First of all congrats for New story....
अपडेट 1
सफर,
राकेश को आज ऑफिस में उसके जन्मदिन पे प्रोमोशन मिला था आज उसको दो दो खुशिया एक साथ नसीब हुई थी ।उसने सोचा घर जाकर सब को सरप्राइज़ दूँगा।
जैसे ही घर पे पहुंचा दरवाजा खोल के अंदर गया तो पूरे घर में अंधेरा ही अंधेरा था ।वो सबको आवाज़ लगाने लगा ,मम्मी,पापा ,नेहा,आरोही कहा हो तुम सब, कोई दिखाई नही दे रहा है और ये पूरे घर में अंधेरा क्यों है बार बार आवाज़ देने के बाद भी कोई आवाज़ नही आती तो वो थक हारकर अपने जेब से मोबाइल फोन निकलता और उसके टॉर्च की रौशनी से अंधेरे को चिरती हुई एक छोटी सी रोशनी घर में दिखाई देने लगती है ।वो घर के स्विच ढूढ़ के दबाया और पुरा हॉल रौशनी से नहा उठा राकेश के गाला सुख गया था डर और पसीने उसके चेहरे पे साफ दिखाई दे रहा था ।उसकी धड़कने तेज़ हो चुकी थी तभी एक आवाज़ से वो डर जाता है ।कौन है कौन वहा कोई आवाज़ ना सुनकर वो और घबरा जाता था तभी उसे याद आता था अरे में भी ना फोन तो हाथ में ही है कॉल करता हूँ सब को वो कॉल करने लगते है पर सबका फोन बंद आ रहा था राकेश और घबरा जाता है डर और चिंता के मारे उसका गाला सूखने लगता तभी वो किचन की तरफ चल पड़ता है पूरे किचन में अंधेरा पसरा हुआ था ।उसने स्विच ढूढ़ा और जैसे ही दबाया पुरा किचन रौशनी से जगमगा गया ।उसने फ्रीज़ खोला और पानी की बोतल निकाल के पीने लगा तभी उसकी नज़र फ्रीज़ के ऊपर पड़ती है वहा कोई कागज़ रखा हुआ था ,ऐसा पहले कभी नही हुआ की राकेश का घर बिखरा हुआ हो हर चीज़ सही जगह ही मिलती थी उसकी पत्नी पूरे घर को अच्छे से संभालती थी ।उसने बोतल रख कागज़ उठा लिया और उसको खोल के देखने लगा उसमे कुछ लिखा था जिसे पढ़ के राकेश की आँखें नम हो जाती है वो रोने ही वाला होता है की एक दम से उसे आवाज़े सुनाई देती है
हैप्पी बर्थडे टू यू....
हैप्पी बर्थडे टू यू....
हैप्पी बर्थडे टू यू डियर राकेश....
हैप्पी बर्थडे टू यू.....और जोर जोर से तालिया बजने लगती है राकेश ये सब देख खुशी से फुला नही समा पा रहा था ।वो रोते हुए नेहा से लिपट जाता हैं सब देखते रह जाते है ।
नेहा - अरे बाबा क्या हुआ आप को सुनिए ना ।
पर राकेश बस आँखें बंद किये सिसक रहा था उसकी आँखों से आँसू भी निकल गये थे । तभी एक आवाज़ से घर की शांति भंग होती है ।
अरे वाह भैया बर्थडे पे सिर्फ भाभी को प्यार मिलेगा और मैं और मम्मी पापा कहा गये।
अभी भी राकेश नेहा से अलग नही हुआ था ।तभी नेहा बोली सुनो जी क्या कर रहे हो मम्मी पापा खड़े है मुझे शर्म आ रही है छोड़ो ना ।इतने सुनते ही राकेश नेहा से अलग होता है ।तभी नेहा को राकेश के आँखे भीगी हुई मिलती है वो देख नेहा की भी आँखें नम हो जाती है ।
हरिलाल - अरे बेटा क्या हुआ
मुनिया - मेरा राजा बेटा रो क्यों रहा है
आप लोग बहुत गंदे हो वो कागज़ दिखाते हुए बोला और फिर से नेहा के गाले लग जाता है ।
कागज़ में लिखा था की आपके पूरे परिवार का एसिडेंट हो गया है और आपकी पत्नी नेहा मर चुकी है ।बाकी लोगो की हालत भी ठीक नही है ।आप जल्दी .... हॉस्पिटल आ जाये हम लोग हॉस्पिटल में ही आपका इंतेज़ार कर रहे है
इतना पढ़ते ही राकेश की आंखें नम हो जाती है वो रोने ही वाला होता है की एक आवाज़ से वो चौंक जाता है जो उसके ही परिवार की थी ।
नेहा - मुझे माफ़ कर दो जी मुझे ऐसा मज़ाक नही करना चाहिए था । नेहा बार बार राकेश के सर दबा के सहलाते हुए माफ़ी मांग रही थी ।
आरोही - सोर्री भैया मुझे भी माफ़ कर दो ये सब मेरी ही गलती है । मैंने ही बोला था भाभी को ऐसा करने को ,माफ़ कर दो भैया प्लीज़।
नेहा - हाँ ये तुम्हारी ही गलती है आरोही देखो इनका क्या हाल हो गया । और वो भी रोने लगती हैं।
आरोही - सोर्री भाभी सोर्री भैया मुझे माफ़ कर दो आरोही की भी आँखें नम हो गयी थी।
इधर मम्मी पापा को कुछ पता नही था ये लोग किस बात की माफ़ी मांग रहे थे ।
राकेश- चुप होते हुए वैसे ये प्लान किसका था ।
नेहा - किसका होगा ऐसा बेकार प्लान आपकी प्यारी बहना का था और वो फिर से राकेश के गाले लग जाति है
इधर आरोही भी रोने लगी थी जब राकेश ने देखा तो बोला अब तु क्यों रोने लगी ।और उसको भी अपने गाले लगा लेता है ।तीनो मिलकर अपने गीले शिकवे दूर कर रहे थे की तभी पापा बोले अरे मुझे भी कोई बताएगा ये हो क्या रहा है आखिर बात क्या हैं।
नेहा -अपनी लाडली से पूछ लीजिये पापा
राकेश दोनो से अलग होता हुआ बोलता है पापा अब नाटक ख़तम करिये। मम्मी पापा एक टक देखते हुए एक साथ बोले कैसा नाटक बेटा ???
राकेश ये देखो पापा ये नाटक ,कागज़ पे लिखा पढ़ के हरी लाल के होश उड़ जाते है ,मुनिया बोलिये ना जी क्या लिखा है इसमे वो कुछ कहने की हिम्मत नही कर पाया ।तभी मुनिया वो कागज़ ले लेती है पर उसे पढ़ना तो आता नही था ,तभी राकेश बोलता है कागज़ पे लिखी हुई बीतों को सुन मुनिया के मुँह से निकलता है हाये राम और अपना सर पकड़ के बैठ जाती है । थोड़ी देर बाद मुनिया ये सब क्या है बहु ??
नेहा - मम्मी जी मेरी कोई गलती नही है ये आरोही बोली थी भईया को ऐसा सरप्राइज़ देते है तो मुझे लगा अच्छा ही है ।
आरोही तो डर से काँपने लगी थी क्यों वो अपनी माँ का गुस्सा जानती थी ।
मुनिया - आरोही ये सब क्या है ऐसा कौन लिखता है तुझे समझ है तूने क्या लिखा है और आरोही के गाल पे एक थपड़ मार देती है ।तभी हरीलाल और राकेश ,मुनिया को रोकते है ।
राकेश - माँ ये क्या कर रही हो उसने एक मज़ाक ही तो किया है और बेचारी अभी बच्ची ही तो है
मुनिया - मज़ाक करे पर ऐसा मज़ाक इसको इतनी भी समझ नही है । और काहे की बच्ची है ,विवाह हो जाये तो एक बच्चे की माँ बन जाएगी ।
तभी सब चौंक जाते है की मुनिया गुस्से में क्या बोल गयी
नेहा - मज़ाक करते हुए हाँ मम्मी जी एक क्या दो तीन बच्चे कर देगी आरोही और हँसने लगती है
तभी मुनिया को एहसास होता है वो गुस्से में क्या बोल गयी तब तक सब के चेहरे पे मुस्कान आ गयी थी पर आरोही को छोड़ के ,आरोही रोने वाली थी की राकेश उसको गले लगा लेता था ।
नेहा - हाँ तो कब करे मम्मी जी आरोही का विवाह और मुस्कुरा देती है ।
आरोही गुस्से में मुझे कोई शादी वादी नही करनी मैं कही नही जाउंगी अपने परिवार को छोड़ के और भैया से दूर तो कभी भी नही ।और राकेश से जोर से लिपट जाती है ।
राकेश बोलता है पर प्लान बहुत बढ़िया था मैं तो सच में बहुत डर गया था ।
नेहा - आखिर प्लान किसका था मेरी बन्नो का दिमाग़ है ही इतना अच्छा ।
आरोही - माफ़ कर दो भैया अब नही होगी ऐसी गलती ।
राकेश अच्छा चलो अब जन्मदिन का केक तो काट ले ।
केक खाने और लगाने के बाद वो लोग खाना खाने बैठ जाते है ,खाना खाते हुए राकेशा पापा एक सरप्राइज़ मेरे पास भी है तभी सब उसको देखते है और पूछते है पर राकेश नही बताता ।
खाना हो चुका था सब अभी हॉल में बैठे बातें कर रहे थे
आरोही - भैया बताओ ना क्या बात है प्लीज जल्दी ,आरोही एक चुलबुली लड़की थी हर बात जाने की जल्दी ही रहती थी ।
हरी लाल - क्या बात है बेटा बता दे वरना अब ये नही छोड़ेगी तुझे और सब हँसने लगते हैं।
राकेश - पापा मुझे प्रोमोशन मिला है और एक सप्ताह का हॉलिडे भी ये सुनते ही सब खुशी से उछल पड़ते है
आरोही भैया फिर तो पार्टी होनी चाहिए नेहा हाँ जी चलो ना कही चलते है कितना समय हो गया बहार गये हुए ।
राकेश अपने माँ पापा के पैर छु कर आशीर्वाद लेता है और फिर बोलता है हाँ क्यों नही कंपनी खुद मुझे एक सप्ताह के लिए शिमला भेज रही हैं।
आरोही - वाओ भैया क्या बात है मैं भी चलूंगी ।
नेहा - हाँ हाँ बन्नो चल लेना तुम भी पर ख़र्चे का भी तो हिसाब लगाना पड़ेगा ना ।
राकेश - अरे कोई खर्चा नही है कंपनी मुझे ये मुफ़्त में दे रही है मेरी मेहनत और काबिलियत को देखते हुए , पर एक परेशानी हैं।
नेहा -क्या परेशानी है जी ।
राकेश - कंपनी ने मुझे बस तीन ही पास दिये है और हम लोग ५ लोग है ।
हरीलाल - इसमे क्या परेशानी है बेटा तुम लोग हो आओ अब हमारी उम्र नही रही शिमला जाने की ।
मुनिया - हाँ राकेश के पापा जी आप सही कह रहे है बेटा तुम ,बहु और आरोही चले जाओ ।
राकेश पर मम्मी पापा आप लोग अकेले कैसे यहा रह पाओगे ।
हरिलाल - अरे बेटा एक सप्ताह की ही तो बात है और मैं इतना बुड्ढा नही हुआ की अपनी देखभाल ना कर सकूं हाँ तेरी माँ ज़रूर बुढ़िया हो गयी है और हँसने लगता है
मुनिया - क्या कहा में और बुढ़िया तुम ही बुड्ढे घुसठ हो मैं नही ।
हरी लाल - तो बच्चो को बोल दो जाने के लिए ।
मुनिया - मैं कहा मना कर रही हूँ मेरे तीनो बच्चे जाये।
तभी नेहा बोली माँ जी आप लोग अकेले छोड़ के जाने का मन नही है
हरिलाल - बेटा हमारी चिंता छोड़ और घूमने जाने के लिए तैयारी करो ।
सब लोग बात करके फैसला कर लेते है की कब और कितने बजे निकलना है क्यों की कंपनी ने रुकने के लिए होटल में कमरा बुक भी कर दिया था तो इसकी कोई परेशानी नही थी उनको बस अब शिमला के लिए निकलना था ।
कमरे में जाते ही राकेश ,नेहा को बाहों में भर लेता,नेहा छोड़ो ना आते ही शुरु हो गये थोड़ा इंतेज़ार करो नहा के आती हूँ राजा फिर बजा देना अपनी इस रानी का बाजा और नहाने चली जाती है इधर राकेश कल शिमला जाने के लिए बहुत उत्सुक था ।नेहा आकर राकेश से लिपट जाती हैं दोनो के होंठ मिल गये और फिर शुरू हुआ प्यार की एक नई परिभाषा ,धीरे धीरे दोनो एक दूसरे को नोंचने लगे और देखते ही देखते नेहा और राकेशा नग्न आवास्ता में बिस्तर पे एक दूसरे के बदन से खेलने में लगे हुए थे दोनो ने मस्ती और मदहोशी में आहे भर रहे थे ,गरम सिसकियाँ से पुरा कमरा गुज रहा था और निचे बिस्तर पे दो टांगो के बीच जंग छिड़ी हुई थी की कौन पहले धाराशाही होगा।
राकेशा का लिंग नेहा की योनि में घापा घाप अंदर बहार हुए जा रहा था मस्ती अपने पूरे जोर पे थी
आह्ह्ह..नेहा तुम कितनी मस्त हो जान उफ्फ्फ..तुम्हारी ये जवानी आह्ह्ह..नेहा ।
ये सब दरवाजे के भर खड़ी आरोही सुन रही थी । वो शिमला जाने के लिए बहुत उत्साहित थी तो अपने भैया से कुछ पूछने आयी थी तभी उसको ये आवाज़े सुनाई देने लगी और अब वो आवाज़ो से मस्त हो चली थी उसका एक हाथ उसकी योनि पे चला गया था ।आखिर वो भी जवान थी ये होना लाजमी था वो धीरे धीरे अपनी योनि को सहला रही थी।तभी इधर कमरे में एक जोरदार आह्ह्ह.. के साथ दोनो स्खलित हो जाते है ।दोनो नग्न ही एक दूसरे से लिपट के सो जाते है ।आरोही भी अपने कमरे में चली गयी थी।
सुबह की पहली किरण से नेहा उठती है सारा काम जल्दी से पुरा करने की कोशिश करने लगती है आज दोपहर को ही उनको शिमला के लिए निकलना जो था ।सब उठ चुके थे
नास्ता करके राकेश अपनी तैयारी करने अपने कमरे में चला जाता है और नेहा और आरोही जल्दी खाना बना के अपनी तैयारी भी करना चाह रही ।
दोपहर २ बजे सब निकलने के लिए तैयार खड़े थे ।
तीनो ही माँ पापा के पैर छु कर आशीर्वाद लेते है
पर इस बात से अनजान वो तीनो की ये शिमला उनके जीवन में क्या तूफ़ान लायेगा ।शिमला के लिए निकल जाते है ।
Starting bahut bdiya hai...yr ....incent ke saath dar or khauf bahut maza aane wala hai lgta hai....Shimla ja rhe hai ye teeno ...shayad wha or inki life change hone wali hai or Inge pta nhi .... dekhte hai aage kya hota hai