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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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औलाद की चाह

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update 7


लेडीज टेलर- नाप


मैं अपनी चूचियों के बारे में खुलेआम ऐसे कमेंट्स सुनकर हैरान थी. ऐसा नहीं था की मैं अपने लिए मर्दों के कमेंट्स पहली बार सुन रही थी. कॉलेज को आते जाते वक़्त आवारा लड़के कमेंट्स करते रहते थे जिन्हें मैं नजरअंदाज कर देती थी. मेरी मटकती हुई गांड और बड़ी चूचियों के बारे में उनके भद्दे कमेंट्स मुझे अभी भी याद हैं. शादी के बाद मेरे पति भी मेरे बदन और मेरी चूचियों के ऊपर कमेंट्स करते रहते थे, ख़ासकर संभोग के समय या फिर जब मैं ड्रेसिंग टेबल के आगे अपने बाल बनाया करती थी. वैसे तो वो भी अश्लील कमेंट्स होते थे पर मैं उनका मज़ा लेती थी क्यूंकी उनसे मेरे पति मेरी तारीफ किया करते थे. लेकिन जो आज हो रहा था वो बिल्कुल अलग था. लड़के को सिखाने के बहाने वो बुड्ढा टेलर खुलेआम मेरे सामने ही मेरे बारे में ऐसी अश्लील बातें कर रहा था. ना तो मैं इन बातों का मज़ा ले सकती थी ना ही नजरअंदाज कर सकती थी. मेरे लिए बड़ी अजीब स्थिति थी.

गोपाल टेलर – चलो बातें बहुत हुई अब काम करते हैं.

ऐसा कहते हुए गोपालजी ने मेरे पीछे हाथ ले जाकर मेरी छाती पर टेप लगाया. ऐसा करते हुए एक पल के लिए उसकी छाती मेरी चूचियों पर दब गयी. ऐसा होने से मेरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गयी. असल में अनजाने में उसकी छाती ने ब्लाउज और ब्रा के अंदर ठीक मेरे निप्पल्स को दबाया था. तुरंत ब्रा के अंदर निप्पल कड़क हो गये और मेरी पैंटी में कुछ बूँद रस निकल गया.

मैंने अपना ध्यान बदलकर दूसरी तरफ लगाने की कोशिश की और सोचा की कैसे इस बुड्ढे ने मेरी तरफ देखकर गंदी स्माइल दी थी जब उसने कहा था ‘हर औरत की चूचियाँ मैडम की जैसी बड़ी और कसी हुई नहीं होती हैं , है की नहीं ? हा…हा..हा…..’ . मैंने उस टेलर के बारे में नकारात्मक सोचना चाहा. लेकिन ऐसा ना हो सका. गोपालजी मेरी छाती नापने लगा और मैं अपने ऊपर काबू खोने लगी क्यूंकी मेरा बदन मेरे दिमाग़ की नहीं सुन रहा था.

मैंने अपना ध्यान बदलकर दूसरी तरफ लगाने की कोशिश की और सोचा की कैसे इस बुड्ढे ने मेरी तरफ देखकर गंदी स्माइल दी थी जब उसने कहा था ‘हर औरत की चूचियाँ मैडम की जैसी बड़ी और कसी हुई नहीं होती हैं , है की नहीं ? हा…हा..हा…..’ .

मैंने उस टेलर के बारे में नकारात्मक सोचना चाहा. लेकिन ऐसा ना हो सका. गोपालजी मेरी छाती नापने लगा और मैं अपने ऊपर काबू खोने लगी क्यूंकी मेरा बदन मेरे दिमाग़ की नहीं सुन रहा था.

गोपालजी – मैडम, आप सीधी खड़ी रहो और अपना बदन हिलाना मत. मैं नाप ले रहा हूँ.

मैंने सर हिला दिया और टेलर ने अब मेरे ब्लाउज में टेप लगाया. टेप सीधा करने के बहाने गोपालजी ने ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियों को छुआ और मेरी सुडौल चूचियों की गोलाई और कोमलता का एहसास किया. मैं सब समझ रही थी पर इससे मुझे भी एक सेक्सी फीलिंग आ रही थी.

गोपालजी – मैडम, मैं अब टेप को टाइट करूँगा , अगर बहुत टाइट लगे तो बता देना.

“ठीक….क है…”

मैंने हकलाते हुए बोल दिया क्यूंकी गोपालजी के हाथ अभी भी मेरी रसीली चूचियों को छू रहे थे और एक मर्द का हाथ लगने से मेरे निपल्स खड़े होने लगे थे. मैं गहरी साँसें लेने लगी थी और मेरी मज़े लेने की इच्छा मेरे दिमाग़ को सुन्न करती जा रही थी. मन से मैं अपने को समझा रही थी की मुझे ऐसे व्यवहार नहीं करना चाहिए क्यूंकी अगर गोपालजी को मेरी मनोदशा का पता चल गया तो मेरे लिए बहुत शर्मिंदगी वाली बात होगी.

अब गोपालजी ने टेप को टाइट करना शुरू किया और टेप के दोनों सिरे मेरी बायीं चूची पर लगा दिए. उसकी अँगुलियाँ मेरे निप्पल को छू रही थीं और टेप को उसने मेरे ऐरोला पर दबाया हुआ था.

“आआहह…” मैंने मन ही मन सिसकारी ली.

अब नाप लेने के लिए उसने टेप को अंगूठे से मेरे निप्पल पर दबा दिया.

गोपालजी – मैडम, ये ठीक है ? ज़्यादा टाइट तो नहीं है ?

“आह…. ठीक है…”

जैसे तैसे मैंने बोल दिया . अब मुझे अपनी पैंटी में गीलापन महसूस हो रहा था.

गोपालजी – 33.6”.

दीपू – जी.

गोपालजी – मैडम अब अपने हाथ मेरे कंधों पर रख लीजिए.

मैं अभी तक बाँहें ऊपर उठाए खड़ी थी और ये सुनकर मुझे राहत हुई. मैंने उसके कंधों पर हाथ रख लिए. अब उसने टेप के दोनों सिरे मेरी बायीं चूची पर दाएं हाथ से पकड़ लिए और अपना बायां हाथ मेरी पीठ पर ले गया ये देखने के लिए की टेप सीधा है या नहीं. वो मेरी दायीं चूची को छूते हुए अपना हाथ पीछे ले गया और पीछे टेप चेक करने के बाद फिर से दायीं चूची से अपना हाथ टकराते हुए वापस आगे लाया.

मैंने अपने हाथ उसके कंधों में रखे हुए थे इसलिए मेरी तनी हुई चूचियों साइड्स से भी खुली हुई थीं. अब इसी तरह उसने मेरी दायीं चूची पर नापा और मेरी जवानी को इंच दर इंच महसूस किया.

“आअहह…”

किसी तरह मैंने अपनी सिसकी को रोका. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था और खड़े खड़े मेरी टाँगें अलग होने लगीं. फिर से गोपालजी ने नाप लेने के बहाने मेरी दायीं चूची के निप्पल को अंगूठे से दबाया. मुझे साफ महसूस हो रहा था की गोपालजी की साँसें भी तेज हो गयी हैं और उसके हाथ भी हल्के हल्के कंपकपा रहे थे. बुड्ढा यही नहीं रुका और टेप पकड़ने के बहाने उसने मेरे पूरी तरह तन चुके निप्पल को दो अंगुलियों के बीच पकड़ लिया.

अब ये मेरे लिए असहनीय था और मैंने अपने ऊपर नियंत्रण खो दिया. मैंने गोपालजी के कंधों को कस के पकड़ लिया और उत्तेजना से नाखून गड़ा दिए. मैं जानती थी की ये मेरी बड़ी ग़लती थी. मैंने उसको जतला दिया था की उसकी हरकतों से मैं उत्तेजित हो रही हूँ और इससे मेरी मुसीबत और भी बढ़ने वाली थी. सच कहूँ तो मैं अपनी काम भावनाओं पर काबू ना पा सकी. मैं जानती थी की जब तक मैंने अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखा है तब तक चीज़ें एक हद से आगे नहीं बढ़ेंगी. लेकिन जब एक बार मैंने अपनी कमज़ोरी उजागर कर दी तो फिर मुसीबत आ जाएगी.


कहानी जारी रहेगी


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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update - 8


लेडीज टेलर- नाप


अचानक मुझे याद आया की एक बार मेरी एक सहेली ने इसके लिए मुझे चेताया भी था. उसका नाम सुनीता था और मेरी शादी के बाद हमारी कॉलोनी में उससे मेरा परिचय हुआ था. तब उसकी शादी को 5 साल हो गये थे और उसके दो बच्चे थे. मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी. वो ही मुझे लोकल टेलर के पास ले गयी थी जिससे अब मैं अपने कपड़े सिलवाती हूँ. हम दोनों खुल के बातें किया करती थीं, यहाँ तक की अपनी सेक्स लाइफ और पति के बारे में अंतरंग बातें भी हम शेयर करते थे. एक दिन मैं दोपहर को उसके घर गयी तो उसके पति काम पर गये हुए थे और बच्चे स्कूल गये हुए थे. हम गप्पें मारने लगे और मैंने भीड़ भरी बसों में अपने साथ हुए वाक़ये उसे सुनाए की किस तरह मर्दों ने मेरे नितंबों और चूचियों को दबाया था और कभी कभी तो वो लोग हद भी पार कर जाते थे पर शर्मीली होने से मैं विरोध नहीं कर पाती थी और सच कहूँ तो हल्की फुल्की छेड़छाड़ के मैंने भी मज़े लिए थे.

तब सुनीता ने भी एक टेलर के साथ अपना किस्सा सुनाया. मेरी तरह वो भी नाप देते समय टेलर के छूने से उत्तेजित हो जाया करती थी. एक दिन टेलर उसकी नाप ले रहा था और उसके छूने से वो उत्तेजित हो गयी. उसने मुझे ये भी बताया की रात में उसके पति ने चुदाई करके उसे संतुष्ट किया था पर टेलर के बार बार चूचियों पर हाथ फेरने से वो उत्तेजित हो गयी. शुक्र था की जल्दी ही उसने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया और चूचियों को दबाने और सहलाने पर ही बात खत्म हो गयी. लेकिन उसने मुझसे कहा की ऐसी सिचुयेशन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है.

“…रश्मि, तुम विश्वास नहीं करोगी, ऐसी सिचुयेशन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल है. तब तक टेलर को पता चल चुका था की उसके छूने से मैं कमज़ोर पड़ रही हूँ और मैं उसका आसान शिकार हूँ. मैं भी उत्तेजना में बह गयी और ये भूल गयी की मैं किसी और की पत्नी हूँ और दो बच्चों की माँ हूँ. मैंने बेशर्मी से उसे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने दिया. उसको कोई रोक टोक नहीं थी और वो मेरी हालत का फायदा उठाते गया. कैसे बताऊँ, उफ …कितना बेशरमपना दिखाया उस दिन मैंने….\

उस टेलर ने पीछे से मेरे पेटीकोट के अंदर भी हाथ डाल दिया. तभी मुझे लगा की मैं ग़लत कर रही हूँ और मैं ही जानती हूँ कैसे मैंने अपनी काम भावनाओं पर काबू पाया और उसे रोक दिया. मैं बहाना बनाकर किसी तरह उसके चंगुल से छूटी. वरना उस दिन वहीं फर्श पर वो मुझे चोद देता. ज़रा सोचो. थोड़े मज़े के लिए एक छोटी सी लापरवाही से मैं जिंदगी भर अपने को माफ़ नहीं कर पाती. रश्मि , मैं तुम्हें अनुभव से बता रही हूँ, अगर कभी जिंदगी में राजेश के अलावा किसी दूसरे मर्द के साथ तुम बहकने लगो तो ध्यान रखना, अपनी भावनाएं उस पर जाहिर ना होने देना. अगर तुमने ऐसा किया तो ये सिर्फ मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा होगा….”

गोपालजी – दीपू, 33.2 टाइट. मैडम बहुत टाइट तो नहीं हो रहा ?

गोपालजी की आवाज़ सुनकर मैं जैसे होश में आई.

“…ठीक है…”

असल में कुछ भी ठीक नहीं था क्यूंकी अब टेप मेरी चूचियों में कसने लगा था. अब गोपालजी ने मेरी दायीं चूची के निप्पल पर टेप को और टाइट कर दिया.

गोपालजी – ये ठीक है मैडम ? या टाइट हो गया ?

“उहह….टाइट हो गया…”

मैं भर्रायी हुई आवाज़ में बोली. गोपालजी की अंगुलियों का दबाव मेरे निपल्स पर बढ़ रहा था और मुझसे बोला भी नहीं जा रहा था. मैंने जैसे तैसे अपने को काबू में किया और उसके कंधों को पकड़े हुए खड़ी रही.

गोपालजी – ठीक है मैडम, 33.2 रखता हूँ. दीपू नोट करो.

दीपू – जी.

गोपालजी – मैडम, अब एक आख़िरी बार चेक कर लेता हूँ फिर फाइनल करता हूँ.

एक शादीशुदा औरत की चूचियों को छूने से गोपालजी भी एक्साइटेड लग रहा था. उसका उत्साह ये देखकर ज़रूर बढ़ा होगा की उसकी हरकतों से उत्तेजित होकर मैंने उसके कंधों पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे. और मेरा लाल चेहरा भी मेरी उत्तेजित अवस्था को दिखा रहा था.

वैसे तो वो नाप ले रहा था और दीपू को नाप नोट करा रहा था पर मुझे साफ अंदाज आ रहा था की वो मेरे ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियों को पकड़ रहा है. एक मर्द के हाथों की मेरी चूचियों पर पकड़ से मैं कांप रही थी.

मैं मन ही मन हंस भी रही थी की ये बुड्ढा इतना चालाक है और इस उमर में भी इतना ठरकी है. मैं उसकी बेटी की उमर की थी लेकिन फिर भी वो मेरे प्रेमी की तरह मेरी जवानी का रस पी रहा था. वो टेप के दोनों सिरों को ठीक मेरी दायीं या बायीं चूची में दबाकर नाप रहा था. वो हर तरह से मुझसे मज़े ले रहा था , कभी अपनी अंगुलियों से मेरी चूची को दबाता , कभी निप्पल को अंगूठे से दबाता , कभी मेरी पूरी चूची पर अँगुलियाँ फिराकर उनकी कोमलता का एहसास करता और कभी नीचे से चूचियों को ऊपर को धक्का देता.

मैंने तिरछी नज़रों से दीपू को देखा पर शुक्र था की वो इस बात से अंजान था की ये बुड्ढा मेरे साथ क्या कर रहा है. अब पहली बार मैंने अपनी तरफ से कुछ किया, मैंने टेलर के हाथों में अपनी चूचियों से धक्का दिया. मुझे यकीन है की उसे इस बात का ज़रूर पता चला होगा क्यूंकी जब हमारी नज़रें मिली तो उसने आँख मार दी. उसकी कामुक हरकतें मुझे उत्तेजित कर तडपा रही थी और अब मेरा मन हो रहा था की कोई मर्द मुझे अपने आलिंगन में कस ले और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियों को मसल दे. मेरी साँसें भारी हो गयी थीं , मेरे होंठ खुल गये थे , मेरी टाँगें काँपने लगी थीं और मेरी चूत से रस निकलता जा रहा था. उत्तेजना बढ़ने से अंजाने में मैं अपने नितंबों को भी हिलाने लगी थी लेकिन जब मुझे इसका एहसास हुआ तो मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई.

गोपालजी – मैडम, ठीक है फिर, मैं आपकी चोली को इतनी ही टाइट रखता हूँ.

ऐसा कहते हुए उसने मेरे लाल चेहरे को देखा. मैं कोई जवाब देने की हालत में नहीं थी. इस चतुर बुड्ढे ने बड़ी चतुराई से मेरे बदन की आग को भड़का दिया था. मुझे डर था की मेरी गीली पैंटी से कहीं मेरे पेटीकोट में भी गीला धब्बा ना लग गया हो क्यूंकी मुझे आशंका थी की अभी तो घाघरे की भी नाप लेनी है और ये बुड्ढा ज़रूर मेरी साड़ी उतरवा कर पेटीकोट में ही नाप लेगा.


कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-

‘ परिधान'

Update -9

लेडीज टेलर की बदमाशी



गोपालजी – बस अब चोली की लास्ट नाप लेता हूँ , कंधे से छाती तक.

अब मैं गोपालजी की अंगुलियों का स्पर्श बर्दाश्त करने की हालत में नहीं थी. मैं उत्तेजना से कांप रही थी और शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत कमज़ोर पड़ चुकी थी. अब गोपालजी मुझे छुएगा तो ना जाने मैं क्या कर बैठूँगी.

गोपालजी – दीपू , कॉपी यहाँ लाओ.

दीपू कॉपी लेकर मेरे पास आया. गोपालजी उसकी लिखी हुई नाप देख रहा था तभी दीपू ने कुछ ऐसा कहा की कमरे का माहौल ही बदल गया.

दीपू – मैडम, आप कांप क्यूँ रही हो ? ठीक तो हो ?

मेरे कुछ कहने से पहले ही टेलर बोल पड़ा.

गोपालजी – हाँ, मैडम, मुझे भी लगा की आप कांप रही हो. मैं देखता हूँ.

उसने मेरे माथे पर हाथ लगाया.

दीपू – मैडम, आपको तो बहुत पसीना भी आ रहा है.

मैं कुछ नहीं बोल पाई.

गोपालजी – मैडम, आपका माथा तो ठंडा लग रहा है. आपको क्या हो रहा है ? मैडम , मैं आपको सहारा दूं क्या ?

उसने मेरे जवाब का इंतज़ार किए बिना मेरी बाँह पकड़ ली.

“मैं ठीक…….आउच….”

मैं कहना चाह रही थी की मैं ठीक हूँ पर मेरी बाँह में टेलर ने चिकोटी काट दी.

गोपालजी – क्या हुआ मैडम ? दीपू, मैडम के लिए एक ग्लास पानी लाओ.

“लेकिन….”

दीपू कमरे के कोने में पानी लाने गया तो गोपालजी ने कस के मेरी बाँह पकड़ ली और मेरे कान के पास अपना मुँह लाया.

गोपालजी – अगर आपको और चाहिए तो जैसा मैं कहूँ वैसा बहाना बनाओ.

उसकी फुसफुसाहट पर मैंने गोपालजी को जिज्ञासु निगाहों से देखा. लेकिन उसकी बात पर सोचने का समय नहीं था क्यूंकी दीपू पानी ले आया था. दीपू को सच में यह लग रहा था की मेरी हालत ठीक नहीं है.

गोपालजी – बताओ मैडम, कैसा लग रहा है ? आपको चक्कर आ रहा है क्या ?

गोपालजी ने मेरी बाँह ऐसे पकड़ी हुई थी की मेरी अँगुलियाँ उसकी लुंगी से ढकी हुई जांघों को छू रही थीं. दीपू ने मुझे पानी का ग्लास दिया और जब मैं पानी पी रही थी तो गोपालजी ने लुंगी के अंदर खड़े लंड से मेरा हाथ छुआ दिया.

मैंने पानी गटका और एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कर ली और फिर झूठ बोल दिया.

“ओह्ह …मेरा सर….घूम रहा है….”

मैंने ऐसा दिखाया की मुझे ठीक नहीं लग रहा है. दीपू को मेरी बात पर विश्वास हो गया था.

दीपू – मैडम को ठीक से पकड़ लीजिए. कुर्सी लाऊँ मैडम ?

गोपालजी इसी अवसर का इंतज़ार कर रहा था और अब उसे मालूम था की मैं बहाना बना रही हूँ और दीपू को भी भरोसा हो गया है , अब उसके लिए कोई रुकावट नहीं थी. गोपालजी ने अब मेरी दोनों बाँहें पकड़ लीं.

गोपालजी – मैडम, फिकर मत करो , कुछ देर में ठीक हो जाएगा. बस अपने बदन को ढीला छोड़ दो.

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने सर को थोड़ा हिलाया ताकि लगे की चक्कर आ रहा है.

दीपू – मैडम , ये आपको चक्कर अक्सर आते हैं क्या ? कोई दवाई लेती हो ?

गोपालजी ने मुझे इन सवालों का जवाब देने से बचा लिया.

गोपालजी – दीपू, लगता है ये बेहोश होने वाली है. क्या करें ?

ऐसा कहते हुए उसने फिर से मेरी बाँह में चिकोटी काटी ताकि मैं बेहोश होने का नाटक करूँ.

मेरे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं था और मैंने बेहोश होने का नाटक करते हुए अपना सर गोपालजी के बदन की तरफ झुकाया.

दीपू – अरे … अरे …. कस के पकड़ लीजिए. मैं भी पकड़ता हूँ.

ऐसा कहते हुए दीपू ने पीछे से मेरी कमर पकड़ ली. गोपालजी ने मुझे गिरने से बचाने के बहाने अपने आलिंगन में ले लिया और एक मर्द के टाइट आलिंगन की मेरी काम इच्छा पूरी हुई. मेरी आँखें बंद थीं और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. गोपालजी के टाइट आलिंगन से मेरी चूचियाँ उसकी छाती में दबी हुई थीं और उसकी बाँहें मेरी कमर में थी. सच बताऊँ तो गोपालजी से ज़्यादा मैं खुद ही अपनी सुडौल चूचियों को उसकी छाती में दबा रही थी.

आआआहह…..”

मैंने उत्तेजना में धीरे से सिसकी ली.

दीपू – मैडम को बेड में ले चलिए.

गोपालजी अपने बदन में मेरी कोमल चूचियों का दबाव महसूस कर रहा था इसलिए वो मुझे अपने आलिंगन से छोड़ने के लिए अनिच्छुक था.

गोपालजी – रूको अभी. कुछ पल देखता हूँ, क्या पता मैडम ऐसे ही होश में आ जाए. तब तक तुम बेड से कपड़े हटाओ और चादर ठीक से बिछा दो.

दीपू – जी अच्छा.


कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

परिधान'

Update -10


बेहोशी का नाटक



अभी तक दीपू ने मेरी पीठ को सहारा दिया हुआ था वैसे इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी क्यूंकी गोपालजी मुझे ऑक्टोपस के जैसे जकड़े हुए था. 60 बरस की उमर में भी उस टेलर ने बड़ी मजबूती से मुझे पकड़ रखा था. अब दीपू बेड ठीक करने गया तो मुझे लगा की एक बार आँखें खोलकर देखने में कोई ख़तरा नहीं है. मैंने देखा की दीपू मेरे बेड से कपड़ों को हटा रहा है , लेकिन मैं एक पल के लिए ही उसे देख पाई क्यूंकी अब गोपालजी मुझे अपने आलिंगन में ऐसे दबा रहा था जैसे की अपनी पत्नी को आलिंगन कर रहा हो. उसका मुँह मेरी गर्दन और कंधों पर था और दीपू का ध्यान दूसरी तरफ होने का फायदा उठाते हुए उसने अपने दाएं हाथ से मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी सिसकारियाँ रोकी और चुपचाप चूची दबवाने का मज़ा लिया.

दीपू – जी हो गया. मैडम को होश आ गया ?

उसकी आवाज़ सुनते ही मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और गोपालजी के कंधों में सर रख दिया. गोपालजी ने भी तुरंत मेरी चूचियों से हाथ हटा लिए. मेरी साड़ी का पल्लू अभी भी फर्श में गिरा हुआ था.

गोपालजी – नहीं आया. चलो मैडम को बेड में ले जाते हैं.

मैंने देखा तो नहीं पर दीपू मेरे नज़दीक आ गया. मैं सोचने लगी ये दोनों मुझे बेड में कैसे ले जाएँगे ? गोपालजी की उमर और उसके शरीर को देखते हुए वो मुझ जैसी गदराये बदन वाली जवान औरत को गोद में तो नहीं उठा सकता था. जो भी हो , लेकिन इस नाटकबाजी में मुझे बहुत रोमांच आ रहा था और मैं बेशरम बनकर सोच रही थी की ऐसे थोड़ा मज़ा लेने में हर्ज़ ही क्या है.

दीपू – हम मैडम को कैसे ले जाएँगे ?

गोपालजी – ऐसा करो पहले तो मैडम की साड़ी उतार दो ये फर्श में मेरे पैरों में लिपट जा रही है.

उउऊऊह ……मैं मन ही मन बुदबुदाई.

दीपू ने तुरंत मेरी कमर से साड़ी उतार दी. वैसे भी जल्दी ही उसकी शादी होने वाली थी तो उसे अपनी पत्नी की साड़ी उतारना तो आना ही चाहिए. जब दीपू मेरी साड़ी उतार रहा था तो मुझे बड़ा अजीब लग रहा था क्यूंकी आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था की मेरी आँखें बंद करके किसी ने मेरी साड़ी उतारी हो. शादी के शुरू के दिनों में जब मेरे पति बेड में मेरी पैंटी उतारते थे तब मैं शरम से आँखें बंद कर लेती थी. लेकिन धीरे धीरे आदत हो गयी और बाद में मुझे इतनी शरम नहीं महसूस होती थी. लेकिन ऐसा तो कभी नहीं हुआ था.

गोपालजी ने भी दीपू की तेज़ी पर गौर किया और गंदा कमेंट कर डाला.

गोपालजी – दीपू बेटा, आराम से खोलो. इतनी तेज़ी क्यों दिखा रहे हो ?

दीपू ने कोई जवाब नहीं दिया. शायद वो इसलिए जल्दबाज़ी दिखा रहा था क्यूंकी मुझे बेहोश देखकर जल्दी से बेड में लिटाना चाह रहा था.

गोपालजी – अरे … इतनी तेज़ी से साड़ी क्यूँ उतार रहे हो. ये तुम्हारी घरवाली थोड़े ही है जो तुम्हें पेटीकोट भी उठाने को मिलेगा …हा हा हा….

दीपू – हा हा हा…..

गोपालजी – मैडम की साड़ी कुर्सी में रख दो.

अब मैं गोपालजी की बाँहों में सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी और फिर गोपालजी ने पेटीकोट के ऊपर से मेरे सुडौल नितंबों पर हाथ रख दिए और उनकी गोलाई का एहसास करने लगा , मैं समझ गयी की अभी दीपू मेरी साड़ी कुर्सी में रख रहा होगा. हमेशा की तरह मेरी पैंटी मेरे नितंबों की दरार में सिकुड चुकी थी और गोपालजी को पेटीकोट के बाहर से मेरे मांसल नितंबों का पूरा मज़ा मिल रहा होगा. मुझे भी एक मर्द के हाथों से अपने नितंबों को सहलाने का मज़ा मिल रहा था.

मैंने फिर से एक पल के लिए आँखें खोली और देखा की दीपू वापस आ रहा है , गोपालजी ने तुरंत अपने हाथ मेरी कमर में रख लिए. मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी और अब मैं बहुत कामोत्तेजित हो चुकी थी.

दीपू – अब ले चलें.

गोपालजी – हाँ. तुम इसकी टाँगें पकड़ो और मैं कंधे पकड़ता हूँ.

दीपू ने मेरी टाँगें पकड़ लीं और गोपालजी ने कंधे पकड़े और मुझे फर्श से उठा लिया. ऐसे पकड़े हुए वो मुझे बेड में ले जाने लगे. दीपू ने मेरी नंगी टाँगें पकड़ रखी थीं तो मेरा पेटीकोट थोड़ा ऊपर उठ गया और उसका निचला हिस्सा हवा में लटक गया. वो तो अच्छा था की बेड पास में ही था वरना ऐसे पेटीकोट लटकने से तो नीचे से अंदर का सब दिख जाता. फिर उन्होंने मुझे बेड में लिटा दिया और मेरे सर के नीचे तकिया लगा दिया.

गोपालजी – दीपू, अब क्या करें ? कुछ समझ नहीं आ रहा . गुरुजी को बुलाऊँ क्या ?

दीपू – जी , मैंने अपने गांव में बहुत बार मामी को बेहोश होते देखा है. मेरे ख्याल से अगर मैडम के चेहरे पर पानी छिड़का जाए तो इसे होश आ सकता है.

गोपालजी – तो फिर पानी ले आओ. तुम्हारी मामी को बेहोशी के दौरे पड़ते हैं क्या ?

दीपू – जी हाँ. बेहोश होकर गिरने से उसे कई बार चोट भी लग चुकी है. लेकिन वो तो बेहोश होकर गिर जाती है पर मैडम तो खड़ी रही , कुछ अलग बीमारी मालूम होती है.

मैं आँखें बंद किए हुए उनकी बातें सुन रही थी और अपने चेहरे पर पानी पड़ने का इंतज़ार कर रही थी. दीपू पानी ले आया और उन दोनों में से पता नहीं कौन मेरे चेहरे पर पानी छिड़क रहा था, पर मैंने पूरी कोशिश करी की ठंडा पानी पड़ने पर भी ना हिलूं.

दीपू – मैडम पर तो कोई असर नहीं पड़ रहा.

गोपालजी – हाँ. तुम्हारी मामी जब बेहोश होती है तो उसके घरवाले क्या करते हैं ?

दीपू – सांस ठीक से ले रही है या नहीं ? एक बार चेक कर लीजिए.

गोपालजी ने मेरी नाक के आगे हाथ लगाया.

गोपालजी – बहुत हल्की चल रही है.



कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -11


बेहोशी का इलाज



ये सुनकर मैंने भी सांस रोक ली ताकि अगर दीपू भी चेक करना चाहे तो उसे भी यही लगे. इस नाटक में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.

दीपू – ऐसा है, तब तो एक काम करना होगा जो की मैंने मामी के साथ देखा है.

गोपालजी – क्या करना होगा ?

दीपू – जब मेरी मामी की हल्की सांस आती थी तो उसकी छाती ज़ोर से दबाकर पंप करते थे और तलवों की मालिश करते थे.

गोपालजी – हाँ ये अच्छा सुझाव है. चलो ऐसा ही करते हैं. तुम मैडम के तलवों की मालिश करो.

एक पल के लिए मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया. ये अच्छा सुझाव नहीं बहुत बढ़िया सुझाव है. मुझे तो कामोत्तेजना से बड़ी बेताबी हो रखी थी की कोई मर्द मेरी कसी हुई चूचियों को अच्छे से दबाए. अब इस बेहोशी के बहाने गोपालजी मेरी छाती को पंप करेगा. इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर कड़क हो गये.

गोपालजी ने बिल्कुल वक़्त बर्बाद नहीं किया और ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और दबाने लगा. जल्दी ही उत्तेजना में भरकर वो बुड्ढा टेलर मेरी जवान चूचियों को दोनों हथेलियों में दबोचकर मसलने लगा. मेरी साँसें उखड़ने लगीं और स्वाभाविक उत्तेजना से मेरी टाँगें अलग हो गयीं और मेरे नितंब भी कसमसाने लगे.

एक मर्द मेरी जवानी को आटे की तरह गूथ रहा था और मैं ज़्यादा हिल डुल भी नहीं सकती थी सिर्फ़ अपने होंठ काट रही थी. सच कहूँ तो मेरे नाटक करने से और गोपालजी की चतुर चालों से मेरे दिल को एक अजीब रोमांच और बदन को संतुष्टि और आनंद का एहसास हो रहा था.

दीपू – जी मुझे लगता है की मैडम के बदन में हरकत होने लगी है. मुझे इसकी टाँगें हिलती हुई महसूस हो रही हैं.

ये सुनकर मैंने जैसे तैसे अपनी कामोत्तेजना पर काबू पाया और एक पत्थर की तरह से पड़ी रही. गोपालजी को भी समझ आया और उसने मेरी चूचियों पर पकड़ ढीली कर दी.

गोपालजी – ठीक है तो फिर एक बार और सांस चेक कर लेता हूँ.

फिर से गोपालजी ने मेरी नाक के आगे हाथ लगाया. जाहिर था की अब मैं गहरी साँसें लेने लगी थी पर गोपालजी ने फिर से वही कहा.

गोपालजी – ना दीपू बेटा. सांस अभी भी वैसी ही है. इसके तलवे ठंडे हो रखे हैं क्या ?

दीपू – जी, लग तो रहे हैं.

गोपालजी – तो फिर अब क्या करना है ?

दीपू – जी , मैंने देखा था की अगर ऐसे होश नहीं आता तो गांव में मामी के मुँह में मुँह लगाकर सांस देते थे. आपसे हो पाएगा ऐसा ?

मुँह में मुँह लगाकर सांस देगा. हे भगवान. मेरा टेलर मेरे साथ ऐसा करेगा ? मेरे साथ तो ये होठों का होठों से चुंबन ही होगा. मैं इसे अपना चुंबन लेने दूँ या नहीं ? एक गांव का टेलर मेरा चुंबन लेगा. और वो भी 60 बरस की उमर का. ऐसे बुड्ढे का चुंबन कैसा महसूस होगा ?

ये सभी सवाल मेरे मन में आए. लेकिन इनका जवाब भी मेरे मन ने ही दिया.

क्यूँ नहीं ले सकता ? इसमें हर्ज़ ही क्या है ? इसने मुझे इतना मज़ा दिया है तो इसको अपने होठों का रस भी पीने देती हूँ. ये सिर्फ़ एक टेलर ही है पर पहले ही मुझे मेरे पति की तरह आलिंगन कर चुका है और वैसे भी सिर्फ़ एक चुंबन से मेरा क्या नुकसान होने वाला है ? जब नाटक कर ही रही हूँ तो क्यूँ ना इसका पूरा मज़ा लूँ.

इस तरह मैंने अपने को उस बुड्ढे टेलर के चुंबन के लिए तैयार कर लिया.

गोपालजी – हाँ क्यूँ नहीं ? मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ और अगर ऐसा करने से मैडम को होश आ जाता है तो बहुत बढ़िया. वैसे तुमने देखा तो होगा कि ऐसा करते कैसे हैं ?

मैंने महसूस किया की गोपालजी मेरे चेहरे के करीब आ गया.

दीपू – आप मैडम का मुँह खोलो और उसके मुँह से हवा खींचकर अपने मुँह से हवा भर दो.

गोपालजी – ठीक है. मैं कोशिश करता हूँ.

दीपू – लेकिन मुँह से सांस देते समय छाती को भी पंप करते रहना. मामी को भी ऐसा ही करते थे.

गोपालजी – अच्छा, ठीक है.

अब तो जैसे उस 60 बरस के आदमी के मन की मुराद पूरी हो गयी. कुछ ही पलों में उसके ठंडे होठों ने मेरे होठों को छुआ. वो उत्तेजना से कांप रहा था और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गयी थीं. गोपालजी ने अपने हाथ से मेरे मुँह को खोला और मुँह में हवा देने के बहाने मेरे निचले होंठ को अपने होठों के बीच दबाकर महसूस किया. फिर उसने मेरा चुंबन लेना शुरू किया और उसकी गरम जीभ मैंने अपने मुँह के अंदर घूमती हुई महसूस की. उसकी लार मेरी लार से मिल गयी और मैंने भी चुंबन में उसका साथ दिया. कुछ पलों बाद गोपालजी ने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और उन्हें निचोड़ने लगा. जिस तरह से वो उन्हें मसल रहा था उससे मुझे लगा की इस बार तो मेरे ब्लाउज के हुक टूट ही जाएँगे. मेरे होठों को चूमने के साथ साथ वो मेरी बड़ी चूचियों को मनमर्ज़ी से दबोच रहा था और उनके बीच तने हुए कड़क निपल्स को अपने अंगूठे से महसूस कर रहा था.


कहानी जारी रहेगी

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1. पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

2- औलाद की चाह

3. मेरे अंतरंग हमसफ़र
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -12

बेहोशी का इलाज
- दुर्गंध वाली चीज़


अब चीजें हद से पार और मेरे नियंत्रण से बाहर जा चुकी थीं. मेरा पूरा बदन जल रहा था और मेरी साँसें उखड़ गयी थीं. मुझे यकीन था की दीपू को मेरी टाँगें स्थिर रखने में मुश्किल हो रही होगी क्यूंकी उत्तेजना से वो अपनेआप अलग हो जा रही थीं. क्या उसे अंदाज हो गया होगा की मैं नाटक कर रही हूँ ? नहीं ऐसा नहीं था, क्यूंकी उसने ज़रूर कुछ कहा होता. मैंने अपने बदन को कम से कम हिलाने डुलाने की कोशिश की लेकिन मेरे चेहरे पर गोपालजी की भारी साँसों, उसके दातों का मेरे नरम होठों को काटना और मेरे मुँह में घूमती उसकी जीभ मुझे बहुत कामोत्तेजित कर दे रहे थे. मैं तकिया पे सर रखे बिस्तर पर सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में आँखें बंद किए लेटी थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पति के साथ मेरी कामक्रीड़ा चल रही है.

दीपू – जी , मैडम में कोई फ़र्क पड़ा ?

गोपालजी – हाँ …दीपू. ये हल्का हल्का रेस्पॉन्स दे रही है.

दीपू – मुझे भी इसकी टाँगें हिलती हुई महसूस हो रही हैं.

गोपालजी – लेकिन ये अभी पूरी तरह से होश में नहीं आई है.

गोपालजी जब बोल रहा था तो उसके होंठ मेरे होठों को छू रहे थे और इससे मुझे ऐसी सेक्सी फीलिंग आ रही थी की मैं बयान नहीं कर सकती. अब गोपालजी ने मेरे चेहरे से अपना चेहरा हटा लिया और मेरी चूचियों से अपने हाथ भी हटा लिए. गोपालजी ने ब्रा और ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियों को इतना मसला था की वो अब दर्द करने लगी थीं.

दीपू – जी , एक और उपाय है जो गांव में मैंने देखा है , कोई भी दुर्गंध वाली चीज़ सुंघाते थे.

दुर्गंध वाली चीज़ , क्या होगी मैं सोचने लगी लेकिन मैं अनुमान लगा ही नहीं सकती थी की उस चालाक बुड्ढे के मन में क्या है.

गोपालजी – आहा….ये तो बहुत बढ़िया उपाय है. ये मेरे दिमाग़ में पहले क्यूँ नहीं आया ?

अब मुझे ऐसा लगा की दीपू जो की मेरे पैरों के पास बैठा था अब खड़ा हो गया है.

दीपू – जी, मेरी मामी जब हल्का सा होश में आने लगती थी तो उसको कुछ सुंघाते थे.

गोपालजी – क्या सुंघाते थे ?

दीपू – कोई भी चीज़ जिससे तेज दुर्गंध आए. अक्सर चप्पल सुंघाते थे.

गोपालजी – अपनी चप्पल दो.

छी.. छी.. छी …..अब मुझे इसकी चप्पल सूंघनी होंगी. एक बार तो मेरा मन किया की नाटकबाजी छोड़कर उठ जाऊँ ताकि इसकी चप्पल ना सूंघनी पड़े लेकिन गोपालजी ने उठने का कोई इशारा नहीं किया था इसलिए मैं वैसे ही लेटी रही.

गोपालजी – चलो , ये भी करके देखते हैं.

वो दीपू की चप्पल को मेरी नाक के पास लाया. शुक्र था की उसने मेरी नाक से छुआया नहीं. मैंने बदबू सहन कर ली और आँखें नहीं खोली.

दीपू – जी, कुछ ऐसी चीज़ चाहिए जिससे दुर्गंध आए.

गोपालजी – मेरे पास एक उपाय है, पर वो शालीन नहीं लगेगा.

दीपू – क्या उपाय ?

गोपालजी – रहने दो.

दीपू – जी, अभी शालीनता की फिकर करने का समय नहीं है. मैडम को कैसे भी जल्दी से होश में लाना है.

गोपालजी – रूको फिर.

फिर मुझे कोई आवाज़ नहीं आई और मुझे उत्सुकता होने लगी की हो क्या रहा है. लेकिन आँखें बंद होने से मुझे कुछ पता नहीं लग पा रहा था. गोपालजी मुझे क्या सुंघाने वाला है ?

अचानक मुझे दीपू के हंसने की आवाज़ सुनाई दी.

दीपू – हा..हा..हा……ये सही सोचा आपने.

गोपालजी – मैं चार दिन से इस बनियान (बंडी) को पहने हूँ, इसलिए इसमें ……

वाक….जैसे ही गोपालजी अपनी बनियान को मेरी नाक के पास लाया उसकी बदबू से मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया. उससे पसीने की तेज बदबू आ रही थी पर मैंने आँखें नहीं खोली. लेकिन मैंने मन बना लिया की अब बहुत हो गया और अब जो भी चीज़ ये दोनों मुझे सुंघाएँगे मैं नाटक बंद कर होश में आ जाऊँगी.

दीपू – नहीं….इससे भी कुछ नहीं हुआ.

गोपालजी – एक बार देखो तो दरवाज़े पे कुण्डी लगी है ?

दीपू – जी क्यूँ ?

गोपालजी – जो कह रहा हूँ वो करो.

दीपू की तरह मेरे मन में भी ये सवाल आया की गोपालजी ऐसा क्यूँ कह रहा है लेकिन मैंने ये सोचा की अगर दरवाज़ा बंद है तो ये तो मेरे लिए अच्छा है वरना अगर कोई आ जाए तो सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में दो मर्दों के सामने ऐसे आँखें बंद किए हुए लेटी देखकर मेरे बारे में क्या सोचेगा . ये तो मेरे लिए बदनामी वाली बात होगी.

दीपू – जी दरवाज़े पे कुण्डी लगी है.

गोपालजी – ठीक है फिर. अब आखिरी उपाय है. लेकिन मुझे पूरा यकीन है की इसको सूँघकर मैडम होश में आ जाएगी.


कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -13

होश आया.


वो हल्के से हंसा लेकिन मेरी आँखें बंद होने से मैं अंदाज़ा नहीं लगा पाई की क्यूँ हंसा. फिर मुझे दीपू के भी हँसने की आवाज़ आई. अब मुझे बड़ी उत्सुकता होने लगी की ये ठरकी बुड्ढा करने क्या वाला है ?

दीपू – हाँ, ये तो मैडम को होश में ला देगा.

मुझे कुछ अजीब गंध सी आई पर क्या था पता नहीं चला लेकिन गंध कुछ पहचानी सी भी लग रही थी.

गोपालजी – दीपू बेटा, हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है.

दीपू – वो कैसे ?

गोपालजी – बेटा, जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तुम्हें पता चल जाएगा. एक बार अपनी घरवाली को चुसाओगे तो याद रखेगी.


हे भगवान. ये दोनों क्या बातें कर रहे हैं. अब मेरी नाक में कुछ सख़्त चीज़ महसूस हुई और हो ना हो ये गोपालजी का लंड था. गोपालजी के लंड की गंध अपनी नाक में महसूस करके पहले तो मैंने गिल्टी फील किया लेकिन उस समय तक मेरा बदन पूरी तरह उत्तेजित हो रखा था इसलिए जल्दी ही उस गिल्टी फीलिंग को भूलकर मैं उसके लंड की गंध को सूंघने लगी.

मैं अब अपनी आँखें खोल सकती थी लेकिन एक मर्द के लंड को अपने इतने नज़दीक पाकर मंत्रमुग्ध हो गयी. उसके सुपाड़े से निकलते प्री-कम का गीलापन मेरी नाक में महसूस हो रहा था.

उम्म्म्मम…..उसके लंड की गंध और उसकी छुअन से मैं और भी ज़्यादा कामोत्तेजित हो गयी. ये बात सही है की मुझे अपनी पति का लंड चूसना पसंद नहीं था पर अभी गोपालजी ने मुझे कामोत्तेजित करके इतना तड़पा दिया था की कैसा भी लंड मेरे लिए स्वागतयोग्य था. गोपालजी शायद मेरी मनोदशा समझ गया और अपने तने हुए लंड को मेरी नाक और गालों में दबाने लगा. मैं भी अपना चेहरा हिला रही थी पर अभी भी आँखें बंद ही थी.

दीपू – अरे……आपने बिल्कुल सही कहा था. मैडम रेस्पॉन्स दे रही है.

शायद गोपालजी भी अपने ऊपर नियंत्रण खो रहा था और उसकी उमर को देखते हुए इतना ज़्यादा फोरप्ले करने के बाद उसके लिए अपना पानी रोकना मुश्किल हो गया होगा. गोपालजी ने अपनी अंगुलियों से मेरे होंठ खोल दिए और अपना खड़ा लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. मुझे एहसास था की ये तो ज़्यादा ही हो गया और मैं बेशर्मी की सभी हदें आज पार कर चुकी हूँ लेकिन एक मर्द के लंड को चूसने का अवसर मैं गवाना नहीं चाहती थी और वैसे भी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मैंने अपनी आँखें बंद ही रखी थी तो सच ये था की मुझे ज़्यादा शरम भी महसूस नहीं हो रही थी.

गोपालजी – आह….आह……आअहह…..चूस … चूस…..और चूस साली.

गोपालजी मेरे मुँह में अपना लंड वैसे ही अंदर बाहर कर रहा था जैसा मेरे पति चुदाई करते समय मेरी चूत में करते थे. मैंने उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और पूरे जोश से चूस रही थी. उसका लंड मेरे पति से पतला और छोटा था. लेकिन मुझे ओर्गास्म दिलाने के लिए काफ़ी था. मुझे एहसास हुआ की उत्तेजना से मैं अपनी बड़ी गांड हवा में ऐसे उठा रही हूँ जैसे की चुद रही हूँ. लेकिन सच कहूँ तो उस समय मुझे शालीनता की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी और मेरा पूरा ध्यान मज़े लेने पर था.

मैं सिसकियाँ ले रही थी और मेरी पैंटी चूतरस से पूरी गीली हो चुकी थी. और ऐसा लग रहा था की मेरी चिकनी जांघों में भी रस बहने लगा था. मुझे ओर्गास्म आ गया और मैं काम संतुष्ट हो गयी. दीपू के सामने कुछ देर तक मेरा मुख चोदन चलता रहा और फिर गोपालजी ने मेरा मुँह अपने वीर्य से भर दिया. असल में मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और वीर्य को मुँह से बाहर उगल दिया पर इसके बावजूद उसका थोड़ा सा गरम वीर्य मुझे निगलना भी पड़ा.

अब मैं और ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर पायी और अब मुझे विरोध करना ही था. मैंने अपनी जीभ से गोपालजी के लंड को मुँह से बाहर धकेला और आँखें खोल दी. जैसे ही मैंने आँखें खोली तो मुझे वास्तविकता का एहसास हुआ. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ , कैसे रियेक्ट करूँ. गोपालजी मेरे मुँह के पास अपना लंड हाथ में लिए खड़ा था और उसकी लुँगी फर्श में पड़ी थी. मैं तुरंत बेड में बैठ गयी.

दीपू – ओह मैडम, आपको होश आ गया. बहुत बढ़िया.

मैं उन दोनों मर्दों के सामने हक्की बक्की बैठी थी. मैंने अपने ब्लाउज को देखा उसमें मेरी गोल चूचियाँ आधी बाहर निकली हुई थीं . मैंने अपनी ब्रा और ब्लाउज को एडजस्ट करके अपनी जवानी को छुपाने की कोशिश की और वो दोनों मर्द बेशर्मी से मुझे ऐसा करते देखते रहे. मेरे चेहरे में टेलर का वीर्य लगा हुआ था.

दीपू – मैडम , जब आप अचानक बेहोश हो गयी तो हम डर ही गये थे. बड़ी मुश्किल से आपको होश में लाए हैं.

“हम्म्म….…”

गोपालजी – दीपू बेटा, मैडम को मुँह पोछने के लिए कोई कपड़ा दो. मैं भी अपने को बाथरूम जाकर साफ करता हूँ.

मुझे भी तुरंत बाथरूम जाकर अपने को धोना था, मेरे चेहरे को, मेरी चूत को और मेरी गीली पैंटी को भी बदलना था.

“गोपालजी, पहले मैं जाऊँ ?”

गोपालजी – मैडम , आपको तो समय लगेगा. मैं बस पेशाब करूँगा और एक मिनट में आ जाऊँगा.

मैं अनिच्छा से राज़ी हो गयी पर मुझे भी ज़ोर की पेशाब लगी थी.

दीपू – मैं भी पेशाब करूँगा.

गोपालजी – हम साथ चले जाते हैं. मैडम , आप एक मिनट रुकिए.

वो दोनों बाथरूम चले गये और दरवाज़ा बंद करने की ज़हमत भी नहीं उठाई. उनके पेशाब करने की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी. मुझे एहसास हुआ की हालात मेरे काबू से बाहर जा चुके हैं और अब शालीन दिखने का कोई मतलब नहीं. थोड़ी देर में वो दोनों बाथरूम से वापस आ गये.

गोपालजी – मैडम, अब आप जाओ.

जब तक वो दोनों बाथरूम में थे तब तक मैंने अपने चेहरे और मुँह से वीर्य को पोंछ दिया था और नॉर्मल दिखने की कोशिश की. लेकिन अभी भी मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रखी थी. जैसे ही मैंने बेड से उठने की कोशिश की…..



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