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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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odin chacha

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Bahut erotic story hai apka :what1:mein toh:shag:baaj nahi aaya:cowboy1::respekt:
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

065


CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

परिधान'

Update -14



टॉयलेट


दीपू – मैडम, मैडम, ये क्या कर रही हो ?

“क्यूँ ? क्या हुआ ?”

उसके ऐसे बोलने से मुझे आश्चर्य हुआ और मैंने उसकी तरफ देखा.

दीपू – मैडम, अभी तो आपको होश आया है. 15 – 20 मिनट तो आप बेहोश थीं.

मुझे ध्यान ही नहीं रहा की मैं बेहोश होने का नाटक कर रही थी और अब मैं तुरंत सीधे खड़े होकर चलना फिरना नहीं कर सकती थी.

दीपू – मेरी मामी ने भी एक बार होश में आते ही चलना फिरना शुरू कर दिया लेकिन कुछ ही देर में गिर पड़ी और उसे चोट लग गयी. मैडम, आप को भी ध्यान रखना होगा.

गोपालजी – मैडम, दीपू सही कह रहा है.

मैंने गुस्से से गोपालजी को देखा, क्यूंकी वो तो जानता था की मैं नाटक कर रही हूँ. लेकिन दीपू के सामने मैं कुछ कह नहीं सकती थी.

दीपू – मैडम, मैं आपको सहारा देता हूँ और आप चलने की कोशिश कीजिए.

मुझे उसकी बात पर राज़ी होना पड़ा और उसने मेरी बाँह और कमर पकड़ ली. मुझे भी थोड़ा कमज़ोरी का नाटक करना पड़ा ताकि उसे असली लगे. मैं सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी. वो मेरी कमर को पकड़कर सहारा दिए हुए था लेकिन मुझे अंदाज आ रहा था की वो सिर्फ सहारा ही नहीं दे रहा बल्कि मेरे बदन को महसूस भी कर रहा है. मुझे गीली पैंटी और मेरे पेटीकोट के अंदर जांघों पर चूतरस के लगे होने से बहुत असहज महसूस हो रहा था इसलिए मैं छोटे छोटे कदमों से बाथरूम की तरफ जा रही थी.

“रूको. मुझे अपनी पैंटी बदलनी है ….अर्ररर…..मेरा मतलब……. मुझे टॉवेल ले जाना है.”

मुझे मालूम था की कपड़ों की अलमारी में एक नया टॉवेल है इसलिए मैंने सोचा की उसके अंदर एक नयी पैंटी डाल कर बाथरूम ले जाऊँगी ताकि दीपू के सामने हाथ में पैंटी लेकर ना जाना पड़े. दीपू मेरी बाँह और कमर पकड़े हुआ था और अब मुझे लगा की उसने मुझे और कसके पकड़ लिया है. मैंने सोचा की इस जवान लड़के का कोई दोष नहीं क्यूंकी गोपालजी की वजह से इसने अभी अपनी आँखों के सामने इतना कामुक दृश्य देखा है तो कुछ असर तो पड़ेगा ही.

जब मैं अलमारी से टॉवेल और पैंटी निकालने के लिए झुकी तो दीपू ने मेरी बाँह छोड़ दी पर उस हाथ को भी मेरी कमर पर रख दिया. अब वो दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़े हुए था. मैं इस लड़के को ऐसे मनमर्ज़ी से मुझे छूने देना नहीं चाहती थी. लेकिन सिचुयेशन ऐसी थी की मैं सहारे के लिए मना नहीं कर सकती थी और अब गोपालजी के बाद मेरे बदन को छूने की बारी इस जवान लड़के की थी. मैंने जल्दी से कपड़े निकाले और बाथरूम को चल दी ताकि जितना जल्दी हो सके इस लड़के से मेरा पीछा छूटे.

“दीपू, अब मुझे ठीक लग रहा है. तुम रहने दो.”

दीपू – ना मैडम. मुझे याद है मेरी मामी गिर पड़ी थी और उसके माथे से खून निकलने लगा था. उस दिन वो भी ज़िद कर रही थी की मैं ठीक हूँ , खुद कर सकती हूँ, नतीजा क्या हुआ ? चोट लग गयी ना.

अब इस बेवकूफ़ को कौन समझाए की मैं इसकी मामी की तरह बीमार नहीं हूँ जिसे अक्सर चक्कर आते रहते हैं. लेकिन मुझे उसकी बात माननी पड़ी क्यूंकी मेरे लिए उसका डर वास्तविक था जैसा की उसने अपनी मामी को गिरते हुए देखा था, वो डर रहा था की कहीं मैडम भी ना गिर जाए.

“ठीक है. तुम क्या चाहते हो ?”

दीपू – मैडम, खुद से रिस्क मत लीजिए. मैं आपको फर्श में बैठा दूँगा और दरवाज़ा बंद कर दूँगा. जब आपका हो जाएगा तो मुझे आवाज़ दे देना और ……

उसकी बात से शरम से मेरी आँखें झुक गयीं पर मेरे पास और कोई चारा नहीं था. मैंने हाँ में सर हिला दिया. दीपू ने मेरी बाँह पकड़कर मुझे टॉयलेट के फर्श में बिठा दिया. एक मर्द के सामने उस पोज़ में बैठना बड़ा अजीब लग रहा था और ऊपर से देखने वाले के लिए मेरी रसीली चूचियों के बीच की घाटी का नज़ारा कुछ ज़्यादा ही खुला था. मैंने ऐसे बैठे हुए पोज़ से नजरें ऊपर उठाकर दीपू को देखा, उसकी नजरें मेरे ब्लाउज में ही थी. स्वाभाविक था, कौन मर्द ऐसे मौके को छोड़ता है , एक बैठी हुई औरत की चूचियाँ और क्लीवेज ज़्यादा ही गहराई तक दिखती हैं.

“शुक्रिया. अब तुम दरवाज़ा बंद कर दो.”

दीपू – मैडम, खुद से उठने की कोशिश मत करना. मुझे बुला लेना.

मैं एक मर्द के सामने टॉयलेट में उस पोज़ में बैठी हुई बहुत बेचारी लग रही हूँगी और मेरे बदन में साड़ी भी नहीं थी.

“ठीक है, अब जाओ.”

मेरा धैर्य खत्म होने लगा था और पेशाब भी आने वाली थी. दीपू टॉयलेट से बाहर चला गया और दरवाज़ा बंद कर दिया. मैंने पीछे मुड़कर देखा की उसने दरवाज़ा ठीक से बंद किया है या नहीं.

हे भगवान. दरवाज़ा आधा खुला था. लेकिन मैंने तो दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी थी.

दीपू – मैडम, दरवाज़े में कुछ दिक्कत है. ये बिना कुण्डी चढ़ाये बंद नहीं हो रहा. क्या करूँ ? ऐसे ही रहने दूँ ?

“क्या ?? ऐसे कैसे होगा ?”

दीपू – मैडम, घबराओ नहीं. जब तक आप बुलाओगी नहीं मैं अंदर नहीं आऊँगा.

वो आधा दरवाज़ा खोलकर मुझसे पेशाब करने को कह रहा था.

“ना ना. मैं दरवाज़ा बंद करती हूँ.”

दीपू दरवाज़ा खोलकर फिर से टॉयलेट के अंदर आ गया.

दीपू – मैडम , ज़्यादा जोश में आकर खुद से उठने की कोशिश मत करो.

उसने मेरे कंधे दबा दिए ताकि मैं बैठी रहूं. मैंने उसकी तरफ ऊपर देखा तो उसकी नजरें मेरे ब्लाउज पर थीं और मुझे एहसास हुआ की उस एंगल से मेरी ब्रा का कप भी दिख रहा था. ऐसा लगा की वो अपनी आँखों से ही मुझसे छेड़छाड़ कर रहा है.

दीपू – ठीक है मैडम, एक काम करता हूँ. मैं दरवाज़ा बंद करके हाथ से पकड़े रहता हूँ , जब आपका हो जाएगा तो मुझे बुला लेना.

“हम्म्म …ठीक है, लेकिन….”

दीपू – मैडम, आप दरवाज़े पर नज़र रखना, बस ?

मैं बेचारगी से मुस्कुरा दी और दीपू फिर से टॉयलेट से बाहर चला गया. इस बार दरवाज़ा बंद करके उसने दरवाज़े का हैंडल पकड़ लिया.

दीपू – मैडम, आप करो. मैंने दरवाज़े का हैंडल पकड़ लिया है और ये अब नहीं खुलेगा.

“ठीक है…”

ये मेरी जिंदगी की सबसे अजीब सिचुयेशन्स में से एक थी. मेरे टॉयलेट के दरवाज़े पे एक मर्द दरवाज़ा पकड़े खड़ा था और मुझे अपने कपड़े ऊपर उठाकर पेशाब करनी थी. मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और चुपचाप दरवाज़े के पास जाकर देख आई की दरवाज़ा ठीक से बंद भी है या नहीं. दरवाज़ा ठीक से बंद पाकर मैंने सुरक्षित महसूस किया. मैं फिर से टॉयलेट में गयी और पेटीकोट ऊपर उठाकर पैंटी उतारने लगी. पैंटी पूरी गीली हो रखी थी और मेरी गोल चिकनी जांघों पे चिपक जा रही थी. जैसे तैसे मैंने पैंटी उतारी और तुरंत पेशाब करने के लिए बैठ गयी. सुर्र्र्र्र्ररर…की आवाज़ शुरू हो गयी और मुझे बहुत राहत हुई. अंतिम बूँद टपकने के बाद मैं उठ खड़ी हुई. मैं कमर तक पेटीकोट ऊपर उठाकर पकड़े हुए थी इसलिए मेरे नितंब और चूत नंगे थे.

“आआहह…”

एक पल के लिए मैंने आँखें बंद कर ली. बहुत राहत महसूस हो रही थी. तभी मुझे ध्यान आया की दरवाज़े पे तो दीपू खड़ा है और मैं जल्दी से नयी पैंटी पहनने लगी. मैं चुपचाप पैंटी पहन रही थी ताकि दीपू को शक़ ना हो. बल्कि मैंने तो टॉयलेट में पानी भी नहीं डाला ताकि कहीं मैं उठ खड़ी हुई हूँ सोचकर दीपू अंदर ना आ जाए.

दीपू – हो गया मैडम ?

कहानी जारी रहेगी

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1. पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

2- औलाद की चाह


3. मेरे अंतरंग हमसफ़र
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -15


स्कर्ट की नाप


मैं जल्दी से बैठ गयी जैसे की पेशाब कर रही हूँ और उसे हाँ में जवाब दे दिया. दीपू ने दरवाज़ा खोला और अंदर आ गया.

दीपू – ठीक है मैडम. मैं आपको सहारा देता हूँ और आप उठने की कोशिश करो.

मैं कमज़ोरी का बहाना करते हुए उठ खड़ी हुई. मुझे खड़ा करते हुए दीपू ने चतुराई से मेरी चूचियों को साइड्स से छू लिया. मैं उसे रोक तो नहीं सकती थी पर उससे ज़्यादा कुछ करने का उसे मौका नहीं दिया. मैंने अपना चेहरा और हाथ धोए और दीपू अभी भी मेरी कमर पकड़े हुए खड़ा था. वैसे तो मैं सावधान थी पर जब मैं मुँह धो रही थी तो उसकी अँगुलियाँ मेरी कमर में फिसलती हुई महसूस हुई. मैंने जल्दी से मुँह धोया और बाथरूम से बाहर आ गयी. मैं सोच रही थी की इतनी देर तक गोपालजी क्या कर रहा होगा.

दीपू – मैडम, ये बीमारी तो बहुत खराब है ख़ासकर औरतों के लिए.

मैं छोटे छोटे कदमों से बाथरूम से बाहर आ रही थी ताकि दीपू को वास्तविक लगे.

“ऐसा क्यूँ कह रहे हो ?

दीपू – मैडम, आज आप खुशकिस्मत थी की हमारे सामने बेहोश हुई. ज़रा सोचो अगर अंजान आदमियों के सामने बेहोश होती तो ? आप कभी लोगों के सामने भी बेहोश हुई हो ?

मैं खुशकिस्मत थी ? वाह जी वाह. मेरे टेलर ने मेरे मुँह में अपना लंड दिया और मेरी चूचियों को इतना मसला की अभी भी दर्द कर रही हैं. और ये लड़का कहता है की मैं खुशकिस्मत हूँ ? मैं मन ही मन मुस्कुरायी और एक गहरी सांस ली.

“मैं ऐसे बेहोश नहीं होती. आज ही हुई हूँ.”

गोपालजी – मैडम, देर हो रही है. अभी आपकी और भी नाप लेनी हैं.

दीपू – जी मेरे ख्याल से मैडम को थोड़ा आराम की ज़रूरत है. उसके बाद हम फिर शुरू करेंगे.

फिर शुरू करेंगे ? इस बेवकूफ़ का मतलब क्या है ? लेकिन मुझे दीपू का आराम का सुझाव पसंद आया क्यूंकी वास्तव में मुझे इसकी ज़रूरत थी.

गोपालजी – ठीक है फिर. आप बेड में आराम करो. तब तक मैं आपकी चोली का कपड़ा काटता हूँ.

“शुक्रिया गोपालजी.”

दीपू अभी भी मुझे सहारा दिए हुए था और उसने मुझे बेड में बिठा दिया. मैं एक बेशरम औरत की तरह इन दोनों मर्दों के सामने सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में घूम रही थी . सच कहूँ तो मुझे इसकी आदत पड़ने लगी थी.

दीपू – मैडम , आप की किस्मत अच्छी है जो आपको ये बीमारी नहीं है. जिन औरतों को ये बीमारी होती है उन्हें बहुत भुगतना पड़ता है.

“दीपू सिर्फ औरतें ही नहीं, जिस किसी को भी बेहोशी के दौरे पड़ते हैं , उन्हें भुगतना ही पड़ता है.”

दीपू – सही बात है मैडम. लेकिन मेरी मामी को देखने के बाद मुझे विश्वास है की औरतों को ज़्यादा भुगतना पड़ता है.

“क्यों ? तुम्हारी मामी को ऐसा क्या हुआ ?”

दीपू अपनी मामी का किस्सा सुनाने लगा की किस तरह उसके पड़ोसी ने एक दिन उसकी बेहोशी का फायदा उठा लिया.

गोपालजी – बहुत बातें हो गयी. मैडम अब काम शुरू करें ?

“जी गोपालजी. मैं तैयार हूँ.”

तब तक गोपालजी ने चोली का कपड़ा काट दिया था और अब टेप लिए तैयार था. दीपू भी नाप लिखने के लिए कॉपी पेन्सिल लेकर खड़ा हो गया. मैं बेड से उठी और पहले की तरह लाइट के पास जाकर खड़ी हो गयी.

गोपालजी – ठीक है मैडम, अब महायज्ञ के लिए स्कर्ट की नाप लेता हूँ.

गोपालजी की बात सुनकर एक पल के लिए मेरी धड़कनें रुक गयीं क्यूंकी मुझे मालूम था की अब ये टेलर मेरी जांघों और टाँगों पर हाथ फिराएगा. लेकिन उसकी उमर को देखते हुए मुझे उससे ज़्यादा डर नहीं लग रहा था.

गोपालजी – मैडम, गुरुजी के निर्देशानुसार आपकी स्कर्ट चुन्नटदार होगी. मुझे उम्मीद है की आपको चुन्नटदार स्कर्ट और प्लेन स्कर्ट के बीच अंतर मालूम होगा.

“हाँ मुझे मालूम है. प्लेन स्कर्ट की बजाय इसमें चुन्नट होंगे फोल्ड जैसे.”

गोपालजी – हाँ ऐसा ही. मुझे स्कर्ट के कपड़े में चुन्नट सिलने होंगे. मैडम ये बहुत मेहनत का काम है.

वो मुस्कुराया और मैं भी मुस्कुरा दी.

गोपालजी – लेकिन मैडम, हो सकता है की आपको असहज महसूस हो ….मेरा मतलब……

टेलर को हकलाते हुए देखकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई और मुझे समझ नहीं आया की वो क्या कहना चाह रहा है ? मुझे असहज क्यूँ महसूस होगा ? मैंने उलझन भरी निगाहों से उसे देखा.

गोपालजी – मैडम बात ये है की स्कर्ट पूरी लंबाई की नहीं होगी. ये थोड़ी छोटी होगी.

मैंने गले में थूक गटका. मैं सोचने लगी…..छोटी ? कितनी छोटी ? घुटनों तक ?

“गोपालजी कितनी छोटी ?”

गोपालजी – मैडम , ये मिनी स्कर्ट जैसी होगी.

“क्या ?????”

गोपालजी – मुझे मालूम था की आपको असहज महसूस होगा. इसीलिए मैं ये बात बोलने से हिचकिचा रहा था.

“अब इस उमर में मैं मिनी स्कर्ट पहनूँगी ? हो ही नहीं सकता.”

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था. मैं 28 बरस की गदराये बदन वाली शादीशुदा औरत अगर मिनी स्कर्ट पहनूँगी तो बहुत उत्तेजक और अश्लील लगूंगी.

गोपालजी – मैडम घबराओ नहीं. ये उतनी छोटी नहीं होगी जितनी आप सोच रही हो.

“यही तो मैं आपसे पूछ रही हूँ. कितनी छोटी ?”

गोपालजी – मैं ऐसे नहीं बता सकता. वैसे तो मिनी स्कर्ट 12 इंच की होती है पर आप समझ सकती हैं की सही नाप औरत की लंबाई और उसके बदन पर निर्भर करती है.

“हम्म्म …मैं समझ रही हूँ पर 12 इंच तो कुछ भी नहीं है.”

मैं तेज आवाज़ में बोली लगभग चिल्ला कर.

गोपालजी – मैडम, मैडम……मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता. गुरुजी के निर्देशों की अवहेलना कोई नहीं कर सकता.

“हाँ वो मुझे भी मालूम है लेकिन….”

मैं हक्की बक्की खड़ी थी. ये बुड्ढा क्या कह रहा है ? मैं 12 इंच लंबी स्कर्ट पहनूँगी ? मेरे 36 “ के नितंबों पर इतनी छोटी स्कर्ट . मैं अचंभित थी.

गोपालजी – मैडम, इस बात पर समय बर्बाद करने के बजाय नाप ले लेते हैं. मैं आपको भरोसा दे सकता हूँ की मेरी कोशिश रहेगी की आपकी स्कर्ट की फिटिंग जितनी शालीन हो सकती है उतनी रखूं.



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“मुझे मालूम है की आप कोशिश करोगे पर गोपालजी प्लीज़ समझो …..मैं एक हाउसवाइफ हूँ और मेरी जिंदगी में मैंने कभी इतनी छोटी स्कर्ट नहीं पहनी.”

गोपालजी – मैं समझ सकता हूँ मैडम. मुझ पर भरोसा रखो और मैं कोशिश करूँगा की आपको थोड़ा सहज महसूस हो.

“वो कैसे गोपालजी ?”

गोपालजी – मैडम, देखो, ये स्कर्ट सिर्फ आपके गुप्तांगों को ही ढकेगी. लेकिन अगर आप कुछ बातों का ध्यान करो तो आपको उतना असहज नहीं महसूस होगा.

“मतलब ?”

गोपालजी – मैडम, मिनी स्कर्ट में दिक्कत क्या है ? यही की इसमें पूरी टाँगें दिखती हैं. लेकिन अगर कोई औरत इसे लगातार पहने रखे तो उसको उतनी शरम नहीं महसूस होगी. है की नहीं ?

“हाँ ये तो है.”

गोपालजी – मैडम ये बात बिल्कुल सही है. देखो जैसे अभी. आप अपने घर में बिना साड़ी पहने ऐसे तो नहीं घूमती हो ना ? लेकिन अभी आप बहुत देर से ऐसे ही हो और अब आपको उतनी शरम नहीं लग रही है जितनी साड़ी उतारते समय लगी होगी, है ना ?

उसकी बात सुनकर मैंने शरम से आँखें झुका लीं और हाँ में सर हिला दिया. क्यूंकी उस टेलर ने मुझे याद दिला दिया की मैं दो मदों के सामने सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हूँ.

गोपालजी – मैडम, ऐसा ही स्कर्ट के लिए भी है. लेकिन आपको ध्यान रखना होगा की आस पास के लोग आपकी स्कर्ट के अंदर झाँक ना पाएँ.

“हम्म्म …”

मैंने बेशरम औरत की तरह जवाब दिया.

गोपालजी – मैडम, अगर आप लोगों के सामने ध्यान से ना बैठो तो मिनी स्कर्ट के अंदर भी दिख सकता है. जैसे सीढ़ियाँ चढ़ते समय आपको अपना बदन सीधा रखना पड़ेगा ताकि आपके पीछे चलने वाले आदमी को आपके नितंबों का नज़ारा ना दिखे. लेकिन अगर आप झुक के सीढ़ियाँ चढ़ोगी तो उसे सब कुछ दिख जाएगा.

मैं टेलर के चेहरे पर नज़रें गड़ाए उसकी बात सुन रही थी पर उसके अंतिम वाक्य को सुनकर मुझे अपनी आँखें फेरनी पड़ी.

“गोपालजी , मैं आपकी बात समझ गयी.”

मैं इस बुड्ढे के ऐसे समझाने से असहज महसूस कर रही थी और अब इन बातों को खत्म करना चाहती थी. मैंने देखा की दीपू हल्के से मुस्कुरा रहा है और इससे मुझे और भी शर्मिंदगी महसूस हुई.

गोपालजी – ठीक है मैडम, काम शुरू करूँ फिर ?

“हाँ.”

गोपालजी मेरे नज़दीक आया और मेरी कमर और जांघों को देखने लगा. वैसे तो कुछ ही समय पहले मुझे ओर्गास्म आया था पर ये टेलर मेरी कमर से नीचे हाथ फिराएगा सोचकर मेरी चूत में खुजली होने लगी. मुझे भरोसा नहीं था की मैं उसके हाथों का फिराना सहन भी कर पाऊँगी या नहीं ख़ासकर की मेरी कमर, जांघों और टाँगों में.

अब वो मेरे सामने झुका और टेप के एक सिरे को मेरी कमर में पेटीकोट के थोड़ा ऊपर लगाया और मेरी मांसल और चिकनी जांघों पर अँगुलियाँ फिराते हुए अपना दूसरा हाथ नीचे ले गया और 12 “ नापा.

गोपालजी – मैडम, स्कर्ट इतनी लंबी होगी.

गोपालजी की अँगुलियाँ मेरी ऊपरी जांघों पर थीं.

“बस इतनी …?”

मेरे मुँह से अपनेआप ये शब्द निकल गये क्यूंकी इतनी छोटी लंबाई देखकर मैं शॉक्ड रह गयी.

“लेकिन गोपालजी ये तो…..मैं ऐसी ड्रेस कैसे पहन सकती हूँ ?”

गोपालजी – लेकिन मैडम, मैंने आपको बताया था की ये मिनी स्कर्ट है. आप इससे ये अपेक्षा नहीं रख सकती हो की ये आपकी पूरी जांघों को ढक देगी , है ना ?

“हाँ वो तो ठीक है पर इतनी छोटी ? ये तो मेरी आधी जांघों को भी नहीं ढक रही. इससे बढ़िया तो कुछ भी नहीं पहनूं.”

गोपालजी – लेकिन मैडम, मैं कर ही क्या सकता हूँ. जैसा बताया है मुझे तो वैसा ही करना होगा.

दीपू – मेरे ख्याल से मैडम की चिंता जायज है. अगर इसकी स्कर्ट जांघों में इतनी ऊपर है जहाँ पर आपकी अंगुली है तो सोचो अगर मैडम बैठेगी तो क्या होगा ?

गोपालजी – दीपू तुम अच्छी तरह जानते हो की मैं स्कर्ट की लंबाई नहीं बदल सकता.

मैंने बहुत असहाय महसूस किया और असहायता से दीपू की तरफ देखा.

दीपू – एक तरीका है मैडम.

उसकी बात सुनकर जैसे मुझमें जान आ गयी.

“कौन सा तरीका ? जल्दी बताओ ?”

दीपू मेरे पास आया. गोपालजी मेरे आगे बैठकर मेरी जांघों और कमर पर हाथ रखे हुए था. दीपू ने सीधे मेरी नाभि को छू दिया जहाँ पर मेरा पेटीकोट बँधा हुआ था.

दीपू – मैडम, आप हमेशा यहीं पर पेटीकोट बाँधती हो ?

“हाँ, अक्सर…मेरा मतलब हमेशा नहीं पर ज़्यादातर. पर क्यूँ ?”

दीपू – मैडम, गोपालजी ने यहाँ से नापा है. पर अगर आप कमर से नीचे स्कर्ट पहनोगी तो मेरे ख्याल से आपकी जांघें थोड़ी ज़्यादा ढक जाएँगी.

गोपालजी – हाँ मैडम, अगर आप राज़ी हो तो ऐसा हो सकता है.

वास्तव में और कोई चारा नहीं था , अगर मुझे थोड़ी इज़्ज़त बचानी है तो इस लड़के की बात माननी ही पड़ेगी. मैंने सोचा अगर मैं अपनी नाभि से कुछ इंच नीचे स्कर्ट पहनूं तो इससे मेरी गोरी मांसल जांघों का कुछ हिस्सा ढक जाएगा , वरना तो मर्दों के सामने अपनी गोरी सुडौल जांघों के नंगी रहने से मुझे बड़ा अनकंफर्टेबल फील होगा.

गोपालजी – मैडम, मेरे ख्याल से आपको अभी एक ट्रायल कर लेना चाहिए ताकि आपको पक्का हो जाए की कहाँ पर स्कर्ट बाँधनी है और ये आपको कितना ढकेगी.

दीपू – हाँ , ट्रायल से मैडम को अंदाज़ा हो जाएगा और चुन्नट में किसी एडजस्टमेंट की ज़रूरत होगी तो मैडम बता सकती है.

गोपालजी – हाँ सही है. मैडम चुन्नट भी एडजस्ट किए जा सकते हैं ताकि आपकी स्कर्ट ज़्यादा फड़फड़ ना करे.

इस बार मैं टेलर और उसके सहायक से वास्तव में इंप्रेस हुई क्यूंकी ऐसा लग रहा था की ये दोनो इस एंबरेसिंग सिचुयेशन में मेरी मदद करना चाहते हैं.

“हाँ ट्राइ कर सकती हूँ.”

गोपालजी – दीपू मेरे बैग में देखो. मैं ट्रायल के लिए एक चोली और स्कर्ट लाया हूँ.”

दीपू गोपालजी के बैग में देखने लगा.

गोपालजी – मैडम , मैंने आपसे चोली के ट्रायल के लिए नहीं कहा क्यूंकी इसका साइज़ 30” है जो की आपको फिट नहीं आएगी. असल में ये महायज्ञ परिधान मैंने गुरुजी को दिखाने के लिए दो साल पहले सिला था.

“अच्छा …”

दीपू बैग से स्कर्ट निकालकर ले आया. ये वास्तव में मिनी स्कर्ट थी ख़ासकर की मेरी भारी जांघों और बड़े गोल नितंबों के लिए.


कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

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‘ परिधान'

Update -16


मिनी स्कर्ट



गोपालजी ने दीपू से स्कर्ट ले ली और उसमें कुछ देखने लगा. मुझे समझ नहीं आया की टेलर क्या चेक कर रहा है ?

गोपालजी – हम्म्म …ठीक है. मैडम आप ट्राइ कर सकती हो.

“कमर ठीक है ?”

ये एक बेवकूफी भरा सवाल था क्यूंकी कोई भी देख सकता था की स्कर्ट की कमर में इलास्टिक बैंड है.

गोपालजी – ये फ्री साइज़ है मैडम. कोई भी औरत इसे पहन सकती है. इसमें इलास्टिक बैंड है.

“हाँ हाँ. मैंने देख लिया.”

ऐसा कहते हुए मैंने टेलर से स्कर्ट ले ली और मेरा गला अभी से सूखने लगा था. ये इतना छोटा कपड़ा था की मेरी जांघों की तो बात ही नहीं मुझे तो आशंका थी की इससे मेरी बड़ी गांड भी ढकेगी या नहीं.

मेरे हाथों में मिनी स्कर्ट देखकर दीपू और गोपालजी की आँखों में चमक आ गयी. क्यूंकी मैं अपना पेटीकोट उतारकर इसे पहनूँगी तो ये मर्दों के लिए देखने लायक नज़ारा होगा. मैं बाथरूम की और जाने लगी तभी……

गोपालजी – मैडम, अगर आपको बुरा ना लगे तो यहीं पर पहन लो. बाथरूम जाने की ज़रूरत नहीं.

“क्या मतलब ?”

गोपालजी – मैडम, बुरा मत मानिए. अगर आप ध्यान से देखो तो स्कर्ट की कमर में में एक हुक है जिसे आप खोल सकती हो. इससे स्कर्ट टॉवेल की तरह खुल जाएगी. फिर आप इसको कमर में लपेट लेना और फिर पेटीकोट खोल देना.

मैंने स्कर्ट को देखा. वो सही था लेकिन मुझे लगा की पेटीकोट के ऊपर स्कर्ट को लपेटकर फिर पेटीकोट को उतारने में दिक्कत भी हो सकती है, ख़ासकर की जब दो मर्द सामने खड़े मुझे घूर रहे होंगे.

“गोपालजी , मेरे लिए बाथरूम में चेंज करना ही कंफर्टेबल रहेगा.”

गोपालजी – ठीक है मैडम, जैसी आपकी मर्ज़ी.

मैं बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मुझे महसूस हुआ की चलते समय दो जोड़ी आँखें मेरी मटकती हुई गांड पर टिकी हुई हैं.

दीपू – मैडम, ध्यान रखना. आपको थोड़ी देर पहले ही होश आया है.

“हाँ. शुक्रिया.”

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी.

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी. मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था. मुझे एक अजीब सी भावना का एहसास हो रहा था, जिसमें शरम से ज़्यादा मेरे बदन के एक्सपोज होने का रोमांच था. मैंने जिंदगी में कभी इतनी छोटी स्कर्ट नहीं पहनी थी. मुझे याद था की काजल के बाथरूम में उस कमीने नौकर के सामने मैंने जो काजल की स्कर्ट पहनी थी उससे मेरे घुटनों तक ढका हुआ था पर ये वाली स्कर्ट तो कुछ भी नहीं ढकेगी. मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट मेरे पैरों में फर्श पर गिर गया. मेरी जाँघें और टाँगें नंगी हो गयीं , मेरी साँसें तेज चलने लगीं और ब्रा के अंदर मेरे निप्पल टाइट हो गये.

मैंने केले के पेड़ के तने की तरह सुडौल और गोरी गोरी अपनी जांघों को देखा और उस छोटे से कपड़े को पहनने का रोमांच बढ़ने लगा. मैंने शीशे में अपनी पैंटी को देखा और खुशकिस्मती से उसमें कोई गीला धब्बा नहीं दिख रहा था. मैंने स्कर्ट का हुक खोला और उसको अपनी कमर पर लपेटकर फिर से हुक लगा दिया. हुक लगाने के बाद मेरी कमर पर स्कर्ट का इलास्टिक बैंड टाइट महसूस हो रहा था. मैंने शीशे में देखा की मैं कैसी लग रही हूँ और मैं शॉक्ड रह गयी.

“उउउउउउ………..”

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. स्कर्ट के नीचे मेरी गोरी मांसल जांघों का अधिकतर भाग नंगा दिख रहा था और मेरी नाभि से नीचे का हिस्सा भी नंगा था , इससे मैं बहुत उत्तेजक और कामुक लग रही थी.





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ये स्कर्ट तो किसी मर्द के सामने पहनी ही नहीं जा सकती थी. ये इतनी छोटी थी की इसे बंद दरवाजों के भीतर सिर्फ अपने बेडरूम में ही पहना जा सकता था. वैसे तो मुझे भी यहाँ आश्रम में बंद दरवाजों के भीतर ही इसे पहनना था पर गुरुजी और अन्य मर्दों के सामने. और महायज्ञ के लिए मुझे ऐसी स्कर्ट पहननी ही थी. इसलिए मैंने अपने मन को बिल्कुल ही बेशरम बनने के लिए तैयार करने की कोशिश की और अपना फोकस सिर्फ अपने गर्भवती होने पर रखा. मैंने सोचा अगर मेरी संतान हो जाती है तो फिर मुझे भगवान से और कुछ नहीं चाहिए. मैंने अपने मन को दिलासा देने की कोशिश की मेरे पति को कभी पता नहीं चलेगा की यहाँ आश्रम में मेरे साथ क्या क्या हुआ था और एक बार मैं अपने घर वापस चली गयी तो आश्रम के इन मर्दों से मेरा कभी वास्ता नहीं पड़ेगा.

मैंने फर्श से पेटीकोट उठाया और हुक में लटका दिया और बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्यूंकी मैं दो मर्दों के सामने छोटी सी स्कर्ट में जाने वाली थी. बाथरूम से कमरे में आते ही मुझे देखकर दीपू के मुँह से वाह निकल गया. मैं उन दोनों से नजरें नहीं मिला सकी और स्वाभाविक शरम से मेरी आँखें झुक गयीं. मुझे मालूम था की उन दोनों मर्दों की निगाहें मेरी चिकनी जांघों को घूर रही होंगी.

गोपालजी – मैडम, आप तो अप्सरा लग रही हो. इस स्कर्ट में बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो.

मैंने सोचा की गोपालजी ने मेरे लिए सेक्सी की बजाय खूबसूरत शब्द का इस्तेमाल किया इसके लिए उसका शुक्रिया. मैं मन ही मन मुस्कुरायी और उस छोटी स्कर्ट को पहनकर नॉर्मल रहने की कोशिश की. मैंने ख्याल किया की मेरी केले जैसी मांसल जांघों को देखकर दीपू का जबड़ा खुला रह गया है. गोपालजी की नजरें मेरे सबसे खास अंग पर टिकी हुई थी और शुक्र था की स्कर्ट ने उसे ढक रखा था.

“गोपालजी ये स्कर्ट कमर में बड़ी टाइट हो रही है.”

मैंने अपनी कमर की तरफ इशारा करते हुए कहा. बिना वक़्त गवाए बुड्ढा तुरंत मेरे पास आ गया और मेरी स्कर्ट के इलास्टिक बैंड में अंगुली डालकर देखने लगा की कितनी टाइट हो रखी है. गोपालजी स्कर्ट के एलास्टिक को खींचकर देखने लगा की कितनी जगह है. मुझे मालूम था की एलास्टिक को खींचकर वो मेरी सफेद पैंटी को देख रहा होगा. एक तो उस छोटी सी बदन दिखाऊ ड्रेस को पहनकर वैसे ही मैं रोमांचित हो रखी थी और अब एक मर्द का हाथ लगने से मेरा सर घूमने लगा. मेरा चेहरा लाल होने लगा और मेरे होंठ सूखने लगे.

गोपालजी – हाँ मैडम, आप सही हो. कमर में ¾ “ एक्सट्रा कपड़ा लगाकर ठीक से फिटिंग आएगी. मैं हुक को भी ½ “ खिसका दूँगा. दीपू नोट करो.

दीपू – जी नोट कर लिया.

गोपालजी – लेकिन मैडम क्या आप यहाँ पर साड़ी बाँधती हो ?

“क्यूँ ?”

गोपालजी – असल में मुझे लग रहा है की आपने स्कर्ट थोड़ी ऊपर बाँधी है.

“लेकिन मैं तो अक्सर अपनी साड़ी को नाभि पर बाँधती हूँ और स्कर्ट तो मैंने नीचे बाँधी है.

मैंने दिखाया की स्कर्ट मेरी नाभि से डेढ़ इंच नीचे है.

गोपालजी – ना मैडम, आपको थोड़ी और नीचे बांधनी पड़ेगी. मैं एडजस्ट करूँ ?

मुझे अच्छी तरह मालूम था की एडजस्ट करने के लिए इसे मेरी स्कर्ट का हुक खोलना होगा और फिर स्कर्ट नीचे होगी. मैंने गले में थूक गटका.

“ठी….ठीक है……”

गोपालजी ने तुरंत मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और अब मेरी इज़्ज़त उसके हाथों में थी. वो टेलर मेरे बदन पर झुका हुआ था और एक दो बार मेरी चूचियाँ उसके बदन से छू गयीं. उसने धीरे धीरे स्कर्ट को नीचे करना शुरू किया और अब मुझे लगा की मेरी पैंटी दिखने लगी है.

“गोपालजी प्लीज. इतना नीचे मत करिए.”

गोपालजी – मैडम, प्लीज आप मेरे काम में दखल मत दीजिए.

स्कर्ट को एडजस्ट करते हुए गोपालजी की अँगुलियाँ मेरी पैंटी के इलास्टिक बैंड को छू रही थीं और एक बार तो मुझे ऐसा लगा की उसने एक अंगुली मेरी पैंटी के एलास्टिक के अंदर घुसा दी है.

“आउच……आआहह…”

मेरी सांस रुक गयी और मेरे मुँह से अपनेआप निकल गया.

गोपालजी ने सर उठाकर ऊपर को देखा और उसका सर ब्लाउज से ढकी हुई मेरी बायीं चूची से टकरा गया. अब मैं आँखें बंद करके जोर से धड़कते हुए दिल से खड़ी थी क्यूंकी मुझे मालूम था की मेरी स्कर्ट का हुक अभी भी खुला है. मेरी आँखें बंद देखकर गोपालजी स्कर्ट को एडजस्ट करने के बहाने दोनों हाथों से मेरी कमर को पैंटी के पास छूते रहा और बीच बीच में अपने सर को मेरी बायीं चूची पर दबाते रहा. उसके ऐसा करने से ऐसी इरोटिक फीलिंग आ रही थी की क्या बताऊँ.

शुक्र था की आख़िरकार उसने स्कर्ट का हुक लगा ही दिया.

गोपालजी – मैडम अब ठीक लग रहा है. देख लीजिए.

मैंने आँखें खोली और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए एक गहरी सांस ली और फिर नीचे देखा.

“ईईईईई…..”

कुछ इस तरह की आवाज मेरे मुँह से निकली, गोपालजी ने स्कर्ट इतनी नीचे कर दी थी की मेरी नाभि और उसके आस पास का पूरा हिस्सा नंगा था और स्कर्ट का एलास्टिक ठीक मेरी पैंटी के एलास्टिक के ऊपर आ गया था.



कहानी जारी रहेगी

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बहुत ही बढ़िया अपडेट है । औलाद की चाह से ज्यादा तो सेक्स की चाह लग रही है
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -17


मिनी स्कर्ट एक्सपोजर



गोपालजी – मैडम, देखो, मैंने बहुत सी औरतों के लिए ड्रेस सिली हैं और मैं आपको बता सकता हूँ की ज़्यादातर औरतें अपने पेट से ज़्यादा जांघों को ढकना पसंद करती हैं. इसलिए….

“गोपालजी ये बात तो सही है पर ….”

गोपालजी – गुस्ताख़ी माफ़ मैडम, लेकिन आपकी जाँघें बहुत गोरी और आकर्षक हैं. इसलिए मुझे लगता है की लोगों के सामने इन्हें जितना ढकोगी उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा.

बातों के दौरान मैं ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी की मेरे नितंबों को स्कर्ट कितना ढक रही है. मुझे लगा की जहाँ से कमर का घुमाव शुरू होता है वो हिस्सा दिख रहा होगा क्यूंकी स्कर्ट उससे नीचे बँधी थी. इतनी नीचे स्कर्ट पहनकर मैं बहुत कामुक लग रही हूंगी और जब मैंने दीपू की ओर देखा तो उसकी हवसभरी आँखें यही बता रही थी.

“ठीक है फिर. मैं यहीं पर बाधूंगी.

गोपालजी – मैडम, मैं एक बार चुन्नट भी देख लूँ फिर आपकी स्कर्ट फाइनल करता हूँ.

मैंने सर हिला दिया और वो बुड्ढा फिर से मेरी नंगी टाँगों के आगे बैठ गया. उसका चेहरा ठीक मेरी चूत के सामने था.

गोपालजी – मैडम चुन्नट बाहर से तो ठीक हैं. एक बार जल्दी से अंदर से भी देख लेता हूँ.

मुझे रियेक्ट करने का वक़्त दिए बिना उस टेलर ने चुन्नट चेक करने के बहाने से तुरंत अपने दोनों हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल दिए. क्यूंकी स्कर्ट टाइट थी इसलिए उसकी हथेलियों का पिछला हिस्सा मेरी नंगी जांघों को छूने लगा. स्वाभाविक था की मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और थोड़ा पीछे हट गयी. मेरी स्कर्ट के अंदर पैंटी के पास एक मर्द का हाथ देखकर अपनेआप ही मेरी टाँगें चिपक गयीं. फिर उसके हाथ मैंने स्कर्ट के अंदर ऊपर को बढ़ते महसूस किए अब तो मुझे बोलना ही था.

“अरे… गोपालजी ये क्या कर रहे हो ?”

मैंने अपने होंठ दबा लिए क्यूंकी गोपालजी के हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर एक लय में चुन्नट के साथ ऊपर नीचे जा रहे थे. वो एक एक करके हर चुन्नट को चेक कर रहा था. अब मैं उसकी ये हरकत और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी थी. मैंने स्कर्ट के बाहर से उसका एक हाथ पकड़ लिया. वो दृश्य बहुत कामुक लग रहा था, मैं एक मर्द के सामने खड़ी थी और उसने मेरे पैरों में बैठ के मेरी स्कर्ट के अंदर अपने हाथ घुसा रखे थे और अब मैंने उसका एक हाथ स्कर्ट के बाहर से पकड़ा हुआ था.

गोपालजी – क्या…क्या हुआ मैडम ?

“मेरा मतलब….प्लीज अब बस करो…”

गोपालजी – लेकिन मैडम, मैं तो ऐसे ही अंदर के चुन्नट चेक करता हूँ वरना मुझे आपकी स्कर्ट ऊपर को उठाकर पलटकर अंदर से चुन्नट चेक करनी पड़ेगी जो की और भी ज़्यादा…….

“ना ना, पहले आप अपने हाथ बाहर निकालो…प्लीज……”

गोपालजी बड़ा आश्चर्यचकित लग रहा था पर उसने धीरे से अपने हाथ स्कर्ट से बाहर निकाल लिए.

“गोपालजी माफ कीजिएगा, लेकिन मुझे अजीब सा ….. मेरा मतलब गुदगुदी सी हो रही थी…”





SKIRT-LIFT
गोपालजी – ओह …..मैंने सोचा…..चलो ठीक है. मैडम , आप पहली बार स्कर्ट की नाप दे रही हो इसलिए ऐसा हो गया होगा.

वो हल्के से हंसा , उसके साथ दीपू भी हंस दिया और शरमाते हुए मैं भी मुस्कुरा दी.

दीपू – मेरे ख्याल से एक काम हो सकता है. जब मैडम साड़ी पहन लेगी तब हम स्कर्ट के अंदर के चुन्नट चेक कर सकते हैं.

गोपालजी – दीपू , मेरे नाप लेने के तरीके में हर चीज का कुछ ना कुछ मतलब होता है. अगर ऐसा हो सकता जैसा की तुम सुझाव दे रहे हो तो मैंने मैडम को ऐसे शर्मिंदा नहीं किया होता. है की नहीं ?

दीपू – जी , माफी चाहता हूँ.

गोपालजी – दीपू, अगर अंदर से चुन्नट बराबर नहीं होंगी तो ये मैडम की जांघों को छूएंगी और उसे अनकंफर्टेबल फील होगा. इसलिए मैं इन्हें तभी चेक कर रहा हूँ जब मैडम ने इसे पहना है.

अब मुझे भी बात साफ हो गयी. टेलर का इरादा तो नेक था पर उसकी इस हरकत से मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

गोपालजी – कोई बात नहीं , मैडम को असहज महसूस हो रहा है इसलिए इसे मैं बाद में ठीक करूँगा.

वो थोड़ा रुका. मैं एक बेशरम औरत की तरह उस छोटी सी स्कर्ट और ब्लाउज में उनके सामने खड़ी थी.

गोपालजी – अब मैडम, अगर आप चाहो तो मैं कुछ और चीज़ें चेक कर लूँ सिर्फ आपकी इज़्ज़त बचाने के लिए. लेकिन सिर्फ तभी जब आप चाहोगी….

“गोपालजी , लगता है की आप मुझसे नाराज हो गये हो. लेकिन मैं तो सिर्फ…”

गोपालजी – ना ना मैडम, ऐसी कोई बात नहीं . मुझे खुशी है की आपने साफ साफ बता दिया की आपको असहज महसूस हो रहा है. लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ की इसका मेरे नाप लेने से कोई मतलब नहीं . देखो मैडम, आप पहली बार मिनी स्कर्ट पहन रही हो, इसलिए आपको ध्यान रखना चाहिए की आप अपनी पैंटी..…मेरा मतलब आपकी पैंटी लोगों को दिख ना जाए इसका ध्यान रखना होगा.

ये बात तो मेरे दिमाग़ में भी थी पर मुझे कैसे पता चलेगा की लोगों को मेरी पैंटी दिख रही है या नहीं .

“हम्म्म ….. हाँ ये तो है . पर इसे चेक कैसे करुँगी ?”

गोपालजी – मैडम, आपको कुछ भी नहीं करना है. मैं हूँ ना आपको गाइड करने के लिए.

उसके आश्वासन से मुझे राहत हुई और मैं उस अनुभवी टेलर के निर्देशों का इंतज़ार करने लगी.

गोपालजी – मैडम, अब आपकी स्कर्ट सही जगह पर बँधी है और मैं आपके बैठने के पोज चेक करूँगा. अगर कुछ एडजस्ट करना होगा तो बताऊँगा , ठीक है ?

गोपालजी – ठीक है गोपालजी.

गोपालजी – मैडम, आपको समझ आ रहा होगा की मिनी स्कर्ट पहनने में सबसे बड़ी समस्या इसके अंदर दिखने की है और इसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी. अगर आप मेरे बताए निर्देशों का पालन करोगी तो ज़्यादा एक्सपोजर नहीं होगा.

जिस तरह से वो टेलर मेरी मदद करने की कोशिश कर रहा था उससे मुझे अच्छा लगा और मैंने उसकी बात पर सर हिला दिया.

गोपालजी – दीपू, क्या तुम बता सकते हो की वो कौन से पोज हैं जिसमें मैडम को अलर्ट रहना चाहिए.

दीपू – जी, 6 ख़ास पोज हैं, खड़े होना, बैठना, झुकना, पैरों पर बैठना, लेटना और चढ़ना.

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