• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest कमीना

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
12
शेखर उनसे मिलने उनके कमरे की ओर चल दिया.थोड़ी देर बाद रीमा सुमित्रा जी की दवा ले उनके कमरे मे जा रही थी कि दरवाज़े के बाहर बाप-बेटे की बातचीत सुन उसके कदम वही के वही रुक गये.दोनो उसके बारे मे बात कर रहे थे.

"..तो वो यह बस 1 नर्स की हैसियत से है & मैं चाहता हू कि तुम भी उसे वही समझो...",विरेन्द्र जी की भारी,गंभीर आवाज़ सुनाई दी.

"आप & आपकी बातें च्छुपाने की आदत!",उसकी हँसी मे अपने पिता के लिए अपमान था.

"शेखर!"

"मुझे तो लगता है कि बेचारा रवि भी आपकी किसी च्छुपाई हुई बात का ही तो शिकार नही हो गया."

"क्या बकवास कर रहे हो?!होश मे रहो."

"होश ही मे हू.आप चिंता ना करें,मैं आपका कोई भी राज़ कही नही खोलूँगा."

रीमा तेज़ी से घूम अपने कमरे मे चली गयी.शेखर भी अपने पिता के कमरे से निकल अपने कमरे मे चला गया.

रीमा के मन मे हलचल मच गयी...क्या उसके ससुर का कोई राज़ था?क्या उसी की वजह से रवि की मौत हुई?आख़िर ऐसा क्यू कहा शेखर ने?...फिर विरेन्द्र जी ने रवि के गबन किए हुए 4 लाख रुपये इतनी आसानी से क्यू दे दिए?..उन्होने रवि की इस हरकत का कारण जानने की कोशिश क्यू नही की?...उसने सोचा था कि पैसे देने के बावजूद इस मामले की तहकीकात करेंगे पर बॅंगलुर से लौट के उन्होने इस बारे मे कुच्छ नही किया था.रीमा सोच मे पड़ गयी,उसे लग रहा था कि बस उठे & अपने ससुर & जेठ के सामने सवालो की झड़ी लगा दे.पर अगर वो जवाब देने को तैय्यार भी हो गये तो वो उस से सच बोलेंगे इस बात की क्या गॅरेंटी है...कोई दूसरा तरीका सोचना होगा उसे.उसका दिमाग़ इस के लिए तरकीब ढूँढने मे लग गया & वो दवा ले अपनी सास के पास चली गयी.

-------------------------------------------------------------------------------

"चलिए ना,दद्दा!मा जी का भी दिल बहल जाएगा.फिर इसी कॉलोनी के पार्क मे तो जाना है.",रीमा दर्शन से कह रही थी,"..फिर अभी 4 ही तो बजे हैं."

"हा...वैसे तो मालिक & भाय्या & के पहले घर नही आएँगे."

"इसीलिए तो कह रही हू.बस 1/2 घंटे मे आ जाएँगे."

"अच्छा चलो."

रीमा दर्शन को सुमित्रा जी को बगल के पार्क मे सैर कराने ले जाने के लिए कह रही थी.उसका मानना था कि बाहर खुले मे घूम उसकी सास को अच्छा लगेगा,उसने उनके डॉक्टर से फोन पे इस बारे मे भी पूच्छ लिया था.

दर्शन की मदद से उसने उन्हे व्हील्चैर मे बिठाया & तीनो घर मे ताला लगा पार्क मे चले गये.जब लौटे तो देखा कि विरेन्द्र जी के घर के बाहर खड़े हैं.दर्शन ने भागते हुए ताला खोला & सब अंदर दाखिल हुए.विरेन्द्र जी ने अभी तक 1 लफ्ज़ भी नही बोला था.

शाम को जब दर्शन बाज़ार गया तो विरेन्द्र जी ने हॉल मे रीमा से कहा,"मैने तुम्हे पहले भी कहा है कि नर्स ही रहो,बहू बनने की कोशिश ना करो.आख़िर किस हैसियत से तुम सुमित्रा को बाहर ले गयी थी?उसे कहीं कुच्छ हो जाता.मैं साफ-2 कहे देता हू,अपनी ऐकात मत भूलो.समझी!अपनी हद..-"

"बहुत हो गया!जब से आई हू तब से आपका रवैयय्या देख रही हू.मैं मा जी को डॉक्टर साहब की इजाज़त से बाहर ले गयी थी...आख़िर मेरी ग़लती क्या है?यही ना कि मैने आपके बेटे से प्यार किया था.तो कोई गुनाह किया क्या?",रीमा के सब्र का बाँध टूट गया.

"हा,किया तुमने गुनाह.तुम नही होती तो वो आज यहा होता ,ज़िंदा."

"आप ग़लत कह रहे हैं,मिस्टर.साक्शेणा.याद कीजिए आपका बेटा आपके पास आया था आपके साथ रहने के लिए.पर आपकी ज़िद के चलते उसे जाना पड़ा.अगर उसकी मौत का कोई ज़िम्मेदार है तो वो है आपकी ज़िद!मैं अनाथ हू,जितना मैं परिवार की अहमियत समझती हू,उतना कोई नही समझ सकता,मैने रवि को बार-2 आपसे सुलह करने को कहा था पर वो भी आपकी तरह ज़िद्दी था.",रीमा अपने दिल का पूरा गुबार निकाल देना चाहती थी,"..मैं यहा केवल मा जी के लिए आई थी.हा ये सच है कि आप नही आते तो मुझे रवि की ग़लती का खामियाज़ा भुगतना पड़ता..उसके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करती हू.पर मुझे अब इस घर मे और ज़लील नही होना है.आप मा जी के लिए किसी दूसरी नर्स का इंतेज़ाम कर लीजिए...जब वो आ जाएगी तो मैं यहा से चली जाऊंगी & आपके दिल को भी चैन पड़ेगा.",रीमा का गला भर आया & आँखे छल्छला आईं तो वो भाग के अपने कमरे मे चली गयी & तकिये मे मुँह च्छूपा रोने लगी.

उस रात उसने खाना भी नही खाया,दर्शन पुच्छने आया तो उसने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया.दूसरे दिन सवेरे दरवाज़े पे दस्तक हुई तो उसकी आँख खुली,उसने दरवाज़ा खोल तो सामने विरेन्द्र जी को खड़ा पाया.

वो अंदर आ गये.थोड़ी देर तक 1 असहज सी खामोशी कमरे मे पसरी रही,फिर विरेन्द्र जी की वज़नदार आवाज़ ने उसे तोड़ा,"रीमा.."

पहली बार उसने अपने ससुर के मुँह से अपना नाम सुना.

"हमे..हमे माफ़ कर दो.कल तुमने जो भी कहा वो बिल्कुल सच था.अगर रवि की मौत का कोई ज़िम्मेदार है तो वो मैं हू.अगर मैं ज़िद ना कर
ता तो शायद वो हुमारे बीच इस घर मे होता.इंसान का दिल बड़ी अजीब चीज़ है,रीमा.ग़लती मेरी थी पर उसे मानने के बजाय मेरे दिल ने तुम्हे गुनहगार बना दिया & तुमसे नफ़रत करने लगा."
 

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
13
वो अपनी बहू के सामने खड़े हो गये."अगर कर सकती हो तो मुझे माफ़ कर देना,रीमा.मैने तुम्हारे साथ बहुत ज़्यादती की है.हाथ जोड़ कर तुमसे 1 गुज़ारिश करता हू,तुम हमे छ्चोड़ कर मत जाओ.जबसे तुम आई हो,सुमित्रा के चेहरे पे 1 सुकून दिखता है जो पहले कभी नही दिखा.घर मे जैसे...जैसे फिर से थोड़ी सी ही सही रौनक जैसी आ गयी है."

अपने ससुर को हाथ जोड़े उस से विनती करते देख उसे अपने उपर शर्म आ गयी,कल शाम शायद वो कुच्छ ज़्यादा बोल गयी,"पिता जी,ये आप क्या कर रहे हैं!",उसने उनके जुड़े हाथो को पकड़ लिया,"माफी तो मुझे माँगनी चाहिए कल शाम मैने भी बहुत तल्खी से बात की."

"पर उसका ज़िम्मेदार भी तो मैं ही था ना."

"आप बड़े हैं,आपका हक़ है पिता जी."

"ओह्ह,रीमा.कितना ग़लत समझा मैने तुम्हे.",उन्होने ने उसे अपने गले से लगा लिया.विरेन्द्र जी 6'2" कद के लंबे चौड़े शख्स था.उन्होने तो जज़्बाती हो उसे गले लगाया था पर उनके चौड़े सीने मे मुँह च्छूपाते हुए रीमा के बदन मे सनसनी दौड़ गई.उसे जैसे वाहा बहुत सुरक्षा का एहसास हुआ,दिल किया की बस ऐसे ही हमेशा खड़ी रहे.पर फिर उसे अपने उपर शर्म आई,अपने ससुर के बारे मे वो ये कैसी बातें सोच रही थी!

विरेन्द्र जी ने उसे अपने से अलग किया,"हम आज ही सबको बता देंगे की तुम असल मे रवि की पत्नी हो."

"नही.ऐसा मत कीजिए."

"पर क्यू?"

"लोग बातें करेंगे,पिताजी की आख़िर इतने दीनो तक आपने सबसे मुझे नर्स के रूप मे क्यू मिलवाया?खमखा हमारे परिवार के बारे मे उल्टी-सीधी बातें सुनने को मिलेंगी."

"पर रीमा..-"

"प्लीज़,पिताजी.मेरी बात मान लीजिए & जैसे चल रहा है चलने दीजिए.आगे भगवान हमे कोई रास्ता ज़रूर दिखाएँगे."

"ठीक है.तुम कहती हो तो मान लेता हू.पर मेरी 1 बात तुम्हे भी माननी पड़ेगी."

"बोलिए ना."

"तुम अब हमसे दूर जाने की बात दिल मे भी नही सोचोगी & रोज़ खाने मे कुच्छ ना कुच्छ बनाओगी."

रीमा के होटो पे मुस्कान फैल गयी,"ठीक है.",विरेन्द्र जी भी हंस के चले गये.आज पहली बार उसने उन्हे हंसते देखा था,लगा जैसे कोई दूसरा इंसान ही उनकी जगह आ गया.

उस दिन से तो घर का माहौल ही बदल गया.रीमा ने भी अपने ससुर का 1 नया रूप देखा.वो उसका बहुत ख़याल रखने लगे थे.वो भी अपनी सास के साथ-2 उनका ध्यान रखने लगी थी.अब तो शाम को दफ़्तर से लौट कर वो बस उस से ही बातें करते रहते थे.जहा हर वक़्त सन्नत पसरा रहता था वाहा अब हँसी की आवाज़े सुनाई देने लगी थी.पर रीमा के मन के 1 कोने मे रवि की मौत की गुत्थी सुलझाने की बात भी थी.वो बस सही मौका तलाश रही थी,अपने ससुर से इस बारे मे बात करने का.

1 बात और भी उसे खटक रही थी.उसके ससुर उतने बुरे नही थे जितना उसने पहले सोचा था.दर्शन तो उनकी बड़ाई करते नही थकता था.बाज़ार-मोहल्ले मे भी सबके मुँह से वो उनके लिए बस तारीफ ही सुनती,फिर आख़िर शेखर उनसे क्यू उखड़ा-2 रहता था?

शेखर उसे 1 सुलझा हुआ इंसान लगा था पर अपने पिता से क्यू उसकी बनती नही थी,ये बात उसकी समझ मे नही आ रही थी.

-------------------------------------------------------------------------------
उस रोज़ वो अपनी सास को दवा पीला रही थी,परदा खुला हुआ था & रूम के दूसरे हिस्से मे विरेन्द्र जी उसकी तरफ मुँह कर आराम कुर्सी पे बैठे कोई किताब पढ़ रहे थे.सास को दवा पिलाने के बाद उनका बिस्तर ठीक करते वक़्त उसका पल्लू उसके सीने से सरक गया तो उसने भी बेपरवाही से उसे नीचे अपनी सास के बगल मे बिस्तर पे रख दिया.अब उसका ब्लाउस-जिसमे से उसकी चूचियो का 1 बड़ा हिस्सा झाँक आ रहा था & उसका गोरा,सपाट पेट जिसके बीचोबीच उसकी गहरी नाभि पे वो सोने का रिंग चमक रहा था-सॉफ दिख रहा था.

काम करते हुए उसने देखा की उसके ससुर किताब की ओट से उसे देख रहे हैं तो उसे अपनी हालत का ध्यान आया.शर्म से उसके गाल लाल हो गये,उसने धीरे से अपना पल्लू उठा अपने सीने पे रख लिया.काम ख़त्म कर वो बिना उनकी तरफ देखे कमरे से बाहर निकल आई.
 

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
13
उस दिन उसने गौर किया कि उसके ससुर जब भी मौका मिलता उसकी नज़र बचा के उसके बदन को नज़र भर देख रहे हैं.उसे शर्म भी आई पर दिल के किसी कोने मे अच्छा भी लगा-आख़िर इस दुनिया की ऐसी कौन सी लड़की है जो अपने हुस्न की तारीफ,खामोश तारीफ ही सही,नही पसंद करती.

रात के खाने के बाद काम ख़त्म कर वो छत पे टहलने चली गयी,अक्सर वो ऐसा करती थी.इस वक़्त चलने वाली ठंडी हवा उसे बहुत अच्छी लगती थी.पर उस दिन छत पे वो अकेली नही थी.वाहा शेखर भी खड़ा सिगरेट पी रहा था.

"सॉरी,मुझे पता नही था कि आप भी यहा हैं."

"कोई बात नही,रीमा.मैं तो बस इसके लिए आया था.",उसने सिगरेट फेंक अपने जूते से टोट को मसल दिया.

थोड़ी देर की खामोशी के बाद शेखर बोला,"रीमा...मैं पिता जी के रवैयययए के लिए तुमसे माफी माँगता हू."

"जी,कैसा रवैयय्या?"

"वही जो वो तुम्हे बहू नही केवल नर्स मानते हैं."

"ओह..वो.",रीमा तो अपने ससुर की माफी के बाद ये बात तो भूल ही गयी थी.

"आप माफी माँग के मुझे शर्मिंदा ना करे,भाय्या.वैसे सब कुच्छ ठीक ही चल रहा है."

"फिर भी.पिता जी ये ठीक नही कर रहे हैं."

"छ्चोड़िए ना.आप मीना भाभी को क्यू नही लाए?इसी बहाने उनसे भी मिल लेती.रवि उनकी बहुत तारीफ करता था."

"तुम्हे नही पता."

"क्या?"

"मीना & मेरा तलाक़ हो चुका है?"

"क्या?ई..आइ'एम सॉरी."

"प्लीज़ डॉन'ट बी.आइ'एम नोट."

रीमा के लिए 1 चौंकाने वाली खबर थी.वो अपने ख़यालो मे डूबी थी कि उसने देखा कि उसका पल्लू उसकी चूचियो के बीच आ गया है & उसकी दाई चुचि की ब्लाउस मे कसी गोलाई & थोडा सा क्लीवेज सॉफ दिख रहा है & उसके जेठ की नज़रे इस नज़ारे का पूरा लुत्फ़ उठा रही हैं.

"अच्छा,मैं चलती हू.नींद आ रही है,गुड नाइट,भैया!"

"गुड नाइट रीमा."

-------------------------------------------------------------------------------

रात को रीमा कपड़े बदलते वक़्त अपने ससुर & जेठ की निगाहो की गुस्ताख़ी याद कर रही थी.उसकी चूत मे फिर से वही पुरानी हलचल होने लगी.उसने अपने कपड़े उतार दिए & नंगी बिस्तर पे लेट गयी.उसके ससुर ने तो उसकी ब्लाउस मे बंद छातियो की पूरी गोलाई देखी थी & उसका पेट भी...हाई राम!उन्होने इसे भी देख लिया.उसने अपनी नेवेल रिंग से खेलते हुए सोचा तो उसे शर्म भी आई & हँसी भी & हाथ अपनेआप सरक के चूत पे चला गया.

वो पलंग पे पेट के बल लेट अपनी छातिया बिस्तर पे रगड़ती हुई अपने चूत के दाने को रगड़ने लगी & तभी जैसे उसके दिमाग़ मे रोशनी सी कोंधी.अपने सवालो का सही जवाब पाने का तरीका उसे मिल गया था-उसका बदन.

मर्द की सबसे बड़ी कमज़ोरी है औरत का जिस्म & अपने इसी जिस्म का इस्तेमाल वो अपने ससुर & जेठ से अपने मन की उलझानो को दूर करने के लिए करेगी.वो सोचेंगे कि वो उनका खिलोना है पर हक़ीक़त मे वो उनके साथ खेलेगी & रवि की मौत & उसके पैसे गबन करने का राज़ जानेगी.

"ऊओह.....आआ...हह.....!",अरसे बाद उसे फिर से अपने औरत होने का एहसास हुआ था.आह भरती हुई वो झाड़ गयी पर इस बार रवि नही,पता नही क्यू & कैसे,पानी छ्चोड़ते वक़्त उसके ज़हन मे यही ख़याल आया कि उसके साथ-2 उसके ससुर उसकी चूत मे झाड़ रहे हैं.
 

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
hi all frnds sirf kahani pad ke mat jaya karo bhai ............... Comment bhi karte jao.......,,,😁😁😁 To hame bhi maja aye....
 

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
सारी कमेंट के लिए धन्यवाद।।।। नया अपडेट कुछ ही देेेर में
 
  • Like
Reactions: Neo_
1,445
3,069
159
कहानी की शुरूआत तो अच्छी लग रही है । रवि की मौत का क्या राज़ है ये भी आगे पता चल ही जाएगा
 

LUCKY4ROD

Member
415
959
93
14
दूसरे दिन से ही रीमा अपने ससुर & जेठ को शीशे मे उतारने मे लग गयी.काम करते वक़्त पल्लू ढालका के अपने क्लीवेज का दर्शन करवा & कसे & झीने कपड़े पहन कर उनके सामने आकर उसने दोनो मर्दो के दिलो मे हलचल मचा दी.पर उसने इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि दोनो उसे कोई बाज़ारु लड़की ना समझे जो चुदाई के लिए मरी जा रही है.उसका प्लान था कि उसकी जिस्म की नुमाइश से गरम होकर दोनो खुद उसे अपने बिस्तर मे ले जाएँ.

2-3 दीनो तक ऐसा ही चलता रहा.जहा वीरेन्द्रा साक्शेणा बस चोर निगाहो से उसके जिस्म को घूरते रहते थे वही शेखर तो मौका पाते ही उसे छु लेता था,पानी का ग्लास लेते वक़्त उसकी उंगलिया दबाना तो बात करते वक़्त उसके कंधे पे वाहा हाथ रखना जहा ब्लाउस नही होता था तो अब उसकी आदत बन गयी थी.

नाश्ते की टेबल पे उसने उसकी प्लेट बढ़ाई तो उसने फिर से उसका हाथ दबा दिया.सीने से आँचल फिसल कर उसकी बाँह मे अटका था & दोनो मर्दो की नज़रे उसके सीने की वादी मे अटकी थी,"रीमा."

"जी.",पल्लू संभाल रीमा अपने ससुर से मुखातिब हुई.

"तुम यहा के बॅंक मे भी अपना 1 अकाउंट खुलवा लो,तुम्हे ही आराम होगा.मैं फॉर्म ले आया हू,आज ही जाके जमा कर आओ."

"ठीक है,बॅंक कहा पे है,बता दीजिए?मैं दिन मे जाके फॉर्म जमा कर आऊँगी."

"मुझे थोड़ी देर से ऑफीस जाना है,तुम्हे रास्ते मे छ्चोड़ता चला जाऊँगा.",शेखर ने नीवाला मुँह मे डाला.विरेन्द्र जी ने उसके उपर 1 गंभीर नज़र डाली & फिर नाश्ता करने लगे.

"ठीक है,भैया."

थोड़ी देर बाद शेखर की कार मे दोनो बॅंक की तरफ जा रहे थे,"कभी-2 घर से बाहर भी निकला करो रीमा.थोडा घुमो-फ़िरोगी तो मन बहला रहेगा."

"जी,बगल के पार्क मे चली जाती हू."

"वो तो ठीक है.पर कभी भी शॉपिंग या कोई और काम हो तो मुझसे बेझिझक कहना,मैं तुम्हे ले चलूँगा."

"थॅंक यू,भाय्या.",रीमा अपने जेठ की दरिया दिली का मक़सद समझ रही थी.चलो,इसमे इतनी हिम्मत तो थी उसके ससुर तो बस नज़रो से ही उसके बदन को छुने की कोशिश करते थे.जब से रीमा ने अपने पति की मौत का राज़ पता लगाने का ये तरीका सोचा था उसके जिस्म ने उसे तड़पाना शुरू कर दिया था.रात को अपने बिस्तर पे जब तक वो 2 बार अपनी उंगली से अपनी गर्मी को शांत नही करती उसे नींद नही आती.

शेखर ने कार रोक दी,हड्सन मार्केट आ गया था.रोड पार कर दोनो बॅंक की ओर जाने लगे.शेखर का हाथ ब्लाउस & सारी के बीच रीमा की नंगी कमर पे आ गया,दुनिया के लिए तो बस वो अपने साथ आई लड़की की सड़क पार करने मे मदद कर रहा था पर रीमा जानती थी कि इसी बहाने वो उसके रेशमी बदन का एहसास ले मज़ा उठा रहा है.उसे भी ये अच्छा लग रहा था,कितने दीनो बाद तो किसी ने उसे ऐसे च्छुआ था.

बॅंक मे भीड़ थी & फॉर्म सब्मिट करने के लिए उसे लाइन मे लगना पड़ा तो शेखर भी उसके पीछे खड़ा हो गया,"आपको देर हो जाएगी,भाय्या.आप जाइए."

"कोई बात नही,तुम परेशान मत हो.बस थोड़ी देर मे काम हो जाएगा तो मैं निकल जाऊँगा."
 
Top