25
"विरेन्द्र जी,सुमित्रा जी का हाल उपर से तो वैसे का वैसा नज़र आता है पर अंदर से ऐसा नही है.उनका दिमाग़ अब 1 तरह से बेकार हो चुका है.आपलोग अब इस बात के लिए तैय्यार रहिए कि ये कभी भी कोमा मे जा सकती हैं.",सुमित्रा जी के रोटीन चेकप के बाद डॉक्टर ने अपना बॅग उठाया,"..ओके.अब मैं चलता हू."
दर्शन & शेखर जा चुके थे & अब विरेन्द्र जी भी दफ़्तर के लिए निकालने वाले थे,"थॅंक यू,डॉक्टर.",विरेन्द्र जी ने हाथ मिला कर डॉक्टर को विदा किया.उनके चेहरे की परेशानी रीमा को सॉफ दिखाई दे रही थी & उसके दिमाग़ मे रात को कहे शेखर के लफ्ज़ गूँज रहे थे.उसे यकीन नही हो रहा था कि उसके ससुर कभी किसी रांड़ के चक्कर मे पड़े होंगे?
"तुम्हे घर मे अकेले डर तो नही लगेगा.",विरेन्द्र जी ने अपना ब्रीफकेस उठाया.
"नही."
"कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना,हिचकिचाना मत."
"ठीक है."
"..और हां,आज मैं लंच के लिए नही आऊंगा & रात का खाना भी बाहर ही है.मगर फिर भी अगर तुम्हे कोई तकलीफ़ हो तो मुझे बुला लेना.",विरेन्द्र जी निकल गये तो रीमा ने दरवाज़ा बंद कर लिया.
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दोपहर के 2 बज रहे थे & रीमा बैठी टीवी देख रही थी कि फोन घनघनया.
"हेलो.",उसने रिसीवर कान से लगाया पर कोई जवाब नही आया.
"हेलो...हेलो...",अभी भी कोई आवाज़ नही आई.वो फोन रख वापस टीवी देखने लगी.5 मिनिट के बाद फिर से फोन बज उठा.
"हेलो."
इस बार भी कोई आवाज़ नही आई पर उसे ऐसा लगा जैसे किसी के साँस लेने की आवाज़ आ रही हो.
"हेलो..का-कौन है.."बोलते क्यू नही?..",रीमा ने फोन रख दिया,उसे डर लग रहा था.उसके परेशान मन मे 1 बार ख़याल आया की विरेन्द्र जी को फोन करके बुला ले.उसने तय किया कि अगर 1 बार फिर वो ब्लॅंक कॉल आया तो वो अपने ससुर को फोन कर लेगी.
पर ऐसा करने की उसे ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी फिर कोई फोन नही आया.उसने भी सोचा की वो बेकार मे इतना डर गयी थी.हो सकता है कोई फोन करना चाह रहा हो & लाइन मे कोई गड़बड़ हो.
रात के 11 बज गये थे,रीमा खाना खाने के बाद अपनी सास को सुला उनके कमरे से निकली तो बाहर विरेन्द्र जी की गाड़ी रुकने की आवाज़ आई.उसने दरवाज़ा खोला तो वो अंदर आए.उनके अंदर घुसते ही रीमा चौंक उठी,"अरे!ये क्या हो गया?!ये चोट कैसे लगी आपको?"
विरेन्द्र जी की शर्ट का बाया बाज़ू उपर कंधे के पास फॅट गया था & वाहा से अंदर बाँह पे चोट दिख रही थी,ऐसा हाल बाई जाँघ के साइड मे भी था.
"दफ़्तर के पास 1 कार वाला रिवर्स कर रहा था,मैं पीछे खड़ा था.ना उसने देखा ना मुझे पता चला,जब कार बिल्कुल पास आई तो मैं कूद कर 1 तरफ होने लगा तो दीवार से रगड़ खाकर ये चोट लग गयी."
"आप भी ना!खाना खाया या नही?"
"हां."
"चलिए कमरे मे,दवा लगा दूं."
दोनो उनके कमरे मे आ गये.
"चलिए शर्ट उतरिय.",रीमा अपनी फर्स्ट एड किट ले आई थी.विरेन्द्र जी ने शर्ट उतार दी.बाँह पे बड़ी सी खरोंच थी,रीमा रूई गीली कर घाव को सॉफ करने लगी.उसके सामने उसके ससुर की बालो भरी नंगी छाती कुच्छ ही दूरी पे थी.वो घाव पे मरहम लगते हुए उनका सीना देख रही थी,उसका दिल कर रहा था कि अपनी उंगलिया उनके बालो मे उतार उनके निपल्स को चूम ले.
उसने नीचे देखा,जाँघ की खरोंच के लिए उन्हे पॅंट उतारनी होगी पर ये अपने ससुर से वो कैसे कहती.विरेन्द्र जी शायद उसकी दुविधा समझ गये,"अब जाँघ पे भी तो दवा लगओगि?"
दोपहर के 2 बज रहे थे & रीमा बैठी टीवी देख रही थी कि फोन घनघनया.
"हेलो.",उसने रिसीवर कान से लगाया पर कोई जवाब नही आया.
"हेलो...हेलो...",अभी भी कोई आवाज़ नही आई.वो फोन रख वापस टीवी देखने लगी.5 मिनिट के बाद फिर से फोन बज उठा.
"हेलो."
इस बार भी कोई आवाज़ नही आई पर उसे ऐसा लगा जैसे किसी के साँस लेने की आवाज़ आ रही हो.
"हेलो..का-कौन है.."बोलते क्यू नही?..",रीमा ने फोन रख दिया,उसे डर लग रहा था.उसके परेशान मन मे 1 बार ख़याल आया की विरेन्द्र जी को फोन करके बुला ले.उसने तय किया कि अगर 1 बार फिर वो ब्लॅंक कॉल आया तो वो अपने ससुर को फोन कर लेगी.
पर ऐसा करने की उसे ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी फिर कोई फोन नही आया.उसने भी सोचा की वो बेकार मे इतना डर गयी थी.हो सकता है कोई फोन करना चाह रहा हो & लाइन मे कोई गड़बड़ हो.
रात के 11 बज गये थे,रीमा खाना खाने के बाद अपनी सास को सुला उनके कमरे से निकली तो बाहर विरेन्द्र जी की गाड़ी रुकने की आवाज़ आई.उसने दरवाज़ा खोला तो वो अंदर आए.उनके अंदर घुसते ही रीमा चौंक उठी,"अरे!ये क्या हो गया?!ये चोट कैसे लगी आपको?"
विरेन्द्र जी की शर्ट का बाया बाज़ू उपर कंधे के पास फॅट गया था & वाहा से अंदर बाँह पे चोट दिख रही थी,ऐसा हाल बाई जाँघ के साइड मे भी था.
"दफ़्तर के पास 1 कार वाला रिवर्स कर रहा था,मैं पीछे खड़ा था.ना उसने देखा ना मुझे पता चला,जब कार बिल्कुल पास आई तो मैं कूद कर 1 तरफ होने लगा तो दीवार से रगड़ खाकर ये चोट लग गयी."
"आप भी ना!खाना खाया या नही?"
"हां."
"चलिए कमरे मे,दवा लगा दूं."
दोनो उनके कमरे मे आ गये.
"चलिए शर्ट उतरिय.",रीमा अपनी फर्स्ट एड किट ले आई थी.विरेन्द्र जी ने शर्ट उतार दी.बाँह पे बड़ी सी खरोंच थी,रीमा रूई गीली कर घाव को सॉफ करने लगी.उसके सामने उसके ससुर की बालो भरी नंगी छाती कुच्छ ही दूरी पे थी.वो घाव पे मरहम लगते हुए उनका सीना देख रही थी,उसका दिल कर रहा था कि अपनी उंगलिया उनके बालो मे उतार उनके निपल्स को चूम ले.
उसने नीचे देखा,जाँघ की खरोंच के लिए उन्हे पॅंट उतारनी होगी पर ये अपने ससुर से वो कैसे कहती.विरेन्द्र जी शायद उसकी दुविधा समझ गये,"अब जाँघ पे भी तो दवा लगओगि?""हां."
सुनते ही उन्होने अपनी पॅंट उतार दी & अपनी बहू के सामने केवल 1 काले अंडरवेर मे खड़े हो गये.शर्म से रीमा का बुरा हाल था.वो घुटनो के बल बैठ गयी & अपने लगभग नंगे ससुर की जाँघ की साइड पे घाव सॉफ करने लगी.उसके चेहरे से कुच्छ इंच की दूरी पे उनका फूला हुआ अंडरवेर था.रीमा ने डेटोल ले जैसे ही घाव पे लगाया विरेन्द्र जी की आह निकल गयी & वो थोड़ा सा उसकी ओर घूम गये तो उनका लंड रीमा के चेहरे से टकरा गया.