "आ जा लच्छो बांदरी ...इधर आकर दिखा, कितनी जवान हुई है तू और कितनी बच्ची है अभी तक...''

गंगू की बात सुनते ही उमा ने घूमकर पीछे देखा...उसको तो विश्वास ही नही हुआ की उसकी जवान हो चुकी बेटी ऐसे नंगी होकर उनके सामने आ जाएगी...पर उसको देखकर उमा समझ गयी की आज वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गयी है...वो मना करती भी तो किस मुँह से , वो खुद भी तो यही काम कर रही थी..ऐसे मे सिर्फ़ सिर झुकाकर उसके लिए जगह बनाने के अलावा वो कुछ और कर ही नही पाई...

अब गंगू के सामने दोनो माँ बेटी उसकी दासियों की तरह बैठी हुई थी...और एक -2 करके उसके लंड को चूस रही थी...

पर गंगू को तो उमा मे कोई दिलचस्पी ही नही थी...वो तो बस लच्छो को देखने मे लगा था...अपना हाथ सिर्फ़ उसके सिर पर फेर रहा था...अपने लंड को ज़्यादा देर तक उसके ही मुँह मे रख रहा था...और उसकी माँ को अपने टटटे दे रहा था चूसने के लिए..

अब उमा भी समझ चुकी थी की उसकी बेटी का चुदना लगभग तय ही है गंगू के लंबे लंड से...और वो सिर्फ़ उसकी वजह से ही उसके घर तक आया है...

वो बीच मे से हटना चाहती थी..पर अपनी चूत की खुजली मिटाए बिना नही...वो सीधा बिस्तर पर जा चढ़ी और गंगू को अपने उपर खींच कर उसके लंड को अंदर ले लिया...

''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... साले .....गंगू ....हरामजादे .......मेरी बेटी से ज़्यादा मज़े ले रहा है...तू आया भी इसके लिए ही है ना....कोई बात नही कमीने...आज कर ले इसके साथ भी मज़े...अहह...पर पहले मेरी चुदाई कर ले अच्छी तरह से....ओफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ .....मैं तो इससे भी छोटी थी जब पहली बार चुदी थी...इसके अंदर की गर्मी मैं समझ सकती हू.....अहह....चोद लियो आज इसको भी....कर दे इसको भी जवान....''

उमा के मुँह से अपनी बेटी के बारे मे ऐसी बाते सुनकर गंगू के साथ-2 लच्छो भी हैरान रह गयी....गंगू समझ गया की एक लड़की के अंदर जब आग भड़कती तो कैसा फील होता है...और ऐसी आग मे ज़्यादा देर तक वो अपनी बेटी को तड़पाना नही चाहती थी...

ऐसी माँ आजकल कम ही मिलती है, जो अपनी बेटी की ऐसी ज़रूरत का भी पूरा ध्यान रखे..

गंगू ने भी तेज़ी से धक्के मारने शुरू कर दिए....सुबह का वक़्त था, इसलिए उसका लंड पूरे उफान पर था...पर वो जल्दी झड़कर लच्छो को और लंबा इंतजार नही करवाना चाहता था...और लच्छो तो उसके लंबे लंड से अपनी माँ की चुदाई होते देखकर हैरानी से कभी उसके लॅंड को देखती और कभी अपनी अनचुदी छोटी सी चूत को....वो समझ नही पा रही थी की ऐसी छोटी सी चूत मे उसका मोटा और लंबा लंड कैसे जाएगा...

पर आज तो किसी भी हालत मे वो उसकी चुदाई करके ही मानने वाला था...उसने उसकी चूत को चुदाई के लिए तैयार करने का एक नायाब तरीका निकाला...उसने लच्छो को भी उपर खींचकर सीधा उसकी माँ के मुँह के उपर बिठा दिया और लच्छो का चेहरा अपनी तरफ कर लिया...इस तरीके से लच्छो की कुँवारी चूत अब उसकी माँ उमा के मुँह मे थी और उसके छोटे-2 उभार सीधा गंगू की वासना से भरी आँखो के सामने...

गंगू ने आगे बढ़कर उन्हे सहलाया और फिर उसके चेहरे को पकड़कर अपने पास लाया और उसे स्मूच करने लगा....

नीचे के होंठों पर उसकी माँ के होंठों की पकड़ और उपर के होंठों पर गंगू के होंठों की....लच्छो की तो बुरी हालत हो गयी....उसकी चूत से लबालब तरी निकल कर उसकी माँ की डेगची जैसे मुँह मे जाने लगी...

और अपनी बेटी के रस को पीकर उमा भी अपनी उत्तेजना के उफान पर पहुँच गयी और एक जोरदार झटके के साथ उसकी चूत ने ढेर सारा पानी बाहर की तरफ उछाल दिया...और उसने भी अपनी बेटी की जांघों को ज़ोर से भींचते हुए उसकी चूत को और भी अंदर तक चूस कर उसे उसकी चुदाई के लिए तैयार कर दिया...

अब बारी थी लच्छो की....उसको गंगू ने अपने सामने बिछाया...बगल मे ही उसकी माँ गहरी साँसे लेती हुई अपने ऑर्गॅज़म से उभरने की कोशिश कर रही थी...इतने मे गंगू ने बिना वक़्त गँवाए लच्छो की दोनो टांगे पकड़ी और उसके अंदर अपना लंड सटाकर जोरदार धक्का मारा...


''माआआआआआआआआअ...... अहह ....मररररर गयी ................ ''

और जब तक उसकी माँ देखती की क्या खून ख़राबा चल रहा है वहाँ, गंगू ने एक और शॉट मारा और अपना आधे से ज़्यादा लंड अंदर तक पेल दिया....

''आआआआआआआआआहह.................... ममममाआआआअ .....दर्द हो रहा है .....''

उमा : "गंगू.....धीरे कर हरामी....मेरी फूल सी बच्ची को दर्द हो रहा है...''

वो उसका सिर सहलाने लगी...और तब तक गंगू ने आख़िरी वार किया और अपना पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत के अंदर डाल कर उसके उपर ओंधा लेट गया...

लच्छो की आँखे उबल कर बाहर निकल आई....उसने गंगू की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया...और वो दोनो काफ़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे लेटे रहे...

फिर लच्छो ने ही अपनी गांड उपर की तरफ उचकानी शुरू की...उसके अंदर के दर्द ने कब खुजली का रूप ले लिया, उसको भी पता नही चला...और अब वो इस खुजली को गंगू के लंड से बुझाना चाहती थी...

वो बड़बड़ाने लगी : "आआआआआआआह ....अब चोद ना साले ....गंगू......अपने लॅंड से....जैसे अपनी बीबी को चोदता है.....जैसे मेरी माँ को चोदा अभी.....साले .....हरामी....ज़ोर से धक्के मार ना...... अहह ....अहह ......और तेज कर गंगू.......''

अब तो उसके सिर पर जैसे सेक्स का नशा पूरी तरह चड चुका था....उसने गंगू के लॅंड को ऐसे झटके ले-लेकर अंदर लिया की उसकी माँ भी समझ गयी की उसकी बेटी उससे भी बड़ी रंडी बनेगी...

गंगू ने उसकी जांघे पकड़ी और ज़मीन पर खड़ा होकर धक्के मारने लगा....उसकी छोटी-2 ब्रेस्ट हर झटके मे ऐसे हिलती जैसे गुलाब जामुन थाली से निकल कर बाहर आ जाएगा...

और अब वो भी हर झटके को एंजाय कर रहा था...ऐसी टाइट चूत तो नेहा की भी नही निकली थी, जब उसने उसकी पहली चुदाई की थी....


और फिर नेहा के बारे में सोचते हुए...और लच्छो की कसाव वाली चूत को मारते हुए उसके लंड ने भी जवाब दे दिया...और आख़िरी वक़्त पर उसने अपने लंड को बाहर निकाला और जोरदार प्रेशर के साथ सीधा लच्छो के जिस्म को भिगो दिया....उसके गर्म लावे मे पिघलकर लच्छो की जवानी की आग शांत हुई...

और कुछ देर तक आराम करने के बाद गंगू बाहर निकल गया...और सीधा अपनी झोपड़ी मे पहुँचा...नेहा अभी तक सो रही थी...गंगू ने मुम्मैथ को फोन करके मिलने का टाइम लिया...और फिर नेहा को उठाया..

दोनो ने मिलकर नाश्ता किया...और फिर नेहा को कुछ समझाकर वो बाहर निकल गया...मुम्मैथ के घर की तरफ..
 

Arnavxlover

Member
233
443
63
पैसो की कमी तो अब थी ही नही गंगू के पास, इसलिए उसने पहले अपना हुलिया सही करने की सोची..सबसे पहले तो उसने पूरे दिन के लिए एक टैक्सी किराए पर ली ..फिर वो सीधा उसी मसाज पार्लर मे गया, जहाँ उसको दिया और प्राची ने पिछली बार मज़े दिए थे...उस दिन दिया तो मिली नही पर प्राची ने गंगू को देखते ही पहचान लिया और वो उसको लेकर अंदर केबिन मे आ गयी..

अंदर जाते ही गंगू ने सीधा पाँच हज़ार निकाल कर प्राची के हाथ मे रख दिए और बोला की आज मेरा हुलिया ऐसा कर दो जैसे फिल्मी हीरो का हो..

पर उसके काले चेहरे को देखकर वो बात सही नही बैठ रही थी...फिर भी प्राची ने हंसते हुए उसके चेलेंज को स्वीकार किया और अपने काम मे जुट गयी..इतने पैसे तो उसको शायद ही किसी ने दिए हो आजतक..उसने गंगू के बाल सही से काटे, उसकी शेव बनवाई..उसके शरीर के सारे बाल निकाल कर उसको बिल्कुल चिकना बना दिया..और पूरे शरीर पर इंपोर्टेड क्रीम लगा कर जमकर मालिश करी..अंत मे उसने गंगू को जब नहलाया तो गंगू भी अपने अक्स को देखकर हैरान रह गया..सिर्फ़ उसकी लंगड़ी टाँग ही माइनस पॉइंट थी, वरना उपर से नीचे तक वो किसी हीरो से कम नही लग रहा था..

प्राची ने गंगू के लॅंड को हाथ मे लेकर उसको हेंड जॉब देने की कोशिश की पर उसने मना कर दिया, क्योंकि वो अपने लॅंड की गर्मी को मुम्मेथ ख़ान के लिए बचाकर रखना चाहता था.

उसके बाद वो एक बड़े से माल मे गया और आधे घंटे मे ही उसके शरीर पर नये कपड़े थे, जिनकी वजह से वो काफ़ी डेशिंग लग रहा था...उसने नेहा के लिए भी काफ़ी शॉपिंग की और बाहर निकल कर उसने वो सारा समान गाड़ी मे ही रख दिया और मुम्मेथ के घर की तरफ चल दिया..

अब उसके दिमाग़ मे जो योजना थी, वो मुम्मेथ की जानकारी के आधार पर ही निर्भर थी..पर वो अच्छी तरह से जानता था की मुम्मेथ से जानकारी निकलवाने के लिए पहले उसको पूरी तरह से खुश भी करना पड़ेगा..

उसने नीचे से ही फोन कर दिया की वो पहुँच गया है, मुम्मेथ ने भी कहा की रास्ता क्लीयर है, वो सीधा उपर आ गया.

उसको शायद पता नही था की जब से गंगू ने दोबारा मिलने का वादा किया था, तब से उसकी चूत किसी नये पक्षी की तरहा चहचहा रही थी..जिसमे वो किसी भी हालत मे गंगू के लॅंड को पिलवाकर उसकी तड़प शांत करवाना चाहती थी..

गंगू ने जैसे ही बेल बजाई, मुम्मेथ ने झट से दरवाजा खोलकर उसको अंदर खींच लिया और एक ही झटके मे दरवाजा बंद कर दिया.

उसने एक लाल रंग की छोटी सी नेट वाली नाइट ड्रेस पहनी हुई थी..बिना किसी अंडरगार्मेंट्स के..जिसमे उसकी गोरी-2 चुचियाँ और मोटी-2 जांघे बड़ी सेक्सी लग रही थी.

उसने गंगू के बदले हुए रूप को देखा तो वो और भी प्यासी हो उठी..एक तो पहले से ही अपने लंबे लॅंड की वजह से वो गबरू जवान लगता था..अब उसके हुलिए ने भी उसको एक सेक्सी रूप दे दिया था...वो किसी बिल्ली की तरह से उसपर झपट पड़ी और वहीं गेलेरी मे ही उसके बदन से लिपट कर उसको चूमने लगी..

इतनी गर्म औरत से निपटने का शायद पहला मौका था गंगू का, क्योंकि मुम्मेथ अपने भारी भरकम जिस्म से धक्के मार-मारकर उसको उत्तेजित कर रही थी...उसने गंगू को वही गेलेरी की दीवार से सटा दिया और अपनी दोनो बाहों को उसके गले मे बाँध कर लटक सी गयी...गंगू के पास और कोई चारा नही बचा था, इसलिए उसने उसकी गांड के नीचे हाथ रखकर उसे हवा मे उठा लिया..भले ही उसके मुम्मे और जांघे काफ़ी मोटे थे पर उसका वजन ज़्यादा नही था..गंगू के हाथों मे आते ही वो पूरी तरह से अड्जस्ट हुई और ज़ोर-2 से उसके होंठों को चूसने लगी...

''उम्म्म्मममम ...... पुचहssssssssssssssssssssss ...अहहssssssssssssssssss .....उम्म्म्ममममममममम ... ओह गंगू ........ चूसो मेरे होंठ .....अहह ....ज़ोर से ............ काटो मत ............... बस चूसो .............. उम्म्म्ममममममममssssssssssssssssssssssssssssssss ...अहह ....''

गंगू ने उसको सामने वाली दीवार से टीका दिया और मुम्मेथ ने अपनी दोनो टांगे गंगू की कमर से लपेट दी..और उसने अपने दोनो हाथ उपर करते हुए एक रोड को पकड़ लिया..गंगू ने अपने दोनो हाथों से उसके मुम्मे पकड़े और ज़ोर से उमेठ दिए...मुम्मेथ को दर्द तो हुआ पर मीठा वाला .....उसने चिल्लाते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट को एक ही बार मे नंगा कर दिया और उन्हे गंगू के चेहरे के सामने परोस दिया..

''आआआआआआअहह ............... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ गंगू ................ और ज़ोर से दबाओ ..............अहह ...तरस रहे है ये कब से .............. चूसो इन्हे ................. निचोड़ डालो सालों को ................ रग़ड़ डालो अपने हाथो से ................ दिखाओ अपना रफ़ स्टाइल ज़रा .............अहह sssssssssssssssssssssssss ''

गंगू को दोबारा याद दिलाने की ज़रूरत नही पड़ी उसके बाद मुम्मेथ को.... वो किसी जंगली की तरह उसपर टूट पड़ा ...उसने अपने दाँये हाथ से उसकी नाईटी के कपड़े को खींचकर फाड़ दिया और उसके शरीर से अलग करते हुए दूर फेंक दिया...और नीचे होते हुए उसने अपने पैने दांतो से उसके उभरे हुए निप्पल को दबोचा और ज़ोर से काट लिया.....वो वार इतना जोरदार था की मुम्मेथ ने गंगू के सिर को ज़ोर से अपनी छाती मे दबा कर उस दर्द को बड़ी मुश्किल से संभाला...

''अहह ........ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....... काट इन्हे ................कुत्ते की तरह चबा जा मेरे निप्पल ..................... अहहsssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

गंगू पर तो जैसे अब कोई पागलपन सवार था...वो मुम्मेथ को अपनी गोद मे उठाए हुए ही सीधा अंदर की तरफ गया और उसके वॉटर वाले गद्दे के उपर पटक दिया...वो जितना अंदर तक गयी उतना ही उपर की तरफ भी उछली..गंगू के लिए ये नया अनुभव था..उसने वॉटर बेड आज से पहले कभी नही देखा था, देखता भी कैसे..एक भिखारी की जिंदगी मे ऐसी चीज़ो की कोई जगह नही होती..

बेड पर उपर नीचे उछल कर जब मुम्मेथ का शरीर शांत हुआ तो उसकी बदहवासी देखकर गंगू ने एक ही झटके मे उसका नीचे वाला कपड़ा भी खींचकर बाहर निकाल फेंका..अब वो उस वॉटर बेड पर,सफेद चादर के उपर,नंगी पड़ी थी...उसकी चूत से पानी निकल कर नीचे बह रहा था...गंगू ने उसकी दोनो टांगो को उपर उठाया..और उसकी आँखो मे देखता हुआ अपनी जीभ से उसकी दोनो टाँगो और जांघों को चाटता हुआ नीचे तक आया और फिर एक ही झटके मे, किसी शिकारी की तरह उसने अपने मुँह से उसकी मचल रही चूत को पकड़ लिया और उसके गीले होंठों को अंदर निगल कर उन्हे चूसने लगा.

''उम्म्म्मममममममममममममम ...... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स माय डार्लिंग गंगू ............... अहह ...... मररर्र्र्र्र्ररर गयी मैं तो ............ ओफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...क्या फीलिंग है रे .................. अहह ...कहाँ से सीखा है तू ये सब ................. अययईीीईईईईईईईईईईईईईईई ...... अपनी जीभ से चोद मुझे गंगू.............अहह ....''

गंगू ने अपनी लंबी जीभ को कड़ा करते हुए उससे उसकी मखमली चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी...वो हर बार सूखी हुई अंदर जाती और चूत के रस मे भीगकर ही बाहर निकलती, जिसे गंगू चट कर जाता....कभी वो अपनी जीभ से उसकी चूत को नीचे से उपर तक चाट्ता, कभी उसकी क्लिट को अपने होंठों मे लेकर चुभलाता...कभी अपनी उंगली अंदर डालकर अंदर की लाली को बाहर उभारता और उसे चूसता ...ऐसे करते-2 मुम्मेथ ख़ान दो बार झड़ गयी...

अब उससे सबर नही हो रहा था...वो जल्द से जल्द गंगू के लॅंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी...पर इतनी देर से उसकी सेवा करते-2 गंगू का लॅंड थोड़ा ढीला सा होकर बैठ चुका था...मुम्मेथ को पता था की उसको कैसे तैयार करना है...उसने गंगू को वॉटर बेड पर लिटाया और अपने थन लटका कर वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी..और धीरे-2 अपने चेहरे को नीचे करते हुए उसने एक ही झटके मे उसके लॅंड को दबोचा और खाना शुरू कर दिया...पहले आगे का हिस्सा और फिर धीरे-2 पूरा ही निगल गयी उसको...ऐसा ट्रीटमेंट मिलते ही उसका लॅंड दोबारा खड़ा होने लगा और देखते ही देखते वो अपने आकार मे वापिस आने लगा...और जैसे-2 वो बड़ा हो रहा था, मुम्मेथ को उसे अपने मुँह मे रखना मुश्किल हो रहा था, गंगू अपने हाथो को सिर के नीचे रखे देख रहा था की कैसे मुम्मेथ के मुँह से उसका लॅंड किसी अजगर की तरह बाहर निकल रहा है...ऐसा लग रहा था की वो अपने मुँह से गंगू के लॅंड को उगल रही है..और जब गंगू का लॅंड पूरे आकार मे आ गया तो सिर्फ़ उसके आधे हिस्से को ही अपने मुँह मे रख पाई वो...
 

Napster

Well-Known Member
4,730
13,110
158
बडा ही गरमागरम कामुक और गजब का उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
  • Like
Reactions: Arnavxlover

Arnavxlover

Member
233
443
63
अब उससे सबर नही हो रहा था...वो जल्द से जल्द गंगू के लॅंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी...पर इतनी देर से उसकी सेवा करते-2 गंगू का लॅंड थोड़ा ढीला सा होकर बैठ चुका था...मुम्मेथ को पता था की उसको कैसे तैयार करना है...उसने गंगू को वॉटर बेड पर लिटाया और अपने थन लटका कर वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी..और धीरे-2 अपने चेहरे को नीचे करते हुए उसने एक ही झटके मे उसके लॅंड को दबोचा और खाना शुरू कर दिया...पहले आगे का हिस्सा और फिर धीरे-2 पूरा ही निगल गयी उसको...ऐसा ट्रीटमेंट मिलते ही उसका लॅंड दोबारा खड़ा होने लगा और देखते ही देखते वो अपने आकार मे वापिस आने लगा...और जैसे-2 वो बड़ा हो रहा था, मुम्मेथ को उसे अपने मुँह मे रखना मुश्किल हो रहा था, गंगू अपने हाथो को सिर के नीचे रखे देख रहा था की कैसे मुम्मेथ के मुँह से उसका लॅंड किसी अजगर की तरह बाहर निकल रहा है...ऐसा लग रहा था की वो अपने मुँह से गंगू के लॅंड को उगल रही है..और जब गंगू का लॅंड पूरे आकार मे आ गया तो सिर्फ़ उसके आधे हिस्से को ही अपने मुँह मे रख पाई वो..


अब आगे....




उसके बाद मुम्मेथ ने उसको अपनी थूक से भिगो-2 कर ऐसा चिकना किया की एक ही बार मे वो किसी भी संकरी से संकरी चूत मे उतर जाए...और फिर उछलकर वो उसपर जा चढ़ी ...जैसे घोड़े पर चड़ते है, ठीक वैसे ही..और जैसे ही उसने गंगू के लॅंड को अपनी चूत पर रखा..गंगू ने अपने हाथ से अपने लॅंड को पकड़कर वही रोक दिया..और बोला : "तुम्हे मैने कहा था ना..मुझे कुछ जानकारी चाहिए..''

ऐसे मौके पर अगर कोई रोक ले तो क्या हाल होता है, ये तो वही जानता है जिसपर ये बीती है..और ये हाल अब मुम्मेथ का भी हो रहा था..वो तो पहले से ही कुछ भी बताने के लिए राज़ी थी..पर गंगू जानता था की जो जानकारी वो चाहता है, वो मुम्मेथ बाद मे शायद ना दे पाए, इसलिए पूरी तस्सल्ली कर लेना चाहता था.

मुम्मेथ : "अहह .....साले ......ऐसे मौके पर क्यो बोल रहा है.........जल्दी कर ........अंदर डाल.........जो बोलेगा बता दूँगी..........अभी मत तड़पा मुझे.............जल्दी से इसको अंदर डाल और चोद मुझे ......... उम्म्म्मममममममममममम...''

और गंगू ने उसकी बात मानते हुए अपने हाथ को पीछे खींच लिया...और मुम्मेथ सीधा उसके उपर बैठती चली गयी....उसकी आँखे बंद थी..पर चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव बता रहे थे की अंदर जाता हुआ लंबा खंबा कितने मज़े दे रहा है उसको...वो नीचे झुक गयी और गंगू के चेहरे पर किस्सेस की झड़ी लगा डाली...गंगू ने भी अपने दोनो हाथ उसके मुम्मों पर जमा दिए और नीचे से धक्के मारने लगा..

''अहह ......गंगू ................क्या लंड है तेरा.........साले ..........ऐसा मज़ा तो आज तक किसी ने नही दिया...........अहह ....उम्म्म्ममममममममम ..... ज़ोर से मार मेरी ..........आज फाड़ डाल मेरी चूत को ............ ज़ोर से झटके मार.... ज़ोर से. ....मुझे ज़ोर-2 से करना ही पसंद है...... कर ना साले . .........मार मेरी चूत ..''

गंगू ने अपने दोनो हाथ उसकी गांड पर रखे और उसे अपनी तरफ भींचकर नीचे से उसकी चूत मे अपने लॅंड को पिस्टन बनाकर लॅंड पेलने लगा...

गंगू का चेहरा उसके मादकता से भरे मुम्मों के बीच फँसा हुआ था...और वो एक तरह से उसके फेस की मसाज कर रहे थे...वो कभी उनपर दाँत मारता, कभी उसका दूध पीने लग जाता..कभी जीभ से चाट्ता...और कभी दांतो से निशान बनाता...

और फिर एक जोरदार चीत्कार के साथ मुम्मैत ख़ान झड़ने लगी...ऐसा झड़ना भी गंगू ने पहली बार देखा था....ऐसा लगा की उसके लॅंड पर किसी ने गर्म पानी की टंकी चला दी हो...उसकी चूत का रस पिघलकर बाहर आया और चादर को भिगो दिया..

अब बारी थी गंगू की...उसने मुम्मेथ को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत मे लॅंड पेल दिया...मुम्मेथ का सिर हर झटके से नीचे की तरफ होता चला गया...और आख़िर मे जाकर उसका चेहरा नीचे की गीली चादर पर जा टिका , जहाँ उसकी चूत के रस ने कीचड़ मचा रखा था...

गंगू ने उसकी गांड को अपने दोनो हाथों मे थाम कर ऐसे झटके दिए की जब आख़िर मे जाकर वो झड़ने लगा तो उसके लंड से ज़्यादा घर्षण की वजह से आग सी निकल रही थी...जिसकी वजह से उसका लॅंड सुलग सा रहा था...

और आख़िर मे गंगू के लंड से जब प्रेशर के साथ रस बाहर निकालने लगा तो उसने वो मुम्मेथ की चूत के अंदर ही निकाल दिया...ये भी नहीं पूछा की वो प्रेगञेन्ट होना चाहती है या नही...अपनी तरफ से उसने अपना योगदान करते हुए उसकी चूत को अपने रस से भर दिया..

''अहहssssssssssssssssssssssssssssss ...... ले साली...............सारा माल अपनी चूत के अंदर ही ले आज................अहह .....ओहssssssssssssssssssssssssssssssss .........''

और फिर वो भी हांफता हुआ सा उसके उपर गिर पड़ा..

कुछ देर मे दोनो सामान्य हुए...मुम्मेथ ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोली : "चिंता मत करो...मैने टेबलेट ले रखी है...''

गंगू को क्या फ़र्क पड़ रहा था..वो तो बस उससे अपनी जानकारी निकलवाने के लिए उतावला हो रहा था..

गंगू : "तुमने कहा था की मुझे कुछ भी बताओगी ..जो मैं जानना चाहता हू..''

मुम्मेथ : "हाँ ....बोलो.....''

गंगू : "मुझे इक़बाल भाई के बारे मे सब कुछ बताओ...वो कहाँ रहता है...कहाँ जाता है, किससे मिलता है...क्या-2 धंदे है उसके...सब जानना है मुझे..''

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो मुम्मेथ की आँखे फैल गयी...और फिर वो ज़ोर से ठहाका मारकर हँसती हुई बोली : "हा हा हा......तुझे क्या लगता है...मैं तुझे ये सब बता दूँगी...''

गंगू ने साईड मे रखी अपनी पेंट मे से पिस्टल निकाल कर उसके सिर पर लगा दी..

मुम्मेथ को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नही थी..

मुम्मेथ : "अरे....तू तो नाराज़ हो गया....इसको हटा...मुझे इससे बड़ा डर लगता है...''

गंगू ने पिस्टल हटा दी...और फिर मुम्मेथ की तरफ सवालिया नज़रो से देखा

मुम्मेथ : "देख गंगू...मुझे नही पता की तू ये सब क्यो जानना चाहता है...पर सच मान, मुझे उसके बारे मे कुछ नही पता...वो ज़्यादातर दुबई मे ही रहता है...और इंडिया जब भी आता है तो या तो मेरे पास या फिर ...''

गंगू : "हा हाँ ....बोल "

मुम्मेथ :"या फिर वो नेहाल भाई के वर्सोवा वाले बंगले पर ठहरता है...वो जगह समुंदर के किनारे पर है...और उसके बंगले के चारों तरफ इतने आदमियो का पहरा रहता है की कोई परिंदा भी पर नही मार सकता..''

गंगू : "तुझे तो पता ही है इक़बाल भाई आजकल एक लड़की के पीछे पड़े हैं...और उसे पागलों की तरह ढूँढ रहे हैं...''

मुम्मेथ : "हाँ ....शनाया ..... उसे ढूँढने के लिए ही तो तुझे बुलवाया था इक़बाल ने...''

गंगू : "हाँ ....मुझे उस लड़की के बारे मे बता...उसके घर वालो के बारे मे...''

मुम्मेथ : "वैसे तो मैं ये बात तुझे कभी ना बताती..पर इक़बाल जिस तरह से उसको तवज्जो दे रहा है,उसे देखकर मुझे बड़ी जलन सी हो रही है...इसलिए में उसके बारे में तुझे बताती हू..''

और फिर मुम्मेथ ने शनाया के घर वालो के बारे मे सब कुछ गंगू को बता दिया.

फिर कुछ देर रुक कर वो बोली : "पर तू ये सब क्यो पूछ रहा है....तू पुलिस का खबरी तो नहीं बन गया या कहीं तू इक़बाल को जान से तो नही मारना चाहता ना..''

गंगू : "तूने ज़्यादा सवाल किए तो तुझे ज़रूर मार डालूँगा....तू एक फिल्मी हेरोइन है...मीडीया वालो को तेरा सारा कच्चा चिट्ठा बोल दिया ना तो कही की नही रहेगी...इसलिए अपनी ज़बान बंद रखियो...और मुझे मेरा काम करने दे...समझी..''

और फिर मुम्मेथ को एक-2 और धमकियाँ देकर और नेहाल के बंगले का पूरा पता लेकर वो वहाँ से निकल आया..

अब उसे अपनी योजना सफल होती नज़र आ रही थी...और इसके लिए उसको एक भरोसेमंद आदमी की ज़रूरत थी...और वो जानता था की वो काम कौन कर सकता है.

गंगू सीधा भूरे के पास पहुँचा..अपनी तरफ से तो गंगू यही समझ रहा था की वो उसका दोस्त है..उसकी मदद ज़रूर करेगा...और अगर ज़रूरत पड़ी तो उसे पैसे भी देगा पर ये काम ज़रूर करवाएगा..

पर वो भला ये बात कैसे जानता की उसके मन मे तो खुद नेहा की चुदाई का नशा सवार है..वो कब से नेहा की जवानी का मज़ा लेने के लिए तड़प रहा है.

भूरे के घर पहुँचकर गंगू ने दरवाजा खड़काया और उसने दरवाजा खोला

भूरे : "अरे गंगू तू...इस वक़्त....आ जा ..अंदर आ''

गंगू ने अंदर जाकर देखा की उसका साथी कल्लन भी वहीं बैठा है और वो दोनो बैठकर शराब पी रहे हैं..

गंगू : "यार...तुझसे कुछ अकेले मे बात करनी है...कुछ ज़रूरी काम है..''

भूरे भी जानना चाहता था की इक़बाल भाई ने उसे कौन सा गुप्त काम दिया है , इसलिए उसने तुरंत कल्लन को वहाँ से जाने के लिए कहा..

उसके जाते ही भूरे बोला : "हाँ भाई...अब बोल..क्या काम है...''

गंगू को समझ नही आ रहा था की वो कैसे बात की शुरूवात करे..वो बोला : "देख भूरे...तुझे मैं अब अपना दोस्त मानता हू..इसलिए यहा आया हू तेरे पास...पर मेरी एक बात सुन ले..जो भी मैने कहा..अगर तूने मेरा साथ दिया तो ठीक, वरना मेरे रास्ते मे मत आइयो..''

भूरे तो समझ ही नही पा रहा था की वो बोल क्या रहा है..पर फिर भी वो चुप होकर उसकी बाते सुनता रहा..

गंगू : "तुझे तो पता भी नही की आज इक़बाल ने मुझे क्यो बुलाया था...''

भूरे : "हां ....वही मैं पूछने वाला था तुझसे...बता ना, क्या काम था ..''

गंगू ने अपनी जेब से नेहा यानी शनाया की फोटो निकाल कर रख दी उसके सामने..

भूरे : "अरे..ये तो नेहा भाभी की...यानी तेरी बीबी की फोटो है...इसका उनके काम से क्या लेना देना..''

गंगू : "वो लोग इसी को ढूंड रहे हैं...और इसका नाम नेहा नही बल्कि शनाया है...और ये चेन्नई के एक बहुत ही अमीर घराने की औलाद है...''

भूरे : "क्या ?????????????? नेहा भाभी...पर ये तो...तेरी बीबी है ना...तूने ही तो बताया था की...''

गंगू बीच मे ही बोल पड़ा : "नही...ये मेरी बीबी नही है....ये तो मुझे ऐसे ही एक दिन सड़क पर एक्सीडेंट के दौरान मिल गयी थी...''

और इतना कहकर उसने उस दिन का किस्सा और बाद की भी कहानी की कैसे उसकी यादश्त चली गयी और वो उसे अपना पति समझने लगी..और साथ ही साथ उसने उस दिन इक़बाल और नेहाल भाई के साथ हुई डील के बारे मे भी बता दिया..

भूरे हैरान होता हुआ वो सब सुन रहा था...उसका सारा नशा उतर चुका था..

भूरे : "अब तू मुझसे क्या चाहता है...''

गंगू : "ये सब जाने के बाद मेरे पास दो ही रास्ते थे...एक, या तो मैं नेहा को लेकर यहाँ से काफ़ी दूर निकल जाता..पर अगर ऐसा करता तो वो और उसके आदमी मुझे कहीं से भी ढूंड लेते और मुझे मारकर उस फूल सी लड़की को उस वहशी के हाथ सौंप देते...''

भूरे : "और दूसरा क्या है...जिसके बारे मे सोचकर तू मेरे पास आया है..''

वो भी शायद समझ रहा था की गंगू के दिमाग़ मे क्या चल रहा है..पर वो खुद गंगू के मुँह से सुनना चाहता था...

गंगू : "दूसरा रास्ता ये है की मैं इक़बाल और नेहाल भाई को ही मार दू ..ताकि ये डर हमेशा के लिए ही ख़त्म हो जाए...''
 
  • Like
Reactions: Napster

Arnavxlover

Member
233
443
63
उसकी बात सुनकर भूरे का दिल धक्क से रह गया...एक सड़क छाप भिखारी मे मुँह से ऐसी बात सुनने की उम्मीद उसे नही थी...वो शायद नही जानता था की जिन लोगो को वो मारने की सोच रहा है वो कितने खतरनाक अपराधी है..

भूरे : "तू पागल हो गया है क्या गंगू...तुझे पता भी है की तू क्या बोल रहा है...नेहाल भाई के साथ मैं बरसों से काम कर रहा हू...वो भाई है इस शहर का...और वो इक़बाल भाई, वो तो उसका भी भाई है...यानी अंडरवर्ल्ड की दुनिया मे उसकी तूती बोलती है...और तू उन्हे मारने की बात कर रहा है...तू वहां पहुँच भी नही पाएगा और तेरी लाश पड़ी होगी किसी सड़क पर...''

गंगू (गुस्से मे) : "वो तो फिर भी पड़ी होगी...जब उन्हे पता चलेगा की वो इतने टाइम से जिसे ढूंड रहे हैं वो मेरे पास है..या फिर मैं भाग कर कहीं और भी चला गया तो मुझे ढूंड कर वो मेरी आरती नही उतारेंगे ..मेरे भेजे मे गोली उतारेंगे ...उनकी डील को मैने इसलिए मना नही किया की कुछ टाइम तो मिल ही जाएगा और उनका विश्वास भी , ताकि वो मेरी बातों मे आकर फँस जाए और मैं उन्हे मार सकूँ...''

गंगू की बात अभी तक भूरे के गले से नही उतर रही थी...वो जानता था उन लोगो की ताक़त को...और ये गंगू अपने हाथ मे एक पिस्टल लेकर उन्हे मारने निकल पड़ा है..

पर वो जानता था की गंगू को समझाना आसान नही है, उसने जो एक बार ठान ली, उसके बाद वो किसी की नही सुनता...

भूरे : "पर इससे मुझे क्या मिलेगा...मेरा क्या फायदा है तेरी हेल्प करने मे...''

उसके दिमाग में तो बस नेहा का नंगा बदन ही घूम रहा था...इसलिए गंगू को नाराज़ करके वो नेहा से दूर नही होना चाहता था...

गंगू ने अपनी जेब से वही तीन लाख रुपय निकाल कर उसके सामने रख दिए जो नेहाल भाई ने दिए थे...और बोला : "इन दोनो के मरने के बाद तू अपनी गेंग अकेले चलाएगा..तेरा तो फायेदा ही फायेदा है...''

पैसे देखकर तो कुछ नही हुआ भूरे को..पर गंगू की बात सुनकर एक दम से उसके अंदर डॉन वाली फीलिंग आ गयी...बात तो वो सही कह रहा था...पूरे शहर मे नेहाल भाई के सारे धंधे वही देखता था...और उसके अलावा कोई और नही था जो उस धंधे को चला सके...इक़बाल का धंदा तो काफ़ी बड़ा था, पूरी दुनिया मे फेला हुआ...पर कम से कम नेहाल के धंधे को तो वो संभाल ही सकता है इस शहर मे रहकर...

भूरे : "और इसमे मैं तेरी मदद कैसे कर सकता हू....''

गंगू के दिमाग़ मे एक योजना थी, जो उसने भूरे के सामने रख दी...उसने तो सोचा भी नही था की गंगू जैसे भिखारी के दिमाग़ मे ऐसी ख़तरनाक योजना भी हो सकती है...और वो काफ़ी असरदार भी लग रही थी..भूरे तो उसकी योजना का कायल हो उठा..

फिर कुछ चीज़ो का इंतज़ाम करने की बात कहकर गंगू वहाँ से वापिस आ गया...और जाते-2 भूरे ने वो पैसे भी गंगू को वापिस कर दिए..और बोला की ये पैसे अपने पास रख,आगे तेरे ही काम आएँगे..

उसके जाते ही भूरे के दिमाग़ मे सतरंगी ख्वाब तैरने लगे...भाई बनने के..नेहाल भाई के अंडर रहकर काफ़ी काम कर लिया...अब वो खुद का गेंग चलाएगा..

और फिर उसके दिमाग़ की सुई नेहा की तरफ चली गयी...इतने दिनों से जिसके उपर उसकी नज़र थी वो तो गंगू की पत्नी थी ही नही...वो ऐसे ही गंगू के डर से उसके पास नही जा रहा था...उसे वो सब बातें याद आ रही थी जब नेहा खुद उसके साथ वो सब करना चाहती थी जो करने के लिए वो मरा जा रहा था..यानी सेक्स..पर किसी ना किसी कारण से कुछ हो ही नही पाया..

अब उसकी समझ मे आ रहा था की क्यों वो ऐसा कर रही थी...वरना किसी की बीबी कम से कम ऐसे खुलकर हर किसी के साथ नही शुरू हो जाती है...वो अपनी यादश्त खो चुकी है और इसलिए वो ये सब रीति रिवाज और मर्यादा नही जानती इस समाज के..

और भूरे को जैसे एक और मौका मिल गया अपनी दबी हुई इच्छा को पूरी करने का..और यही एक और वजह थी जिसके लिए भूरे भी इतना बड़ा रिस्क लेकर गंगू की योजना मे शामिल हो गया था..

अब वो किसी भी हालत मे गंगू की नज़र बचाकर नेहा के साथ मज़े लेना चाहता था..बाद मे तो गंगू और नेहा पता नही कहाँ चले जाए..इसलिए वो ये काम पहले ही कर लेना चाहता था.

इधर भूरे ये सब ख्वाब बुन रहा था और उधर गंगू ने अपनी योजना को अंजाम देना शुरू कर दिया..वो रज्जो के घर गया ...और उसे सिर्फ़ ये कहकर की जैसा मैं कहूँ करती जा,फिर कुछ बातें समझाने के बाद और कुछ पैसे और एक फोन देने के बाद वो निकल आया..

वो अपने अगले काम के लिए जा ही रहा था की उसका फ़ोन बज उठा..वो इक़बाल भाई का फोन था..

एक तरफ तो गंगू उसे मारने की सोच रहा था..पर उसका फोन आते ही उसके पसीने निकल गये..क्योंकि इतनी जल्दी उसके फोन के आने की उम्मीद नहीं थी उसको..

गंगू ने फोन उठाया : "जी भाई..."

इक़बाल : "सुन गंगू...मैने तुझे पहले ही बता दिया था की मेरे पास वक़्त कम है...अगर तूने ये काम 3 दिन मे नही किया तो तेरी खैर नही है...समझा...''

और इतना कहकर उसने फोन रख दिया..

उसके पास हथियार भी था और पैसा भी...पर वक़्त की कमी थी ..

अब उसे जो भी करना था,इन्ही 3 दिनों मे करना था.


रात को अपने झोपडे मे पहुँचकर गंगू को नींद ही नही आई...वो हर एंगल से यही सोचने में लगा था की अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा...वैसा हो गया तो क्या होगा..और सभी तरफ से सोचने के बाद जो कमी थी उसकी योजना में,वो उसको सुधारने मे लग गया..और ये सोचते-2 कब उसको नींद आ गयी उसे भी पता नही चला..सुबह 9 बजे के आस पास नेहा ने उसको उठाया..वो नहा कर भी आ चुकी थी..

गंगू ने जल्दी से नाश्ता किया और नेहा को घर पर ही रहने की हिदायत देकर वो बाहर निकल आया.

वो भूरे के घर गया और दोनो मिलकर वहां से निकल गये..अब समय था अपनी योजना को अंजाम देने का..

गंगू ने सीधा इक़बाल भाई को फोन मिलाया

गंगू : "भाई...उस लड़की का पता चल गया है...''

इतना सुनते ही इक़बाल खुशी से उछल पड़ा...उसे तो विश्वास ही नही हो पा रहा था की जिसे वो पिछले 2 महीने से ढूंड रहा है, गंगू ने उसे 2 दिन मे ही ढूंड लिया..

इक़बाल : "क्या बात कर रहा है गंगू...तुझे पूरा विश्वास है ना की वो लड़की वही है...शनाया..तूने सही से देखा है ना उसको..''

गंगू : "हाँ भाई...मैने सही से देखा भी है...और आस पास वालो से पता भी करा लिया है..मेरी किस्मत अच्छी थी की आज मैने जिस मोहल्ले से छान बिन करनी शुरू करी, वहीं पर पहली बार मे ही वो दिख गयी..मैने उसका पीछा किया तो वो एक घर मे चली गयी..लोगों से पूछा तो उन्होने बताया की एक औरत रहती है उस घर मे और उसके सिर पर समाज सेवा का भूत सवार है..उसे ये लड़की एक दिन एक्सीडेंट की हालत मे मिली थी ..और वो उसे घर ले आई थी...''

इक़बाल : "हाँ ...हाँ ...उस दिन आक्सिडेंट ही तो हुआ था..मैंने बताया था न तुझे , जब वो मेरे चुंगल से निकल भागी थी...यही है गंगू....यही है वो लड़की....जल्दी बता कौनसा मोहल्ला है...पता बता मुझे...मैं अभी के अभी अपने आदमी भेजता हूँ ..''

इक़बाल का इतना उतावलापन देखकर गंगू को अपनी योजना सफल होती नज़र आ रही थी..

उसने एकदम से ये कहते हुए फोन रख दिया : "भाई...पुलिस वाले है यहाँ ...मैं बाद मे फोन करता हू...''

और गंगू ने जल्दी से फोन काट दिया और उसे स्विच ऑफ भी कर दिया..क्योंकि वो जानता था की इक़बाल अब हर थोड़ी देर मे उसे फोन करता रहेगा..

उसके बाद गंगू और भूरे शहर से थोड़ी दूर बने एक खंडहर की तरफ चल दिए...क्योंकि असली काम तो उन्हे वहीं करना था..

एक पुराना सा किला था ये...दिन के समय तो यहा युगल जोड़े घूमते रहते थे...चूमा चाटी , चुदाई के लिए...पर रात को कोई नही आता था...बिल्कुल सुनसान सा हो जाता था वो किला रात के समय..

अभी तो 12 ही बजे थे दिन के..इसलिए वहां कई जोड़े हर कोने मे दुबक कर एक दूसरे से मज़े लेने मे लगे थे.

वो पूरे किले मे घूमते रहे और आख़िर मे जाकर उन्होने एक शांत सी जगह देखी जो काफ़ी अंदर जाकर थी..और जो काम वो वहाँ करने वाले थे उसके लिए वो जगह बिल्कुल उपयुक्त भी थी..

सही जगह का चुनाव करने के बाद वो वहां से निकल आए.

अभी काफ़ी समय था उनके पास...किसी भी तरह उन्हे अंधेरा होने तक का वेट करना था..पर इससे पहले गंगू को ठीक वैसी ही एक औरत का घर ढूँढना था जैसी औरत के बारे मे उसने इक़बाल को जानकारी दी थी..

वो भूरे को समझा कर अपने काम के लिए निकल पड़ा..दो घंटे की मेहनत के बाद उसे पूछने पर एक औरत के बारे मे पता चल ही गया..जो समाज सेवा का काम करती थी..और बेसहारा लड़कियो की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थी.

वो उसके घर पहुँचा और दरवाजा खड़काया , वो करीब 45 साल की सीधी साधी सी औरत थी, उसका नाम शांति था. गंगू ने मनघड़ंत कहानी बनाकर बताई की वो एक भिखारी है और उसने एक घर मे कई लड़कियो को बंदी बने हुए देखा है..और वहां रहने वाला एक गुंडे किस्म का आदमी उनसे जिस्म्फरोशी का धंधा करवाता है...पूछने पर गंगू ने बता दिया की किसी ने बताया था की आप ऐसी लड़कियो की मदद करती है इसलिए उसे ये सूचना देने के लिए चला आया..पुलिस भी उनके साथ मिली हुई है,इसलिए वो किसी समाजसेवक को ढूंढ रहा था,इसलिए उसके पास आया है

शान्ति को उसकी बातों पर विशवास हो गया , और गंगू से उसे वहां का पता माँगा

और गंगू ने जो पता उसे बताया वो था मुम्मेथ खान का, क्योंकि गंगू चाहता था की ऐसे समाज सेवको के डर से सही,मुम्मेथ को इस दलदल से निकालना जरुरी है, वरना इक़बाल के बाद वो किसी और की रखैल बनकर अपनी जिंदगी गुजार देगी, और उसकी अदाकारी उसके साथ ही दम तोड़ देगी

मुम्मेथ का घर काफी दूर था वहां से ...वहां जाकर आने मे ही रात हो जानी थी...गंगू की बात सुनते ही उसने फॉरन अपने घर पर ताला लगाया और अपनी संस्था के लोगो को लेकर वहां से निकल पड़ी..

अब गंगू ने फोन ऑन किया...और फोन चालू करते ही इक़बाल भाई का फोन आ गया

इक़बाल : "साले ...इतनी देर से फोन कर रहा हू...फोन क्यो बंद था तेरा...''

गंगू : "भाई..वो पुलिस वाले थे...उनके सामने एक भिखारी फोन पर बात करता तो कैसा लगता...वो तो मुझे उठा कर ही ले जाते ना..''

इक़बाल को उसकी बेवकूफी और नासमझी पर गुस्सा भी आ रहा था पर फिर ये सोचकर वो ज़्यादा बोला नही की एक भिखारी की अक्ल मे जो आया वही किया ना उसने...

इक़बाल : "चल छोड़ ये सब...अब जल्दी से पता बता..मेरे सभी आदमी तैयार बैठे है..''

गंगू ने उसे उसी समाजसेविका शान्ति का पता बता दिया, जहां वो थोड़ी देर पहले गया था ..

अब अगर इक़बाल के आदमी वहां पहुँच भी जाते तो उन्हें वहाँ ताला ही मिलता.

गंगू ने भूरे को फोन करके बोला की अभी तक सब कुछ उनके अनुसार ही चल रहा है....और फिर अगली बात जो गंगू ने भूरे को कही वो सुनकर तो भूरे खुशी से उछल पड़ा

गंगू : "अब ध्यान से सुन भूरे...कुछ भी गड़बड़ हुई तो वो लोग सबसे पहले मेरे घर पर ही जाएँगे..मुझे ढूँढने..तू एक काम कर, मेरे घर जा और नेहा को भी अपने साथ लेकर उसी किले मे पहुंच जहाँ हमने रात को मिलना है...समझा..''

भूरे ने कोई सवाल नही किया...ये भी नही बोला की नेहा को ले जाने मे तो काफ़ी ख़तरा है वहां ...उसे तो बस एक मौका चाहिए था उसके साथ अकेले मे...जो खुद गंगू ने उसे दे दिया था.

अभी 5 बजे थे...और गंगू की योजना के अनुसार वो खुद वहां 8 बजे पहुँचने वाला था..तीन घण्टे थे बीच में .. .जो भूरे के लिए बहुत थे..वो उसी वक़्त नेहा को लेने के लिए निकल पड़ा.

उधर 1 घंटे मे ही इक़बाल के आदमी उस एड्रेस पर पहुँच गये..और उन्हे वहां ताला मिला..आस पास पूछा पर किसी को भी कुछ पता नही था..उन्होने फ़ौरन इक़बाल को फोन किया..और फिर इक़बाल ने गंगू को..और इस बार इक़बाल का पारा पूरी तरह से चड़ा हुआ था..

इक़बाल (गुस्से मे) : "गंगू....वहां तो ताला लगा है साले ...तूने तो कहा था की वो औरत वहीं पर है...''

गंगू : "भाई...वो वहीं थी...मेरी उसके साथ बात भी हुई है...और उसका नंबर भी लिया है मैने...आप चाहो तो उससे बात करके पूछ लो...वो लड़की शनाया उसके पास ही है...पर शायद उसे शक हो गया है..मैने शायद जिस तरीके से पूछा था उस लड़की के बारे मे, वो समझ चुकी है की हमारा इरादा क्या है..और शायद इसलिए वो घर छोड़कर निकल गयी है...''

इक़बाल : "साले ...तुझे सिर्फ पता करने के लिए कहा था,अंदर जाकर जासूसी करने को नही ...तूने इतनी पूछताछ करी ही क्यों वहां जाकर...उसे बेकार का शक़ भी हो गया...अब पता नही कहां गयी होगी वो...चल तू मुझे उसका नंबर भेज जल्दी से...मैं बात करके देखता हू..''

गंगू ने उसे रज्जो का नंबर भेज दिया...और वो पहले से ही रज्जो को समझा कर आ चुका था कल की कोई भी फोन आए तो उसे क्या बोलना है..

इक़बाल ने फ़ौरन रज्जो को फोन मिलाया

रज्जो : "कौन बोल रहा है...''

इक़बाल : "ये तुझे जानने की कोई ज़रूरत नही है...तेरे पास जो वो लड़की है...मुझे वो चाहिए...शनाया ..''

रज्जो : "ओहो....तो वो तुम हो जो उसके पीछे पड़े हो....मुझे तो पहले से ही शक़ हो गया था ,इसलिए मैं वहां से निकल आई...''

इक़बाल : "इतना दिमाग़ चलता है तो ये भी बता तो की कितनी रकम सोचकर तू वहां से निकली है...बोल , कितना चाहिए तुझे..''

रज्जो : "अब आए ना रास्ते पर....ठीक है....तुम बीस लाख रुपय तैयार रखो...मैं उस भिखारी को फोन करके बता दूँगी की कहाँ आना है...''

और इतना कहकर रज्जो ने फोन रख दिया..

इक़बाल के लिए 20 लाक कोई बड़ी रकम नही थी...इसलिए वो खुशी से झूम उठा..क्योंकि उसकी इच्छा जो पूरी होने वाली थी...उसने उसी वक़्त गंगू को फोन मिलाया..पर उसका फोन बिज़ी था..

क्योंकि उसके फोन पर पहले से ही रज्जो का फोन आ चुका था...और वो उसे अभी तक की सारी बातें बता रही थी..

रज्जो :"गंगू..तूने जैसा कहा ,मैने कह दिया...पर ये मामला क्या है...किस लड़की की बात कर रहे है वो..कौन था वो आदमी..जो इतने पैसे देने के लिए तैयार हो गया...''

गंगू : "तू अपना दिमाग़ ज़्यादा मत चला...बस अब तेरा काम ख़त्म...अगर मुझे पैसे मिल गये तो तेरे भी 2 लाख पक्के...और अब इस फोन मे से सिम को निकाल कर फेंक दे...मैं तुझे जल्दी ही मिलूँगा..''

2 लाख की बात सुनकर रज्जो भी खुश हो गयी...सिर्फ़ इतने से काम के अगर इतने पैसे मिल रहे हैं तो उसे क्या प्राब्लम हो सकती है...उसने जल्दी से वो सिम निकाल कर फेंक दिया..

फिर गंगू ने देखा की उसके फोन पर 4 मिस कॉल्स थी,इक़बाल की...उसने इक़बाल को फोन किया

इक़बाल : "गंगू...तूने सही कहा था...ये वही लड़की है...और वो औरत भी बड़ी चालाक निकली, 20 लाख माँग रही है...मैने भी बोल दिया की दे दूँगा...वो अब तुझे कॉन्टेक्ट करेगी...समझा..''

गंगू उसकी बात सुनता रहा...योजना तो उसके अनुसार ही चल रही थी...और इक़बाल बेवजह ही खुश होकर उसे वो सब बता रहा था...

गंगू : "ठीक है भाई...मैं उससे बात करके अभी आपको बताता हूँ ..''

और उसने फोन रख दिया...

और फिर 10 मिनट के बाद दोबारा इक़बाल को फोन किया

गंगू : "भाई...मेरी बात हो गयी है उस औरत से...हमे आज रात को 8 बजे बुलाया है...पैसो के साथ...बिना किसी सुरक्षा के...सिर्फ़ हम दोनों को...''

इक़बाल : "ओके , पर...कहाँ पर...''

गंगू : "वो उसने अभी बताया नही...बड़ी शातिर औरत लग रही है...थोड़ी देर मे फोन करके बताएगी...''

इक़बाल : "तो तू एक काम कर...मेरे अड्डे पर आ जा..यहीं से दोनो निकल चलेंगे एक साथ...वैसे भी मेरे सारे आदमी उस औरत के घर की तरफ ही गये है...उन्हे मैं वहीं रुके रहने को बोल देता हू...अगर वो वापिस वहीँ आई तो उसे पकड़ कर ले आएँगे...वरना हमारे पास तो आ ही रही है वो ..''

गंगू के लिए इतना बहुत था...यही तो वो चाहता था...वो उसी वक़्त इक़बाल भाई के घर की तरफ निकल पड़ा...

अब तक अंधेरा होने लगा था...और भूरे भी नेहा को अपनी जीप मे लेकर उस किले मे पहुँच चुका था...

नेहा : "तुम बता क्यो नही रहे की बात क्या है.....और ये कहां ले आए तुम मुझे...यहां तो काफ़ी अंधेरा है ...और कोई है भी नही...''

भूरे : "अरे भाभी जी...अप चिंता क्यो कर रही हो...मैने कहा ना,गंगू ने ही कहा है आपको यहां लाने के लिए...आप चलिए,उसने आपके लिए एक सर्प्राइज़ रखा है यहां पर...''

और इतना कहकर उसने नेहा की कमर मे हाथ रखा और उसे अंदर की तरफ ले गया...उसने साड़ी पहनी हुई थी...और भूरे के कड़क हाथ अपनी नंगी कमर पर लगते ही उसका शरीर काँप उठा...भूरे ने पहले भी कई बार उसके करीब आने की कोशिश की थी...और नेहा ने उसके लंड को भी पकड़ा था एक बार...और वही सब एकदम से उसे याद आने लगा...मौसम भी नशीला सा हो रहा था...अंधेरा भी था...और उसकी चूत तो वैसे भी हर वक़्त कसकती रहती थी...इसलिए उसका हाथ लगते ही उसे अंदर से कुछ -2 होने लगा...

गंगू ने भी वो कंपन महसूस किया, जो नेहा के जिस्म से निकला था...अभी सिर्फ़ 6 बजे थे...पूरे 2 घंटे थे उसके पास....इस कंपन को एक भूचाल बनाने के लिए...
 
Top